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शनिवार, 15 अक्तूबर 2022

छाती मे जलन व खट्टी डकारें आती है तो क्या करें क्या न करें?

 #छाती मे जलन व खट्टी डकारें आती है तो क्या करें क्या न करें?

#खट्टे डकारें क्यों आती है?

 #एसिडिटी(अम्लपित्त) में आयुर्वेदिक औषधि ही कारगर है.



[अम्लपित्त|एसिडिटी|खट्टी डकारें|छाती मे जलन|हार्टबर्न|तेजाब बनना]

By:-Dr.Virender Madhan.

खट्टी डकारें,छाती मे जलन होने को एसिडिटी (अम्लपित्त)कहते है।

- एसिडिटी को चिकित्सकीय भाषा में गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज (GERD) कहते है। 

- आयुर्वेद में इसे 'अम्ल पित्त' कहते हैं।हमारे शरीर में तीन दोष हैं वात, पित्त और कफ। इनमें संतुलन रहता है तो शरीर सामान्य स्थिति में रहता है। जब शरीर की जठराग्नि में विकृति आ जाती है तो गैस या एसिडिटी की समस्या पैदा होती है।

- आमाशय के भित्ति में उपस्थित जठर ग्रंथियों के द्वारा जठराम्ल (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) का स्राव किया जाता है पाचन के लिए आवश्यक है।

आमाशय तथा भोजन नली के जोड पर विशेष प्रकार की मांसपेशियां होती है जो अपनी संकुचनशीलता से आमाशय एवं आहार नली का रास्ता बंद रखती है तथा कुछ खाते-पीते ही खुलती है। जब इनमें कोई विकृति आ जाती है तो कई बार अपने आप खुल जाती है और एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाता है। जब ऐसा बार-बार होता है तो आहार नली में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।

लक्षण:-

एसिडिटी का प्रमुख लक्षण है 

-रोगी के सीने या छाती में जलन होना।

अनेक बार एसिडिटी की वजह से सीने में दर्द और मुंह में खट्टा पानी आता है। जब यह परेशानी बार-बार होती है तो बडी समस्या का रूप धारण कर लेती है। रात्रि में सोते समय इस तरह की शिकायत ज्यादा होती है। कई बार एसिड भोजन नली से सांस की नली में भी पहुंच जाता है, जिसके कारण रोगी को दमा या खांसी की हो सकती है। कभी-कभी मुंह में खट्टे पानी के साथ खून भी आ सकता है।

तीखा भोजन, मानसिक तनाव लेने के कारण भी हमारे शरीर में पित्त बढ़ता है। इसके अलावा खट्टी चीजें, गर्म तासीर, सिरके से बनी चीजों का अधिक सेवन करने वाले लोगों के शरीर में पित्त बढ़ जाता है।

पित्त दोष (Pitta Dosha) वाले लोगों को पेट में एसिडिटी और कब्ज (Acidity and Constipation ) की समस्या बनी रहती है. पित्त दोष होने पर खाना अच्छी तरह से पाचन नहीं हो पाता है. स्वस्थ रहने के लिए शरीर में पित्त का संतुलन होना जरूरी है. ऐसे लोगों को खाने में ठंडी और मीठी चीजों का सेवन करना चाहिए

#एसिडिटी होने पर क्या करें उपाय?

- 1ग्राम मुलहठी को 1 लीटर पानी डालकर गर्म करके पिलाने से वमन होगी जिससे शीध्र ही आराम मिल जाता है।

- अम्लपित्त रोग में मृदु विरेचन  देना चाहिए। इसके लिये 

-त्रिफला का प्रयोग या 

- दूध के साथ गुलकंद का प्रयोग या

- दूध में मुनक्का उबालकर सेवन करना चाहिए। 

- मानसिक तनाव कम करने हेतु योग, आसन एवं औषध का प्रयोग करें। 

- अम्लपित्त रोगी को मिश्री, आँवला, गुलकंद, मुनक्का आदि मधुर द्रव्यों का प्रयोग करना चाहिए।

#आयुर्वेदिक औषधियां-

- अविपत्तिकर चूर्ण
- सुतशेखर रस 
- लधूसुतशेखर रस
- नारियल खण्ड

आयुर्वेदिक चमत्कारिक औषधि

- बडी हरड ,शहद या गुड 6-6 ग्राम खाने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है।
- सुखा घनिया ,सौठ 10 - 10 ग्राम ,400 ग्राम पानी मे पका कर 100 ग्राम शेष रहने पर  शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है।


#एसिडिटी में कौन सा फल खाना चाहिए?

*केला- कैल्शियम, फाइबर रिच केला गैस तेजाब से राहत पाने में काफी फायदेमंद होता है

*तरबूज खाने से भी अम्लपित्त मे शान्ति मिलती है।

*कीवी भी लाभदायक है।

*अंजीर,खीरा,स्ट्रॉबेरी खट्टे डकार जलन मे आराम देते है।

क्या न खायें?



परहेज़:-

- दिन मे सोना, रात मे जागना रोगों को बढाता है।

- आचार या बहुत ज्यादा नमक और सिरके वाली चीजें न खाये.

 - टमाटर का रस या चटनी खाना भी आपकी परेशानी बढ़ा सकता है.

 - मिर्च मसाले न खायें।

 - नशा, शराब आदि पीने से अम्लपित्त बढ जाता है।

धन्यवाद!