#चिरचिटा का पौधा क्या है?
चिरचिटा एक सामान्य पौधा है जो आसानी से हर जगह मिल जाता है
#चिरचिटा का दूसरा नाम:–
संस्कृत नाम अपामार्ग है
इसका वैज्ञानिक नाम 'अचिरांथिसअस्पेरा' (ACHYRANTHES ASPERA) है। हिन्दी में इसे 'चिरचिटा', 'लटजीरा', 'चिरचिरा ' आदि नामों से जाना जाता है।
अपामार्ग (लटजीरा) बारिश के मौसम की शुरुआत में अपामार्ग का पौधा अंकुरित होने लगता है। ठंड के मौसम में फलता-फूलता है, और गर्मी के मौसम में पूरी तरह बड़ा हो जाता है। इसी मौसम में फल के साथ पौधा (apamarga plant) भी सूख जाता है।
यह दांतों की सडन,दांतों की संवेदनशीलता ,मसूड़ों की सुजन ,दर्द मे पारम्परिक रुप से काम आता रहा है
#चिरचिटा किन रोगों में काम आता है
1-लटजीरा के बीजों को एकत्र कर कुछ मात्रा लेकर पानी में उबाला जाए और काढ़ा बन जाने पर भोजन के २-३ घंटे बाद देने से लीवर (यकृत) की समस्या में आराम मिलता है। 2. सर्दी और खांसी में लटजीरा के पत्तों का रस लेना अत्यंत गुणकारी है। आदिवासियों के अनुसार दिन में दो से तीन बार इस रस का सेवन पुराना कफ भी ठीक कर देता है।
3- इसका उपयोग अधिक भूख लगने (भस्मक रोग), अधिक प्यास लगने,
4-मोटापा कम करने,
5-इन्द्रियों की निर्बलता और संतानहीनता को दूर करने वाला होता है।
6- इस पौधे से सांप, बिच्छू और अन्य जहरीले जंतु के काटे हुए को ठीक किया जा सकता है।
7- दांतों के दर्द को ठीक करने के लिए आप चिरचिटे की जड़ों का इस्तेमाल कर सकते हैं. चिरचिटा की जड़ का इस्तेमाल दातुन की तरह कर सकते हैं. दांतों के दर्द को ठीक करने का ये एक बहुत ही अच्छा तरीका है. चिड़चिड़े की जड़ों से दातों का दर्द दूर होता
8– चिरचिटा की जड़ खाने से क्या होता है?
मुंह के छालों से मिलता है छुटकारा
मुंह में छाले होने पर चिरचिटा की पत्तियों से काढ़ा बनाएं और इससे गरारा करें।
9- अपामार्ग के बीज (तंडुल) की खीर खाने से 1 महीने तक भूख-प्यास नहीं लगती