Guru Ayurveda

बुधवार, 10 अप्रैल 2024

बलगम क्या हैऔर क्यों बनता है?


बलगम क्या हैऔर क्यों बनता है?

Dr.Virender Madham

कफ क्या है?

बलगम एक फिसलन भरा तरल पदार्थ है जो आपके शरीर द्वारा प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है। यह मुंह, नाक, गला, पेट, आंत और गर्भाशय ग्रीवा सहित अंगों में ग्रंथियों द्वारा निर्मित होता है। यद्यपि बलगम का उत्पादन प्राकृतिक और स्वस्थ है, अधिक बलगम का उत्पादन सामान्य सर्दी सहित बीमारी का संकेत हो सकता है।

दरअसल बलगम श्वसन तंत्र को लुब्रिकेट और फिल्टर करने में मदद करता है। यह म्यूकस मेम्ब्रेन से बना होता है। यह नाक से फेफड़ों तक (mucus build up in the throat) रहता है।

आयुर्वेद के अनुसार-

कफ मूलतः पृथ्वी और जल घटकों से बना है। यह भारी, धीमा, ठंडा, चिकना, चिकना, नाजुक, गाढ़ा, स्थिर, स्थूल और बादलदार है। कफ सभी चीजों को संरचना और मजबूती प्रदान करता है

कफ कितने प्रकार का होता है?

कफ पांच प्रकार के होते हैं

अपने विशिष्ट कार्य के आधार पर, कफ दोष को अवलंबक कफ, क्लेदका कफ, तारपका कफ, बोधक कफ और स्लेशका कफ में उप-विभाजित किया गया है।

कफ के गुण:–

तृप्ति, तन्द्रा, निद्राघिक्य,गुरुगात्र, आलस्य, मुखमाधुर्य, मलाधिक्य, अग्निमांद्य आदि कफ के गुण होते है

कफ दोष बढने के कारण–

कफ कई कारणों से हो सकते हैं जैसे- इंफेक्शन, एलर्जी, फेफड़ों में इंफेक्शन, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया आदि. डिहाइड्रेशन की वजह कफ बढ़ने लगता है. इसलिए जितना हो सके खुद भी पानी पिएं और अपने बच्चे को भी पानी पिलाएं. ताकि आप पूरे दिन हाइड्रेट रहें.

कफ दोष के लक्षण–

अत्यधिक बलगम के साथ ठंड

साइनस

मल त्याग में परेशानी

अचानक वजन बढ़ना

शारीरिक शक्ति में कमजोरी ।

कफ को संतुलित करने के उपाय:–

कफ मे सेवन किया जाने वाला आहार

कम वसा वाले दूध का सेवन करें। दूध को पीने से पहले हमेशा उबालें, जिससे यह पचने में आसान हो जाता है , दूध में कफ बढ़ाने वाले गुणों को कम करने के लिए दूध को उबालने से पहले उसमें हल्दी या अदरक मिलाने का प्रयास करें।

सेब और नाशपाती जैसे हल्के फल खाएं। 

– संतरे, केला, खजूर, अंजीर, अनानास, नारियल, खरबूजे और एवोकाडो जैसे भारी और खट्टे फलों से बचें। ये फल शरीर में कफ बढ़ा सकते हैं.

चीनी उत्पादों का सेवन कम करें क्योंकि ये शरीर में कफ को बढ़ाते हैं। हालाँकि, शहद का सेवन किया जा सकता है, यह कफ को संतुलित करने में उत्कृष्ट है।

टोफू को छोड़कर बीन्स ले सकते हैं

नट्स खाने से बचें

अनाज विशेषकर जौ और बाजरा ले सकते हैं।

– गेहूं और चावल का अधिक सेवन करने से बचें क्योंकि ये कफ बढ़ाते हैं

नमक को छोड़कर सभी मसाले लिये जा सकते हैं

टमाटर, तोरई, खीरे, शकरकंद से बचें क्योंकि ये कफ बढ़ाते हैं

क्या करें–

* हल्दी- हल्दी

 एक लाजवाब मसाला है। 

अदरक की चाय- अदरक एक अत्यधिक अनुकूलनीय घटक है। 

– नमक के पानी से गरारे करें .

गुरुवार, 28 मार्च 2024

Petha Juice पेठे का जूस–सबसे शक्तिशाली डिटोक्स जूस


 Petha Juice पेठे का जूस–सबसे शक्तिशाली डिटोक्स जूस

#डा०वीरेंद्रमढान

#सफेद पेठे का जूस पीने के फायदे (Benefits of drinking ash gourd juice)


पाचन तंत्र के लिए:–

सफेद कद्दू का सेवन करने पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। ज्यादा मात्रा में सफेद कद्दू का सेवन करने से पेट खराब, उल्टी, दस्त जैसी समस्या हो सकती है।

सफेद पेठे का जूस पाचन बेहतर करने में कारगर होता है

 सफेद पेठे का जूस पाचन तंत्र को आराम देता है। सफेद पेठे में कैलोरी कम होती है। सफेद पेठे के सेवन से मेटाबॉलिज्म अच्छा रहता है। जिससे खाना आसानी से पचाया जा सकता है।

* बॉडी को रखे हाइड्रेटेड 

* एंटी इंफ्लेमेटरी गुण रखता है

* शुगर को करे कंट्रोल 

* सांस से जुड़ी समस्याओं का इलाज है सफेद पेठे का जूस

* सफेद पेठे के जूस का सेवन सुबह खाली पेट करना बेहतर होता है. खाली पेट लेने पर इस जूस के पोषक तत्व अवशोषण और पाचन गुण अधिक होते हैं.



* नहीं रहेगी गैस और कब्ज की दिक्कत

–  सफेद पेठे में एंटी-ऑक्सीडेंट, गेस्ट्रो-प्रोटेक्टिव जैसे गुण पाए जाते हैं जो गैस और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में भी मददगार हैं। अगर आप भी कब्‍ज (Constipation) की समस्‍या से परेशान हैं तो सफेद पेठे के जूस का सेवन नियमित रूप से करें। इसे पीने से पेट में जलन की समस्या भी खत्म होती है।

* प्रतिदिन एक गिलास सफेद पेठे का जूस पीने से वजन घटाने में असरदार होता है.

#सफेद कद्दू की तासीर क्या है?

* सफेद कद्दू में पानी की भरपूर मात्रा और ठंडी तासीर शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ बॉडी को कूल भी बनाए रखती है।   *सफेद कद्दू का सेवन करने से बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के साथ शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल को बनाए रखने में भी मदद मिलती है।

* सफेद कद्दू में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण अस्थमा और गठिया रोग में फायदेमंद होते हैं।

सोमवार, 25 मार्च 2024

Heart Attack की पहचान और उपाय कैसे करें

 Heart Attack की पहचान और उपाय कैसे करें

Common Symptoms of Heart Attack in Hindi

– सीने में दर्द (Chest Pain)

– जकड़न (Chest Tightness)

– कंधो में दर्द (Shoulder Pain)

– थकान (Tiredness)

–नींद न आना (Difficulty in Sleeping)

–दिल की धड़कन तेज़ होना (Irregular Heart Beats)

–साँस फूलना (Breathlessness)

– साँस लेने में तकलीफ होना (Difficulty in Breathing)


हार्ट अटैक आने से पहले क्या लक्षण होता है?

* सीने में दर्द होना :–

 अगर आपको सीने बाईं तरफ तेजी से दर्द हो रहा है और जकड़न महसूस हो रही है तो यह हार्ट अटैक का शुरूआती संकेत हो सकता है। 

* सांस लेने में दिक्कत:–

 पूरी तरह से सांस लेने के बाद भी आपको सांस की कमी महसूस हो रही है या फिर सांस लेने में समस्या हो रही है तो यह हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है।

#दिल का दौरा पड़ने के लक्षण क्या हैं?

– सीने में दर्द या बेचैनी महसूस कर सकता है तथा उसे दबाव, जकड़न या निचोड़ने जैसा महसूस हो सकता है जब उसे दिल का दौरा पड़ता है। 

– दर्द बाहों, गर्दन, जबड़े या पीठ तक भी वितरित हो सकता है। अन्य लक्षणों में सांस की तकलीफ, मतली या उल्टी, हल्कापन, या ठंडा पसीना शामिल हो सकता है।

#Heart Attack के लिए सावधानी:-

* तंबाकू उत्पादों के सेवन से बचें

* वजन कम करें

यदि आप अधिक वजन वाले या मोटे हैं तो अपना वजन कम करें

* योग, व्यायाम और पैदल चलने जैसी शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाएं

* सुखी और सकारात्मक जीवन जिएं

* तला हुआ भोजन, पैकेज्ड भोजन और प्रसंस्कृत भोजन सहित अस्वास्थ्यकर भोजन से बचें

* ऐसा खाना खाएं जो दिल के लिए स्वस्थ हो

* धूम्रपान छोडे

#Heart Attack से बचने के लिए

* लहसुन का सेवन करके भी आप हार्ट ब्लॉकेज की समस्या से निजात पा सकते है। 

* हल्दी के सेवन भी हार्ट ब्लॉकेज को खोलने के बेहतरीन उपाय है। 

* तुलसी से करें हार्ट ब्लॉकेज समस्या का हल। 

* अदरक भी बेहतरीन उपाय है हार्ट ब्लॉकेज को खोलने का,

* सेब खाने से धमनियों में रुकावट और स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है। यह फल हमारे रक्त में वसा के स्तर को कम करने और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए भी जाना जाता है। सेब के छिलके में फ्लेवोनोइड्स नामक यौगिक होते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट आपके हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकते हैं।

*अर्जुन एक अद्भुत जड़ी बूटी है जो हृदय स्वास्थ्य को मैनेज करने में मदद करती है. 

अर्जुन की छाल का चूर्ण अपने कार्डियो-सुरक्षात्मक गुण के कारण हृदय की रक्षा करता है. यह हृदय टॉनिक के रूप में कार्य करता है और हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करके हृदय के समुचित कार्य को मैनेज करने में मदद करता है.1

#शरीर की नसें खोलने के लिए क्या खाना चाहिए?

*विटामिन सी-

नसों में ताकत भरने के लिए विटामिन सी से भरपूर चीजों का पर्याप्त सेवन करना चाहिए. * इसके लिए फूलगोभी, बंदगोभी, स्ट्रॉबेरी, अन्नास, डार्क लीफी वेजिटेबल, स्प्रॉउट, संतरे, बेल पेपर आदि का सेवन रोजाना करें. 

* विटामिन ई-

कमजोर नसों में जान भरने के लिए विटामिन ई से भरपूर फूड का सेवन करना होगा.

* अनार नसों को खोलने में असरदार हो सकता है

* चेरी का सेवन करें

* जीरा पानी पिएं

* मुलेठी की चाय फायदेमंद होती है

शुक्रवार, 22 मार्च 2024

जब लीवर मे गंदगी हो जाये तो कैसे जाने लीवर की गंदगी कैसे साफ करें?


जब लीवर मे गंदगी हो जाये तो कैसे जाने

लीवर की गंदगी कैसे साफ करें?

खराब लीवर के लक्षण:–

– पेट दर्द और सूजन

– पैरों और टखनों में सूजन

– स्किन में खुजली होना

– पेशाब का रंग गहरा होना

– पीला मल का रंग

– बेहद थकावट

– मतली या उलटी

#जब लीवर में गंदगी हो तो क्या करना चाहिए?

*लिवर की गंदगी को साफ करने के लिए हल्दी का प्रयोग करें। हल्दी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आपके लिवर को साफ कर सकते हैं। इसकी करक्यूमीन आपके शरीर की सूजन को कम कर सकता है। साथ ही लिवर के आसपास जमा अतिरिक्त फैट को कम करता है।

#लीवर की गंदगी कैसे निकाले?

लीवर की सफाई करने के लिए लीवर फ्रेंडली डाइट का सेवन आवश्यक है। लीवर फ्रेंडली डाइट में –

सब्जियां, फल, साबुत अनाज, फलियां, नट्स, सीड्स, मछली, अंडे, ऑलिव ऑयल और नारियल तेल का सेवन असरदार होता है। लीवर को स्वस्थ रखने के लिए ग्लूटेन फूड, कैफीन, एल्कोहॉल से परहेज करें।

#लिवर की सफाई के लिए क्या खाएं?

* सब्जियां, फल, मेवे, लहसुन, हरी चाय, कॉफी, हल्दी, किण्वित उत्पाद, जैतून का तेल और अनाज जैसे खाद्य पदार्थ लीवर को साफ करने और विषहरण करने में मदद कर सकते हैं, तो उन्हें अपने दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए।

*लिवर के लिए सुबह क्या पीना चाहिए?

अगर आप लिवर को साफ रखना चाहते हैं तो रोज सुबह एक गिलास नींबू पानी जरूर पिएं. वहीं हल्दी आपके लिवर को डैमेज होने से बचाने में मददगार है. साथ ही लिवर पर चढ़ी चर्बी भी कम करती है.

#लीवर साफ करने के घरेलू उपाय

– हरी पत्‍तेदार सब्जियों का करें सेवन लीवर हेल्दी रहता है।हरी-पत्तेदार सब्जियां लीवर की सफाई करने में बेहद फायदेमंद हैं। 

लहसुन से करें लीवर की सफाई:–

* लहसुन लीवर को डिटॉक्सीफाई करने में काफी लाभदायक है।

* हल्दी से करें लीवर को डिटॉक्स कर सकते है

* एवोकाडो से भी लीवर की सफाई मे मदद मिलती है

*पत्ता गोभी खाएं लीवर साफ रहेगा

Q:-अपने लिवर को ठीक करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?

क्षति को ठीक करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जो कुछ भी इसका कारण बन रहा है उसे हटा दिया जाए । उदाहरण के लिए, यदि आपको शराब पीने के कारण फैटी लीवर की समस्या है, तो शराब पीना बंद करना महत्वपूर्ण है। यदि यह आपके आहार या अधिक वजन के कारण है, तो स्वस्थ भोजन करना और वजन कम करना महत्वपूर्ण है।

Q:–लीवर खराब होने पर क्या परहेज करें?

लीवर की बीमारियों से बचाव करने के लिए वजन को कंट्रोल करना जरूरी है। 

पेट में वसा का निर्माण और अधिक वजन होने से लीवर रोग का खतरा बढ़ जाता है। लीवर को हेल्दी रखने के लिए कैलोरी, वसा और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट जैसे तेल, घी, पनीर, और शक्कर युक्त पेय से परहेज करें।

गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

पूरे शरीर में दर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं?

 पूरे शरीर में दर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं?

#Dr.VirenderMadhan

Body Pain Causes:-

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 शरीर में लगातार होता रहता है दर्द, तो जानें क्या हो सकती है वजह?

*1– नींद की कमी:–

 रोज़ 6 से 8 घंटे की नींद लेना ज़रूरी है।अधुरी नींद के कारण भी 

*2– पानी की कमी:-

 आप इस बात का अहसास शायद ही हो, लेकिन शरीर में पानी की कमी दर्द का कारण बन सकते हैं।थकान, और अधिक प्यास हो सकती है

*3– आप तनाव में हैं तो हाई,बी.पी. हो सकता है जिसके कारण से बदन दर्द बन सकता है

*4– आयरन की कमी होने पर भी शरीर में दर्द होता है 

*5– विटामिन-डी की कमी है तो इसके लिये रोगी को घुप मे भी रहना चाहिए

*6– आर्थराइटिस 

*7– फटीग संड्रोम 

*8– सर्दी और खांसी होने पर भी शरीर में दर्द हो जाता है

#शरीर में दर्द किसकी कमी से होता है?

आयुर्वेद के अनुसार वात जब विकृत होता है तब शरीर में दर्द  होता है

– विटामिन-डी -

 विटामिन-डी की कमी से न सिर्फ पैरों में दर्द होता है बल्कि मांसपेशियों में भी दर्द शुरू हो जाता है। शरीर में विटामिन-डी की कमी को पूरा करने के लिए आप कुछ समय के लिए रोजाना धूप में बैठें, इसके अलावा दूध, अंडे की जर्दी, इत्यादि का सेवन कर सकते हैं

जब पूरे शरीर में दर्द हो तो क्या करना चाहिए?

#बदन दर्द के घरेलू उपाय |

Body Pain Home Remedies

* मालिश To me

*नमक का पानी की सिकाई

* ठंडी सिंकाई

*Spend का उपयोग

* अदरक 

जब बहुत अधिक थकान हो, शरीर दर्द से टूट रहा हो तो पेन किलर लेने की बजाय आप गर्म दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करें। और इसे पीने के बाद थोड़ी देर के लिए लेट जाएं या सो जाएं। कुछ ही घंटों की नींद के बाद आप एकदम फ्रेश फील करेंगे और शरीर का दर्द और थकान कहीं गायब हो जाएंगे।

शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

बसंत ऋतु में होने वाले रोग


 बसंत ऋतु में होने वाले रोग

#डा०वीरेंद्र मढान

#बसंत ऋतु:-

यह ऋतु सर्दी और गर्मी का मिश्रण होता है,

इस ऋतु के आने पर मौसम सुहावना हो जाता है, सर्दी कम हो जाती है,  पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं । इस कारण से राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है इस ऋतु को ऋतुराज कहा गया है।

#बसंत ऋतु मे कौनसे रोग होते है:–

इस ऋतु में कफ से कुपित होने के कारण से 

- खांसी, सर्दी, जुकाम, श्वास, भूख न लगना, अपच, स्रोतों का अवरोध, गले की खराश, त्वचा रोग, बुखार, शरीर में भारीपन, अतिनिंद्रा, दस्त, खसरा आदि का खास प्रकोप होता है। 

वसंत ऋतु में सबसे आम बीमारियाँ मौसमी एलर्जी, अस्थमा आदि रोग होते है

एडेनोवायरस के कारण होने वाली श्वसन संबंधी बीमारी और एलर्जी संबंधी गुलाबी आँख हैं 

बाहरी परागकण और फफूंद समस्याएँ पैदा कर सकते हैं, लेकिन पालतू जानवरों की रूसी और धूल के कण जैसे इनडोर ट्रिगर भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

#बसंत ऋतु के रोगों के नाम:–

1-अस्थमा

2-फ्लू

3-पेट में दर्द

4-खांसी

5-गले में दर्द

6-आंख आना

7-कीड़े-मकोड़े की एलर्जी

8-पेट में अल्सर

9-नाक बंद होना

10-छाती में जकड़न

11-सिरदर्द

12-पेट में गैस बनना, आदि


#वसंत में आहार विहार :–

#क्या करें?

 वसंत ऋतु में आयुर्वेद ने खान-पान में संयम की बात कही है।

 वसंत ऋतु दरअसल शीत और ग्रीष्म का संधिकाल होती है। संधि का समय होने से वसंत ऋतु में थोड़ा-थोड़ा असर दोनों ऋतुओं का होता है। प्रकृति ने यह व्यवस्था इसलिए की है क्योंकि प्राणीजगत शीतकाल को छोड़ने और वसंत ऋतु में कफ  की समस्या अधिक रहती है। अतः इस मौसम में जौ, चना, ज्वार, गेहूं, चावल, मूंग,  अरहर, मसूर की दाल, बैंगन, मूली, बथुआ, परवल, करेला, तोरई, अदरक, सब्जियां, केला, खीरा, संतरा, शहतूत, हींग, मेथी, जीरा, हल्दी, आंवला आदि कफ नाशक पदार्थों का सेवन करें।  इसके अलावा मूंग बनाकर खाना भी उत्तम है। नागरमोथ अथवा सोंठ डालकर उबाला हुआ पानी पीने से कफ  का नाश होता है। मन को प्रसन्न करें एवं जो हृदय के लिए हितकारी हों ऐसे आसव अरिष्ट जैसे कि मध्वारिष्ट, द्राक्षारिष्ट, गन्ने का रस, सिरका आदि पीना लाभदायक है। 

इस ऋतु में कड़वे नीम में नई कोंपलें फूटती हैं। नीम की 15-20 कोंपलें, 2-3 काली मिर्च के साथ चबा-चबाकर खानी चाहिए। 15-20 दिन यह प्रयोग करने से वर्ष भर चर्म रोग, रक्त विकार और ज्वर आदि रोगों से रक्षा करने की प्रतिरोधक शक्ति पैदा होती है एवं आरोग्यता की रक्षा होती है। इसके अलावा कड़वे नीम के फूलों का रस 7 से 15 दिन तक पीने से त्वचा के रोग एवं मलेरिया जैसे ज्वर से भी बचाव होता है। 

धार्मिक ग्रंथों के वर्णनानुसार चैत्र मास के दौरान अलौने व्रत बिना नमक के व्रत करने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है एवं त्वचा के रोग, हृदय के रोग, उच्च रक्तचाप, हाई बीपी, गुर्दा, किडनी आदि के रोग नहीं होते। वसंत ऋतु में दही का सेवन न करें क्योंकि वसंत ऋतु में कफ का स्वाभाविक प्रकोप होता है एवं दही  कफ  को बढ़ाता है।  शीत एवं वसंत ऋतु में श्वास, जुकाम, खांसी आदि जैसे कफजन्य रोग उत्पन्न होते हैं। उन रोगों में हल्दी का प्रयोग उत्तम होता है। हल्दी शरीर की व्याधि रोधक क्षमता को बढ़ाती है, जिससे शरीर रोगों से लड़ने में सक्षम होता है। मौसम के अनुसार भोजन हमारे  शरीर और मन दोनों के लिए हितकारी होता है। मौसम के अनुसार भोजन में परिवर्तन करके आहार लेने वाले लोग सर्वथा स्वस्थ और प्रसन्नचित रहते हैं। उन्हें बीमार होने का भय नहीं रहता।

#क्या न करें?

वसंत में खट्टा, बहुत ज्यादा नमकीन या तैलीय भोजन भी नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से कफ दोष बढ़ सकता है. -इस मौसम में उड़द दाल का सेवन नहीं करना चाहिए. – इस मौसम में पूड़ी-कचौड़ी जैसे हैवी फूड से भी बचना चाहिए.

अधिक मात्रा में जौ, दलिया और ओट्स जैसे आनजों का सेवन करने से बचें। रेफ्रिजरेटर में जमी हुईं और ठंडी खाने वाली चीज़ों को भी भोजन में शामिल न करें।

शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

क्यों फूलती है और उपचार|How To To Treat|10 Bसांसest Way–Home Remedies


  क्यों फूलती है और उपचार|How To To Treat|10 Bसांसest Way–Home Remedies

#Dr.VirenderMadhan 

सांस फूलने की बीमारी कई कारणों से हो सकती है जिसमें :–

- एनीमिया,

- अस्थमा या

- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी स्थितियां हो सकती हैं। 

सांस फूलने की बीमारी – 


–संक्रमण,

–सूजन,

– एलर्जी,

– डायबिटीज,

– दमा की बीमारी,

– और प्रदूषण जैसे कई कारणों की वजह से भी हो सकती है।


#सांस फूलना कौन सी बीमारी के लक्षण है?

सांस की पुरानी और तीव्र कमी का कारण बनने वाली स्थितियों में शामिल हैं:

– दमा अस्थमा के कारण संकीर्ण वायुमार्ग सांस लेने में मुश्किल कर सकता है।

– हृदय का रुक जाना यह तब होता है जब रक्त हृदय को ठीक से भर नहीं पाता है और निकल नहीं पाता है। 

– फेफड़ों की बीमारी मे सांस फुलने लगती है

 – मोटापा ...

– चिंता ...

– फुफ्फुसीय अंतःशल्यता

** सांस फूलने की समस्या को हर बार फेफड़े और हृदय की दिक्कतों से जोड़कर देखना सही नहीं है। 

– कई लोगों में किडनी और मांसपेशियों से संबंधित समस्याओं के कारण भी सांस की दिक्कत हो सकती है।

– थोड़ा सा भी चलने-फिरने या फिर कोई काम करने पर सांस फूल जाती है तो यह विटामिन बी12 की कमी के लक्षणों में आता है. ऐसा रेड ब्लड सेल्स की कमी से ही होता है.


#कमजोरी से सांस फूलती है क्या?

– आयरन की कमीका सबसे आम लक्षण एनीमिया कहलाता है. इसकी वजह से थकान, चक्कर आना, सांस फूलना, स्किन का पीला पड़ना, भूख-प्यास न लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

– विटामिन डी की कमी का प्रचलन बढ़ रहा है और इसे अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज सहित प्रतिरोधी फेफड़ों की बीमारियों से जोड़ा गया है।

#पेट में गैस बनने से सांस फूलती है क्या?

– पेट की गैस से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.

#सांस फूलना और घबराहट होना:-

यदि रक्त में बड़ी मात्रा में अम्ल जमा होता है (जिसे मेटाबोलिक एसि weडोसिस कहा जाता है), तो लोगों की सांस फूलने लगती है और वे तेज़ी से हांफने लगते हैं।

– किडनी का गंभीर रूप से खराब होना, 

– डायबिटीज मैलिटस का अचानक बिगड़ जाना, और कुछ दवाओं या विष को निगल लेने से मैटाबोलिक एसिडोसिस हो सकता है।

#सांस लेने में भारीपन क्यों होता है?

– सांस फूलने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे :- कि सर्दी-ज़ुकाम, खांसी, भूख से अधिक खाना, मोटापा, कम दबाव वाला यानी ऊंचाई वाला स्थान, अधिक गर्म या अधिक ठंडा माहौल, फेफड़ों में छोटी-मोटी परेशानी, सांस नली का जाम होना, प्रदूषण आदि।


#सांस फूल रही हो तो क्या करना चाहिए?

सांस फूलने पर क्या करें?

– मुंह खोलकर गहरी सांस छोड़ें- अगर आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है या सांस फूल रही है तो तुरंत राहत पाने के लिए नाक से गहरी गहरी सांस लें और होठों से सीटी बजाते हुए सांस बाहर छोड़ें। ऐसा करने से आपको तुरंत आराम मिलेगा।


#सांस फूलने की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

रोफ्लेयर टैबलेट 

Asthalin


इससे आपको छाती में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट और खांसी जैसे लक्षणों से राहत मिलेगी और आपको अपने रोजमर्रा के कामों को आसानी से करने में मदद मिलेगी. यह दवा सुरक्षित और प्रभावी है.



#सांस की देसी दवाई कौन सी है?

– अदरक से सांस की परेशानी करें कम

इसका इस्तेमाल आप सूप, स्मूदी, काढ़ा इत्यादि के रूप में कर सकते हैं। 

– अदरक के रस को आप आंवला और एलोवेरा के साथ खा सकते हैं। यह आपकी इम्यून पावर को बूस्ट कर सकता है। साथ ही बलगम को तोड़ने में मदद करता है, फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।

#सांस फूलने में कौन सा फल खाना चाहिए?

जिन लोगों को अस्थमा की समस्या है, उन्हें अपनी डाइट में – ब्रोकली, जामुन, केला, पत्तेदार साग, खरबूजे, और एवोकाडो को जरूर शामिल करना चाहिए। ये फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार कर सकते हैं। अस्थमा के मरीजों के लिए मैग्नीशियम काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह फेफड़ों को स्वस्थ रखने में काफी मददगार है।


#दमा को जड़ से खत्म कैसे करें?

#अस्थमा का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

*हर्बल टी:–

 अस्थमा के असर को कम करने के लिए आप रोजाना अलग-अलग जड़ी बूटियों से बनी हुई हर्बल टी का सेवन कर सकते हैं। 

*लहसुन:–

 लहसुन भी अस्थमा के इलाज में काफी कारगर साबित हुआ है। 

*अजवाइन का प्रयोग अपने भोजन में अवश्य करें

*आंवला पाउडर 1-1 चम्मच सवेरे शाम पानी से करें

*पीपल के 2 पत्ते काटकर ढेड कफ पानी मे उबालकर चाय की तरह बनाकर पीने से आराम मिलता है

*अडूसा की पत्तियां भी चाय की तरह पकाकर उसमें सौठ,काली मिर्च, छोटी पीपल डालकर पीने से बहुत लाभ मिलता है

*अंजीर खाने से फेफड़ों को बल मिलता है

*हल्दी आधा चम्मच रोज खाने से सांस फुलने मे फायदा करता है.

#सांस फूलती है तो क्या खाना चाहिए?

– अस्थमा रोगियों के लिए डाइट टिप्स | Diet Tips For Asthma Patients:-

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– लहसुन और प्याज का सेवन रोज करे.

– मैग्नीशियम से भरपूर फूड्स खाएं 

– भोजन में अलसी शामिल करें ,इसे भूनकर 1-चम्मच रोज खाना चाहिए

– विटामिन डी से भरपूर फूड्स खाएं 

क्या न करें:-

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–डेयरी का सेवन कम से कम रखें

– स्मोकिंग (बीड़ी, सिगरेट या इस तरह का नशा करना),न करें  

 – बहुत ज़्यादा वायु प्रदूषण से बचना चाहिए

– 5,000 फ़ुट से ज़्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में नही जाना चाहिए,

 – वज़न कम करने और कसरत करते रहने से भी आराम मिलता है

#चिकित्सीय देखभाल लेना

डॉक्टर से तुरंत मिलें यदि आपको–

अचानक और गंभीर लक्षण दिखाई दें

* आराम करते समय सांस लेने में परेशानी हो

* सीने में दर्द, ठंड में पसीना छूटना, बेहोशी, या मतली हो

होंठ या उंगलियां नीली हो जाएं

काम न कर पाएं या दैनिक कार्यों को पूरा न कर पाएं

डॉक्टर को दिखाएं, 

**अगर आपके टखनों और पैरों में सूजन हो

– सांस लेने में तकलीफ़ हो

– बुखार और खांसी हो

– सीधे लेटने पर लक्षण और बिगड़ जाएं

#फेफड़ों के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?

फेफड़ों के रोग के लिए सर्वोत्तम आयुर्वेदिक औषधि स्वर्णभ्रकसिंदूर है।

स्वर्णभ्रकसिंदूर अस्थमा, खांसी, सीने में कंपन के इलाज में मदद करता है और टीबी के रोगी को भी इसकी सलाह दी जाती है।

#आयुर्वेद में फेफड़ों से बलगम कैसे निकालते हैं?

– तुलसी की पत्तियों को कच्चा खाया जा सकता है और यह खांसी से बलगम को साफ करने में मदद करती है ।

– तुलसी का काढ़ा बनाने के लिए तुलसी की कुछ पत्तियों के साथ थोड़ा पानी उबालें। चार काली मिर्च और एक चम्मच कसा हुआ अदरक डालें। थोड़ा सा नमक डालें और उबाल लें।


शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियाँ:–

श्वास कुठार रस

श्वासभैरव रस

श्वासचिन्तामणी रस

सूर्यावर्त रस

वृहतमृगांक वटी

नागार्जुनाभ्र रस

महाश्वासारि लौह, पिपल्यादि लौह, गुडादि गुटिका,  व्योषादि गुटिका,  कण्टकारि अवलेह, मल्ल सिन्दूर, ताम्र सिन्दूर, कनकासव, तालीसादि चूर्ण आदि

इन सभी औषधियों का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर करें.