Guru Ayurveda

सोमवार, 13 जून 2022

कैल्शियम की कमी के लक्षण,कारण,और चिकित्सा.in hindi.

 कैल्शियम की कमी के लक्षण,कारण,और चिकित्सा.in hindi.



#Dr.Virender Madhan.

#calcium|कैल्शियम की कमी.in hindi.

जब शरीर में पर्याप्त कैल्शियम की कमी हो जाती है तो उसे कैल्शियम की कमी के नाम से जाना जाता है।

-  महिलाओं मे पुरुषों की तुलना में इसके होने की संभावना अधिक होती है।  -पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं मे,और

- प्रसूता महिलाओं में कैल्शियम की कमी आमतौर पर हो जाती है।

 - कैल्शियम हड्डियों और दांतों के विकास और विकास में सहायता करता है।

- यह दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है, रक्त जमावट में सहायता करता है, और

 -   तंत्रिका तरंगों को स्वतंत्र रूप से बहने देता है। 

- बहुत अधिक कैल्शियम सूजन और कब्ज पैदा कर सकता है।

#कैल्शियम की कमी से शरीर में क्या होता है?

कैल्शियम की कमी से हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस, या भंगुर हड्डियों का कारण बन सकता है, लापरवाही करने पर

कैल्शियम की कमी के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

-  शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर हड्डियां कमजोर और दर्द होने लगता है.

- कैल्शियम की कमी होने पर मांसपेशियों में ऐंठन होती है.

- मेमोरी में भी कमी आ जाती है.

 - शरीर सुन्न होने लगता है और हाथ-पैरों में झुनझुनाहट रहती है.

- पीरियड में गड़बड़ी होने लगती है.

- दांत कमजोर हो जाते हैं.

* आक्षेप

 * थकान

* अनिद्रा

* शुष्क त्वचा

* नाज़ुक नाखून

* रुखे बाल

* खालित्य

* खुजली

* सोरायसिस

* दांतों की समस्या आदि समस्या कैल्शियम की कमी मे मिलती है।

#कैल्शियम की कमी से कौनसा रोग हो जाता है?

- ​​हृदय रोग-

 कैल्शियम की कमी से हार्ट संबंधी रोगों के जोखिम का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. 

- कोलेस्ट्रॉल का लेवल:-

शरीर में पर्याप्त कैल्शियम होने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल कंट्रोल रहता है. इससे हृदय की बीमारियों का खतरा कई गुना तक कम हो जाता है.

- ब्लड प्रेशर:-

 ​ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है- कई बार कैल्शियम की कमी से ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या भी हो जाती है

#कैल्सियम की कमी कैसे दूर करें?

कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए उपाय- 

- रोजाना डेयरी प्रोडक्ट्स का अधिक से अधिक सेवन करें। इसके लिए दूध, दही, पनीर, मक्खन आदि चीजों को डाइट में शामिल करें। 

- बच्चों को रोजाना एक गिलास दूध पीने को दें। 

- सीफूड में भी कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।

- सोयाबीन- सोयाबीन में कैल्शियम और ऑयरन भरपूर होता है.

- तिल- करीब 1 चम्मच तिल में अच्छा कैल्शियम होता है. 

- बादाम- बादाम को सुपरफूड कहा जाता है.


#कैल्शियम कौन कौन सी चीजों में होता है?

* कंद में - नारियल का गुड़, शकरकंद, प्याज, लेमन ग्रास, गन्ना आदि कैल्शि‍यम के अच्छे स्त्रोत हैं जिनका प्रयोग किया जा सकता है। 

- हरी सब्जी, और फल खाने से भी कैल्शियम की पुर्ति होती है।

कैल्शियम से भरपूर सब्जियों में पालक, ब्रोकली, एवोकाडो, भिंडी, कोलार्ड और केला शामिल हैं।

सफेद बीन्स, सोयाबीन और फ्लैट बीन्स जैसे बीन्स भी आहार में कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं।

 कुछ कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ हैं:

दुग्ध उत्पाद

फलियाँ

अंजीर

ब्रोकोली

टोफू

सोय दूध

पालक

दृढ़ अनाज


#कैल्शियम की कमी मे आयुर्वेदिक दवा

-गिलोय चूर्ण,गिलोय रस का प्रयोग.

- 1 ग्राम कैल्शियम रोजाना चाहिए।

 इसके लिए आप मुक्ता शुक्ति 1 ग्राम और मोतिपिष्टी एक चौथाई भाग लेकर सेवन करे। इसमें अधिक मात्रा में कैल्शियम पाई जाती हैं। जो इस कमी को पूरा करेगी।

- मुक्तावटी से कैल्शियम म इजाफा होता  है।

- हल्दी, मेथी, ,सौंठ, सुरंजान और अश्वगंधा और शतावर का सेवन करे।

- कर्पद भस्म,शंख भस्म, मोती भस्म, मुक्ताशुक्ति ,प्रवाल पिष्टी या भस्म का प्रयोग चिकित्सक के अनुसार करने से शीध्र लाभ मिलता है।

- हल्दी वाला दूध पीने से आराम मिलता है।

धन्यवाद!


रविवार, 12 जून 2022

#बुद्धि कैसे बढ़ाएं?In hindi.


 #बुद्धि कैसे बढ़ाएं?In hindi.

# आयुर्वेद से बुद्धि कैसे बढ़ाएं ?In hindi.

स्मरणशक्ति एवं बुद्धि बढ़ाने वाली आयुर्वेद औषधियां व जड़ी बूटियाँ- जैसे शंखपुष्पी, बच, शतावरी, ज्योतिष्मती, अश्वगंधा, आंवला, शहद आदि और खाद्य-पदार्थों में अनार, बथुवा, जौ , लहसुन, सैंधा नमक, गाय का दूध और घी, मालकांगनी, | बैंगन आदि बुद्धि-वर्धक हैं।

#दिमाग को तेज करने वाली कौन सी दवा है?

मस्तिष्क के लिए बेहतरीन टॉनिक है ब्राह्मी 

- ब्राह्मी मस्तिष्क के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक औषधि मानी जाती है. अगर आप ब्राह्मी के अर्क का सेवन हर रोज नियमित रूप से करते हैं, तो इससे आपकी याददाश्त तेज, अल्जाइमर, सोचने-समझने की क्षमता, व्यवहारिक दक्षता आदि को बढ़ाने में सहायता मिलती है.

#दिमाग को बढाने के लिये क्या खायें?

कमजोर दिमाग को तेज करने के लिये अपने भोजन में शामिल करें.

केले, ब्रोकोली और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां डाइट , तेज दिमाग के लिए पालक, केले, ब्रोकोली और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां सहायक होती हैं.

अंडा का सेवन लाभदायक होता है.

अखरोट खाने से दिमाग को बल मिलता है.

#बुद्धि को बढाने के लिए क्या करें?

- सही भोजन का सेवन करे .

- रोजाना एक्सरसाइज करे.

-समय पर , सही मात्रा में नींद ले.

-  कुछ समय के लिए मनोरंजन करें.रोजाना गाने सुने

ब्रेन गेम्स को खेले

 #आयूर्वेद मे ब्रेन टॉनिक क्या है?

बीएचयू के आयुर्वेद विभाग के द्रव्य गुण विभाग में मण्डूकपर्णी के पौधे पर रिसर्च कर ब्रेन टानिक के रूप में उन गुणों को पाया गया है, जिनसे टेंशन, डिप्ररेशन, कमजोर यादाश्त से लड़ा जा सकता है। मण्डूकपर्णी के पौधे का रस दिमाग की इन्द्रियों को फ्रेश रखता है।

 टेंशन और घबराहट के लिए 'ब्रेन टॉनिक' है

#आयुर्वेदिक बुद्धि बर्द्धक औषधि :-

शंखपुष्पी सीरप

गुरु ब्रनिका सीरप

सारस्वतारिष्ट

अश्वगंधारिष्ट

- डाक्टर को कब दिखायें?

मानसिक कमजोरी याददाश्त को भी प्रभावित करता है. इससे व्यक्ति को चीजें याद कर बोलने में भी मुश्किल हो सकती है. इसके अलावा चीजों को बोलने में कंफ्यूजन हो जाना भी दिमाग के नसों की कमजोरी से जुड़ा होता है. ऐसी स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

#कौन सा फल खाने से दिमाग तेज होता है?

स्ट्रॉबेरी में सभी गुण होते हैं, जो आपके मानसिक संतुलन को बनाए रखने में आपकी मदद कर सकती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनॉएड्स मौजूद होता है, जो ब्रेन सेल्स को मजबूत करता है। दिमाग की शक्ति को बढ़ाता है। खासतौर से बढ़ते बच्चों के लिए स्ट्राबेरी खाना लाभदायक हो सकता है।

#बुद्धि बढ़ाने के हैं ये 6 बेहतरीन तरीके

- जीवन मे कुछ नया कीजिए .

- रोजना नियमित व्‍यायाम अपने बल के अनुसार करते रहें.

- दिमागी कसरत करें जैसे पहेलियां सोल करना.

- पोजेटिव सोच रखें।

सकारात्‍मक सोच रखने से दिमाग की ताकत बढती है. 

- सात्विक व स्‍वस्‍थ पोष्टिक आहार लेना चाहिए. 

- ज्ञान बर्द्धक ,मोटीवेशन करनेवाली किताब पढ़ें.

धन्यवाद!

शनिवार, 11 जून 2022

ब्रेन, दिमाग के लिये कौन सा आयुर्वेदिक टोनिक है? In hindi.


  ब्रेन दिमाग के लिये कौन सा आयुर्वेदिक टोनिक है? In hindi.

10 सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक ब्रेन टॉनिक सिरप मे से एक

गुरू ब्रैनिका सिरप

#Guru Brainica Syrup 

- सभी के लिए आयुर्वेदिक ब्रेन टॉनिक सिरप - 

“ गुरू ब्रैनिका सिरप ”

मस्तिष्क एक उच्च ऊर्जा वाला अंग है जिसे पूरे दिन केंद्रित रहने के लिए बहुत सारे अच्छे खुराक की आवश्यकता होती है।  स्वस्थ रहने के लिए कुछ पोषक तत्वों के सेवन की आवश्यकता होती है।  

ब्रह्मी

शंखपुष्पी

वच

जटामांसी

यष्टिमधु

सौठ

मरिच

विड़ंग

 जैसे तत्व मस्तिष्क की कोशिकाओं के निर्माण और मरम्मत में मदद करते हैं, जबकि एंटीऑक्सिडेंट सेलुलर तनाव और सूजन को कम करते हैं, जो मस्तिष्क की उम्र बढ़ने और न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों से जुड़े होते हैं।  

* मानसिक स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण चीज है इसकी अच्छी देखभाल करना बेहद जरूरी है।  आज बाजार में ऐसे कई उत्पाद हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं, 

 1. तंत्रिका तंत्र 

तंत्रिका तंत्र को फिर से जीवंत करने के लिए गुरु ब्रैनिका  सिरप.

ब्रैनिका  सिरप एक आयुर्वेदिक मेमोरी स्टिमुलेटर सिरप है जो मस्तिष्क की याददाश्त और शक्ति में सुधार के लिए अद्भुत काम करता है।  यह टॉनिक कई हर्बल और प्राकृतिक अवयवों के लाभों के साथ एक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है जो मस्तिष्क को शक्ति में आवश्यक बढ़ावा देने और विभिन्न कार्यों को करते समय इसकी दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए मिलकर काम करता है।  यह सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है, चाहे वे युवा हो या बच्चे.

 2. तनाव कम करने के लिए.

ब्रैनिका  सिरप एक ब्रेन टॉनिक स्वास्थ्य पूरक है यह आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करके मस्तिष्क बूस्टर के रूप में कार्य करता है।  यह एक उच्च गुणवत्ता वाला मस्तिष्क स्वास्थ्य पूरक है जो आपके दैनिक कार्यों के बारे में जाने के साथ-साथ बेहतर संज्ञानात्मक कार्य प्राप्त करने में आपकी सहायता के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों को जोड़ता है।  यह मस्तिष्क में तनाव और थकान को दूर करने के साथ-साथ याददाश्त को तेज करने में मदद करता है।

 4.  मस्तिष्क टॉनिक सिरप

चिंता के लिए दिमागी शक्ति दाई.

ब्रैनिका  सिरप स्मृति और तंत्रिका तंत्र को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है।  सिरप तनाव और चिंता को कम करने के साथ-साथ एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने में प्रभावी है।तथा एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकते हैं।

ब्रनिका सिरप अवसाद के उपचार और बुद्धि की वृद्धि में सहायता करता है। 

 5. एकाग्रता के लिए.

ब्रैनिका  सिरप में आयुर्वेदिक तत्व होते हैं जो मस्तिष्क को तेज करने में सहायता करते हैं।  यह याददाश्त बढ़ाने और मानसिक थकान को कम करने में मदद करता है।   इसका उपयोग फोकल संवेदी प्रणाली पर अपनी गतिविधि के लिए किया जाता है, जो स्मृति और बुद्धि को बेहतर बनाने में मदद करता है।

यह खराब एकाग्रता, स्मृति, बुद्धि, लोभी शक्ति और नींद की गड़बड़ी में मदद करता है।  यह पाचन और आंत से अवशोषण में सहायता करता है, साथ ही कीड़े के विनाश में भी सहायता करता है “ब्रैनिका  सिरप”

धन्यवाद!

Guruparma2000@gmail.com.


 

बुधवार, 8 जून 2022

वसंत कुसुमाकर रस मधुमेह की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा.in hindi.

 वसंत कुसुमाकर रस मधुमेह की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा.in hindi.

Basantkusmaker ras.



वसंत कुसुमाकर रस मधुमेह की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है.

क्योंकि यह ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य और स्थिर करता है। इसका उपयोग एंटी-हाइपरग्लाइकेमिक, कामोत्तेजक और कार्डियोप्रोटेक्टिव एजेंट के रूप में भी किया जाता है।

#रसेन्द्रसारसंग्रह के अनुसार वसंत कुसुमाकर रस।

वसंत कुसुमाकर रस के घटक द्रव्य:-

सोनाभस्म 2 भाग,

चांदी भस्म 2 भाग,

वंग भस्म  3 भाग,

वंगभस्म 3 भाग,

कांतलौह भस्म 3 भाग,

अभ्रक भस्म 4भाग,

मूंगा भस्म और मोती 4-4 भाग,

भावना द्रव्य -

गाय का दूध, ईख का रस, अडूसे के पत्तों का रस, लाख का क्वाथ, सुगंधवाला रस , केले के की जड का रस,केले के फूलों का रस, शतावर का रस, मालती के फूलों का रस,

सुगंध के लियें कस्तूरी का क्वाथ,

बसन्तकुसुमाकर रस बनाने की विधि:-

सभी भस्मो को मिलाकर खरल करें फिर भावना द्रव्यों मे से एक-एक द्रव्यो की अलग अलग भावना 7-7 बार दें.

बाद मे 2-2 रत्ती की गोली बना लें।

अनुपान:- 

मिश्री, शहद,धृत के साथ दें।

मात्रा:-

1से2गोली सवेरे शाम या 

चिकित्सक के अनुसार

इस औषधि का प्रयोग चिकित्सक की सलाह लेकर ही करें।

उपयोग:-

बसंतकुसुमार रस-कान्ति ,काम ,पुष्टि की बृद्धि करता है।

बसन्तकुसुमाकर रस के प्रयोग से वली,पलीत,और श्रुतिभ्रंश रोड को नष्ट करता है।

यह पुष्टि, बल,और आयुबर्द्धक है।पुत्रदा(संन्तान ) दायक है.

इससे बीस प्रकार के प्रमेह,11प्रकार के क्षय,और साध्यसाध्य सोमरोग नष्ट होते है.

इस औषधि के अब तक कोई साईड इफ्कट सामने नही आये है।

(रसेन्द्रसारसंग्रह)

धन्यवाद!



 

कमाल की औषधि इसबगोल|Plantago ovata, in hindi.

 कमाल की औषधि इसबगोल|Plantago ovata, in hindi.

#ईसबगोल|Plantago ovata क्या है?In hindi.



#DrVirenderMadhan.

- इसबगोल प्लांटागो ओवाटा नामक पौधे का बीज होता है।इसके बारे मे अधिकतर लोग कुछ न कुछ जाते हैं।

 यह पौधा देखने में बिल्कुल गेहूँ के जैसा होता है जिसमें छोटी छोटी पत्तियां और फूल होते हैं। इस पौधे की डालियों में जो बीज लगे होते हैं उनके ऊपर सफ़ेद रंग का पदार्थ चिपका रहता है। इसे ही इसबगोल की भूसी (Psyllium husk) कहते हैं।

#इसबगोल कहाँ पैदा होता है?

 ईसबगोल उत्पादन एवं क्षेत्रफल में भारत का स्थान प्रथम है। भारत में इसका उत्पादन प्रमुख रूप से गुजरात ,राजस्थान ,पंजाब , हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में करीब 50 हजार हेक्टर में हो रहा हैं।



#इसबगोल की तासीर कैसी होती है?

इसबगोल की तासीर ठंडी होती है, यह कब्ज़, पेचिश और आंत के रोगों के लिए बहुत अच्छी होती है .

#इसबगोल कब्ज के लिए है रामबाण औषधि है।

कई फायदों वाला है इसबगोल ​कब्ज में राहत तथा ​दस्त रोकने में मददगार है।

- ​ब्लड शुगर कम करने मे मददगार होती है।

- यह ​कलेस्ट्रॉल कम करने मे उपयोगी होती है.

- इसबगोल ​दिल को स्वस्थ रखता है।

- ​वेट लॉस में मददगार होती है इसबगोल।

- ​ओवरइटिंग रोकने में मददगार है



#10 रोगों का उपाय एक ईसबगोल ?

ईसबगोल के उपाय - 

1  डाइबिटीज मे - 

 ईसबगोल का पानी के साथ सेवन करें इससे रक्त में बढ़ी हुई शर्करा को कम करने में सहायक होती है। 

 2  अतिसार -

 ईसबगोल पेट दर्द, आंव, दस्त व खूनी अतिसार में भी बहुत जल्दी असर करता है, और आपकी तकलीफ को कम कर देता है । 

3 - बवासीर - 

 ईसबगोल खूनी बवासीर में अत्यंत लाभकारी ईसबगोल का प्रतिदिन सेवन आपकी इस समस्या को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। पानी में भि‍गोकर इसका सेवन करना लाभदायक है। 

4 पाचन तंत्र - 

आपको पाचन संबंधित समस्या बनी रहती है, तो ईसबगोल आपको इस समस्या से राहत दिलाता है। प्रतिदिन भोजन के पहले गर्म दूध के साथ ईसबगोल का सेवन पाचन तंत्र को दुरूस्त करता है। 

* कब्ज होने पर ईसबगोल गुनगुने पानी के साथ सोने से पहले लिया जाता है। दस्त होने पर ईसबगोल दही में मिलाकर खाया जाना चाहिए। दो चम्मच ईसबगोल तीन चम्मच दही में मिलाकर दिन में दो बार खाने से दो दिन में ही दस्त से आराम मिलता है। यही नहीं, पेट में होने वाले दर्द और मरोड़ मे भी ईसबगोल आराम दिलाता है।

5  जोड़ों में दर्द - 

जोड़ों में दर्द होने पर ईसबगोल का सेवन राहत देता है। 

-यह दांत दर्द में भी यह उपयोगी है। वि‍नेगर के साथ इसे दांत पर लगाने से दर्द ठीक हो जाता है। 

6 वजन कम करे -

वेटलोस, वजन कम करने के लिए भी फाइबर युक्त ईसबगोल उपयोगी है। इसके अलावा यह हृदय को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। 

7 कफ -

 कफ के जमा होने पर ईसबगोल का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे कफ निकलने में आसानी होती है। 

8  सिर दर्द - 

Headache, ईसबगोल का सेवन सि‍रदर्द के लिए भी उपयोगी है। 

नीलगिरी के पत्तों के साथ इसका लेप दर्द से राहत देता है, - प्याज के रस के साथ इसके उपयोग से कान का दर्द भी ठीक होता है। 

 9नकसीर - 

 नाक में से खून आने पर ईसबगोल और सिरके का सर पर लेप करने से आराम होता है।

10- सांस की दुर्गन्ध -  

ईसबगोल के प्रयोग से सांस की दुर्गन्ध से बचाता है, इसके अलावा खाने में गलती से कांच या कोई और चीज पेट में चली जाए, तो ईसबगोल सकी मदद से वह बाहर निकलने में आसानी होती है। 

<लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर बतायें।>

धन्यवाद!


मंगलवार, 7 जून 2022

एक यौनरोग उपदंश [Syphilis] क्या है?In hindi.

 #Syphilis rog kya hain?In hindi.

#एक यौनरोग उपदंश [Syphilis] क्या है?



उपदंश - SYPHILIS क्या है?

आधुनिक और आयुर्वेदिक विवर्ण -

SYPHILIS - ACCORDING TO MODERN AND AYURVEDA

-----------------------------------

#Syphilis rog kya hain ?

 आधुनिक दृष्टि से: - 

    - सिफलिस एक गंभीर यौन संचलित, संक्रामक रोग है और इसके विकास से लेकर खतरनाक लक्षणों के प्रकट होने तक, संक्रामक धीरे धीरे बढता है।  इसे माता-पिता से प्राप्त या विरासत में मिल सकता है.

 * [ट्रैपोनिमा पैलेडियम ]

- इस यौन रोग के पीछे यह प्रेरक जीवाणु है।  संभोग या अन्य यौन गतिविधियों के दौरान कई पुरुष या महिला भागीदारों के साथ निकट संपर्क मे आने से पहले से ही संक्रमित साथी से सीधे संक्रमण बढने की अनुमति देता है। यौन साझेदारों की संख्या जितनी अधिक होगी, इस बीमारी का जोखिम उतना ही अधिक होगा।

   पहले से ही ईलाज न हो तो सिफलिस जीवन के लिए खतरा बन सकता है क्योंकि इसके कारण अंधापन, बहरापन, न्यूरो सिफलिस (नसों और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है), हड्डियों और हृदय को नुकसान जैसी गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं पैदा कर सकता है।

 - प्रारंभिक अवस्था में यह मुंह, मलाशय और जननांग भागों पर दर्द रहित घावों का प्रतिनिधित्व करता है (ये भाग आमतौर पर यौन गतिविधियों के दौरान संपर्क में आते हैं)।  आधुनिक चिकित्सा के अनुसार सिफलिस चार चरणों में प्रकट होता है -

 1- प्राथमिक उपदंश :-

   यौनांग पर दर्द रहित घाव विशेष रूप से मुंह (मुख सेक्स), मलाशय (गुदा मैथुन) और जननांग (सामान्य योनि सेक्स) में दिखाई देते हैं।

 2- सेकेंडरी सिफलिस:-

    अधिकतर हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों पर खुजली वाले चकत्ते, सूजन लिम्फ नोड्स, थकान, बुखार, मांसपेशियों में दर्द और वजन कम होना आदि।

 3- गुप्त उपदंश :-

  इसका इलाज न किया जाए तो बैक्टीरिया कई वर्षों तक बिना किसी लक्षण के निष्क्रिय अवस्था में चले जाते हैं।

 4- तृतीयक उपदंश:-

 इलाज नहीं किया जाता है तो यह सिफलिस का यह खतरनाक चरण है। यह जीवन के लिए खतरा है और हृदय, रक्त वाहिकाओं, मस्तिष्क, नसों, यकृत और जोड़ों को हानि पहुंचाता है।

  यह रोग कमजोर प्रतिरोधक क्षमता से भी सम्बंधित होता है, जिससे रोगजनकों को शरीर में आसानी से प्रवेश मिल जाता है।  इसलिए आधुनिक में इसका एंटीबायोटिक्स (मुख्य रूप से पेनिसिलिन पसंद की दवा है), प्रतिरक्षा बूस्टर और कुछ रोगसूचक दवाओं के साथ सबसे अच्छा इलाज किया जाता है.

#आयुर्वेदिक मे सिफलिस क्या है?

 आयुर्वेद में वर्णित "फिरंग रोग" नामक बीमारी के साथ उल्लेखनीय समानताएं हैं। इस रोग को वैदिक आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित नहीं किया गया है, लेकिन आचार्य भावमिश्रा ने अपने आयुर्वेदिक पाठ "भावप्रकाश" में इसका वर्णन किया है।

   उनके अनुसार फिरंग रोग (सिफलिस) त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) के खराब होने के कारण होता है, लेकिन कफ दोष मुख्य रूप से रोग के विभिन्न चरणों में हावी होता है, ज्यादातर पुरानी अवस्था में।  आगे चलकर त्रिदोष के इन सभी विकृतियों और असंतुलन के कारण, धतूस (ऊतक) नशे में हो जाता है और मस्तिष्क, नसों, हृदय, यकृत, हड्डियों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बनता है।

  “ फिरंग रोग" फिरंगी लोगों से  भारत में आयी है, शायद मुख मैथुन, गुदा मैथुन और बहुविवाह (कई भागीदारों के साथ सेक्स) की गंदी संस्कृति के कारण, जो उनके लिये आम था।  उनकी संस्कृति के साथ।  आचार्य भावमिश्र के अनुसार फिरंग रोग तीन मुख्य प्रकार का होता है- बाहरी (बाहरी), आभ्यंतर (आंतरिक) और बाहरीाभ्यान्तर (मिश्रण)।

 आयुर्वेदिक उपचार:-

आचार्य भावमिश्र ने फिरंग रोग के उपचार में "पारद" (बुध) को सबसे महत्वपूर्ण औषधि के रूप में वर्णित किया है। उन्होंने इस रोग के उपचार में पारद का उपयोग करने के सात तरीके बताए हैं।  

विद्वानों के अनुभवों मे जो इस बीमारी के इलाज में प्रभावी देखा है।

 1- निम्ब चूर्ण 2 ग्राम

      हरिद्रा चूर्ण 2 ग्राम

 सवेरे -शाम. 

2- गंधक रसायन -125 मिलीग्राम)सवेरे-शाम जल से 3- आरोग्यबर्द्धिनी बटी 2-2 सुबह शाम खाने के बाद

 -  इस योग में - निम्ब में एंटी माइक्रोबियल और डिटॉक्सिफिकेशन गुण होते हैं और यह शरीर की प्रतिरक्षा में भी सुधार करता है जबकि हरिद्रा अपने एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी मजबूत एंटी ऑक्सीडेंट संपत्ति के कारण यह एक अच्छा बूस्टर है  प्रतिरक्षा का भी।

 गंधक रसायन अपने एंटी बैक्टीरियल क्रिया के लिए जाना जाता है और आयुर्वेद में पहले से ही कई त्वचा संक्रमणों में संकेत दिया गया है इसलिए इस बीमारी के उपचार में उत्साहजनक परिणाम हैं।  

आरोग्यबर्द्धिनी बटी मे

 हरड़, बहेड़ा, आंवला, शुद्ध शिलाजीत, शुद्ध गुग्गुल, चित्रक मूल, कुटकी, निम्ब, शुद्ध पारद जैसी कई दवाओं का एक चमत्कारी संयोजन है। अभ्रक भस्म,ताम्र भस्म और आयरन भस्म आदि।  इसके सभी अवयवों के कारण  आरोग्यबर्द्धिनी वटी एक अद्भुत एंटीबायोटिक, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी एजेंट के रूप में कार्य करती है। इस तरह की चमत्कारी दवाओं का यह मजबूत संयोजन कई अन्य बीमारियों से भी प्रतिरक्षा प्रदान करता है।

अन्य:-

व्याधिहरण रस+महामंजिष्ठादि चूर्ण+चंद्रप्रभा वटी (दिन में दो बार 1 ग्राम) ......... चंदनासव+पलाशपुष्पासव+देवदार्वारिष्ट 30 मिली दिन में दो बार जल के साथ 2-3 महीने की अवधि के लिए दें।


धन्यवाद!

सोमवार, 6 जून 2022

अग्नितुण्डी वटी क्या है?In hindi.

 अग्नितुण्डी वटी|Agnitundi Vati का परिचय.



#अग्नितुण्डी वटी क्या है?In hindi.

अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधि है, जो मुख्यतः बदहजमी, पाचन तंत्र के रोग, भूख न लगना के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। 

#अग्नितुण्डी वटी के घटक क्या हैं?

Agnitundi Vati|अग्नितुण्डी वटी के मुख्य घटक :-

पारद

गन्धक शुद्ध

वत्सनाभ शुद्ध

अजमोद,

 आंवला,

 हरीतकी,

 ज़ीरा,

 सुहागा आदि.

-----------

*अजमोद

अजमोद मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को रोकने मे उपयोगी है।

*आंवला

आंवला भूख बढ़ाने के तत्‍व,पाचन क्रिया और पेट को ठीक रखने वाले पाचक एंजाइम का स्त्राव उत्तेजित करके पाचन क्रिया को ठीक रखता।

* हरीतकी (हरड़)

Infection|संक्रमण के कारण होने वाली सूजन को कम करने वाली खांसी को नियंत्रित करने वाली औषधि है।

* जीरा

जीरा,पेट की गैस या पेट फूलने की समस्या को कम करने वाली,पाचन क्रिया को बेहतर करने वाली है।

* सुहागा

सुहागा पाचन क्रिया और पेट को आराम देने वाली, एसिडिटी को ठीक करने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है।

#Agnitundi Vati|अग्नितुण्डी वटी किन किन रोगों में काम आती है?

-अग्नितुण्डी वटी के मुख्य लाभ क्या है?

- बदहजमी indigestion

- पाचन तंत्र के रोग 

- भूख न लगना anorexia

अन्य लाभ

- एसिडिटी acidity

- कब्ज Constipation

- खांसी Cough

- पेट दर्द Colic

#Agnitundi Vati अग्नितुण्डी वटी की Dose(खुराक) 

 कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा हिस्ट्री के आधार पर खुराक अलग हो सकती है।

व्यस्क मे मात्रा: 

- निर्धारित खुराक का उपयोग करें

- खाने के बाद या पहले: कभी भी दवा ले सकते हैं

अधिकतम मात्रा:

- 2 टैबलेट गुनगुना पानी से दिन में दो बारलें।

दवा लेने की अवधि:-

 उपचार लम्बे समय तक जारी रह सकता है।

# Agnitundi Vati अग्नितुण्डी वटी के नुकसान, दुष्प्रभाव और साइड इफेक्ट्स - 

  Agnitundi Vati के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। 

नोट-

  [Agnitundi Vati का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।]

*चेतावनी:-

अग्नितुण्डी वटी|Agnitundi Vati का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?

 Agnitundi Vati के अच्छे या बुरे प्रभाव के बारे में चिकित्सा जगत में कोई रिसर्च न हो पाने के चलते पूरी जानकारी मौजूद नहीं हैं। इसको जब भी लें डॉक्टर से पूछने के बाद ही लें।

- जो स्त्रियां स्तनपान कराती हैं उनके ऊपर Agnitundi Vati का क्या असर होगा?

  कोई शोध नहीं किया गया है, इसके चलते पूर्ण जानकारी मौजूद नहीं है। दवा को लेते समय डॉक्टर की राय लेना जरूरी।

- पेट के लिए Agnitundi Vati हानिकारक नहीं है।

- बच्चों में Agnitundi Vati के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है।

- Agnitundi Vati के सेवन के बाद चक्कर आना या झपकी आना जैसी दिक्कतें नहीं होती हैं। इसलिए आप वाहन चला सकते हैं या मशीनरी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

- Agnitundi Vati का उपयोग करने से आदत तो नहीं लग जाती है?

  Agnitundi Vati लेने से कोई लत नहीं पड़ती। फिर भी, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह पर ही Agnitundi Vati का इस्तेमाल करें।

- क्या Agnitundi Vati को शहद के साथ ले सकते है? 

हां, शहद के साथ अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati का उपयोग करना सुरक्षित है।

- क्या Agnitundi Vati को गुनगुना पानी के साथ ले सकते है? 

- गुनगुने पानी के साथ  

अग्नितुण्डी वटी Agnitundi Vati लेना बिल्कुल सुरक्षित माना जाता है।


धन्यवाद!