स्वस्थ दीर्घायु कैसे रहे ?
#Svesth dirghayu kaise rahen?
#कैसे सदा स्वस्थ रहे?
#स्वस्थ दीर्धायु के लिये क्या करें?
#सदा स्वस्थ रहने के उपाय.
#आयूर्वेद के अनुसार जीवनशैली.
#life style for healthy life.
सदा स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद में ऐसे सूत्र दिये है जिनके पालन करने से व्यक्ति हर तरह के रोगों से बच सकते है और दीर्धायु प्राप्त कर सकते है।
उनमे मुख्य है
1-आहार
2-विहार
2-निद्रा
आहार
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#आहार वर्णन–
जिस प्रकार मानव जीवन हवा पर निर्भर करता है। उसी प्रकार भोजन भी मनुष्य को जीवित रखने के लिए जरूरी है।
आहार आयुर्वेद के त्रिस्तम्भ मे से एक है.
भोजन में षडरस होना चाहिए.
मीठा, नमकीन, खट्टा, तीखा, कड़वा और कसैला का होना जरूरी, आहार की गड़बड़ी से बढ़ते शरीर में दोष और रोग होते है।
भोजन को स्वास्थ्य का प्रमुख तत्व माना जाता है।
आयुर्वेदिक आहार व्यक्ति विशेष के शरीर की प्रकृति पर आधारित होता है, जो उसे पोषण देता है। आहार बीमारियों से भी दूर रखता है। हैं .
#आयुर्वेदिक आहार :-
आयुर्वेद में माना जाता है कि कोई भी बीमारी शरीर में पाए जाने वाले तत्त्वों के असंतुलन के कारण होती है। जब आयुर्वेद के तीनों तत्त्वों वात, पित्त और कफ में से किसी में असंतुलन होता है तो इसे दोष कहा जाता है। जैसे यदि किसी व्यक्ति में वात की अधिकता है तो उसे चक्कर आएगा, शरीर में दर्द होते है.
पित्त की अधिकता है तो जलन, अम्लपित्त, सूजन आदि होगी और
कफ का असंतुलन होने पर उसे बलगम ज्यादा बनता है.कास,श्वास,आदि रोग हो जाते है।
आयुर्वेद में आहार की तीन श्रेणियां हैं।
सात्विक आहार :
यह सभी आहारों में सबसे शुद्ध होता है। शरीर को पोषण, मस्तिष्क को शांत, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसमें साबुत अनाज, ताजे फल, सब्जियां, गाय का दूध, घी, फलियां, मेवे, अंकुरित अनाज, शहद और हर्बल चाय शामिल होती है।
राजसिक आहार :-
यह भोजन प्रोटीन आधारित और मसालेदार होता है। अत्यधिक शारीरिक श्रम करने वाले इस भोजन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
तामसिक आहार :-
इसमें रिफाइंड भोजन शामिल होते हैं। यह डीप फ्राई और मसालेदार होते हैं। इनमें नमक की मात्रा भी अधिक होती है। यह आलस्य बढ़ाते हैं।
पोषक तत्त्वों का बना रहता संतुलन
भोजन में छह रस शामिल होने चाहिए। मीठा, नमकीन, खट्टा, तीखा, कड़वा और कसैला।
वात प्रकृति के लोगों को मीठा, खट्टा और नमकीन,
कफ प्रकृति के लोगों को कड़वा, तीखा, कसैला और
पित्त प्रकृति के लोगों को मीठा, तीखा और कसैला भोजन करना चाहिए। इससे शरीर में पोषक तत्त्वों का असंतुलन नहीं बढ़ता है।
आयुर्वेदिक डाइट
ऑर्गेनिक भोजन ऊर्जा से भरपूर होता है। कम तेल और कम मसालों में सब्जियों को लगातार हिलाते हुए हल्का तलकर बनाएं।
मौसमी फल, दूध, छाछ, दही, पनीर, दालें, सोयाबीन और अंकुरित अनाज लें।
चीनी की जगह शहद, गुड़ लें.
मैदे के बजाए चोकरयुक्त आटा व दलिया खाएं।
भोजन न तो ज्यादा पका हो और न ही कम पका होना चाहिए।
आहार के सिद्धांत
हमारा भोजन वह आधार है जिससे हमारे शरीर का निर्माण होता है।
चरक संहिता के अनुसार
किसी भी रोग से मुक्ति के लिए उचित आहार लेने का अत्यंत महत्व है। औषधि के प्रयोग से मिलने वाला लाभ उचित आहार लेने से ही मिल सकता है। सात्विक भोजन औषधि लेने से 100 गुना अधिक लाभदायक है।
#डॉ.वीरेंद्र मढान
अगर हमारे शरीर को स्वस्थ रखना है तो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाना बहुत जरूरी है ताकि वो हमारे शरीर पर हमला करने वाले बैक्टीरिया से लड़ सके.
#विहार वर्णन,[ life Style]
ब्रह्ममुहूर्त मे उठने की आदत बना लें।
ब्रह्ममुहूर्त मे सबसे पहले जितना पानी पी सकते है पीयें.
सवेरे घूमने जाये कुछ व्यायाम अपनी शक्ति अनुसार करें.
तैल मालिस मौसम अनुसार जरुर करें.
स्नान, दंतधावन, सेविगं के बाद प्रातःकाल मे स्नान आदि के बाद जरूर परमेश्वर का घ्यान पूजा करें.
उसके बाद भोजन करें.
प्रातःकाल मे सबसे गरिष्ठ भोजन कर सकते है दोपहर मे कुछ कम तथा रात मे गरिष्ठ भोजन न करें ।
कपडे साफ सुथरे पहनने चाहिए .
फटा कपड़ों को सील कर धो कर पहने.
नित्य धन कमाने के लिये प्रयत्न करते रहना चाहिये.
खुश रहा करो.
जो खुलकर हंसते हैं, उनके शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति सही ढंग से होती है. इससे उनका इम्यून सिस्टम तो बेहतर होता ही है, इसके अलावा हृदय, फेफड़े और मांसपेशियां उत्तेजित होते हैं. मस्तिष्क से एंडोर्फिन हार्मोन निकलते हैं, जिससे तनाव कम होता है और तनाव की वजह से होने वाली तमाम समस्याओं से बचाव होता है. इसलिए खुलकर हंसने की आदत डालें.
खाना खाते समय बोलना नहीं चाहिए.
शरीर की मालिश करने की आदत डालिए.
इससे न सिर्फ शरीर का रूखापन खत्म होता है बल्कि ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. स्किन शाइन करती है और पाचन क्रिया बेहतर होती है. पाचन क्रिया में सुधार आने से अपच, वायु और पित्त विकार, बवासीर, अनिद्रा आदि बीमारियों से शरीर का बचाव होता है.
निन्द्रा वर्णन :-
निन्द्रा स्वास्थ्य का तीसरा स्तम्भ है ।
स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है। नींद से न सिफ शरीर के कार्य सुनयंत्रित होते हैं बल्कि
काम में खर्च हुई ऊर्जा फिर से शरीर मे एकत्र होती है। लेकिन प्रकृति से बढ़ती दूरी और खराब दिनचर्या का असर इंसान की नींद पर देखने को मिल रहा है। नींद को लेकर अलग -अलग इंसान में अलग- अलग समस्या हो सकती है। वैसे तो हर इंसान को 6 से 8 घंटे की नींद की जरूरत होती है लेकिन यह हर इंसान के लिए इसका अलग अलग समय हो सकता है।
अनिद्रा के कारण
अनिद्रा यानी नींद न आने के कई कारण होते हैं जिनमें से प्रमुख हैं- तनाव, किसी प्रकार का दर्द, असुविधाजनक मौसम, मानसिक परेशानी, अधिक प्ररिश्रम और पेट में गड़बड़ी हो सकता है। कई बार गलत खान पान से भी नींद नहीं आती।
आयुर्वेद के अनुसार,
तीन कारणों से होती है अनिद्रा
एक रिपोर्ट के अनुसार, अनिद्रा की समस्या तीन दोषों में विकृत के कारण होती है। जिनमें तर्पक कफ,
साधक पित्त, और
प्राण वात में असंतुलन होने पर नींद न आने की बीमारी होती है। प्राण वात के कुपित होने से मष्तिष्क की तंत्रिकाएं अति संवेदनशील हो जाती हैं। इस कारण नींद न आने की समस्या उत्पन्न होती है।
नींद में आने सहायक उपाय-
ब्राहमी का प्रयोग:
यह औषधि अनिद्रा में अत्यंत लाभ देती है। रात्रि के समय चूर्ण के रूप में अथवा उबाल कर इसका काढ़ा पीने से या फिर किसी भी रूप में ब्राहमी का सेवन अनिद्रा के रोग में बहुत लाभकारी है।
अन्य:-
1 - सोने से पहले नारियल या सरसों तेल से पैरों और पिंडलियों में मालिश करना अत्यंत लाभकर है।
2- एक चम्मच ब्राहमी और अश्वगंधा का पाउडर 2 कप पानी आधा रह जाने तक उबालें। रोज सुबह इसका सेवन करना लाभदायक है।
3- कटे हुए केले पर पीसा हुआ ज़ीरा डाल कर प्रति रात्रि शयन से पूर्व खाना भी नींद लाने में सहायक है।
4-ताजे फलों और सब्जियों का सेवन, छिलकासहित पिसे हुए अन्न, छिलका सहित दालें, दुग्ध एवं मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
5- कंप्यूटर, मोबाइल और टी वी का प्रयोग कम से सोने से 2 घंटे पूर्व ना करें।
अंत मे -
-अपनी केयर स्वयं करें .
-शरीर के साथ खिलवाड़ न करें।
-शरीर से कर्म करते रहें.
-शरीर को अधिक आराम देने से शरीर में रोग उत्पन्न हो जाते है
-विरुद्ध भोजन न करें जैसे-मछली संग दूध.
-मूली संग दूध.
-नमकीन संग दूध न ले
अधिक जानकारी के लिये -
"सदा स्वस्थ कैसे रहें ?”
उम्मीद करता हूँ कि आपको लेख अच्छा लगा होगा।
#डा०वीरेंद्र मढान.
That information is very enchanting and knowledgable, we are really thankful for this information sir.
जवाब देंहटाएंReally nice sir thanks for sharing Dr. Virander Madhan
जवाब देंहटाएंVery useful information
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