Health and fitness यह ब्लॉग आयुर्वेदिक ज्ञान , औषधियों और जडी-बूटी की पूरी जानकारी के बारे में है ।
Guru Ayurveda
रविवार, 26 सितंबर 2021
भगंदर. Fistula क्या है इसकी चिकित्सा क्या है ?
भगंदर कीेआयुर्वेदिक चिकित्सा:-
जीवनशैली
शुक्रवार, 24 सितंबर 2021
आपको बवासीर है तो क्या करे?
# बवासीर, #Piles या Hemorrhoids, #अर्श
बवासीर Piles
बवासीर को Piles या #Hemorrhoids भी कहा जाता है।
अर्श की सरल चिकित्सा
[क्या करें क्या न करें ?]
अपथ्य ( परहेज )
गुरुवार, 23 सितंबर 2021
बवासीर Piles क्या है क्या उपाय करें?
अर्श ( बवासीर ) Piles, Hemorrhoids
अर्श Piles बीमारी क्या है?
अर्श की निरुक्ति:-
,,,अरिवत्प्राणान् शृणाति इति अर्श।।"
चरक के अनुसार,,
अर्शासीत्यधिमांविकाराह्।"
अर्श अधिमांस विकार है।अर्थात अर्श मांस में ही अधिष्ठात है।इस प्रकार मूत्रेन्द्रिय, योनि, गला मुख,नासिका,कर्ण, नेत्रों के वत्र्भ और त्वचा स्थान भी अधिमांस के क्षेत्र है।
इन में उत्पन्न होने वाले मासान्कुर को अर्श कहते हैं।
आचार्य चरक ने गुदा में उत्पन्न मांसांकुर को ही अर्श माना है।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान गुदा में होने वाले मांसांन्कुर को ही अर्श Haemorrhoids or Piles तथा किसी अंग में होने वाले मांसांन्कुर को पोलिप्स कहते हैं।
यहां पर हम गुदा में होने वाले मांसांन्कुर को अर्श कहेंगे।
आयुर्वेद के महऋषियों के अनुसार जब वातादि दोष कुपित होता है तब त्वचा मांस और मेद को दूषित करते हैं और परिणामस्वरूप गुदा के आसपास किनारे पर अथवा मल द्वार के अभ्यान्तर नाना प्रकार की आकृति वाले मांसान्कुर उत्पन्न हो जाते है, जिन्हें अर्श मस्से बवासीर कहते हैं।
"दोषस्त्वम् मासां मेदांसि संदूष्य विविधाकृतीन।
मांसांकुरान पानादौ कुर्वन्त्यर्शासि तांजगुह्।।”अर्श का अधिष्ठान गुदा होने से गुदा की संरचना संक्षिप्त में समझ लें तो आसानी होगी।
सुश्रुत निदान स्थान के द्वितीय अध्याय के अनुसार स्थूलान्त्र के आखिरी भाग के साथ संयुक्त अर्धांगुल सहित पांच अर्थात सवा चार अंगुल की गुदा होती है।
उसमे डेढ़ डेढ़ अंगुल की तीन बलिया होती है।
1,,प्रवाहणी,,,मल का प्रवाहण करने वाली।
2,,विसर्जनी,,, गुदा का विस्फारण करने वाली।
3,,संवरणी,,, गुदा के चारों ओर से गुदा को संकोच करने वाली,गुदोष्ठ से एक अंगुल पर आधुनिक प्रत्यक्ष शरीर के अनुसार साढ़े चार अंगुल गुदा के निम्न भाग हैं
,,,
1 गुदौष्ठ Anus 2 गुदनलिका Anal Cannal 3 मलाशय Rectum ।"
मलाशय का आखिरी इंच भर हिस्से को जिसमें अर्थात छल्ले झुर्रियां या सलवटें हुस्टन वाल्व Houston Valves कहते हैं।
अर्श के होने के कारण:-
- शारीरिक श्रम न करना।- गरिष्ट पदार्थ का सेवन करना।
- मिर्च मसाला,चट पटी वस्तु का अधिक सेवन करना।
-अधिक आराम से बैठे रहना।अधिक मात्रा में शराब पीना।
- कब्ज की अधिकतर शिकायत रहना।
- रात्रि जागरण।
- यकृत की विकृतियां।
- स्त्रियों में गर्भ च्युति होना।
- वृद्धावस्था में प्रोस्टेट
- ग्रंथि के बढ़ जाने पर।
-चाय अधिक सेवन करने से।
- साईकिल की अधिक सवारी करने से।
ये अर्श रोग के प्रधान हेतु हैं।
बवासीर या पाइल्स या (Hemorrhoid / पाइल्स या मूलव्याधि) एक ख़तरनाक बीमारी है।बवासीर 2 प्रकार की होती है।
आम भाषा में इसको खूनी और बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है।बादी बवासीर में
गुदा में सुजन, दर्द व मस्सों का फूलना आदि लक्षण होते हैं कभी-कभी मल की रगड़ खाने से एकाध बूंद खून की भी आ जाती है। लेकिन
खूनी बवासीर में बाहर कुछ भी दिखाई नहीं देता लेकिन पाखाना जाते समय बहुत वेदना होती है और खून भी बहुत गिरता है जिसके कारण रकाल्पता होकर रोगी कमजोरी महसूस करता है।
आयुर्वेदिक उपचार
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इसका इलाज चार अवस्थाओं में होता है।
फर्स्ट डिग्री : दवाओं से
सेकेंड डिग्री : क्षार कर्म (क्षार लेप) से।
क्षार सुत्र:- इसके लिए थोड़ा अपामार्ग क्षार, 10 एमएल थुअर पौधे का दूध और एक ग्राम हल्दी को मिलाकर पेस्ट बनाते हैं। इसके बाद एक मेडिकेटेड धागे पर लगाकर सुखा लेते हैं और मस्सों पर बांधते हैं।
थर्ड डिग्री : एलोवेरा की मदद से अग्निकर्म चिकित्सा की जाती है।
फोर्थ डिग्री : इसमें शल्य चिकित्सा से मस्सों को हटाते हैं।
औषधियां :-
- कांकायन वटी (2 गोली सुबह व शाम)।- अर्श कुठार रस (1 गोली सुबह व शाम)।
- अभ्यारिष्ट व द्राक्षासव (4-4 चम्मच भोजन के बाद, बराबर मात्रा में पानी मिलाकर)।
- कुटज धन वटी (1 गोली सुबह व शाम)।
मस्सों पर लगाने के लिए
इसके अलावा गुनगुने पानी में हल्दी डालकर सेक करें।
बुधवार, 22 सितंबर 2021
उल्टीयां हो रही है तो क्या करें ?
उल्टीयां (वमन )हो रही है तो क्या करें ? Dr.Virender Madhan.in hindi.
उल्टी क्या है ?
उल्टीयां के कारण क्या है?
और उल्टीयां हो तो क्या करें उपाय ?
उल्टी क्या है?
उल्टीयां क्यों होती है ?
* मानसिक रोगों में, तनाव मे भी उल्टीयां होते देखा गया है ।
रविवार, 22 अगस्त 2021
ब्रहमी वटी और ब्रनिका सीरप
ब्रह्मी वटी और ब्रनिका सीरप
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ब्राह्मी वटी का परिचय (Introduction of Brahmi Vati)
ब्राह्मी वटी का उपयोग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। सदियों से आयुर्वेदाचार्य ब्राह्मी वटी के इस्तेमाल से रोगों को ठीक करने का काम कर रहे हैं।आयुर्वेद में यह बताया गया है कि ब्राह्मी वटी मानव मस्तिष्क के लिए अमृत के समान औषधि है। यह हिमालय की तराइयों में पाए जाने वाले ब्राह्मी पौधे से तैयार किया जाता है।
इसके पौधे नदियों के किनारे या अन्य नम स्थानों पर भी पाए जाते हैं। आइए जानते हैं कि आप ब्राह्मी वटी का प्रयोग किन-किन रोगों में कर सकते हैं और स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं।
ब्रहमी के अनेक उत्पादन बाजार मे है जिनमे से मुख्य औषधि ब्रह्मीवटी और ़ Brainica syrup है ।
** ब्राह्मी वटी क्या है?
(What is Brahmi Vati?)
ब्राह्मी वटी (brahmi benefits )
- तनाव से छुटकारा दिलाने में मदद करती है,
-सांसों की बीमारी,
-विष के प्रभाव को ठीक करती है।
-इसके साथ ही यह रोग प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) को मजबूत करती है।
-यह मष्तिस्क तथा स्मरण शक्ति को स्वस्थ बनाती है।
-ब्राह्मी वटी का सेवन याद्दाश्त बढ़ाने के लिए फायदेमंद है।
-ब्राह्मी वटी के सेवन से मस्तिष्क की दुर्बलता एवं मस्तिष्क संबंधी सभी विकार नष्ट होते हैं।
-ब्राह्मी वटी स्मरण शक्ति एवं बुद्धि को भी बढ़ाती (brahmi uses) है।
- मस्तिष्क संबंधी कार्य अधिक करने वाले लोगों जैसे- विद्यार्थी, अध्यापक आदि को ब्राह्मी वटी के साथ Brainica syrup सेवन जरूर करना चाहिए।उत्तम लाभ मिलता है।
- हृदय रोगों में फायदेमंद ब्राह्मी वटी का प्रयोग ।
- कई लोगों को ह्रदय संबंधी विकार होते रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए ब्राह्मी वटी का सेवन रोज करना चाहिए। इससे वातनाड़ियों तथा हृदय से संबंधित रोग तुरंत ठीक हो जाते है
- अनिद्रा की परेशानी में ब्राह्मी वटी का उपयोग लाभदायक (Brahmi Vati Uses to Cure Insomnia in Hindi)
-जो मरीज नींद ना आने की परेशानी से ग्रस्त हैं उनको ब्राह्मी वटी का प्रयोग (brahmi uses) करना चाहिए। इसके लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से Brainica Syrup व ब्राह्मी वटी के इस्तेमाल की जानकारी जरूर लें।
- ब्राह्मी वटी और Brainica syrup के योग से हिस्टीरिया में बहुत लाभदायक होती है। हिस्टीरिया से ग्रस्त मरीज ब्राह्मी वटी के उपयोग से लाभ पा सकते हैं।
- मूर्च्छा या मिर्गी में करें ब्राह्मी वटी का सेवन किया जाता है।
जो रोगी बार-बार बेहोश हो जाते हैं या जिनको मिर्गी आती है उन्हें ब्राह्मी वटी का सेवन करना चाहिए।
इसके साथ–साथ सुबह–शाम ब्राह्मी घी 3-6 माशे तक दूध में मिलाकर पीना चाहिए। साथ मे Brainica Syrup 2-3 चम्मच भी पीना चाहिए। इससे बहुत लाभ है।
- स्नायु तंत्र को स्वस्थ बनाती है ब्राह्मी वटी और ब्रनिका का योग।
- Brainica Syrup मानव स्नायु तंत्र के लिए टॉनिक का काम करती है। यह मस्तिष्क को शांति प्रदान करने के अलावा स्नायु कोषों का पोषण भी करती है, ताकि आपको स्फूर्ति मिले।
** उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) में फायदा पहुंचाती है
ब्राह्मी वटी और ब्रनिका सीरप
- हाई ब्लडप्रेशर आज आम बीमारी हो गई है। अनेकों लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। इसमें ब्राह्मी वटी का यह योग इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है।
ब्राह्मी वटी और Brainca Syrup का सेवन किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के दिशा-निर्देश में ही करना चाहिए।
अनुपान – गुलकन्द, दूध, मधु, मक्खन, आँवले का मुरब्बा, ब्राह्मी, शर्बत।
रविवार, 1 अगस्त 2021
बाल काले करने के उपाय
>Gharelu upaye>ayurvedic treatment>herbal treatments
[बाल काले कैसे करें ?]
>>बालों को काला करने के कुछ उपाय।
#रीठा
** 1. बालों को काला करेगा रीठा
रीठा केश्य है । रीठा बालों के लिए प्राचीन काल से ही प्रयोग किया जाता रहा है।वैसे तो रीठा को हेयर ग्रोथ यानि बालों को बढ़ाने के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके आयुर्वेदिक गुण बालों को काला करने के लिए भी कारगर माने जाते हैं. इस आयुर्वेदिक औषधि में एंटी इफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो स्कैल्प में होने वाली खुजली को दूर करने में भी मददगार माने जाते हैं. रीठा से बालों को दोने के बाद बाल कोमल बनते हैं. एक तरह से रीठा कंडीशनर का काम करता है. यह बालों की सफेदी को दूर करने में मददगार माना जाता है.
** 2. आंवला
आंवला भी बालों को काला करने में फायदेमंद है ।आंवला एक रसायन है । यह मानव के लिए अमृत समान है ।आंवला कई स्वास्थ्य लाभों को लिए जाना जाता है. यह स्किन से लेकर बालों तक कई कमाल के फायदे देता है. आंवला में कई हर्बल गुण पाए जाते हैं. आंवला में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं. इसके साथ ही आंवला में विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. आंवला अल्फा-5 रिडक्टेस की गतिविधि को रोककर बालों के विकास में फायदेमंद माना जाता है. यह बालों का झड़ना रोकने के लिए भी कारगर माना जाता है. यह बालों की गुणवत्ता को बेहतर करने में मददगार माना जाता है.
** 3. शिकाकाई
यह नेचुरल औषधि बालों को कई फायदे देती है. बालों की कई समस्याओं को दूर करने के लिए शिकाकाई को काफी कारगर माना जाता है. यह सफेद बालों से राहत दिलाने में भी मददगार मानी जाती है. इसके साथ ही यह बालों का झड़ना रोकने में भी फायदेमंद हो सकती है. शिकाकाई का ऑयल बालों की स्कैल्प से गंदगी को दूर करने में भी मदद करता है
> कैसे करें इन तीनों का इस्तेमाल?
बालों को नेचुरल तरीके से ये तीनों बालों को काला करने के साथ बालों का झड़ना और डैंड्रफ से भी राहत दिला सकते हैं. इन तीनों का इस्तेमाल आप हेयर मास्क या शैम्पू के रूप में भी कर सकते है।
मंगलवार, 22 जून 2021
अवसाद का आयुर्वेदिक इलाज
"अवसाद"
** क्या है अवसाद?
-- इस बारे में आयुर्वेदिक चिकित्सिक डॉ०वीरेंद्र मढान का मानना है कि आयुर्वेद में #अवसाद को मानसिक रोग की श्रेणी में रखा जाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे बहुत अधिक #तनाव, लंबे समय तक कोई रोग, कमजोरी, बहुत अधिक दवाओं का सेवन, #वात दोष (मस्तिष्क एवं नर्वस सिस्टम की कार्यप्रणाली) आदि।
"आयुर्वेद में उपचार"
-- आयुर्वेद में #अवसाद से उपचार तीन बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है। 1--अवसादग्रस्त व्यक्ति को उसकी शक्ति व क्षमताओं का बोध कराना,
2-- व्यक्ति जो देख या समझ रहा है वह असलियत में भी वही है या नहीं इसका बोध कराना और
--उसकी #स्मृति को मजबूत बनाना जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़े और अवसाद दूर हटे।
** आयुर्वेद में अवसाद से उपचार के लिए कुछ औषधियों और ब्रेन टॉनिक्स को अगर किसी चिकित्सक के परामर्श से लिया जाए तो कम समय में इसे दूर करना संभव है।
** ब्राह्मी,
** मंडूक पुष्पी,
** स्वर्ण भस्म आदि से मस्तिष्क को बल मिलता है और मन को शांति। इनका उपयोग अवसाद के उपचार में किया जाता है।
#Change your life style#
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खानपान में करें बदलाव
आयुर्वेद में अवसाद दूर करने के लिए खानपान में भी बदलाव करने पर बल दिया जाता है। डॉ.वीरेंद्र मढान के अनुसार, 'रोगी को हल्का और सुपाच्य भोजन खाने चाहिए। दही और खट्टी चीजों से परहेज करना जरूरी है। इसके अलावा,फास्ट फुड,भारी, तली चीजें, मांसाहार, उड़द की दाल, चने आदि का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है।'
**पंचकर्म और अवसाद**
पंचकर्म से भी अवसाद के उपचार में सहायता मिलती है। शिरोधारा, शिरोबस्ति, शिरो अभ्यंग और नस्य जैसे पंचकर्म अवसाद से मुक्ति दिलाने में मददगार हैं लेकिन इन्हें किसी प्रशिक्षित विशेषज्ञ के परामर्श से करना ही ठीक है।
-- अभ्यंग (मसाज) भी है लाभदायक
-- अवसाद से निजात के लिए आयुर्वेद में मसाज थेरेपी का भी सहारा लेते हैं।
चंदनबला, लाक्षादि तेल, ब्राह्मी तेल, अश्वगंधा, बला तेल आदि से मसाज की सलाह दी जाती है जो तनाव दूर करते हैं और अवसाद से मुक्ति दिलाते हैं।