Guru Ayurveda

मंगलवार, 1 अगस्त 2023

हरसिंगार

 हरसिंगार :



 हर बीमारी में असरदार, जानें 10 लाभ


नारंगी डंडी वाले सफेद खूबसूरत और महकते हरसिंगार के फूलों को आपने जरूर देखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी हरसिंगार की पत्तियों से बनी चाय पी है? या फि‍र इसके फूल, बीज या छाल का प्रयोग स्वास्थ्य एवं सौंदर्य उपचार के लिए क्या है?  आप नहीं जानते तो, जरूर जान लीजिए इसके चमत्कारी औषधीय गुणों के बारे में। इसे जानने के बाद आप हैरान हो जाएंगे...

हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्त‍ियां, छाल एवं बीज भी बेहद उपयोगी हैं। इसकी चाय, न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है बल्कि सेहत के गुणों से भी भरपूर है। इस चाय को आप अलग-अलग तरीकों से बना सकते हैं और सेहत व सौंदर्य के कई फायदे पा सकते हैं। जानिए विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इसके लाभ और चाय बनाने का तरीका - 


वि‍धि 1 : हरसिंगार की चाय बनाने के लिए इसकी दो पत्तियां और एक फूल के साथ तुलसी की कुछ पत्त‍ियां लीजिए और इन्हें 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह अच्छी तरह से उबल जाए तो इसे छानकर गुनबुना या ठंडा करके पी लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए शहद या मिश्री भी डाल सकते हैं। यह खांसी में फायदेमंद है। 


 

वि‍धि 2 : हरसिंगार के दो पत्ते और चार फूलों को पांच से 6 कप पानी में उबालकर, 5 कप चाय आसानी से बनाई जा सकती है। इसमें दूध का इस्तेमाल नहीं होता। यह स्फूर्तिदायक होती है।


 

चाय के अलावा भी हरसिंगार के वृक्ष के कई औषधीय लाभ हैं। जानिए कौन-कौन सी बीमारियों में कैसे करें इसका इस्तेमाल - 



1 जोड़ों में दर्द - हरसिंगार के 6 से 7 पत्ते तोड़कर इन्हें पीस लें। पीसने के बाद इस पेस्ट को पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी न हो जाए। अब इसे ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खालीपेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से जोड़ों से संबंधित अन्य समस्याएं भी समाप्त हो जाएगी।


2 खांसी - खांसी हो या सूखी खांसी, हरसिंगार के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से बिल्कुल खत्म की जा सकती है। आप चाहें तो इसे सामान्य चाय में उबालकर पी सकते हैं या फिर पीसकर शहद के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं।



3 बुखार - किसी भी प्रकार के बुखार में हरसिंगार की पत्तियों की चाय पीना बेहद लाभप्रद होता है। डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बूखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है।


 

4 साइटिका - दो कप पानी में हरसिंगार के लगभग 8 से 10 पत्तों को धीमी आंच पर उबालें और आधा रह जाने पर इसे अंच से उतार लें। ठंडा हो जाने पर इसे सुबह शाम खाली पेट पिएं। एक सप्ताह में आप फर्क महसूस करेंगे।



5 बवासीर - हरसिंगार को बवासीर या पाइल्स के लिए बेहद उपयोगी औषधि माना गया है। इसके लिए हरसिंगार के बीज का सेवन या फिर उनका लेप बनाकर संबंधित स्थान पर लगाना फायदेमंद है।


 

6 त्वचा के लिए - हरसिंगार की पत्त‍ियों को पीसकर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। इसके फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।


7 हृदय रोग - हृदय रोगों के लिए हरसिंगार का प्रयोग बेहद लाभकारी है। इस के 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करना हृदय रोग से बचाने में कारगर है।

 

8 दर्द - हाथ-पैरों व मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है।


9 अस्थमा - सांस संबंधी रोगों में हरसिंगार की छाल का चूर्ण बनाकर पान के पत्ते में डालकर खाने से लाभ होता है। इसका प्रयोग सुबह और शाम को किया जा सकता है।

10 प्रतिरोधक क्षमता - हरसिंगार के पत्तों का रस या फिर इसकी चाय बनाकर नियमित रूप से पीने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर हर प्रकार के रोग से लड़ने में सक्षम होता है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन, स्त्री रोगों में भी बेहद फायदेमंद है।

शनिवार, 29 जुलाई 2023

सर्दी जुकाम क्यों होता है?

 सर्दी जुकाम क्यों होता है?

सर्दी जुकाम के कारण

#साधारण सर्दी जुकाम के कारण:-

साधारण सर्दी और जुकाम के कई कारण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

* वायुमंडलीय संक्रमण:– वायुमंडल में विषाणु और बैक्टीरिया हो सकते हैं, जिनसे ये संक्रमण होता है.

* रिलेटेड विकार:– 

सर्दी जुकाम के कई बार विकारों जैसे कि नाक की पट्टी में सूजन या फेफड़ों में इन्फेक्शन से भी हो सकता है.

* मौसम के परिवर्तन:–

 मौसम के बदलने पर भी ये समस्या हो सकती है.

* अलर्जी:–

 धूल, पोल्यूशन, या किसी खास चीज़ से अलर्जी होने पर भी सर्दी जुकाम हो सकता है.

यदि आपको लंबे समय से सर्दी जुकाम हो रहा है, तो एक चिकित्सक से परामर्श करना सुझावित है


** विशेष आहार:–

 अधिक ठंडे या ठंडे आहार का सेवन करने से भी सर्दी जुकाम हो सकता है।

* निमोनिया वायरस:–

 कई बार सर्दी जुकाम का कारण निमोनिया वायरस के संक्रमण से भी हो सकता है।

* धूल और धुआं:–

 धूल और धुआं में मौजूद तत्व सर्दी और जुकाम को बढ़ा सकते हैं।

* धूप या ठंडी हवा:–

 बहुत अधिक धूप में या ठंडी हवा में रहने से भी सर्दी जुकाम हो सकता है।

* विशेष रोगों का संक्रमण:–

 कई बार विशेष रोगों जैसे कि स्वाइन फ्लू या कोरोना वायरस से भी सर्दी जुकाम की समस्या हो सकती है।


यदि सर्दी और जुकाम की समस्या बहुत अधिक हो रही है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह बेहतर होगा कि आप एक चिकित्सक की सलाह लें और उचित जांच कराएं। साथ ही, योग और सही आहार के साथ अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण होता है।

सर्दी और जुकाम का उपाय,

#सर्दी और जुकाम का घरेलू उपाय

सर्दी और जुकाम का घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं। याद रखें कि ये उपाय सामान्य सर्दी और जुकाम के लिए हैं और यदि समस्या गंभीर है या लंबे समय से चल रही है, तो चिकित्सक की सलाह लेना उचित होगा।

* गरम पानी से भाप लें:–

 गरम पानी में एक चम्मच विकसित हल्दी मिलाकर भाप लेना सर्दी जुकाम के लिए लाभकारी हो सकता है।

* गरम दूध में हल्दी और शहद:–

 रात को सोने से पहले गरम दूध में एक चुटकुली हल्दी और शहद मिलाकर पिएं।

* अदरक और शहद:–

 अदरक के छोटे टुकड़ों को शहद में डुबोकर चुसने से गले की सूजन और खराश कम होती है।

* नमक के गरारे:–

 गरम पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर गरारे करना गले की समस्या में राहत पहुंचाता है।

*गर्म तेल का मालिश:–

 सर्दी जुकाम के समय गर्म तेल का छोटा मालिश सीने, पीठ, गर्दन और पांवों पर करना राहत प्रदान कर सकता है।

* हरी चाय और शहद:–

 हरी चाय में शहद मिलाकर पीने से गले की सूजन कम हो सकती है।


ध्यान दें कि ये घरेलू उपाय वैद्यकीय उपचार की जगह नहीं ले सकते हैं, और यदि समस्या बिगड़ रही है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो चिकित्सक की सलाह लेना उचित होगा।

सर्दी जुकाम के समय में सही आहार खाना आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने और शीघ्रता से स्वस्थ होने में मदद कर सकता है। निम्नलिखित खाद्य पदार्थ सर्दी जुकाम के दौरान आपके लिए उपयुक्त हो सकते हैं'

#सर्दी जुकाम है तो क्या खायें?

* गरम पानी और हर्बल चाय:–

 गरम पानी, तुलसी, अदरक और मुलेठी वाली हर्बल चाय पीना गले की सूजन और खराश में लाभकारी हो सकता है।

* सूप:–

  सब्जियों और मसालों से बनी हल्की सूप पीना गरमागरम सर्दी जुकाम में राहत पहुंचाता है।

* नमकीन घी:–

 गरम चावल खाने के साथ नमकीन घी मिलाकर खाना फेफड़ों को शुद्ध करने में मदद कर सकता है।

* अदरक, लहसुन और हल्दी:–

 अदरक, लहसुन और हल्दी का उपयोग खाने में और दाल खिचड़ी में करना भी लाभकारी होता है।

*विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ:–

 अंगूर, संतरा, नींबू, अमरूद, आंवला आदि में मौजूद विटामिन सी सर्दी जुकाम से लड़ने में सहायक होता है।

* गर्म दूध:–

 गरम दूध में शहद मिलाकर पीना सर्दी जुकाम में लाभकारी होता है।

* प्याज़ और लहसुन:–

 सर्दी जुकाम में प्याज़ और लहसुन का उपयोग करना भी फायदेमंद होता है।


साथ ही, पर्याप्त पानी पिएं और आराम करें। बाजार में उपलब्ध सर्दी जुकाम से राहत प्रदान करने वाले दवाइयों का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करें।

#जुकाम मे सावधानी 

    जुकाम एक सामान्य समस्या होती है जो वायुमंडलीय संक्रमण से होती है। इसके लिए कुछ सावधानियां आपको बरतने चाहिए:

*हाथ धोना:–

 अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोते रहें, खासकर खाना खाने से पहले और जुकाम से प्रभावित होने पर।

*चेहरे को छूने से बचें:–

  जुकाम के समय अपने चेहरे, नाक, और मुंह को छूने से बचें, इससे संक्रमण का फैलना कम होगा।

* टिश्यू पेपर या रूमाल का उपयोग करें:–

 जब आप सांस लेते हैं या छींकते हैं, तो टिश्यू पेपर या रूमाल का उपयोग करें और उसे तुरंत फेंक दें।

* घरेलू सामग्री से उपचार:–

 हल्दी, शहद, अदरक, तुलसी, और नींबू जैसी घरेलू सामग्री का उपयोग करके जुकाम से राहत प्राप्त करें।

* हॉट पैक:–

 जुकाम के समय नाक बंदी और सूजन को कम करने के लिए हॉट पैक का उपयोग कर सकते हैं।

* अपने शरीर की देखभाल करें:–

 पर्याप्त आराम लें, पर्याप्त पानी पिएं, और स्वस्थ आहार खाएं जिसमें विटामिन सी शामिल हो।

* संक्रमण का छः फीट दूरी रखें:–

 जब आप किसी संक्रमण से प्रभावित हों तो अन्य लोगों से दूर रहें, खासकर बच्चों और बूढ़ों से।


जुकाम के लिए अपने शरीर का ध्यान रखने से आप इसे कम समय में सही कर सकते हैं और अन्य लोगों को संक्रमण से बचाएं।

धन्यवाद,

गुरुवार, 27 जुलाई 2023

चिरायता के क्या फायदे हैं?

चिरायता के क्या फायदे हैं?


चिरायता एक पौधे का नाम है जिसका वैज्ञानिक नाम "Swertia chirayita" है। इस पौधे के बारे में विज्ञान में विभिन्न अध्ययन हुए हैं और इसके कई फायदे हो सकते हैं। यह आयुर्वेदिक और जड़ी-बूटी चिकित्सा में भी प्रयोग होता है। 

चिरायता में सूखापन, गर्म, कड़वापन और तीखापन का गुण मौजूद होने के कारण इसका उपयोग कफ, पित्त और वात में संतुलनल बनाने के लिए भी किया जाता है। एंटी-ऑक्सीडेंट्स, अल्केलॉइड्स और ग्लायकोसाइड्स जैसे झेंथोन्स, चिराटानिन, पालमिटिक एसिड आदि से भरपूर चिरायता में सर्दी-खांसी से लेकर कैंसर को ठीक करने के गुण होते हैं।

यहां कुछ प्रमुख चिरायता के फायदे बताए गए हैं:

** पाचन तंत्र को सुधारने में मददगार:–

 चिरायता में विशेष रूप से  एन्थेमिक, विषमज्वर और पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने के गुण होते हैं।

**बुखार में चिरायता:–

बुखार में चिरायता के पत्ते बड़ा कारगर तरीके से काम करता है। ये रिंग स्टेज पर मलेरियल पैरासाइट के विकास में बाधा डालते हैं और इसलिए संक्रमण को बढ़ने से रोकते हैं। मलेरिया के अलावा, चिरता विभिन्न प्रकार के बुखार के इलाज में मदद करते हैं। यह शरीर के दर्द, सिरदर्द और बुखार के अन्य अंतर्निहित लक्षणों को भी कम करता है।


** एंटीबैक्टीरियल गुण:–

 चिरायता का इस्तेमाल कुछ इंफेक्शन्स और बैक्टीरिया के कारण होने वाली रोगों के इलाज में किया जा सकता है।

** विष का नाश:–

 इससे किसी भी प्रकार के सर्पविष या कीटाणु से लड़ने में मदद मिलती है।

** दिल के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद:–

 चिरायता में विशेष रूप से कृत्रिम हृदय विकारों को दूर करने में मदद करने वाले गुण होते हैं।

** ज्वर के उपचार में उपयोगी:–

 चिरायता का पानी अधिक मात्रा में पिलाने से ज्वर के इलाज में लाभ हो सकता है।

** पेट के कीड़ों का इलाज:–

  यह पेट में होने वाले कीड़ों को नष्ट करने में मदद कर सकता है।

** त्वचा के लिए उपयोगी:–

एंटीऑक्सीडेंट, रोगाणुरोधी और सूजन-रोधी गुणों से भरपूर, चिरायता रक्त शुद्ध करने की गतिविधि प्रदान करता है । तिक्त (कड़वा) स्वाद और पित्त संतुलन गुण के कारण, यह रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालता है और इसलिए त्वचा रोगों को प्रबंधित करने में मदद करता है।

 चिरायता त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे दाद, खाज, और त्वचा के संक्रमण के इलाज में मदद कर सकता है।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि चिरायता का सेवन सावधानी से करना चाहिए, और विशेषज्ञ के सलाह के बिना इसका उपयोग न करें। खासकर, गर्भावस्था, स्तनपान काल, या किसी अन्य चिकित्सा स्थिति में इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना अच्छा होता है।

** पेट दर्द के उपचार में उपयोगी:–

 चिरायता में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पेट दर्द को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

** रक्तशोधक और पुरिफायर:–

 चिरायता में रक्तशोधक गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण रक्त में आयरन की मात्रा बढ़ती है और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

** आंखों के रोगों का उपचार:–

 चिरायता का नियमित सेवन कुछ आंख संबंधी समस्याओं के इलाज में मदद कर सकता है।

** मसूड़ों के रोगों का उपचार:–

 इसे मुँह के छालों, मसूड़े संबंधी समस्याओं जैसे ज्वर या रक्त दोष से होने वाले रोगों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

**अल्सर के उपचार:–

   चिरायता के प्रयोग से पेट में होने वाले अल्सर के इलाज में सहायक रह सकता है।


कृपया ध्यान दें कि यह जानकारी सिर्फ सामान्य जानकारी है और चिरायता का प्रयोग किसी भी चिकित्सा समस्या के इलाज के लिए खुदसे करने से पहले विशेषज्ञ वैद्यकीय सलाह लेना अनिवार्य है। आयुर्वेदिक उपचार और जड़ी-बूटी से संबंधित जानकारी प्राकृतिक तत्वों पर आधारित होती है और इसलिए समझदारी से उपयोग करना चाहिए।

बुधवार, 26 जुलाई 2023

अधिक खट्टे भोजन खाने से कौन सी बीमारी होती है?

 अधिक खट्टे भोजन खाने से कौन सी बीमारी होती है?

अम्ल रस:-



#Dr.Virender Madhan.

अम्ल रस (खट्टा) पृथ्वी और अग्नि महाभूत से बने होते है.

इस रस के प्रयोग से पित्त और कफ बढता है

अधिक खट्टे भोजन का सेवन करने से कई बीमारियां हो सकती हैं। कुछ मुख्य बीमारियां निम्नलिखित हैं:

* अपच:–

 खट्टा भोजन खाने से अपच (डाइजेस्टिव अपनाह) हो सकता है। खाना अच्छे से पच नहीं पाता है, जिससे पेट में गैस, बुखार, असहनीय पेट दर्द और आंतों की समस्याएं हो सकती हैं।


* गैस्ट्राइटिस:–

 अधिक खट्टे भोजन का सेवन गैस्ट्राइटिस (पेट की अंतःशोथ) का कारण बन सकता है, जिससे पेट में जलन, तकलीफ और वायु का बढ़ना हो सकता है।

*अलसर:–

 खट्टा खाने से पेट में अलसर होने की संभावना होती है, जिससे पेट में दर्द, भारीपन, उलटी, और पेट के निचले हिस्से में जलन हो सकती है।


* दांतों की सड़ना:–

 अधिक खट्टा खाने से दांतों की सड़ने की समस्या हो सकती है, क्योंकि खट्टे भोजन से दांतों की मिनरल लेयर घट सकती है।

* रेफ्लक्स बीमारी:–

 अधिक खट्टे भोजन के कारण रेफ्लक्स बीमारी (गले में जलन) हो सकती है, जिसमें खाने का पचन पेट से वापस जल्दी हो जाता है और इससे गले में जलन और तकलीफ होती है।

**अधिक खट्टे भोजन का सेवन बीमारियों के बढ़ने का कारण बन सकता है, इसलिए सेहत के लिए यह उचित नहीं है। संतुलित आहार में अन्य भोजन भी शामिल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे आपके शरीर को सभी पोषक तत्व मिलते हैं। यदि आपको किसी विशेष बीमारी के लक्षण या समस्या हो तो चिकित्सक से परामर्श करना सुझावित है।


* ओबेसिटी:–

 अधिक खट्टे भोजन के सेवन से शरीर के वजन का बढ़ना और ओबे

सिटी (मोटापा) का खतरा हो सकता है। खट्टा भोजन अधिक कैलोरी का होता है और इससे भूख बढ़ सकती है, जिससे आप ज्यादा खाने लग सकते हैं।

* दिल संबंधी समस्याएं:–

 खट्टे भोजन के अधिक सेवन से दिल संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि उच्च रक्तचाप, दिल की बढ़ी हुई धड़कन, और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में बढ़ोतरी।

* अधिक मुख्यता आहार:–

 खट्टे भोजन के अधिक सेवन से अन्य मुख्यता आहारों की कमी हो सकती है, जिससे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते हैं। इससे विटामिन और मिनरल की कमी होने से विभिन्न पोषण संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।

* डेंटल प्रॉब्लम्स:–

 खट्टे भोजन के सेवन से दांतों में कैविटी, दांतों के कीड़े, और मसूड़ों की समस्याएं हो सकती हैं। खट्टे खाने से दांतों का मिनरल लेयर कमजोर होता है और यह आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है।


* इन सभी बीमारियों से बचने के लिए, सेहतपूर्वक और संतुलित आहार का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खट्टे भोजन के सेवन को मध्यम रूप से रखना अच्छा विकल्प होता है और सभी पोषक तत्वों से भरपूर आहार खाना जरूरी है। सेहत की दृष्टि से आपको विभिन्न खाद्य पदार्थों को संतुलित रूप से शामिल करना चाहिए, जिससे आपके शरीर को सभी पोषक तत्व मिलें और आपकी सेहत अच्छी रहे।


यदि आपको खट्टे भोजन से संबंधित या किसी अन्य स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या का सामना हो रहा है, तो चिकित्सक से परामर्श करना सराहा जाता है। वे आपको सही उपाय और सलाह प्रदान कर सकते हैं।


#किडनी रोगी को टमाटर खाने से क्या होता है?

**किडनी रोगी को टमाटर का सेवन करने से पहले उन्हें अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि टमाटर में कुछ तत्व होते हैं जो किडनी समस्या वाले व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकते हैं। यहां कुछ बातें हैं जो आपको जानने में मदद कर सकती हैं:

* पोटैशियम:–

 टमाटर अच्छे मात्रा में पोटैशियम युक्त होते हैं, जो किडनी रोगियों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। किडनी समस्या वाले व्यक्ति को पोटैशियम के संबंधित संख्यान वाले आहार का सेवन कम करने के लिए चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।

* टमाटर की ओर से नुकसान:–

 टमाटर में ऑक्सैलिक एसिड होता है, जो किडनी में कई रूप में रूपांतरित हो सकता है और अवसाद का कारण बन सकता है। इससे पहले अधिक टमाटर के सेवन से बचना उचित होता है।

*बढ़ती हुई गर्मी:–

 टमाटर एक गर्म तथा तीखे स्वाद वाला फल होता है, जिसमें लाल रंग और एसिडिक तत्व होते हैं। किडनी समस्या वाले व्यक्ति को बढ़ती हुई गर्मी से बचने के लिए अधिक टमाटर का सेवन कम करना उचित हो सकता है।


फिर भी, यह सुझाव किया जाता है कि आप किसी प्रमाणित वैद्यकीय विशेषज्ञ से संपर्क करें और उनसे अपने विशिष्ट स्थिति के अनुसार टमाटर और अन्य आहार से संबंधित सलाह लें। उन्हें आपकी मेडिकल हिस्ट्री, प्रकृति और स्थिति के आधार पर आपको सही दिशा में मार्गदर्शन करने में मदद मिलेगी।

धन्यवाद!

मंगलवार, 18 जुलाई 2023

पुदीने से करें रामबाण उपाय.

 पुदीने से करें रामबाण उपाय.



पुदीने के 8 चमत्कारी गुण.

Dr.VirenderMadhan.

#पुदीना क्या है?

पुदीना, मेंथा वंश से संबंधित एक बारहमासी, खुशबूदार जड़ी है। इसकी विभिन्न प्रजातियां यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाइ जाती हैं, साथ ही इसकी कई संकर किस्में भी उपलब्ध हैं।

#पुदीनेके नाम:-

पुदीने को मेंथा एवरैसिस, मेन्था-स्पाइकेटा, स्पियर मिंट के वानस्पतिक नाम से जाना जाता है।

संघटन:-

*पुदीने में मेंथोल, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, रिबोफ्लेविन, कॉपर, आयरन आदि पाये जाते हैं।

#पुदीना का आयुर्वेदानुसार उपयोग क्या है?

आयुर्वेद के अनुसार, पुदीना  कफ और वात दोष को कम करता है, भूख बढ़ाता है। आप पुदीना का प्रयोग मल-मूत्र संबंधित बीमारियां और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी कर सकते हैं। यह दस्त, पेचिश, बुखार, पेट के रोग, लीवर आदि विकार को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।

#पुदीना के अन्य लाभ:-

 - पुदीना की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मियों में पुदीने की चटनी,जलजीरा, शरबत के रुप मे इसका सेवन करते है।

 इसका प्रयोग औषधि के रूप में ही नहीं, बल्कि भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। पेटदर्द, एसिडिटी, बदहजमी जैसी समस्याओं का चुटकी में इलाज करती है। 

* पुदीना पाचन शक्ति सुधारता है।

- पुदीना में फाइटोन्यूट्रिएन्ट्स और एंटीऑक्सिडेंट होते है, जो भोजन को आसानी से पचाने में मदद करते हैं। इस पौधे में मेन्थॉल होता है, जो डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में बाइल सॉल्ट और एसिड के निष्कासन  करता है। 

- पुदीना के सेवन से गैस की समस्या दूर होती है। मेन्थॉल मांसपेशियों की क्रिया सुचारू रूप से करने में सहायता करता है, जिससे बदहजमी के लक्षण दूर होते हैं। 

*पुदीना त्वचा के लिए फायदेमंद है ।

- पुदीने से तैयार फेस पैक लगाने से झुर्रियां और बारीक लकीरें नहीं होती हैं। पुदीना में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, 

- जिन लोगों को मुंहासे अधिक होते हैं, वो पुदीने की पत्तियों से तैयार लेप चेहरे पर लगाएं। इस लेप में गुलाब जल, बेसन भी मिला सकते है। इस फेस पैक को 15 मिनट तक चेहरे पर लगाए रखें। फिर पानी से धो लें। 

* मुंह की दुर्गंध दूर करे पुदीना।

अगर मुंह से अधिक बदूब आती है, वो पुदीने की पत्तियों का सेवन (Peppermint Benefits) करें। पुदीने की पत्तियों को पानी में उबाल लें। इसे ठंडा करके इससे कुल्ला करने से बदबू चली जाएगी।

*पुदीना हीटस्टोक (लू) से बचाए.

 घर से बाहर जाना हो तो पुदीने का रस पिएं या इससे तैयार शरबत पीकर ही घर से निकलें। 

*हैजा के लक्षणों को कम करता है।

* हैजा (cholera) कई बार दूषित भोजन और पानी पीने से होता है। हैजा होने पर आप घरेलू उपायों में पुदीने का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुदीने की पत्तियों का रस, प्याज का रस, नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से फायदा होगा।

#पुदिना को कैसे खायें?

 पुदीने का रस गन्ने या फिर निम्बू पानी में मिलाकर पी सकते हैं. 

-पुदीने की ताजी पत्तियों से तैयार हरी चटनी खाएं।

 इसमें हरी मिर्च, आंवला, लहसुन, धनिया पत्ती डालकर मिक्सी में पीस लें। पुदीने की चटनी भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ ही पेट को शीतलता भी प्रदान करेगी।

- पुदीने का काढ़ा भी पी सकते हैं। 

- पुदीने को सलाद, दही या किसी भी भोज्य पदार्थों में मिला कर प्रयोग कर सकते हैं।

- पुदीने के पत्तों को पीस लें। इसे एक गिलास पानी में नींबू, नमक डालकर पीने से डिहाइड्रेशन नहीं होगा।

-पुदिने का आयुर्वेदिक दवाओं मे प्रयोग किया जाता है।

-पुदिनहरा भी एक आयुर्वेदिक पुदिने से बनी औषधि है।


लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर लिखें।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

सोमवार, 17 जुलाई 2023

चीनी की जगह क्या 5 चीजें खाये?

 चीनी के विकल्प: 5 चीजें

#चीनी की जगह क्या 5 चीजें खाये?

चीनी की जगह, आप निम्नलिखित 5 विकल्पों को विचार कर सकते हैं:–


#शहद (Honey):–

 शहद एक प्राकृतिक मिठाई है जिसे दुनियाभर में उच्च मानकों पर उत्पन्न किया जाता है। इसे भोजन और पेय के लिए उपयोग किया जा सकता है। शहद बहुत सारे स्वास्थ्य लाभों के साथ आता है और विभिन्न व्यंजनों को मीठा करने के लिए भी उपयोग होता है।

#जगरी (Jaggery):–

 जगरी एक एकदिवसीय गन्ना शर्करा है जो उत्तर भारतीय खाद्य पदार्थों में प्रयोग होती है। यह गन्ने के रस को इकट्ठा करके बनाई जाती है और आमतौर पर गुड़ या गुड़ कहलाती है। जगरी मिठाई के रूप में या ताड़ी पत्ते से निकली चिकनी सफेद गोंद से बनाई जाती है और विभिन्न व्यंजनों में उपयोग होती है।

#मिश्री (Rock Sugar):–

  मिश्री एक प्राकृतिक चीनी है जिसे शक्कर के दाने के रूप में जाना जाता है। यह एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है और विभिन्न पकवानों में मीठाई या मसालेदार स्वाद देने के लिए उपयोग होती है।

#स्टीविया (Stevia):–

   स्टीविया एक प्राकृतिक मिठास्वादित पौधा है जिसकी पत्तियों से मिठास्वादित पदार्थों को मीठा किया जाता है। यह एक पौष्टिक विकल्प हो सकता है जो शक्कर की जगह प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स शून्य होता है और कैलोरी में कम होता है।

#बेलगियन या डार्क चॉकलेट (Belgian or Dark Chocolate):–

   बेलगियन या डार्क चॉकलेट माध्यमिक या अधिक ककाओ परत से बनाई जाती है और चीनी की जगह इस्तेमाल की जा सकती है। इसमें अनुशासित मात्रा में मिठास होती है और कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जानी जाती है, जैसे कि मनोभाव, एंटीऑक्सिडेंट्स, और मानसिक स्वास्थ्य की सुधार।

     *आप अपनी पसंद और प्राथमिकताओं के आधार पर चुन सकते हैं। यह सिर्फ पांच विकल्प हैं और इससे अधिक चीजें भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा, आप अन्य विकल्पों को भी विचार कर सकते हैं, जैसे कि फल, सौंफ, काजू, खरबूजा आदि। आपकी व्यक्तिगत पसंद के अनुसार, चीनी की जगह इन विकल्पों में से किसी एक का चयन कर सकते हैं।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

गुरुवार, 13 जुलाई 2023

बरसात में कौन कौन से रोग होते हैं?

 बरसात में कौन कौन से रोग होते हैं?

#बरसात में होने वाले रोग,

#Dr.VirenderMadhan

[बरसात में होने वाले रोगों के नाम]

बरसात के मौसम में कुछ रोग हो सकते हैं, जो आमतौर पर वायुमंडलीय और जलवायु बदलावों के कारण होते हैं। यहां कुछ ऐसे रोगों के नाम हैं जो बरसाती मौसम में आमतौर पर देखे जाते हैं:



* जुकाम और सर्दी (Common Cold):–

 बरसाती मौसम में आपके शरीर का तापमान घट सकता है, जिसके कारण जुकाम और सर्दी की समस्या हो सकती है। यह वायरल संक्रमण के कारण होता है और छींकने, नाक बहना, गले में खराश आदि के लक्षण हो सकते हैं।



* मलेरिया (Malaria):–

 बरसात के मौसम में मच्छरों की संख्या बढ़ सकती है, जो मलेरिया जैसे रोग के प्रसार में मदद कर सकती है। मलेरिया मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फैलाने वाले मच्छरों के काटने से होता है और इसके लक्षण में बुखार, शरीर में दर्द, ठंड आदि शामिल हो सकते हैं।

* डेंगू बुखार (Dengue Fever):–

 बरसाती मौसम में डेंगू बुखार के मामले बढ़ सकते हैं, क्योंकि इसके प्रसार में मच्छरों की संख्या बढ़ती है। यह वायरस एडेस मच्छर के काटने से फैलता है और इसके लक्षण में बुखार, सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, सूजन, लाल दाग आदि शामिल हो सकते हैं।

* लीप्टोस्पिरोसिस (Leptospirosis):–

 यह बरसाती मौसम में जल-संपर्क से होने वाला रोग है। जब बाढ़ आने पर भूमि और पानी में लीप्टोस्पिरा बक्टीरिया मौजूद होते हैं और जब यह संपर्क मनुष्य के द्वारा होता है, तो यह रोग हो सकता है। इसके लक्षण में बुखार, मुँह की सूजन, मुंह के चारों ओर दाने, मुँह का सूखापन, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द आदि शामिल हो सकते हैं।



* जलवायुतन्त्रजनित अस्थमा (Seasonal Asthma):–


 बारिश के मौसम में आपके आस-पास पर्यावरण में पोल्यूशन और वायुमंडलीय परिवर्तन हो सकते हैं, जो अस्थमा के लिए त्रिगर कारक बन सकते हैं। अस्थमा के मरीजों को बारिशी मौसम में श्वास लेने में परेशानी हो सकती है और वे सांस लेने में कठिनाई, छाती की टनपन, सांस लेने में घुटन और घुटन जैसे लक्षणों का सामना करना पडता है.

* फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infections):–

   बरसाती मौसम में नमी और गीले माहौल के कारण फंगल इन्फेक्शन हो सकते हैं। तालाबों, पौधों और मिट्टी की जगहों पर फंगल संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। यह त्वचा, नाखूनों, बालों और त्वचा के नीचे के क्षेत्रों में खुजली, दाने, दर्द और लालिमा के रूप में प्रकट हो सकते हैं।


* टाइफाइड (Typhoid):–

      बरसात के मौसम में पानी और खाद्य में आलस्य और संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है, जिससे टाइफाइड के मामले बढ़ सकते हैं। टाइफाइड बैक्टीरिया साल्मनेला टाइफी पानी और खाद्य से फैलता है और इसके लक्षण में बुखार, पेट दर्द, उल्टी, दस्त, कमजोरी आदि शामिल हो सकते हैं।


* स्किन इंफेक्शन (Skin Infections):–

    बरसाती मौसम में गीले और नम वातावरण में त्वचा संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है। फंगल इन्फेक्शन के अलावा, बरसात के मौसम में चर्म रोगों जैसे दाद, खुजली, पेटेकिए, सेबोरिक डर्मेटाइटिस आदि की समस्या हो सकती है।

* ज्यूनियो आयरिटिस (Juvenile Arthritis):–

      यह ज्यूनियो आयरिटिस कहलाता है और यह बच्चों और युवाओं में होता है। इसके लक्षण में जोड़ों में दर्द, स्वेलिंग, स्टिफनेस और गतिशीलता की कमी शामिल हो सकती है। बरसाती मौसम में वातावरणिक परिवर्तन के कारण यह समस्या बढ़ सकती है।

–  इनमें से कुछ रोगों को बचने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे कि स्वच्छता का ध्यान रखना, पानी का प्रयोग सतर्कता से करना, स्वस्थ आहार लेना, हाथ धोना और हाथों को सुखाना, त्वचा की सुरक्षा के लिए सुन्दरीकरण का ध्यान रखना, और विशेषतः मच्छरों से बचने के लिए मच्छर नेट, मॉस्किटो रिपेलेंट आदि का प्रयोग करना।


हालांकि, यदि आपको लगता है कि आप या कोई आपके आस-पास किसी रोग से पीड़ित हो रहा है, तो आपको स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लेना चाहिए और उनसे उचित इलाज के बारे में सलाह मांगनी चाहिए। बारिश के मौसम में होने वाले और बारिश से जुड़े अन्य कुछ रोगों के नाम हैं:–


* वायरल फ़ीवर (Viral Fever):–

 बरसाती मौसम में वायरल फ़ीवर के मामले बढ़ सकते हैं। इसमें बुखार, शरीर में दर्द, मांसपेशियों का दर्द, ठंड, थकान आदि के लक्षण हो सकते हैं।

* चिकनगुनिया (Chikungunya):–  

           चिकनगुनिया भी मच्छरों के काटने से फैलने वाला वायरल रोग है और इसके लक्षण में बुखार, जोड़ों का दर्द, सूजन, थकान आदि हो सकते हैं। बरसात के मौसम में इसके मामले अधिक हो सकते हैं।

* टायफाइड (Typhus):–

    यह भी एक वायरल संक्रमण है जो जल-संपर्क से होता है। त्यफाइड के लक्षण में बुखार, मांसपेशियों का दर्द, माथे में दर्द, बुखार की स्तिथि में सुधार होने के बाद भी दर्दी आदि हो सकते हैं।


* हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A):–

    यह जीवाणु संक्रमण खाद्य और पानी से फैलता है। इसके लक्षण में बुखार, उल्टी, पेट का दर्द, पीलिया (त्वचा और आंखों का पीलापन) आदि हो सकते हैं।

* जलसंक्रमण (Waterborne Infections):–

   बरसाती मौसम में पानी की संभावित आलस्य के कारण जलसंक्रमण हो सकते हैं, जैसे कि कॉलेरा, डायरिया, अंबेडियाज, जैवरिया, गार्डिया आदि। इनमें से हर एक का अपना लक्षण और उपचार होता है।


यदि आप या कोई आपके आस-पास किसी रोग से पीड़ित हो रहा है, तो आपको स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करके उचित चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए। आपको अपने पर्यावरण में स्वच्छता और हाइजीन का ध्यान रखना चाहिए, स्वस्थ आहार लेना चाहिए और जरूरत पड़ने पर वैक्सीनेशन करवाना चाहिए।

    इसके अतिरिक्त, बरसाती मौसम में होने वाले कुछ अन्य सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जिनके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:


* पाचन संबंधी समस्याएं:–      

      बरसाती मौसम में भोजन में कीटाणु, फंगस या बैक्टीरिया के अवशेषों की मौजूदगी के कारण पाचन प्रणाली संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसमें पेट में गैस, अपच, दस्त, पेट दर्द आदि शामिल हो सकते हैं।

* जल और भूमि संक्रमण:–

     बारिश के दौरान जल और भूमि पर संक्रमणों का खतरा बढ़ सकता है। यह संक्रमण स्किन इंफेक्शन, जीवाणु संक्रमण और खाद्य संक्रमण के रूप में प्रकट हो सकते हैं।

* गले की समस्याएं:–

   बारिश के समय गले में समस्याएं जैसे कि गले में खराश, गले में दर्द, टॉंसिलाइटिस, और सूखी खांसी हो सकती हैं।

* प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी:–

     बारिशी मौसम में कई लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे वे संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

इन स्वास्थ्य समस्याओं का पता चलते ही आपको चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करना चाहिए और व्यापक जांच और उचित उपचार के लिए सलाह लेनी चाहिए। आपको अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने के लिए अवश्यक सावधानियों का पालन करना चाहिए।


यह ध्यान देने योग्य है कि रोगों के लक्षण और उपचार व्यक्ति के आयु, स्वास्थ्य स्थिति और अन्य अनुभवों पर निर्भर कर सकते हैं। इसलिए, यदि आपको किसी रोग के लक्षण या संकेत महसूस हो रहे हैं, तो आपको अपने स्थानीय चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करने और विशेषज्ञ सलाह प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,