Health and fitness यह ब्लॉग आयुर्वेदिक ज्ञान , औषधियों और जडी-बूटी की पूरी जानकारी के बारे में है ।
Guru Ayurveda
रविवार, 31 अगस्त 2025
अश्वगंधा के फायदे | Ashwagandha Benefits in Ayurveda
अश्वगंधा के फायदे | Ashwagandha Benefits in Ayurveda अश्वगंधा (Withania Somnifera) आयुर्वेद की एक प्रसिद्ध और शक्तिशाली जड़ी-बूटी है, जिसे इंडियन जिनसेंग भी कहा जाता है। इसके सेवन से शरीर को बल, ऊर्जा, और मानसिक शांति मिलती है। आयुर्वेद में इसे रसायन वर्ग की औषधि माना गया है, जो शरीर को पुनर्जीवित करने का कार्य करती है।
अश्वगंधा के मुख्य फायदे
1. तनाव और चिंता कम करे
अश्वगंधा प्राकृतिक एडेप्टोजेन है, जो शरीर को तनाव से लड़ने की क्षमता देता है। यह कॉर्टिसोल हार्मोन को संतुलित करता है और मन को शांत करता है।
2. नींद में सुधार
अनिद्रा और बेचैनी से परेशान लोगों को अश्वगंधा की जड़ का पाउडर दूध के साथ लेने से गहरी और सुकूनभरी नींद आती है।
3. रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
अश्वगंधा का नियमित सेवन शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करता है और संक्रमण से बचाता है।
4. शारीरिक शक्ति और सहनशक्ति बढ़ाए
कमज़ोरी, थकान और मांसपेशियों की कमजोरी में यह अमृत समान है। खिलाड़ियों और जिम करने वालों के लिए यह बहुत लाभकारी है।
5. पुरुषों के लिए लाभकारी
अश्वगंधा शुक्राणु संख्या और गुणवत्ता को सुधारती है। यह वीर्य को गाढ़ा और पोषक बनाती है तथा यौन शक्ति बढ़ाती है।
6. हड्डियों और जोड़ों के लिए
वृद्धावस्था में होने वाले गठिया और कमज़ोर हड्डियों में यह ताकत देती है और दर्द कम करती है।
7. हृदय और रक्तचाप के लिए
यह रक्तचाप नियंत्रित करने में मदद करती है और हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है।
अश्वगंधा का सेवन कैसे करें?
• पाउडर (चूर्ण): 3–5 ग्राम दूध या गुनगुने पानी के साथ
• कैप्सूल/टैबलेट: डॉ. की सलाह अनुसार
• अश्वगंधा लेह्य या अवलेह: बल और शक्ति बढ़ाने के लिए
सावधानियाँ
• गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
• अत्यधिक मात्रा में सेवन से पेट ख़राब हो सकता है।
• किसी गंभीर रोग में पहले विशेषज्ञ आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श करें।
निष्कर्ष
अश्वगंधा एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जो शरीर, मन और आत्मा—तीनों को ऊर्जा और शांति प्रदान करती है। यह तनाव को दूर कर, शक्ति बढ़ाती है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है। सही मात्रा और विशेषज्ञ की सलाह से इसका सेवन करना हमेशा लाभकारी है
गुरुवार, 24 अप्रैल 2025
जाने आयुर्वेद के 5 चमत्कारी घरेलू नुस्खे – बिना दवा के राहत
जाने आयुर्वेद के 5 चमत्कारी घरेलू नुस्खे – बिना दवा के राहत
नमस्कार,
मैं Dr. Virender, आपका अपना आयुर्वेदिक मित्र। आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ कुछ ऐसे सरल और प्रभावी घरेलू नुस्खे, जो बरसों से आज़माए जा रहे हैं – बिना किसी साइड इफेक्ट के।
1. पेट की गैस और अपच –
अजवाइन का कमाल
रात को सोते समय एक चुटकी अजवाइन में काला नमक मिलाकर गर्म पानी से लें। गैस, अपच और पेट दर्द से राहत मिलेगी।
2. सर्दी-जुकाम –
तुलसी और अदरक का काढ़ा
तुलसी, अदरक, काली मिर्च और गुड़ का काढ़ा सुबह-शाम लेने से सर्दी और जुकाम में आराम मिलता है।
3. जोड़ों का दर्द –
सरसों तेल और लहसुन
सरसों के तेल में लहसुन पकाकर मालिश करें। पुराने जोड़ों के दर्द में भी लाभदायक है।
4. नींद न आना –
गाय के दूध में जायफल
रात को गर्म दूध में एक चुटकी जायफल मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है।
5. बालों का झड़ना –
आंवला और ब्राह्मी का उपयोग
सप्ताह में दो बार आंवला और ब्राह्मी का तेल लगाने से बाल मजबूत और घने होते हैं।
नोट:
ये सभी उपाय सामान्य स्वास्थ्य के लिए हैं। किसी रोग की गंभीर स्थिति में विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
आपकी सेवा में सदैव,
Dr. Virender
Arogya Amrit – Ayurveda Clinic
मंगलवार, 28 जनवरी 2025
अश्वगंधा के फायदे और उपयोग in hindi
अश्वगंधा के फायदे और उपयोग in hindi
डा०वीरेंद्र
[अश्वगंधा ]
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अश्वगंधा (Withania somnifera) एक प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसे इसके औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसे आमतौर पर मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके कुछ देशी उपयोग इस प्रकार हैं:
1. तनाव और अनिद्रा में
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अश्वगंधा मानसिक शांति प्रदान करने में सहायक है।
उपयोग:–
अश्वगंधा पाउडर को दूध के साथ रात में लेने से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है।
1/2 चम्मच अश्वगंधा पाउडर को शहद के साथ लेने से लाभ होता है।
2. शारीरिक शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने में–
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अश्वगंधा कमजोरी दूर कर शरीर को ताकतवर बनाती है।
उपयोग:–
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रोज सुबह एक गिलास गर्म दूध में 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिलाकर पीने से शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
इसे घी और मिश्री के साथ मिलाकर लेने से मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है।
3. इम्यूनिटी बढ़ाने में–
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अश्वगंधा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है।
उपयोग:–
अश्वगंधा का काढ़ा (पानी में उबालकर) बनाकर पीने से इम्यूनिटी मजबूत होती है।
इसे हल्दी और शहद के साथ लेने से सर्दी-खांसी में लाभ होता है।
4. जोड़ों के दर्द और सूजन में–
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अश्वगंधा गठिया और सूजन को कम करने में मदद करती है।
उपयोग:
अश्वगंधा पाउडर को गुनगुने पानी या दूध के साथ नियमित रूप से लेने से दर्द में राहत मिलती है।
इसके तेल से जोड़ों की मालिश करने से सूजन कम होती है।
5. मधुमेह में
अश्वगंधा ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होती है।
उपयोग:
सुबह खाली पेट एक चुटकी अश्वगंधा पाउडर गुनगुने पानी के साथ लेने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।
6. यौन शक्ति बढ़ाने में
अश्वगंधा को कामशक्ति बढ़ाने और प्रजनन स्वास्थ्य सुधारने के लिए उपयोग किया जाता है।
उपयोग:
दूध में अश्वगंधा पाउडर और शहद मिलाकर लेने से यौन स्वास्थ्य बेहतर होता है।
7. बालों और त्वचा के लिए
अश्वगंधा बालों की ग्रोथ बढ़ाने और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।
उपयोग:
अश्वगंधा पाउडर को पानी या नारियल तेल में मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से बाल मजबूत होते हैं।
इसे पीने से त्वचा पर ग्लो आता है।
नोट:
अश्वगंधा का सेवन किसी चिकित्सक की सलाह लेकर करें, खासकर यदि आप गर्भवती हैं, दवाइयां ले रहे हैं, या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
इन के अंगों का अलग अलग उपयोग
अश्वगंधा के विभिन्न अंगों (जड़, पत्ते, फल, बीज और तना) का अलग-अलग औषधीय उपयोग होता है। इनका उपयोग आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में विशेष रूप से किया जाता है। नीचे इनके अंगों के उपयोग दिए गए हैं:
1. जड़ (Roots)
अश्वगंधा की जड़ को सबसे अधिक औषधीय उपयोग के लिए जाना जाता है।
उपयोग:
तनाव और अनिद्रा: जड़ का पाउडर दूध के साथ लेने से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है।
शारीरिक शक्ति: यह मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में सहायक है।
संधियों के दर्द: जड़ का काढ़ा गठिया और सूजन में राहत देता है।
इम्यूनिटी: इसका सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
2. पत्ते (Leaves)
अश्वगंधा के पत्ते भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।
उपयोग:
डिटॉक्सिफिकेशन: पत्तों का रस या काढ़ा शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में सहायक है।
त्वचा रोग: पत्तों का लेप त्वचा की खुजली, फोड़े-फुंसी और अन्य संक्रमण में लाभकारी होता है।
कीड़े के काटने पर: पत्तों का पेस्ट घाव या कीड़े के काटने पर लगाया जाता है।
बुखार: पत्तों का काढ़ा बुखार कम करने में मदद करता है।
3. फल (Fruits)
अश्वगंधा के फल छोटे और लाल रंग के होते हैं।
उपयोग:
पाचन शक्ति: फलों का सेवन पेट की समस्याओं जैसे अपच और कब्ज में फायदेमंद होता है।
एंटीऑक्सिडेंट: फल एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से बचाते हैं।
यौन स्वास्थ्य: फलों का उपयोग प्रजनन क्षमता और यौन स्वास्थ्य सुधारने के लिए किया जाता है।
4. बीज (Seeds)
अश्वगंधा के बीजों में औषधीय गुण होते हैं, जिनका उपयोग विशेष उपचारों में किया जाता है।
उपयोग:
कृमिनाशक: बीजों का उपयोग पेट के कीड़ों को मारने के लिए किया जाता है।
नेत्र रोग: बीजों को पीसकर और पानी में मिलाकर आंखों की बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।
फर्टिलिटी: बीज प्रजनन क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं।
5. तना और शाखाएं (Stems and Branches)
अश्वगंधा का तना और शाखाएं भी उपयोगी होते हैं, हालांकि इनका उपयोग कम होता है।
उपयोग–
दांत और मसूडे:
तने का उपयोग दांत साफ करने और मसूड़ों की बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
औषधीय काढ़ा:
तने का काढ़ा पाचन और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
विशेष नोट:
अश्वगंधा के हर अंग का सेवन उचित मात्रा में करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, और गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को इसके सेवन से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
बुधवार, 10 जुलाई 2024
आयुर्वेद के अनुसार दीर्घायु के नियम
आयुर्वेद के अनुसार दीर्घायु के नियम
Dr.VirenderMadhan
आयुर्वेद में दीर्घायु के लिए कुछ मुख्य नियम होते हैं:
आहार संबंधी नियम:–
सत्त्विक आहार, यानी प्राकृतिक, स्वास्थ्यप्रद और हर्मोनियस आहार लेना दीर्घायु के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें शाकाहार, फलाहार, धान्याहार आदि शामिल होते हैं।
व्यायाम और योग:–
नियमित व्यायाम और योग करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, जो दीर्घायु के लिए आवश्यक है।
दिनचर्या:–
योग्य दिनचर्या का पालन करना, जिसमें नियमित निद्रा, समय पर उठना, प्राणायाम, और ध्यान शामिल हो, दीर्घायु के लिए फायदेमंद होता है।
रसायन चिकित्सा:–
आयुर्वेद में रसायन चिकित्सा का उपयोग शारीरिक और मानसिक स्थिति को सुधारने में किया जाता है, जो दीर्घायु को बढ़ावा देता है।
वातावरण और संजीवनीय उपचार:–
स्वस्थ वातावरण में रहना और आयुर्वेदिक संजीवनीय उपचारों का उपयोग करना दीर्घायु को बढ़ाने में सहायक होता है।
इन नियमों का पालन करने से शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बना रहता है, जिससे दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है।


