वर्षा ऋतु मे रोगों से बचने के लिए क्या करें
वर्षा ऋतुचर्या
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Dr.VirenderMadhan
वर्षा ऋतु में रोगों से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ बरतें:
स्वच्छ पानी पिएं:-
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केवल उबला या फ़िल्टर किया हुआ पानी ही पिएं।
संतुलित आहार लें:–
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ताज़े फल, सब्जियाँ और पका हुआ भोजन खाएं।
व्यक्तिगत स्वच्छता:–
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नियमित रूप से हाथ धोएं, विशेषकर खाने से पहले और बाथरूम का उपयोग करने के बाद।
मच्छरों से बचाव:–
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मच्छरदानी का उपयोग करें, और मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का उपयोग करें।
भीगे कपड़े ना पहनें:–
--------------------------------- गीले कपड़े पहनने से बचें और तुरंत बदलें।
व्यायाम:–
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नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो।
जलजमाव से बचें:–
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घर के आस-पास पानी जमा ना होने दें, क्योंकि यह मच्छरों की वृद्धि को बढ़ावा देता है।
स्वच्छता बनाए रखें:–
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घर और आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें।
इन सावधानियों का पालन करके आप वर्षा ऋतु में स्वस्थ रह सकते हैं।
भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें:–
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जहां तक संभव हो, अत्यधिक भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें, क्योंकि यह संक्रमण फैलने की संभावना को बढ़ा सकता है।
त्वचा की देखभाल:–
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त्वचा को सूखा और स्वच्छ रखें। नमी से त्वचा संक्रमण हो सकता है, इसलिए रोजाना स्नान करें और अच्छे से पोंछें।
विटामिन और मिनरल्स:–
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विटामिन सी और जिंक युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं।
सुरक्षित जूतों का उपयोग:–
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बारिश में फिसलन से बचने के लिए अच्छे ग्रिप वाले जूते पहनें।
गर्म पेय का सेवन:–
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अदरक की चाय, तुलसी की चाय, या हल्दी वाला दूध जैसे गर्म पेय पदार्थ पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
सड़क किनारे का भोजन:–
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सड़क किनारे मिलने वाले खुले खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि उनमें बैक्टीरिया और वायरस होने की संभावना अधिक होती है।
समय पर टीकाकरण:–
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अपने और अपने परिवार के सभी आवश्यक टीकाकरण समय पर कराएं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।
मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान:–
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तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान और शांति दायक गतिविधियों में शामिल हों।
इन अतिरिक्त सुझावों को अपनाकर आप वर्षा ऋतु में होने वाले विभिन्न रोगों से बच सकते हैं और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु मे क्या करें?
आयुर्वेद के अनुसार, वर्षा ऋतु में विशेष रूप से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है जठराग्नि कमजोर होती है और वात दोष का प्रभाव बढ़ जाता है। इस समय स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए:
आहार:–
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हल्का और सुपाच्य भोजन करें: खिचड़ी, दलिया, और सूप जैसे हल्के भोजन का सेवन करें।
ताजा और गर्म भोजन:–
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ताजा और गर्म पका हुआ भोजन खाएं। बासी और ठंडा भोजन न करें।
मसाले:–
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पाचन को सुधारने के लिए जीरा, सौंफ, हींग, और अदरक जैसे मसालों का प्रयोग करें।
दूध और दूध उत्पाद:–
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गर्म दूध में हल्दी डालकर पिएं। दही का सेवन दिन में करें, रात में नहीं।वर्षों ऋतु में दही न खायें तो अच्छा है
तेल:–
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वातदोष शमन के लिए तिल का तेल, सरसों का तेल या घी का प्रयोग करें।
पानी:–
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उबला हुआ या गर्म पानी पिएं। नीम या तुलसी के पत्ते डालकर पानी को उबालें।
व्यवहार और दिनचर्या:-
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भोजन समय पर करें:–
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नियमित अंतराल पर भोजन करें और देर रात तक जागने से बचें।
योग और प्राणायाम:–
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हल्के योगासन और प्राणायाम करें ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे।
वात नियंत्रण:–
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वात दोष को संतुलित करने के लिए तेल मालिश करें। तिल के तेल से मालिश करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
नींद:–
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पर्याप्त नींद लें और कोशिश करें कि जल्दी सोएं और जल्दी उठें।
स्वच्छता:-
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स्नान:–
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नीम के पत्तों को पानी में उबालकर स्नान करें।
परिधान:–
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सूती कपड़े पहनें जो जल्दी सूख जाएं। गीले कपड़े तुरंत बदलें।
मच्छर:–
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मच्छरों से बचाव के लिए नीम का तेल या तुलसी के पत्तों का उपयोग करें।
मानसिक स्वास्थ्य:–
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ध्यान और ध्यान का अभ्यास: ध्यान, प्राणायाम और योग से मन को शांत और स्थिर रखें।
तनाव कम करें:–
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मनोरंजक गतिविधियों में भाग लें और तनाव को दूर रखने के लिए समय निकालें।
इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर आप वर्षा ऋतु में स्वस्थ और निरोग रह सकते हैं।
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