Guru Ayurveda

बुधवार, 8 जून 2022

कमाल की औषधि इसबगोल|Plantago ovata, in hindi.

 कमाल की औषधि इसबगोल|Plantago ovata, in hindi.

#ईसबगोल|Plantago ovata क्या है?In hindi.



#DrVirenderMadhan.

- इसबगोल प्लांटागो ओवाटा नामक पौधे का बीज होता है।इसके बारे मे अधिकतर लोग कुछ न कुछ जाते हैं।

 यह पौधा देखने में बिल्कुल गेहूँ के जैसा होता है जिसमें छोटी छोटी पत्तियां और फूल होते हैं। इस पौधे की डालियों में जो बीज लगे होते हैं उनके ऊपर सफ़ेद रंग का पदार्थ चिपका रहता है। इसे ही इसबगोल की भूसी (Psyllium husk) कहते हैं।

#इसबगोल कहाँ पैदा होता है?

 ईसबगोल उत्पादन एवं क्षेत्रफल में भारत का स्थान प्रथम है। भारत में इसका उत्पादन प्रमुख रूप से गुजरात ,राजस्थान ,पंजाब , हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में करीब 50 हजार हेक्टर में हो रहा हैं।



#इसबगोल की तासीर कैसी होती है?

इसबगोल की तासीर ठंडी होती है, यह कब्ज़, पेचिश और आंत के रोगों के लिए बहुत अच्छी होती है .

#इसबगोल कब्ज के लिए है रामबाण औषधि है।

कई फायदों वाला है इसबगोल ​कब्ज में राहत तथा ​दस्त रोकने में मददगार है।

- ​ब्लड शुगर कम करने मे मददगार होती है।

- यह ​कलेस्ट्रॉल कम करने मे उपयोगी होती है.

- इसबगोल ​दिल को स्वस्थ रखता है।

- ​वेट लॉस में मददगार होती है इसबगोल।

- ​ओवरइटिंग रोकने में मददगार है



#10 रोगों का उपाय एक ईसबगोल ?

ईसबगोल के उपाय - 

1  डाइबिटीज मे - 

 ईसबगोल का पानी के साथ सेवन करें इससे रक्त में बढ़ी हुई शर्करा को कम करने में सहायक होती है। 

 2  अतिसार -

 ईसबगोल पेट दर्द, आंव, दस्त व खूनी अतिसार में भी बहुत जल्दी असर करता है, और आपकी तकलीफ को कम कर देता है । 

3 - बवासीर - 

 ईसबगोल खूनी बवासीर में अत्यंत लाभकारी ईसबगोल का प्रतिदिन सेवन आपकी इस समस्या को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। पानी में भि‍गोकर इसका सेवन करना लाभदायक है। 

4 पाचन तंत्र - 

आपको पाचन संबंधित समस्या बनी रहती है, तो ईसबगोल आपको इस समस्या से राहत दिलाता है। प्रतिदिन भोजन के पहले गर्म दूध के साथ ईसबगोल का सेवन पाचन तंत्र को दुरूस्त करता है। 

* कब्ज होने पर ईसबगोल गुनगुने पानी के साथ सोने से पहले लिया जाता है। दस्त होने पर ईसबगोल दही में मिलाकर खाया जाना चाहिए। दो चम्मच ईसबगोल तीन चम्मच दही में मिलाकर दिन में दो बार खाने से दो दिन में ही दस्त से आराम मिलता है। यही नहीं, पेट में होने वाले दर्द और मरोड़ मे भी ईसबगोल आराम दिलाता है।

5  जोड़ों में दर्द - 

जोड़ों में दर्द होने पर ईसबगोल का सेवन राहत देता है। 

-यह दांत दर्द में भी यह उपयोगी है। वि‍नेगर के साथ इसे दांत पर लगाने से दर्द ठीक हो जाता है। 

6 वजन कम करे -

वेटलोस, वजन कम करने के लिए भी फाइबर युक्त ईसबगोल उपयोगी है। इसके अलावा यह हृदय को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। 

7 कफ -

 कफ के जमा होने पर ईसबगोल का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे कफ निकलने में आसानी होती है। 

8  सिर दर्द - 

Headache, ईसबगोल का सेवन सि‍रदर्द के लिए भी उपयोगी है। 

नीलगिरी के पत्तों के साथ इसका लेप दर्द से राहत देता है, - प्याज के रस के साथ इसके उपयोग से कान का दर्द भी ठीक होता है। 

 9नकसीर - 

 नाक में से खून आने पर ईसबगोल और सिरके का सर पर लेप करने से आराम होता है।

10- सांस की दुर्गन्ध -  

ईसबगोल के प्रयोग से सांस की दुर्गन्ध से बचाता है, इसके अलावा खाने में गलती से कांच या कोई और चीज पेट में चली जाए, तो ईसबगोल सकी मदद से वह बाहर निकलने में आसानी होती है। 

<लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर बतायें।>

धन्यवाद!


मंगलवार, 7 जून 2022

एक यौनरोग उपदंश [Syphilis] क्या है?In hindi.

 #Syphilis rog kya hain?In hindi.

#एक यौनरोग उपदंश [Syphilis] क्या है?



उपदंश - SYPHILIS क्या है?

आधुनिक और आयुर्वेदिक विवर्ण -

SYPHILIS - ACCORDING TO MODERN AND AYURVEDA

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#Syphilis rog kya hain ?

 आधुनिक दृष्टि से: - 

    - सिफलिस एक गंभीर यौन संचलित, संक्रामक रोग है और इसके विकास से लेकर खतरनाक लक्षणों के प्रकट होने तक, संक्रामक धीरे धीरे बढता है।  इसे माता-पिता से प्राप्त या विरासत में मिल सकता है.

 * [ट्रैपोनिमा पैलेडियम ]

- इस यौन रोग के पीछे यह प्रेरक जीवाणु है।  संभोग या अन्य यौन गतिविधियों के दौरान कई पुरुष या महिला भागीदारों के साथ निकट संपर्क मे आने से पहले से ही संक्रमित साथी से सीधे संक्रमण बढने की अनुमति देता है। यौन साझेदारों की संख्या जितनी अधिक होगी, इस बीमारी का जोखिम उतना ही अधिक होगा।

   पहले से ही ईलाज न हो तो सिफलिस जीवन के लिए खतरा बन सकता है क्योंकि इसके कारण अंधापन, बहरापन, न्यूरो सिफलिस (नसों और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है), हड्डियों और हृदय को नुकसान जैसी गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं पैदा कर सकता है।

 - प्रारंभिक अवस्था में यह मुंह, मलाशय और जननांग भागों पर दर्द रहित घावों का प्रतिनिधित्व करता है (ये भाग आमतौर पर यौन गतिविधियों के दौरान संपर्क में आते हैं)।  आधुनिक चिकित्सा के अनुसार सिफलिस चार चरणों में प्रकट होता है -

 1- प्राथमिक उपदंश :-

   यौनांग पर दर्द रहित घाव विशेष रूप से मुंह (मुख सेक्स), मलाशय (गुदा मैथुन) और जननांग (सामान्य योनि सेक्स) में दिखाई देते हैं।

 2- सेकेंडरी सिफलिस:-

    अधिकतर हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों पर खुजली वाले चकत्ते, सूजन लिम्फ नोड्स, थकान, बुखार, मांसपेशियों में दर्द और वजन कम होना आदि।

 3- गुप्त उपदंश :-

  इसका इलाज न किया जाए तो बैक्टीरिया कई वर्षों तक बिना किसी लक्षण के निष्क्रिय अवस्था में चले जाते हैं।

 4- तृतीयक उपदंश:-

 इलाज नहीं किया जाता है तो यह सिफलिस का यह खतरनाक चरण है। यह जीवन के लिए खतरा है और हृदय, रक्त वाहिकाओं, मस्तिष्क, नसों, यकृत और जोड़ों को हानि पहुंचाता है।

  यह रोग कमजोर प्रतिरोधक क्षमता से भी सम्बंधित होता है, जिससे रोगजनकों को शरीर में आसानी से प्रवेश मिल जाता है।  इसलिए आधुनिक में इसका एंटीबायोटिक्स (मुख्य रूप से पेनिसिलिन पसंद की दवा है), प्रतिरक्षा बूस्टर और कुछ रोगसूचक दवाओं के साथ सबसे अच्छा इलाज किया जाता है.

#आयुर्वेदिक मे सिफलिस क्या है?

 आयुर्वेद में वर्णित "फिरंग रोग" नामक बीमारी के साथ उल्लेखनीय समानताएं हैं। इस रोग को वैदिक आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित नहीं किया गया है, लेकिन आचार्य भावमिश्रा ने अपने आयुर्वेदिक पाठ "भावप्रकाश" में इसका वर्णन किया है।

   उनके अनुसार फिरंग रोग (सिफलिस) त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) के खराब होने के कारण होता है, लेकिन कफ दोष मुख्य रूप से रोग के विभिन्न चरणों में हावी होता है, ज्यादातर पुरानी अवस्था में।  आगे चलकर त्रिदोष के इन सभी विकृतियों और असंतुलन के कारण, धतूस (ऊतक) नशे में हो जाता है और मस्तिष्क, नसों, हृदय, यकृत, हड्डियों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बनता है।

  “ फिरंग रोग" फिरंगी लोगों से  भारत में आयी है, शायद मुख मैथुन, गुदा मैथुन और बहुविवाह (कई भागीदारों के साथ सेक्स) की गंदी संस्कृति के कारण, जो उनके लिये आम था।  उनकी संस्कृति के साथ।  आचार्य भावमिश्र के अनुसार फिरंग रोग तीन मुख्य प्रकार का होता है- बाहरी (बाहरी), आभ्यंतर (आंतरिक) और बाहरीाभ्यान्तर (मिश्रण)।

 आयुर्वेदिक उपचार:-

आचार्य भावमिश्र ने फिरंग रोग के उपचार में "पारद" (बुध) को सबसे महत्वपूर्ण औषधि के रूप में वर्णित किया है। उन्होंने इस रोग के उपचार में पारद का उपयोग करने के सात तरीके बताए हैं।  

विद्वानों के अनुभवों मे जो इस बीमारी के इलाज में प्रभावी देखा है।

 1- निम्ब चूर्ण 2 ग्राम

      हरिद्रा चूर्ण 2 ग्राम

 सवेरे -शाम. 

2- गंधक रसायन -125 मिलीग्राम)सवेरे-शाम जल से 3- आरोग्यबर्द्धिनी बटी 2-2 सुबह शाम खाने के बाद

 -  इस योग में - निम्ब में एंटी माइक्रोबियल और डिटॉक्सिफिकेशन गुण होते हैं और यह शरीर की प्रतिरक्षा में भी सुधार करता है जबकि हरिद्रा अपने एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी मजबूत एंटी ऑक्सीडेंट संपत्ति के कारण यह एक अच्छा बूस्टर है  प्रतिरक्षा का भी।

 गंधक रसायन अपने एंटी बैक्टीरियल क्रिया के लिए जाना जाता है और आयुर्वेद में पहले से ही कई त्वचा संक्रमणों में संकेत दिया गया है इसलिए इस बीमारी के उपचार में उत्साहजनक परिणाम हैं।  

आरोग्यबर्द्धिनी बटी मे

 हरड़, बहेड़ा, आंवला, शुद्ध शिलाजीत, शुद्ध गुग्गुल, चित्रक मूल, कुटकी, निम्ब, शुद्ध पारद जैसी कई दवाओं का एक चमत्कारी संयोजन है। अभ्रक भस्म,ताम्र भस्म और आयरन भस्म आदि।  इसके सभी अवयवों के कारण  आरोग्यबर्द्धिनी वटी एक अद्भुत एंटीबायोटिक, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी एजेंट के रूप में कार्य करती है। इस तरह की चमत्कारी दवाओं का यह मजबूत संयोजन कई अन्य बीमारियों से भी प्रतिरक्षा प्रदान करता है।

अन्य:-

व्याधिहरण रस+महामंजिष्ठादि चूर्ण+चंद्रप्रभा वटी (दिन में दो बार 1 ग्राम) ......... चंदनासव+पलाशपुष्पासव+देवदार्वारिष्ट 30 मिली दिन में दो बार जल के साथ 2-3 महीने की अवधि के लिए दें।


धन्यवाद!

सोमवार, 6 जून 2022

अग्नितुण्डी वटी क्या है?In hindi.

 अग्नितुण्डी वटी|Agnitundi Vati का परिचय.



#अग्नितुण्डी वटी क्या है?In hindi.

अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधि है, जो मुख्यतः बदहजमी, पाचन तंत्र के रोग, भूख न लगना के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। 

#अग्नितुण्डी वटी के घटक क्या हैं?

Agnitundi Vati|अग्नितुण्डी वटी के मुख्य घटक :-

पारद

गन्धक शुद्ध

वत्सनाभ शुद्ध

अजमोद,

 आंवला,

 हरीतकी,

 ज़ीरा,

 सुहागा आदि.

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*अजमोद

अजमोद मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को रोकने मे उपयोगी है।

*आंवला

आंवला भूख बढ़ाने के तत्‍व,पाचन क्रिया और पेट को ठीक रखने वाले पाचक एंजाइम का स्त्राव उत्तेजित करके पाचन क्रिया को ठीक रखता।

* हरीतकी (हरड़)

Infection|संक्रमण के कारण होने वाली सूजन को कम करने वाली खांसी को नियंत्रित करने वाली औषधि है।

* जीरा

जीरा,पेट की गैस या पेट फूलने की समस्या को कम करने वाली,पाचन क्रिया को बेहतर करने वाली है।

* सुहागा

सुहागा पाचन क्रिया और पेट को आराम देने वाली, एसिडिटी को ठीक करने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है।

#Agnitundi Vati|अग्नितुण्डी वटी किन किन रोगों में काम आती है?

-अग्नितुण्डी वटी के मुख्य लाभ क्या है?

- बदहजमी indigestion

- पाचन तंत्र के रोग 

- भूख न लगना anorexia

अन्य लाभ

- एसिडिटी acidity

- कब्ज Constipation

- खांसी Cough

- पेट दर्द Colic

#Agnitundi Vati अग्नितुण्डी वटी की Dose(खुराक) 

 कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा हिस्ट्री के आधार पर खुराक अलग हो सकती है।

व्यस्क मे मात्रा: 

- निर्धारित खुराक का उपयोग करें

- खाने के बाद या पहले: कभी भी दवा ले सकते हैं

अधिकतम मात्रा:

- 2 टैबलेट गुनगुना पानी से दिन में दो बारलें।

दवा लेने की अवधि:-

 उपचार लम्बे समय तक जारी रह सकता है।

# Agnitundi Vati अग्नितुण्डी वटी के नुकसान, दुष्प्रभाव और साइड इफेक्ट्स - 

  Agnitundi Vati के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। 

नोट-

  [Agnitundi Vati का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।]

*चेतावनी:-

अग्नितुण्डी वटी|Agnitundi Vati का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?

 Agnitundi Vati के अच्छे या बुरे प्रभाव के बारे में चिकित्सा जगत में कोई रिसर्च न हो पाने के चलते पूरी जानकारी मौजूद नहीं हैं। इसको जब भी लें डॉक्टर से पूछने के बाद ही लें।

- जो स्त्रियां स्तनपान कराती हैं उनके ऊपर Agnitundi Vati का क्या असर होगा?

  कोई शोध नहीं किया गया है, इसके चलते पूर्ण जानकारी मौजूद नहीं है। दवा को लेते समय डॉक्टर की राय लेना जरूरी।

- पेट के लिए Agnitundi Vati हानिकारक नहीं है।

- बच्चों में Agnitundi Vati के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है।

- Agnitundi Vati के सेवन के बाद चक्कर आना या झपकी आना जैसी दिक्कतें नहीं होती हैं। इसलिए आप वाहन चला सकते हैं या मशीनरी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

- Agnitundi Vati का उपयोग करने से आदत तो नहीं लग जाती है?

  Agnitundi Vati लेने से कोई लत नहीं पड़ती। फिर भी, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह पर ही Agnitundi Vati का इस्तेमाल करें।

- क्या Agnitundi Vati को शहद के साथ ले सकते है? 

हां, शहद के साथ अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati का उपयोग करना सुरक्षित है।

- क्या Agnitundi Vati को गुनगुना पानी के साथ ले सकते है? 

- गुनगुने पानी के साथ  

अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati लेना बिल्कुल सुरक्षित माना जाता है।


धन्यवाद!





 

शनिवार, 4 जून 2022

घुटने के दर्द की छुट्टी करेंगे ये 10 कारगर उपाय.in hindi.

 

धुटने के दर्द की छुट्टी करेंगे ये 10 कारगर उपाय



#जोड दर्द के घरेलू उपाय।

Dr.Virender Madhan.

 #घरेलू उपाय:

1. बराबर मात्रा में नीम और अरंडी के तेल को हल्का गर्म करके सुबह-शाम जोड़ों पर मालिश करें।

2.  दालचीनी, जीरा, अदरक और हल्दी का उपयोग ज्यादा से ज्यादा भोजन में करें। गर्म तासीर वाले इन पदार्थो के सेवन से घुटनों की सूजन और दर्द कम होता है।

3. सौंठ ,हल्दी, और मेथी दाना,  बराबर मात्रा में मिला कर  कढ़ाई में भून कर पीस लें। रोजाना एक चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ सुबह-शाम भोजन करने के बाद  लें।

4. रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच मेथी के दानों में एक ग्राम कलौंजी मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लें। दोपहर और रात में खाना खाने के बाद आधा-आधा चम्मच लेने से जोड़ मजबूत होंगे और  दर्द मे आराम मिलेगा।

5. सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली दही के साथ खाएं।

6. हल्दी चूर्ण, गुड़, मेथी दाना पाउडर और पानी सामान मात्रा में मिलाएं। थोड़ा गर्म करके इनका लेप रात को घुटनों पर लगाएं और  हल्की पट्टी बांधकर लेटें।

7. अलसी के दानों के साथ दो अखरोट की गिरी सेवन करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

8. कपड़े को गर्म पानी में भिगोकर बनाए पैड से सिंकाई करने से घुटने के दर्द में आराम मिलता है।

9. मालिश के लिए आप इन चीजों से भी तेल बना सकते हैं। 50 ग्राम लहसुन, 25 ग्राम अजवायन और10 ग्राम लौंग 200 ग्राम सरसों के तेल में पका कर जला दें। ठंडा होने पर कांच की बोतल में छान कर रख लें। इस तेल से घुटनों या जोड़ों की मालिश करें।

10. 90 दिन तक ,कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए गेहूँ के दाने के आकार का चूना दही या दूध में घोलकर दिन में एक बार खाएं। 

Artho- G Capsule अपने चिकित्सक की सलाह से प्रयोग करें।

अन्य उपाय

मेथी दाने (Fennel Seed) दर्द से राहत पाने के लिए मेथी दाने (Fennel Seed) को रात मे भिगोकर सवेरे खायें और उसका पानी भी पीलें।

रात मे हल्दी वाला दूध(Turmeric Milk)पीयें।

अदरक (Ginger) का प्रयोग करें।

एलोवेरा (Aloe Vera) जूस पी सकते है।

Neumos oil लगायें।



अपने चिकित्सक से सलाह जरुर करें।

धन्यवाद!



शुक्रवार, 3 जून 2022

#जीवन शैली कैसी होनी चाहिए? In hindi

 #जीवन शैली कैसी होनी चाहिए? In hindi.



#स्वस्थ जीवनशैली:-

आयुर्वेद मे जीवन को स्वस्थ एवं सुख पूर्वक व्यतीत करने की विधि विधान का वर्णन है ।

जिस प्रकार सडक पर चलने के नियम होते है उनका पालन कर सुरक्षित रहते है । अधिकतर दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहते है ।

आयुर्वेद मे दिनचर्या, रात्रिचर्या, ऋतुचर्या आदि भागों मे बांट कर जीवनशैली के नियमों का निर्देश दिया है ।

#Lifestyle|जीवनशैली का वर्णन---

#दिनचर्या

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- ब्रह्ममुहूर्त मे उठे

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#ब्रह्ममुहूर्त:-

 रात्रि के अन्तिम दो घडी को ब्रह्ममुहूर्त कहते है यानि सूर्योदय से डेढ घण्टे पहले का समय ब्रह्मा का समय है क्योंकि उस समय के स्वामी ब्रह्मा होते है ऐसा माना जाता है। इस समय उठ कर जो व्यक्ति जल पीता है, ध्यान -पूजा आदि करता है वह सुख और आरोग्यता को प्राप्त कर लेता है

सरल भाषा में-

सुब‍ह के 4 बजे से लेकर 5:30 बजे तक का जो समय होता है उसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

-  प्रातः काल में दिनचर्या का पालन करने से आप की दिन की शुरुआत आनंदमय होती है। आपकी सुबह ताज़गीमय हो जाती है।

 ध्यान करने से मानसिक कर्मो में सुधार होता है। यह सत्वगुण बढ़ाने में सहायक है।

-  फिर परमात्मा का या जिसे शक्ति को आप मानते है उसका नाम,जप, मन्त्र करें।

> सफाई | 

व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता एवं स्‍वास्‍थ्‍य के लिए शुद्व जल शुद्व वायु, संतुलित आहार के साथ-साथ शारीरिक स्‍वच्‍छता पर नियमित रूप से ध्‍यान देना अति आवश्‍यक है। शरीर की बाहरी स्‍वच्‍छता में त्‍वचा, बाल, नाखुन, मुंह, मसूढे, दांत, जीभ, ऑंख, कान, नाक आदि की नियमित सफाई पर विशेष ध्‍यान देना जरूरी है।

ठंडे पानी से कुल्ला कर ले। ठंडे पानी से या मौसमानुसार जल से हाथ, चेहरा, मुंह और आँखों को धो ले। नाक, दांत और जीभ को साफ कर ले। 

प्राणायाम,ध्यान और व्यायाम करें :--

 – प्राणायाम तब तक करे जब तक दोनों नासिकाओं से श्वास बराबरी से प्रवाहित होना शुरू हो जाये। अपनी ऊर्जा को हृदय के चक्र या तीसरी आँख की ओर केंद्रित करके ध्यान करे। 

--छोटी और धीमी गति से सुबह की ताज़ी हवा में चले। अपने आप को सरल और सुखदायक दृश्यों में अनुभव करें ।

व्यायाम या शारीरक कसरत में सामान्यता कुछ योग मुद्रायें होती है जैसे

-  सूर्यनमस्कार और श्वास प्रक्रियायें जैसे नाड़ीशोधन प्राणायाम।  इसमें सैर करना और तैरना भी सम्मलित हो सकता है।

-  सुबह के व्यायाम से शरीर और मन की अकर्मण्यता समाप्त होती है, 

- पाचन अग्नि मजबूत होती है, वसा में कमी आती है। आपके शरीर में अच्छे प्राण की वृद्धि हो जाने से आपको हल्केपन और आनंद की अनुभूति होती है। 

व्यायाम अर्धबल तक करना चाहिए यानि जब हल्का सा पसीना आने लगे व्यायाम धीरे धीरे बन्द कर दे।

-- मालिस| 

अपने शरीर की तिल के तेल या सरसौ तैल से मालिश करे (अभ्यंग)। खोपड़ी, कनपटी, हाथ और पैर की २-३ मिनिट की मालिश पर्याप्त है। 

- स्नान:-

-- ठीक से स्नान करे |  

ऐसे पानी से स्नान करे जो न तो ज्यादा गर्म या ठंडा हो। 

#दोपहर के समय की चर्या| 

दोपहर का भोजन १२ से १ बजे के बीच करना चाहिये क्योंकि यह समय उस उच्च समय से मेल खाता जो पाचन के लिये जिम्मेदार है। आयुर्वेद पूरे दिन में दोपहर के भोजन को सबसे भारी पुष्ट  करने का निर्देश करता है। 

भोजन के उपरांत थोड़े देर चलना अच्छा होता है जिससे भोजन के पाचन में सहायता मिलती है। 

--  दोपहर की नींद को टालना चाहिये क्योंकि आयुर्वेद में दिन में सोना प्रतिबंधित है। 

-- संध्या का समय | 

दिन और रात के संतुलन के लिये यह विशेष समय है। यह समय शाम की प्रार्थना और ध्यान के लिये होता है। 


रात्रि चर्या

- रात्रि का भोजन | Dinner

रात का भोजन शाम को ६-७ बजे करना चाहिये। यह दोपहर के भोजन से हल्का होना

चाहिये। रात्रि का भोजन सोने से करीब तीन घंटे पहले लेना चाहिये जिससे भोजन के पाचन के लिये पर्याप्त समय मिल सके। रात्रि के भोजन के तुरंत बाद भारी पेट से साथ सोना नही चाहिये। भोजन के बाद १०-१५ मिनिट चलने से पाचन में सहायता मिलती है। 

- सोने का समय | Bedtime

रात्रि १० बजे तक सो जाने का सबसे आदर्श समय है। तंत्र को शांत करने के लिये, सोने से पहले पैर के तलवे की मालिश की जा सकती है।

*अच्छी नींद के लिए-

- सोने और जागने का समय निर्धारित करें .

- माहौल ऐसा बनाये जिसमे आपको आसानी से नींद आ जाये .

- आरामदायक बिस्तर पर सोएँ .

- नियमित व्यायाम करे .

कैफीन वाली चीजों को कम लें .

- जरूरत से ज्यादा खाना न खायें .

धन्यवाद!




 

Eyesight||दृष्टि कैसे तेज करें?In Hindi.

 Eyesight||दृष्टि कैसे तेज करें?In Hindi.



#आंखों की दृष्टि कैसे तेज करें?In Hindi.

Dr.VirenderMadhan

#नजर कमजोर होने के क्या लक्षण है?

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*आंखों या सिर में भारीपन 

*आंखें लाल होना और उनसे पानी आना।

*आंखों में खुजली होना,

* रंगों का साफ दिखाई न देना।

* धुंधला दिखाई देना।

* Dry or watery eyes आंखों की खुश्की या आंखों से पानी बहते रहना।

*लगातार सिरदर्द की शिकायत रहना और आंखों में थकावट होना।

#आंखों की दृष्टि कमजोर होने के कारण?

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 दैनिक चर्या की छोटी-छोटी गलतियों से हमारी आंखें खराब हो सकती हैं. आंखों को सही रखने के लिए हमें इन गलतियों को करने से बचना चाहिए.

* आंखों की सफाई न करना:  

* बाइक ड्राइव के दौरान सनग्‍लास ना लगाना: 

* आंखों को आराम नहीं देना: 

* आई ग्‍लास ना लगाना: 

* आंखों को मसलना: 

* कॉन्‍टैक्‍ट लेंस लगाकर सोना और दूसरे का चश्‍मा या सनग्‍लास यूज करना: 

* लेपटॉप और मोबाइल पर अधिक काम करते रहना।

* तेज रोशनी,तेज हवाओं के

कारण।

* कम लाईट मे पढाई करना।

* चिंता करना,रोते रहने के कारण ।


* आंखों की रोशनी कम होने का कारण कुछ खास पोषक तत्वों जैसे- जिंक, कॉपर, विटामिन सी, विटामिन ई और बीटा कैरोटीन का शरीर में कम होना होता है।

* मधुमेह, रक्तचाप बृद्धि जैसे रोग से भी आंखों की नजर कमजोर हो जाती है।

#आंखों की ज्योति बढाने के घरेलू उपाय.?

* कमजोर आंखों की रोशनी हो रही है तो आजमाएं ये 9 घरेलू उपाय .

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* आंवला का प्रयोग करें।

* भीगे हुए बादाम का सेवन करें

* किशमिश और अंजीर का सेवन करें

* बादाम, सौंफ और मिश्री का मिश्रण

*मछली

 आंखों की रोशनी तेज करने के लिए तैलीय मछलियों का सेवन फायदेमंद होता है। इन्हें खाने से ओमेगा-3 मिलता है। इसका सबसे अच्छा स्त्रोत टूना, सैल्मन, ट्राउट, सार्डिन और छोटी समुद्री मछलियां हैं।

नट्स

काजू, बादाम और अखरोट जैसे नट्स में भी ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं। नट्स में उच्च स्तर का विटामिन ई भी होता है, जो आंखों को नुकसान से बचाता है।

बीज

नट और फलियों की तरह कुछ खास बीज भी ओमेगा -3 से भरपूर होते हैं। ये विटामिन ई का भी समृद्ध स्रोत होते हैं। ऐसे में कमजोर नजर वालों को चिया सीड, फ्लैक्स सीड खाने चाहिए।

खट्टे फल

आप अपने मेन्यू में नींबू और संतरे जैसे फलों को शामिल करें।

हरी पत्तेदार सब्जियां

 इनमें विटामिन सी भी पाया जाता है। इसलिए पालक, पत्तागोभी, बथुआ आदि सब्जियों के सेवन से आंखों की रौशनी बढ़ती है।


#कमजोर दृष्टि की आयुर्वेदिक चिकित्सा?

» आंखों के लिए त्रिफला:-

> त्रिफला घृत:-

आंखों की कमजोरी, आंखों में मैल आना, नजर कमजोर हो तो त्रिफला घृत खाने से ठीक हो जाता है

> त्रिफला कषाय (त्रिफला के पानी) से आंखों को धोने से नेत्ररोगों मे आराम मिलता है।

> सत्यानाशी की जड को नींबू के रस धीसकर आंखों में आंजने से फूला,जाला ,धुंधलापन दूर होता है।

> सौफ को गाजर के रस मे भिगोकर रख दे सुखने पर 6-6 ग्राम खाने से आराम मिलता है।

> सौफ,खाण्ड मिलाकर खाने से भी आराम मिलता है।

> शतावरी के चूर्ण को 3 महिने तक खाने से दृष्टि बढ जाती है।

> गोरखमुंडी का अर्क 25-30 ग्राम रोज पीने से नेत्रज्योति बढती है।

> अश्वगंधा, आंवला और मुलहठी सम मात्रा मे मिलाकर 5-6ग्राम रोज खाने से नेत्रज्योति बढ जाती है।

धन्यवाद!

गुरुवार, 2 जून 2022

कब्ज(Constipation) है तो जान ले क्या क्या हो सकता है? I'm hindi.

 कब्ज(Constipation) है तो जान ले क्या क्या हो सकता है? In hindi.

Dr.VirenderMadhan.

</>कब्ज|मलावरोध|Constipation, किसे कहते हैं in hindi



कब्ज तब बनती है जब पाचन तंत्र खराब हो जाता है. पाचन में गड़बड़ की वजह से व्यक्ति जो भी खाना खाता है, उसे वह पचा नहीं पाता है. 

आयुर्वेद ने इसे वात दोष का असंतुलन बताया है. वात दोष में असंतुलन की वजह से आंतों में विषाक्त पदार्थ (अमा) और मल (पुरिष) जमने लगता है.

कुछ मामलों में कफ और पित्त दोष के कारण भी कब्ज की शिकायत हो सकती है

कब्ज होने पर मल (विष्ठा) सख्त हो जाता है, मल विसर्जन में मुश्किल होती है या पाचन तंत्र में से बहुत धीरे से निकलता है। यह मल विसर्जन को नियमित रूप से कम कर सकता है

#कब्ज होने के लक्षण क्या होते है?

कब्ज में लक्षण दिखाई देते हैं जैसे- पेट दर्द, सिर में जलन, प्यास लगना और बहती नाक शामिल है. 

बेहोशी, पेशाब और मल ना आना, एडिमा, तेज दर्द की शिकायत हो सकती है. आयुर्वेदिक इलाज के पहले यह जांच की जाती है कि कब्ज की समस्या किस वजह से है.

#कब्ज होने के क्या क्या कारण होते है?

इसके कई प्रमुख कारण हो सकते हैं जैसे- शरीर में पानी की कमी होना, शारीरिक मेहनत का अभाव, फाइबर युक्त आहार की कमी,  जैसे फल, सब्जियां और अनाज

आपकी दिनचर्या या जीवन शैली में बदलाव, जैसे आपके खाने की आदतों में बदलाव

शौच जाने की जरूरत को अनदेखा करना

कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव

पर्याप्त तरल पदार्थ न लेना

चिंता या अवसाद

बच्चों में पौष्टिक आहार की कमी.

#कब्ज का इलाज (Treatment of constipation)

 प्राथमिक उपचार के रूप में आहार और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जाती है।

- इसमें फाइबर के अपने दैनिक सेवन को धीरे-धीरे बढ़ाना शामिल है, सुनिश्चित करें कि आप बहुत सारे तरल पदार्थ ले रहे हों, और अधिक व्यायाम करने की कोशिश करें।

#कब्ज के घरेलू इलाज के लिए  घरेलू उपाय ( Home Remedies to Cure Constipation in Hindi)

- रोज 2 चम्मच गुड़ गर्म दूध के साथ लें।

- दूध में सूखे अंजीर को उबाल कर खाएं, और दूध को पी लें।

- रात में सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ लें।

- सुबह उठकर नींबू के रस में काला नमक मिलाकर सेवन करें।

#तुरंत पेट साफ करना है तो प्रयोग करें

- अंजीर का करें सेवन अंजीर कब्ज की समस्या को दूर करने में लाभकारी है। 

- सेब का सिरका सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। ... 

- सौंफ और जीरा पाउडर सौंफ और जीरा पाउडर सेवन करने से कब्ज नही रहती है. 

-मुलेठी का करें सेवन' इससे मलावरोध दूर होता है।

- पानी का सेवन खुब करें।

#आयुर्वेद में कब्ज की चिकित्सा.

वात असंतुलन है तो हल्की मालिश की जाती है. यदि पित्त की वजह से कब्ज हुआ है तो ऐसे मालिश की जाती है.

- स्वेदन में पसीना निकालने की प्रक्रियाओं को अपनाते हैं जिसमें सिकाई, गर्म भाप देना या पूरी शरीर पर औषधीय गर्म तेल को डालना शामिल है.

यह पंचकर्म के अन्तर्गत आता है.

#कब्ज की आयूर्वेदिक औषधियां:-

गुरु सरलचूर्ण, पंचसकार चूर्ण, त्रिफला रस,

कब्ज के लिए आयुर्वेदिक औषधियों में दशमूल क्वाथ, त्रिफला, वैश्वनार चूर्ण, हिंगु त्रिगुणा तेल, अभयारिष्ट और इच्छाभेदी रस शामिल हैं. व्यक्ति की प्रकृति और वजहों के आधार पर चिकित्सा पद्धति चुनी जाती है. 

#कब्ज होने पर क्या खायें?

- फल एवं सब्जियां: हरी सब्जियां, पपीता, लौकी, तरोई, परवल, करेला, कददू, गाजर, मूली, खीरा, गोभी, हरे पत्तेदार सब्जियां, अत्याधिक पानी पिएं. - रेशेदार (फाइबर युक्त) फल खाएं. - खाने के साथ एक चम्मच घी का सेवन करें.

[उचित औषधि और रोग के निदान के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.]

जटिलताएँ (Complications)

- लंबे समय से कब्ज वाले लोगों में ये विकसित होते हैं.

- बवासीर (haemorrhoids (piles))

 - फ़ीकल इम्पैक्शन (जहां सूखा, कठोर मल मलाशय में इकट्ठा होता है)

- आंत्र पर नियंत्रण कम होना 

धन्यवाद!