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रविवार, 23 जनवरी 2022

#रतौंधी का आयुर्वेद में ईलाज सम्भव in hindi.


 #रतौंधी_रोग क्या है ?

#Dr_Virender_Madhan.

रतौंधी, आंखों की एक बीमारी है। इस रोग के रोगी को दिन में तो अच्छी तरह दिखाई देता है, लेकिन रात के वक्त वह नजदीक की चीजें भी ठीक से नहीं देख पाता। 

आँखों का कॉर्निया(कनीनिका) सूख-सा जाता है और आई बॉल (नेत्र गोलक) धुँधला व मटमैला-सा दिखाई देता है।

- इस रोग के रोगी को दिन में तो अच्छी तरह दिखाई देता है, लेकिन रात के वक्त वह नजदीक की चीजें भी ठीक से नहीं देख पाता। 

- जांच से उपतारा (आधरिस) महीन छिद्रों से युक्त दिखता है तथा कॉर्निया के पीछे तिकोनी सी आकृति नजर आती है। आँखों से सफेद रंग का स्त्राव होता है।

#रतौंधी के लक्षण - Symptoms of Night Blindness In Hindi?


रतौंधी का एकमात्र लक्षण है, अंधेरे में देखने में कठिनाई होना। रतौंधी होने पर सूरज ढलने के बाद रोगी को दूर की वस्‍तुएं धुंधली दिखने लगती है। कई बार दिन में भी देखने में समस्‍या होने लगती है। एक समय के बाद आंखों के किनारों वाले हिस्‍सों से दिखना बंद हो जाता है।


* जब यह रोग पुराना होने लगता है, तो आँखों के बाल कड़े होने लगते हैं। आँखों की पलकों पर छोटी-छोटी फुन्सियाँ व सूजन दिखाई पड़ती हैं। इसके साथ ही दर्द भी महसूस होने लगता है। ज्यादा लापरवाही करने पर आँख की पुतली अपारदर्शी हो जाती है और कभी कभी क्षतिग्रस्त भी हो जाती है।


* रतौंधी की इस स्थिति के शिकार ज्दायातर छोटे बच्चे होते हैं। अक्सर ऐसी स्थिति के दौरान रोगी अन्धेपन का शिकार हो जाता है। यह इलाज की जटिल अवस्था होती है और एसी स्थिति में औषधियों से इलाज भी बेअसर साबित होता है।

#रतौंधी रोग के कारण?


विटामिन ए की कमी से रतौंधी रोग होता है।

यदि आपको लगता है कि आपके शरीर में विटामिन-ए की कमी है तो हरी सब्जियां व फल आदि खाकर इसकी पूर्ति की जा सकती है, क्योंकि फलों, सब्जी तथा अन्य खाद्य पदार्थो में विटामिन-ए पाया जाता है। विटामिन-ए की कमी से आंखों में रतौंधी (रात में दिखाई देने में मुश्किल), आंख के सफेद हिस्से में धब्बे तथा कॉर्निया सूखना शुरू हो जाता है।

#रतौंधी के कारण - Causes of Night Blindness In Hindi?

कुछ आंखों की स्थितियां रतौंधी का कारण बन सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

- दूर की वस्तुओं को देखते समय निकट दृष्टिदोष, या

 - धुंधली दृष्टि

- मोतियाबिंद या आंख के लेंस का धुंधला हो जाना

- रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा (Retinitis pigmentosa), यह तब होता है जब आपके रेटिना में डार्क पिगमेंट जमा हो जाते हैं और टनल विजन (Tunnel vision) बनाता है।

- अशर सिंड्रोम (Usher syndrome), यह एक आनुवंशिक स्थिति है जो सुनने की क्षमता और दृष्टि दोनों को प्रभावित करती है।

#रतौंधी को रोकने के लिए क्याकरे क्या न करें?

क्या खांए?

*प्रतिदिन काली मिर्च का चूर्ण घी या मक्खन के साथ मिसरी मिलाकर सेवन करने से रतौंधी नष्ट होती है।

*प्रतिदिन टमाटर खाने व रस पीने से रतौंधी का निवारण होता है।

*आंवले और मिसरी को बारबर मात्रा में कूट-पीसकर 5 ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करें।

हरे पत्ते वाले साग पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई आदि की सब्जी बनाकर सेवन करें।

*अश्वगंध चूर्ण 3 ग्राम, आंवले का रस 10 ग्राम और मुलहठी का चूर्ण 3 ग्राम मिलाकर जल के साथ सेवन करें।

*मीठे पके हुए आम खाने से विटामिन ‘ए’ की कमी पूरी होती है। इससे रतौंधी नष्ट होती है।

*सूर्योदय से पहले किसी पार्क में जाकर नंगे पांव घास पर घूमने से रतौंधी नष्ट होती है।

शुद्ध मधु नेत्रों में लगाने से रतौंधी नष्ट होती है।

*किशोर व नवयुवकों को रतौंधी से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें भोजन में गाजर, मूली, खीरा, पालक, मेथी, बथुआ, पपीता, आम, सेब, हरा धनिया, पोदीना व पत्त * गोभी का सेवन कराना चाहिए।


*क्या न खाएं?

- चाइनीज व फास्ट फूड का सेवन न करें।

- उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थो का सेवन से अधिक हानि पहुंचती है।

- अधिक उष्ण जल से स्नान न करें।

- आइसक्रीम, पेस्ट्री, चॉकलेट नेत्रो को हानि पहुंचाते है।

अधिक समय तक टेलीविजन न देखा करें। 

- रतौंधी के रोगी को धूल-मिट्टी और वाहनों के धुएं से सुरक्षित रहना चाहिए।

- रसोईघर में गैंस के धुएं को निष्कासन करने का पूरा प्रबंध रखना चाहिए।

- खट्टे आम, इमली, अचार का सेवन न करें।

#रतौंधी का आयुर्वेदिक ईलाज?

*आयुर्वेदिक औषधियों से रतौंधी को कंट्रोल करने के काफी अच्छे व उत्साहवर्धक नतीजे देखने को मिलते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं द्वारा इसका सफल इलाज संभव है।


आँखों में लगाने वाली औषधियाँ:-

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* शंखनाभि, विभीतकी, हरड, पीपल, काली मिर्च, कूट, मैनसिल, खुरासानी बच ये सभी औषधियाँ समान मात्रा में लेकर बारीक कूट-पीसकर कपड़छान चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को बकरी के दूध में मिलाकर बत्तियाँ बना लें। दवा इतनी बारीक हो कि बत्तियाँ खुरदरी न होने पाएँ। इन बत्तियों को चकले या चिकने पत्थर पर रोजाना रात को पानी में घिसकर आँखों में लगाने से रतौंधी रोग ठीक हो जाता है।


* चमेली के फूल, नीम की कोंपल (मुलायम पत्ते), दोनों हल्दी और रसौत को गाय के गोबर के रस में बारीक पीस कपड़े से छानकर आँखों में लगाने से रतौंधी रोग दूर हो जाता है।


* रीठे की गुठली को यदि स्त्री के दूध में घिसकर आँखों में लगाएँ तो यह भी रतौंधी में काफी फायदेमंद होता है।


* सौंठ, हरड़ की छाल, कुलत्थ, खोपरा (सूखा नारियल), लाल फिटकरी का फूला, माजूफल नामक औषधियाँ पाँच-पाँच ग्राम लेकर बारीक पीस लें। अब इसमें ढाई-ढाई ग्राम की मात्रा में कपूर, कस्तूरी और अनवेधे मोती को मिलाकर नींबू का रस डालकर पाँच-सात दिन खरल करें। फिर इसकी गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। इस गोली को गाय के मूत्र में घिसकर लगाने से रतौंधी रोग में फायदा होता है। यदि इसे स्त्री के दूध में घिसकर लगाया जाए तो आँख का फूला (सफेद दाग) व पुतली की बीमारियाँ भी दूर हो जाती हैं।


* करंज बीज, कमल केशर, नील कमल, रसौत और गैरिक 5-5 ग्राम लेकर पावडर बना लें। इस पावडर को गो मूत्र में मिलाकर बत्तियां बनाकर रख लें। इसे रोजाना सोते समय पानी में घिसकर आंखों में लगाने से रतौंदी रोग में काफी लाभ होता है।


खाने वाली औषधियाँ:-

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* 50 ग्राम अमलकी, 50 ग्राम मुलैठी, 25 ग्राम बहेड़ा, 12.5 ग्राम हरीतकी, 5 ग्राम पीपल, 5 ग्राम सेंधा नमक और 150 ग्राम शकर लेकर बारीक पावडर बनाकर कपड़छान कर लें। इसमें से 3 से 5 ग्राम की मात्रा लेकर गाय के घी या शहद के साथ लगभग 6 से 8 हफ्ते तक सेवन करें। इसका सेवन आँखों की कई बीमारियों (रतौंधी, फूला, जलन व पानी बहना आदि) में काफी फायदेमंद होता है। जरूरत के मुताबिक इस औषधि को 8 हफ्ते से भी ज्यादा समय तक सेवन किया जा सकता है।


* इसके अलावा कुपोषणजन्य या विटामिन 'ए' की कमी से होने वाले रतौंधी रोग में अश्वगंधारिष्ट, च्यवनप्राश, शतावरीघृत, शतावरी अवलेह, अश्वगंधाघृत व अश्वगंधा अवलेह काफी फायदेमन्द साबित हुए हैं।


लाभकारी पत्ते:-

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* रतौंधी के रोगी को चाहिए कि वह अतिमुक्त, अरंड, शेफाली, निर्र्गुण्डी व शतावरी के पत्तों की सब्जी देसी घी में अच्छी तरह पकाकर खाएँ। अगधिया के पत्ते की सब्जी भी रतौंधी में काफी फायदेमंद होती है।


* बबूल के पत्ते व नीम की जड़ का काढ़ा पीना भी रतौंधी में काफी लाभ पहुंचाता है। यह काढ़ा बना बनाया बाजार में भी मिलता है।


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