Guru Ayurveda

cough लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
cough लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 28 दिसंबर 2024

Cold के लिये बेहतरीन 5 आयुर्वेदिक उपाय in hindi


 Cold के लिये बेहतरीन 5 आयुर्वेदिक उपाय in hindi


सर्दी (cold) को ठीक करने के लिए आयुर्वेद में कई प्राकृतिक और प्रभावी उपाय बताए गए हैं। यहां 5 बेहतरीन आयुर्वेदिक उपाय दिए गए हैं:


1. तुलसी और अदरक की चाय

-------- ----

तुलसी और अदरक में रोगाणुरोधी और सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो सर्दी को तेजी से ठीक करने में मदद करते हैं।


विधि:–

--------

4-5 तुलसी की पत्तियां और 1 चम्मच अदरक को पानी में उबालें।

इसमें थोड़ा शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार पिएं।

2. हल्दी वाला दूध (गोल्डन मिल्क)–

-------------------

हल्दी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और रोग प्रतिरोधक गुण होते हैं। यह गले की खराश और बंद नाक के लिए बहुत फायदेमंद है।


विधि:–

 --------

गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाएं।

रात को सोने से पहले पिएं।

3. भाप (स्टीम) लेना–

-------------

भाप लेने से नाक की बंदी खुलती है और संक्रमण को कम किया जा सकता है।


विधि:–

------- 

गर्म पानी में कुछ बूंदे यूकेलिप्टस या पुदीना तेल डालें।

तौलिए से सिर ढककर 10 मिनट तक भाप लें।

4. मुलेठी का काढ़ा–

------------

मुलेठी गले की खराश और सर्दी में राहत देती है।


विधि:–

--------

1 चम्मच मुलेठी पाउडर को पानी में उबालें।

इसमें शहद या गुड़ मिलाकर दिन में दो बार पिएं।

5. अजवायन और गुड़ का सेवन–

------------/--

अजवायन और गुड़ का मिश्रण सर्दी के लिए प्रभावी है।


विधि:–

--------

1 चम्मच अजवायन को गुड़ के साथ पानी में उबालें।

इसे छानकर गर्म-गर्म पिएं।

इन आयुर्वेदिक उपायों के साथ, सर्दी में अधिक गर्म पानी पीना और आराम करना भी बहुत ज़रूरी है। यदि समस्या गंभीर हो या लंबे समय तक बनी रहे, तो चिकित्सक से परामर्श लें।

रविवार, 29 अक्टूबर 2023

आयुर्वेद में त्रिदोष किसे कहते है?.In hindi.

 #आयुर्वेद में त्रिदोष किसे कहते है?.In hindi.



* What is called Tridosha in Ayurveda?.In Hindi.

Dr.VirenderMadhan.

आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्‍त, कफ इन तीनों को दोष कहते हैं। 

Q:- वात,पित्त और कफ को दोष क्यों कहते है?

Ans:- यहां "दोष" शब्द का मतलब सामान्य भाषा में ‘विकार’ नहीं है। इसी प्रकार, "त्रिदोष" का अर्थ- वात, पित्त, कफ की विकृति या विकार नहीं है। आयुर्वेद में कहा है कि [दुषणात दोषाः, धारणात धातवः]

अर्थात वात, पित्त व कफ जब दूषित होते है तो रोग उत्पन्न कर देते हैं तथा जब वे अपनी स्वाभाविक अवस्था में रहते हैं तो सप्त धातु व शरीर को धारण करते व संतुलित रखते हैं।

- आयुर्वेद में शरीर की मूल धारक शक्ति को व शरीर के त्रिगुणात्मक (वात, पित्त, कफ रूप) मूलाधार को ‘त्रिदोष’ कहा गया है। 

- इसके साथ 'दोष' शब्द इसलिए जुड़ा है कि सीमा से अधिक बढ़ने या घटने पर यह स्वयं दूषित हो जाते हैं तथा धातुओं को दूषित कर देते हैं।

Q:- शरीर के निर्माण मे प्रधान तत्व क्या है?

Ans:-- आयुर्वेद में शरीर के निर्माण में दोष, धातु और मल को प्रधान माना है 

[दोषधातुमल मूलं हि शरीरम्' ]

अर्थात दोष, धातु और मल - ये शरीर के तीन मूल हैं। आयुर्वेद का प्रयोजन शरीर में स्थित इन दोष, धातु एवं मलों को साम्य अवस्था में रखना जिससे स्वस्थ व्यक्ति का स्वास्थ्य बना रहे 

Q:-दोष धातु मलों का शरीर में महत्व क्या है?

Ans:-- दोष धातु मलों की असमान्य अवस्था होने पर उत्पन्न विकार या रोग की चिकित्सा करना है। शरीर में जितने भी तत्व पाए जाते हैं, वे सब इन तीनों में ही जुडे हैं। इनमें भी दोषों का स्थान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

- त्रिदोष को शरीर की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश का कारण, 

अथवा शरीर के स्तम्भ माने जाते हैं। इसके पश्चात शरीर को स्वास्थ बनाए रखने और रोगों को समझने एवं उनकी चिकित्सा के लिए भी त्रिदोषों को समझना बहुत आवश्यक है। इन तीनों दोषों के सम होने से ही शरीर स्वस्थ रहना संभव है। परन्तु जब इनकी सम अवस्था में किसी प्रकार का विकार या असंतुलन आ जाता है तो रोग जन्म ले लेता है।

Q:- त्रिदोष सिद्धांत क्या है?

Ans:-  त्रिदोष का सिद्धांत महत्त्वपूर्ण है आयुर्वेद में। वात, पित्त और कफ जब कुपित हो जाते हैं तो शरीर असंतुलित और रोग बढ़ने लगते हैं। इसलिए इन तीनों दोषों का सम रहना ही स्वस्थ होने की पहचान है। 

त्रिदोष को समझने के लिये पंचमहाभूत, वात,पित्त,और कफ के बारे मे जानना होगा. 

धन्यवाद!