#आयुर्वेदिक कविता मे आयुर्वेद।
#Dr_virender_madhan.
#पथ्यापथ्य।
>कौन से महीने में क्या खाएं और क्या नही?
आयुर्वेद ने भोजन के लिए बनाया है।
ये नियम मौसम के अनुकूल अगर आप भोजन करते है। या खाना-पीना खाते है तो बहुत से रोगों से बच जाते है।
चौते गुड़ ,वैशाखे तेल।
जेठ के पंथ, अषाढ़े बेल।।
सावन साग, भादो मही।
कुवांर करेला, कार्तिक दही।।
अगहन जीरा, पूसै धना।
माघै मिश्री, फाल्गुन चना।।
जो कोई इतने परहेज करें।
ता घर बैद पैर नहिं धरे।।
अर्थात इस दोहा के माध्यम से बताया गया है कि जो आदमी इन चीजों पर अमल करेगा यानी कि नहीं खाएगा। वह इंसान कभी बीमार नहीं होगा। चिकित्सक-वैद्य के पास नहीं जाना पड़ेगा।
आयुर्वेद में भोजन के संबंध में बहुत कुछ लिखा है। जैसे किस सप्ताह में क्या खाना है क्या नहीं। किस तिथि को क्या खाना चाहिए अथवा क्या नहीं करें।
किस महीने में क्या भोजन सही है और क्या नहीं। दरअसल, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। प्रत्येक सप्ताह, तिथि या महीने में मौसम में बदलाव होता है। इस बदलाव को समझकर ही खाना जरूरी है।
#किस माह में क्या खाएं
जिस तरह पूर्वजों को बताया गया है कि
चैत चना, बैसाखे बेल, जैठे शयन, आषाढ़े खेल, सावन हर्रे, भादो तिल।
कुवार मास गुड़ सेवै नित, कार्तिक मूल, अगहन तेल, पूस करे दूध से मेल। माघ मास घी-खिचड़ी खाय, फागुन उठ नित प्रात नहाय।
इस तरह खानें के नियम बताए गए है।
हिन्दू माह बताते हैं मौसम में बदलाव
उल्लेखनीय है कि हिन्दू माह ही मौसम के बदलाव को प्रदर्शित करते हैं।अंग्रेजी माह नहीं।
* दही रात मे अपथ्य है इसीलिए रात को दही नहीं खाना चाहिए।
*दूध के साथ नमक नहीं खाया जाता है। क्योंकि यह भी विरुद्ध आहार है
दूध के साथ नमक नहीं शक्कर मिलाकर खाना चाहिए।
#12माह में क्या खाएं क्या न खायें।
- चैत्र माह:
चैत्र माह में गुड़ खाना मना है। चना खा सकते हैं।
- वैशाख:
तेल व तली-भुनी चीजों से परहेज करना चाहिए। बेल खा सकते हैं।
- ज्येष्ठ:
इन महीने में गर्मीं का प्रकोप रहता है अत: ज्यादा घूमना-फिरना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अधिक से अधिक शयन करना चाहिए।
-आषाढ़:
आषाढ़ में पका बेल खाना मना है। इस माह में हरी सब्जियों के सेवन से भी बचें। लेकिन इस माह में खूब खेल खेलना चाहिए। कसरत करना चाहिए।
- श्रावण:
सावन माह में साग खाना मना है। साग अर्थात हरी पत्तेदार सब्जियां और दूध व दूध से बनी चीजों को भी खाने से मना किया गया है।
इस माह में हर्रे खाना चाहिए जिसे हरड कहते हैं।
- भाद्रपद:
भादो माह में दही खाना मना है। इन दो महीनों में छाछ, दही और इससे बनी चीजें नहीं खाना चाहिए।
भादो में तिल का उपयोग करना चाहिए।
- आश्विन:
क्वार माह में करेला खाना मना है। इस माह में नित्य गुड़ खाना चाहिए।
- कार्तिक:
कार्तिक माह में बैंगन, दही और जीरा बिल्कुल भी नहीं खाना मना है।
इस माह में मूली खाना चाहिए।
- मार्गशीर्ष:
अगहन में भोजन में जीरे का उपयोग नहीं करना चाहिए। तेल का उपयोग कर सकते हैं।
- पौष:
पूस मास में दूध पी सकते हैं लेकिन धनिया नहीं खाना चाहिए क्योंकि धनिए की प्रवृति ठंडी मानी गई है और सामान्यत: इस मौसम में बहुत ठंड होती है। इस मौसम में दूध पीना चाहिए।
- माघ:
माघ माह में मूली और धनिया खाना मना है। मिश्री नहीं खाना चाहिए।
इस माह में घी-खिचड़ी खाना चाहिए।
- फाल्गुन:
फागुन माह में सुबह जल्दी उठना चाहिए। इस माह में में चना खाना मना।
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