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बुधवार, 11 मई 2022

भ्रम रोग,सिजोफ्रेनिया (schizophrenia)निदान व उपचार। in hind.

 भ्रम रोग,सिजोफ्रेनिया (schizophrenia)निदान व उपचार। in hind.



#Dr_Virender_Madhan.

#भ्रम [वहम]क्या है?

भ्रम को अनेक नामों से जाना जाता है।

*Confusion

*Delusion

*Misconception

*Misunderstanding

*भ्रम

 *काल्पनिक धारणा, 

*मिथ्या परिकल्पना,

*मिथ्या धारणा

*गलतफहमी,

*भ्रान्ति

*मिथ्याभास, 


- जिस वस्तु या घटना का वास्तविक स्वरूप न होते हुए भी वास्तविक आभास हो” उसे भ्रम कहते है 

[कुछ नही होते हुए भी होने का आभास ही भ्रम है।]

ऐसा एहसास बार और अघिक बार होने को भ्रम रोग कहते है।

- एक तरह से यह एक मानसिक रोग ही है।

मस्तिष्क में जब वात कुपित हो जाये तथा रज व तम गुणों की अधिकता हो जाये ऐसे रोगी को भ्रम रोग होता हैं।

* कुछ ऐसा सुनाई देना, जो बोला ही नहीं जा रहा। कुछ ऐसा दिखाई देना, जो दृश्य असल में है ही नहीं। कुछ ऐसा महसूस होना, जो है ही नहीं। ये सभी लक्षण हैलुसीनेशन यानी भ्रम से जुड़े हैं। कई लोगों को इस तरह के भ्रम होते हैं, लेकिन फिर भी वे इसके बारे में बात करने से बचते हैं। जबकि इस तरह की बीमारी में बातचीत ही बचाव है।

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-

https://youtu.be/IerljTPaoK4

#सपनों और भ्रम में फर्क

हैलुसीनेशन या भ्रम चेतन या पूरी तरह जागरुक अवस्था में होने वाले ऐसे अनुभव हैं, जो असल में न होते हुए भी वास्तविक लगते हैं। अक्सर लोग सपनों और भ्रम को एक जैसा समझ लेते हैं। 

सपने हमारे शरीर की अवचेतन अवस्था में होते हैं, जो पूरी तरह कल्पना पर आधारित होते हैं। जबकि हैलुसीनेशन के लक्षण मानसिक बीमारी का कारण भी बन सकते हैं।

 जब हमारे पांच इंद्रियां हमें धोखा देने लगती हैं, तब हैलूसीनेशन होता है। इसमें कुछ सुनाई देना, दिखाई देना या महसूस होना शामिल है। अगर इस तरह के भ्रम या अहसास किसी को होते हैं तो यह ब्रेन ट्यूमर या किसी मानसिक बीमारी का लक्षण हो सकता है। 

सामान्य व्यक्तियों को भी सोने से एकदम पहले कुछ सेकेंड के लिए हैलुसीनेशन हो सकता है, जिसमें डरने वाली कोई बात नहीं है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति के व्यवहार में ज्यादा बदलाव दिखे तो दूसरे उपाय करने की बजाय तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

देखने, सुनने से लेकर महसूस करने तक

हैलुसीनेशन के कई प्रकार हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले ऑडिटरी और विज्युअल हैलुसीनेशन से जुड़े हैं। ऑडिटरी हैलुसीनेशन के दौरान व्यक्ति को कुछ धुंधली आवाजें सुनाई देती हैं, जो असल में उसका भ्रम होता है।

इस तरह के भ्रम शिजोफ्रेनिया (एक प्रकार का मानसिक रोग) में होने वाला सामान्य लक्षण हैं। इसमें मरीज को अपने बारे में अच्छी बातें सुनाई देती हैं या फिर कुछ मामलों में बुरी बातें। इसी तरह विज्युअल हैलुसीनेशन के दौरान व्यक्ति कुछ ऐसे दृश्य और आकृति देखने लगता है, जो वास्तव में वहां है ही नहीं। इसमें कुछ गोल-गोल आकृतियों का दिखना भी शामिल है।

इसके अलावा हैलुसीनेशन से जुड़े कुछ मामलों में व्यक्ति को आदेश के तौर पर आवाजें सुनाई देती हैं। ये आवाजें उसे कुछ करने के  लिए उकसाती हैं। ज्यादातर मामलों में ऐसी आवाजें ही खुद मरीज या उसके आस-पास के लोगों को नुकसान पहुंचाने का कारण भी

बनती हैं।

#भ्रम के कारण हैं ?

हैलुसीनेशन के कई कारण हो सकते हैं। कुछ सामान्य प्रकार के हैलुसीनेशन सोने से एकदम पहले की अवस्था के दौरान होते हैं। शोध की मानें तो 37 प्रतिशत लोगों को एक सप्ताह में दो बार इस तरह के भ्रम होते हैं, जो कुछ सेकेंड या मिनट के लिए ही अनुभव होते हैं। पार्किंसंस, डिमेंशिया या माइग्रेन के मरीजों को भी कई बार हैलुसीनेशन की शिकायत हो जाती है। इसके अलावा बाइपोलर डिस्ऑर्डर, डिप्रेशन, ड्रग्स की अधिक मात्रा या शराब का ज्यादा सेवन भी हैलुसीनेशन का कारण बन सकता है।

#भ्रम का इलाज ?

सही साइकोलॉजिस्ट या साइकेट्रिस्ट की मदद से इस तरह की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। इसके साथ ही स्वस्थ और तनाव रहित जीवनशैली, भरपूर नींद और ड्रग्स या शराब का सेवन छोड़कर भी इस परेशानी से बचाव किया जा सकता है।

डॉक्टरों के मुताबिक दिमाग में कुछ रासायनिक संतुलन होते हैं। किसी स्थिति में जब कुछ रसायनों की मात्रा कम या ज्यादा हो जाती है तो ऐसे मामले सामने आते हैं। इलाज के दौरान इसी असंतुलन को मेडीकल ड्रग्स की मदद से संतुलित किया जाता है।

परिवार का सहयोग जरूरी

ऐसे मामलों में अधिकतर लोग मेडीकल ट्रीटमेंट को आखिरी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन समय रहते डॉक्टर की सलाह लेने से यह बीमारी कुछ हफ्तों में ही काबू की जा सकती है। यह बीमारी मरीज से ज्यादा उसके आसपास के लोगों से जुड़ी है।

मरीज को खुद इस बात का अहसास नहीं होता कि उसका व्यवहार कुछ अजीब हो गया। उसके परिवार वाले और आसपास के लोग ही उसके व्यवहार में आए बदलाव को पहचानकर इलाज करवा सकते हैं। दवा और इलाज के साथ ही मरीज के लिए परिवार का सहयोग भी बहुत जरूरी है।

यदि परिवार वाले उसके साथ किसी तरह की जोर जबरदस्ती या सख्ती न करें तो मरीज को जल्द से जल्द ठीक होने में मदद मिलती है। मरीज को ठीक होने का मौका देना बहुत जरूरी है। कई लोग यह सोचते हैं कि इससे परिवार पर दाग लग गया या समाज में नाम खराब हो गया। यह मानसिकता बहुत ही गलत है।

धन्यवाद!