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बुधवार, 24 नवंबर 2021

#पित्त की थैली से पथरी निकलना है सम्भव ?In hindi.


  #पित्त की पथरी [गालब्लेडर स्टोन]पित्ताश्मरी निदान एवं चिकित्सा।

#Dr_Virender_Madhan.


आजकल आधुनिक युग मे मशीनों का बोलबाला है इसके चलते व्यक्ति शारिरिक कार्यों से दूर हो गया है आलसी हो गया है। आयुर्वेद मे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शारिरिक मेहनत,व्यायाम, व अभ्यंग को बहुत महत्व दिया है।ताकि रोग दूर रहें दीर्धायु रहे।

आजकल इन सबका अभाव होने से व्यक्ति अनेकों रोगों से ग्रस्त हो चुका है ।

आलसी होने से हृदय रोग,मोटापा, और पित्ताश्मरी जैस कष्टकारी रोग तेजी से फैल गये है।

*खानपान की गलत आदतों की वजह से भी आजकल लोगों में गॉलस्टोन यानी पित्त की पथरी की समस्या तेजी से बढ़ रही है।

*पित्ताशय हमारे शरीर का एक छोटा सा अंग होता है जो लीवर के ठीक पीछे होता है। पित्त की पथरी गंभीर समस्या है क्योंकि इसके कारण असहनीय दर्द होता है। इस पथरी के निजात पाने के लिए आपको अपने खान-पान की आदतों में कुछ बदलाव करने जरूरी हैं।


#क्यों महत्वपूर्ण है पित्त की थैली?


लिवर से बाइल नामक डाइजेस्टिव एंजाइम का स्राव निरंतर होता रहता है। उसके पिछले हिस्से में नीचे की ओर छोटी थैली के आकार वाला अंग होता है, जिसे गॉलब्लैडर या पित्ताशय कहते हैं। पित्ताशय हमारे पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लिवर और छोटी आंत के बीच पुल की तरह काम करता है। इसी पित्ताशय में ये बाइल जमा होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का लिवर पूरे 24 घंटे में लगभग 800 ग्राम बाइल का निर्माण करता है।


#कैसे बनती है पित्त में पथरी?

पथरी के कारणों को मुख्य दो भागों में बांटा है।

1-संक्रमण

किसी रोग के संक्रमण से लीवर पर सूजन होने से पित्तलवण शोषित हो जाता है पित्तलवण कोलेस्ट्रॉल के जमे कणों को अलग करता रहता है इसलिए पथरी का जमाव नही होता है लेकिन जब पित्तलवण की कमी होती है तो कोलेस्ट्रॉल का जमाव हो कर पथरी बन जाती है। आयुर्वेद मे कोलेस्ट्रॉल आमवात का ही रुप है जो हमारे जीवनशैली के बिगडने से बनता है।

2-पित्त का अवरोध हो जाना।

मोटापा, बहु प्रसवा,अधिक वसायुक्त भोजन के कारण पित्ताशय रिक्त नही हो पाता है।पित्ताश्मरी का कारण बन जाता है।

या 

रक्त व पित्त मे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अघिक होने से प्रतिक्रिया स्वरूप पित्त बहुत गाढा हो जाता है फिर पित्ताश्मरी का निर्माण होने लगता है।

कोलेस्ट्रॉल का चयापचय ठीक न होने पर, या बिलीरूबिन के इक्कठा होने पर कैल्शियम जमकर पथरी बना देती है।

इसमें मौज़ूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है।


#पित्त की पथरी के लक्षण क्या है?


शुरुआती दौर में गॉलस्टोन के लक्षण नज़र नहीं आते। 

जबतक पथरी गालब्लेडर मे रहती है तब तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है।

जब समस्या बढ़ जाती है गॉलब्लैडर में सूजन, संक्रमण या पित्त के प्रवाह में रुकावट होने लगती है। तब ऐसी स्थिति में लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से की दायीं तरफ दर्द।

* अधिक मात्रा में गैस की फर्मेशन, पेट में भारीपन, वोमिटिंग, पसीना आना जैसे लक्षण नज़र आते हैं।

पित्ताशय नली मे पथरी होने से अवरोध होने पर रोगी कामला रोग से पीडित हो जाता है।

बदहजमी, खट्टी डकार, पेट फूलना, एसिडीटी, पेट में भारीपन, उल्टी होना, पसीना आना जैसे लक्षण नजर आते हैं।यकृतशोथ के कारण सर्दी के साथ ज्वर हो सकता है।

काफी समय तक सुजन होने पर ,चिकनाई युक्त भोजन करने पर अपच की शिकायत होती है  जी मचलता है वमन भी होते है।


#पित्त की पथरी में क्या करें परहेज ?

*पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए।

*इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। 

*मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं।


*नारियल पानी, लस्सी, आदि का खुब प्रयोग करना चाहिए।


#पित्त की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज?


अगर शुरुआती दौर में लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो इस समस्या को केवल दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। 

*पित्ताश्मरी के कारण दर्द हो तो दर्दनिवारक औषधि दे।

*यकृतप्रदेश पर सेक करें।

 1-*अपामार्ग क्षार, सोडाबाई कार्ब,यवाक्षार, नृसार समभाग चूर्ण लेकर हल्के गर्म पानी से या कुमार्यासव एवं दशमुलारिष्ट के साथ देने से दर्द मे राहत मिल जाती है।

2- >>ताम्रभस्म 60 मि०ग्रा० 

निशोथ 3ग्रा०

कुटकी 3 ग्रा०

शंख भस्म 120 मि०ग्रा०


दिन तीन बार करेले के रस से,या मचली के स्वरस से, या फलत्रिकादि क्वाथ से देवें।

3- *अगस्तिशूतराज 60-60 लि०ग्रा० घण्टे घण्टे बाद देने से आराम मिल जाता है।

4-वमन के लिए नींबू पर कालानमक व काली मिर्च का चूर्ण लगाकर चुसने से वमन मे लाभ मिलता है।


#पित्ताश्मरी भंजन मिश्रण.

(विषेश औषधि)

वेरपत्थर भस्म १भाग

यवाक्षार १-भाग

नृसार १-भाग

सोरक १- भाग

अपामार्ग क्षार १-भाग

नारिकेल क्षार १- भाग

कोकिलाक्ष क्षार १- भाग

सभी द्रव्यों को मिलाकर रख लें।

आवश्यकता के अनुसार 5-6 ग्रा०की मात्रा में गर्म पानी से, या गौमुत्र के साथ लेने से पित्ताश्मरी व वृक्काश्मरी दोनों तरह की अवस्था में आराम मिलता है दोनों स्थानों की अश्मरी का शमन होता है।


*ज्य़ादा गंभीर स्थिति में सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है। पुराने समय में इसकी ओपन सर्जरी होती थी, जिसकी प्रक्रिया ज्य़ादा तकलीफदेह थी लेकिन आजकल लेप्रोस्कोपी के ज़रिये गॉलब्लैडर को ही शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है और मरीज़ शीघ्र ही स्वस्थ हो जाता है।

<<Dr_Virender_Madhan.>>

#GuruAyurvedaInFaridabad.

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