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शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

आपको बवासीर है तो क्या करे?

# बवासीर, #Piles या Hemorrhoids, #अर्श 


बवासीर Piles


बवासीर को Piles या #Hemorrhoids भी कहा जाता है। 

बवासीर एक ऐसी बीमारी है, जो बेहद तकलीफदेह होती है। इसमें गुदा (Anus) के अंदर और बाहर तथा मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से गुदा के अन्दर और बाहर, या किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं। मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। करीब 60 फीसदी लोगों को उम्र के किसी न किसी पड़ाव में बवासीर की समस्या होती है। रोगी को सही समय पर #पाइल्स का इलाज #(Piles Treatment) कराना बेहद ज़रूरी होता है। समय पर बवासीर का उपचार नहीं कराया गया तो तकलीफ काफी बढ़ जाती है।

अर्श की सरल चिकित्सा

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- 'बवासीर रोग' मे सबसे पहले रोगी का पेट साफ करना चाहिए ।
- पकी हुई नीम की निबौलियों पुराने गुड के साथ मिला कर सेवन करें ।
- नीम की निबौली और रसोंत समान मात्रा में मिला करके गाय के घी मे पीसकर मस्सों पर लेप करें ।
- रसौंत को घिसकर बवासीर पर लेप करें।
- आक के पत्तों का लेप बनाकर गुदा पर लेप लगायें।
- पंचकोल( पीपल, पीपलामूल, चव्य, चित्रक, और सौंठ ) का काढा सेवन करने से कफज बवासीर ठीक हो जाती है ।
- अदरक का काढा बनाकर पीने से कफज बवासीर ठीक हो जाते है।
- दारुहल्दी, खस, नीम की छाल का काढा पीने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।
- नागकेसर को मिश्री के साथ धी मे मिलाकर सेवन करने से *खूनी बवासीर* में आराम मिलता है।
- बिना छिलका के तिल 10 ग्राम मक्खन 10 ग्राम मे मिलाकर सेवन करने से रक्त स्राव बन्द हो जाते है।
- मट्ठा मे पीपल चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर ठीक होती है।
- बकरी का दूध प्रातः पीने से बवासीर के रक्तस्त्राव मे आराम मिलता है।
- गैंदे के फूलों 10 ग्राम मे 3-4 काली मिर्च पीसकर पानी में मिलाकर छानकर पीने से खूनी बवासीर- Piles- में आराम मिलता है।
-करेले या करेलो के पत्तों का रस मिश्री मिलाकर पीने से खूनी "बवासीर" नष्ट हो जाती है।
-प्याज के रस मे धी और मिश्री मिला कर पीने से बवासीर नष्ट हो जाती है ।
- बडी हरड को धी मे भूनकर बराबर का बिड्नमक मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें उस मे से। तीन ग्राम पानी से सोते लें बवासीर भी ठीक होती है और कब्ज भी दूर होती है।
- गिलोय के सत्व को मक्खन के साथ मिलाकर खाने से बवासीर नष्ट हो जाती है।
-छाछ मे भुना जीरा ,हींग, पुदीना, सैंधवनमक मिलाकर पीयें।

[क्या करें क्या न करें ?]

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पुराने चावल,  मूंग, 
चने की दाल,  कुलथी की.दाल,
बथुआ , सौफ, सौंठ, परवल,
करेला, तोरई, जमीकन्द, गुड छाछ , छोटी मूली ,
कच्चा पपीता, दूध , धी , मिश्री , जौ , लहसुन , चूक 
आंवला, सरसौ का तैल , हरड, गौ मूत्र ये सब पथ्य है ।
खाने के योग्य है।

अपथ्य ( परहेज )

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- उडद, पिठ्ठी, दही, सेम, 
-गरिष्ठ भोजन, तले भुने पदार्थ, 
- धूप में रहना, मल मूत्र आदि वेगो को रोकना, कठोर सीट पर बैठना, मांस मछली, मैदे के पदार्थ लेना , 
- उकडू बैठना बवासीर के रोगी को मना है ।

#[खूनी बवासीर में ]
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लहसुन, सेम , विरुध आहार, दाहक पदार्थ ,खट्टे पदार्थ लेना मना है। अधिक मेहनत करना भी मना है।


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