भूमि आंवला एक आयुर्वेदिक दिव्य औषधि.जाने हिंदी में.
#भूमि आंवला का परिचय लाभ क्या क्या है?
#डा०वीरेंद्र मढान.
भूमि आंवला,लीवर के साथ शरीर में अनेक बीमारीयों के लिए चमत्कारिक औषधि है।
- भुई आंवला एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद के अनुसार, भुई आंवला के फायदे।
से अनेक बीमारियों को ठीक किया जाता है।
- भूमि आंवला से भूख की कमी, और
-कामोत्तेजना बढ़ाने में मदद मिलती हैं।
- भूमि आंवला लीवर की सूजन, सिरोसिस, फैटी लिवर, बिलीरुबिन बढ़ने पर,
- पीलिया में, हेपेटायटिस B और C में, किडनी क्रिएटिनिन बढ़ने पर, मधुमेह आदि में बहुत लाभदायक हैं।
* भूमि आंवला का पौधा लीवर व किडनी के रोगो मे बहुत लाभ करता है।
#यह कहाँ मिलता है?
यह बरसात मे अपने आप उग जाता है और छायादार नमी वाले स्थानो पर पूरा साल मिलता है। इसके पत्ते के नीचे छोटा सा फल लगता है जो देखने मे आंवले जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए इसे भुई आंवला कहते है। इसको भूमि आंवला या भू धात्री भी कहा जाता है।
इसका सम्पूर्ण भाग, पंचांग प्रयोग किया जाता है
* कई बाज़ीगर भूमि आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं।
मात्रा:-
साधारण सेवन मात्रा
आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ दिन मे 2-3 बार तक। या पानी मे उबाल कर छान कर भी दे सकते हैं।
* लीवर की सूजन, बिलीरुबिन और पीलिया में फायदेमंद।
- लीवर की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है। लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा। बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पौधे को जड़ों समेत उखाडकर, उसका काढ़ा सुबह शाम लें। सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी।
इसे अन्य दवाइयो के साथ भी दे सकते (जैसे कुटकी/रोहितक/भृंगराज) अकेले भी दे सकते हैं। पीलिया में इसकी पत्तियों के पेस्ट को छाछ के साथ मिलाकर दिया जाता है।
या इसके पेस्ट को बकरी के दूध के साथ मिलाकर भी दिया जाता है।
- पीलिया के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर भी इसकी पत्तियों को सीधे खाया जाता है।
अगर वर्ष में एक महीने भी इसका काढ़ा ले लिया जाए तो पूरे वर्ष लीवर की कोई समस्या ही नहीं होगी।
- LIVER CIRRHOSIS जिसमे यकृत मे घाव हो जाते हैं यकृत सिकुड़ जाता है उसमे भी बहुत लाभ करता है।
- Fatty LIVER जिसमे यकृत मे सूजन आ जाती है पर बहुत लाभ करता है।
-हेपेटायटिस B और C में. Hepatitis b – hepatitis c
हेपेटायटिस B और C के लिए यह रामबाण है। भुई आंवला +श्योनाक +पुनर्नवा ; इन तीनो को मिलाकर इनका रस लें। ताज़ा न मिले तो इनके पंचांग का काढ़ा लेते रहने से यह बीमारी ठीक हो जाती है।
- डी टॉक्सिफिकेशन
इसमें शरीर के विजातीय तत्वों को दूर करने की अद्भुत क्षमता है।
- मुंह में छाले और मुंह पकने पर पत्तों का रस चबाकर निगल लें या बाहर निकाल दें। यह मसूढ़ों के लिए भी अच्छा है
- स्तन में सूजन या गाँठ।
स्तन में सूजन या गाँठ हो तो इसके पत्तों का पेस्ट लगा लें पूरा आराम होगा।
– जलोदर या असाईटिस
जलोदर या असाईटिस में लीवर की कार्य प्रणाली को ठीक करने के लिए 5 ग्राम भुई आंवला +1/2 ग्राम कुटकी +1 ग्राम सौंठ का काढ़ा सवेरे शाम लें।
- खांसी में इसके साथ तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर लें .
- यह किडनी के इन्फेक्शन को भी खत्म करती है। इसका काढ़ा किडनी की सूजन भी खत्म करता है।
– SERUM CREATININE बढ़ गया हो,तो भी लाभदायक होता है।
- प्रदर या प्रमेह की बीमारी भी इससे ठीक होती है।
*रक्त प्रदर की बीमारी होने पर इसके साथ दूब का रस मिलाकर 2-3 चम्मच प्रात: सायं लें।
- पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें। पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा। ये पाचन प्रणाली को भी अच्छा करता है।
- शुगर की बीमारी में घाव न भरते हों तो इसका पेस्ट पीसकर लगा दें . इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शुगर की बीमारी भी ठीक होती है।
– पुराना बुखार हो और भूख कम लगती हो तो , इसके साथ मुलेठी और गिलोय मिलाकर, काढ़ा बनाकर लें। इसका उपयोग घरेलू औषधीय के रूप में जैसे ऐपेटाइट, कब्ज. टाइफाइट, बुखार, ज्वर एवं सर्दी किया जाता है।
* मलेरिया के बुखार में इसके संपूर्ण पौधे का पेस्ट तैयार करके छाछ के साथ देने पर आराम मिलता है।
- आँतों का इन्फेक्शन होने पर या अल्सर होने पर इसके साथ दूब को भी जड़ सहित उखाडकर , ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें . रक्त स्त्राव 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगा .
- खुजली होने पर इसके पत्तों का रस मलने से लाभ होता है।
- प्लीहा एवं यकृत विकार के लिये इसकी जडों के रस को चावल के पानी के साथ लिया जाता है।
इसे अम्लीयता, अल्सर, अपच, एवं दस्त में भी उपयोग किया जाता है।
- इसे बच्चों के पेट में कीडे़ होने पर देने से लाभ पहुँचाता है।
- यह एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकइटिस, खांसी, पेचिश, सूजाक, हेपेटाइटिस, पिलिया एवं पेट में ट्यूमर होने की दशा में उपयोग किया जाता है।
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