Guru Ayurveda

शुक्रवार, 11 जून 2021

Sing and symptom of Diabetes

#मधुमेह Diabetes के लक्षणः-

#Diabetes Symptoms in Hindi


* हर पांचवा व्यक्ति मधुमेह या शुगर की बीमारी से ग्रसित है. यह कितनी खतरनाक बीमारी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस एक बीमारी के कारण रोगी को:

-हार्ट-अटैक ,
-ब्लाइंडनेस,
-stroke (आघात),या
- kidney failure तक हो जाता है.
इसके बावजूद इन खतरों के भारत में इस बीमारी को लेकर awareness बहुत कम है. लाखों लोगों डायबिटीज का पता तब चलता है जब इसकी वजह से उन्हें काफी नुक्सान पहुँच चुका होता है।


#मधुमेह होता क्या है?

मधुमेह एक ऐसी बीमारी हैं जिसमें रोगी के blood में  ग्लूकोज  की मात्रा (blood sugar level) ज़रुरत  से अधिक हो जाती है. ऐसा  दो  कारणों से हो सकता है:

-आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नहीं पैदा कर रहा है. या
-आपके cells produce हो रही insulin पर react नहीं कर रहे.
**Diabetes के दो प्रमुख प्रकार:
--Type 1 diabetes: इसमें बॉडी insulin बनाना बंद कर देती है और मरीज को injection द्वारा इन्सुलिन देना पड़ता है.
--Type 2 diabetes: इसमें बॉडी इन्सुलिन तो बनाती है पर हमारे cells उस पर प्रतिक्रिया नहीं करते. 

ज्यादातर लोगों को टाइप 2 डायबिटीज ही होता है.
Related: डायबिटीज की विस्तृति जानकारी
तो आइये अब जानते हैं:

10 Diabetes Symptoms in Hindi

मधुमेह के लक्षण / शुगर के लक्षण
1. भूख और थकान:
आपका शरीर आप जो खाना खाते हैं उसे ग्लूकोज में कन्वर्ट करता है जिसे आपके सेल energy के लिए प्रयोग करते हैं.  लेकिन आपके cells को ग्लूकोज को अन्दर लाने के लिए इन्सुलिन की ज़रुरत होती है.

यदि आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नहीं बनाता या अगर बनाता भी है तो आपके सेल्स उसको resist करते हैं, तो ग्लूकोज cells में प्रवेश नहीं कर पाते और आपके अन्दर उर्जा नहीं रहती. जिस कारण से आपको सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक भूख लगती है और आप थका-थका सा महसूस करते हैं.

2. अधिक पेशाब और प्यास लगना:
औसतन एक इंसान दिन भर में 6-7 बार पेशाब करता है, लेकिन यदि आपको इससे अधिक बार urinate करना पड़ रहा है तो आपको डायबिटीज हो सकता है.

होता क्या है कि डायबिटीज के कारण ब्लड में शुगर का लेवल नॉर्मल  से कहीं अधिक हो जाता है. ऐसा होने पर बॉडी पेशाब के जरिये excess sugar को शरीर से निकालने का प्रयास करती है. चूँकि एक बार urinate करने पर भी ब्लड में शुगर का लेवल कम नहीं होता इसलिए बॉडी extra शुगर को निकालने के लिए किडनी को काम पे लगा देती है. किडनी ब्लड को फ़िल्टर कर बार-बार यूरिन बनाती है और diseased person को frequently urinate करना पड़ता है.

प्यास क्यों लगती है?

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यूरिन के माध्यम से बॉडी से excess sugar निकालने के लिए हमारा शरीर पहले ब्लड को dilute करता है जिसके लिए वह शरीर में मौजूद fluids (तरल पदार्थ)/ water का उपयोग करता है. इस कारण से शरीर dehydrated हो जाता है और बार-बार प्यास लगती है.

3. मुंह सूखना और खुजली होना:

-चूँकि diabetic person को बार-बार पेशाब होती है  और ये पेशाब बॉडी में मौजूद फ्लुइड्स (तरल) से बनती है इसलिए बाकी चीजों के लिए moisture की कमी हो जाती है. ऐसा होने पर आप डीहाईड्रेटेड महसूस कर सकते हैं. शरीर में पानी की कमी के कारण मुंह सूखने लगता है और त्वचा में नमी की कमी skin को dry कर खुजली पैदा कर सकती है.

4. धुंधली दृष्टि:
जैसा कि हम जानते हैं बॉडी से excess sugar निकालने के लिए हमारा शरीर ब्लड को dilute करता है जिसके लिए वह शरीर में मौजूद fluids का उपयोग करता है. कई बार fluids की movement की वजह से कुछ fluid आँखों की lenses में चला जाता है, जिससे लेंस swell हो जाते हैं. फूलने के कारण लेंस का शेप बदल जाता है और वह ठीक से फोकस नहीं कर पाता है. इसलिए चीजें धुंधली दिखाई देती हैं.

- कई बार इसका उल्टा भी होता है, यानी, lenses में मौजूद fluids pull हो जाते हैं और तब भी लेंस का शेप बिगड़ जाता है और चीजें धुंधली दिखाई देती हैं.

5. अचानक से वजन कम होना:

यदि आप unintentionally अपना weight lose कर रहे हैं तो ये भी diabetes का एक symptom हो सकता है. ऐसा अधिकतर Type 1 डायबिटीज में होता है लेकिन कभी-कभार टाइप 2 में भी ये लक्षण देखने को मिलता है.

दरअसल, इन्सुलिन की कमी के कारण खून में मौजूद ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं (cells) तक नहीं पहुँच पाता और सेल्स ग्लूकोज को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल नहीं कर पाते… लेकिन बॉडी को एनर्जी तो चाहिए ही, इसलिए वो उर्जा पाने के लिए body fat और muscles को burn करने लगती है. Obviously, ऐसा होने पर शरीर का वजन तेजी से घटने लगता है.

6. मतली और उल्टी:

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जब बॉडी अपने energy needs fulfill करने के लिए  फैट बर्न करती है तो वो साथ ही “ketones” produce करती है. कीटोन्स आपके खून में खतरनाक लेवल तक बढ़ सकते हैं, जिस वजह से आपको पेट में परेशानी महसूस हो सकती है और आपको मतली और उलटी की शिकायत हो सकती है.

7. यीस्ट या फंगल इन्फेक्शन :

डायबेटिक व्यक्ति में ग्लूकोज अधिक मात्रा में होता है और यीस्ट को फलने-फूलने के लिए ग्लूकोज चाहिए होता है.

- इसलिए यदि आपको बार-बार यीस्ट इन्फेक्शन हो रहा है तो ये भी मधुमेह का एक लक्षण हो सकता है. आमतौर पर ये संक्रमण इन जगहों पर होता है:

** उँगलियों के बीच में
* स्तन के नीचे
** सेक्स organs और जाँघों के आस-पास

8. घाव का देरी से भरना:

यदि आपका कोई घाव भरने में सामान्य से अधिक समय ले रहा है तो आपको डायबिटीज हो सकता है. दरअसल, diabetes की वजह से खून में बढ़ी हुआ ग्लूकोज की मात्रा, धीरे-धीरे आपकी नसों को प्रभावित कर सकती है जिससे शरीर में blood का circulation ठीक से नहीं हो पाता है. ऐसे में चोट लगी जगह पर भी सही मात्रा में ब्लड नहीं पहुँच पाता और साथ ही उसके साथ आने वाली ऑक्सीजन और nutrients की सप्लाई भी बाधित हो जाती है. इस वजह से घावों को ठीक होने में आवश्यकता से अधिक समय लगता है.

9. हाथ पैर में झुनझुनी होना / हाथ-पाँव सुन्न पड़ना


डायबिटीज के शुरूआती लक्षणअगर आपको डायबिटीज है और आपने उसे लम्बे समय तक कंट्रोल नहीं किया तो ये आपको nerves (नसों) को damage कर सकता है जिसे diabetic neuropathy कहते हैं. हाथ-पैर इन nerves की मदद से ही सिग्नल भेजते हैं. पर नसों को हुए नुक्सान की वजह से signal ठीक से पास नहीं हो पाते और आपको हाथ-पैर में झुनझुनी महसूस होती है.

10. मसूड़ों में घाव व सूजन

मधुमेह रोगाणुओं से लड़ने की आपकी क्षमता को कमजोर कर सकता है, इस कारण से आपके मसूड़ों और दांतों को जकड़ने वाली हड्डियों में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में आपके मसूड़े दांतों पर से हट सकते हैं, आपके दांत ढीले पड़ सकते हैं, या आपके मसूड़ों में घाव,मवाद या सूजन आ सकती है.
*** मधुमेह को silent killer भी कहते हैं क्योंकि बहुत बार इसके लक्षण साफ़ नहीं होते और जो थोड़ी बहुत दिक्कत होती भी है तो आदमी उसे ignore कर देता है, और जब बीमारी बहुत अधिक नुक्सान पहुंचा देती है तब इसका पता चलता है. लेकिन आप ऐसा मत करिए, इन 10 लक्षणों में से अगर एक भी आपको महसूस हो रहा है तो जल्द से जल्द अपने शुगर की जांच कराइए.
फास्टिंग वाली जांच में आपको बिना कुछ खाए-पिए सुबह-सुबह अपने ब्लड सैंपल देना होता है, जबकि रैंडम टेस्ट में आपको खाने के दो घंटे बाद अपना blood sample देना होता है.

दोस्तों, मधुमेह की बीमारी एक lifestyle disease है, अगर इसपर ध्यान ना दिया जाए तो ये हमारे लिए घातक हो सकती है लेकिन अगर हम समय रहते जान लेते हैं कि हम इस बीमारी से ग्रसित हैं तो इसे कंट्रोल करना  इतना भी मुश्किल नहीं है. इसलिए सबसे पहला स्टेप यही है कि हम पता करें कि हमें मधुमेह है या नहीं.

उम्मीद करता हूँ यह लेख आपके लिए फायदेमंद रहा होगा।
नमस्कार

डा०वीरेंद्र मढान

गुरु आयुर्वेद

मंगलवार, 8 जून 2021

स्वर्णप्राशन

     " स्वर्णप्राशन "

· Strong immunity Enhancer : 

बालक की रोगप्रतिकार क्षमता बढती है, जिसके कारण अन्य बालको की तुलना वह कम से कम बिमार होता है। इस प्रकार स्वस्थ रहने के कारण उसको एन्टिबायोटिक्स या अन्य दवाईया देने की जरूरत न रहने से हम बचपन से ही इनके दुष्प्रभाव से बचा सकते है।

· Physical development :  स्वर्णप्राशन बालक के शारीरिक विकास में सकारात्मक गति लाता है

· Memory Booster : यह स्वर्णप्राशन स्मरणशक्ति और धारणशक्ति (grasping ability) बढाने वाले कई महत्वपूर्ण औषध से बना है। जिसका अर्थ है कि इसके कारण वह तेजस्वी बनता है।

· Active and Intellect : शारीरिक और मानसिक विकास के कारण वह ज्यादा चपल और बुद्धिमान बनता है।

· Digestive Power : पाचनक्षमता बढाता है जिसके कारण उसको पेट और पाचन संबंधित कोई तकलीफ़ एवं पोषक तत्वों की कभी कमी नही रहती ।

आयुर्वेद के बालरोग के ग्रंथ कश्यप संहिता के पुरस्कर्ता महर्षि कश्यप ने स्वर्णप्राशन के गुणों का निरूपण किया है..

सुवर्णप्राशन हि एतत मेधाग्निबलवर्धनम् ।
आयुष्यं मंगलमं पुण्यं वृष्यं ग्रहापहम् ॥
मासात् परममेधावी क्याधिभिर्न च धृष्यते ।
षडभिर्मासै: श्रुतधर: सुवर्णप्राशनाद् भवेत् ॥
सूत्रस्थानम्, कश्यपसंहिता

 

अर्थात्,
स्वर्णप्राशनंमेधा (बुद्धि), अग्नि ( पाचन अग्नि) और बल बढानेवाला है। यह आयुष्यप्रद, कल्याणकारक, पुण्यकारक, वृष्य (पदार्थ जिससे वीर्य और बल बढ़ता है), वर्ण्य (शरीर के वर्ण को तेजस्वी बनाने वाला) और ग्रहपीडा को दूर करनेवाला है. स्वर्णप्राशन के नित्य सेवन से बालक एक मास में मेधायुक्त बनता है और बालक की भिन्न भिन्न रोगो से रक्षा होती है। वह छह मास में श्रुतधर (सुना हुआ सब याद रखनेवाला) बनता है, अर्थात उसकी स्मरणशक्त्ति अतिशय बढती है।

यह स्वर्णप्राशन पुष्यनक्षत्र में ही उत्तम प्रकार की औषधो के चयन से ही बनता है। पुष्यनक्षत्र में स्वर्ण और औषध पर नक्षत्र का एक विशेष प्रभाव रहता है। स्वर्णप्राशन से रोगप्रतिकार क्षमता बढने के कारण उसको वायरल और बेक्टेरियल इंफेक्शन से बचाया जा सकता है। यह स्मरण शक्ति बढाने के साथ साथ बालक की पाचन शक्ति भी बढाता है जिसके कारण बालक पुष्ट और बलवान बनता है। यह त्वचा को निखारता भी है। इसीलिए अगर किसी बालक को जन्म से 12 साल की आयु तक स्वर्णप्राशन देते है तो वह उत्तम मेधायुक्त बनता है और कोई भी बिमारी उसे जल्दी छू नही सकती।

 

*स्वर्णप्राशन देने की विधि*

यदि जन्म से बच्चे को कोई टीका नही लगवाया है तो जन्म से ही आरम्भ कर सकते है। अन्यथा 6 महीने के बाद प्रतिदिन देना है

यदि बच्चे को बुखार हैं और उसे एलोपैथी की दवाई दी जा रही है तो भी उसे बुख़ार पूरी तरह से उतरने के बाद ही स्वर्णप्राश दें।

मंत्रौषधि स्वर्णप्राशन का नियमित सेवन खाली पेट करना चाहिए । यदि कुछ खाया है तो 15 मिनट बाद सेवन करें। बालक को प्रातः उठाकर स्नान आदि से शुद्ध कर शीशी पर लिखी मात्रा या वैद्य के निर्देशानुसार नीचे दिए गए वेदोक्त मन्त्र का पाठ करके आयु के अनुसार स्वर्णप्राशन का सेवन अधिक लाभकारी होता है।

स्वर्णप्राशन संस्कार का मन्त्र:

ॐ भू: त्वयि दधामि  

ॐ भुवः त्वयि दधामि

ॐ स्वः त्वयि दधामि

ॐ भूः भुवः स्वः त्वयि दधामि 

अर्थात

हे वत्स! तुम्हे  तेज प्राप्त हो 

हे वत्स! तुम्हे  प्रभाव सत्ता प्राप्त हो 

हे वत्स! तुम्हे ओज  प्राप्त हो 

 

प्रतिदिन यह औषधि देने के चमत्कारिक लाभ है:

6 माह से 12 वर्ष तक प्रतिदिन दे सकते है।

1) 6 माह तक के बच्चे को 7 से 15 दिन में 2 बूंद देनी है

2) अन्नप्राशन संस्कार अर्थात 6 माह से 8 वर्ष की आयु तक 3 बूंद से प्रारम्भ कर 5 बूँद तक दे सकते है

3) 8 वर्ष से 12 वर्ष की आयु तक 7 बूँद प्रतिदिन दे सकते है।

किसी कारणवश यदि माह में एक बार पुष्य नक्षत्र पर औषधि देनी है तो

0 से 6 माह के बच्चे को 3 बूँद
6 माह से 8 वर्ष तक के बच्चे को 5 बूँद
8 से 12 वर्ष की आयु तक के बालक को 7 बूँद
***********

Completely ayurvedic mantrashidh  (the medicine rasayana is made very potent and powerful by using sound energy and cosmic energy which is created by chanting vedic hymns and suktas when the medicine is being prepared), oral drops, available in user friendly and durable packing. This prashan is made as per Kashyap Samhita on auspicious Pushya Nakshatra in pure and sterilized environment while reciting Vedic hymns and Navkara Mantra.

Description

Products Key Ingredients :

Each 10 ml contains:
Shankhpushpi ext. 250 mg,
Pippli 50 mg,
Jatamansi 50 mg,
Vaj ext. 100 mg,
Brahmi ext. 200 mg,
Panch Gavya Ghrit 10 mg,
Honey 9 ml.

Shastrokt (Vedic) Importance : Suvarnaprashan improves the immunity of children as well as their cognizance. It improves agility in children and remedies hyper-activeness.

Relevant and Reference :

सुवर्णप्राशनं ह्येतन्मेधाग्निबलवर्धनम्। आयुष्यं मङ्गलं पुण्यं वृष्यं वर्ण्यं ग्रहापहम् ॥

मासात् परममेधावी व्याधिभिर्न च धृष्यते। षड्भिर्मासैः श्रुतधरः सुवर्णप्राशनाद्भवेत् ॥

Ayurved Vidhan: Kashyap Samhita / Sutrasthanam

Why to Consume : It improves intelligence, cognition, ‘Medha’ and immunity in children! Prevents viral infections. It improves the vital energy in a child and the child becomes full of positive excitement (Harsha). It remedies irritation, lack of sleep and anger in children.

Who Can Consume : All children from age group 6 months to 16 years


सोमवार, 7 जून 2021

कोरोना और आयुर्वेद

 *कोरोना वायरस*

#Dr.Virender Madhan

>करीब नहीं आएगा ‘कोरोना’ …आ गया तो ऐसे होगा अचूक ‘आयुर्वेदिक इलाज।


>नस्‍य, धूपन और औषधि… आयुर्वेद में है कोरोना संक्रमण का रामबाण इलाज

**आयुर्वेद में कोरोना से बचाव और इलाज के कई रामबाण तरीके

कोराना वायरस से बचने के लिए आधुनिक मेड‍िकल ट्रीटमेंट में कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें दवाई से लेकर वैक्‍सीन तक श‍ामिल है। लेकिन भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्‍सा शास्‍त्र में न सिर्फ कोरोना संक्रमण के इलाज के औषधि‍यां हैं बल्‍कि इससे पहले से ही बचने के भी कई आसान तरीके हैं।

 कैसे न सिर्फ कोरोना से बल्‍कि किसी भी तरह के संक्रमण से पहले से ही बचाव किया जा सकता है और संक्रमण होने पर क‍िस तरह से इसका इलाज संभव है। यह तीन स्‍तर है नस्‍य, धूपन और औषधि‍।

>नस्‍य

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अब उन लोगों को भी कोरोना हो रहा है जो कहीं जा नहीं रहे हैं और सिर्फ घर में ही बैठे हैं, क्‍योंकि यह एयरबोर्न यानी हवा में भी और किसी न किसी सामग्री के साथ घर में भी प्रवेश कर रहा है, ऐसे में नस्‍य क्रिया का प्रयोग किया जा सकता है।


नस्‍य का अर्थ है नासिका या नाक। उन्‍होंने बताया कि कोरोना से बचने के लिए रोजाना अपनी नाक में सुबह-शाम तीन-तीन बूंद अणु तेल डालना चाहिए। यह तेल हमारे नेजल न्‍यूकोजा यानी झ‍िल्‍ली के बीच सुरक्षा कवच के तौर पर काम करेगा और वायरस को शरीर के अंदर नहीं जाने देगा। इसमें अगर कोरोना के हल्‍के लक्षण भी होंगे तो ठीक हो सकते हैं।


*प्राणायाम*

इसके साथ हमें सुबह या शाम को अनुलोम विलोम प्राणायाम करना है। यह हमारे फेफड़ों को मजबूत करेगा और दूषि‍त तत्‍वों को बाहर करेगा।

*एंटी वायरल मेड‍िसिन*

डॉ०मढान के मुताब‍िक बहुत सारी एंटी वायरल मेड‍िसिन आयुर्वेद में हैं, जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाएगी, हमारी रोग प्रतिरोधक (इम्‍युनिटी) क्षमता बढ़ाएगी और है जो हमें कई तरह के रोगों से बचाएगी। 

उन्‍होंने बताया कि इसमें तुलसी, पुष्‍कर मूल, पीपली, हल्‍दी, दालचीनी, वासाचूर्ण, लौंग, सितोपलादि चूर्ण शामिल हैं, जो हमारी इम्‍युनिटी को बूस्‍ट करेगी। इसके साथ ही अश्‍वगंधा और ग‍िलोय भी बहुत प्रभावकारी औषधियां हैं, जो बहुत असर करती है। इनका चूर्ण हो सकता है, टैबलेट हो सकती है या काढ़ा बनाकर इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्‍टर की सलाह ली जा सकती है।


इसके साथ ही 

स्वर्ण सम‍ीरपन्‍नगरस, 

स्‍वर्णवात चिंतामणी रस, 

संजीवनी वटी, 

सुदर्शन घनवटी 

आदि औषधि‍यां भी कई तरह से बेहद ज्‍यादा फायदेमंद और संक्रमण से बचाव करती हैं।

**इन्‍हें आयुर्वेद डॉक्‍टर से सलाह के बाद इस्‍तेमाल किया जा सकता है। यह प्र‍िवेंटि‍व भी है और माइल्‍ड सिम्‍प्‍टोम्‍स के लिए भी कारगर हैं।

*धूपन*

आयुर्वेद में धूपन का भी बहुत महत्‍व है। धूपन यान‍ि धूएं का इस्‍तेमाल। डॉ०मढान के मुताब‍िक धूपन न सिर्फ संक्रमण से दूर रखेगा बल्‍कि घर में कीट, पतंगों और किसी भी तरह के विषैले जानवरों से दूर रखेगा। उन्‍होंने बताया कि

 दशांग लेप, जटामांसी चूर्ण और तुलसी मंजरी आदि का धुआं करने से संक्रमण पूरी तरह से खत्‍म हो जाता है। जैसे हम मच्‍छरों को मारने के लिए नीम की पत्‍त‍ियों का इस्‍तेमाल करते हैं ठीक उसी तरह यह संक्रमण के लिए काम करता है।

*कोव‍िड संक्रमण के दौरान*

आयुर्वेद में कोराना का गंभीर संक्रमण होने पर आधुनिक इलाज के साथ ही आयुर्वेद में कई तरह की सुवर्ण औषधियां उपलब्‍ध हैं, जिन्‍हें आयुर्वेद चिकित्‍सक की सलाह के बाद ली जा सकती है।


पोस्‍ट कोविड कैसे आऐ बल

कोरोना संक्रमण के बाद लोगों में इम्‍युनिटी कम होना, कमजोरी आना और थकान बहुत आम है। इन्‍हें दूर करने के लिए अमृतारिष्‍ठ और द्राक्षासव ले सकते हैं। यह कमजोरी और थकान दूर करता है। इसके साथ ही अगस्‍त्‍य रसायन और दशमूल हरीतकी अवलेह भी ले सकते हैं। यह दोनों चटनी की तरह होती है।



लाइफ स्‍टाइल

किसी भी स्‍थि‍ति में स्‍ट्रेस यानि‍ तनाव नहीं लेना है।

 अपनी तासीर के हिसाब से कुनकुना पानी पीएं।

 फ्रीज में रखी सामग्री का इस्‍तेमाल नहीं करना है।

 सुबह- शाम हल्‍का और सुपाच्‍य भोजन करना है।

 इसके साथ ही पेट को हर हाल में साफ रखना है।


डा०वीरेंद्र मढान

गुरु आयुर्वेद फरीदाबाद

हरियाणा।




रविवार, 11 अप्रैल 2021

मधुमेह Diabetes का आयुर्वेदिक इलाज।

शूगर#मधुमेह#डायविटीज*आयुर्वेदिक इलाज

#मधुमेह Diabetes का आयुर्वेदिक ईलाज।

#डा० वीरेंद्र मढान

#गुरू आयुर्वेद 

#Diabetes क्या है?

#शुगर रोग मे क्या खायें क्या न खाये ?

#शुगर का आयुर्वेदिक इलाज

#शुगर के घरेलू उपाय?

Diabetes के कारण ःः-

*भोगविलासी जीवन. * life style का खराब होना। *बीना मौसमी खाना। *काम न करना ।* निट्ठल्ले रहना।*पहला भोजन पचने से पहले ही दुबारा भोजन करना। *मिठाई,तली भुना अधिक खाना। *चटोरापन। *वसायुक्त तैलीय भोजन करना।**कोल्डड्रिंक नमकीन, *चाट-पकौड़े आदि ये सब मधुमेह जनक है।
सबसे पहले इन्हें त्यागना होगा।
""परहेज नही तो ईलाज नही""
**ठंडे पानी से, बारिश मे अधिक देर तक भीगना भी निषेध होता है। 
** दिन में सोना तथा रात में जागरण करना भी रोग जनक होता है।
**ध्यान रखें--कफ बर्ध्दक पदार्थ प्रमेह बर्ध्दक होते है।

प्रमेह Diabetes की आयुर्वेदिक चिकित्सा:-

सबसे पहले-

सरसौ के तैल से

नीम के तैल से

दन्ती के तैल से

बहेड़ा के बीज के तैल से

करंज के तैल से या

त्रिकंण्टकादि तैल से दोषानुसार औषधि द्रव्यों के योगो से तैयार स्नेह से( तैल से) स्निग्ध करा कर रोगी को वमन विरेचन कराये।

इसके बाद..

नागरमोथा, देवदारु , सौठ इनका कल्क तथा सुरसादिगण का क्वाथ मिला कर रोगी को निरूहण वस्तिकर्म करें।

यदि पित्तदोष की आधिकता हो तो न्यग्रोधादि गण के क्वाथ से निरुहवस्ति दे। फिर जांगम देश के पक्षियों के मांस रस से तृप्त करे।

जो रोगी वमन विरेचन के योग्य नही हो न करें।

सभी प्रकार के रोगीयों को दोष शमन औषधियों का प्रयोग कराए ।

शमन योग :-

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प्रतिदिनप्रातः काल: मे मात्रानुसार मधु के साथ हल्दी चाटें उसके बाद आँवला रस पीऐ।  या 

हल्दी -मधु-आँँवलों का रस सब एक जगह धोलकर पी जायें।   या

दारुहल्दी, आंवला, देवदारू, हरड, बेहडा, तथा नागरमोथा का क्वाथ बना कर पीऐ।  अथवा

चित्रकमूल, हरड, बेहडा, आंवला, दारुहल्दी, इन्द्रयव के क्वाथ मे मधु मिला कर पी ले। अथवा

गरूच के स्वरस मे मधु मिलाकर पी ले। अथवा

गुरु आंवला रस मे मधु मिला कर पी ले।

इस प्रकार ये पांच प्रमेह शमन योग हैं।

बुधवार, 2 दिसंबर 2020

अतिसार नाशक काढा

अतिसार क्या है ?

#अतिसार किसे कहते है?

#अतिसार का घरेलू ईलाज ,


अतिसार -

-अति+सरण **मल का बार बार जाना **दिन मे 4-5बार से ज्यादा मल का त्याग करने जाना। **पेट मे दर्द होना। **कमजोरी का महसुस करना इस रोग के लक्षण है .

घरेलु उपाय:-  

--दूबघास--धनिया बीज --सोठ--मिर्च --बेलपत्र--जामुन बीज --आमगिरी--तुलसीपत्र --दालचीनी--जायफल ये सभी द्रव्य समान मात्रा में ले।सभी को मोटा मोटा पीसकर रख लें।
नमक व शुगर अपने स्वादानुसार मिलाकर रख ले। 

--*बनाने की विधि :-


- मिक्स चुर्ण 1चम्मच ढेड कप पानी मे डाल कर चाय की तरह पकाकर जब एक कप रह जाये तो छानकर सीप कर कर के पीऐ कुछ दिनों तक प्रयोग करने से अतिसार ठीक हो जाता हैं .

डा०वीरेंद्र मढान 
गुरू आयुर्वेद फरिदाबाद हरियाणा भारत।

Whatsapp no. 9899465641

सोमवार, 31 अगस्त 2020

सिकुडी हुई किडनी

#सिकुडी हुई किडनी 

 ------------------ जब शरीर मे खाने पीने की गलती से या रूखा सुखा भोजन करने से या समय पर न खाने से या किसी औषधी के प्रयोग से वात पित और कफ के अल्पाधिक होने से -विशेषताः कफ कम हो जाये और वात अधिक हो तो यह दोष धातुओ (वसा- मेद-मज्जा-और ओज ) को दुषित कर दे।

तो वात के प्रकोप से वृक्क सुख जाता है सिकुड जाना कह सकते है

यह दोषो की विषमता असाध्य वृक्क रोग पैदा कर देती है।क्योकि जब कफ को बढाने की औषधी देते है तो शीत गुण के कारण वात की और बृध्दि हो जाती है।

अगर वातशामक औषधी देते है तो कफ और कम हो जाता है ।


सोमवार, 3 अगस्त 2020

आमवात ( RHEUMATOID ARTHRITIS ) .Dr.Virender Madhan.in hindi

#आमवात (RHEUMATOID  ARTHRITIS. #Dr_Virender_Madhan. in hindi.

           ** संधियों में पहुंचा हुआ आम दोष वहीं आश्रित रहता है और जकड़ाहट भी करता है परन्तु प्रात:काल कफ(श्लेष्मा)वर्धक काल होने की वजह से जकड़ाहट अधिक महसूस होती है जो दिन में प्राकृतिक उष्मा से और उठकर चलने फिरने की उष्मा से कम हो जाती है ।
   
 -आचार्य चक्रपाणि के अनुसार

*लड्घनं स्वेदनं तिक्तं दीपनानि कटूनी च ।*
*विरेचनं स्नेहपानं बस्तयष्चाममारूत् ।।*
*सैन्धवाद् येनानुवस्य क्षारबस्ति प्रशष्यते ।।*
                                      (चक्रपाणि 25/1)
अर्थात्
## आमवात संतर्पण जन्य रोग है अतः आमदोष के पाचन के लिए लंघन कराया जाता है ।
## आमवात की नवीन अवस्था में आमदोष उपस्थित रहने पर रूक्ष स्वेद (बालुका,सैंधव,पत्र पिण्ड शालि पिण्ड आदि )कराया जाता है ।आमवात में स्नेहन चिकित्सा निषिद्ध की गयी है।

** *परन्तु जीर्णावस्था अर्थात् निरामावस्था में स्नेहन कराया जाता है ।*

## आमदोष पाचन के लिए कटु तिक्त द्रव्यों से (यथा- त्रिकटु चूर्ण,पंचकोल चूर्ण,अजमोदादि चूर्ण) से दीपन पाचन कराया जाता है ।
## अधिक मात्रा में दोष उपस्थित होने पर विरेचन (हरीतकी चूर्ण,एरण्ड तैल,अभयादि मोदक आदि से) कराया जाता है ।
## *आमवात रोग की नवीन अवस्था में स्नेहन कर्म निषिद्ध है परन्तु रोग की जीर्णावस्था (अधिकांश रोगी जीेर्णावस्था में ही आयुर्वेदिक चिकित्सक के पास आते हैं) में सैंधवादि तैल,
प्रसारणी तैल
और विषगर्भ तैल आदि से बाह्य स्नेहन कराते हैं ।*
आभ्यंतर स्नेहन के लिए एरण्ड तैल को गौमूत्र के साथ पान कराने का विधान है ।

भैषज्य रत्नावली में तो कहा गया है कि...

*आमवात गजेन्द्रस्य शरीर वनचारिण: ।*
*निहन्त्यसावेक एव एरण्ड स्नेदकेशरी ।।*
अर्थात्
शरीर रूपी वन में विचरण करने वाले आमवात रूपी गजेंद्र को नष्ट करने के लिए एरण्ड तैल रूपी सिंह ही अकेला पर्याप्त है (इससे विबन्ध दूर होकर कोष्ठ का शोधन होता है)
##  सैंधवादि तैल द्वारा अनुवासन बस्ति और क्षार बस्ति (दशमूल आदि की निरूह बस्ति ) देना चाहिए ।