#शरीर की 7 धातु क्या है?
Dr.Virender Madhan.
हमारे शरीर की पूरी संरचना इन्हीं सातों धातुओं से मिलकर हुई है।तीनों दोषों (वात,पित्त, और कफ) की ही तरह इन सातों धातुओं का निर्माण भी पांच तत्वों (पंच महाभूत) से मिलकर होता है। हर एक धातु में किसी एक तत्व की अधिकता होती है।
#7धातु कौन सी है?
सात धातुओं के नाम
1- रस : प्लाज्मा
2- रक्त : खून (ब्लड)
3- मांस : मांसपेशियां
4- मेद : वसा (फैट)
5- अस्थि : हड्डियाँ
6- मज्जा : बोनमैरो
7- शुक्र : प्रजनन संबंधी ऊतक (रिप्रोडक्टिव टिश्यू )
#धातुओं का निर्माण कैसे होता है?
हम जो भी खाना खाते हैं वो पाचक अग्नि द्वारा पचने के बाद कई प्रक्रियाओं से गुजरते हुए इन धातुओं में बदल जाती है। आपके द्वारा खाया गया खाना आगे जाकर दो भागों में बंट जाता है :
सार और मल।
सार का मतलब है भोजन से मिलने वाला पोषक तत्व और उर्जा, जिससे हमारा शरीर ठीक ढंग से काम कर सके।
- मल से तात्पर्य है कि भोजन को पचाने के बाद जो अपशिष्ट बनता है जिसका शरीर में कोई योगदान नहीं वो मल के रुप में शरीर से बाहर निकल जाता है।
ये सारी धातुएं एक क्रम में हैं और प्रत्येक धातु अग्नि द्वारा पचने के बाद अगली धातु में परिवर्तित हो जाती है।
भोजन से रस
रस से रक्त
रक्त से मांस
मांस से मेद
मेद से अस्थि
अस्थि से मज्जा
मज्जा से शुक्र
इसी तरह यह क्रम चलता रहता है।
#धातुओं के कार्य,और विकृति.
1- रस धातु
तीनों दोषों, सात धातुएं, पांच तत्व, शरीर, इन्द्रियां और मन के सारे कार्य इसी रस धातु से ही होते हैं। रस धातु का निर्माण पाचन तंत्र में होता है और फिर यह रस रक्त द्वारा पूरे शरीर में फ़ैल जाता है। दोषों में गड़बड़ी होने पर धातुओं के स्तर में भी बदलाव होने लगता है। रोग की उत्पत्ति होती है। जिस धातु के दूषित होने से रोग की उत्पप्ति होती है वह रोग उसी धातु के नाम से जोड़कर बोला जाता है। जैसे रस धातु के दूषित होने से “रसज रोग”कहते है।
* रस धातु के कार्य
इस रस का मुख्य काम तृप्ति करना है। यह संतुष्टि और प्रसन्नता प्रदान करता है और अपने से अगली धातु (रक्त) का पोषण करता है।
* रस धातु बढ़ने के लक्षण:-
रस धातु की वृद्धि होने पर कफ प्रकोप के सामान लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे पाचन शक्ति की कमी, जी मिचलाना, ज्यादा लार बनना, उल्टी साँसों से जुड़े रोग और खांसी आदि।
* रस धातु में कमी के लक्षण:-
- मुंह सूखना, थकान, रूखापन, दिल में दर्द और धड़कन तेज होना, तेज साँसे चलना आदि रस धातु में कमी के लक्षण हैं।
रस धातु के असंतुलन से होने वाले रोग
- भूख ना लगना,
- कुछ भी अच्छा ना लगना
- मुंह का बुरा स्वाद
- बुखार
-- बेहोशी
- नपुंसकता
- पाचन शक्ति में कमी
- त्वचा पर झुर्रियां पड़ना
उपचार:-
रसज रोगों के इलाज के लिए रसायन और ताकत देने वाली औषधियों का उपयोग करना फायदेमंद माना जाता है।
2- रक्त धातु ( खून या ब्लड) :
रक्त धातु के कार्य :
रक्त हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इसकी मदद से बाकी सभी अंगों को पोषण मिलता है। यह धातु रंग को निखारता है और बाकी इन्द्रियों से जो ज्ञान मिलता है वह भी रक्त के कारण ही संभव है। रक्त से आगे चलकर मांस धातु बनती है। रक्त में ही सभी धातुओं के पोषक तत्व मिले हुए होते हैं।
* रक्त धातु बढ़ने के लक्षण
रक्त धातु में बृद्धि होने पर त्वचा और आंखों में लालिमा दिखाई देती है।
* रक्त धातु में कमी के लक्षण :
रक्त धातु में कमी होने पर रक्त वाहिकाएँ कमजोर हो जाती हैं। इसकी कमी होने पर त्वचा की चमक फीकी पड़ जाती है और त्वचा रूखी हो जाती है। रक्त धातु की कमी होने पर रोगी को अम्लीय और ठंडी चीजें ज्यादा अच्छी लगती हैं।
* रक्त धातु के असतुलन से होने वाले रोग :-
- कुष्ठ रोग
- ब्लड कैंसर
- महिलाओं के जननांगो से
- रक्तस्राव
- मुंह में छाले
- लिंग का पकना
- प्लीहा (स्प्लीन) के आकार में वृद्धि
- पेट में गाँठ
- काले तिल और मुंह पर झाइयाँ
- दाद
- सफेद दाग
- पीलिया
- जोड़ों का रोग
उपचार:-
रक्त धातु से होने वाले रोगों के लिए रक्त को शुद्ध करना, पोषण और विरेचन सबसे अच्छे उपाय है।
3- मांस धातु
मांस धातु के कार्य
मांस धातु का मुख्य कार्य है लेपन अर्थात हमारी मांसपेशियों का निर्माण। जैसे किसी मकान को बनाने में सीमेंट या मिट्टी से लेप किया जाता है वैसे ही शरीर के निर्माण में मांसपेशियों का लेपन होता है। मांसपेशियों से शरीर को शक्ति मिलती है। ये शरीर के पूरे ढांचे को सुरक्षा प्रदान करता है।
* मांस धातु बढ़ने के लक्षण
शरीर में मांस धातु के बढ़ने से गर्दन, हिप्स, गालों, जांघों, टांगों, पेट, छाती आदि अंगों में मांस बढ़ने से मोटापा बढ़ जाता है। इससे शरीर में भारीपन आता है।७
* मांस धातु की कमी के लक्षण
मांस धातु की कमी से अंगों में दुबलापन, शरीर में रूखापन, शरीर में कुछ चुभने जैसा दर्द और रक्त वाहिकाओं के कमजोर होने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।
* मांस धातु के असंतुलन से होने वाले रोग:-
- जांघों के मांस में वृद्धि
- गले की ग्रंथियों के आकार में वृद्धि
- जीभ, तलवे और गले में गांठे होना
4- मेद धातु
मेद धातु- वसा (फैट) ।
* मेद धातु के कार्य
इस धातु का मुख्य काम शरीर में चिकनाहट और गर्मी लाना है। यह शरीर को शक्ति, सुरक्षा, दृढ़ता और स्थिरता देता है
* मेद धातु के वृद्धि के लक्षण:-
शरीर में मेद धातु बढ़ जाने से गले की ग्रंथियों में बढ़ोतरी, पेट का आकार बढ़ने जैसे लक्षण नज़र आते हैं।
- थोड़ी सी मेहनत करने पर थक जाना,
- स्तनों और पेट का लटकना,
- शरीर से दुर्गंध आना मेद धातु के मुख्य लक्षण हैं।
* मेद धातु में कमी के लक्षण:-
- आखें मुरझाना,
- बालों और कानों में रूखापन, - प्लीहा में वृद्धि आदि मेद धातु की कमी के मुख्य लक्षण है।
* मेद धातु के असंतुलन से होने वाले रोग:-
- हाथ-पैर में जलन
- बालों का उलझना या जटाएं बन जाना
- मुंह, गला और तलवे सूखना
- आलस,बहुत अधिक प्यास लगना
- ज्यादा पसीना निकलना
- शरीर सुन्न पड़ना
उपचार:-
मेद धातु बढ़ने का सीधा मतलब है शरीर का मोटापा बढ़ना।
5- अस्थि धातु
हमारे शरीर का ढांचा हड्डियों से ही निर्मित होता है।
* अस्थि धातु के बढ़ने के लक्षण और रोग
- बालों और नाखूनों में तेजी से वृद्धि, दांतों का आकार सामान्य से ज्यादा होना, हड्डियों व दांतों में दर्द, दाढ़ी-मूंछ के रोग होना
* अस्थि धातु में कमी के लक्षण:-
शरीर में अस्थि धातु की कमी होने पर हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं। हड्डियों और जोड़ों में दर्द, दांतों व नाखूनों का टूटना और रुखापन, बालों और दाढ़ी के बालों का झड़ना आदि अस्थि धातु में कमी के लक्षण हैं।
उपचार:-
अस्थि धातु बढ़ जाने पर तिक्त द्रव्यों से तैयार बस्ति देनी चाहिए। अस्थि धातु कमजोर होने पर कैल्शियम युक्त आहार, दूध, मट्ठा, पनीर, छाछ, ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें। इसके अलावा हड्डियों में कमजोरी होने पर ताजे फल, हरी सब्जियां, चना आदि दालों का सेवन करें। हड्डियों की मजबूती के लिए आप मुक्ताशुक्ति व शंखभस्म आदि भी ले सकते हैं।
6- मज्जा धातु (बोनमैरो)
बोनमैरो हड्डियों के जोड़ों के बीच चिकनाई का काम करती है और उन्हें मजबूत बनाती है।
* मज्जा धातु के बढ़ने के लक्षण और रोग:-
पूरे शरीर और खासतौर पर आंखों में भारीपन और हड्डियों के जोड़ों में बड़े बड़े फोड़े फुंसियाँ होना मज्जा धातु के बढ़ने के लक्षण हैं।
* मज्जा धातु के बढ़ने से निम्नलिखित रोग हो सकते हैं।
- ब्लड कैंसर
- उंगलियों के जोड़ों में दर्द और उनके अंदर फोड़े होना
- चक्कर आना
- बेहोशी
- आंखों के आगे अँधेरा छा जाना
* मज्जा धातु में कमी के लक्षण:-
- हड्डियों में खोखलापन
आस्टियोपीनिया
- ऑस्टियोपोरोसिस
- रुमेटाइड आर्थराइटिस
- हड्डियों और जोड़ों का टूटना
- चक्कर आना
- आंखों के आगे अँधेरा छा जाना
7- शुक्र धातु
इसे सबसे अंतिम, शक्तिशाली और महत्वपूर्ण धातु है।इससें ओज की प्राप्ति होती है।
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