Guru Ayurveda

गुरुवार, 6 अक्तूबर 2022

दुग्धिका|दुद्धी के गुण व उपयोग क्या क्या है? हिन्दी में.

 दुग्धिका|दुद्धी के गुण व उपयोग क्या क्या है? हिन्दी में.



#दुद्धी सामान्य घास नही दिव्य औषधि है।

दुग्धिका(Euphorbiaceae)Asthma-plant.

By:-DrVirenderMadhan.

>> दुग्धिका के अन्य नाम - 

नागार्जुनी,स्वादुपर्णी,विक्षीरिणी,दुद्धी ,केरई,दोहक, हजार दाना,

यह बहुशाखायुक्त रोमश क्षुप भुमि पर प्रसरणशील होता है इसकी पत्तियां तोडने से दूध निकलता है।पुष्प - फल वर्षा ऋतु में आते है.

#दुद्धी सामान्य धास नही है।

यह बहुत फायदेमंद घास होती है। इसका भी उपयोग उपचार और औषधि के रूप में किया जाता है। यह स्वाद में कड़वी होती है। दस्त, मुंहासे, दमा, शुगर, खुजली, गंजापन आदि जैसी बीमारियों में दूधी घास का इस्तेमाल किया जाता है।

#आयुर्वेद के अनुसार दुग्धिका के गुण:-

गुण- गुरु, रुक्ष, तीक्ष्ण

रस(स्वाद)- कटू, तिक्त, मधुर

विपाक- कटू

वीर्य(तासीर) - उष्ण

#दुद्धी का शरीर के संस्थानों पर कर्म :-

>> दोषकर्म :-(दोष वात,पित्त,कफ पर):-

यह कफ वात शामक है।

इस लिए इसका प्रयोग कफवात विकारों मे किया जाता है।

>> संस्थानिक कर्म बाह्य (External )--

यह जन्तुध्न, विषध्न और कुष्ठध्न है।

इसलिए इसका प्रयोग चर्मरोग मे लेप करने मे करते है।


>> आभ्यंतर(Internal)- पाचन संस्थान Digestive system:-

यह अनुलोमन, भेदन, कृमिनाशक है.

इसका प्रयोग उदर रोग, विबन्ध(Constipation), कृमि (Worms) मे करते है.

- अतिसार(Diarrhea)-

10 ग्राम दूधी को सुबह-शाम जल के साथ पीसकर पीने से अतिसार में लाभ होता है। कुछ दिनों तक सेवन करने से आंतों को बल मिलता है। अतिसार-दुग्धिका पञ्चाङ्ग का कल्क बनाकर, उसमें शर्करा मिलाकर प्रयोग करने से अतिसार में लाभ होता है। जलोदर (Ascites)-दूधी के पञ्चाङ्ग का अर्क, जलोदर के रोगी को पानी की जगह पिलाया जाय तो बहुत लाभ होता है।

- इसकी सूखी पत्तियों और बीजों को बच्चों को आंत की शिकायतों और कृमि से राहत के लिए दिया जाता है। मिश्री के साथ इस पौधे का रस शरीर को शीतलन प्रभाव देता है और शुक्रपात को भी ठीक करता है।

>> रक्तवह संस्थान Blood Circulatory System:-

यह उत्तेजक और रक्तशोधक है इसलिए हृदयदौर्बल्य, ,उपदंश, फिरंग आदि रक्तविकार के रोगों में इसका प्रयोग करते है।



>> श्वसन संस्थान Respiratory System :-

यह कफनिसारक और श्वास हर होता है इसीलिए यह कास और श्वास मे बहुत उपयोगी है. इसको पीस कर पानी में घोलकर पीने से श्वास मे मे आराम हो जाता है.

-नाक से खून निकलने पर दूधिया के चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करें.

>> मूत्रवहसंस्थान urinary system:-

यह मुत्रल है इसका प्रयोग मूत्रकच्छ, और पूयमेह मे लाभप्रद रहता है।

>> प्रजननसंस्थान - 

यह वृष्य और आर्तवजनन है।शुक्र मेह और रजोवरोध मे प्रयोग करने से रोगी ठीक होता है.यह बांझपन, नपुंसकता और शीघ्रपतन जैसी बीमारियों को भी दूर करती है.

>> त्वचा Skin :-

 यह कुष्ठध्न है विषध्न भी है।इसका प्रयोग त्वचा रोगों में लेप करने के लिए करते है.

प्रयोज्य अंग-Part for use:- 

पंचांग का प्रयोग करते है.

मात्रा :-

कल्क (पेस्ट)10 - 20 ग्राम

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें