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मंगलवार, 25 जनवरी 2022

#Epilepsy अपस्मार[ मिर्गी ]का आयुर्वेद मेही ईलाज.in hindi.

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#Treatment of epilepsy in ayurveda.

 #अपस्मार (मिर्गी)क्या है?

#Dr_Virender_Madhan.



#अपस्मार के क्या क्या नाम है?

- अपस्मार या मिर्गी (वैकल्पिक वर्तनी, मिरगी, अंग्रेजी मे (Epilepsy)कहते है।

अपस्मार का अर्थ है- 

अप+स्मार।

अप = नष्ट, स्मार=स्मृति, यानि स्मृति का नष्ट होना।

मृगी ऐसा रोग है जिसमे स्मृति का ह्रास होता है और रोगी ज्ञान हीन हो जाता है।

- यह एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है।

सुश्रुत के अनुसार:-

चिंता, शोक, क्रोध, मोह , लोभ आदि से वात, पित्त और कफ कुपित हो जाता है फिर हृदय और मनोवह संस्थान मे जाकर स्मृति का नाश करके अपस्मार (मिर्गी ) रोग उत्पन्न कर देते हैं।

चरकानुसार:-

जिसका चित रजोगुण और तमोगुण से घिरा रहता है।जिसके दोष(वात,पित्त, कफ) विकृत होते है।

जो भोजन के नियमों और शास्त्रो के नियम विरुद्ध कार्य करता है।जिसका शरीर कमजोर हो जाता है उसके कुपित दोष और रजोगुण-तमोगुण के अत्यधिक वशीभूत होकर अन्तरात्मा व हृदय मे डेरा डाल लेते है। काम,क्रोध आदि के वशीभूत होकर वही दोष उत्तेजित होकर स्मृति को नष्ट कर देता है इस अवस्था को मृगी कह देते है।यह चार प्रकार के होते हैं।

वातज, पित्तज, कफज, त्रिदोषज,

#अपस्मार उत्पन्न के क्या कारण हो सकते है?

अधिकांश अपस्मार के कारण अज्ञात है।परंतु कुछ कारण इस प्रकार होता है।

- स्त्रियों में मासिकधर्म सम्बंधित विकार के कारण

-अधिक वीर्य नाश।

- बच्चों में दांतों का निकलना।

- आंत्र मे कृमि तथा पेट मे आंव होना।

- अचानक डर जाना।

- चोट लगना।

- अत्यधिक शारिरिक व मानसिक परिश्रम करना।

-अधिक शराब पीना।

- मानसिक सदमा लगना।

- चिंता करते रहना।

- विटामिन बी 6 की कमी।

- अत्यधिक टी.वी. देखना।

- मैनिनजाईटिस, क्षयरोग, तीव्र ज्वर होना 

-मस्तिष्क मे संक्रमण के कारण से अपस्मार रोग हो जाते है।

#अपस्मार (मृगी )के लक्षण क्या क्या होते है?

-मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है।

- दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। रोगी प्राय:चीख मार कर जमीन पर गिर जाता है।

- इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि 

 - बेहोश होना

- झटके लगना

- बॉड़ी लड़खड़ाना

- मुंह से झाग आना और डेढा मेढा हो जाना।

-  गिर पड़ना,

- हाथ-पांव में झटके आना

-मल मूत्र निकल जाना

- जीभ का कट जाना 

- आंखों की पुतली का घुम जाना।

-हाथों की मुठ्ठी भिंच जाना 

- मुंह से आओओओ गोगो जैसी आवाज निकलना आदि मृगी के लक्षण होते है।

#Epilepsy मृगी की चिकित्सा सूत्र व निर्देश:-

[क्या करें क्या न करें?]

*रोग के कारणों को दूर करें।

*रोगी को तनाव और मनोविकार से बचने की सलाह दें।

*यदि रोगी को आन्त्रकृमि हो तो उपचार करें।

 *मिर्गी के मामूली दौरे आयु बढने के साथ साथ रोग ठीक हो जाता है।युवावस्था के बाद होनेवाला अपस्मार बिना चिकित्सा के ठीक नहीं होता है।

*रोगी की मस्तिष्क दुर्बलता दूर करने के लिए पौष्टिक आहार का प्रयोग करना लाभप्रद होता है।

*खाने के लिए लाल व सांठी चावल,गेहूं, बथुआ, मीठेअनार,आंवला ,पेठा ,फालसा , परवल, ,संहजन ,पुराना घी , दुध  आदि का प्रयोग करें।

*रोगी को शराब ,मछली ,पत्तों वाला शाक,अरहर ,उडद ,गरिष्ठ भोजन नही करना चाहिए।तीखें , गरम ,और विरूद्ध आहार नही करना चाहिए।

*नारियल का पानी, ब्राह्मी का प्रयोग इस रोग में बहुत लाभकारी होता है।

* दौरे के समय मुख पर पानी के छिटे मारने चाहिए।रोगी के हाथ पैर पर हल्के गर्म सेक करने चाहिए।

#आयुर्वेदिक औषधियों।

*ब्रेनिका सीरप (गुरू फार्मास्युटिकल)

*पुष्टि कैपसूल (गुरु फार्मास्युटिकल)

शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियां:-

*शंख पुष्पादि घृत(ग०नि०)

*कुष्माण्डघृत व कुष्माण्ड योग(यो०र०)

*सारस्वत चूर्ण -1मासा दिन मे तीन चार बार लें।

*ब्राह्मी धृत १० ग्राम दिन में2 बार।

*वृहतवातचिन्ता मणी रस १-१ गोली दिन में २ बार ले।

अश्वगंधारिष्ट ३-३चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में २बार भोजन के बाद लें।

अन्य उपयोगी शास्त्रीय औषधियों

वातकुलान्तक रस

सर्वांग सुंदर रस 

अष्टमूर्ति रसायन

त्रिफला घृत

शतावरी चूर्ण

शंख पुष्पी चूर्ण 

पंचगव्यघृत

महाचैतसघृत

बिल्वादि तैल(कान मे डालने के लिए)

#अनुभूत आयुर्वेदिक योग प्रयोग।

* हिंग 10ग्राम.

वच 20ग्राम.

सौठ 40 ग्राम.

सेन्धव नमक 80 ग्राम

वायविडंग100ग्राम.

इन सब का महीन चूर्ण कर के 3-5ग्राम सवेरे शाम प्रयोग करने से मिर्गी मे लाभ मिलता है।

*कूठ व बच का चूर्ण करके 1-3 ग्राम सेवन रोज करने से स्थाई लाभ मिलता है।

**लहसुन10ग्राम

काले तिल30ग्राम मिलाकर

सवेरे खाने से मिर्गी मे लाभ मिलता है।

*शुद्ध हिंग, सौंठ, काली मिर्च, इन्द्रायन , जो भी उपलब्ध हो पानी मे मिलाकर नाक मे1-2 बूंद डालने से मिर्गी के दौरे के समय दौरा आना बन्द हो जाता है।

*शुद्ध हिंग को गघी के दूध में घोलकर नाक मे2-3 बूंद रोज एक महीना डालने से मिर्गी के दौरे आने बन्द हा जाते है।

*हिंग 1-5 ग्राम लेकर मुध मे मिलाकर सवेरे शाम चाटने से मिर्गी मे आराम मिलता है।

Dr_Virender_Madhan


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