हाथ पैर सुन्न हो तो क्या करें|Know The Causes And Remedies For Numbness Of Hands And Feet.
सुप्तिवात
Dr.VirenderMadhan
हाथ और पैर सुन्न हो जाने पर निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:
मालिश करें:–
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सुन्न हुए हिस्से पर हल्की मालिश करें जिससे रक्त संचार बेहतर हो सके।
गर्म पानी में भिगोएं:–
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गर्म पानी में हाथ या पैर को थोड़ी देर के लिए भिगोएं। इससे सुन्नता कम होगी।
व्यायाम करें:–
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स्ट्रेचिंग और हल्का व्यायाम करें जिससे रक्त संचार तेज हो।
पानी पिएं:–
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शरीर में पानी की कमी भी सुन्नता का कारण हो सकती है, इसलिए पर्याप्त पानी पिएं।
सही पोश्चर अपनाएं:–
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गलत पोश्चर के कारण भी सुन्नता हो सकती है, इसलिए बैठने और सोने के सही तरीके अपनाएं।
डॉक्टर से संपर्क करें:–
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यदि सुन्नता बार-बार हो रही है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो किसी चिकित्सक से परामर्श लें।
#क्यों_होते_है_हाथ_पैर_सुन्न
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[ कारण ]
हाथ और पैर सुन्न होने के कई कारण हो सकते हैं:
रक्त संचार में कमी:–
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जब किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, तो वह हिस्सा सुन्न हो सकता है।
नसों पर दबाव:–
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लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने या लेटे रहने से नसों पर दबाव पड़ सकता है, जिससे सुन्नता हो सकती है।
विटामिन की कमी:–
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विशेषकर विटामिन B12 की कमी से भी हाथ और पैर सुन्न हो सकते हैं।
डायबिटीज:–
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डायबिटीज के मरीजों में नर्व डैमेज (न्यूरोपैथी) के कारण भी सुन्नता हो सकती है।
स्नायु संबंधी समस्याएं:–
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जैसे कार्पल टनल सिंड्रोम, पेरिफेरल न्यूरोपैथी, या हरनियेटेड डिस्क।
घाव या चोट:–
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किसी हिस्से में चोट लगने या घाव होने के कारण भी सुन्नता हो सकती है।
मेडिकल कंडिशन्स:–
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कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ, जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस, स्ट्रोक, और अन्य न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स भी सुन्नता का कारण हो सकते हैं।
मेडिकेशन साइड इफेक्ट्स:–
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कुछ दवाओं के सेवन से भी सुन्नता हो सकती है।
ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स:–
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जैसे ल्यूपस या रूमेटोइड अर्थराइटिस, जिनमें शरीर की इम्यून सिस्टम अपने ही टिश्यूज़ पर हमला करती है।
साइन या क्यूबिटल टनल सिंड्रोम:–
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हाथ में एक विशेष नस पर दबाव पड़ने से सुन्नता हो सकती है।
थायरॉइड की समस्याएं:–
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हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण भी सुन्नता हो सकती है।
एल्कोहल का अत्यधिक सेवन:–
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अत्यधिक शराब पीने से भी नसों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे सुन्नता हो सकती है।
संक्रमण:–
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कुछ वायरस और बैक्टीरियल संक्रमण जैसे लाइम डिजीज, हर्पीज जॉस्टर (शिंगल्स) और एचआईवी भी नसों को प्रभावित कर सकते हैं।
कैंसर:–
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कुछ प्रकार के कैंसर और उनके इलाज (कीमोथेरेपी) भी नसों पर प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे सुन्नता हो सकती है।
टॉक्सिन एक्सपोजर:–
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कुछ रसायनों और धातुओं, जैसे सीसा, पारा, और आर्सेनिक, के संपर्क में आने से नसों को नुकसान हो सकता है।
हार्निया:–
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रीढ़ की हड्डी में डिस्क का हर्नियेशन या स्लिप्ड डिस्क भी नसों पर दबाव डाल सकती है, जिससे सुन्नता हो सकती है।
स्ट्रोक:–
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स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बंद हो सकती है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में सुन्नता हो सकती है।
#घरेलू_उपाय_क्या_है
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हाथ और पैर सुन्न होने पर कुछ घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं:
गर्म पानी से सिंकाई:–
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गर्म पानी में कपड़ा भिगोकर सुन्न हिस्से पर रखें। इससे रक्त संचार बेहतर होगा।
नमक का पानी:–
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गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर उसमें हाथ या पैर को भिगोएं। यह मांसपेशियों को आराम देगा और सुन्नता कम करेगा।
हल्दी दूध:–
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एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पिएं। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं।
व्यायाम और स्ट्रेचिंग:–
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नियमित रूप से व्यायाम और स्ट्रेचिंग करें। इससे रक्त संचार बेहतर होगा और मांसपेशियों को राहत मिलेगी।
मालिश:–
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नारियल तेल, सरसों का तेल या जैतून के तेल से सुन्न हिस्से की मालिश करें। इससे रक्त संचार में सुधार होगा और सुन्नता कम होगी।
अदरक का सेवन:–
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अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। अदरक की चाय पिएं या अदरक का टुकड़ा चबाएं।
विटामिन बी12 की आपूर्ति:–
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अपने आहार में विटामिन बी12 युक्त खाद्य पदार्थ जैसे अंडे, मांस, डेयरी उत्पाद और फोर्टिफाइड अनाज शामिल करें।
सही पोश्चर:–
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काम करते समय सही पोश्चर अपनाएं और लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें।
मेडिटेशन और योग:–
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तनाव कम करने और रक्त संचार में सुधार के लिए मेडिटेशन और योग करें।
पानी पिएं:–
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शरीर में पानी की कमी से भी सुन्नता हो सकती है। दिन भर में पर्याप्त पानी पिएं।
[चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।]
जडीबुटी
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हाथ और पैर सुन्न होने पर कुछ जड़ी-बूटियों का उपयोग भी किया जा सकता है। यहाँ कुछ जड़ी-बूटियाँ और उनके उपयोग के तरीके दिए गए हैं
गिलोय:–
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गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। गिलोय का रस या चूर्ण का सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और सुन्नता को कम करने में मदद कर सकता है।
ब्रह्मी:–
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ब्रह्मी मस्तिष्क और नसों के स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है। इसका सेवन तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है और सुन्नता को कम करता है। ब्रह्मी का चूर्ण या कैप्सूल का सेवन करें।
हल्दी:–
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हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट है। हल्दी को दूध में मिलाकर पिएं या भोजन में शामिल करें।
नागौरी अश्वगंधा:–
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यह जड़ी-बूटी तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाने और तनाव को कम करने में मदद करती है। इसका उपयोग चूर्ण या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है।
पुनर्नवा:–
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पुनर्नवा का उपयोग शरीर के विषाक्त पदार्थों को निकालने और रक्त संचार को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। इसका सेवन चूर्ण या काढ़ा के रूप में कर सकते हैं।
त्रिफला:–
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त्रिफला का सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है और तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ बनाता है। त्रिफला चूर्ण को रात में गर्म पानी के साथ लें।
शंखपुष्पी:–
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यह जड़ी-बूटी मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद करती है। इसका सेवन चूर्ण या सिरप के रूप में करें।
सौंठ (सूखा अदरक):–
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सौंठ का सेवन तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है और सूजन को कम करता है। इसे गर्म पानी या चाय में मिलाकर पिएं।
शतावरी:–
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शतावरी का सेवन नसों और मांसपेशियों को मजबूत करता है। इसका उपयोग चूर्ण, कैप्सूल या काढ़ा के रूप में कर सकते हैं।
चमेली के पत्ते:–
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चमेली के पत्तों का रस या पेस्ट बनाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं। यह रक्त संचार को सुधारने में मदद करता है।
तुलसी:–
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तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। तुलसी के पत्तों का रस निकालकर पिएं या चाय में मिलाकर सेवन करें।
बिल्व:–
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बिल्व के पत्तों का रस निकालकर पिएं या इसके चूर्ण का सेवन करें। यह नसों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
लहसुन:–
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लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। रोजाना सुबह खाली पेट एक या दो लहसुन की कलियाँ खाएं।
नीम:–
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नीम के पत्तों का रस निकालकर पिएं या नीम का तेल प्रभावित हिस्से पर लगाएं। यह संक्रमण को रोकने और नसों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
हरीतकी:–
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हरीतकी का सेवन तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसका चूर्ण गर्म पानी के साथ लें।
मेथी:–
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मेथी के बीजों को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाएं। यह सूजन को कम करता है और नसों को मजबूत बनाता है।
ब्राह्मी:–
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ब्राह्मी का सेवन तनाव को कम करने और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। ब्राह्मी चूर्ण या कैप्सूल का सेवन करें।
अर्जुन की छाल:–
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अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पिएं। यह हृदय और नसों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
मसाज ऑयल:–
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आंवला, भृंगराज, और ब्राह्मी के तेल का उपयोग करके नियमित मालिश करें। इससे रक्त संचार बेहतर होता है और नसों को राहत मिलती है।
इन जड़ी-बूटियों का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है, ताकि आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार सही मार्गदर्शन मिल सके।
**लाइफ स्टाइल
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हाथ और पैर सुन्न होने की समस्या से निपटने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव मददगार हो सकते हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
1. नियमित व्यायाम करें:
एरोबिक व्यायाम:
जैसे चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैराकी।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग:
हल्के वज़न उठाना और मांसपेशियों को मजबूत बनाना।
स्ट्रेचिंग:
नियमित स्ट्रेचिंग करने से रक्त संचार बेहतर होता है।
2. सही पोश्चर अपनाएं:
काम करते समय और आराम करते समय सही पोश्चर बनाए रखें।
कंप्यूटर पर काम करते समय कुर्सी और टेबल की ऊँचाई सही रखें।
लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठे रहें। बीच-बीच में उठकर चलें।
3. आहार में सुधार करें:
विटामिन B12 और अन्य आवश्यक पोषक तत्व शामिल करें।
ताजे फल, सब्जियाँ, नट्स, और साबुत अनाज खाएं।
प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और अधिक चीनी से बचें।
4. धूम्रपान और शराब का सेवन कम करें:
धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। इन्हें कम या बंद करने का प्रयास करें।
5. सही नींद लें:
प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद लें।
सही गद्दे और तकिए का उपयोग करें ताकि रीढ़ की हड्डी को सही समर्थन मिले।
6. तनाव प्रबंधन:
मेडिटेशन, योग, और गहरी साँस लेने की तकनीकें अपनाएं।
हाबी और रुचियों को समय दें ताकि मन शांत रहे।
7. हाइड्रेटेड रहें:
पर्याप्त पानी पिएं। शरीर में पानी की कमी से भी सुन्नता हो सकती है।
8. रक्त संचार में सुधार:
गर्म पानी से स्नान करें या गर्म पानी में पैरों को डुबोएं।
प्रभावित हिस्सों की हल्की मालिश करें।
9. विश्राम और विश्रांति:
नियमित रूप से ब्रेक लें और मांसपेशियों को विश्राम दें।
सर्कुलेशन में सुधार के लिए पैरों को थोड़ा ऊपर उठाकर बैठें।
10. डॉक्टर से नियमित जांच:
किसी भी लंबी अवधि की समस्या या पुरानी बीमारियों के लिए नियमित जांच कराएं।
चिकित्सक से परामर्श लें और उनकी सलाह का पालन करें।
इन जीवनशैली में बदलाव से हाथ और पैर सुन्न होने की समस्या को कम किया जा सकता है और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।