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मंगलवार, 8 जून 2021

स्वर्णप्राशन

     " स्वर्णप्राशन "

· Strong immunity Enhancer : 

बालक की रोगप्रतिकार क्षमता बढती है, जिसके कारण अन्य बालको की तुलना वह कम से कम बिमार होता है। इस प्रकार स्वस्थ रहने के कारण उसको एन्टिबायोटिक्स या अन्य दवाईया देने की जरूरत न रहने से हम बचपन से ही इनके दुष्प्रभाव से बचा सकते है।

· Physical development :  स्वर्णप्राशन बालक के शारीरिक विकास में सकारात्मक गति लाता है

· Memory Booster : यह स्वर्णप्राशन स्मरणशक्ति और धारणशक्ति (grasping ability) बढाने वाले कई महत्वपूर्ण औषध से बना है। जिसका अर्थ है कि इसके कारण वह तेजस्वी बनता है।

· Active and Intellect : शारीरिक और मानसिक विकास के कारण वह ज्यादा चपल और बुद्धिमान बनता है।

· Digestive Power : पाचनक्षमता बढाता है जिसके कारण उसको पेट और पाचन संबंधित कोई तकलीफ़ एवं पोषक तत्वों की कभी कमी नही रहती ।

आयुर्वेद के बालरोग के ग्रंथ कश्यप संहिता के पुरस्कर्ता महर्षि कश्यप ने स्वर्णप्राशन के गुणों का निरूपण किया है..

सुवर्णप्राशन हि एतत मेधाग्निबलवर्धनम् ।
आयुष्यं मंगलमं पुण्यं वृष्यं ग्रहापहम् ॥
मासात् परममेधावी क्याधिभिर्न च धृष्यते ।
षडभिर्मासै: श्रुतधर: सुवर्णप्राशनाद् भवेत् ॥
सूत्रस्थानम्, कश्यपसंहिता

 

अर्थात्,
स्वर्णप्राशनंमेधा (बुद्धि), अग्नि ( पाचन अग्नि) और बल बढानेवाला है। यह आयुष्यप्रद, कल्याणकारक, पुण्यकारक, वृष्य (पदार्थ जिससे वीर्य और बल बढ़ता है), वर्ण्य (शरीर के वर्ण को तेजस्वी बनाने वाला) और ग्रहपीडा को दूर करनेवाला है. स्वर्णप्राशन के नित्य सेवन से बालक एक मास में मेधायुक्त बनता है और बालक की भिन्न भिन्न रोगो से रक्षा होती है। वह छह मास में श्रुतधर (सुना हुआ सब याद रखनेवाला) बनता है, अर्थात उसकी स्मरणशक्त्ति अतिशय बढती है।

यह स्वर्णप्राशन पुष्यनक्षत्र में ही उत्तम प्रकार की औषधो के चयन से ही बनता है। पुष्यनक्षत्र में स्वर्ण और औषध पर नक्षत्र का एक विशेष प्रभाव रहता है। स्वर्णप्राशन से रोगप्रतिकार क्षमता बढने के कारण उसको वायरल और बेक्टेरियल इंफेक्शन से बचाया जा सकता है। यह स्मरण शक्ति बढाने के साथ साथ बालक की पाचन शक्ति भी बढाता है जिसके कारण बालक पुष्ट और बलवान बनता है। यह त्वचा को निखारता भी है। इसीलिए अगर किसी बालक को जन्म से 12 साल की आयु तक स्वर्णप्राशन देते है तो वह उत्तम मेधायुक्त बनता है और कोई भी बिमारी उसे जल्दी छू नही सकती।

 

*स्वर्णप्राशन देने की विधि*

यदि जन्म से बच्चे को कोई टीका नही लगवाया है तो जन्म से ही आरम्भ कर सकते है। अन्यथा 6 महीने के बाद प्रतिदिन देना है

यदि बच्चे को बुखार हैं और उसे एलोपैथी की दवाई दी जा रही है तो भी उसे बुख़ार पूरी तरह से उतरने के बाद ही स्वर्णप्राश दें।

मंत्रौषधि स्वर्णप्राशन का नियमित सेवन खाली पेट करना चाहिए । यदि कुछ खाया है तो 15 मिनट बाद सेवन करें। बालक को प्रातः उठाकर स्नान आदि से शुद्ध कर शीशी पर लिखी मात्रा या वैद्य के निर्देशानुसार नीचे दिए गए वेदोक्त मन्त्र का पाठ करके आयु के अनुसार स्वर्णप्राशन का सेवन अधिक लाभकारी होता है।

स्वर्णप्राशन संस्कार का मन्त्र:

ॐ भू: त्वयि दधामि  

ॐ भुवः त्वयि दधामि

ॐ स्वः त्वयि दधामि

ॐ भूः भुवः स्वः त्वयि दधामि 

अर्थात

हे वत्स! तुम्हे  तेज प्राप्त हो 

हे वत्स! तुम्हे  प्रभाव सत्ता प्राप्त हो 

हे वत्स! तुम्हे ओज  प्राप्त हो 

 

प्रतिदिन यह औषधि देने के चमत्कारिक लाभ है:

6 माह से 12 वर्ष तक प्रतिदिन दे सकते है।

1) 6 माह तक के बच्चे को 7 से 15 दिन में 2 बूंद देनी है

2) अन्नप्राशन संस्कार अर्थात 6 माह से 8 वर्ष की आयु तक 3 बूंद से प्रारम्भ कर 5 बूँद तक दे सकते है

3) 8 वर्ष से 12 वर्ष की आयु तक 7 बूँद प्रतिदिन दे सकते है।

किसी कारणवश यदि माह में एक बार पुष्य नक्षत्र पर औषधि देनी है तो

0 से 6 माह के बच्चे को 3 बूँद
6 माह से 8 वर्ष तक के बच्चे को 5 बूँद
8 से 12 वर्ष की आयु तक के बालक को 7 बूँद
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Completely ayurvedic mantrashidh  (the medicine rasayana is made very potent and powerful by using sound energy and cosmic energy which is created by chanting vedic hymns and suktas when the medicine is being prepared), oral drops, available in user friendly and durable packing. This prashan is made as per Kashyap Samhita on auspicious Pushya Nakshatra in pure and sterilized environment while reciting Vedic hymns and Navkara Mantra.

Description

Products Key Ingredients :

Each 10 ml contains:
Shankhpushpi ext. 250 mg,
Pippli 50 mg,
Jatamansi 50 mg,
Vaj ext. 100 mg,
Brahmi ext. 200 mg,
Panch Gavya Ghrit 10 mg,
Honey 9 ml.

Shastrokt (Vedic) Importance : Suvarnaprashan improves the immunity of children as well as their cognizance. It improves agility in children and remedies hyper-activeness.

Relevant and Reference :

सुवर्णप्राशनं ह्येतन्मेधाग्निबलवर्धनम्। आयुष्यं मङ्गलं पुण्यं वृष्यं वर्ण्यं ग्रहापहम् ॥

मासात् परममेधावी व्याधिभिर्न च धृष्यते। षड्भिर्मासैः श्रुतधरः सुवर्णप्राशनाद्भवेत् ॥

Ayurved Vidhan: Kashyap Samhita / Sutrasthanam

Why to Consume : It improves intelligence, cognition, ‘Medha’ and immunity in children! Prevents viral infections. It improves the vital energy in a child and the child becomes full of positive excitement (Harsha). It remedies irritation, lack of sleep and anger in children.

Who Can Consume : All children from age group 6 months to 16 years


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