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शनिवार, 26 मार्च 2022

प्याज आपके लिए जहर है या अमृत?In hindi

 #प्याज खाने से पहले यह जान ले..In hindi.

प्याज आपके लिए जहर है या अमृत?In hindi



Dr.VirenderMadhan.

 प्याज “ऐमारलीडेसी” परिवार का सदस्य है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियस सेपा है। अंग्रेजी में इसे ओनियन कहा जाता है।

#प्याज (Pyaj) को संस्कृत में क्या कहते हैं?

(A) प्रसूनम्

(B) पलाण्डुः

(C) बिडाल:

(D) अनडुह आदि नाम से जानते है।

प्याज़ एक वनस्पति है जिसका कन्द सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहाँ साल मे दो बार प्याज़ की फ़सल होती है - एक नवम्बर में और दूसरी मई के महीने के क़रीब होती है। 

प्याज खाने से क्या फायदे होते है?

क्वेरसेटिन के अलावा, प्याज में विटामिन सी, बी विटामिन और पोटेशियम होता है. पोटेशियम की उपस्थिति प्याज को ब्लड प्रेशर कम करने की कोशिश करने वालों के लिए फायदेमंद बनाती है. उच्च एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी प्याज को दिल के अनुकूल जड़ वाली सब्जी बनाते हैं. प्याज आपको एंटी-बैक्टीरियल गुण भी प्रदान कर सकता है.

#क्या प्याज खाने से रोग प्रति रोधक शक्ति बढती है?

बेहतर रोग प्रतिरोधक प्रणाली

स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए विटामिन-सी की जरूरत होती है और प्याज में मौजूद फाइटोकेमिकल्स शरीर में विटामिन-सी को बढ़ाने का काम करते हैं। प्याज में सेलेनियम भी होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर कर सकता है। प्याज का सेवन करने से शरीर में विटामिन-सी की मात्रा बढ़ती है।

#कुछ लोग प्याज को खाने से मना करते हैं क्यों ?

धार्मिक लोग लहसुन और प्याज अंहिसा के चलते नहीं खाते है, क्योंकि यह सब पौधे राजसिक और तामसिक रूप में बंटे हुए है। जिनका मतलब है कि जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते है। क्योंकि यह जमीन पर कई जीवाणुओं की मौत का कारण बनते है। इसलिए इसके सेवन पर मनाही है।

प्याज की तासीर गर्म होती है. अगर आपको सर्दी-जुकाम की परेशानी रहती है तो प्याज आपके लिए दवा का काम करेगी. इसे खाने से आपके शरीर को गर्माहट मिलेगी और सर्दी के इंफेक्शन से आपका बचाव भी होगा. अगर आपको स्टोन की शिकायत है तो प्याज का रस आपके लिए बहुत उपयोगी है।

#क्या प्याज गर्मी के दिनों में खा सकते हैं?

गर्मी के दिनों में प्याज किसी अमृत से कम नहीं है। प्रतिदिन भोजन में प्याज को शा‍मिल करें और कहीं बाहर जाने पर अपने साथ एक छोटा प्याज रखकर आप गर्मी के प्रकोप से बच सकते हैं। यह लू लगने से आपको बचाएगा। 

- लू लग जाने पर या फिर गर्मी के कारण होने वाली अन्य समस्याओं में प्याज का प्रयोग लाभदायक होता है।

कुछ अन्य प्याज खाने के लाभ:-

1. हाई टेंपरेचर

प्याज आपको गर्मी के मौसम में ठंडा रख सकती है, क्योंकि इसमें ठंडक देने के गुण होते हैं। इसमें वोलेटाइल ऑयल होता है, जो शरीर के तापमान को संतुलित करने में मदद करता है। गर्मियों में प्याज को सलाद के रूप में कच्चा खाया जा सकता है। 

2. अपच और कब्‍ज

प्याज में फाइबर और प्रीबायोटिक्स की अच्छी मात्रा मे होता है।। पाचन को आप दुरुस्‍त रख सकती हैं। प्याज कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित कर हृदय स्वास्थ्य को भी बढ़ावा दे सकती है।

3. हीट स्ट्रोक

लंबे समय तक सूरज के संपर्क में रहने से हीट स्ट्रोक हो सकता है। ऐसे में कच्चा प्याज खाने से शरीर को अंदर से ठंडक मिलती है। हीट स्ट्रोक के इलाज के लिए प्याज का पेस्ट बहुत प्रभावी होता है, क्योंकि इसमें उत्कृष्ट अवशोषक गुण होते हैं। इस पेस्ट को माथे, कान के पिछले हिस्से और छाती पर लगाने से हीट स्ट्रोक का इलाज होता है।

4. असंतुलित रक्‍त शर्करा

मधुमेह रोगियों को भी अपने आहार में प्याज को शामिल करना चाहिए। प्याज का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 10 होता है, जो इसे मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है। 

5. हाई ब्लड प्रेशर

प्याज आपके रक्तचाप के लिए भी अच्छा है। इसमें पोटेशियम होता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में भूमिका निभाता है। 

6. सनबर्न

प्याज गर्मियों में न सिर्फ आपके शरीर के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह आपकी त्वचा के लिए भी मददगार साबित हो सकती है। प्याज के रस को बाहरी रूप से धूप से झुलसी त्वचा पर एक बेहतरीन इलाज के रूप में लगाया जा सकता है। साथ ही, यह बालों के लिए भी फायदेमंद है।

7अनिंद्रा मे लाभ:-

प्याज में कुछ खास तरह के अमीनो एसिड पाए जाते हैं, जो अच्छी नींद के लिए जिम्मेदार होते हैं. इसलिए अगर आप रात में प्याज का सेवन करते हैं तो इससे आपको अच्छी नींद आएगी. इतना ही नहीं अगर प्याज को काटकर अपने बिस्तर के पास रख लेंगे तो इसका भी फायदा मिलेगा. प्याज में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो इंफेक्शन से लड़ते हैं.



प्याज के बारे मे और भी:-

* कच्चे प्याज के इस्तेमाल से बाल लंबे होते हैं।

* प्याज में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर से बचाव में भी सहायक होते हैं.


#प्याज खाने से क्या नुकसान हो सकते है?

अधिक प्याज के सेवन से पेट गैस, जलन और उल्टी की समस्या हो सकती है. अगर आपको ऐसी कोई भी समस्या नजर आए तो प्याज का सेवन ज्यादा न करें.

 – कच्चा प्याज खाने के बाद आपके मुंह से इसकी दुर्गंध आ सकती है, जिससे आप शर्मिंदगी का शिकार हो सकते हैं.

#प्याज -पलाण्डू के विशिष्ट प्रयोग:-

* नपुंसकता [ED] और स्तंभन दोष जैसी समस्याओं को दूर करने की अदभुद क्षमता प्‍याज में होती है। यदि प्‍याज के रस में शहद को मिला कर सेवन किया जाए तो यह पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकती है। जो लोग नपुंसकता या यौन कमजोरी से ग्रसित है उनके लिए प्‍याज का उपयोग फायदेमंद हो सकता है।

* सफेद प्याज को खाली पेट शहद से खाने से वीर्य बर्ध्दि करता है

* अस्‍थमा में लाल प्‍याज बहुत लाभकारी होती है। लाल प्‍याज में कई ऐसे गुण होते हैं जो अस्‍थमा की बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि अस्‍थमा में लाल प्‍याज का सेवन कैसे कर सकते हैं। अस्‍थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें सांस नली में सिकुड़न और सूजन आ जाती है।


कोई प्रश्न होतो कोमेंट मे पूछें!

धन्यवाद!


वीर्य को रोकना हैल्थ के लिए कितना हानिकारक है?In hindi

#Ayurvedictreatment. #Healthtips.

 Vireya ka rokna health ke liye hani karke hota hain ?In hindi.

वीर्य को रोकना हैल्थ के लिए कितना हानिकारक है?In hindi.

How harmful is the retention of semen to health?in hindi.

Dr.VirenderMadhan.

वीर्य से ही वीरता बढ़ती है। वीर्य की कमजोरी से घर वीरान हो जाता है। ज्यादा दिनों तक वीर्य को रोकने से मानसिक या दिमागी रोग पनपने लगते हैं।

अष्टाङ्ग ह्रदय ग्रन्थ के अनुसार 14 तरह के वेग होते हैं, इनको रोकने से शरीर अनेक विकार उत्पन्न होने लगते हैं। जैसे-मल-मूत्र, छींक, जम्हाई, वीर्य आदि।

#Virya ke rokne se hani?

वीर्य को रोकने के कारण ही बुढ़ापे में प्रोस्टेट में पानी भर जाता है। सूजन आदि समस्या आने लगती है। नपुंसकता की वजह भी वीर्य रोक ही है।

अगर कोई व्यक्ति अपने वीर्य वेग को रोकने की कोशिश करता है तो इससे उनके शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। वीर्य को रोकने से लिंग में दर्द, मूत्राशय में दर्द और किडनी में सूजन जैसी समस्या आ सकती है।शुक्राणुओं की कमी हो सकती है।

#अष्टाङ्ग हृदय मे अधारणीय वेग और उनसे होने वाली परेशानी?In hindi.

अष्टाङ्ग हृदय के चतुर्थ अध्याय के भाषा टीका में उल्लेख है 

 “वेगान्नधारयेद्वात वीर्यमूत्रक्षवतृटक्षुधाम्!

निद्राकास श्रम श्वांसजंरुभाश्रुच्छअर्दीरेतसाम्!!”

(चरक सहिंता)

अर्थात- अधो वायु यानि पाद, गैस आदि,

मल यानि पखानाधधं न रोकें।

मूत्र- पेशाब, लघुशंका

छींक, प्यास, भूख, निद्रा (नींद), खांसी,

श्रमश्वास यानि मेहनत से चढ़ हुआ श्वांस जिसे हांफनी भी कहते हैं।

जम्भाई आना, आंखों के आंसू,  वीर्य, वमन यानि उल्टी होना और मासिक धर्म/माहवारी आदि इन वेगों को रोकने से शरीर में अनेक उपद्रव, विकार पनपने लगते हैं।


“अधोवातस्यरोधेन गुल्मोदावर्त रुक्क्लमा:!

वात मूत्र श कृत्संगद्दष्टयग्निवधह्रद्गगदा:!!”

अर्थात-अधोवायु यानी गैस को रोकने से गुल्म, उदावर्त, नाभि आदि स्थानों पर वेदना, दर्द या Pain, ग्लानि, वातविकार, मूत्र एवं मल की रुकावट, दृष्टिनाश, जठराग्नि नाश यानी भूख न लगने के साथ भोजन भी न पचना तथा ह्रदय रोग आदि परेशानियां पैदा होने लगती हैं।

- मल या लैट्रिन को रोकना हो सकता है खतरनाक -

 मल को रोकने से बवासीर, अर्श या पाइल्स, मांस में ऐंठन, प्रतिश्याय (जुकाम) हिचकी, डकार आदि का ऊपर को जाना। परिकर्त यानि गुदा मलद्वार में कैंची से काटने जैसी पीड़ा होना, हृदयोंपरोध अर्थात छाती में भारीपन, मुख से विष्ठा यानि मल/लैट्रिन का निकलना और ग्रन्थिशोथ (थायराइड) आदि रोग होने लगते हैं।

 - आंसुओं को रोकने से आंख, सिर भारी होकर सिरदर्द, कम दिखना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

- उल्टी वमन, माहवारी रोकने से त्वचा रोग, सफेद दाग, कोढ़, नेत्ररोग, जी मिचलाना, सूजन आदि रोग होते हैं। चेहरे पर झुर्रियां, काले के निशान, मुहाँसे, व्यंग होने लगते हैं।

- छींक के वेग को रोकने से होने वाला नुकसान-

छींकने के साथ हमारे शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं. पर अगर आप छींक रोकते हैं तो ये शरीर में ही बने रहते हैं. कई बार ऐसा होता है कि छींक रोकने की वजह से आंखों की रक्त वाहिकाएं प्रभावित हो जाती हैं. इसके अलावा गर्दन में भी मोच आ सकती है

इस लेख मे वेगों को रोकने से होने वाली परेशानी संक्षिप्त मे बताई है वैसै यह विषय लम्बा है आपको कैसा लगा कोमेंट मे लिखें।

धन्यवाद!


बुधवार, 23 मार्च 2022

सब रोगों का मूल (कारण) क्या है ?In hindi.

 # सब रोगों का मूल (कारण) क्या  है ?

What is the root cause of all diseases?



“प्रज्ञापराध”

Dr.VirenderMadhan.

«अपने ही जीवन के लिए किया गया अपराध।»

चरक स्थान के शरीर स्थान में आता हैः

“धीधृतिस्मृतिविभ्रष्टः कर्म यत्कुरुते अशुभम्।

प्रज्ञापराधं तं विद्यात् सर्वदोषप्रकोपणम्।।”

'धी, धृति एवं स्मृति यानी बुद्धि, धैर्य और यादशक्ति – इन तीनों को भ्रष्ट करके अर्थात् इनकी अवहेलना करके जो व्यक्ति शारीरिक अथवा मानसिक अशुभ कार्यों को करता है, भूलें करता है उसे प्रज्ञापराध या बुद्धि का अपराध (अंतःकरण की अवहेलना) कहा जाता है, जो कि सर्वदोष अर्थात् वायु, पित्त, कफ को कुपित करने वाला है।

प्रज्ञापराधः अधर्मः च॥

प्रज्ञापराध अधर्म है पाप है।

यह 

कायिक । Kayik, 

वाचिक । Vachik and मानसिक । Manasika तीन प्रकार से किया जाता है।


आयुर्वेद की दृष्टि से ये कुपित त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) ही तन-मन के रोगों के कारण हैं।प्रज्ञापराध से दोष बिगड जाते है और रोग उत्पन्न हो जाते है।

उदाहरणार्थः 

* वेगोदीरण । 

वेग (मल,मुत्र, छींक आदि) न होते हुए भी वेगो को बलात् करना जैसे मुत्र का कोई वेग न होते हुए भी मूत्र त्यागने का प्रयास करना।

* वेगावरोधः । 

मल,मूत्रादि का वेग होते हुए बलात् रोकना।

* साहस सेवन । 

दुश्साहस दिखाना, बल से अधिक बल लगाना।

* नारीणाम् अतिसेवनम् । 

* कर्मकालातिपातश्च। 

कालविपरित कर्म करना।

मिथ्यारंभश्च कर्मणाम् । 

* विनयलोपः । 

विनम्रता न होना।(Disappearance of Modesty)

* आचारलोपः । 

दूर्व्यवहार करना


सारांश:- 

जाने या अनजाने में जा कर्म हमें नही करना चाहिए उस कर्म को प्रज्ञापराध कहते है इन कर्मो के कारण ही हम रोगी हो जाते हैं जीवन जो भी दूख आते है वह अधिकतर प्रज्ञापराध के कारण ही आते है।


धन्यवाद


नजर Eyes Sight कमजोर है तो क्या करें |कारण|लक्षण|उपाय"|in hindi.

 #आंखों की दृष्टि कैसे तेज करें?



Dr.VirenderMadhan

#नजर कमजोर होने के क्या लक्षण है?

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*आंखों या सिर में भारीपन 

*आंखें लाल होना और उनसे पानी आना।

*Irritated eyes,आंखों में खुजली होना,

* रंगों का साफ दिखाई न देना।

* Trouble focusing. धुंधला दिखाई देना।

* Dry or watery eyes आंखों की खुश्की या आंखों से पानी बहते रहना।

*लगातार सिरदर्द की शिकायत रहना और आंखों में थकावट होना।

#आंखों की दृष्टि कमजोर होने के कारण?

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हमारी दैनिक चर्या की छोटी-छोटी गलतियों से हमारी आंखें खराब हो सकती हैं. आंखों को सही रखने के लिए हमें इन गलतियों को करने से बचना चाहिए.

* आंखों की सफाई न करना:  

* बाइक ड्राइव के दौरान सनग्‍लास ना लगाना: 

* आंखों को आराम नहीं देना: 

* आई ग्‍लास ना लगाना: 

* आंखों को मसलना: 

* कॉन्‍टैक्‍ट लेंस लगाकर सोना और दूसरे का चश्‍मा या सनग्‍लास यूज करना: 

* लेपटॉप और मोबाइल पर अधिक काम करते रहना।

* तेज रोशनी,तेज हवाओं के

कारण।

* कम लाईट मे पढाई करना।

* चिंता करना,रोते रहने के कारण ।

* मधुमेह, रक्तचाप बृद्धि जैसे रोग से भी आंखों की नजर कमजोर हो जाती है।

* आंखों की रोशनी कम होने का कारण कुछ खास पोषक तत्वों जैसे- जिंक, कॉपर, विटामिन सी, विटामिन ई और बीटा कैरोटीन का शरीर में कम होना होता है।

#आंखों की ज्योति बढाने के घरेलू उपाय.?

Eyesight Home Remedies : आंखों की रोशनी हो रही है कमजोर, तो आजमाएं ये 10 घरेलू उपाय

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* भीगे हुए बादाम का सेवन करें

* किशमिश और अंजीर का सेवन करें

* बादाम, सौंफ और मिश्री का मिश्रण

* आंवला का प्रयोग करें।

*मछली

 आंखों की रोशनी तेज करने के लिए तैलीय मछलियों का सेवन फायदेमंद होता है। इन्हें खाने से ओमेगा-3 मिलता है। इसका सबसे अच्छा स्त्रोत टूना, सैल्मन, ट्राउट, सार्डिन और छोटी समुद्री मछलियां हैं।

नट्स

काजू, बादाम और अखरोट जैसे नट्स में भी ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं। नट्स में उच्च स्तर का विटामिन ई भी होता है, जो आंखों को नुकसान से बचाता है।

बीज

नट और फलियों की तरह कुछ खास बीज भी ओमेगा -3 से भरपूर होते हैं। ये विटामिन ई का भी समृद्ध स्रोत होते हैं। ऐसे में कमजोर नजर वालों को चिया सीड, फ्लैक्स सीड खाने चाहिए।

खट्टे फल

आप अपने मेन्यू में नींबू और संतरे जैसे फलों को शामिल करें।

हरी पत्तेदार सब्जियां

 इनमें विटामिन सी भी पाया जाता है। इसलिए पालक, पत्तागोभी, बथुआ आदि सब्जियों के सेवन से आंखों की रौशनी बढ़ती है।

गाजर

 गाजर में बीटा कैरोटीन प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसमें रोडोप्सिन नामक प्रोटीन भी मिलता है जो रेटिना को प्रकाश को अवशोषित करने में मदद करता है।

#कमजोर दृष्टि की आयुर्वेदिक चिकित्सा?

» आंखों के लिए त्रिफला:-

आंखों की कमजोरी, आंखों में मैल आना, नजर कमजोर हो तो त्रिफला घृत खाने से ठीक हो जाती है।

त्रिफला कषाय (त्रिफला के पानी) से आंखों को धोने से नेत्ररोगों मे आराम मिलता है।

» सत्यानाशी की जड को नींबू के रस धीसकर आंखों में आंजने से फछला,जाला ,धुंधलापन दूर होता है।

»सौफ को गाजर के रस मे भिगोकर रख दे सुखने पर 6-6 ग्राम खाने से आराम मिलता है।

»सौफ,खाण्ड मिलाकर खाने से भी आराम मिलता है।

»शतावरी के चूर्ण को 3 महिने तक खाने से दृष्टि बढ जाती है।

»गोरखमुंडी का अर्क 25-30 ग्राम रोज पीने से नेत्रज्योति बढती है।

अश्वगंधा, आंवला और मुलहठी सम मात्रा मे मिलाकर 5-6ग्राम रोज खाने से नेत्रज्योति बढ जाती है।

धन्यवाद!

सोमवार, 21 मार्च 2022

पंचगव्य क्या है और उसको कैसे प्रयोग करें?In hindi.

 पंचगव्य क्या है और उसको कैसे प्रयोग करें?In hindi.



#गाय का गव्य क्या है?In Hindi.

Dr.VirenderMadhan.

What is gaveya of cow?

जो गाय से प्राप्त हो । जैसे—दूध, दहीं, घी, गोबर, गोमूत्र आदि ।

#पंचगव्य किसे कहते हैं?

गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर का पानी को सामूहिक रूप से पंचगव्य कहा जाता है।

#पंच गव्य कैसे बनता है?

गोबर व 1.5 लीटर गोमूत्र में 250 ग्राम गाय का घी अच्छी तरह मिलाकर मटके या प्लास्टिक की टंकी में डाल दें। अगले तीन दिन तक इसे रोज हाथ से हिलायें। अब चौथे दिन सारी सामग्री को आपस में मिलाकर मटके में डाल दें व फिर से ढक्कन बंद कर दें। इसके बाद जब इसका खमीर बन जाय और खुशबू आने लगे तो समझ लें कि पंचगव्य तैयार है।

#पंचगव्य पीने से क्या होता है?

- यह बच्चों व बड़ों में पाचनक्रिया को मजबूत करने और भूख बढ़ाने का काम करता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन-ए, डी व ई पाए जाते हैं। यह दिमाग व शारीरिक विकास के लिए फायदेमंद है। इससे आंखों की रोशनी दुरुस्त रहती है और मिर्गी, लकवा, कमजोरी, जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस व याददाश्त में सुधार होता है।

{पंचगव्य प्राशनम्‌ महापातक नाशनम्‌’}

पंचगव्य को सर्वरोगहारी माना गया है। अलग-अलग रूपों में प्रत्येक गव्य त्रिदोष नाशक नहीं हैं। परन्तु पंचगव्य के रूप में एकात्मक होने पर यह त्रिदोषनाशक हो जाता है। अत: त्रिदोष से उत्पन्न सभी रोगों की चिकित्सा ‘पंचगव्य’ से सम्भव है।

पंचगव्य एक अच्छा प्रोबायोटिक है। प्रोबायोटिक रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मनुष्य को उपयोगी किस्म का फ्लोरा उपलब्ध कराते हैं। प्रोबायोटिक शरीर की व्याधियों को कम करके प्राणी की उत्पादन क्षमता, प्रजनन क्षमता ओज और रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं। पंचगव्य एक अच्छा एन्टीआक्सीडेन्ट तथा एक अच्छा विषशोधक है। पंचगव्य में मौजूद घी विष शोधक का कार्य करता है। उपर्युक्त गुणों के अतिरिक्त पंचगव्य का प्रयोग रक्तचाप, शुगर, मिर्गी तथा अन्य बहुत से रोगों में भी लाभकारी हैं इस प्रकार से सर्वविदित है कि कैंसर जैसे रोगों के अलावा अन्य कई रोगों में भी ‘पंचगव्य’ की भूमिका महत्वपूर्ण है।

पंचगव्य चिकित्सा क्या है?

पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर के द्वारा किया जाता है। पंचगव्य द्वारा शरीर के रोगनिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है। गोमूत्र में प्रति ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व सर्वविदित है।

पंचगव्य घृत कैसे बनाया जाता है?

इसको बनाने के लिए 5 तरह के पदार्थों का प्रयोग किया जाता है :

1  भाग गाय का घी,1 भाग गोमूत्र, 2 भाग गाय के दूध का दही, 3 भाग गाय का दूध, 1/2 भाग गाय का गोबर

इन सभी को धीमी आंच पर लकड़ी के पात्र में तब तक पकाया जाता है जब तक कि वे सभी वाष्प रूप में परिवर्तित ना हो जाएँ, तब पात्र में सबसे अंत में जो पदार्थ प्राप्त होता है, वही यह घी है।

इस घी को 2 तरह से उपयोग किया जाता है, 

(1) नाक में डालने के लिए और 

(2) खाने के लिए।

#नाक के ड्राप के लिए पंचगव्य घी के उपयोग

दिमाग, आँखें और हड्डी के मज़्ज़ा से सम्बंधित रोगो और डिसऑर्डर को दूर करता है

शरीर में वात पित्त और कफ को संतुलित करता है

सर्दी-ज़ुकाम, माइग्रेन और साइनस से सम्बंधित रोगो को दूर करता है

अवसाद या डिप्रेशन, नींद काम आना आदि में काफी लाभकारी है। दिमाग को ठंडक देता है और मेमोरी को तेज़ करता है

नर्वस सिस्टम को मज़बूत बनता है

#पंचगव्य घी के फायदे:-

वात और पित्त वाले शरीर में यह घी अत्यंत फायदेमंद है

शरीर के कमज़ोरी, कमज़ोर इम्युनिटी और तनाव भरे दिमाग की अवस्था को स्वस्थ रखता है

शारीरिक कमज़ोरी और थकान को दूर करता है

वात शरीर वालों के लिए यह वज़न बढ़ाता है

जोड़ो में दर्द, जोड़ो के समस्याओं और अर्थिरिटिस में बहुत फायदा करता है

सूखी त्वचा, सूखा गाला और सोरिसिस में फायदा करता है

अन्य दूसरे लाभ

चूँकि इस घी में गोमूत्र का भाग भी होता है जो शरीर के अंदर के ज़हरीले पदार्थों को बाहर निकलता है जो किसी लत या ख़राब खाने की वजह से अंदर जमा हो जाते हैं

खून को शुद्ध करता है और लीवर के फंक्शन को मज़बूत बनता है

जिनको दिमागी रूप से कोई बीमारी या डिसऑर्डर है वे निसंकोच इस घी का इस्तेमाल कर सकते हैं, और जो अवसाद या डिप्रेशन से पीड़ित हैं, उनके लिए यह रामबाण है और लम्बे समय तक उपयोग करने पर वे डिप्रेस्शन दूर करने वाली टेबलेट से भी छुटकारा पा सकते हैं

हड्डी के रोगो के लिए भी अत्यंत लाभकारी है

मात्रा:-

पंचगव्य घी को 10 -20 ग्राम रोज़ सुबह गुनगुने पानी के साथ लें या शुद्ध गाय के दूध के साथ भी ले सकते हैं

पंचगव्य घी नाक की ड्राप : सोने के पहले नाक के दोनों भागो में 2 बूंद डालें

पंचगव्य से साबुन भी बनता है जो त्वचा रोगों मे उपयोगी साबित हुआ है।


लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर लिखे।

धन्यवाद!



शरीर की 7 धातु क्या है? In hindi.

 #शरीर की 7 धातु क्या है?

Dr.Virender Madhan.



हमारे शरीर की पूरी संरचना इन्हीं सातों धातुओं से मिलकर हुई है।तीनों दोषों (वात,पित्त, और कफ) की ही तरह इन सातों धातुओं का निर्माण भी पांच तत्वों (पंच महाभूत) से मिलकर होता है। हर एक धातु में किसी एक तत्व की अधिकता होती है।

#7धातु कौन सी है?

सात धातुओं के नाम

1- रस :  प्लाज्मा

2- रक्त : खून (ब्लड)

3- मांस : मांसपेशियां

4- मेद : वसा (फैट)

5- अस्थि : हड्डियाँ

6- मज्जा :  बोनमैरो

7- शुक्र : प्रजनन संबंधी ऊतक (रिप्रोडक्टिव टिश्यू )


#धातुओं का निर्माण कैसे होता है?

हम जो भी खाना खाते हैं वो पाचक अग्नि द्वारा पचने के बाद कई प्रक्रियाओं से गुजरते हुए इन धातुओं में बदल जाती है। आपके द्वारा खाया गया खाना आगे जाकर दो भागों में बंट जाता है : 

सार और मल। 

सार का मतलब है भोजन से मिलने वाला पोषक तत्व और उर्जा, जिससे हमारा शरीर ठीक ढंग से काम कर सके। 

- मल से तात्पर्य है कि भोजन को पचाने के बाद जो अपशिष्ट बनता है जिसका शरीर में कोई योगदान नहीं वो मल के रुप में शरीर से बाहर निकल जाता है। 

ये सारी धातुएं एक क्रम में हैं और प्रत्येक धातु अग्नि द्वारा पचने के बाद अगली धातु में परिवर्तित हो जाती है। 

भोजन से रस

रस से रक्त

रक्त से मांस

मांस से मेद

मेद से अस्थि

अस्थि से मज्जा

मज्जा से शुक्र

इसी तरह यह क्रम चलता रहता है। 

#धातुओं के कार्य,और विकृति.

1- रस धातु

तीनों दोषों, सात धातुएं, पांच तत्व, शरीर, इन्द्रियां और मन के सारे कार्य इसी रस धातु से ही होते हैं। रस धातु का निर्माण पाचन तंत्र में होता है और फिर यह रस रक्त द्वारा पूरे शरीर में फ़ैल जाता है। दोषों में गड़बड़ी होने पर धातुओं के स्तर में भी बदलाव होने लगता है। रोग की उत्पत्ति होती है। जिस धातु के दूषित होने से रोग की उत्पप्ति होती है वह रोग उसी धातु के नाम से जोड़कर बोला जाता है। जैसे रस धातु के दूषित होने से “रसज रोग”कहते है।

* रस धातु के कार्य

इस रस का मुख्य काम तृप्ति करना है। यह संतुष्टि और प्रसन्नता प्रदान करता है और अपने से अगली धातु (रक्त) का पोषण करता है।

* रस धातु बढ़ने के लक्षण:-

रस धातु की वृद्धि होने पर कफ प्रकोप के सामान लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे पाचन शक्ति की कमी, जी मिचलाना, ज्यादा लार बनना, उल्टी साँसों से जुड़े रोग और खांसी आदि।

* रस धातु में कमी के लक्षण:-

- मुंह सूखना, थकान, रूखापन, दिल में दर्द और धड़कन तेज होना, तेज साँसे चलना आदि रस धातु में कमी के लक्षण हैं।


रस धातु के असंतुलन से होने वाले रोग

- भूख ना लगना,

- कुछ भी अच्छा ना लगना

- मुंह का बुरा स्वाद

- बुखार

-- बेहोशी

- नपुंसकता

- पाचन शक्ति में कमी

- त्वचा पर झुर्रियां पड़ना

उपचार:-

रसज रोगों के इलाज के लिए रसायन और ताकत देने वाली औषधियों का उपयोग करना फायदेमंद माना जाता है।

2- रक्त धातु ( खून या ब्लड) :

रक्त धातु के कार्य :

रक्त हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इसकी मदद से बाकी सभी अंगों को पोषण मिलता है। यह धातु रंग को निखारता है और बाकी इन्द्रियों से जो ज्ञान मिलता है वह भी रक्त के कारण ही संभव है। रक्त से आगे चलकर मांस धातु बनती है। रक्त में ही सभी धातुओं के पोषक तत्व मिले हुए होते हैं।

* रक्त धातु बढ़ने के लक्षण

रक्त धातु में बृद्धि होने पर त्वचा और आंखों में लालिमा दिखाई देती है।

* रक्त धातु में कमी के लक्षण :

रक्त धातु में कमी होने पर रक्त वाहिकाएँ कमजोर हो जाती हैं। इसकी कमी होने पर त्वचा की चमक फीकी पड़ जाती है और त्वचा रूखी हो जाती है। रक्त धातु की कमी होने पर रोगी को अम्लीय और ठंडी चीजें ज्यादा अच्छी लगती हैं।

* रक्त धातु के असतुलन से होने वाले रोग :-

- कुष्ठ रोग

- ब्लड कैंसर

- महिलाओं के जननांगो से 

- रक्तस्राव

- मुंह में छाले

- लिंग का पकना

- प्लीहा (स्प्लीन) के आकार में वृद्धि

- पेट में गाँठ

- काले तिल और मुंह पर झाइयाँ

- दाद

- सफेद दाग

- पीलिया

- जोड़ों का रोग

उपचार:-

रक्त धातु से होने वाले रोगों के लिए रक्त को शुद्ध करना, पोषण और विरेचन सबसे अच्छे उपाय है।

3- मांस धातु

मांस धातु के कार्य

मांस धातु का मुख्य कार्य है लेपन अर्थात हमारी मांसपेशियों का निर्माण। जैसे किसी मकान को बनाने में सीमेंट या मिट्टी से लेप किया जाता है वैसे ही शरीर के निर्माण में मांसपेशियों का लेपन होता है। मांसपेशियों से शरीर को शक्ति मिलती है। ये शरीर के पूरे ढांचे को सुरक्षा प्रदान करता है।

* मांस धातु बढ़ने के लक्षण

शरीर में मांस धातु के बढ़ने से गर्दन, हिप्स, गालों, जांघों, टांगों, पेट, छाती आदि अंगों में मांस बढ़ने से मोटापा बढ़ जाता है। इससे शरीर में भारीपन आता है।७

* मांस धातु की कमी के लक्षण

मांस धातु की कमी से अंगों में दुबलापन, शरीर में रूखापन, शरीर में कुछ चुभने जैसा दर्द और रक्त वाहिकाओं के कमजोर होने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।

* मांस धातु के असंतुलन से होने वाले रोग:-

- जांघों के मांस में वृद्धि

- गले की ग्रंथियों के आकार में वृद्धि

- जीभ, तलवे और गले में गांठे होना

4- मेद धातु

मेद धातु- वसा (फैट) । 

* मेद धातु के कार्य

इस धातु का मुख्य काम शरीर में चिकनाहट और गर्मी लाना है। यह शरीर को शक्ति, सुरक्षा, दृढ़ता और स्थिरता देता है 

* मेद धातु के वृद्धि के लक्षण:-

शरीर में मेद धातु बढ़ जाने से गले की ग्रंथियों में बढ़ोतरी, पेट का आकार बढ़ने जैसे लक्षण नज़र आते हैं। 

- थोड़ी सी मेहनत करने पर थक जाना, 

- स्तनों और पेट का लटकना,

 - शरीर से दुर्गंध आना मेद धातु के मुख्य लक्षण हैं।

* मेद धातु में कमी के लक्षण:-

- आखें मुरझाना, 

- बालों और कानों में रूखापन,  - प्लीहा में वृद्धि आदि मेद धातु की कमी के मुख्य लक्षण है। 

* मेद धातु के असंतुलन से होने वाले रोग:-

- हाथ-पैर में जलन

- बालों का उलझना या जटाएं बन जाना

- मुंह, गला और तलवे सूखना

- आलस,बहुत अधिक प्यास लगना

- ज्यादा पसीना निकलना

- शरीर सुन्न पड़ना

उपचार:-

मेद धातु बढ़ने का सीधा मतलब है शरीर का मोटापा बढ़ना। 

5- अस्थि धातु

हमारे शरीर का ढांचा हड्डियों से ही निर्मित होता है। 

* अस्थि धातु के बढ़ने के लक्षण और रोग

- बालों और नाखूनों में तेजी से वृद्धि, दांतों का आकार सामान्य से ज्यादा होना, हड्डियों व दांतों में दर्द, दाढ़ी-मूंछ के रोग होना 

* अस्थि धातु में कमी के लक्षण:-

शरीर में अस्थि धातु की कमी होने पर हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं। हड्डियों और जोड़ों में दर्द, दांतों व नाखूनों का टूटना और रुखापन, बालों और दाढ़ी के बालों का झड़ना आदि अस्थि धातु में कमी के लक्षण हैं।

उपचार:-

अस्थि धातु बढ़ जाने पर तिक्त द्रव्यों से तैयार बस्ति देनी चाहिए। अस्थि धातु कमजोर होने पर कैल्शियम युक्त आहार, दूध, मट्ठा, पनीर, छाछ, ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें। इसके अलावा हड्डियों में कमजोरी होने पर ताजे फल, हरी सब्जियां, चना आदि दालों का सेवन करें। हड्डियों की मजबूती के लिए आप मुक्ताशुक्ति व शंखभस्म आदि भी ले सकते हैं।

6- मज्जा धातु (बोनमैरो)

  बोनमैरो हड्डियों के जोड़ों के बीच चिकनाई का काम करती है और उन्हें मजबूत बनाती है।

* मज्जा धातु के बढ़ने के लक्षण और रोग:-

पूरे शरीर और खासतौर पर आंखों में भारीपन और हड्डियों के जोड़ों में बड़े बड़े फोड़े फुंसियाँ होना मज्जा धातु के बढ़ने के लक्षण हैं।

* मज्जा धातु के बढ़ने से निम्नलिखित रोग हो सकते हैं।

- ब्लड कैंसर

- उंगलियों के जोड़ों में दर्द और उनके अंदर फोड़े होना

- चक्कर आना

- बेहोशी

- आंखों के आगे अँधेरा छा जाना

* मज्जा धातु में कमी के लक्षण:-

- हड्डियों में खोखलापन

आस्टियोपीनिया

- ऑस्टियोपोरोसिस

- रुमेटाइड आर्थराइटिस

- हड्डियों और जोड़ों का टूटना

- चक्कर आना

- आंखों के आगे अँधेरा छा जाना 

7- शुक्र धातु

इसे सबसे अंतिम, शक्तिशाली और महत्वपूर्ण धातु है।इससें ओज की प्राप्ति होती है।

रविवार, 20 मार्च 2022

बवासीर|Piles|क्यों होती है|कारण|लक्षण|उपाय|in hindi.

 #बवासीर|Piles|क्यों होती है|कारण|लक्षण|उपाय|in hindi.



Dr.Virender madhan.

*बवासीर को Piles या Hemorrhoids भी कहा जाता है। 

- बवासीर एक ऐसी बीमारी है, जो बेहद तकलीफदेह होती है। इसमें गुदा (Anus) के अंदर और बाहर तथा मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से गुदा के अन्दर और बाहर, या किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं। मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। करीब 60 फीसदी लोगों को उम्र के किसी न किसी पड़ाव में बवासीर की समस्या होती है। रोगी को सही समय पर पाइल्स का इलाज (Piles Treatment) कराना बेहद ज़रूरी होता है। समय पर बवासीर का उपचार नहीं कराया गया तो तकलीफ काफी बढ़ जाती है।

#बवासीर के लक्षण क्या होते है?

 - शौच के बाद पेट साफ ना होने का एहसास होना, 

- शौच के वक्त काफी ज्यादा दर्द होना, 

- गुदा के आसपास सूजन रहना, 

-खुजली रहना और लालीपन आना, 

- बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना और गुदा के आसपास कठोर गांठ जैसा महसूस होना एवं उसमें दर्द होना आदि।

» बवासीर के कारण क्या हैं? 

- कब्ज पाइल्स की सबसे बड़ी वजह होती है। कब्ज होने की वजह से कई बार मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है और इसकी वजह से पाइल्स की शिकायत हो जाती है। 

-  ज्यादा देर तक खड़े रहने से भी पाइल्स की समस्या हो सकती है।

#अर्श की सरल चिकित्सा

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- 'बवासीर रोग' मे सबसे पहले रोगी का पेट साफ करना चाहिए ।

- पकी हुई नीम की निबौलियों पुराने गुड के साथ मिला कर सेवन करें ।

- नीम की निबौली और रसोंत समान मात्रा में मिला करके गाय के घी मे पीसकर मस्सों पर लेप करें ।

- रसौंत को घिसकर बवासीर पर लेप करें।

- आक के पत्तों का लेप बनाकर गुदा पर लेप लगायें।

- पंचकोल( पीपल, पीपलामूल, चव्य, चित्रक, और सौंठ ) का काढा सेवन करने से कफज बवासीर ठीक हो जाती है ।

- अदरक का काढा बनाकर पीने से कफज बवासीर ठीक हो जाते है।

- दारुहल्दी, खस, नीम की छाल का काढा पीने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।

- नागकेसर को मिश्री के साथ धी मे मिलाकर सेवन करने से *खूनी बवासीर* में आराम मिलता है।

- बिना छिलका के तिल 10 ग्राम मक्खन 10 ग्राम मे मिलाकर सेवन करने से रक्त स्राव बन्द हो जाते है।

- मट्ठा मे पीपल चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर ठीक होती है।

- बकरी का दूध प्रातः पीने से बवासीर के रक्तस्त्राव मे आराम मिलता है।

- गैंदे के फूलों 10 ग्राम मे 3-4 काली मिर्च पीसकर पानी में मिलाकर छानकर पीने से खूनी बवासीर- Piles- में आराम मिलता है।

-करेले या करेलो के पत्तों का रस मिश्री मिलाकर पीने से खूनी "बवासीर" नष्ट हो जाती है।

-प्याज के रस मे धी और मिश्री मिला कर पीने से बवासीर नष्ट हो जाती है ।

- बडी हरड को धी मे भूनकर बराबर का बिड्नमक मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें उस मे से। तीन ग्राम पानी से सोते लें बवासीर भी ठीक होती है और कब्ज भी दूर होती है।

- गिलोय के सत्व को मक्खन के साथ मिलाकर खाने से बवासीर नष्ट हो जाती है।

-छाछ मे भुना जीरा ,हींग, पुदीना, सैंधवनमक मिलाकर पीयें।

#बवासीर है तो क्या करें क्या न करें ?

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पुराने चावल,  मूंग, 

चने की दाल,  कुलथी की.दाल,

बथुआ , सौफ, सौंठ, परवल,

करेला, तोरई, जमीकन्द, गुड छाछ , छोटी मूली ,

कच्चा पपीता, दूध , धी , मिश्री , जौ , लहसुन , चूक 

आंवला, सरसौ का तैल , हरड, गौ मूत्र ये सब पथ्य है ।

खाने के योग्य है।

* अपथ्य ( परहेज )

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- उडद, पिठ्ठी, दही, सेम, 

-गरिष्ठ भोजन, तले भुने पदार्थ, 

- धूप में रहना, मल मूत्र आदि वेगो को रोकना, कठोर सीट पर बैठना, मांस मछली, मैदे के पदार्थ लेना , 

- उकडू बैठना बवासीर के रोगी को मना है ।

[खूनी बवासीर में ]

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लहसुन, सेम , विरुध आहार, दाहक पदार्थ ,खट्टे पदार्थ लेना मना है। अधिक मेहनत करना भी मना है।

आपको लेख कैसा लगा कोमेंट म जरूर लिखे।