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गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

पूरे शरीर में दर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं?

 पूरे शरीर में दर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं?

#Dr.VirenderMadhan

Body Pain Causes:-

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 शरीर में लगातार होता रहता है दर्द, तो जानें क्या हो सकती है वजह?

*1– नींद की कमी:–

 रोज़ 6 से 8 घंटे की नींद लेना ज़रूरी है।अधुरी नींद के कारण भी 

*2– पानी की कमी:-

 आप इस बात का अहसास शायद ही हो, लेकिन शरीर में पानी की कमी दर्द का कारण बन सकते हैं।थकान, और अधिक प्यास हो सकती है

*3– आप तनाव में हैं तो हाई,बी.पी. हो सकता है जिसके कारण से बदन दर्द बन सकता है

*4– आयरन की कमी होने पर भी शरीर में दर्द होता है 

*5– विटामिन-डी की कमी है तो इसके लिये रोगी को घुप मे भी रहना चाहिए

*6– आर्थराइटिस 

*7– फटीग संड्रोम 

*8– सर्दी और खांसी होने पर भी शरीर में दर्द हो जाता है

#शरीर में दर्द किसकी कमी से होता है?

आयुर्वेद के अनुसार वात जब विकृत होता है तब शरीर में दर्द  होता है

– विटामिन-डी -

 विटामिन-डी की कमी से न सिर्फ पैरों में दर्द होता है बल्कि मांसपेशियों में भी दर्द शुरू हो जाता है। शरीर में विटामिन-डी की कमी को पूरा करने के लिए आप कुछ समय के लिए रोजाना धूप में बैठें, इसके अलावा दूध, अंडे की जर्दी, इत्यादि का सेवन कर सकते हैं

जब पूरे शरीर में दर्द हो तो क्या करना चाहिए?

#बदन दर्द के घरेलू उपाय |

Body Pain Home Remedies

* मालिश To me

*नमक का पानी की सिकाई

* ठंडी सिंकाई

*Spend का उपयोग

* अदरक 

जब बहुत अधिक थकान हो, शरीर दर्द से टूट रहा हो तो पेन किलर लेने की बजाय आप गर्म दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करें। और इसे पीने के बाद थोड़ी देर के लिए लेट जाएं या सो जाएं। कुछ ही घंटों की नींद के बाद आप एकदम फ्रेश फील करेंगे और शरीर का दर्द और थकान कहीं गायब हो जाएंगे।

शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

बसंत ऋतु में होने वाले रोग


 बसंत ऋतु में होने वाले रोग

#डा०वीरेंद्र मढान

#बसंत ऋतु:-

यह ऋतु सर्दी और गर्मी का मिश्रण होता है,

इस ऋतु के आने पर मौसम सुहावना हो जाता है, सर्दी कम हो जाती है,  पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं । इस कारण से राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है इस ऋतु को ऋतुराज कहा गया है।

#बसंत ऋतु मे कौनसे रोग होते है:–

इस ऋतु में कफ से कुपित होने के कारण से 

- खांसी, सर्दी, जुकाम, श्वास, भूख न लगना, अपच, स्रोतों का अवरोध, गले की खराश, त्वचा रोग, बुखार, शरीर में भारीपन, अतिनिंद्रा, दस्त, खसरा आदि का खास प्रकोप होता है। 

वसंत ऋतु में सबसे आम बीमारियाँ मौसमी एलर्जी, अस्थमा आदि रोग होते है

एडेनोवायरस के कारण होने वाली श्वसन संबंधी बीमारी और एलर्जी संबंधी गुलाबी आँख हैं 

बाहरी परागकण और फफूंद समस्याएँ पैदा कर सकते हैं, लेकिन पालतू जानवरों की रूसी और धूल के कण जैसे इनडोर ट्रिगर भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

#बसंत ऋतु के रोगों के नाम:–

1-अस्थमा

2-फ्लू

3-पेट में दर्द

4-खांसी

5-गले में दर्द

6-आंख आना

7-कीड़े-मकोड़े की एलर्जी

8-पेट में अल्सर

9-नाक बंद होना

10-छाती में जकड़न

11-सिरदर्द

12-पेट में गैस बनना, आदि


#वसंत में आहार विहार :–

#क्या करें?

 वसंत ऋतु में आयुर्वेद ने खान-पान में संयम की बात कही है।

 वसंत ऋतु दरअसल शीत और ग्रीष्म का संधिकाल होती है। संधि का समय होने से वसंत ऋतु में थोड़ा-थोड़ा असर दोनों ऋतुओं का होता है। प्रकृति ने यह व्यवस्था इसलिए की है क्योंकि प्राणीजगत शीतकाल को छोड़ने और वसंत ऋतु में कफ  की समस्या अधिक रहती है। अतः इस मौसम में जौ, चना, ज्वार, गेहूं, चावल, मूंग,  अरहर, मसूर की दाल, बैंगन, मूली, बथुआ, परवल, करेला, तोरई, अदरक, सब्जियां, केला, खीरा, संतरा, शहतूत, हींग, मेथी, जीरा, हल्दी, आंवला आदि कफ नाशक पदार्थों का सेवन करें।  इसके अलावा मूंग बनाकर खाना भी उत्तम है। नागरमोथ अथवा सोंठ डालकर उबाला हुआ पानी पीने से कफ  का नाश होता है। मन को प्रसन्न करें एवं जो हृदय के लिए हितकारी हों ऐसे आसव अरिष्ट जैसे कि मध्वारिष्ट, द्राक्षारिष्ट, गन्ने का रस, सिरका आदि पीना लाभदायक है। 

इस ऋतु में कड़वे नीम में नई कोंपलें फूटती हैं। नीम की 15-20 कोंपलें, 2-3 काली मिर्च के साथ चबा-चबाकर खानी चाहिए। 15-20 दिन यह प्रयोग करने से वर्ष भर चर्म रोग, रक्त विकार और ज्वर आदि रोगों से रक्षा करने की प्रतिरोधक शक्ति पैदा होती है एवं आरोग्यता की रक्षा होती है। इसके अलावा कड़वे नीम के फूलों का रस 7 से 15 दिन तक पीने से त्वचा के रोग एवं मलेरिया जैसे ज्वर से भी बचाव होता है। 

धार्मिक ग्रंथों के वर्णनानुसार चैत्र मास के दौरान अलौने व्रत बिना नमक के व्रत करने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है एवं त्वचा के रोग, हृदय के रोग, उच्च रक्तचाप, हाई बीपी, गुर्दा, किडनी आदि के रोग नहीं होते। वसंत ऋतु में दही का सेवन न करें क्योंकि वसंत ऋतु में कफ का स्वाभाविक प्रकोप होता है एवं दही  कफ  को बढ़ाता है।  शीत एवं वसंत ऋतु में श्वास, जुकाम, खांसी आदि जैसे कफजन्य रोग उत्पन्न होते हैं। उन रोगों में हल्दी का प्रयोग उत्तम होता है। हल्दी शरीर की व्याधि रोधक क्षमता को बढ़ाती है, जिससे शरीर रोगों से लड़ने में सक्षम होता है। मौसम के अनुसार भोजन हमारे  शरीर और मन दोनों के लिए हितकारी होता है। मौसम के अनुसार भोजन में परिवर्तन करके आहार लेने वाले लोग सर्वथा स्वस्थ और प्रसन्नचित रहते हैं। उन्हें बीमार होने का भय नहीं रहता।

#क्या न करें?

वसंत में खट्टा, बहुत ज्यादा नमकीन या तैलीय भोजन भी नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से कफ दोष बढ़ सकता है. -इस मौसम में उड़द दाल का सेवन नहीं करना चाहिए. – इस मौसम में पूड़ी-कचौड़ी जैसे हैवी फूड से भी बचना चाहिए.

अधिक मात्रा में जौ, दलिया और ओट्स जैसे आनजों का सेवन करने से बचें। रेफ्रिजरेटर में जमी हुईं और ठंडी खाने वाली चीज़ों को भी भोजन में शामिल न करें।

शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

क्यों फूलती है और उपचार|How To To Treat|10 Bसांसest Way–Home Remedies


  क्यों फूलती है और उपचार|How To To Treat|10 Bसांसest Way–Home Remedies

#Dr.VirenderMadhan 

सांस फूलने की बीमारी कई कारणों से हो सकती है जिसमें :–

- एनीमिया,

- अस्थमा या

- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी स्थितियां हो सकती हैं। 

सांस फूलने की बीमारी – 


–संक्रमण,

–सूजन,

– एलर्जी,

– डायबिटीज,

– दमा की बीमारी,

– और प्रदूषण जैसे कई कारणों की वजह से भी हो सकती है।


#सांस फूलना कौन सी बीमारी के लक्षण है?

सांस की पुरानी और तीव्र कमी का कारण बनने वाली स्थितियों में शामिल हैं:

– दमा अस्थमा के कारण संकीर्ण वायुमार्ग सांस लेने में मुश्किल कर सकता है।

– हृदय का रुक जाना यह तब होता है जब रक्त हृदय को ठीक से भर नहीं पाता है और निकल नहीं पाता है। 

– फेफड़ों की बीमारी मे सांस फुलने लगती है

 – मोटापा ...

– चिंता ...

– फुफ्फुसीय अंतःशल्यता

** सांस फूलने की समस्या को हर बार फेफड़े और हृदय की दिक्कतों से जोड़कर देखना सही नहीं है। 

– कई लोगों में किडनी और मांसपेशियों से संबंधित समस्याओं के कारण भी सांस की दिक्कत हो सकती है।

– थोड़ा सा भी चलने-फिरने या फिर कोई काम करने पर सांस फूल जाती है तो यह विटामिन बी12 की कमी के लक्षणों में आता है. ऐसा रेड ब्लड सेल्स की कमी से ही होता है.


#कमजोरी से सांस फूलती है क्या?

– आयरन की कमीका सबसे आम लक्षण एनीमिया कहलाता है. इसकी वजह से थकान, चक्कर आना, सांस फूलना, स्किन का पीला पड़ना, भूख-प्यास न लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

– विटामिन डी की कमी का प्रचलन बढ़ रहा है और इसे अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज सहित प्रतिरोधी फेफड़ों की बीमारियों से जोड़ा गया है।

#पेट में गैस बनने से सांस फूलती है क्या?

– पेट की गैस से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.

#सांस फूलना और घबराहट होना:-

यदि रक्त में बड़ी मात्रा में अम्ल जमा होता है (जिसे मेटाबोलिक एसि weडोसिस कहा जाता है), तो लोगों की सांस फूलने लगती है और वे तेज़ी से हांफने लगते हैं।

– किडनी का गंभीर रूप से खराब होना, 

– डायबिटीज मैलिटस का अचानक बिगड़ जाना, और कुछ दवाओं या विष को निगल लेने से मैटाबोलिक एसिडोसिस हो सकता है।

#सांस लेने में भारीपन क्यों होता है?

– सांस फूलने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे :- कि सर्दी-ज़ुकाम, खांसी, भूख से अधिक खाना, मोटापा, कम दबाव वाला यानी ऊंचाई वाला स्थान, अधिक गर्म या अधिक ठंडा माहौल, फेफड़ों में छोटी-मोटी परेशानी, सांस नली का जाम होना, प्रदूषण आदि।


#सांस फूल रही हो तो क्या करना चाहिए?

सांस फूलने पर क्या करें?

– मुंह खोलकर गहरी सांस छोड़ें- अगर आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है या सांस फूल रही है तो तुरंत राहत पाने के लिए नाक से गहरी गहरी सांस लें और होठों से सीटी बजाते हुए सांस बाहर छोड़ें। ऐसा करने से आपको तुरंत आराम मिलेगा।


#सांस फूलने की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

रोफ्लेयर टैबलेट 

Asthalin


इससे आपको छाती में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट और खांसी जैसे लक्षणों से राहत मिलेगी और आपको अपने रोजमर्रा के कामों को आसानी से करने में मदद मिलेगी. यह दवा सुरक्षित और प्रभावी है.



#सांस की देसी दवाई कौन सी है?

– अदरक से सांस की परेशानी करें कम

इसका इस्तेमाल आप सूप, स्मूदी, काढ़ा इत्यादि के रूप में कर सकते हैं। 

– अदरक के रस को आप आंवला और एलोवेरा के साथ खा सकते हैं। यह आपकी इम्यून पावर को बूस्ट कर सकता है। साथ ही बलगम को तोड़ने में मदद करता है, फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।

#सांस फूलने में कौन सा फल खाना चाहिए?

जिन लोगों को अस्थमा की समस्या है, उन्हें अपनी डाइट में – ब्रोकली, जामुन, केला, पत्तेदार साग, खरबूजे, और एवोकाडो को जरूर शामिल करना चाहिए। ये फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार कर सकते हैं। अस्थमा के मरीजों के लिए मैग्नीशियम काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह फेफड़ों को स्वस्थ रखने में काफी मददगार है।


#दमा को जड़ से खत्म कैसे करें?

#अस्थमा का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

*हर्बल टी:–

 अस्थमा के असर को कम करने के लिए आप रोजाना अलग-अलग जड़ी बूटियों से बनी हुई हर्बल टी का सेवन कर सकते हैं। 

*लहसुन:–

 लहसुन भी अस्थमा के इलाज में काफी कारगर साबित हुआ है। 

*अजवाइन का प्रयोग अपने भोजन में अवश्य करें

*आंवला पाउडर 1-1 चम्मच सवेरे शाम पानी से करें

*पीपल के 2 पत्ते काटकर ढेड कफ पानी मे उबालकर चाय की तरह बनाकर पीने से आराम मिलता है

*अडूसा की पत्तियां भी चाय की तरह पकाकर उसमें सौठ,काली मिर्च, छोटी पीपल डालकर पीने से बहुत लाभ मिलता है

*अंजीर खाने से फेफड़ों को बल मिलता है

*हल्दी आधा चम्मच रोज खाने से सांस फुलने मे फायदा करता है.

#सांस फूलती है तो क्या खाना चाहिए?

– अस्थमा रोगियों के लिए डाइट टिप्स | Diet Tips For Asthma Patients:-

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– लहसुन और प्याज का सेवन रोज करे.

– मैग्नीशियम से भरपूर फूड्स खाएं 

– भोजन में अलसी शामिल करें ,इसे भूनकर 1-चम्मच रोज खाना चाहिए

– विटामिन डी से भरपूर फूड्स खाएं 

क्या न करें:-

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–डेयरी का सेवन कम से कम रखें

– स्मोकिंग (बीड़ी, सिगरेट या इस तरह का नशा करना),न करें  

 – बहुत ज़्यादा वायु प्रदूषण से बचना चाहिए

– 5,000 फ़ुट से ज़्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में नही जाना चाहिए,

 – वज़न कम करने और कसरत करते रहने से भी आराम मिलता है

#चिकित्सीय देखभाल लेना

डॉक्टर से तुरंत मिलें यदि आपको–

अचानक और गंभीर लक्षण दिखाई दें

* आराम करते समय सांस लेने में परेशानी हो

* सीने में दर्द, ठंड में पसीना छूटना, बेहोशी, या मतली हो

होंठ या उंगलियां नीली हो जाएं

काम न कर पाएं या दैनिक कार्यों को पूरा न कर पाएं

डॉक्टर को दिखाएं, 

**अगर आपके टखनों और पैरों में सूजन हो

– सांस लेने में तकलीफ़ हो

– बुखार और खांसी हो

– सीधे लेटने पर लक्षण और बिगड़ जाएं

#फेफड़ों के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?

फेफड़ों के रोग के लिए सर्वोत्तम आयुर्वेदिक औषधि स्वर्णभ्रकसिंदूर है।

स्वर्णभ्रकसिंदूर अस्थमा, खांसी, सीने में कंपन के इलाज में मदद करता है और टीबी के रोगी को भी इसकी सलाह दी जाती है।

#आयुर्वेद में फेफड़ों से बलगम कैसे निकालते हैं?

– तुलसी की पत्तियों को कच्चा खाया जा सकता है और यह खांसी से बलगम को साफ करने में मदद करती है ।

– तुलसी का काढ़ा बनाने के लिए तुलसी की कुछ पत्तियों के साथ थोड़ा पानी उबालें। चार काली मिर्च और एक चम्मच कसा हुआ अदरक डालें। थोड़ा सा नमक डालें और उबाल लें।


शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियाँ:–

श्वास कुठार रस

श्वासभैरव रस

श्वासचिन्तामणी रस

सूर्यावर्त रस

वृहतमृगांक वटी

नागार्जुनाभ्र रस

महाश्वासारि लौह, पिपल्यादि लौह, गुडादि गुटिका,  व्योषादि गुटिका,  कण्टकारि अवलेह, मल्ल सिन्दूर, ताम्र सिन्दूर, कनकासव, तालीसादि चूर्ण आदि

इन सभी औषधियों का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें.