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गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

यौवन शक्ति कैसे बढायें.हिंदी में.

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आयुर्वेद मे क्या है वाजीकरण का मतलब ?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

बाजीकरण,



बाजीकरण, आयुर्वेद के आठ अंगों (अष्टांग आयुर्वेद) में से एक अंग है।

इसके अन्तर्गत शुक्रधातु की उत्पत्ति, पुष्टता एवं उसमें उत्पन्न दोषों एवं उसके क्षय, वृद्धि आदि कारणों से उत्पन्न लक्षणों की चिकित्सा आदि विषयों के साथ उत्तम स्वस्थ संतोनोत्पत्ति संबंधी ज्ञान का वर्णन आते हैं।


"“वाजीकरणतंत्रं नाम अल्पदुष्ट क्षीणविशुष्करेतसामाप्यायन

प्रसादोपचय जनननिमित्तं प्रहर्षं जननार्थंच। (सु.सू. १.८)।”


आयुर्वेद मे रसायन और वाजीकरण योगों का यथासमय सेवन करना उपयोगी बताया गया है। इनको स्वस्थ और व्याधि, सामान्य अवस्था में भी सेवन किया जा सकता है, क्योंकि रसायन गुण वाले पदार्थ, योग आदि शक्ति देने वाले, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले और वृद्धावस्था के लक्षणों को दूर रखने वाले होते हैं। 

- रसायन योग शरीर के बल की क्षतिपूर्ति करने वाले होते हैं और वाजीकरण योग यौन शक्ति और क्षमता बढ़ाने वाले तथा नपुंसकता दूर करने वाले होते हैं।

 'वाजी' शब्द घोड़े के समान सामर्थ्य करना। 

जो दवाएं और आहार किसी व्यक्ति में ताकत या जीवन शक्ति में सुधार करने की क्षमता (घोड़े के समान) रखता है,उसे वाजीकरण द्रव्य माना जाता है।

#रावण संहिता अनुसार 6 वाजीकरण योग :-

दुर्बलांगों तथा शरीर रक्षाणार्थ बाजीकरण का सेवन किया जाता है।

पहले स्निग्ध तथा शुद्ध व्यक्ति को सर्वप्रथम धृत,तैल,मांस रस,दूध, शक्कर और मधु से युक्त निरुहबस्ति और आनुवासन का प्रयोग किया जाता है।

किन्तु मांस खाने वालों को दूध और मांस रस देना चाहिए उसके बाद वीर्यवर्धक और सन्ततिकारक औषधियों का सेवन करना चाहिए।

#6 बाजीकरण योग-

1- विदारीकंद, पीपर,चौलाई, चिरौंजी, गन्ना, कौच की जड,और मधु ये सब 160-160 ग्राम, 2kg शक्कर,320ग्राम नूतन धी मिला कर रखें

इसकी तोले (भर 10 ग्राम)मात्रा पुरुषों को योग्य बनाती है।

2- कौचके बीज और गेहूं का आटा अथवा उडद दुध में पकाकर पहली बार ब्याही गौ के दुध के साथ खाने वाला व्यक्ति स्त्रियों को संतुष्ट रखता है।

3- बकरे के अण्डकोष  को दुध मे पकाकर कालेतिल,मिश्री मिलाकर खाने से नारियाँ का मान मर्दन कर सकता है।

विदारीकंद का चूर्ण को  विदारीकंद के रस की भावना दे कर चूर्ण को शहद और धी से मिलाकर चाटने से पुरुषों मे सामर्थ्य आ जाती है।

4-मुलहठी चूर्ण को धी शहद के साथ चाटकर ऊपर से दूध पीने वाला व्यक्ति की कामवासना बढ जाती है।

5-काकडासिंगी के कल्क (पिष्टी) को दूध मे मथकर पान करें बाद मे मिश्री, धृत, शहद और दूध का सेवन करने वाला व्यक्ति सांड की तरह बलवान हो जाता है।

6- क्षीरकाकोली के कल्क, दूध मे पकाकर धृत शहद के साथ खाकर ऊपर से गौदूध पीने से परुष की जनेन्द्रिय शिथिल नही होती तथा प्रचंड वेगवान हो जाता है।

ये सब योग रावण संहिता से संग्रहित है।

धन्यवाद।

#डा०वीरेंद्रमढान.