Guru Ayurveda

#Healthtips लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
#Healthtips लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2024

घुटनों में गैप होने पर ओपरेशन से बचने के लिए क्या करें


 घुटनों में गैप होने पर ओपरेशन से बचने के लिए क्या करें


घुटनों में गैप (knee joint space narrowing) होने पर ऑपरेशन से बचने के लिए कुछ उपाय और जीवनशैली में बदलाव मददगार हो सकते हैं। ये उपाय घुटने के दर्द और सूजन को कम करने और स्थिति को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं:


वजन नियंत्रित करें:–

----------- ---  

 अधिक वजन घुटनों पर अतिरिक्त दबाव डालता है। वजन कम करके आप घुटनों पर दबाव कम कर सकते हैं और उनकी सेहत में सुधार कर सकते हैं।


फिजिकल थेरेपी:–

-----------------

 फिजियोथेरेपिस्ट से परामर्श लें और उनके द्वारा बताए गए व्यायामों को करें। यह मांसपेशियों को मजबूत करने और लचीलापन बढ़ाने में मदद कर सकता है, जिससे घुटनों पर दबाव कम होता है।


हल्के व्यायाम:–

-----------------

 तैराकी, साइकिल चलाना और योग जैसे हल्के व्यायाम घुटनों के लिए अच्छे होते हैं। ये घुटनों पर दबाव नहीं डालते और उन्हें सक्रिय रखते हैं।


गर्म और ठंडी सिकाई:–

---------------

 दर्द और सूजन को कम करने के लिए ठंडी और गर्म सिकाई का प्रयोग करें। यह रक्त परिसंचरण में सुधार करता है और दर्द को नियंत्रित करता है।


ओमेगा-3 और विटामिन सप्लीमेंट्स:–

-------------------

 ओमेगा-3 फैटी एसिड, ग्लूकोसामीन और कोंड्रोइटिन जैसे सप्लीमेंट्स जोड़ दर्द को कम कर सकते हैं और जोड़ों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। डॉक्टर की सलाह के बाद ही इन्हें लें।


हर्बल उपचार और आयुर्वेदिक उपाय:–

------------------ 

 कुछ जड़ी-बूटियाँ जैसे हल्दी और अदरक सूजन को कम करने में सहायक हो सकती हैं। आयुर्वेदिक तेल मालिश भी घुटनों के लिए फायदेमंद हो सकती है।


इंजेक्शन थेरेपी:-

----- ----------

 डॉक्टर की सलाह से हायल्यूरोनिक एसिड या स्टेरॉयड इंजेक्शन भी एक विकल्प हो सकते हैं। यह घुटनों में लुब्रिकेशन बढ़ाकर दर्द को कम करता है और चलने में मदद करता है।


आराम और उचित मुद्रा:–

----------------- 

 लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने से बचें। सही मुद्रा में बैठें और घुटनों को अतिरिक्त दबाव से बचाएं।


इन उपायों से ऑपरेशन को टालने में मदद मिल सकती है, लेकिन किसी भी तरह के उपचार से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है।


आयुर्वेदिक उपाय

************

घुटनों में गैप और दर्द के लिए आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपाय हैं जो सूजन को कम करने, दर्द से राहत देने और घुटनों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं। कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उपाय निम्नलिखित हैं:


1. हर्बल तेल मालिश (अभ्यंग)–

-- -------------

महानारायण तेल या अश्वगंधा तेल: इन तेलों से मालिश करने से जोड़ों के दर्द और सूजन में आराम मिलता है। यह मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।

रोजाना हल्के गर्म तेल से घुटनों की मालिश करें, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है और घुटनों का दर्द कम होता है।

2. हल्दी और अदरक

हल्दी:–

 -------------

 इसमें मौजूद करक्यूमिन सूजन को कम करता है। आप हल्दी को दूध में मिलाकर या पानी में उबालकर पी सकते हैं।

अदरक:–

-----------

 अदरक में सूजनरोधी गुण होते हैं। आप इसे चाय में डालकर सेवन कर सकते हैं या भोजन में उपयोग कर सकते हैं।

3. गुग्गुल–

---------------

गुग्गुल एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग जोड़ों की सूजन और दर्द के इलाज में किया जाता है। यह वात दोष को संतुलित करता है और जोड़ को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

4. अश्वगंधा–

- -----------  

अश्वगंधा एक प्रभावी जड़ी-बूटी है, जो शरीर को ताकत देती है और घुटनों के जोड़ों को मजबूत बनाती है। यह तनाव और सूजन को भी कम करती है।

5. रस्नादि काढ़ा–

----------------

रस्नादि काढ़ा का सेवन घुटने के दर्द और सूजन में राहत देने के लिए किया जाता है। यह वात दोष को संतुलित करता है और जोड़ो की लचीलापन बढ़ाता है।

6. पंचकर्म थेरेपी–

-------------------

पंचकर्म आयुर्वेद का एक प्रमुख उपचार है, जो शरीर को शुद्ध करता है और जोड़ों में आई अशुद्धियों को बाहर निकालता है। इसमें वस्ती (एनिमा) और कटीबस्ती (घुटनों के लिए औषधीय तेल का प्रयोग) प्रमुख हैं, जो विशेष रूप से घुटनों के लिए उपयोगी होते हैं।

7. मेथी, सोंठ और हल्दी पाउडर–

---------------- -

इन तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लेने से घुटनों के दर्द में राहत मिलती है और सूजन कम होती है।

8. त्रिफला चूर्ण–

---------------

त्रिफला चूर्ण शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक है। इसे रात में गर्म पानी के साथ लेने से शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है, जो घुटनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।

9. आहार और दिनचर्या–


संतुलित आहार:–

----------------

 आयुर्वेद के अनुसार, वात दोष को कम करने वाले आहार का सेवन करना चाहिए, जैसे कि गर्म, तेलयुक्त, और पौष्टिक खाद्य पदार्थ।

हड्डियों को मजबूत करने के लिए कैल्शियम युक्त भोजन: जैसे तिल के बीज, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, और दूध से बने उत्पाद।

अत्यधिक ठंडी चीजों से बचें:–

---------------------

 ठंडा भोजन और पानी वात दोष को बढ़ा सकता है, जिससे दर्द और सूजन बढ़ सकते हैं।

इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से घुटनों के दर्द और गैप में राहत मिल सकती है, लेकिन किसी भी उपाय को नियमित रूप से और विशेषज्ञ की सलाह के साथ ही करना चाहिए।

मंगलवार, 15 अक्तूबर 2024

Garlic (लहसुन) खाने के फायदे और नुकसान|Healthy Tips.

 Garlic (लहसुन) खाने के फायदे और नुकसान|Healthy Tips.

डा०वीरेंद्र मढान

फायदे:

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना:–

-------------------------

 लहसुन में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं।


दिल की सेहत के लिए अच्छा:–

----------------------------

 लहसुन ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।


डाइजेशन में सुधार:–

---------------------

 लहसुन का सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और गैस या अपच जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।


एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण:–

------------------

 लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाते हैं।


त्वचा के लिए फायदेमंद:–

-----------------------

 लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा की सूजन को कम करने और एक्ने को ठीक करने में मदद करते हैं।



वजन घटाने में सहायक:–

------------------------------

 लहसुन मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिल सकती है।


सर्दी-जुकाम में राहत:–

--------------------

 लहसुन का सेवन सर्दी-जुकाम की समस्याओं को कम करने में मददगार होता है।


नुकसान:–

**********

मुंह की बदबू:–

---------------

 ज्यादा लहसुन खाने से मुंह से तेज गंध आ सकती है, जिसे कई लोग अप्रिय मानते हैं।


पाचन समस्याएं:–

----------------

 अधिक लहसुन का सेवन कुछ लोगों में गैस, पेट में दर्द या जलन जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।


रक्त पतला होना:–

-----------------;-

 लहसुन में खून को पतला करने वाले गुण होते हैं, जिससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है, खासकर अगर आप ब्लड थिनर दवाइयाँ ले रहे हों।


एलर्जी:–

-----------

 कुछ लोगों को लहसुन से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर रैश, खुजली, या अन्य समस्याएं हो सकती हैं।


दवा के साथ इंटरेक्शन:–

------------------------

 लहसुन का सेवन कुछ दवाओं के साथ इंटरेक्शन कर सकता है, विशेषकर एंटीकोएगुलेंट्स या एंटीप्लेटलेट्स दवाओं के साथ।


संक्षेप में, लहसुन का सेवन सीमित मात्रा में और सावधानी से करना चाहिए, खासकर यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या या एलर्जी हो।

लहसुन की मात्रा का सेवन व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और सहनशीलता पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर, एक स्वस्थ व्यक्ति को लहसुन का सेवन निम्नलिखित मात्रा में करना चाहिए:


दिनभर में लहसुन की सुरक्षित मात्रा:-

---------------------

कच्चा लहसुन:– 1-2 कलियाँ प्रतिदिन।

पका हुआ लहसुन:– 3-4 कलियाँ प्रतिदिन।

लहसुन का पाउडर:–

600-1200 मिलीग्राम प्रतिदिन (यह मात्रा उत्पाद पर निर्भर करती है)।

लहसुन का अर्क (सप्लिमेंट):–

 लगभग 300-600 मिलीग्राम प्रतिदिन।

सावधानी:–


पेट में जलन या गैस:–

----------------

 यदि कच्चे लहसुन का सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है तो यह पेट में जलन या गैस पैदा कर सकता है।

ब्लड थिनर दवाओं के साथ:–

--------------------------

 यदि आप खून को पतला करने वाली दवाइयाँ ले रहे हैं, तो लहसुन की अधिक मात्रा से रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना ज्यादा लहसुन का सेवन न करें।

सर्जरी के पहले:–

------------

 लहसुन का सेवन सर्जरी से कुछ दिन पहले बंद कर देना चाहिए क्योंकि यह खून के पतलेपन को बढ़ा सकता है।

सही मात्रा में लहसुन का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन इसे संतुलित मात्रा में ही लेना चाहिए।

शुक्रवार, 30 जून 2023

करी पत्ते के 10 फायदे

 करी पत्ते के 10 फायदे

#करीपत्ता

Dr.VirenderMadhan,

करी पत्ता, जिसे अंग्रेजी में "Curry Leaves" कहा जाता है, एक पौधे की पत्ती है जिसका उपयोग भारतीय खानों में खुशबूदार मसालों और तड़के में किया जाता है। यह न केवल एक टेस्टी खाद्य पदार्थ में एक खुशबू और स्वाद जोड़ता है, बल्कि इसके उपयोग से कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। यहां कुछ करी पत्ते के महत्वपूर्ण फायदे हैं:–


*पाचन को सुधारता है:–

 करी पत्ते में पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट और फाइबर पाचन को सुधारते हैं। इसका उपयोग अपच, गैस, एसिडिटी और और पाचन संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है।

*शरीर के वजन को नियंत्रित करता है:–

 करी पत्ते में पाया जाने वाला कैर्बोहाइड्रेट और फाइबर एक व्यक्ति को भोजन के बाद लंबे समय तक भूख नहीं महसूस करने में मदद करता है। इसके बारे में अध्ययनों में देखा गया है कि करी पत्तों का सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिल सकती है।

*रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है:–

करी पत्ते में मौजूद अंटीऑक्सिडेंट और विटामिन सी के कारण, इसका उपयोग रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। यह शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करके मधुमेह के प्रबंधन में सहायता प्रदान कर सकता है।

*हृदय स्वास्थ्य को सुधारता है:–

 करी पत्तों में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण तत्व, जैसे कि महत्त्वपूर्ण तेल, अंटीऑक्सिडेंट्स, और विटामिन सी, हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है। इसका नियमित सेवन, हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है, जैसे कि हार्ट अटैक, दिल की बीमारी, और हाई ब्लड प्रेशर।

*बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है:–

 करी पत्तों में प्राकृतिक तौर पर पाये जाने वाले पोषक तत्व बालों के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं। इसका नियमित सेवन बालों को मजबूत और चमकदार बनाने, बालों के झड़ने को कम करने और बालों के सफेद होने को रोकने में मदद कर सकता है।

   यहां कुछ और करी पत्ते के फायदे हैं जो निम्नलिखित हैं:–

*आंखों के स्वास्थ्य को सुधारता है:–

 करी पत्ते में पाये जाने वाले विटामिन ए और कैरोटीनॉयड्स आंखों के स्वास्थ्य को सुधारते हैं। इसका नियमित सेवन दृष्टि को मजबूत रखने, रेटिना की सुरक्षा करने और आंखों से जुड़ी बीमारियों को कम करने में मदद कर सकता है।

* एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभाव:–



 करी पत्ते में प्राकृतिक तौर पर पाये जाने वाले कंपाउंड्स एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होते हैं। इसका सेवन शरीर के इंफ्लेमेशन को कम करने, सूजन को कम करने और शारीरिक दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।

* त्वचा को सुंदरता प्रदान करता है:–

 करी पत्ते में पाये जाने वाले विटामिन ए और एंटीऑक्सिडेंट्स त्वचा के स्वास्थ्य को सुधारते हैं। इसका नियमित सेवन त्वचा को रोशनी, नमी और मुलायमी बनाने, मुहासों और दाग-धब्बों को कम करने और उम्र के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

* एंटीमाइक्रोबियल गुण:–

 करी पत्ते में प्राकृतिक रूप से मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं। यह बैक्टीरिया, फंगल और वायरल संक्रमणों के खिलाफ संरक्षा प्रदान कर सकता है।

*आंशिक आंत्रिक तंत्र की सुरक्षा:–

 करी पत्तों में प्राकृतिक तौर पर मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और पौष्टिक तत्वों का नियमित सेवन आंशिक आंत्रिक तंत्र की सुरक्षा करने में मदद कर सकता है। इससे आंत्रिक ऑर्गनों को मजबूत रखने, ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की सही आपूर्ति सुनिश्चित करने और सामान्य स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिल सकती है।

  करी पत्ते को स्वादिष्ट खाने के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए इसका नियमित उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। यह अन्य सब्जियों, खिचड़ी, सूप, चाय आदि में भी उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, किसी भी नई आहारी या उपचारिका को आवंटित करने से पहले इसके सदर्भ में, आपको अपने वैद्य या पोषण सलाहकार से संपर्क करके करी पत्ते के सेवन के बारे में सलाह लेनी चाहिए, विशेषतः यदि आपके पास किसी विशेष रोग या शारीरिक स्थिति से जुड़ी कोई समस्या है। यदि आप किसी भी प्रकार की एलर्जी के प्रति संवेदनशील हैं, तो भी अपने डॉक्टर से परामर्श करें क्योंकि करी पत्ते एलर्जी का कारण बन सकते हैं।

करी पत्ते का सेवन सामान्यतः स्वास्थ्य और आंतरिक तंत्र के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन या अवधि से पहले अपने वैद्य की सलाह लेना जरूरी है। वैद्य या पोषण सलाहकार आपकी व्यक्तिगत स्थिति को ध्यान में रखते हुए आपको सही मात्रा और तरीके से करी पत्ते का उपयोग करने की सलाह देंगे।

प्रश्नोत्तर

Q:– करी पत्ते के फायदे क्या है?

करी पत्ते के गुण:–

– इसके ब्लड प्रेशर कम करने वाले प्रभाव होता हैं

–इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होती है

–यह एंटीवायरल होती है

– यह एंटीफंगल, एंटी प्रोटोज़ोअल है

– यह एक लैक्सटिव प्रभाव रखता है (कब्ज में मदद करता है)

– एंटी-डायरियल गुण होने से यह डायरिया मे लाभप्रद है,

Q:–करी पत्ते का उपयोग कैसे करें?

Ans:– इसके सेवन के लिए कढ़ी पत्तों को पीसकर इसके रस को छाछ के साथ दिन में दो से तीन बार लेना है जिससे आपको जल्द दस्त में आराम मिल जाएगा। करी पत्ते में मौजूद पोषक तत्व बालों को जल्दी सफेद नहीं होने देते और बालों का झड़ना भी कम करते हैं। यह डैंड्रफ जैसी समस्याओं में भी कारगर होता है। खाली पेट करी पत्ते खाने से वजन कम होता है।

Q:–प्रतिदिन कितने करी पत्ते खाने चाहिए?

Ans:– इसका सेवन करने से पाचन से जुड़ी काफी सारी दिक्कतें दूर हो सकती हैं जैसे गैस, एसिडिटी और पेट फूलना जैसी समस्याओं को इसका सेवन करके दूर किया जा सकता है। आप खाना बनाते समय इसका प्रयोग करने के साथ-साथ 3 से 4 पत्तों को रोजाना चबा सकते हैं।

धन्यवाद!

डा०वीरेन्द्रमढान,

बुधवार, 31 मई 2023

झुर्रियां बनने के कारण इन हिंदी.

 #झुर्रियां बनने के कारण इन हिंदी.

झुर्रियां के कारण

#शरीर पर झुर्रियां क्यों पड़ती है?

<शरीर पर झुर्रियां|wrinkles>

#Dr.VirenderMadhan.

झुर्रियां बनने के कारण:-

झुर्रियां कई कारणों से पड़ सकती हैं। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:

उम्र:-

 वृद्धावस्था एक मुख्य कारण है जब झुर्रियां शुरू होती हैं। शरीर में कॉलाजन (collagen) और एलास्टिन (elastin) नामक तंत्रिका प्रोटीन होते हैं जो त्वचा को फिरसे ढ़ीलापन और सुप्ल बनाए रखते हैं। यह उम्र बढ़ने के साथ कम हो जाते हैं, जिससे झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं।

सूर्य की किरणें:–

 दिनभर धूप में लंबी समय तक रहने से, सूर्य की तेज धूप के कारण त्वचा के ऊपरी परत को नुकसान पहुंच सकता है। इसके परिणामस्वरूप, कॉलाजन और एलास्टिन के कमी होती है और झुर्रियां बनने शुरू हो जाती हैं।

धूम्रपान और नशीली दवाएं:–

   धूम्रपान करने से और नशीली दवाओं का उपयोग करने से त्वचा की रक्षा के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। इसके परिणामस्वरूप, झुर्रियां जल्दी दिखाई देती हैं।

 वजन घटाना:–

यदि व्यक्ति आपातकालीन रूप से वजन घटाता है, तो उसके शरीर में स्किन लूज होने और झुर्रियों की प्रारंभिक दिखाई देने की संभावना होती है। शरीर की चर्बी के कम हो जाने से, त्वचा को उसकी पूर्वस्थिति को बनाए रखने के लिए आवश्यक पोषण तत्वों की कमी हो सकती है। इसके कारण त्वचा कमजोर हो जाती है और झुर्रियां उत्पन्न हो सकती हैं।

खराब आहार:–

 अनुपयुक्त आहार और पोषणहीनता भी झुर्रियों के आविष्कार का कारण बन सकते हैं। शुगर, बेकरी उत्पाद, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, तला हुआ खाना, तेजी से खाना आदि का सेवन करने से त्वचा के लिए आवश्यक पोषण तत्वों की कमी होती है और झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं।

स्किन केयर की कमी:–

 सही स्किन केयर के अभाव में त्वचा को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक नियमित साफ़-सफाई, मोइस्चराइज़र का उपयोग, सूर्य से बचाव, त्वचा को प्राकृतिक पोषण प्रदान करने वाले आहार का सेवन आदि करने की जरूरत होती है। यदि आप स्किन केयर के अपेक्षित नियमित रूप से पालन नहीं करते हैं, तो आपकी त्वचा कमजोर हो सकती है और झुर्रियां बढ़ने की संभावना होती है।

धर्मपत्नी की परेशानियां:–  

        * शोध में पाया गया है कि विवादास्पद संबंधों या विवादों में रहने वाले लोगों में झुर्रियों की बढ़ती है। 

तनाव और चिंता के कारण,:–

 शरीर के अंगों के चारों ओर झुर्रियां बढ़ सकती हैं।

इन सभी कारणों से साथ ही, व्यक्ति के जीवनशैली, आहार, तंबाकू और अल्कोहल का सेवन, त्वचा का अवयवों और विशेषताओं के रूप में जीनेटिक प्रभाव, त्वचा के साथ संपर्क में आने वाली धूल और मायक्रोब्योम, त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं।


झुर्रियों को प्राकृतिक रूप से रोकने और कम करने के लिए, आपको अपने त्वचा की देखभाल पर ध्यान देना चाहिए। स्किन को नमी देने के लिए नियमित रूप से मोइस्चराइज़र का उपयोग करें, सूर्य की किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए।

धन्यवाद!

#डा०वीरेंद्र मढान,

गुरुवार, 25 मई 2023

मोर्निंग वाकिंग के 5 फायदे (Benefits of Morning Walking)


 #मोर्निंग वाकिंग के 5 फायदे (Benefits of Morning Walking)

[मोर्निंग वाकिंग]

#Dr.VirenderMadhan,

मोर्निंग वाकिगं करने के 5 फायदे–

सुप्रभात! इस सवाल का जवाब देने के लिए आपको मॉर्निंग वाकिंग (Morning walking) के 5 फायदों के बारे में बताता हूं:–

1–स्वास्थ्य सुधार:–

------------------

 मोर्निंग वाकिंग आपके स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है। यह आपकी रक्त संचार को बढ़ावा देती है, हृदय की सेहत को सुधारती है और मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करती है। यह आपको दिनभर ताजगी और ऊर्जा प्रदान करने में मदद करती है।

2–वजन कम करने में सहायता:–

----------––-----

 यदि आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो मोर्निंग वाकिंग आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इससे आपकी कैलोरी खपत बढ़ती है और आपके शरीर के वसा को कम करने में मदद मिलती है।


3–मानसिक स्थिरता:

----------------------

 मोर्निंग वाकिंग मानसिक स्थिरता को बढ़ाने में मदद कर सकती है। इसके द्वारा आपके मस्तिष्क को शांति मिलती है और तनाव कम होता है। यह आपके मन को सकारात्मक रखकर आपकी मनोदशा को सुधार सकती है।

4–एंटी-एजिंग लाभ:

-------------------------

 मोर्निंग वाकिंग समय आपके त्वचा को फायदेमंद ढंग से प्रभावित कर सकती है। वाकिंग करने से आपकी शरीर के अंदर ऊर्जा का स्तर बढ़ता है, जिससे त्वचा की धूम्रपान क्षमता बढ़ती है। इसके फलस्वरूप, आपकी त्वचा स्वस्थ और चमकदार दिखती है और उसमें झुर्रियाँ और अनियमितताओं की कमी होती है।

5–संपूर्ण दिन के लिए ऊर्जा: 

---------------------------

मोर्निंग वाकिंग आपको संपूर्ण दिन के लिए ऊर्जा प्रदान करती है। जब आप सुबह उठते हैं और वाकिंग करते हैं, तो आपकी शरीर की गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है और यह आपको दिनभर तरोताजगी और कार्यक्षमता के साथ रखता है। इसके अलावा, वाकिंग करने से आपकी नींद का प्रबंधन बेहतर होता है, जिससे आप रात्रि को अच्छी तरह सोते हैं और सकारात्मक दिनचर्या बना पाते हैं।

* ये थे मोर्निंग वाकिंग करने के 5 फायदे। सुबह की सैर आपकी शारीरिक, मानसिक और तात्कालिक प्रदर्शन को सुधार सकती

प्रश्नोत्तर:–

-------------

Q:-मॉर्निंग वॉक के अन्य फायदे

कुछ मॉर्निंग वॉक के फायदे – Benefits of Morning Walk in Hindi

- वजन घटाने के लिए .

-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

-गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस से बचाए .

-हृदय स्वास्थ्य को सुधारे .

-कैंसर के जोखिम को कम करे .

- दिमागी कार्यक्षमता बढ़ाए .

-डिप्रेशन से राहत दिलाए .

-मधुमेह को नियंत्रित करे .

Q:–रोज मॉर्निंग वॉक करने से क्या होता है?

मॉर्निंग वॉक आपके दिन की शुरुआत और अंत अच्छे मूड में करती है । वे आपकी रचनात्मकता में भी मदद कर सकते हैं।

- उठने और हिलने-डुलने से आपको बैठने की तुलना में अधिक रचनात्मक होने में मदद मिलती है।

- टहलना आपको बेहतर नींद लेने में भी मदद करता है, जिसके परिणामस्वरूप अगली सुबह आपका मूड बेहतर होता है।

धन्यवाद

#डा०वीरेंद्र मढान,

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023

Heart attack के लक्षण, कारण,व आयुर्वेदिक उपाय in hindi.

 Heart attack क्या होता है?

हार्ट अटैक की परिभाषा



Dr.virendermadhan

हार्ट अटैक क्या होता हैं इस लेख मे हम बताने वाले हैं 

Heart attack के लक्षण क्या होते है?

Signs of a heart attack?

हार्ट अटैक होने का क्या कारण है?

हार्ट अटैक से पहले क्या महसूस होता है? और बतायेगे कि हृदयदौबल्यता के लिए क्या करें आयुर्वेदिक उपाय जानने के लिए लेख को अंत तक पढे,

#Heart attack क्या होता है?

– हार्ट अटैक (Heart attack) एक जानलेवा मेडिकल स्थिति होती है जब दिल का एक हिस्सा अपने विवर्तन या संचालन के कारण बंद हो जाता है, जिससे उस हिस्से को ऑक्सीजन और पोषण देने वाले धमनियों में रक्त का अभाव हो जाता है।

[हृदय की मांसपेशियों के रक्त प्रवाह की रूकावट.

दिल का दौरा चिकित्सकीय आपातकालीक होता है. अक्सर दिल का दौरा तब होता है जब रक्त का कोई थक्का हृदय की ओर रक्त के बहाव को रोक देता है. रक्त के बिना ऊतक को ऑक्सिजन नहीं मिल पाती और वह मर जाता है.]

#हार्ट अटैक (Heart attack) क्यों होता है? 

- यह अक्सर कोलेस्ट्रॉल जमाव, 

– निकटतम धमनियों के नियंत्रण के विकार, या फिर अन्य कारणों से होता है। जब धमनियों में रक्त का पर्याप्त मात्रा नहीं होता, तो दिल के एक हिस्से को अक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ता है जो उस हिस्से के मरने का कारण बन सकता है।

Heart attack के लक्षण क्या होते है?

हार्ट अटैक के लक्षण:-

Heart attack symptoms:-

हार्ट अटैक के लक्षण में से कुछ शामिल होते हैं - दर्द, बेहोशी, थकान, सांस लेने में परेशानी, और उल्टी आदि। हार्ट अटैक के लक्षणों को अनदेखा न करें और तुरंत चिकित्सा की सलाह लें।

 – हार्ट अटैक के लक्षण व्यक्ति के आयु, लिंग और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ आम लक्षण निम्नलिखित होते हैं:–

–दिल की धड़कन तेज हो जाना

–जलन या दर्द का अनुभव छाती के मध्य में या बाएं हाथ में, शोल्डर, जबड़ा, पेट या बाएं जांघ में दर्द होना।

–श्वसन में कठिनाई और दमा की तरह की अनुभूति होना,

–छाती मे भारीपन या तनाव का अनुभव होना,

– शरीर मे थकान या असमर्थता का अनुभव करना,

– तेज से उठने या अचानक बेहोश होने का अनुभव होना,

– उल्टी की तरह का अनुभव हो सकता है,

– पसीना आना और चक्कर आना भी हो सकता है

Signs of a heart attack?

[अपच होना हार्ट अटैक आने का सबसे मुख्य लक्षण बेचैनी और घबराहट है। 

 सीने में जकड़न, भारीपन और कुछ दबाव महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने में भलाई है।

जबड़े में दर्द, ब्लड प्रेशर बढना,मरीजों में हार्ट अटैक का खतरा बढा देता है,

उल्टी जैसा होना,टखने और हाथों में दर्द होना]

यदि आपको ये लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थिति को जानने के लिए, आप अपने डॉक्टर से इस बारे में विस्तार से बात कर सकते हैं और आपके लिए कौन सा उपचार सही है, उसकी सलाह ले सकते हैं।

#हार्ट अटैक होने का क्या कारण है?

हार्ट अटैक होने के कई कारण हो सकते हैं। 

सबसे बढा कारण एक आधुनिक जीवनशैली है जो दिल के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। निम्नलिखित कुछ और कारण हैं:

–धमनियों में जमा हुए धातुओं के कारण आर्टरीज़ ब्लॉक कर जाने से,

–मोटापा और अधिक शराब का सेवन से,

–उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन रहने से,

–उच्च खराब (बैड)कोलेस्ट्रॉल स्तरके होने पर,

– डायबिटीज या मधुमेह रहने पर,

–धुम्रपान या निकोटीन का सेवन से,

– जीवनशैली में कमी या नियमित व्यायाम की कमी से,

–पुरानी आयु होने से,

–परिवार में हृदय रोगों का इतिहास होने पर,

–अत्यधिक चिंता व मानसिक आघात होना आदि,

हार्ट अटैक के संबंध में कई अन्य फैक्टर भी हो सकते हैं, 

[पर्याप्त खून ना मिल पाने के कारण आपका दिल काम करना बंद कर देता है जिस वजह से हार्ट अटैक आता है. यह आमतौर पर धमनियों (ब्लड वेसल्स) में रुकावट के कारण होता है जो आपके दिल तक ब्लड सप्लाई (खून की आपूर्ति) करती हैं]

#हार्ट अटैक से पहले क्या महसूस होता है?

ये हैं हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण:-

दिल का दौरा पड़ने के सामान्य लक्षणों में सीने में दर्द, बेचैनी या सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, गर्दन, पीठ, बांह या कंधे में दर्द, जी मिचलाना, सिर घूमना या चक्कर आना, थकान, सीने में जलन/अपच का अहसास, ठंडा पसीना आना शामिल हैं.

#हृदय को मजबूत कैसे करें?

#हृदय को मजबूत करने के आयुर्वेदिक उपाय:-

–छरिला 1ग्राम प्रतिदिन शहद से सेवन करने से हृदय पुष्ट हो जाता है,

– अर्जुन की छाल का काढा कुछ दिनो तक पीने से हृदय रोग मुक्त हो जाता है,

–अर्जुन छाल का चूर्ण हजार पुटी अभ्रक भस्म के साथ मर्दन करके  3-4 ग्राम चूर्ण को शहद मे मिला कर लेने से हृदय हृदयदौबल्यता, हृदयाघात आदि रोगों से मुक्त हो जाता है,

–अरणी के पत्ते 3-4 लेकर धनिया के साथ पकाकर कुछ दिन पीने से हृदय पुष्ट होता है

–अर्जुन की छाल,बकरी का दूध,गाय का धी,मिश्री, और शदह मिलाकर चाटने से दिल कुछ दिनों में ही सर्वरोग मुक्त हो जाता है।

-जटामांसी के चूर्ण का लेप बनाकर छाती पर लेप करने से दिल की धडकनों मे राहत मिलती है,

– पोखरमूल के चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से हृदय रोग और श्वास रोग मे आराम मिलता है।

–इलायची दाना,पीपलामूल को पीसकर धी मिला कर चाटने से हृदय मे लाभ मिलता है,

– जटामांसी का शर्बत बनाकर पीने से दिल के रोग ठीक हो जाते है,

–कुटकी का काढा या कुटकी और मुलहठी कि चूर्ण मिला कर शहद के साथ चाटने से कफ,और हृदयके रोग ठीक हो जाते है,

– रात मे सोते समय सर्पगंधा चूर्ण 1-2 ग्राम लेने से तनाव और हृदयरोग दूर होते है।

– 1-2 ग्राम सौठ गुनगुने पानी में डालकर कर पीने से छाती का भारीपन व हृदयशूल मे आराम मिलता है,

–गाजर का मुरब्बा खाने से दिल को बहुत बल मिलता है,

#Heart attack के रोग मे क्या खाना चाहिए?

पालक,तोरई,कुल्फा,नाशपाती, सेव,संतरा, अंगुर,खीरा, ककडी, आवला खाना लाभकारी होता है,

#हृदयाघात heart attack के रोग क्या न खायें क्यान करें

उडद की दाल, तलें भोजन,तेज मसाले, 

चाय,कोफी,शराब,गरिष्ठ भोजन,न करें

अधिक शारीरक मानसिक तनाव न लें,

कब्ज न रहने दें

धन्यवाद

डा०वीरेंद्र मढान

गुरु आयुर्वेद

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

काली मिर्च (black pepper)क्या होती है?

 #काली मिर्च (black pepper)क्या होती है?



-काली मिर्च (black pepper) एक विशेष प्रकार की मसाले का द्रव्य है, जो की कई फायदों के साथ रोगों मे प्रयोग होती हैं। 

कालीमिर्च के नाम:-

लै०– पाइपर नाइग्रम(Piper nirgun),सं०-मरिच,गोलमरिच; अं०- ब्लैक पीपर,


काली मिर्च के आयुर्वेदिक गुण:-

गुण–लघु, तीक्ष्ण

रस–कटु,      विपाक–कटु,

वीर्य(तासीर)–उष्ण,

#काली मिर्च का आयुर्वेदिक उपयोग कैसे होता है?

प्रयोग:- यह कफवात जन्य विकारों मे उपयोग होती है।

-काली मिर्च का श्वित्र,किलास,पामा आदि चर्मरोग मे लेप करते है।

-दंतशूल तथा दंतकृमि मे इसके चूर्ण का मंज्जन करते है।

-अग्निमांद्य, अजीर्ण, यक।तविकारों मे,शूल होने की आयुर्वेदिक औषधियों मे कालीमिर्च का प्रयोग किया जाता है।

-प्रतिश्याय(जुकाम),कास,और श्वास रोग मे कालीमिर्च का बहुत लाभ मिलता है।

-कालीमिर्च को पुरुषरोगो मे भी बहुत महत्वपूर्ण प्रयोग होता हैं।

#काली मिर्च के अद्भुत लाभ :-

- यह मधुमेह, शरीर को सूखाने वाली बीमारियों, पेट की गैस, जीवनशैली की समस्याओं, जीवनशैली के लिए खतरनाक बीमारियों तक के लिए लाभप्रद काम करते हैं। 

- काली मिर्च के फायदे विविध हैं, इनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:-

*मधुमेह:-

 काली मिर्च मधुमेह के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

*सूखने वाली बीमारियों मे:- 

- काली मिर्च शरीर में विषाक्तताओं को मिटाने में मदद करते हैं।

*पेट की गैस:-

- काली मिर्च पेट में गैस को कम करने में मदद करते हैं।

* स्वास्थ्य बढ़ाने:-

- काली मिर्च मे शरीर को ताकत देने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है। इससे शरीर की स्वास्थ्यवर्धकता बढ़ती है।

* दर्द के लिए:-

- काली मिर्च दर्द को कम करने में मदद करते हैं। यह मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाते हैं, जो दर्द को भी कम करने में मदद करती है।

* मेंटल हेल्थ:-

 काली मिर्च मेंटल हेल्थ को बढ़ाने में मदद करते हैं। 

* स्वाद की बढ़ोतरी:-

- काली मिर्च खाद्य पदार्थों को अधिक स्वादिष्ट बनाने में मदद करते हैं।

* समय पर रोग नहीं होने की गारंटी:-

- काली मिर्च हमेशा शरीर की स्वास्थ्य सम्बन्धी रोगों से बचाने में मदद करते हैं। इससे शरीर के लिए समय पर कुछ भी रोग होने की ख़तरा कम होती है।

* घटिया प्रक्रियाओं में मदद:-

 -काली मिर्च अन्य पौष्टिक तत्वों के साथ मिलें, तब घटिया प्रक्रियाओं को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

सारांश:-

>> काली मिर्च के इन फायदों के लिए, हमेशा इसे अपने दैनिक खान-पान में शामिल करने की सलाह दी जाती है। यह आपके शरीर को ताकतवर्धक और स्वस्थ रखने में मदद करेगा।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान,