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रविवार, 26 सितंबर 2021

भगंदर. Fistula क्या है इसकी चिकित्सा क्या है ?

 भगंदर,Fistula का है और इसका ईलाज क्या है ?In hindi.

#भगंदर#फिस्चूला#Fistula#नाडीव्रण का आयुर्वेदिक वर्णन ,भगंदर का आयुर्वेदिक ईलाज ,#भगंदर का घरेलू उपाय. इनके परहेज.व #भगंदर के रोगी क्या करें?*भगंदर मे क्या न करें?#

[भगंदर रोग:Fistula.]

By Dr.Virender Madhan. #डा०वीरेन्द्र मढान.

#भगन्दर [ Fistula ] क्या होता है ?
Fistula_भगन्दर गुदा के एक साईड मे 1 से 2 अंगुली दूर एक बोईल्स यानि फुंसी के रुप में होता है.
यह अन्दर की तरफ मूत्राशय और गूदा के चारों ओर हो कर गुदा के पास फुंसी के रूप में 'फिस्चूला' उत्पन्न हो जाता है ।
_भगंदर, नाम से ही लगता है कोई बड़ी बीमारी होगी। एक मामूली फोड़े से बढ़ कर भयंकर दर्द देने वाली बीमारी है, 
 _नाडी व्रण नली में पस जमा होने के कारण भगंदर जानलेवा दर्द दे सकता है। इस बीमारी को ऐसे समझें कि हमारे कुछ नाजुक अंग या नस जो आपस में जुड़े नहीं होते, उन्हें यह जोड़ देता है। जैसे आंत को त्वचा से, योनि को मलाशय से। 

भगंदर होने केकारण:-

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गुदा की सफाई न रहना बडा कारण है ।
खुजली होने पर नाखून आदि से छिल जाना।
जिन कारणों से बवासीर हो जाती है उन सभी कारणों से नाडीव्रण_भगंदर हो जाता है।कठोर सीट पर बैठकर अधिक समय बिताना बडा कारण है इससे या किसी ओर कारण से जब तीनों दोष कुपित हो जाते है।तब भी भगन्दर_Fistula_नाडीव्रण बन जाता है.आयुर्वेद के अनुसार

#भगंदर 6 प्रकार के होते है .

1.वातज_भगंदर  2.पित्तज_भगंदर 
3.कफज_भगंदर
4.वातपितज_भगंदर
5.वातकफज_भगंदर
6.पितकफज_भगंदर
7.शल्यज_भगंदर 

लक्षण:

हर प्रकार का नाडीव्रण बहुत पीडा दायक होती है। 
फुटने पर , पीप यानि पस निकलती है यह कभी रक्तवर्ण कभी सफेद कभी पानी की तरह होता है. यह कफज नाडीव्रण है ।
जो भगंदर ऊंठ की गर्दन जैसी होती है उसे उष्ट्रग्रीव आयुर्वेद में कहा है ।यह पित्त कारक पदार्थों के अधिक सेवन से होता है।
जिसमें खुजली बहुत होती है. सफेद रंग की फुंसी होती है. फुटने पर गाढी मवाद ( पुय ) निकलती है. वह नाडीव्रण कफज होता है उसे परिश्रावी भगंदर भी बोलते है ।
भगंदर मे जब शंख यानि शम्बूक के समान घुमावदार हो तो उसे शम्बुकावर्त भगंदर_नाडीव्रण कहते है। यह त्रिदोषज होता है।
शल्यज भगंदर किसी नाखुन, कांटे, या आघात के कारण व्रण बन जाता है ।
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भगंदर कीेआयुर्वेदिक चिकित्सा:-
#[Bhag ander ki. Ayurvedic chikitsa in hindi.]

*त्रिफला चूर्ण ू1-1 चम्मच दिन में 2 बार लें.
*त्रिफला गुग्गुल 1-2 गोली दिन में 2-3 बार ले सकते है.
*कांचनार गुग्गुल ले सकते है.
*अमृता गुग्गुल भी उपयोगी है.

#भगंदर का सरल ईलाज.

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*नीम की छाल,या पत्ते,लेकर पीसकर लेप बनाकर लगाये. इससे फोडे,नासूर आदि भी ठीक होते है.
*नीम की निबौलियों को पीसकर लेप बनाकर लगाने से भी लाभ मिलता है.
*पीपल की अन्तरछाल का चूर्ण भगंदर या नासूर मे भरने या फूंकने से रोग मे आराम मिलता है.
*नीम व बेर के पत्तों का चूर्ण भगंदर मे भरने से ठीक होता है.
*गुलर के दूध मे रूई भिगोकर कुछ दिनों तक भगंदर मे भरने से ठीक हो जाता है.

'भगन्दर' रोग में क्या खाएं [Your Diet During Fistula]

*भगन्दर से ग्रस्त लोगों का आहार ऐसा होना चाहिएः-

अनाज: पुराना शाली चावल ,गेहूं, जौ
दाल: अरहर, मूँग दाल, मसूर
फल एवं सब्जियां: हरी सब्जियां, पपीता, लौकी, तोरई, परवल, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, केला , सेब, आंवला, खीरा, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन, रेशेदार युक्त फल
अन्य: हल्का भोजन, घी, सैंधव (काला नमक), मटठा अत्याधिक पानी पिएं।


*भगन्दर रोग में क्या ना खाएं [Food to Avoid in Fistula]

भगन्दर से ग्रस्त लोगों को इनका सेवन नहीं करना चाहिएः-
परहेज_
अनाज: मैदा, नया चावल
दाल: मटर, काला चना, उड़द
फल एवं सब्जियां : आलू, शिमला मिर्च, कटहल, बैंगन, अरबी, आड़ू, कच्चा आम, मालपुआ, गरिष्ट भोजन
अन्य: तिल, गुड़, समोसा, पराठा, चाट, पापड़, नया अनाज, खट्टा और तीखा द्रव्य, सूखी सब्जियां, मालपुआ, गरिष्ठ भोजन (छोले, राजमा, उडद, चना, मटर, सोयाबीन)
सख्ती से पालन करें:- शराब, फ़ास्ट फ़ूड, आइसक्रीम, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, तेल मासलेदार भोजन, अचार, तेल, घी, अत्यधिक नमक, कोल्ड ड्रिंक्स, बेकरी उत्पाद, जंक फ़ूड नही लेना चाहिए।

 जीवनशैली 
[Your Lifestyle for Fistula Treatment]


*उपवास करें।
*जंक-फूड का सेवन न करें।
*तला-भुना एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।
*गुस्सा, डर और चिंता ना करें।
*ज्यादा मात्रा में भोजन न करें।
दिन में न सोएं
*पेशाब और शौच को न रोकें।

*ध्यान एवं योग का अभ्यास रोज करें।
*ताजा एवं हल्का गर्म भोजन अवश्य करें।
*भोजन धीरे-धीरे शांत स्थान में शांतिपूर्वक, सकारात्मक एवं खुश मन से करें।
*तीन से चार बार भोजन अवश्य करें।
*किसी भी समय का भोजन नहीं त्यागें एवं अत्यधिक भोजन से परहेज करें।
*हफ्ते में एक बार उपवास करें।
*अमाशय का 1/3rd _1/4th भाग रिक्त छोड़ें।
*भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरे–धीरे खायें।
*भोजन लेने के बाद 3-5 मिनट टहलें।
*सूर्यादय से पहले [5:30 – 6:30 am] जाग जायें।
*प्रतिदिन दो बार दांतों को साफ करें।
*रोज जिव्हा करें।
*भोजन लेने के बाद थोड़ा टहलें।
*रात में सही समय पर [9- 10 PM] नींद लें।

 *योग और आसन कर सकते हैंः-

योग प्राणायाम एवं ध्यान: भस्त्रिका, कपालभांति, बाह्यप्राणायाम, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ, उज्जायी, प्रनव जप।
आसन: गोमुखासन, मर्कटासन,पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, कन्धरासन।

आसन– उत्कट आसान में ना ना बैठें। (वैद्यानिर्देशानुसार)।

* अपने चिकित्सक से सलाह जरुर करें ।


*कब्ज या सूखे मल की स्थिति में पर्याप्त मात्रा में फाइबर लें।
तरल पदार्थ/पेय का ज्यादा सेवन करें।
*शराब और कैफीन पीने से बचें।
*शौच को रोकें नहीं. 
*पाचन तंत्र फिट रखने के लिए रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
*शौच करने में पर्याप्त समय लें। न बहुत हड़बड़ी करें और न ही बहुत ज्यादा देर तक बैठे रहें। 
*मल द्वार को साफ और सूखा रखें। शौच के बाद अच्छे से सफाई करें। 

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