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शनिवार, 19 अक्तूबर 2024

आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने के सुनहरे नियम | सही समय और तरीका|Healthy tips

 आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने के सुनहरे नियम | सही समय और तरीका|Healthy tips



आयुर्वेद में भोजन करने के कुछ महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। यहां कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक नियम दिए गए हैं:


शांत वातावरण में भोजन करें:–

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भोजन करते समय ध्यान और शांति का माहौल बनाए रखें। तनाव, जल्दीबाजी, या अव्यवस्था में भोजन न करें। यह पाचन को प्रभावित करता है।


भूख लगने पर ही खाएं:–

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 जब आपको वास्तविक भूख लगे तभी भोजन करें। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भूख नहीं है और फिर भी भोजन किया जाता है, तो यह पाचन अग्नि को कमजोर करता है।


सही मात्रा में खाएं:–

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 आधा पेट भोजन से भरें, एक चौथाई पानी और बाकी चौथाई को हवा (वात) के लिए छोड़ दें। ओवरईटिंग से बचें।


ताजे और गर्म भोजन का सेवन करें:–

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 ताजा, गर्म और पकाया हुआ भोजन पाचन के लिए सबसे अच्छा होता है। ठंडे, बासी या प्रोसेस्ड भोजन से बचें क्योंकि यह पाचन को धीमा कर सकता है।


भोजन को अच्छी तरह चबाएं:–

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 भोजन को धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाएं। इससे पाचन प्रक्रिया को सुचारू रूप से काम करने में मदद मिलती है।


भोजन के बीच में पानी न पिएं:–

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भोजन के बीच में पानी पीने से पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है। अगर पानी पीना आवश्यक हो तो थोड़ा गुनगुना पानी पिएं और भोजन के 30 मिनट पहले या बाद में पिएं।


ऋतु और शरीर के अनुसार भोजन का चयन करें:–

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 आयुर्वेद में बताया गया है कि मौसम और शरीर के प्रकृति (वात, पित्त, कफ) के अनुसार भोजन का चयन करना चाहिए। गर्मियों में हल्का और ठंडा भोजन, सर्दियों में गरम और पोषक भोजन करें।


भोजन करने का समय नियमित रखें:–

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 भोजन हमेशा नियमित समय पर करें और सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना अपने समय पर लें। बहुत देर रात में भोजन करने से बचें।


भोजन से पहले प्रार्थना करें:–

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 भोजन करने से पहले प्रार्थना या ध्यान करें ताकि भोजन को आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा मिले।


रात का भोजन हल्का और जल्दी करें:–

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 रात का भोजन हमेशा हल्का और सोने से कम से कम 2-3 घंटे पहले करें, ताकि पाचन ठीक से हो सके और नींद में बाधा न आए।


विपरीत आहार से बचें:–

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 आयुर्वेद में कुछ खाद्य पदार्थों को एक साथ नहीं खाने की सलाह दी जाती है, जैसे दूध और मछली, दूध और खट्टे पदार्थ, फल और दूध। इनसे पाचन में समस्या हो सकती है और शरीर में विष (टॉक्सिन्स) बन सकते हैं।


भोजन के बाद तुरंत न सोएं:–

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 भोजन के तुरंत बाद सोना या लेटना पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करता है। भोजन के बाद थोड़ी देर टहलना पाचन के लिए फायदेमंद होता है।


शुद्ध और सात्विक आहार लें:–

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 आयुर्वेद में सात्विक भोजन का महत्व बताया गया है, जिसमें ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और पौष्टिक चीजें शामिल हैं। तामसिक (ज्यादा तला-भुना, मसालेदार) और राजसिक (अत्यधिक मसालेदार और उत्तेजक) भोजन से बचें।


सभी छह रसों का सेवन करें:–

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 आयुर्वेद के अनुसार, भोजन में सभी छह रसों (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त, कषाय) का संतुलित सेवन करना चाहिए। इससे शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।


रात में भारी और कच्चे भोजन से बचें:–

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 रात के समय भारी और कच्चे भोजन का सेवन पाचन के लिए मुश्किल हो सकता है। हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन करें, जैसे सूप, खिचड़ी, या उबली हुई सब्जियां।


सीज़नल फल और सब्जियां खाएं:–

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 हर मौसम में उत्पन्न होने वाले फलों और सब्जियों का सेवन आयुर्वेद में लाभकारी माना गया है, क्योंकि ये मौसम के अनुसार शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

मन से संतुष्ट होकर भोजन करें:–

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 हमेशा ऐसे भोजन का सेवन करें जिससे आपको मानसिक संतुष्टि और आनंद मिले। यह पाचन और स्वास्थ्य को बढ़ाता है।


भोजन को पवित्रता के साथ ग्रहण करें:–

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 भोजन करने से पहले अपने हाथ, मुंह और पैर धो लें। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए आवश्यक है और पाचन को बेहतर करता है।


भोजन का आनंद लें:–

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 खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं है, बल्कि यह शरीर को पोषण और ऊर्जा देने का माध्यम है। हर निवाले का आनंद लें और स्वाद का अनुभव करें।


इन सभी आयुर्वेदिक नियमों का पालन करने से न केवल आपका पाचन तंत्र मजबूत होगा, बल्कि आपका शरीर और मन भी संतुलित और स्वस्थ रहेंगे।