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गुरुवार, 5 सितंबर 2024

Ginger–अदरक के खाने के 15 फायदे|What Happens If You Eat Ginger In Hindi.

Ginger–अदरक के खाने के 15 फायदे|What Happens If You Eat Ginger In Hindi.



डा०वीरेंद्र मढान

अदरक के फायदे:–

Benefits Of Eating Ginger.

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अदरक एक बहुत ही उपयोगी जड़ी-बूटी है, जिसका सेवन स्वास्थ्य के लिए कई लाभकारी होता है। यहां अदरक के 15 मुख्य फायदे दिए गए हैं:


पाचन में सुधार  Improves digestion.

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अदरक पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है और पेट की समस्याओं जैसे गैस, अपच, और मरोड़ में राहत दिलाता है।


मतली और उल्टी में राहत:–

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 अदरक गर्भावस्था, यात्रा या कीमोथेरेपी के दौरान होने वाली मतली और उल्टी को कम करने में सहायक होता है।


सर्दी और खांसी से बचाव:–

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 अदरक का सेवन सर्दी, खांसी और गले की खराश से राहत दिलाने में मदद करता है।


इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है:–

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 अदरक एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।



सूजन कम करता है:–

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 अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन और दर्द को कम करते हैं।


हृदय स्वास्थ्य में सुधार:–

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 अदरक रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे हृदय की समस्याओं का खतरा कम होता है।


मधुमेह में सहायक:–

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 अदरक का सेवन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है, जिससे मधुमेह रोगियों को लाभ होता है।


वजन घटाने में मददगार:–


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अदरक मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है।


जोड़ों के दर्द में राहत:–

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 अदरक का उपयोग गठिया और अन्य जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने के लिए किया जा सकता है।


कैंसर के जोखिम को कम करता है:–

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 अदरक में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं।


माइग्रेन में आराम:–

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 अदरक सिरदर्द और माइग्रेन के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है।


दर्द निवारक:–

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 अदरक का सेवन मांसपेशियों में होने वाले दर्द और ऐंठन को कम करने में मदद करता है।


मासिक धर्म के दर्द में राहत:–

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 अदरक मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और ऐंठन को कम करने में कारगर होता है।


याददाश्त में सुधार:–

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 अदरक में मौजूद तत्व मस्तिष्क के कार्य में सुधार करते हैं और याददाश्त को बढ़ाने में सहायक होते हैं।


त्वचा के लिए फायदेमंद:–

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 अदरक का सेवन त्वचा की चमक और उसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाता है, साथ ही त्वचा संबंधी समस्याओं से राहत दिलाता है।


अदरक का नियमित सेवन शरीर के लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता है, लेकिन इसे संतुलित मात्रा में लेना चाहिए।


अधिक खाने के पांच नुकसान

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अदरक के अत्यधिक सेवन से कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यहां अदरक का अधिक सेवन करने के 5 मुख्य नुकसान बताए गए हैं:


पेट की जलन और अपच:–

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 अदरक का अधिक सेवन पेट में जलन या एसिडिटी का कारण बन सकता है, जिससे अपच या पेट में दर्द हो सकता है।


खून का पतला होना:–

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 अदरक के एंटीकोएगुलेंट (रक्त को पतला करने वाले) गुण होते हैं। अधिक सेवन से रक्त पतला हो सकता है, जिससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है, खासकर यदि आप पहले से खून पतला करने वाली दवाइयां ले रहे हैं।


लो ब्लड प्रेशर:–

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 अदरक रक्तचाप को कम करने में मदद करता है, लेकिन इसका अधिक सेवन रक्तचाप को अत्यधिक कम कर सकता है, जिससे चक्कर आना या बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।


डायरिया (दस्त):–

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 अदरक का अत्यधिक सेवन आंतों की मांसपेशियों को उत्तेजित कर सकता है, जिससे दस्त जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


एलर्जी और त्वचा की समस्याएं:–

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 कुछ लोगों में अदरक का अत्यधिक सेवन एलर्जी का कारण बन सकता है, जिससे त्वचा पर खुजली, रैशेज, या सूजन हो सकती है।


अदरक का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के अनुसार करना चाहिए, खासकर यदि आप किसी विशेष चिकित्सकीय स्थिति से ग्रस्त हैं या दवाइयां ले रहे हैं।

बुधवार, 4 सितंबर 2024

मोटापे को कौन सा काढा जल्दी ठीक करता है? In hindi.


मोटापे को कौन सा काढा जल्दी ठीक करता है? In hindi.

Dr.VirenderMadhan

मोटापा कम करनेवाले घरेलू काढे:–

मोटापे को कम करने के लिए कुछ विशेष काढ़े सहायक हो सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि कोई भी काढ़ा मोटापे को "जल्दी ठीक" नहीं कर सकता। मोटापा कम करने के लिए सही खानपान, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली की जरूरत होती है। फिर भी, कुछ काढ़े जिनके बारे में माना जाता है कि वे वजन कम करने में मदद कर सकते हैं, वे हैं:


अदरक और नींबू का काढ़ा:– 

अदरक शरीर में मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और नींबू डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है। इस काढ़े को सुबह खाली पेट पीने से फायदा हो सकता है।


दालचीनी और शहद का काढ़ा:–

 दालचीनी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करती है और शहद में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इस काढ़े को रात में सोने से पहले पीना अच्छा माना जाता है।


गिलोय का काढ़ा:–

 गिलोय को इम्यूनिटी बूस्ट करने और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने के लिए जाना जाता है। इसे नियमित रूप से पीने से वजन घटाने में सहायता मिल सकती है।


त्रिफला काढ़ा:–

 त्रिफला तीन फलों का मिश्रण है जो पाचन को बेहतर करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है। इसे रात में सोने से पहले लिया जा सकता है।


इन काढ़ों का सेवन करते समय यह भी सुनिश्चित करें कि आपकी पूरी डाइट और जीवनशैली भी संतुलित और स्वस्थ हो। किसी भी प्रकार के काढ़े को अपनाने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होगा।


मोटापा कम करने के लिए कुछ और प्रभावी काढ़े भी हैं जिन्हें आप आज़मा सकते हैं:~~~


मेथी और अजवाइन का काढ़ा:–

मेथी और अजवाइन दोनों ही पाचन में सुधार और मेटाबॉलिज्म को तेज करने में मदद करते हैं। यह काढ़ा सुबह खाली पेट पीने से वजन कम करने में सहायता मिल सकती है।


मुलैठी का काढ़ा:–

 मुलैठी की जड़ का उपयोग कई आयुर्वेदिक उपचारों में किया जाता है। इसका काढ़ा पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और शरीर में अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद मिलती है।


जीरा और सौंफ का काढ़ा:–

 जीरा और सौंफ दोनों ही पाचन तंत्र को सुधारने में मददगार होते हैं। यह काढ़ा शरीर से अतिरिक्त पानी को निकालने और पेट की सूजन को कम करने में सहायक हो सकता है।


हल्दी और काली मिर्च का काढ़ा:–

 हल्दी में करक्यूमिन होता है जो वजन घटाने में मदद कर सकता है। काली मिर्च करक्यूमिन के अवशोषण को बढ़ाती है। इस काढ़े को दिन में एक बार लिया जा सकता है।


मुलेठी और दारुहल्दी का काढ़ा:–

 यह काढ़ा वसा कम करने और शरीर के वजन को संतुलित रखने में मददगार हो सकता है।


लौंग, दालचीनी, और तेजपत्ता का काढ़ा:–

 यह तीनों मसाले शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं और वसा को कम करने में मदद कर सकते हैं।


इन काढ़ों को प्राकृतिक आहार के रूप में उपयोग करें, लेकिन यह याद रखें कि केवल काढ़े के भरोसे वजन कम नहीं किया जा सकता। एक स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और समुचित नींद भी वजन घटाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी भी नए आहार या उपचार को शुरू करने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित रहेगा।

मंगलवार, 13 अगस्त 2024

बरसात में पकौड़े खाने से फायदे व नुकसान in hindi

 बरसात में पकौड़े खाने से फायदे व नुकसान in hindi.

Dr.VirenderMadhan

बरसात में पकौड़े खाने के फायदे और नुकसान निम्नलिखित हैं:

फायदे:–

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मौसम का आनंद:–

 बरसात के मौसम में पकौड़े खाने से मौसम का मजा बढ़ जाता है और यह एक लोकप्रिय भारतीय परंपरा है।

स्वादिष्ट और गर्माहट:–

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 बरसात में पकौड़े खाने से शरीर को गर्मी मिलती है, जो ठंड और नमी से राहत दिला सकती है।

सोशल इवेंट्स:–

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 पकौड़े दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खाने का मजा बढ़ाते हैं, जिससे सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं।


नुकसान:–

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तेल और कैलोरी:–

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 पकौड़े तले हुए होते हैं और इनमें अधिक तेल और कैलोरी होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।

पाचन समस्याएं:–

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 बरसात के मौसम में पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है और तले हुए खाद्य पदार्थ खाने से पाचन समस्याएं हो सकती हैं।

वायरल इंफेक्शन का खतरा:–

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  बरसात में खाने की स्वच्छता का ध्यान न रखने पर वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है, खासकर अगर पकौड़े बाहर से खरीदे जा रहे हों।

संतुलन और स्वच्छता का ध्यान रखते हुए बरसात में पकौड़े खाने का आनंद लिया जा सकता है।


स्नैक्स का विकल्प:–

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 बरसात के मौसम में पकौड़े एक अच्छा स्नैक विकल्प होते हैं, जो भूख मिटाने के साथ-साथ मन को भी संतुष्टि प्रदान करते है।

वजन बढ़ना:– 

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अधिक मात्रा में पकौड़े खाने से वजन बढ़ने का खतरा रहता है, क्योंकि इनमें उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और वसा होते हैं।

हृदय स्वास्थ्य पर प्रभाव:–

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 तले हुए खाद्य पदार्थ हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं, खासकर यदि पकौड़ों में इस्तेमाल होने वाला तेल सही न हो।

बाहरी पकौड़ों का जोखिम:–

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 बाहर से खरीदे गए पकौड़े स्वच्छता और गुणवत्ता के मानकों को पूरा नहीं कर सकते, जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है।

अम्लता की बृद्धि:–

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शरीर में तेजाब बढाता है

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सुझाव:–

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 बरसात में पकौड़े का आनंद लेते समय कुछ बातों का ध्यान रखें:


तेल की गुणवत्ता और मात्रा का ध्यान रखें।

पकौड़े ताजे और स्वच्छ सामग्री से बनाएं।

संतुलित मात्रा में पकौड़े खाएं और साथ में हरी चटनी या दही का सेवन करें, जिससे पोषण में वृद्धि हो।

गुरुवार, 8 अगस्त 2024

अपच होने के 10 आयुर्वेदिक कारण in hindi


 अपच होने के 10 आयुर्वेदिक कारण

Dr.VirenderMadhan

आयुर्वेद के अनुसार, अपच (डिस्पेप्सिया) के विभिन्न कारण हो सकते हैं। यहाँ अपच होने के 10 प्रमुख आयुर्वेदिक कारण दिए जा रहे हैं:


असंतुलित आहार:–

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 गलत समय पर और असंतुलित भोजन करना।

अतिपान: 

अधिक मात्रा में खाने और पीने से पाचन तंत्र पर बोझ बढ़ता है।

अपथ्य आहार:–

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 अपाच्य और भारी भोजन करना।

अजीर्ण:–

––––-

 पिछले भोजन के पूर्ण पाचन से पहले ही नया भोजन करना।

अवस्थापन:–

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 भोजन के तुरंत बाद लेट जाना या शारीरिक गतिविधियों का अभाव।

अम्लता:–

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 अधिक मसालेदार और तली हुई चीजों का सेवन।

विरुद्ध आहार:–

–--–––––

 विरोधाभासी खाद्य पदार्थों का एक साथ सेवन।

मानसिक तनाव:–

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 तनाव, चिंता और अवसाद का पाचन पर नकारात्मक प्रभाव।

अनियमित दिनचर्या:–

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 अनियमित सोने और जागने का समय।

कुपित दोष:–

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 वात, पित्त, और कफ दोषों का असंतुलन।


प्रकृति विरोधी आहार:–

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 अपनी प्रकृति (वात, पित्त, कफ) के खिलाफ आहार लेना।

दुर्बल अग्नि:–

–-–––––

 कमजोर पाचन शक्ति या अग्नि मन्दता।

अन्य रोग:–

––––––

 शरीर में अन्य बीमारियों के कारण पाचन शक्ति का कम होना।

संक्रमण:–

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 पेट में कीड़े या अन्य संक्रमण होना।

औषधियों का प्रभाव:–

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 कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण।

अतिप्रवृत्त:–

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 अत्यधिक शारीरिक श्रम या व्यायाम करना।

अपचन से होने वाले रोग:–

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–कब्‍ज, 

–एसिडिटी, 

–आंतों में सूजन, 

–संक्रमण, 

–सीलिएक रोग, 

–क्रोहन रोग, 

-अल्सरेटिव कोलाइटिस, –इंटेस्टाइनल इस्किमिया जैसी बीमारियों का खतरा अधिक रहता है।

मंगलवार, 23 जुलाई 2024

पेट मे भोजन सडने से क्या होता है in hindi

 पेट मे भोजन सडने से क्या होता है in hindi

Dr.VirenderMadhan.

पेट में भोजन सड़ने से कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:


अम्लता (Acidity):–

 भोजन सही से पचता नहीं है और पेट में अम्ल का उत्पादन बढ़ जाता है।

गैस (Gas):–

 सड़े हुए भोजन से गैस बनने लगती है, जिससे पेट फूलने और दर्द की समस्या होती है।

दस्त (Diarrhea):–

 सड़ा हुआ भोजन पेट और आंतों में जलन पैदा करता है, जिससे दस्त हो सकते हैं।

कब्ज (Constipation):–

 भोजन का सही से न पचना कब्ज का कारण बन सकता है।

बदबूदार सांस (Bad Breath):–

 पेट में सड़े भोजन की बदबू सांस के माध्यम से बाहर आ सकती है।

मतली और उल्टी (Nausea and Vomiting):–

 सड़े हुए भोजन की वजह से मितली और उल्टी हो सकती है।

पाचन समस्याएं (Digestive Issues):–

 सामान्य रूप से पाचन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है।

इन समस्याओं से बचने के लिए सही समय पर खाना खाना, संतुलित आहार लेना, और पर्याप्त पानी पीना महत्वपूर्ण है। अगर समस्याएं लगातार बनी रहती हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।


आंतों में संक्रमण (Intestinal Infection):–

सड़े हुए भोजन में बैक्टीरिया और अन्य रोगाणु पनप सकते हैं, जो आंतों में संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

आंतों में सूजन (Intestinal Inflammation):–

 संक्रमण और सड़े हुए भोजन से आंतों में सूजन हो सकती है, जिससे दर्द और असुविधा होती है।

आंतरिक रक्तस्राव (Internal Bleeding):–

 गंभीर मामलों में, आंतों में अल्सर बन सकते हैं जो रक्तस्राव का कारण बन सकते हैं।

पोषक तत्वों की कमी (Nutrient Deficiency):–

 भोजन सही से न पचने के कारण शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे कमजोरी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome):–

 लंबे समय तक पाचन समस्याएं रहने से आईबीएस जैसी पुरानी स्थिति विकसित हो सकती है।

प्रतिरोधक क्षमता में कमी (Weakened Immune System):–

 लगातार पाचन समस्याओं से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है, जिससे अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

वजन में कमी (Weight Loss):–

 भोजन सही से न पचने के कारण वजन में कमी हो सकती है, जिससे कमजोरी और थकान महसूस होती है।

पेट दर्द (Stomach Pain):–

 सड़े हुए भोजन के कारण लगातार पेट दर्द हो सकता है।

इन समस्याओं से बचने के लिए, सही खान-पान की आदतें अपनाना, नियमित व्यायाम करना, और तनाव को कम करना महत्वपूर्ण है। यदि किसी भी प्रकार की पाचन समस्या लगातार बनी रहती है, तो चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।

शनिवार, 13 जुलाई 2024

हाथ पैर सुन्न हो तो क्या करें|Know The Causes And Remedies For Numbness Of Hands And Feet.

 हाथ पैर सुन्न हो तो क्या करें|Know The Causes And Remedies For Numbness Of Hands And Feet.

सुप्तिवात

Dr.VirenderMadhan

हाथ और पैर सुन्न हो जाने पर निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:

मालिश करें:–

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 सुन्न हुए हिस्से पर हल्की मालिश करें जिससे रक्त संचार बेहतर हो सके।


गर्म पानी में भिगोएं:–

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 गर्म पानी में हाथ या पैर को थोड़ी देर के लिए भिगोएं। इससे सुन्नता कम होगी।


व्यायाम करें:–

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 स्ट्रेचिंग और हल्का व्यायाम करें जिससे रक्त संचार तेज हो।


पानी पिएं:–

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 शरीर में पानी की कमी भी सुन्नता का कारण हो सकती है, इसलिए पर्याप्त पानी पिएं।


सही पोश्चर अपनाएं:–

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 गलत पोश्चर के कारण भी सुन्नता हो सकती है, इसलिए बैठने और सोने के सही तरीके अपनाएं।


डॉक्टर से संपर्क करें:–

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 यदि सुन्नता बार-बार हो रही है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो किसी चिकित्सक से परामर्श लें।

#क्यों_होते_है_हाथ_पैर_सुन्न

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[ कारण ]

हाथ और पैर सुन्न होने के कई कारण हो सकते हैं:


रक्त संचार में कमी:–

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 जब किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, तो वह हिस्सा सुन्न हो सकता है।


नसों पर दबाव:–

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 लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने या लेटे रहने से नसों पर दबाव पड़ सकता है, जिससे सुन्नता हो सकती है।


विटामिन की कमी:–

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 विशेषकर विटामिन B12 की कमी से भी हाथ और पैर सुन्न हो सकते हैं।


डायबिटीज:–

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 डायबिटीज के मरीजों में नर्व डैमेज (न्यूरोपैथी) के कारण भी सुन्नता हो सकती है।


स्नायु संबंधी समस्याएं:–

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 जैसे कार्पल टनल सिंड्रोम, पेरिफेरल न्यूरोपैथी, या हरनियेटेड डिस्क।


घाव या चोट:–

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 किसी हिस्से में चोट लगने या घाव होने के कारण भी सुन्नता हो सकती है।


मेडिकल कंडिशन्स:–

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 कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ, जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस, स्ट्रोक, और अन्य न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स भी सुन्नता का कारण हो सकते हैं।


मेडिकेशन साइड इफेक्ट्स:–

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 कुछ दवाओं के सेवन से भी सुन्नता हो सकती है।

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स:–

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 जैसे ल्यूपस या रूमेटोइड अर्थराइटिस, जिनमें शरीर की इम्यून सिस्टम अपने ही टिश्यूज़ पर हमला करती है।


साइन या क्यूबिटल टनल सिंड्रोम:–

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 हाथ में एक विशेष नस पर दबाव पड़ने से सुन्नता हो सकती है।


थायरॉइड की समस्याएं:–

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 हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण भी सुन्नता हो सकती है।


एल्कोहल का अत्यधिक सेवन:–

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 अत्यधिक शराब पीने से भी नसों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे सुन्नता हो सकती है।


संक्रमण:–

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 कुछ वायरस और बैक्टीरियल संक्रमण जैसे लाइम डिजीज, हर्पीज जॉस्टर (शिंगल्स) और एचआईवी भी नसों को प्रभावित कर सकते हैं।


कैंसर:–

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 कुछ प्रकार के कैंसर और उनके इलाज (कीमोथेरेपी) भी नसों पर प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे सुन्नता हो सकती है।


टॉक्सिन एक्सपोजर:–

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 कुछ रसायनों और धातुओं, जैसे सीसा, पारा, और आर्सेनिक, के संपर्क में आने से नसों को नुकसान हो सकता है।


हार्निया:–

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 रीढ़ की हड्डी में डिस्क का हर्नियेशन या स्लिप्ड डिस्क भी नसों पर दबाव डाल सकती है, जिससे सुन्नता हो सकती है।


स्ट्रोक:–

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 स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बंद हो सकती है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में सुन्नता हो सकती है।

#घरेलू_उपाय_क्या_है

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हाथ और पैर सुन्न होने पर कुछ घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं:


गर्म पानी से सिंकाई:–

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 गर्म पानी में कपड़ा भिगोकर सुन्न हिस्से पर रखें। इससे रक्त संचार बेहतर होगा।


नमक का पानी:–

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 गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर उसमें हाथ या पैर को भिगोएं। यह मांसपेशियों को आराम देगा और सुन्नता कम करेगा।


हल्दी दूध:–

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 एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पिएं। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं।


व्यायाम और स्ट्रेचिंग:–

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 नियमित रूप से व्यायाम और स्ट्रेचिंग करें। इससे रक्त संचार बेहतर होगा और मांसपेशियों को राहत मिलेगी।


मालिश:–

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 नारियल तेल, सरसों का तेल या जैतून के तेल से सुन्न हिस्से की मालिश करें। इससे रक्त संचार में सुधार होगा और सुन्नता कम होगी।


अदरक का सेवन:–

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 अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। अदरक की चाय पिएं या अदरक का टुकड़ा चबाएं।


विटामिन बी12 की आपूर्ति:–

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 अपने आहार में विटामिन बी12 युक्त खाद्य पदार्थ जैसे अंडे, मांस, डेयरी उत्पाद और फोर्टिफाइड अनाज शामिल करें।


सही पोश्चर:–

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 काम करते समय सही पोश्चर अपनाएं और लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें।


मेडिटेशन और योग:–

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 तनाव कम करने और रक्त संचार में सुधार के लिए मेडिटेशन और योग करें।


पानी पिएं:–

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 शरीर में पानी की कमी से भी सुन्नता हो सकती है। दिन भर में पर्याप्त पानी पिएं।


[चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।]

जडीबुटी

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हाथ और पैर सुन्न होने पर कुछ जड़ी-बूटियों का उपयोग भी किया जा सकता है। यहाँ कुछ जड़ी-बूटियाँ और उनके उपयोग के तरीके दिए गए हैं


गिलोय:–

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 गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। गिलोय का रस या चूर्ण का सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और सुन्नता को कम करने में मदद कर सकता है।


ब्रह्मी:–

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 ब्रह्मी मस्तिष्क और नसों के स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है। इसका सेवन तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है और सुन्नता को कम करता है। ब्रह्मी का चूर्ण या कैप्सूल का सेवन करें।


हल्दी:–

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 हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट है। हल्दी को दूध में मिलाकर पिएं या भोजन में शामिल करें।


नागौरी अश्वगंधा:–

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 यह जड़ी-बूटी तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाने और तनाव को कम करने में मदद करती है। इसका उपयोग चूर्ण या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है।


पुनर्नवा:–

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 पुनर्नवा का उपयोग शरीर के विषाक्त पदार्थों को निकालने और रक्त संचार को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। इसका सेवन चूर्ण या काढ़ा के रूप में कर सकते हैं।


त्रिफला:–

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 त्रिफला का सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है और तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ बनाता है। त्रिफला चूर्ण को रात में गर्म पानी के साथ लें।


शंखपुष्पी:–

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 यह जड़ी-बूटी मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद करती है। इसका सेवन चूर्ण या सिरप के रूप में करें।


सौंठ (सूखा अदरक):–

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 सौंठ का सेवन तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है और सूजन को कम करता है। इसे गर्म पानी या चाय में मिलाकर पिएं।


शतावरी:–

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 शतावरी का सेवन नसों और मांसपेशियों को मजबूत करता है। इसका उपयोग चूर्ण, कैप्सूल या काढ़ा के रूप में कर सकते हैं।


चमेली के पत्ते:–

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 चमेली के पत्तों का रस या पेस्ट बनाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं। यह रक्त संचार को सुधारने में मदद करता है।


तुलसी:–

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 तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। तुलसी के पत्तों का रस निकालकर पिएं या चाय में मिलाकर सेवन करें।


बिल्व:–

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 बिल्व के पत्तों का रस निकालकर पिएं या इसके चूर्ण का सेवन करें। यह नसों को मजबूत बनाने में मदद करता है।


लहसुन:–

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 लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। रोजाना सुबह खाली पेट एक या दो लहसुन की कलियाँ खाएं।


नीम:–

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 नीम के पत्तों का रस निकालकर पिएं या नीम का तेल प्रभावित हिस्से पर लगाएं। यह संक्रमण को रोकने और नसों को मजबूत बनाने में मदद करता है।


हरीतकी:–

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 हरीतकी का सेवन तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसका चूर्ण गर्म पानी के साथ लें।


मेथी:–

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 मेथी के बीजों को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाएं। यह सूजन को कम करता है और नसों को मजबूत बनाता है।


ब्राह्मी:–

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 ब्राह्मी का सेवन तनाव को कम करने और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। ब्राह्मी चूर्ण या कैप्सूल का सेवन करें।


अर्जुन की छाल:–

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अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पिएं। यह हृदय और नसों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।


मसाज ऑयल:– 

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आंवला, भृंगराज, और ब्राह्मी के तेल का उपयोग करके नियमित मालिश करें। इससे रक्त संचार बेहतर होता है और नसों को राहत मिलती है।


इन जड़ी-बूटियों का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है, ताकि आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार सही मार्गदर्शन मिल सके।


**लाइफ स्टाइल

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हाथ और पैर सुन्न होने की समस्या से निपटने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव मददगार हो सकते हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:


1. नियमित व्यायाम करें:

एरोबिक व्यायाम: 

जैसे चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैराकी।

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग: 

हल्के वज़न उठाना और मांसपेशियों को मजबूत बनाना।

स्ट्रेचिंग: 

नियमित स्ट्रेचिंग करने से रक्त संचार बेहतर होता है।

2. सही पोश्चर अपनाएं:


काम करते समय और आराम करते समय सही पोश्चर बनाए रखें।

कंप्यूटर पर काम करते समय कुर्सी और टेबल की ऊँचाई सही रखें।

लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठे रहें। बीच-बीच में उठकर चलें।

3. आहार में सुधार करें:


विटामिन B12 और अन्य आवश्यक पोषक तत्व शामिल करें।

ताजे फल, सब्जियाँ, नट्स, और साबुत अनाज खाएं।

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और अधिक चीनी से बचें।

4. धूम्रपान और शराब का सेवन कम करें:


धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। इन्हें कम या बंद करने का प्रयास करें।

5. सही नींद लें:


प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद लें।

सही गद्दे और तकिए का उपयोग करें ताकि रीढ़ की हड्डी को सही समर्थन मिले।

6. तनाव प्रबंधन:


मेडिटेशन, योग, और गहरी साँस लेने की तकनीकें अपनाएं।

हाबी और रुचियों को समय दें ताकि मन शांत रहे।

7. हाइड्रेटेड रहें:


पर्याप्त पानी पिएं। शरीर में पानी की कमी से भी सुन्नता हो सकती है।

8. रक्त संचार में सुधार:


गर्म पानी से स्नान करें या गर्म पानी में पैरों को डुबोएं।

प्रभावित हिस्सों की हल्की मालिश करें।

9. विश्राम और विश्रांति:


नियमित रूप से ब्रेक लें और मांसपेशियों को विश्राम दें।

सर्कुलेशन में सुधार के लिए पैरों को थोड़ा ऊपर उठाकर बैठें।

10. डॉक्टर से नियमित जांच:


किसी भी लंबी अवधि की समस्या या पुरानी बीमारियों के लिए नियमित जांच कराएं।

चिकित्सक से परामर्श लें और उनकी सलाह का पालन करें।

इन जीवनशैली में बदलाव से हाथ और पैर सुन्न होने की समस्या को कम किया जा सकता है और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।

बुधवार, 10 जुलाई 2024

आयुर्वेद के अनुसार दीर्घायु के नियम

 आयुर्वेद के अनुसार दीर्घायु के नियम

Dr.VirenderMadhan

आयुर्वेद में दीर्घायु के लिए कुछ मुख्य नियम होते हैं:


आहार संबंधी नियम:–

 सत्त्विक आहार, यानी प्राकृतिक, स्वास्थ्यप्रद और हर्मोनियस आहार लेना दीर्घायु के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें शाकाहार, फलाहार, धान्याहार आदि शामिल होते हैं।


व्यायाम और योग:–

 नियमित व्यायाम और योग करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, जो दीर्घायु के लिए आवश्यक है।


दिनचर्या:–

 योग्य दिनचर्या का पालन करना, जिसमें नियमित निद्रा, समय पर उठना, प्राणायाम, और ध्यान शामिल हो, दीर्घायु के लिए फायदेमंद होता है।


रसायन चिकित्सा:–

 आयुर्वेद में रसायन चिकित्सा का उपयोग शारीरिक और मानसिक स्थिति को सुधारने में किया जाता है, जो दीर्घायु को बढ़ावा देता है।


वातावरण और संजीवनीय उपचार:–

 स्वस्थ वातावरण में रहना और आयुर्वेदिक संजीवनीय उपचारों का उपयोग करना दीर्घायु को बढ़ाने में सहायक होता है।


इन नियमों का पालन करने से शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बना रहता है, जिससे दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है।