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मंगलवार, 28 जनवरी 2025

अश्वगंधा के फायदे और उपयोग in hindi


 अश्वगंधा के फायदे और उपयोग in hindi

डा०वीरेंद्र

[अश्वगंधा ]

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अश्वगंधा (Withania somnifera) एक प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसे इसके औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसे आमतौर पर मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके कुछ देशी उपयोग इस प्रकार हैं:


1. तनाव और अनिद्रा में

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अश्वगंधा मानसिक शांति प्रदान करने में सहायक है।

उपयोग:–

अश्वगंधा पाउडर को दूध के साथ रात में लेने से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है।

1/2 चम्मच अश्वगंधा पाउडर को शहद के साथ लेने से लाभ होता है।

2. शारीरिक शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने में–

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अश्वगंधा कमजोरी दूर कर शरीर को ताकतवर बनाती है।

उपयोग:–

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रोज सुबह एक गिलास गर्म दूध में 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिलाकर पीने से शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।

इसे घी और मिश्री के साथ मिलाकर लेने से मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है।

3. इम्यूनिटी बढ़ाने में–

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अश्वगंधा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है।

उपयोग:–

अश्वगंधा का काढ़ा (पानी में उबालकर) बनाकर पीने से इम्यूनिटी मजबूत होती है।

इसे हल्दी और शहद के साथ लेने से सर्दी-खांसी में लाभ होता है।

4. जोड़ों के दर्द और सूजन में–

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अश्वगंधा गठिया और सूजन को कम करने में मदद करती है।

उपयोग:


अश्वगंधा पाउडर को गुनगुने पानी या दूध के साथ नियमित रूप से लेने से दर्द में राहत मिलती है।

इसके तेल से जोड़ों की मालिश करने से सूजन कम होती है।

5. मधुमेह में

अश्वगंधा ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होती है।

उपयोग:


सुबह खाली पेट एक चुटकी अश्वगंधा पाउडर गुनगुने पानी के साथ लेने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।

6. यौन शक्ति बढ़ाने में

अश्वगंधा को कामशक्ति बढ़ाने और प्रजनन स्वास्थ्य सुधारने के लिए उपयोग किया जाता है।

उपयोग:


दूध में अश्वगंधा पाउडर और शहद मिलाकर लेने से यौन स्वास्थ्य बेहतर होता है।

7. बालों और त्वचा के लिए

अश्वगंधा बालों की ग्रोथ बढ़ाने और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।

उपयोग:


अश्वगंधा पाउडर को पानी या नारियल तेल में मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से बाल मजबूत होते हैं।

इसे पीने से त्वचा पर ग्लो आता है।

नोट:

अश्वगंधा का सेवन किसी चिकित्सक की सलाह लेकर करें, खासकर यदि आप गर्भवती हैं, दवाइयां ले रहे हैं, या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।


इन के अंगों का अलग अलग उपयोग


अश्वगंधा के विभिन्न अंगों (जड़, पत्ते, फल, बीज और तना) का अलग-अलग औषधीय उपयोग होता है। इनका उपयोग आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में विशेष रूप से किया जाता है। नीचे इनके अंगों के उपयोग दिए गए हैं:


1. जड़ (Roots)

अश्वगंधा की जड़ को सबसे अधिक औषधीय उपयोग के लिए जाना जाता है।


उपयोग:

तनाव और अनिद्रा: जड़ का पाउडर दूध के साथ लेने से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है।

शारीरिक शक्ति: यह मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में सहायक है।

संधियों के दर्द: जड़ का काढ़ा गठिया और सूजन में राहत देता है।

इम्यूनिटी: इसका सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।

2. पत्ते (Leaves)

अश्वगंधा के पत्ते भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।


उपयोग:

डिटॉक्सिफिकेशन: पत्तों का रस या काढ़ा शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में सहायक है।

त्वचा रोग: पत्तों का लेप त्वचा की खुजली, फोड़े-फुंसी और अन्य संक्रमण में लाभकारी होता है।

कीड़े के काटने पर: पत्तों का पेस्ट घाव या कीड़े के काटने पर लगाया जाता है।

बुखार: पत्तों का काढ़ा बुखार कम करने में मदद करता है।

3. फल (Fruits)

अश्वगंधा के फल छोटे और लाल रंग के होते हैं।


उपयोग:

पाचन शक्ति: फलों का सेवन पेट की समस्याओं जैसे अपच और कब्ज में फायदेमंद होता है।

एंटीऑक्सिडेंट: फल एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से बचाते हैं।

यौन स्वास्थ्य: फलों का उपयोग प्रजनन क्षमता और यौन स्वास्थ्य सुधारने के लिए किया जाता है।

4. बीज (Seeds)

अश्वगंधा के बीजों में औषधीय गुण होते हैं, जिनका उपयोग विशेष उपचारों में किया जाता है।


उपयोग:

कृमिनाशक: बीजों का उपयोग पेट के कीड़ों को मारने के लिए किया जाता है।

नेत्र रोग: बीजों को पीसकर और पानी में मिलाकर आंखों की बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।

फर्टिलिटी: बीज प्रजनन क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं।

5. तना और शाखाएं (Stems and Branches)

अश्वगंधा का तना और शाखाएं भी उपयोगी होते हैं, हालांकि इनका उपयोग कम होता है।


उपयोग–

दांत और मसूडे: 

तने का उपयोग दांत साफ करने और मसूड़ों की बीमारियों के इलाज में किया जाता है।

औषधीय काढ़ा:

 तने का काढ़ा पाचन और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।

विशेष नोट:

अश्वगंधा के हर अंग का सेवन उचित मात्रा में करना चाहिए।

गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, और गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को इसके सेवन से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

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