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शनिवार, 26 मार्च 2022

वीर्य को रोकना हैल्थ के लिए कितना हानिकारक है?In hindi

#Ayurvedictreatment. #Healthtips.

 Vireya ka rokna health ke liye hani karke hota hain ?In hindi.

वीर्य को रोकना हैल्थ के लिए कितना हानिकारक है?In hindi.

How harmful is the retention of semen to health?in hindi.

Dr.VirenderMadhan.

वीर्य से ही वीरता बढ़ती है। वीर्य की कमजोरी से घर वीरान हो जाता है। ज्यादा दिनों तक वीर्य को रोकने से मानसिक या दिमागी रोग पनपने लगते हैं।

अष्टाङ्ग ह्रदय ग्रन्थ के अनुसार 14 तरह के वेग होते हैं, इनको रोकने से शरीर अनेक विकार उत्पन्न होने लगते हैं। जैसे-मल-मूत्र, छींक, जम्हाई, वीर्य आदि।

#Virya ke rokne se hani?

वीर्य को रोकने के कारण ही बुढ़ापे में प्रोस्टेट में पानी भर जाता है। सूजन आदि समस्या आने लगती है। नपुंसकता की वजह भी वीर्य रोक ही है।

अगर कोई व्यक्ति अपने वीर्य वेग को रोकने की कोशिश करता है तो इससे उनके शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। वीर्य को रोकने से लिंग में दर्द, मूत्राशय में दर्द और किडनी में सूजन जैसी समस्या आ सकती है।शुक्राणुओं की कमी हो सकती है।

#अष्टाङ्ग हृदय मे अधारणीय वेग और उनसे होने वाली परेशानी?In hindi.

अष्टाङ्ग हृदय के चतुर्थ अध्याय के भाषा टीका में उल्लेख है 

 “वेगान्नधारयेद्वात वीर्यमूत्रक्षवतृटक्षुधाम्!

निद्राकास श्रम श्वांसजंरुभाश्रुच्छअर्दीरेतसाम्!!”

(चरक सहिंता)

अर्थात- अधो वायु यानि पाद, गैस आदि,

मल यानि पखानाधधं न रोकें।

मूत्र- पेशाब, लघुशंका

छींक, प्यास, भूख, निद्रा (नींद), खांसी,

श्रमश्वास यानि मेहनत से चढ़ हुआ श्वांस जिसे हांफनी भी कहते हैं।

जम्भाई आना, आंखों के आंसू,  वीर्य, वमन यानि उल्टी होना और मासिक धर्म/माहवारी आदि इन वेगों को रोकने से शरीर में अनेक उपद्रव, विकार पनपने लगते हैं।


“अधोवातस्यरोधेन गुल्मोदावर्त रुक्क्लमा:!

वात मूत्र श कृत्संगद्दष्टयग्निवधह्रद्गगदा:!!”

अर्थात-अधोवायु यानी गैस को रोकने से गुल्म, उदावर्त, नाभि आदि स्थानों पर वेदना, दर्द या Pain, ग्लानि, वातविकार, मूत्र एवं मल की रुकावट, दृष्टिनाश, जठराग्नि नाश यानी भूख न लगने के साथ भोजन भी न पचना तथा ह्रदय रोग आदि परेशानियां पैदा होने लगती हैं।

- मल या लैट्रिन को रोकना हो सकता है खतरनाक -

 मल को रोकने से बवासीर, अर्श या पाइल्स, मांस में ऐंठन, प्रतिश्याय (जुकाम) हिचकी, डकार आदि का ऊपर को जाना। परिकर्त यानि गुदा मलद्वार में कैंची से काटने जैसी पीड़ा होना, हृदयोंपरोध अर्थात छाती में भारीपन, मुख से विष्ठा यानि मल/लैट्रिन का निकलना और ग्रन्थिशोथ (थायराइड) आदि रोग होने लगते हैं।

 - आंसुओं को रोकने से आंख, सिर भारी होकर सिरदर्द, कम दिखना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

- उल्टी वमन, माहवारी रोकने से त्वचा रोग, सफेद दाग, कोढ़, नेत्ररोग, जी मिचलाना, सूजन आदि रोग होते हैं। चेहरे पर झुर्रियां, काले के निशान, मुहाँसे, व्यंग होने लगते हैं।

- छींक के वेग को रोकने से होने वाला नुकसान-

छींकने के साथ हमारे शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं. पर अगर आप छींक रोकते हैं तो ये शरीर में ही बने रहते हैं. कई बार ऐसा होता है कि छींक रोकने की वजह से आंखों की रक्त वाहिकाएं प्रभावित हो जाती हैं. इसके अलावा गर्दन में भी मोच आ सकती है

इस लेख मे वेगों को रोकने से होने वाली परेशानी संक्षिप्त मे बताई है वैसै यह विषय लम्बा है आपको कैसा लगा कोमेंट मे लिखें।

धन्यवाद!