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शनिवार, 1 जनवरी 2022

#त्रिफला चूर्ण" के अद्वैत आयुर्वेदिक गुण in hindi.

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 #त्रिफला चूर्ण" के अद्वैत आयुर्वेदिक गुण *

#Dr_Virender_Madhan.

#त्रिफला क्या है ?

त्रिफला अर्थात् तीन फल।

1) आँवला

2) बहेड़ा एवं

3) हरड़

इन तीनों से बनता है त्रिफला चूर्ण ।

● आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में जितने भी रोग होते हैं वो त्रिदोष: वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते हैं।

● ज्यादातर सिर से लेकर छाती के मध्य भाग तक जितने रोग होते हैं वो कफ के बिगड़ने के कारण होते है, और छाती के मध्य से पेट खत्म होने तक जितने रोग होते हैं तो पित्त के बिगड़ने से होते हैं जबकि पेडू से शरीर के दम निचले भाग तक जितने भी रोग होते हैं वो वात (वायु) के बिगड़ने से होते हैं।

● लेकिन कई बार गैस होने से सिरदर्द होता है तब ये वात के बिगड़ने से माना जाएगा।

जैसे जुकाम होना, छींके आना, खाँसी होना।

●● ये कफ बिगड़ने के रोग हैं अतः ऐसे रोगों में आयुर्वेद में तुलसी लेने को कहा जाता है

क्योंकि तुलसी कफ नाशक है,

ऐसे ही पित्त के रोगो के लिए जीरे का पानी लेने को कहा जाता है

● क्योंकि जीरा पित्त नाशक है।

● इसी तरह मेथी को वात नाशक कहा जाता है

●● लेकिन मेथी ज्यादा लेने से वात तो संतुलित हो जाता है पर ये पित्त को बढ़ा देती है।

#त्रिफला के लाभ:-

● आयुर्वेदिक दवाओं में से  ज़्यादातर औषधियाँ वात, पित्त या कफ में से कोई एक को ही नाश करने वाली होती हैं लेकिन त्रिफला ही एक मात्र ऐसी औषधि है जो वात, पित, कफ तीनों को एक साथ संतुलित करती है ।

–त्रिफला का सेवन करने से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है. यदि आप भी उच्च रक्तचाप या मुधमेह के बढ़ते स्तर से परेशान हैं तो तीन से चार ग्राम त्रिफला के चूर्ण का सेवन प्रतिदिन रात को सोते समय दूध के साथ कर लें. राहत मिलेगी. त्रिफला चूर्ण का सबसे पहला यही गुण है कि यह कब्ज से राहत देता है.

● वागभट जी इस त्रिफला की इतनी प्रशंसा करते हैं कि उन्होंने आयुर्वेद में 150 से अधिक सूत्र मात्र (त्रिफला को इसके साथ लेंगे तो ये लाभ होगा त्रिफला को उसके साथ लेंगे तो ये लाभ होगा आदि) त्रिफला पर ही लिखे हैं ।

  - आमतौर पर लोग त्रिफला को कब्ज निवारक के रूप में ही जानते हैं. लेकिन इसके अलावा भी इसका सेवन करने के कई फायदे हैं. यदि आपको किसी भी प्रकार की पेट संबंधी समस्या है तो आपके लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन बहुत ही गुणकारी रहेगा.

 -आयुर्वेद में त्रिफला चूर्ण को शरीर के लिए बहुत ही गुणकारी माना गया है. आमतौर पर लोग त्रिफला को कब्ज निवारक के रूप में ही जानते हैं. लेकिन इसके अलावा भी इसका सेवन करने के कई फायदे हैं. यदि आपको किसी भी प्रकार की पेट संबंधी समस्या है तो आपके लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन बहुत ही गुणकारी रहेगा. पेट के अलावा भी इसे खाने से कई रोगों में राहत मिलती है. 

[चिकित्सकों की यह भी सलाह होती है कि त्रिफला का सेवन बिना चिकित्सीय परामर्श के नहीं करना चाहिए. ]

#त्रिफला_के_अद्भुत_लाभ।


#कमजोरी दूर करें

शारीरिक दुर्बल व्यक्ति के लिए त्रिफला का सेवन रामबाण साबित होता है. इसके सेवन करने वाली व्यक्ति की याद्दाश्त भी अन्य लोगों के मुकाबले तेज होती है. इसका सेवन करने से दुर्बलता कम होती है. दुर्बलता को कम करने के लिए त्रिफला को हरड़, बहेड़ा, आंवला, घी और शक्कर को मिलाकर खाना चाहिए.

#रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

त्रिफला चूर्ण का सेवन मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है. यदि आपके शरीर में दुर्बलता है तो भी त्रिफला चूर्ण का सेवन कर आप अपने शरीर का कायाकल्प कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप इसका कई वर्ष तक नियमित रूप से सेवन करें.

#हाई ब्लड प्रेशर में राहत

त्रिफला का सेवन करने से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है. यदि आप भी उच्च रक्तचाप या मुधमेह के बढ़ते स्तर से परेशान हैं तो तीन से चार ग्राम त्रिफला के चूर्ण का सेवन प्रतिदिन रात को सोते समय दूध के साथ कर लें. राहत मिलेगी.

#कब्ज से राहत

त्रिफला चूर्ण का सबसे पहला यही गुण है कि यह कब्ज से राहत देता है. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, अनियमित खान-पान और तनाव भरे माहौल में ज्यादातर लोग कब्ज व शारीरिक सुस्ती से ग्रस्त रहते हैं. ऐसे लोगों को त्रिफला का सेवन नियमित गुनगुने पानी के साथ करना चाहिए.

#नेत्र रोग से राहत मिले

त्रिफला के चूर्ण को पानी में डालकर आखों को धोने से आखों की परेशानी दूर होती है. मोतियाबिंद, आखों की जलन, आखों का दोष और लंबे समय तक आखों की रोशनी को बढ़ाए रखने के लिए 10 ग्राम गाय के घी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण और पांच ग्राम शहद को मिलाकर सेवन करें.

#चर्म रोग दूर करें

चर्म रोग जैसे दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुन्सी की समस्या में सुबह-शाम 6 से 8 ग्राम त्रिफला चूर्ण खाने से फायदा होता है. एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास ताजा पानी में दो-तीन घंटे के लिए भिगो दें. अब इस पानी की घूंट भरकर मुंह में थोड़ी देर के लिए डाल कर अच्छे से कई बार घुमाये और इसे निकाल दें. इससे मुंह की समस्या में राहत मिलेगी.

#सिर दर्द में गुणकारी

त्रिफला, हल्दी, चिरायता, नीम के अंदर की छाल और गिलोय को मिला कर बनें मिश्रण को आधा किलो पानी में पकाएं. ध्यान रहे इसे 250 ग्राम रहने तक पकाते रहें. अब इसे छानकर कुछ दिन तक सुबह व शाम के समय गुड़ या शक्कर के साथ सेवन करने से सिर दर्द कि समस्या दूर होती है.

#मोटापे से राहत

यदि आप भी मोटापे की समस्या से ग्रस्त हैं तो त्रिफला का सेवन आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा. मोटापा कम करने के लिए त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर लें. इसके अलावा त्रिफला चूर्ण को पानी में अच्छे से उबालकर, शहद मिलाकर पीने से शरीर की चर्बी कम होती है.

#त्रिफला चूर्ण कैसे लेना चाहिए?

-त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लें इससे कब्ज दूर होती है। इसके सेवन से नेत्रज्योति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है। सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण साफ़ मिट्टी के बर्तन में भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी लें। शाम को उसी त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें, इसे सुबह पी लें।


#त्रिफला चूर्ण कब और कैसे खाना चाहिए?

-भोजन से आधा घंटा पहले या आधा घंटा बाद में लें। लाभ: ऋतुओं के अनुसार सालभर लेने से शारीरिक कमजोरी दूर होने के साथ त्वचा संबंधी परेशानियां भी दूर होती हैं। पेट से जुड़े रोग जैसे कब्ज, अपच और दर्द में आराम मिलता है।

त्रिफला का सेवन करने से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है. यदि आप भी उच्च रक्तचाप या मुधमेह के बढ़ते स्तर से परेशान हैं तो तीन से चार ग्राम त्रिफला के चूर्ण का सेवन प्रतिदिन रात को सोते समय दूध के साथ कर लें. राहत मिलेगी. त्रिफला चूर्ण का सबसे पहला यही गुण है कि यह कब्ज से राहत देता है.

● रात को त्रिफला चूर्ण लेंगे तो वो रेचक है अर्थात पेट की सफाई करने वाला, बड़ी आँत की सफाई करने वाला।

● शरीर के सभी अंगो की सफाई करने वाला।

● कब्जियत दूर करने वाला 30-40 साल पुरानी कब्जियत को भी दूर कर देता है।

● प्रातःकाल त्रिफला लेने को पोषक कहा गया, सुबह का त्रिफला पोषक का काम करेगा.!

#त्रिफला की मात्रा :-

रात को कब्ज दूर करने के लिए त्रिफला ले रहे है तो एक टी-स्पून अथवा आधा बड़ा चम्मच, गर्म पानी के साथ लें और ऊपर से गर्म दूध पी लें।

सुबह त्रिफला का सेवन करना है तो शहद या गुड़ के साथ लें।

● तीन महीने त्रिफला लेने के बाद 20 से 25 दिन छोड़ दें फिर दुबारा सेवन शुरू कर सकते हैं।

● इस प्रकार त्रिफला चूर्ण मानव शारीर के बहुत से रोगों का उपचार कर सकता है।


** इसके अतिरिक्त अगर आप आयुर्वेद के अन्य नियमों का भी पालन करते हैं तो त्रिफला और अधिक शीघ्र लाभ पहूँचाता है।

● जैसे मैदे से बने उत्पाद बर्गर, नूडल, पीजा आदि ना खाएँ, ये कब्ज के मुख्य कारण हैं।

● रिफाईन तेल एवं वनस्पति घी कभी ना खाएँ।

● यथा संभव घाणी से पिरोया हुआ सरसों, नारियल, मूँगफली, तिल आदि तेलों का ही सेवन करें।

● शक्कर का सेवन न करें व नमक के स्थान पर सैंधा नमक का उपयोग करें।


#त्रिफला चूर्ण नुकसान त्रिफला के बहुत अधिक सेवन से आपको कुछ पेट संबंधित समस्याएं (Triphala Khane ke Nuksan) भी हो सकती हैं। पेट में सूजन, दबाव भी महसूस हो सकता है। हालांकि, इसका इस्तेमाल कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए किया जाता है, लेकिन इस चूर्ण का सेवन अत्यधिक करते हैं डायरिया, आंव, पेचिश आदि की समस्या भी हो सकती है।

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