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गुरुवार, 10 अक्तूबर 2024

किन किन चीजों के खाने से पेट मे गैस अधिक बनती है?


 किन किन चीजों के खाने से पेट मे गैस अधिक बनती है?


पेट मे अधिक गैस बनाने वाली चीजें:-

फलियाँ (Beans):–

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 राजमा, चने, और अन्य प्रकार की फलियाँ।

गोभी और ब्रोकली:–

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 इनमें रफेज़ और फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है।

दूध और डेयरी उत्पाद:–

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 जिन लोगों को लैक्टोज असहिष्णुता होती है, उन्हें दूध, दही, पनीर से गैस की समस्या हो सकती है।

कार्बोनेटेड पेय (Soda, Soft Drinks):–

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 कोल्ड ड्रिंक्स और सोडा जैसी चीजों में गैस भरी होती है।

तली-भुनी चीजें:–

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 अत्यधिक तेल और मसाले वाली चीजें।

मसूर की दाल:–

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 अन्य प्रकार की दालों की तुलना में मसूर की दाल गैस बनाती है।

सेब और नाशपाती:–

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 इन फलों में फाइबर की अधिकता गैस बना सकती है।

प्रोसेस्ड फ़ूड:–

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 अत्यधिक संसाधित भोजन, जिसमें अतिरिक्त शर्करा और नमक हो।

शुगर-फ्री उत्पाद:–

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 जिनमें सोर्बिटोल, जाइलिटोल जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर होते हैं।

प्याज़ और लहसुन:–

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 इनमें मौजूद तत्व पेट में गैस बना सकते हैं।

इन चीजों से बचाव करके या इनका सेवन कम करके गैस बनने की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।

च्युइंग गम:–

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 इसे चबाने से आप ज्यादा हवा निगलते हैं, जिससे गैस बनती है।

प्रसंस्कृत अनाज (Processed Grains):–

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 सफेद ब्रेड, पास्ता, और मैदा से बनी चीजें।

कच्ची सब्जियाँ:–

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 खीरा, मूली, और कच्ची शलजम जैसी सब्जियाँ, जिनमें फाइबर अधिक होता है।

फ्रुक्टोज-युक्त खाद्य पदार्थ:–

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 जैसे कि मीठे फल, शहद और पैकेज्ड फलों का रस।


मांस के भारी भोजन:–

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 अधिक वसायुक्त मांस, जैसे कि लाल मांस, जिसे पचाने में अधिक समय लगता है और गैस का निर्माण हो सकता है।

साफ़ा आटा (Refined Flour):–

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 सफेद आटे से बने उत्पाद जैसे कुकीज़, केक, पेस्ट्री।

बीयर: शराब और विशेष रूप से बीयर से पेट में गैस का उत्पादन बढ़ सकता है क्योंकि यह कार्बोनेटेड होती है।

खाद्य तेल:–

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 ज्यादा मात्रा में तले हुए खाद्य पदार्थ जिनमें वसा अधिक होती है।

तेज़ी से खाना खाना:–

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 जब आप जल्दी-जल्दी खाते हैं, तो आप हवा निगल सकते हैं, जो गैस का कारण बनता है।

अत्यधिक मसालेदार खाना:–

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 ज्यादा मसाले और चटपटे भोजन से पेट में जलन और गैस बनने की संभावना होती है।

इन खाद्य पदार्थों और आदतों से बचकर आप गैस की समस्या को कम कर सकते हैं।

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शनिवार, 21 सितंबर 2024

बाल झडने के क्या क्या कारण होते है in hindi

 बाल झडने के क्या क्या कारण होते है in hindi

बाल झडने के कारण:–

डा०वीरेंद्र

बाल झड़ने के कई कारण हो सकते हैं, जो शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय कारकों से जुड़े होते हैं। कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:


आनुवांशिक कारण (Genetics):–

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 अगर आपके परिवार में बाल झड़ने की समस्या है, तो यह आपको भी हो सकती है। इसे "एंड्रोजेनेटिक एलोपेशिया" कहा जाता है।


हार्मोनल बदलाव (Hormonal Changes): –

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गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति (menopause), थायराइड की समस्या, या हार्मोनल असंतुलन बाल झड़ने का कारण बन सकते हैं।


तनाव (Stress):–

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 अत्यधिक मानसिक या शारीरिक तनाव के कारण बाल झड़ सकते हैं। इसे टेलोजन एफ्लुवियम कहा जाता है, जिसमें अचानक बाल गिरने लगते हैं।


पोषण की कमी (Nutritional Deficiencies):–

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 शरीर में प्रोटीन, आयरन, विटामिन डी, विटामिन बी12, और जिंक की कमी से भी बाल कमजोर हो सकते हैं और झड़ सकते हैं।


दवाइयों के प्रभाव (Medication):–

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 कुछ दवाइयां जैसे कि कैंसर की दवाइयां, एंटीडिप्रेसेंट्स, और ब्लड प्रेशर की दवाइयां भी बाल झड़ने का कारण बन सकती हैं।


स्कैल्प इन्फेक्शन (Scalp Infections):–

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 फंगल इन्फेक्शन, जैसे टीनिया कैपिटिस, स्कैल्प पर हो सकता है और बालों को कमजोर कर सकता है।


केमिकल ट्रीटमेंट और हेयरस्टाइलिंग:–

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 अत्यधिक केमिकल ट्रीटमेंट, रंगाई, स्ट्रेटनिंग, या बहुत तंग हेयरस्टाइल करने से भी बाल कमजोर होकर झड़ सकते हैं।


बुढ़ापा (Aging):–

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 उम्र बढ़ने के साथ-साथ बाल पतले और कमजोर हो जाते हैं, जिससे उनका झड़ना सामान्य हो सकता है।


स्वास्थ्य समस्याएं (Health Conditions):–

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 डायबिटीज, लिवर की समस्या, या अन्य गंभीर बीमारियों के कारण भी बाल गिर सकते हैं।


अनियमित जीवनशैली (Lifestyle):–

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 खराब खान-पान, पर्याप्त नींद की कमी, और धूम्रपान जैसे बुरे आदतों के कारण भी बाल झड़ सकते हैं।


बाल झड़ने के सही कारण का पता लगाने के लिए चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है, ताकि सही उपचार किया जा सके।

शुक्रवार, 13 सितंबर 2024

धनिया के पानी पीने के 5 फायदे In Hindi.


 धनिया के पानी पीने के 5 फायदे In Hindi.

धनिया के पानी

Dr.virender

धनिया के पानी के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यहां धनिया के पानी पीने के 5 मुख्य फायदे दिए गए हैं:–

1-पाचन में सुधार:– 

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धनिया के पानी का सेवन पेट की गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं।

2-वजन घटाने में सहायक:–

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 धनिया के पानी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और मेटाबॉलिज्म को तेज करने में मदद करते हैं, जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है।

3- शुगर लेवल को नियंत्रित करना:–

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 धनिया के बीज या पत्तियों के पानी का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे यह डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

4- त्वचा के लिए फायदेमंद:–

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 धनिया के पानी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं और मुंहासों जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं।

5-डिटॉक्सिफिकेशन:–

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 धनिया का पानी किडनी और लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है, जिससे शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है।


इन लाभों के कारण, धनिया का पानी पीना सेहत के लिए बेहद लाभकारी हो सकता है।

गुरुवार, 5 सितंबर 2024

Ginger–अदरक के खाने के 15 फायदे|What Happens If You Eat Ginger In Hindi.

Ginger–अदरक के खाने के 15 फायदे|What Happens If You Eat Ginger In Hindi.



डा०वीरेंद्र मढान

अदरक के फायदे:–

Benefits Of Eating Ginger.

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अदरक एक बहुत ही उपयोगी जड़ी-बूटी है, जिसका सेवन स्वास्थ्य के लिए कई लाभकारी होता है। यहां अदरक के 15 मुख्य फायदे दिए गए हैं:


पाचन में सुधार  Improves digestion.

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अदरक पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है और पेट की समस्याओं जैसे गैस, अपच, और मरोड़ में राहत दिलाता है।


मतली और उल्टी में राहत:–

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 अदरक गर्भावस्था, यात्रा या कीमोथेरेपी के दौरान होने वाली मतली और उल्टी को कम करने में सहायक होता है।


सर्दी और खांसी से बचाव:–

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 अदरक का सेवन सर्दी, खांसी और गले की खराश से राहत दिलाने में मदद करता है।


इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है:–

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 अदरक एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।



सूजन कम करता है:–

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 अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन और दर्द को कम करते हैं।


हृदय स्वास्थ्य में सुधार:–

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 अदरक रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे हृदय की समस्याओं का खतरा कम होता है।


मधुमेह में सहायक:–

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 अदरक का सेवन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है, जिससे मधुमेह रोगियों को लाभ होता है।


वजन घटाने में मददगार:–


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अदरक मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है।


जोड़ों के दर्द में राहत:–

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 अदरक का उपयोग गठिया और अन्य जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने के लिए किया जा सकता है।


कैंसर के जोखिम को कम करता है:–

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 अदरक में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं।


माइग्रेन में आराम:–

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 अदरक सिरदर्द और माइग्रेन के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है।


दर्द निवारक:–

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 अदरक का सेवन मांसपेशियों में होने वाले दर्द और ऐंठन को कम करने में मदद करता है।


मासिक धर्म के दर्द में राहत:–

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 अदरक मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और ऐंठन को कम करने में कारगर होता है।


याददाश्त में सुधार:–

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 अदरक में मौजूद तत्व मस्तिष्क के कार्य में सुधार करते हैं और याददाश्त को बढ़ाने में सहायक होते हैं।


त्वचा के लिए फायदेमंद:–

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 अदरक का सेवन त्वचा की चमक और उसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाता है, साथ ही त्वचा संबंधी समस्याओं से राहत दिलाता है।


अदरक का नियमित सेवन शरीर के लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता है, लेकिन इसे संतुलित मात्रा में लेना चाहिए।


अधिक खाने के पांच नुकसान

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अदरक के अत्यधिक सेवन से कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यहां अदरक का अधिक सेवन करने के 5 मुख्य नुकसान बताए गए हैं:


पेट की जलन और अपच:–

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 अदरक का अधिक सेवन पेट में जलन या एसिडिटी का कारण बन सकता है, जिससे अपच या पेट में दर्द हो सकता है।


खून का पतला होना:–

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 अदरक के एंटीकोएगुलेंट (रक्त को पतला करने वाले) गुण होते हैं। अधिक सेवन से रक्त पतला हो सकता है, जिससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है, खासकर यदि आप पहले से खून पतला करने वाली दवाइयां ले रहे हैं।


लो ब्लड प्रेशर:–

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 अदरक रक्तचाप को कम करने में मदद करता है, लेकिन इसका अधिक सेवन रक्तचाप को अत्यधिक कम कर सकता है, जिससे चक्कर आना या बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।


डायरिया (दस्त):–

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 अदरक का अत्यधिक सेवन आंतों की मांसपेशियों को उत्तेजित कर सकता है, जिससे दस्त जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


एलर्जी और त्वचा की समस्याएं:–

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 कुछ लोगों में अदरक का अत्यधिक सेवन एलर्जी का कारण बन सकता है, जिससे त्वचा पर खुजली, रैशेज, या सूजन हो सकती है।


अदरक का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के अनुसार करना चाहिए, खासकर यदि आप किसी विशेष चिकित्सकीय स्थिति से ग्रस्त हैं या दवाइयां ले रहे हैं।

बुधवार, 4 सितंबर 2024

मोटापे को कौन सा काढा जल्दी ठीक करता है? In hindi.


मोटापे को कौन सा काढा जल्दी ठीक करता है? In hindi.

Dr.VirenderMadhan

मोटापा कम करनेवाले घरेलू काढे:–

मोटापे को कम करने के लिए कुछ विशेष काढ़े सहायक हो सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि कोई भी काढ़ा मोटापे को "जल्दी ठीक" नहीं कर सकता। मोटापा कम करने के लिए सही खानपान, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली की जरूरत होती है। फिर भी, कुछ काढ़े जिनके बारे में माना जाता है कि वे वजन कम करने में मदद कर सकते हैं, वे हैं:


अदरक और नींबू का काढ़ा:– 

अदरक शरीर में मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और नींबू डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है। इस काढ़े को सुबह खाली पेट पीने से फायदा हो सकता है।


दालचीनी और शहद का काढ़ा:–

 दालचीनी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करती है और शहद में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इस काढ़े को रात में सोने से पहले पीना अच्छा माना जाता है।


गिलोय का काढ़ा:–

 गिलोय को इम्यूनिटी बूस्ट करने और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने के लिए जाना जाता है। इसे नियमित रूप से पीने से वजन घटाने में सहायता मिल सकती है।


त्रिफला काढ़ा:–

 त्रिफला तीन फलों का मिश्रण है जो पाचन को बेहतर करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है। इसे रात में सोने से पहले लिया जा सकता है।


इन काढ़ों का सेवन करते समय यह भी सुनिश्चित करें कि आपकी पूरी डाइट और जीवनशैली भी संतुलित और स्वस्थ हो। किसी भी प्रकार के काढ़े को अपनाने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होगा।


मोटापा कम करने के लिए कुछ और प्रभावी काढ़े भी हैं जिन्हें आप आज़मा सकते हैं:~~~


मेथी और अजवाइन का काढ़ा:–

मेथी और अजवाइन दोनों ही पाचन में सुधार और मेटाबॉलिज्म को तेज करने में मदद करते हैं। यह काढ़ा सुबह खाली पेट पीने से वजन कम करने में सहायता मिल सकती है।


मुलैठी का काढ़ा:–

 मुलैठी की जड़ का उपयोग कई आयुर्वेदिक उपचारों में किया जाता है। इसका काढ़ा पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और शरीर में अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद मिलती है।


जीरा और सौंफ का काढ़ा:–

 जीरा और सौंफ दोनों ही पाचन तंत्र को सुधारने में मददगार होते हैं। यह काढ़ा शरीर से अतिरिक्त पानी को निकालने और पेट की सूजन को कम करने में सहायक हो सकता है।


हल्दी और काली मिर्च का काढ़ा:–

 हल्दी में करक्यूमिन होता है जो वजन घटाने में मदद कर सकता है। काली मिर्च करक्यूमिन के अवशोषण को बढ़ाती है। इस काढ़े को दिन में एक बार लिया जा सकता है।


मुलेठी और दारुहल्दी का काढ़ा:–

 यह काढ़ा वसा कम करने और शरीर के वजन को संतुलित रखने में मददगार हो सकता है।


लौंग, दालचीनी, और तेजपत्ता का काढ़ा:–

 यह तीनों मसाले शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं और वसा को कम करने में मदद कर सकते हैं।


इन काढ़ों को प्राकृतिक आहार के रूप में उपयोग करें, लेकिन यह याद रखें कि केवल काढ़े के भरोसे वजन कम नहीं किया जा सकता। एक स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और समुचित नींद भी वजन घटाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी भी नए आहार या उपचार को शुरू करने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित रहेगा।

मंगलवार, 13 अगस्त 2024

बरसात में पकौड़े खाने से फायदे व नुकसान in hindi

 बरसात में पकौड़े खाने से फायदे व नुकसान in hindi.

Dr.VirenderMadhan

बरसात में पकौड़े खाने के फायदे और नुकसान निम्नलिखित हैं:

फायदे:–

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मौसम का आनंद:–

 बरसात के मौसम में पकौड़े खाने से मौसम का मजा बढ़ जाता है और यह एक लोकप्रिय भारतीय परंपरा है।

स्वादिष्ट और गर्माहट:–

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 बरसात में पकौड़े खाने से शरीर को गर्मी मिलती है, जो ठंड और नमी से राहत दिला सकती है।

सोशल इवेंट्स:–

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 पकौड़े दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खाने का मजा बढ़ाते हैं, जिससे सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं।


नुकसान:–

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तेल और कैलोरी:–

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 पकौड़े तले हुए होते हैं और इनमें अधिक तेल और कैलोरी होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।

पाचन समस्याएं:–

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 बरसात के मौसम में पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है और तले हुए खाद्य पदार्थ खाने से पाचन समस्याएं हो सकती हैं।

वायरल इंफेक्शन का खतरा:–

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  बरसात में खाने की स्वच्छता का ध्यान न रखने पर वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है, खासकर अगर पकौड़े बाहर से खरीदे जा रहे हों।

संतुलन और स्वच्छता का ध्यान रखते हुए बरसात में पकौड़े खाने का आनंद लिया जा सकता है।


स्नैक्स का विकल्प:–

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 बरसात के मौसम में पकौड़े एक अच्छा स्नैक विकल्प होते हैं, जो भूख मिटाने के साथ-साथ मन को भी संतुष्टि प्रदान करते है।

वजन बढ़ना:– 

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अधिक मात्रा में पकौड़े खाने से वजन बढ़ने का खतरा रहता है, क्योंकि इनमें उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और वसा होते हैं।

हृदय स्वास्थ्य पर प्रभाव:–

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 तले हुए खाद्य पदार्थ हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं, खासकर यदि पकौड़ों में इस्तेमाल होने वाला तेल सही न हो।

बाहरी पकौड़ों का जोखिम:–

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 बाहर से खरीदे गए पकौड़े स्वच्छता और गुणवत्ता के मानकों को पूरा नहीं कर सकते, जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है।

अम्लता की बृद्धि:–

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शरीर में तेजाब बढाता है

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सुझाव:–

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 बरसात में पकौड़े का आनंद लेते समय कुछ बातों का ध्यान रखें:


तेल की गुणवत्ता और मात्रा का ध्यान रखें।

पकौड़े ताजे और स्वच्छ सामग्री से बनाएं।

संतुलित मात्रा में पकौड़े खाएं और साथ में हरी चटनी या दही का सेवन करें, जिससे पोषण में वृद्धि हो।

गुरुवार, 8 अगस्त 2024

अपच होने के 10 आयुर्वेदिक कारण in hindi


 अपच होने के 10 आयुर्वेदिक कारण

Dr.VirenderMadhan

आयुर्वेद के अनुसार, अपच (डिस्पेप्सिया) के विभिन्न कारण हो सकते हैं। यहाँ अपच होने के 10 प्रमुख आयुर्वेदिक कारण दिए जा रहे हैं:


असंतुलित आहार:–

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 गलत समय पर और असंतुलित भोजन करना।

अतिपान: 

अधिक मात्रा में खाने और पीने से पाचन तंत्र पर बोझ बढ़ता है।

अपथ्य आहार:–

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 अपाच्य और भारी भोजन करना।

अजीर्ण:–

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 पिछले भोजन के पूर्ण पाचन से पहले ही नया भोजन करना।

अवस्थापन:–

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 भोजन के तुरंत बाद लेट जाना या शारीरिक गतिविधियों का अभाव।

अम्लता:–

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 अधिक मसालेदार और तली हुई चीजों का सेवन।

विरुद्ध आहार:–

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 विरोधाभासी खाद्य पदार्थों का एक साथ सेवन।

मानसिक तनाव:–

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 तनाव, चिंता और अवसाद का पाचन पर नकारात्मक प्रभाव।

अनियमित दिनचर्या:–

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 अनियमित सोने और जागने का समय।

कुपित दोष:–

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 वात, पित्त, और कफ दोषों का असंतुलन।


प्रकृति विरोधी आहार:–

–––––––-–

 अपनी प्रकृति (वात, पित्त, कफ) के खिलाफ आहार लेना।

दुर्बल अग्नि:–

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 कमजोर पाचन शक्ति या अग्नि मन्दता।

अन्य रोग:–

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 शरीर में अन्य बीमारियों के कारण पाचन शक्ति का कम होना।

संक्रमण:–

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 पेट में कीड़े या अन्य संक्रमण होना।

औषधियों का प्रभाव:–

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 कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण।

अतिप्रवृत्त:–

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 अत्यधिक शारीरिक श्रम या व्यायाम करना।

अपचन से होने वाले रोग:–

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–कब्‍ज, 

–एसिडिटी, 

–आंतों में सूजन, 

–संक्रमण, 

–सीलिएक रोग, 

–क्रोहन रोग, 

-अल्सरेटिव कोलाइटिस, –इंटेस्टाइनल इस्किमिया जैसी बीमारियों का खतरा अधिक रहता है।