#भगन्दर [Fistula]फिस्टुला आयुर्वेद से कैसे ठीक हो?In hindi.
Dr_Virender_Madhan.
मलद्वार के बाजू में एक फूंसी के रूप में यह एक रोग होता है। गुदा द्वार [Rectum] पर एक प्रकार की फोड़ा से पैदा होकर यह गुदा द्वार के अन्दर तथा बाहर नली के रूप में घाव पैदा करता है। अंग्रेजी भाषा में इसे फिस्टुला[Fistula] कहते हैं। यह फोड़ा कुछ दिनों में फूट जाता है और उसमें से मवाद तथा दूषित रक्त निकलने लगता है। मलद्वार के पास बहुत तेज दर्द होता है।
* अधिक चटपटी चीजें खाने के कारण ,
* अधिक देर तक बैठे रहने से,
* साईकिल, बाईक आदि चलाते रहने से,
* फ्राईड, बासी, फास्ट फूड के कारण कब्ज रहने से भगंदर रोग बन जाता है।
#भगंदर के क्या लक्षण होते है?
> गुदा में बार-बार फोड़े होना
> गुदा के आसपास दर्द और सूजन
> शौच करने में दर्द होता है।
> मलद्वार से रक्तस्नाव हो सकता है।
> बुखार सा लगना, ठंड लगना और थकान होना
> कब्ज होना, मल नहीं हो पाना
> गुदा के पास से बदबूदार और खून वाली पस निकलना
ये सब भगंदर के लक्षण है।
#आयुर्वेद में भगंदर के इलाज ?
अमलतास (आरग्वध), हरीतकी (हरड़) और त्रिफला (आंवला, विभीतकी और हरीतकी का मिश्रण) प्रयोग किया जाता है। संपूर्ण सेहत में सुधार और फोड़ों को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग करते है जैसे
** आरोग्यवर्धिनी वटी,
* त्रिफला चूर्ण, या त्रिफला क्वाथ,
* त्रिफला गुग्गुल,अमृतागुग्गुल प्रयोग किया जाता है
* अभयारिष्ट ,
विड्गारिष्ट का उपयोग भी किया जाता है।
* जात्यादि तैल,कासीसादि तैल, करवीरादि तैल, भगंदर पर लगाने से राहत मिलती है।
ताम्रभस्म के योगो का प्रयोग किया जाता है।
* आयुर्वेद में भगंदर के इलाज के लिए क्षारसूत्र का प्रयोग किया जाता है, जिसका परिणाम बहुत अच्छा है। क्षारसूत्र एक मेडिकेटेड थ्रेड होता है। आयुर्वेद की कई औषधियों के योग से इस क्षारसूत्र का निर्माण किया जाता है। मरीज आपरेशन के बाद उसी दिन घर जा सकता है।
#भगंदर के घरेलू उपाय?
- नीम के पानी मलद्वार को साफ करें तथा निम्बोली का पेस्ट बनाकर भगंदर पर लेप करें।
- पीपल वृक्ष की अन्तरछाल का चूर्ण बनाकर किसी नली की सहायता से भगंदर पर बुरक दे कुछ दिनों में ही लाभ मिल जाता है।
- नीम का तैल और तिल का तैल मिलाकर रखने इसके लगाने से धीरे धीरे भगंदर ठीक हो जाता है।
- बथुआ के पत्ते तथा तम्बाकू के फल पीस कर लगाने से भगंदर मे आराम मिलता है।
- गुलर का दूध रूई मे लगाकर भगंदर मे अंदर कुछ दिनों तक रोज रखने से भगंदर मे लाभ मिलता है।
- बेर और नीम के पत्तों का चूर्ण बनाकर भगंदर मे भरने से आराम होता है।
- हरे मूंग को मुहं मे चबाकर नासूर मे लगाने से नासूर ठीक हो जाता है।
चोपचीनी , शक्कर, धी 30-30 ग्राम लेकर छोटे छोटे लड्डू बनाकर एक एक सवेरे शाम खायें।
- अपामार्ग के पत्तों का रस निकाल कर लगाने से भगंदर ठीक हो जाता है।
#भगन्दर रोग में क्या खाएं ?[Your Diet During Fistula]
भगन्दर से ग्रस्त लोगों का आहार मे:-
अनाज: पुराना शाली चावल ,गेहूं, जौ
दाल: अरहर, मूँग दाल, मसूर
फल एवं सब्जियां: हरी सब्जियां, पपीता, लौकी, तोरई, परवल, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, केला , सेब, आंवला, खीरा, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन, रेशेदार युक्त फल
अत्याधिक पानी पिएं।
#भगन्दर रोग में क्या ना खाएं [Food to Avoid in Fistula]
परहेज का भोजन।
अनाज: मैदा, नया चावल
दाल: मटर, काला चना, उड़द
फल एवं सब्जियां : आलू, शिमला मिर्च, कटहल, बैंगन, अरबी, आड़ू, कच्चा आम, मालपुआ, गरिष्ट भोजन
अन्य: तिल, गुड़, समोसा, पराठा, चाट, पापड़, नया अनाज, खट्टा और तीखा द्रव्य, सूखी सब्जियां, मालपुआ, गरिष्ठ भोजन (छोले, राजमा, उडद, चना, मटर, सोयाबीन)
सख्ती से पालन करें:- शराब, फ़ास्ट फ़ूड, आइसक्रीम, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, तेल मासलेदार भोजन, अचार, तेल, घी, अत्यधिक नमक, कोल्ड ड्रिंक्स, बेकरी उत्पाद, जंक फ़ूड नही लेना चाहिए।