चर्बी दूर कैसे करें? In hindi
मोटापा दूर कैसे करें?
#रावण का मेदोबृद्विहर आयुर्वेदिक योग
#मोटापा आयुर्वेदिक दवा से कैसे दूर करें ?In hindi.
#Charbi kaise kam kere?
>> Obesity treatment|मोटापे का ईलाज|
#DrVirenerMadhan.
मोटापा-
शरीर में अत्यधिक वसा के कारण होने वाला विकार है जो स्वास्थ्य को खराब कर देता है.अनेक रोगों को जन्म देता है।
मोटापा-
खर्च होने वाली कैलोरीज़ से ज़्यादा कैलोरीज़ लेने के कारण बढ़ता है.
#मोटापे के सामान्य लक्षण:-
-Motape ke samanya lakshan,
-चलने मे सांस फुलना,
-भुख अधिक लगना,
- जोड़ या पीठ मे दर्द होना.
- वजन ज़्यादा होना,
- खर्राटे आना,
- तोंद का बढना,
-अधिक पसीना आना,
- थकान रहना, या
- बहुत ज़्यादा खाना मोटापे के सामान्य लक्षण हो सकते है।
#मोटापे के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं। :-
- सांस फूलना –
बार-बार साँस फूलने की समस्या का होना मोटापे का लक्षण है जो कई कारणों से हो सकता है और कई रोगों का कारण बनता है।
- पसीना में वृद्धि –
अचानक से बार-बार पसीना आना
- बिना कोशिश करे वजन बढना।
#मोटापे का आयुर्वेद मे कैसे उपचार कर सकते है?
- शारिरिक स्थूलता को दूर करने के लिए कुछ सावधानियां करनी पड़ती है जैसे-
#आहार में सावधानी:-
-पुराने चावल, मुंग, कुलथी, वनकोदों आदि अन्नो का हमेशा प्रयोग करना चाहिए।
#कर्म-
बस्तिकर्म, चिन्ता ,व्यायाम, धुम्रपान , उपवास, रक्तमोक्षण,
कठोर स्थान पर सोना, तमोगुण का त्याग करना चाहिए।
* आहार विहार मे संयम रखें।
* पहला भोजन पचाने के बाद ही दोबारा भोजन करें
बार बार थोडी थोड़ी देर में भोजन न करें।
- परिश्रम, मार्गगमन यानि पैदल खुब चले।
- मधु का सेवन करें, रात्रि जागरण करें।
- पतिदिन अन्नो का माण्ड बनाकर पीयें।
- वायविंडग, सौठ, जवाखार, कालेलोहे का मण्डुर ,और मधु का सेवन करें।
- आंवला और यवचूर्ण मिलाकर कर खाने से मोटापा दूर होता है।
- चव्य,जीरा,त्रिकटु (सौठ, कालीमिर्च, पीपल),हिंग, कालानमक, चित्रक, इन सबके चूर्ण बना कर सत्तु मे मिला लें फिर इसे दही के पानी (दही नही) के साथ प्रयोग करने से चर्बी नष्ट हो जाती है।
#एक मोटापा नष्ट करने का महायोग:-
त्रिकटु(सौठ, कालीमिर्च, पीपल), सहजन की जड,त्रिफला, कटुकी, कटहरी, हल्दी, दारुहल्दी, पाठा, अतीस, शालवन, केतकी की जड, अजवाइन, चित्रक, कालानमक, कालाजीरी, हाऊबेर, इन सबका चूर्ण बना लें।
बाद मे
1भाग चूर्ण
1भाग धी
1भाग मधू
16 भाग यव का सतू (जौ का सतू) इसको किसी रुचि कर शीतल पेय के साथ पान करें
*इसके प्रयोग से
प्रमेह,मूढवात, कुष्ठ, अर्श, कामला, पाण्डू रोग, प्लीहा सूजन, मूत्रकृच्छ, अरोचकति, हृदय सम्बंधित रोग, क्षयरोग, खाँसी , श्वास रोग, गलग्रह ,कृमि, ग्रहणी ,शैत्य यानि शीतका प्रकोप, मोटापा जैसे कठिन रोगों को शीध्र ही उन्मूलन कर देता है।
[यह योग रावण संहिता के रोग चिकित्सा ज्ञान से लिया है]
इस योग से क्षुधाग्नि , शक्ति, बुध्दि, तथा स्मरणशक्तिभी बढती है।
धन्यवाद!