पित्ताशय की पथरी का संपूर्ण आयुर्वेदिक उपचार
पित्ताशय की पथरी
(Gallstones) का मुख्य कारण पित्त दोष का असंतुलन होता है, जिससे पित्ताशय में कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन और अन्य तत्व कठोर होकर पथरी का रूप ले लेते हैं। आयुर्वेद में इसे "पित्ताशय अश्मरी" कहा जाता है और इसका उपचार दोषों के संतुलन, आहार सुधार, हर्बल औषधियों और पंचकर्म से संभव है।
1. आयुर्वेदिक औषधियाँ (Herbal Remedies)
(A) जड़ी-बूटियाँ (Effective Herbs)
वरुण (Crataeva Nurvala)
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– पथरी को घोलने और मूत्र मार्ग से निकालने में सहायक।
भृंगराज (Eclipta Alba) –
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पाचन सुधारने और पित्त को संतुलित करने में उपयोगी।
गोकशुर (Tribulus Terrestris) –
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मूत्रवर्धक प्रभाव से पथरी को बाहर निकालने में सहायक।
पुनर्नवा (Boerhavia Diffusa) –
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पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है और सूजन कम करती है।
त्रिफला (Haritaki, Bibhitaki, Amalaki) –
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पाचन सुधारने और शरीर को डिटॉक्स करने के लिए प्रभावी।
अलसी के बीज (Flax Seeds) –
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पित्त के प्रवाह को सुधारकर पथरी बनने से रोकते हैं।
कुल्थी दाल (Horse Gram) – -------------
नियमित सेवन करने से पथरी धीरे-धीरे घुलने लगती है।
(B) आयुर्वेदिक योग (Formulations)
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वरुणादि काढ़ा –
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पथरी को गलाने और पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक।
पाषाणभेद चूर्ण –
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पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने और शरीर से बाहर निकालने के लिए।
श्रृंग भस्म –
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पित्त संतुलन और पाचन सुधार के लिए।
आरोग्यवर्धिनी वटी –
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यकृत और पित्ताशय को स्वस्थ बनाए रखने के लिए।
कांचनार गुग्गुलु –
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पित्ताशय में संचित अपशिष्ट पदार्थों को निकालने में सहायक।
2. आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा
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यदि पथरी बड़ी हो और तकलीफ अधिक हो, तो पंचकर्म उपचार प्रभावी हो सकता है:
विरेचन (Purgation Therapy) –
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शरीर से अतिरिक्त पित्त को बाहर निकालने के लिए।
भस्त्रिका और कपालभाति प्राणायाम –
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पेट और पाचन तंत्र को मजबूत करने में सहायक।
अभ्यंग (Oil Massage) और स्वेदन (Steam Therapy) –
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शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए।
उत्तर वस्ती – यह आयुर्वेदिक एनीमा चिकित्सा है जो पथरी के निष्कासन में सहायक होती है।
3. आहार और जीवनशैली सुधार
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(A) क्या खाना चाहिए?
✔ हरी पत्तेदार सब्जियाँ – पालक, मेथी, सहजन की पत्तियाँ, और करेला।
✔ कुल्थी दाल – नियमित सेवन से पथरी घुलने में मदद मिलती है।
✔ गाजर और चुकंदर का रस – पाचन सुधारने और लिवर को डिटॉक्स करने में सहायक।
✔ सेब का सिरका – गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से पथरी गल सकती है।
✔ नींबू पानी और नारियल पानी – शरीर को हाइड्रेटेड रखने और पित्त संतुलन के लिए।
✔ अदरक और हल्दी – सूजन कम करने और पाचन सुधारने में मददगार।
(B) क्या न खाएं?
❌ अधिक तला-भुना, मसालेदार, और चिकनाई युक्त भोजन।
❌ मांस, मछली, अंडा, और डेयरी उत्पाद (दूध, पनीर, घी)।
❌ शराब और धूम्रपान।
❌ फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड।
4. घरेलू उपचार (Home Remedies)
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सेब का सिरका + शहद
1 गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच सेब का सिरका और 1 चम्मच शहद मिलाकर रोज सुबह पिएं।
कुल्थी का पानी
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1 कप कुल्थी दाल को रातभर भिगोकर सुबह पानी छानकर पीने से लाभ होता है।
मुलेठी का काढ़ा
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1 चम्मच मुलेठी पाउडर को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिएं।
अलसी और तिल
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अलसी और तिल के बीजों को पीसकर रोजाना सेवन करें।
नींबू + हल्दी
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गुनगुने पानी में 1 चुटकी हल्दी और आधा नींबू निचोड़कर पिएं।
5. योग और प्राणायाम
योग और प्राणायाम से पाचन और लिवर की कार्यक्षमता बेहतर होती है, जिससे पथरी बनने की संभावना कम हो जाती है।
(A) प्रभावी योगासन
✅ पवन मुक्तासन – पेट और पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
✅ भुजंगासन – पित्त संतुलन बनाए रखता है।
✅ धनुरासन – लिवर और पित्ताशय को सक्रिय करता है।
✅ अर्ध मत्स्येन्द्रासन – पाचन सुधारने में सहायक।
✅ उष्ट्रासन – पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
(B) प्राणायाम
✅ कपालभाति – लिवर और पाचन अंगों को उत्तेजित करता है।
✅ अनुलोम-विलोम – शरीर में संतुलन बनाए रखता है।
✅ भस्त्रिका – पाचन तंत्र को सक्रिय करता है।
निष्कर्ष
पित्ताशय की पथरी का उपचार आयुर्वेदिक दवाओं, पंचकर्म, आहार सुधार, और योग द्वारा संभव है। यदि पथरी छोटी हो तो ये उपाय प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन यदि पथरी बड़ी हो और दर्द अधिक हो, तो विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।