Guru Ayurveda

रविवार, 6 अप्रैल 2025

जौ की रोटी खाने के फायदे in hindi.

 जौ की रोटी खाने के फायदे in hindi.



जौ की रोटी आयुर्वेद और आधुनिक पोषण विज्ञान दोनों में अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। इसके नियमित सेवन से कई शारीरिक लाभ होते हैं। नीचे जौ की रोटी खाने के प्रमुख फायदे दिए गए हैं:


1. पाचन तंत्र के लिए लाभकारी

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जौ में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जिससे कब्ज नहीं होता और आंतें स्वस्थ रहती हैं।


यह दाहशामक (antacid) गुणों से युक्त है, जिससे पेट की जलन और अम्लपित्त में राहत मिलती है।


2. मधुमेह (डायबिटीज) में उपयोगी

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जौ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह रक्त में शर्करा को धीरे-धीरे बढ़ाता है।


यह इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर करता है।


3. वजन घटाने में सहायक

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जौ की रोटी खाने से देर तक भूख नहीं लगती, जिससे ओवरईटिंग नहीं होती।


यह मेटाबोलिज्म को सक्रिय करता है।


4. हृदय रोग से सुरक्षा

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इसमें बीटा-ग्लूकन फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।


रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है।


5. शीतल, रुक्ष और कफनाशक

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आयुर्वेद के अनुसार जौ कफहर, मेधावर्धक और शीतवीर्य होता है।


यह शरीर को शुद्ध करता है और ऊष्मा को संतुलित रखता है।


6. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद

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इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को साफ और चमकदार बनाते हैं।


बालों को झड़ने से रोकता है।

****************य

शुक्रवार, 28 मार्च 2025

हारसिंगार के पत्तों की चाय के फायदे नुकसान


 हारसिंगार के पत्तों की चाय के फायदे नुकसान


हारसिंगार (पारिजात) के पत्तों की चाय फायदे और नुकसान

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परिचय

हारसिंगार, जिसे पारिजात (Nyctanthes arbor-tristis) भी कहा जाता है, आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। इसके फूल, पत्ते और छाल विभिन्न बीमारियों के उपचार में उपयोग किए जाते हैं। हारसिंगार के पत्तों की चाय भी स्वास्थ्य लाभ के लिए काफी लोकप्रिय हो रही है। आइए जानते हैं इसके फायदे और संभावित नुकसान।


हारसिंगार के पत्तों की चाय के फायदे

1. जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभकारी

हारसिंगार की पत्तियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गठिया (Arthritis) और जोड़ों के दर्द को कम करने में सहायक होते हैं। इसकी चाय पीने से सूजन और अकड़न में राहत मिलती है।


2. इम्यून सिस्टम को मजबूत करे

इस चाय में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।


3. बुखार और वायरल संक्रमण में कारगर

हारसिंगार की पत्तियां मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे बुखारों में बहुत प्रभावी होती हैं। इसकी चाय शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है।


4. डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक

यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को लाभ हो सकता है।


5. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद

हारसिंगार की चाय पेट के कीड़े (Intestinal Worms) को खत्म करने में सहायक होती है और अपच, गैस जैसी समस्याओं में राहत देती है।


6. त्वचा के लिए लाभदायक

इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो त्वचा के संक्रमण और मुंहासों की समस्या को कम कर सकते हैं।


हारसिंगार के पत्तों की चाय के नुकसान

1. अत्यधिक सेवन से पेट में दिक्कत

अगर इस चाय का ज्यादा सेवन किया जाए तो पेट में ऐंठन, एसिडिटी या हल्का दस्त हो सकता है।


2. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सावधानी

गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।


3. कम ब्लड प्रेशर वालों के लिए सावधानी

यह चाय ब्लड प्रेशर को कम कर सकती है, इसलिए लो ब्लड प्रेशर के मरीजों को इसका सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।


4. एलर्जी का खतरा

कुछ लोगों को हारसिंगार के पत्तों से एलर्जी हो सकती है। यदि किसी को खुजली, स्किन रैश या सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत सेवन बंद कर देना चाहिए।


कैसे बनाएं हारसिंगार की पत्तों की चाय?

सामग्री:

4-5 हारसिंगार की ताजी पत्तियां


1 कप पानी


शहद या नींबू (स्वादानुसार)


विधि:

पानी को उबालें और उसमें हारसिंगार की पत्तियां डालें।


इसे 5-7 मिनट तक धीमी आंच पर उबलने दें।


छानकर चाय को कप में निकालें।


स्वादानुसार शहद या नींबू मिलाएं और गरमागरम पिएं।


निष्कर्ष

हारसिंगार के पत्तों की चाय कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती है, लेकिन इसे संतुलित मात्रा में और आवश्यक सावधानियों के साथ ही लेना चाहिए। यदि आप इसे किसी विशेष रोग के लिए उपयोग करना चाहते हैं तो पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।


क्या आपने कभी हारसिंगार की चाय पी है? अपने अनुभव हमें कमेंट में बताएं!

बुधवार, 26 मार्च 2025

गर्मियों मे गुड खाने फायदे और नुकसानin hindi.


 गर्मियों मे गुड खाने फायदे और नुकसानin hindi.


गर्मियों में गुड़ खाने के फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।


गर्मियों में गुड़ खाने के फायदे:

डिटॉक्सिफिकेशन:–

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 गुड़ शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।

पाचन सुधारता है:–

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 यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज से राहत दिलाता है।

एनर्जी बूस्टर:–

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 यह प्राकृतिक शर्करा का अच्छा स्रोत है, जिससे शरीर को ताजगी और ऊर्जा मिलती है।

खून की सफाई:–

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 गुड़ रक्त को शुद्ध करता है और हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है।

त्वचा के लिए फायदेमंद:–

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 इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को चमकदार बनाते हैं।

हीट स्ट्रोक से बचाव:–

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 उचित मात्रा में खाने पर यह शरीर को ठंडक पहुंचा सकता है, विशेष रूप से अगर इसे सौंफ या पानी के साथ लिया जाए।

गर्मियों में गुड़ खाने के नुकसान:–

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अत्यधिक गर्मी पैदा कर सकता है:–

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 अधिक मात्रा में खाने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है, जिससे नाक से खून आना (नकसीर) या शरीर में जलन हो सकती है।

पसीना बढ़ सकता है:–

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 गुड़ खाने से शरीर में चिपचिपापन और अधिक पसीना आ सकता है।

ब्लड शुगर बढ़ा सकता है:–

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 मधुमेह के मरीजों को गुड़ सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए, क्योंकि इसमें प्राकृतिक शर्करा होती है।

डिहाइड्रेशन की संभावना:–

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 ज्यादा गुड़ खाने से शरीर में गर्मी बढ़ने के कारण डिहाइड्रेशन हो सकता है।

कैसे खाएं?

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गर्मियों में गुड़ को सीमित मात्रा (10-20 ग्राम) में ही लें।

गुड़ को छाछ, सौंफ, या पानी के साथ लेने से इसकी गर्म तासीर कम हो जाती है।

दिन में केवल एक बार, विशेष रूप से सुबह या दोपहर के समय लें।

अगर आपको ज्यादा गर्मी लगती है, तो गुड़ खाने से बचें।

आपकी उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए


गुड के साथ क्या खाने से कौन से रोग दूर होते हैं

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गुड़ को विभिन्न चीजों के साथ मिलाकर खाने से कई रोगों में लाभ होता है। आयुर्वेद में इसे औषधीय दृष्टि से उपयोगी माना गया है। आइए जानते हैं कि गुड़ को किन चीजों के साथ खाने से कौन-कौन से रोग दूर होते हैं।


1. गुड़ + अदरक

लाभ:-

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सर्दी-खांसी और जुकाम में राहत

पाचन सुधारता है और गैस, अपच से बचाता है

जोड़ों के दर्द में फायदेमंद

कैसे लें?


1 चम्मच अदरक का रस या अदरक पाउडर को गुड़ के साथ मिलाकर खाएं।

2. गुड़ + सौंफ

लाभ:–

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शरीर को ठंडक पहुंचाता है

गर्मियों में लू से बचाव करता है

आंखों की जलन को कम करता है

पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है

कैसे लें?


गुड़ और सौंफ को चबाकर खाएं या गुड़-सौंफ का पानी बनाकर पिएं।

3. गुड़ + तिल

लाभ:–

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हड्डियों को मजबूत करता है (कैल्शियम और आयरन का अच्छा स्रोत)

सर्दी के मौसम में गर्मी बनाए रखता है

एनीमिया (खून की कमी) को दूर करता है

त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद

कैसे लें?


तिल और गुड़ के लड्डू बनाकर खाएं।

4. गुड़ + दूध

लाभ:–

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हड्डियों की मजबूती बढ़ाता है

शरीर को डिटॉक्स करता है

कब्ज और एसिडिटी में राहत देता है

नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है

कैसे लें?


रात को सोने से पहले गर्म दूध में गुड़ मिलाकर पिएं।

5. गुड़ + घी

लाभ:–

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जोड़ों के दर्द और हड्डियों की कमजोरी में लाभकारी

शरीर में ताकत और ऊर्जा बढ़ाता है

कब्ज से राहत दिलाता है

कैसे लें?


भोजन के बाद एक चम्मच घी के साथ थोड़ा सा गुड़ खाएं।

6. गुड़ + मूंगफली

लाभ:–

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शरीर को मजबूत बनाता है

वजन बढ़ाने में मदद करता है

दिल को स्वस्थ रखता है

कैसे लें?


गुड़ और मूंगफली मिलाकर खाएं या इससे चिक्की बनाकर खाएं।

7. गुड़ + काला नमक

लाभ:–

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पाचन तंत्र को सुधारता है

गैस और एसिडिटी को दूर करता है

भूख बढ़ाता है

कैसे लें?


गुड़ में थोड़ा सा काला नमक मिलाकर खाएं।

8. गुड़ + हल्दी

लाभ:-

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इम्यूनिटी को बढ़ाता है

शरीर में सूजन और दर्द को कम करता है

त्वचा को निखारता है


शनिवार, 8 मार्च 2025

पैरों के तलवों मे जलन के घरेलू उपाय in hindi


 पैरों के तलवों मे जलन के घरेलू उपाय in hindi

Dr.VirenderMadhan.

पैरों के तलवों में जलन (Burning Feet Syndrome) आम समस्या है, जो गर्मी, थकान, नसों की कमजोरी, मधुमेह, विटामिन की कमी या अन्य कारणों से हो सकती है। इसके लिए कुछ असरदार घरेलू उपाय इस प्रकार हैं—


1. ठंडे पानी में भिगोना

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एक टब में ठंडा पानी लें और उसमें 10-15 मिनट के लिए पैर डुबोकर रखें।

इससे जलन और सूजन में राहत मिलेगी।


2. नारियल तेल या सरसों का तेल मालिश

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सोने से पहले तलवों पर नारियल तेल, जैतून का तेल या सरसों के तेल की मालिश करें।

इससे रक्त संचार बेहतर होगा और जलन में राहत मिलेगी।


3. एलोवेरा जेल

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ताजा एलोवेरा जेल निकालकर तलवों पर लगाएं और हल्के हाथों से मसाज करें।

यह ठंडक पहुंचाता है और जलन कम करता है।


4. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)

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एक कटोरी गुनगुने पानी में 2 चम्मच सेब का सिरका मिलाएं और इसमें पैर डुबोकर रखें।

यह पीएच बैलेंस बनाए रखता है और जलन कम करता है।


5. फिटकरी का पानी

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एक लीटर पानी में आधा चम्मच फिटकरी पाउडर डालें और पैर धो लें।

इससे जलन और पसीने की समस्या में राहत मिलेगी।


6. हल्दी दूध या हल्दी पेस्ट

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हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।

हल्दी पाउडर को नारियल तेल में मिलाकर तलवों पर लगाएं।

रोज़ रात को हल्दी दूध पीने से भी लाभ होगा।


7. तुलसी पत्ते का काढ़ा

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8-10 तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पिएं या पैर धोने के लिए इस पानी का इस्तेमाल करें।


8. खान-पान में सुधार

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विटामिन B12, D और आयरन की कमी से भी तलवों में जलन हो सकती है।

हरी सब्जियां, दूध, मेथी, गाजर, चुकंदर, सूखे मेवे, नारियल पानी आदि लें।

यदि जलन लगातार बनी रहती है या मधुमेह या किसी अन्य बीमारी के कारण हो रही है, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

किन लोगों को चना खाना चाहिए? in hindi.


किन लोगों को चना खाना चाहिए? in hindi.

Dr.VirenderMadhan

चना एक बहुत ही पौष्टिक और फायदेमंद आहार है, जिसे खासतौर पर निम्नलिखित लोगों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए:


1. शरीर बनाने वाले (Bodybuilders और Gym जाने वाले)–

चना प्रोटीन से भरपूर होता है, जो मांसपेशियों को बनाने और मजबूत करने में मदद करता है।

यह एक नेचुरल और सस्ता प्रोटीन सोर्स है।

2. डायबिटीज के मरीज–


चने का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह ब्लड शुगर को तेजी से नहीं बढ़ने देता।

यह फाइबर से भरपूर होता है, जो शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

3. वजन घटाने की कोशिश कर रहे लोग–

चने में फाइबर और प्रोटीन अधिक होता है, जिससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है और भूख कम लगती है।

यह अनहेल्दी स्नैक्स की जगह एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

4. खून की कमी (एनीमिया) से पीड़ित लोग–

चने में आयरन भरपूर मात्रा में होता है, जो हीमोग्लोबिन बढ़ाने और एनीमिया से लड़ने में मदद करता है।

खासकर महिलाओं को इसे अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।

5. दिल के मरीज–

इसमें गुड फैट और फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने और दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

यह हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में भी सहायक है।

6. बच्चे और बढ़ते उम्र के लोग–

चने में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।

यह बच्चों और बुजुर्गों दोनों के लिए फायदेमंद होता है।

7. गर्भवती महिलाएं–

इसमें फोलेट और आयरन की अच्छी मात्रा होती है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए जरूरी होता है।

यह कमजोरी और थकान को दूर करने में मदद करता है।

कैसे खाएं?

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भिगोकर खाएं: –

रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाने से ज्यादा फायदे मिलते हैं।

भुना हुआ चना:–

 यह हल्का और सेहतमंद स्नैक है।

चना सूप या चाट: –

इसे स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर तरीके से खाया जा सकता है।

अगर आप भी अपनी सेहत को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो चने को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें!

गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025

पित्ताशय की पथरी का संपूर्ण आयुर्वेदिक उपचार


 पित्ताशय की पथरी का संपूर्ण आयुर्वेदिक उपचार

पित्ताशय की पथरी 

(Gallstones) का मुख्य कारण पित्त दोष का असंतुलन होता है, जिससे पित्ताशय में कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन और अन्य तत्व कठोर होकर पथरी का रूप ले लेते हैं। आयुर्वेद में इसे "पित्ताशय अश्मरी" कहा जाता है और इसका उपचार दोषों के संतुलन, आहार सुधार, हर्बल औषधियों और पंचकर्म से संभव है।


1. आयुर्वेदिक औषधियाँ (Herbal Remedies)

(A) जड़ी-बूटियाँ (Effective Herbs)

वरुण (Crataeva Nurvala) 

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– पथरी को घोलने और मूत्र मार्ग से निकालने में सहायक।

भृंगराज (Eclipta Alba) – 

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पाचन सुधारने और पित्त को संतुलित करने में उपयोगी।

गोकशुर (Tribulus Terrestris) –

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 मूत्रवर्धक प्रभाव से पथरी को बाहर निकालने में सहायक।

पुनर्नवा (Boerhavia Diffusa) –

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 पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है और सूजन कम करती है।

त्रिफला (Haritaki, Bibhitaki, Amalaki) – 

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पाचन सुधारने और शरीर को डिटॉक्स करने के लिए प्रभावी।

अलसी के बीज (Flax Seeds) – 

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पित्त के प्रवाह को सुधारकर पथरी बनने से रोकते हैं।

कुल्थी दाल (Horse Gram) – -------------


नियमित सेवन करने से पथरी धीरे-धीरे घुलने लगती है।

(B) आयुर्वेदिक योग (Formulations)

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वरुणादि काढ़ा – 

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पथरी को गलाने और पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक।

पाषाणभेद चूर्ण – 

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पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने और शरीर से बाहर निकालने के लिए।

श्रृंग भस्म – 

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पित्त संतुलन और पाचन सुधार के लिए।

आरोग्यवर्धिनी वटी –

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 यकृत और पित्ताशय को स्वस्थ बनाए रखने के लिए।

कांचनार गुग्गुलु – 

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पित्ताशय में संचित अपशिष्ट पदार्थों को निकालने में सहायक।

2. आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा

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यदि पथरी बड़ी हो और तकलीफ अधिक हो, तो पंचकर्म उपचार प्रभावी हो सकता है:


विरेचन (Purgation Therapy) – 

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शरीर से अतिरिक्त पित्त को बाहर निकालने के लिए।

भस्त्रिका और कपालभाति प्राणायाम – 

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पेट और पाचन तंत्र को मजबूत करने में सहायक।

अभ्यंग (Oil Massage) और स्वेदन (Steam Therapy) – 

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शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए।

उत्तर वस्ती – यह आयुर्वेदिक एनीमा चिकित्सा है जो पथरी के निष्कासन में सहायक होती है।

3. आहार और जीवनशैली सुधार

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(A) क्या खाना चाहिए?

✔ हरी पत्तेदार सब्जियाँ – पालक, मेथी, सहजन की पत्तियाँ, और करेला।

✔ कुल्थी दाल – नियमित सेवन से पथरी घुलने में मदद मिलती है।

✔ गाजर और चुकंदर का रस – पाचन सुधारने और लिवर को डिटॉक्स करने में सहायक।

✔ सेब का सिरका – गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से पथरी गल सकती है।

✔ नींबू पानी और नारियल पानी – शरीर को हाइड्रेटेड रखने और पित्त संतुलन के लिए।

✔ अदरक और हल्दी – सूजन कम करने और पाचन सुधारने में मददगार।


(B) क्या न खाएं?

❌ अधिक तला-भुना, मसालेदार, और चिकनाई युक्त भोजन।

❌ मांस, मछली, अंडा, और डेयरी उत्पाद (दूध, पनीर, घी)।

❌ शराब और धूम्रपान।

❌ फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड।


4. घरेलू उपचार (Home Remedies)

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सेब का सिरका + शहद


1 गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच सेब का सिरका और 1 चम्मच शहद मिलाकर रोज सुबह पिएं।

कुल्थी का पानी

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1 कप कुल्थी दाल को रातभर भिगोकर सुबह पानी छानकर पीने से लाभ होता है।

मुलेठी का काढ़ा

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1 चम्मच मुलेठी पाउडर को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिएं।

अलसी और तिल

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अलसी और तिल के बीजों को पीसकर रोजाना सेवन करें।

नींबू + हल्दी

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गुनगुने पानी में 1 चुटकी हल्दी और आधा नींबू निचोड़कर पिएं।

5. योग और प्राणायाम

योग और प्राणायाम से पाचन और लिवर की कार्यक्षमता बेहतर होती है, जिससे पथरी बनने की संभावना कम हो जाती है।


(A) प्रभावी योगासन

✅ पवन मुक्तासन – पेट और पाचन तंत्र को मजबूत करता है।

✅ भुजंगासन – पित्त संतुलन बनाए रखता है।

✅ धनुरासन – लिवर और पित्ताशय को सक्रिय करता है।

✅ अर्ध मत्स्येन्द्रासन – पाचन सुधारने में सहायक।

✅ उष्ट्रासन – पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है।


(B) प्राणायाम

✅ कपालभाति – लिवर और पाचन अंगों को उत्तेजित करता है।

✅ अनुलोम-विलोम – शरीर में संतुलन बनाए रखता है।

✅ भस्त्रिका – पाचन तंत्र को सक्रिय करता है।


निष्कर्ष

पित्ताशय की पथरी का उपचार आयुर्वेदिक दवाओं, पंचकर्म, आहार सुधार, और योग द्वारा संभव है। यदि पथरी छोटी हो तो ये उपाय प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन यदि पथरी बड़ी हो और दर्द अधिक हो, तो विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।

बुधवार, 19 फ़रवरी 2025

बसंत ऋतु में सेहतमंद रहने के लिए कौन सा काढ़ा पिएं


 बसंत ऋतु में सेहतमंद रहने के लिए कौन सा काढ़ा पिएं


बसंत ऋतु में मौसम बदलने के कारण सर्दी-गर्मी का मिश्रण रहता है, जिससे सर्दी, खांसी, एलर्जी और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और सेहतमंद रहने के लिए कुछ खास काढ़े लाभदायक होते हैं।


बसंत ऋतु के लिए सेहतमंद काढ़े:

गिलोय-तुलसी काढ़ा


गिलोय इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होता है और तुलसी सर्दी-जुकाम से बचाती है।

सामग्री: 1 गिलोय स्टिक या 1 चम्मच गिलोय पाउडर, 5-6 तुलसी पत्ते, 1 चुटकी काली मिर्च, 1 कप पानी

विधि: सभी सामग्री को पानी में उबालें और छानकर पिएं।

हल्दी-अदरक काढ़ा


हल्दी एंटी-इंफ्लेमेटरी होती है और अदरक सर्दी-जुकाम से बचाव करता है।

सामग्री: 1/2 चम्मच हल्दी, 1 चम्मच अदरक का रस, 1 चुटकी काली मिर्च, 1 कप पानी

विधि: सामग्री को पानी में उबालें, शहद मिलाकर पिएं।

मुलेठी-दालचीनी काढ़ा


मुलेठी गले की खराश और खांसी में लाभदायक होती है, जबकि दालचीनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।

सामग्री: 1/2 चम्मच मुलेठी पाउडर, 1/4 चम्मच दालचीनी पाउडर, 1 कप पानी

विधि: पानी में सामग्री डालकर उबालें, छानकर पिएं।

नीम-गुड़ काढ़ा


नीम शरीर को डिटॉक्स करता है और बसंत ऋतु में होने वाली एलर्जी से बचाव करता है।

सामग्री: 4-5 नीम पत्ते, 1 चम्मच गुड़, 1 कप पानी

विधि: पानी में नीम पत्ते उबालें, गुड़ मिलाकर पिएं।

काढ़ा पीने के फायदे:

✅ इम्यूनिटी मजबूत होती है

✅ एलर्जी और संक्रमण से बचाव होता है

✅ पाचन तंत्र सही रहता है

✅ मौसमी बुखार और थकान से राहत मिलती है


आप अपनी जरूरत के अनुसार इन काढ़ों में बदलाव कर सकते हैं। इन्हें रोज सुबह या शाम को पीना ज्यादा फायदेमंद रहेगा।