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मंगलवार, 29 मार्च 2022

वजन कैसे घटाएं |how to lose weight|वजन घटाने के लिए क्या खायें?

 #वजन कैसे घटाएं |how to lose weight|वजन घटाने के लिए क्या खायें?



#Dr_Virender_Madhan.

* हाइट के हिसाब से वजन कितना रहना चाहिए?

*लंबाई और वजन का अनुपात

 अगर हमारी लंबाई पांच फीट है तो हमारा सामान्य वजन 44 से 55.7 किलोग्राम के बीच होना चाहिए। अगर हमारी लंबाई पांच फीट दो इंच है तो हमारा वजन 49 से 63 किलोग्राम के बीच होना चाहिए। अगर हमारी लंबाई पांच फीट चार इंच है तो हमारा वजन 49 से 63 किलोग्राम के बीच होना चाहिए।

उम्र के हिसाब से वेट कितना होना चाहिए?

नवजात शिशु का वजन प्राय: 5.5 – 9.5 पौंड (2.5-4.3 किग्रा.)

* 9 से 11 महीने के लड़के का वजन 9.2 किलोग्राम और लड़की का वजन 8.6 किलोग्राम होना ही चाहिए।

* 1 साल के लड़के का वजन 10.2 किलोग्राम और लड़की का 9.5 किलोग्राम होना चाहिए।

#क्यों घटाऐ वजन?

* वजन ज्यादा बढ़ने से होने वाले नुकसान और बीमारियां - 

अनहेल्दी खानपान, काम का बोझ, तनाव और खराब लाइफस्टाइल के कारण लोग बढ़ते वजन का शिकार हो जाते हैं. 

* सांस लेने में तकलीफ

 न केवल सांस लेने में दिक्कत होती है बल्कि दैनिक कार्यों को करने में भी सांस फूल जाता है. बढ़े हुए वजन के कारण 

* अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के लक्षण भी मिलते है।

* फैटी लिवर

 जब लिवर पर अतिरिक्त फैट इकट्ठा हो जाता है तो इस स्थिति को फैटी लिवर कहा जाता है. 

* पीठ में दर्द

अधिक वजन, फैट के कारण कमर पर अधिक दबाव पड़ता है, जिसके कारण पीठ दर्द की समस्या होती है.

* ऑस्टियोअर्थराइटिस (वाय)

जो लोग मोटापे का शिकार होते हैं, उनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस यानी गठिया की बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है. 

* टाइप 2 डायबिटीज

अधिक वजन के कारण टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा भी बढ़ जाता है. 

* हाई ब्लड प्रेशर

मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है. क्योंकि बढ़े हुए वजन के कारण हृदय खून को तेजी से पंप करता है,तो यह हाई बीपी का कारण बनता है.

* दिल से जुड़ी बीमारियां

अत्यधिक फैट हृदय, फेफड़े और शरीर के अन्य अंगों पर दबाव डालता है, जिसके कारण दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है.

* जोड़ों का दर्द, गुर्दे संबंधित समस्याएं, नींद ना आने की समस्या और गर्भधारण के दौरान होने वाली समस्याओं से जूझने जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं

# वजन कैसे घटाएं how to lose weight? In hindi.

- शक्कर नहीं- 

सबसे पहले आपको वजन कम करने के लिए मीठी चीजें छोड़नी होंगी।

- प्रोटीन ज्यादा- 

आपको मोटापा घटाने के लिए पूरे दिन प्रोटीन अच्छी मात्रा में लेना जरूरी है।

- ग्रीन टी पिएं- 

अगर आपका मेटाबॉलिज्म अच्छा है तो आपका वजन नहीं बढ़ेगा।

- रोज एक्सरसाइज- 

वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज भी बहुत जरूरी है.

# वजन कम करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

- रात के खाने के दौरान आप कम से कम कैलोरी का सेवन करें. 

- पेट की चर्बी कम करने के लिए आप रिफाइंड तेल और कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम से कम करें.

- आपको मीठे ड्रिंक्स, मिठाई, पास्ता, ब्रेड, बिस्कुट और तेल से भरपूर फूड्स से दूरी बनानी होगी.

 - आप मेथी के चूर्ण लें और सुबह उठकर खाली पेट पानी के साथ सेवन करें.


#1महीने में वजन कैसे कम करें।

सप्ताह में लगभग 0.5 किलो वजन कम करना आदर्श है। जिससे आप एक महीने में लगभग 2 किलो वजन आसानी से कम कर लेंगे। ऐसा करने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम और स्वस्थ भोजन के साथ कम कैलोरी वाले आहार का सेवन करना चाहिए। एक महीने में लगभग 1.5 से 2.5 किलो वजन घटाना सुरक्षित माना जाता है।

# शीघ्र वजन घटाने वाले टिप्स :-

* सवेरे रोजाना एक कप हल्का गर्म पानी पिएं। लगातार एक माह पीने से आपका कम से कम 2 किलो वजन कम हो जाएगा।

* रोजाना कपालभाति करें। 

*चीनी का सेवन बहुत कम कर दें।

* रोज खाने के बाद वज्रासन करें।

* सप्ताहिक व्रत रखें और व्रत के समय फलों का सेवन करें।

# स्वस्थ आहार कैसा होता है?

स्वस्थ आहार में निम्नलिखित शामिल हैं:

वसा रहित और कम वसा युक्त दुग्ध उत्पाद, जैसे कि कम वसा वाला दही, पनीर, और दूध।

प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे कि कम चिकनाई वाला मांस, मछली, पोल्ट्री (मुर्गी) छिलकेदार फलियां और मटर।

साबुत अनाज युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे कि गेहूं की रोटी, दलिया और भूरा चावल (ब्राउन राइज़)।

आयुर्वेद अनुसार 

* ​त्रिफला का सेवन करें

 *  आप गर्म पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर रोजाना पीएं। जीवनशैली में बदलाव के साथ आयुर्वेद के इन उपायों का नियमित पालन करने से वजन कम कर सकते है।

-पैदल चलने से, रात्रि जागरण से, जौ की रोटी खाने फैट कम होकर वजन कम होता है।

- गुग्गल, त्रिकुटा , लौह भस्म, ईलायची , पत्तों का साग, गर्म पानी, शिलाजीत खाने से वजन संतुलन मे रहता है।

# वजन कम करने के लिये क्या परहेज करें?

- गन्ने के उत्पादन ,उडद ,तली चीचों को छोड़ दें।

- दिन मे सोना मना है।

#वजन कम रखने की आयुर्वेदिक दवा क्या लें?

* त्रिफला योग

* अमृतागुग्गुल

* नवक गुग्गल

* लौह रसायन

आदि का प्रयोग करें।

धन्यवाद!

Dr_Virender_Madhan.


सोमवार, 28 मार्च 2022

त्रिफला क्या है।Triphla ke fayde|त्रिफला किन रोगों में काम आता है?In hindi.


 #त्रिफला क्या है।Triphla ke fayde|त्रिफला किन रोगों में काम आता है?In hindi.

#त्रिफला के क्या क्या फायदे हैं?

त्रिफला क्या है?

 त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक  योग है जिसमें अमलकी (आंवला (Emblica officinalis)), बिभीतक (बहेडा) (Terminalia bellirica) और हरितकी (हरड़ Terminalia chebula) के बीज निकाल कर (1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला) 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है "तीन फल"।

आयुर्वेद में इन तीनों फलो को सुखने के बाद सम मात्रा मे मिलने का भी विधान है।

गुण व उपयोग

* त्रिफला में आंवला, हरड़ और बहेड़ा होता है और ये तीनों ही फल पेट के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। इसके सेवन से भूख और पाचन शक्ति बढ़ती है।

*त्रिफला कमजोरी दूर करें शारीरिक दुर्बल व्यक्ति के लिए त्रिफला का सेवन रामबाण साबित होता है।

*त्रिफला रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

त्रिफला चूर्ण का सेवन मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है. 

*हाई ब्लड प्रेशर में,मधुमेह मे राहत देता है।

* Constipation(कब्ज) से राहत दिलाता है त्रिफला।

* नेत्र रोगों मे त्रिफला बहुत लाभकारी है।

*रक्त को शुद्ध करके चर्म रोग दूर करता है।

* त्रिफला, त्रिकटु के साथ लेने से मोटापे से राहत दिलाता है।

#त्रिफला कब खाना चाहिए?

त्रिफला चूर्ण को खाने का सबसे सही समय रात को सोने से पहले होता है जब आप रात में इसे पानी के साथ या फिर दूध के साथ खाते हैं तो यह आपकी आंतों को रात भर में साफ कर देता है और सुबह आपका पेट पूरी तरह से साफ हो जाता है और आपके पेट और आंतों का सारा कचरा बाहर हो जाता है 

*कब्ज दूर करने के लिए इसबगोल दो चम्मच के साथ त्रिफला चूर्ण मिलाकर गुनगुने पानी से लेना अच्छा रहता है। त्रिफला को रात भर पानी से भिगोकर रखें। सुबह मंजन के बाद इस पानी को मुंह में 1 से 2 मिनट तक भरकर रखें।मुखरोग मे भी लाभ मिलता है।

* त्रिफला चूर्ण के नुकसान 

गर्भ के समय महिला को त्रिफला चूर्ण के सेवन के लिए मना किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह बच्चे के विकास पर विपरीत प्रभाव डालता है। त्रिफला चूर्ण के सेवन से गर्भस्राव की संभावना बढ़ जाती है अतः गर्भवती महिला को इसके सेवन से पूर्णतः बचना चाहिए।

त्रिफला को कई रूप मे लिया जा सकता है

त्रिफला चूर्ण

त्रिफला रस

त्रिफला क्वाथ

त्रिफला टेब

त्रिफला चाय आदि।


धन्यवाद!

#Dr_Virender_Madhan.

शनिवार, 26 मार्च 2022

प्याज आपके लिए जहर है या अमृत?In hindi

 #प्याज खाने से पहले यह जान ले..In hindi.

प्याज आपके लिए जहर है या अमृत?In hindi



Dr.VirenderMadhan.

 प्याज “ऐमारलीडेसी” परिवार का सदस्य है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियस सेपा है। अंग्रेजी में इसे ओनियन कहा जाता है।

#प्याज (Pyaj) को संस्कृत में क्या कहते हैं?

(A) प्रसूनम्

(B) पलाण्डुः

(C) बिडाल:

(D) अनडुह आदि नाम से जानते है।

प्याज़ एक वनस्पति है जिसका कन्द सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहाँ साल मे दो बार प्याज़ की फ़सल होती है - एक नवम्बर में और दूसरी मई के महीने के क़रीब होती है। 

प्याज खाने से क्या फायदे होते है?

क्वेरसेटिन के अलावा, प्याज में विटामिन सी, बी विटामिन और पोटेशियम होता है. पोटेशियम की उपस्थिति प्याज को ब्लड प्रेशर कम करने की कोशिश करने वालों के लिए फायदेमंद बनाती है. उच्च एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी प्याज को दिल के अनुकूल जड़ वाली सब्जी बनाते हैं. प्याज आपको एंटी-बैक्टीरियल गुण भी प्रदान कर सकता है.

#क्या प्याज खाने से रोग प्रति रोधक शक्ति बढती है?

बेहतर रोग प्रतिरोधक प्रणाली

स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए विटामिन-सी की जरूरत होती है और प्याज में मौजूद फाइटोकेमिकल्स शरीर में विटामिन-सी को बढ़ाने का काम करते हैं। प्याज में सेलेनियम भी होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर कर सकता है। प्याज का सेवन करने से शरीर में विटामिन-सी की मात्रा बढ़ती है।

#कुछ लोग प्याज को खाने से मना करते हैं क्यों ?

धार्मिक लोग लहसुन और प्याज अंहिसा के चलते नहीं खाते है, क्योंकि यह सब पौधे राजसिक और तामसिक रूप में बंटे हुए है। जिनका मतलब है कि जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते है। क्योंकि यह जमीन पर कई जीवाणुओं की मौत का कारण बनते है। इसलिए इसके सेवन पर मनाही है।

प्याज की तासीर गर्म होती है. अगर आपको सर्दी-जुकाम की परेशानी रहती है तो प्याज आपके लिए दवा का काम करेगी. इसे खाने से आपके शरीर को गर्माहट मिलेगी और सर्दी के इंफेक्शन से आपका बचाव भी होगा. अगर आपको स्टोन की शिकायत है तो प्याज का रस आपके लिए बहुत उपयोगी है।

#क्या प्याज गर्मी के दिनों में खा सकते हैं?

गर्मी के दिनों में प्याज किसी अमृत से कम नहीं है। प्रतिदिन भोजन में प्याज को शा‍मिल करें और कहीं बाहर जाने पर अपने साथ एक छोटा प्याज रखकर आप गर्मी के प्रकोप से बच सकते हैं। यह लू लगने से आपको बचाएगा। 

- लू लग जाने पर या फिर गर्मी के कारण होने वाली अन्य समस्याओं में प्याज का प्रयोग लाभदायक होता है।

कुछ अन्य प्याज खाने के लाभ:-

1. हाई टेंपरेचर

प्याज आपको गर्मी के मौसम में ठंडा रख सकती है, क्योंकि इसमें ठंडक देने के गुण होते हैं। इसमें वोलेटाइल ऑयल होता है, जो शरीर के तापमान को संतुलित करने में मदद करता है। गर्मियों में प्याज को सलाद के रूप में कच्चा खाया जा सकता है। 

2. अपच और कब्‍ज

प्याज में फाइबर और प्रीबायोटिक्स की अच्छी मात्रा मे होता है।। पाचन को आप दुरुस्‍त रख सकती हैं। प्याज कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित कर हृदय स्वास्थ्य को भी बढ़ावा दे सकती है।

3. हीट स्ट्रोक

लंबे समय तक सूरज के संपर्क में रहने से हीट स्ट्रोक हो सकता है। ऐसे में कच्चा प्याज खाने से शरीर को अंदर से ठंडक मिलती है। हीट स्ट्रोक के इलाज के लिए प्याज का पेस्ट बहुत प्रभावी होता है, क्योंकि इसमें उत्कृष्ट अवशोषक गुण होते हैं। इस पेस्ट को माथे, कान के पिछले हिस्से और छाती पर लगाने से हीट स्ट्रोक का इलाज होता है।

4. असंतुलित रक्‍त शर्करा

मधुमेह रोगियों को भी अपने आहार में प्याज को शामिल करना चाहिए। प्याज का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 10 होता है, जो इसे मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है। 

5. हाई ब्लड प्रेशर

प्याज आपके रक्तचाप के लिए भी अच्छा है। इसमें पोटेशियम होता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में भूमिका निभाता है। 

6. सनबर्न

प्याज गर्मियों में न सिर्फ आपके शरीर के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह आपकी त्वचा के लिए भी मददगार साबित हो सकती है। प्याज के रस को बाहरी रूप से धूप से झुलसी त्वचा पर एक बेहतरीन इलाज के रूप में लगाया जा सकता है। साथ ही, यह बालों के लिए भी फायदेमंद है।

7अनिंद्रा मे लाभ:-

प्याज में कुछ खास तरह के अमीनो एसिड पाए जाते हैं, जो अच्छी नींद के लिए जिम्मेदार होते हैं. इसलिए अगर आप रात में प्याज का सेवन करते हैं तो इससे आपको अच्छी नींद आएगी. इतना ही नहीं अगर प्याज को काटकर अपने बिस्तर के पास रख लेंगे तो इसका भी फायदा मिलेगा. प्याज में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो इंफेक्शन से लड़ते हैं.



प्याज के बारे मे और भी:-

* कच्चे प्याज के इस्तेमाल से बाल लंबे होते हैं।

* प्याज में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर से बचाव में भी सहायक होते हैं.


#प्याज खाने से क्या नुकसान हो सकते है?

अधिक प्याज के सेवन से पेट गैस, जलन और उल्टी की समस्या हो सकती है. अगर आपको ऐसी कोई भी समस्या नजर आए तो प्याज का सेवन ज्यादा न करें.

 – कच्चा प्याज खाने के बाद आपके मुंह से इसकी दुर्गंध आ सकती है, जिससे आप शर्मिंदगी का शिकार हो सकते हैं.

#प्याज -पलाण्डू के विशिष्ट प्रयोग:-

* नपुंसकता [ED] और स्तंभन दोष जैसी समस्याओं को दूर करने की अदभुद क्षमता प्‍याज में होती है। यदि प्‍याज के रस में शहद को मिला कर सेवन किया जाए तो यह पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकती है। जो लोग नपुंसकता या यौन कमजोरी से ग्रसित है उनके लिए प्‍याज का उपयोग फायदेमंद हो सकता है।

* सफेद प्याज को खाली पेट शहद से खाने से वीर्य बर्ध्दि करता है

* अस्‍थमा में लाल प्‍याज बहुत लाभकारी होती है। लाल प्‍याज में कई ऐसे गुण होते हैं जो अस्‍थमा की बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि अस्‍थमा में लाल प्‍याज का सेवन कैसे कर सकते हैं। अस्‍थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें सांस नली में सिकुड़न और सूजन आ जाती है।


कोई प्रश्न होतो कोमेंट मे पूछें!

धन्यवाद!


वीर्य को रोकना हैल्थ के लिए कितना हानिकारक है?In hindi

#Ayurvedictreatment. #Healthtips.

 Vireya ka rokna health ke liye hani karke hota hain ?In hindi.

वीर्य को रोकना हैल्थ के लिए कितना हानिकारक है?In hindi.

How harmful is the retention of semen to health?in hindi.

Dr.VirenderMadhan.

वीर्य से ही वीरता बढ़ती है। वीर्य की कमजोरी से घर वीरान हो जाता है। ज्यादा दिनों तक वीर्य को रोकने से मानसिक या दिमागी रोग पनपने लगते हैं।

अष्टाङ्ग ह्रदय ग्रन्थ के अनुसार 14 तरह के वेग होते हैं, इनको रोकने से शरीर अनेक विकार उत्पन्न होने लगते हैं। जैसे-मल-मूत्र, छींक, जम्हाई, वीर्य आदि।

#Virya ke rokne se hani?

वीर्य को रोकने के कारण ही बुढ़ापे में प्रोस्टेट में पानी भर जाता है। सूजन आदि समस्या आने लगती है। नपुंसकता की वजह भी वीर्य रोक ही है।

अगर कोई व्यक्ति अपने वीर्य वेग को रोकने की कोशिश करता है तो इससे उनके शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। वीर्य को रोकने से लिंग में दर्द, मूत्राशय में दर्द और किडनी में सूजन जैसी समस्या आ सकती है।शुक्राणुओं की कमी हो सकती है।

#अष्टाङ्ग हृदय मे अधारणीय वेग और उनसे होने वाली परेशानी?In hindi.

अष्टाङ्ग हृदय के चतुर्थ अध्याय के भाषा टीका में उल्लेख है 

 “वेगान्नधारयेद्वात वीर्यमूत्रक्षवतृटक्षुधाम्!

निद्राकास श्रम श्वांसजंरुभाश्रुच्छअर्दीरेतसाम्!!”

(चरक सहिंता)

अर्थात- अधो वायु यानि पाद, गैस आदि,

मल यानि पखानाधधं न रोकें।

मूत्र- पेशाब, लघुशंका

छींक, प्यास, भूख, निद्रा (नींद), खांसी,

श्रमश्वास यानि मेहनत से चढ़ हुआ श्वांस जिसे हांफनी भी कहते हैं।

जम्भाई आना, आंखों के आंसू,  वीर्य, वमन यानि उल्टी होना और मासिक धर्म/माहवारी आदि इन वेगों को रोकने से शरीर में अनेक उपद्रव, विकार पनपने लगते हैं।


“अधोवातस्यरोधेन गुल्मोदावर्त रुक्क्लमा:!

वात मूत्र श कृत्संगद्दष्टयग्निवधह्रद्गगदा:!!”

अर्थात-अधोवायु यानी गैस को रोकने से गुल्म, उदावर्त, नाभि आदि स्थानों पर वेदना, दर्द या Pain, ग्लानि, वातविकार, मूत्र एवं मल की रुकावट, दृष्टिनाश, जठराग्नि नाश यानी भूख न लगने के साथ भोजन भी न पचना तथा ह्रदय रोग आदि परेशानियां पैदा होने लगती हैं।

- मल या लैट्रिन को रोकना हो सकता है खतरनाक -

 मल को रोकने से बवासीर, अर्श या पाइल्स, मांस में ऐंठन, प्रतिश्याय (जुकाम) हिचकी, डकार आदि का ऊपर को जाना। परिकर्त यानि गुदा मलद्वार में कैंची से काटने जैसी पीड़ा होना, हृदयोंपरोध अर्थात छाती में भारीपन, मुख से विष्ठा यानि मल/लैट्रिन का निकलना और ग्रन्थिशोथ (थायराइड) आदि रोग होने लगते हैं।

 - आंसुओं को रोकने से आंख, सिर भारी होकर सिरदर्द, कम दिखना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

- उल्टी वमन, माहवारी रोकने से त्वचा रोग, सफेद दाग, कोढ़, नेत्ररोग, जी मिचलाना, सूजन आदि रोग होते हैं। चेहरे पर झुर्रियां, काले के निशान, मुहाँसे, व्यंग होने लगते हैं।

- छींक के वेग को रोकने से होने वाला नुकसान-

छींकने के साथ हमारे शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं. पर अगर आप छींक रोकते हैं तो ये शरीर में ही बने रहते हैं. कई बार ऐसा होता है कि छींक रोकने की वजह से आंखों की रक्त वाहिकाएं प्रभावित हो जाती हैं. इसके अलावा गर्दन में भी मोच आ सकती है

इस लेख मे वेगों को रोकने से होने वाली परेशानी संक्षिप्त मे बताई है वैसै यह विषय लम्बा है आपको कैसा लगा कोमेंट मे लिखें।

धन्यवाद!


बुधवार, 23 मार्च 2022

सब रोगों का मूल (कारण) क्या है ?In hindi.

 # सब रोगों का मूल (कारण) क्या  है ?

What is the root cause of all diseases?



“प्रज्ञापराध”

Dr.VirenderMadhan.

«अपने ही जीवन के लिए किया गया अपराध।»

चरक स्थान के शरीर स्थान में आता हैः

“धीधृतिस्मृतिविभ्रष्टः कर्म यत्कुरुते अशुभम्।

प्रज्ञापराधं तं विद्यात् सर्वदोषप्रकोपणम्।।”

'धी, धृति एवं स्मृति यानी बुद्धि, धैर्य और यादशक्ति – इन तीनों को भ्रष्ट करके अर्थात् इनकी अवहेलना करके जो व्यक्ति शारीरिक अथवा मानसिक अशुभ कार्यों को करता है, भूलें करता है उसे प्रज्ञापराध या बुद्धि का अपराध (अंतःकरण की अवहेलना) कहा जाता है, जो कि सर्वदोष अर्थात् वायु, पित्त, कफ को कुपित करने वाला है।

प्रज्ञापराधः अधर्मः च॥

प्रज्ञापराध अधर्म है पाप है।

यह 

कायिक । Kayik, 

वाचिक । Vachik and मानसिक । Manasika तीन प्रकार से किया जाता है।


आयुर्वेद की दृष्टि से ये कुपित त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) ही तन-मन के रोगों के कारण हैं।प्रज्ञापराध से दोष बिगड जाते है और रोग उत्पन्न हो जाते है।

उदाहरणार्थः 

* वेगोदीरण । 

वेग (मल,मुत्र, छींक आदि) न होते हुए भी वेगो को बलात् करना जैसे मुत्र का कोई वेग न होते हुए भी मूत्र त्यागने का प्रयास करना।

* वेगावरोधः । 

मल,मूत्रादि का वेग होते हुए बलात् रोकना।

* साहस सेवन । 

दुश्साहस दिखाना, बल से अधिक बल लगाना।

* नारीणाम् अतिसेवनम् । 

* कर्मकालातिपातश्च। 

कालविपरित कर्म करना।

मिथ्यारंभश्च कर्मणाम् । 

* विनयलोपः । 

विनम्रता न होना।(Disappearance of Modesty)

* आचारलोपः । 

दूर्व्यवहार करना


सारांश:- 

जाने या अनजाने में जा कर्म हमें नही करना चाहिए उस कर्म को प्रज्ञापराध कहते है इन कर्मो के कारण ही हम रोगी हो जाते हैं जीवन जो भी दूख आते है वह अधिकतर प्रज्ञापराध के कारण ही आते है।


धन्यवाद


नजर Eyes Sight कमजोर है तो क्या करें |कारण|लक्षण|उपाय"|in hindi.

 #आंखों की दृष्टि कैसे तेज करें?



Dr.VirenderMadhan

#नजर कमजोर होने के क्या लक्षण है?

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*आंखों या सिर में भारीपन 

*आंखें लाल होना और उनसे पानी आना।

*Irritated eyes,आंखों में खुजली होना,

* रंगों का साफ दिखाई न देना।

* Trouble focusing. धुंधला दिखाई देना।

* Dry or watery eyes आंखों की खुश्की या आंखों से पानी बहते रहना।

*लगातार सिरदर्द की शिकायत रहना और आंखों में थकावट होना।

#आंखों की दृष्टि कमजोर होने के कारण?

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हमारी दैनिक चर्या की छोटी-छोटी गलतियों से हमारी आंखें खराब हो सकती हैं. आंखों को सही रखने के लिए हमें इन गलतियों को करने से बचना चाहिए.

* आंखों की सफाई न करना:  

* बाइक ड्राइव के दौरान सनग्‍लास ना लगाना: 

* आंखों को आराम नहीं देना: 

* आई ग्‍लास ना लगाना: 

* आंखों को मसलना: 

* कॉन्‍टैक्‍ट लेंस लगाकर सोना और दूसरे का चश्‍मा या सनग्‍लास यूज करना: 

* लेपटॉप और मोबाइल पर अधिक काम करते रहना।

* तेज रोशनी,तेज हवाओं के

कारण।

* कम लाईट मे पढाई करना।

* चिंता करना,रोते रहने के कारण ।

* मधुमेह, रक्तचाप बृद्धि जैसे रोग से भी आंखों की नजर कमजोर हो जाती है।

* आंखों की रोशनी कम होने का कारण कुछ खास पोषक तत्वों जैसे- जिंक, कॉपर, विटामिन सी, विटामिन ई और बीटा कैरोटीन का शरीर में कम होना होता है।

#आंखों की ज्योति बढाने के घरेलू उपाय.?

Eyesight Home Remedies : आंखों की रोशनी हो रही है कमजोर, तो आजमाएं ये 10 घरेलू उपाय

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* भीगे हुए बादाम का सेवन करें

* किशमिश और अंजीर का सेवन करें

* बादाम, सौंफ और मिश्री का मिश्रण

* आंवला का प्रयोग करें।

*मछली

 आंखों की रोशनी तेज करने के लिए तैलीय मछलियों का सेवन फायदेमंद होता है। इन्हें खाने से ओमेगा-3 मिलता है। इसका सबसे अच्छा स्त्रोत टूना, सैल्मन, ट्राउट, सार्डिन और छोटी समुद्री मछलियां हैं।

नट्स

काजू, बादाम और अखरोट जैसे नट्स में भी ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं। नट्स में उच्च स्तर का विटामिन ई भी होता है, जो आंखों को नुकसान से बचाता है।

बीज

नट और फलियों की तरह कुछ खास बीज भी ओमेगा -3 से भरपूर होते हैं। ये विटामिन ई का भी समृद्ध स्रोत होते हैं। ऐसे में कमजोर नजर वालों को चिया सीड, फ्लैक्स सीड खाने चाहिए।

खट्टे फल

आप अपने मेन्यू में नींबू और संतरे जैसे फलों को शामिल करें।

हरी पत्तेदार सब्जियां

 इनमें विटामिन सी भी पाया जाता है। इसलिए पालक, पत्तागोभी, बथुआ आदि सब्जियों के सेवन से आंखों की रौशनी बढ़ती है।

गाजर

 गाजर में बीटा कैरोटीन प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसमें रोडोप्सिन नामक प्रोटीन भी मिलता है जो रेटिना को प्रकाश को अवशोषित करने में मदद करता है।

#कमजोर दृष्टि की आयुर्वेदिक चिकित्सा?

» आंखों के लिए त्रिफला:-

आंखों की कमजोरी, आंखों में मैल आना, नजर कमजोर हो तो त्रिफला घृत खाने से ठीक हो जाती है।

त्रिफला कषाय (त्रिफला के पानी) से आंखों को धोने से नेत्ररोगों मे आराम मिलता है।

» सत्यानाशी की जड को नींबू के रस धीसकर आंखों में आंजने से फछला,जाला ,धुंधलापन दूर होता है।

»सौफ को गाजर के रस मे भिगोकर रख दे सुखने पर 6-6 ग्राम खाने से आराम मिलता है।

»सौफ,खाण्ड मिलाकर खाने से भी आराम मिलता है।

»शतावरी के चूर्ण को 3 महिने तक खाने से दृष्टि बढ जाती है।

»गोरखमुंडी का अर्क 25-30 ग्राम रोज पीने से नेत्रज्योति बढती है।

अश्वगंधा, आंवला और मुलहठी सम मात्रा मे मिलाकर 5-6ग्राम रोज खाने से नेत्रज्योति बढ जाती है।

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सोमवार, 21 मार्च 2022

पंचगव्य क्या है और उसको कैसे प्रयोग करें?In hindi.

 पंचगव्य क्या है और उसको कैसे प्रयोग करें?In hindi.



#गाय का गव्य क्या है?In Hindi.

Dr.VirenderMadhan.

What is gaveya of cow?

जो गाय से प्राप्त हो । जैसे—दूध, दहीं, घी, गोबर, गोमूत्र आदि ।

#पंचगव्य किसे कहते हैं?

गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर का पानी को सामूहिक रूप से पंचगव्य कहा जाता है।

#पंच गव्य कैसे बनता है?

गोबर व 1.5 लीटर गोमूत्र में 250 ग्राम गाय का घी अच्छी तरह मिलाकर मटके या प्लास्टिक की टंकी में डाल दें। अगले तीन दिन तक इसे रोज हाथ से हिलायें। अब चौथे दिन सारी सामग्री को आपस में मिलाकर मटके में डाल दें व फिर से ढक्कन बंद कर दें। इसके बाद जब इसका खमीर बन जाय और खुशबू आने लगे तो समझ लें कि पंचगव्य तैयार है।

#पंचगव्य पीने से क्या होता है?

- यह बच्चों व बड़ों में पाचनक्रिया को मजबूत करने और भूख बढ़ाने का काम करता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन-ए, डी व ई पाए जाते हैं। यह दिमाग व शारीरिक विकास के लिए फायदेमंद है। इससे आंखों की रोशनी दुरुस्त रहती है और मिर्गी, लकवा, कमजोरी, जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस व याददाश्त में सुधार होता है।

{पंचगव्य प्राशनम्‌ महापातक नाशनम्‌’}

पंचगव्य को सर्वरोगहारी माना गया है। अलग-अलग रूपों में प्रत्येक गव्य त्रिदोष नाशक नहीं हैं। परन्तु पंचगव्य के रूप में एकात्मक होने पर यह त्रिदोषनाशक हो जाता है। अत: त्रिदोष से उत्पन्न सभी रोगों की चिकित्सा ‘पंचगव्य’ से सम्भव है।

पंचगव्य एक अच्छा प्रोबायोटिक है। प्रोबायोटिक रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मनुष्य को उपयोगी किस्म का फ्लोरा उपलब्ध कराते हैं। प्रोबायोटिक शरीर की व्याधियों को कम करके प्राणी की उत्पादन क्षमता, प्रजनन क्षमता ओज और रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं। पंचगव्य एक अच्छा एन्टीआक्सीडेन्ट तथा एक अच्छा विषशोधक है। पंचगव्य में मौजूद घी विष शोधक का कार्य करता है। उपर्युक्त गुणों के अतिरिक्त पंचगव्य का प्रयोग रक्तचाप, शुगर, मिर्गी तथा अन्य बहुत से रोगों में भी लाभकारी हैं इस प्रकार से सर्वविदित है कि कैंसर जैसे रोगों के अलावा अन्य कई रोगों में भी ‘पंचगव्य’ की भूमिका महत्वपूर्ण है।

पंचगव्य चिकित्सा क्या है?

पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर के द्वारा किया जाता है। पंचगव्य द्वारा शरीर के रोगनिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है। गोमूत्र में प्रति ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व सर्वविदित है।

पंचगव्य घृत कैसे बनाया जाता है?

इसको बनाने के लिए 5 तरह के पदार्थों का प्रयोग किया जाता है :

1  भाग गाय का घी,1 भाग गोमूत्र, 2 भाग गाय के दूध का दही, 3 भाग गाय का दूध, 1/2 भाग गाय का गोबर

इन सभी को धीमी आंच पर लकड़ी के पात्र में तब तक पकाया जाता है जब तक कि वे सभी वाष्प रूप में परिवर्तित ना हो जाएँ, तब पात्र में सबसे अंत में जो पदार्थ प्राप्त होता है, वही यह घी है।

इस घी को 2 तरह से उपयोग किया जाता है, 

(1) नाक में डालने के लिए और 

(2) खाने के लिए।

#नाक के ड्राप के लिए पंचगव्य घी के उपयोग

दिमाग, आँखें और हड्डी के मज़्ज़ा से सम्बंधित रोगो और डिसऑर्डर को दूर करता है

शरीर में वात पित्त और कफ को संतुलित करता है

सर्दी-ज़ुकाम, माइग्रेन और साइनस से सम्बंधित रोगो को दूर करता है

अवसाद या डिप्रेशन, नींद काम आना आदि में काफी लाभकारी है। दिमाग को ठंडक देता है और मेमोरी को तेज़ करता है

नर्वस सिस्टम को मज़बूत बनता है

#पंचगव्य घी के फायदे:-

वात और पित्त वाले शरीर में यह घी अत्यंत फायदेमंद है

शरीर के कमज़ोरी, कमज़ोर इम्युनिटी और तनाव भरे दिमाग की अवस्था को स्वस्थ रखता है

शारीरिक कमज़ोरी और थकान को दूर करता है

वात शरीर वालों के लिए यह वज़न बढ़ाता है

जोड़ो में दर्द, जोड़ो के समस्याओं और अर्थिरिटिस में बहुत फायदा करता है

सूखी त्वचा, सूखा गाला और सोरिसिस में फायदा करता है

अन्य दूसरे लाभ

चूँकि इस घी में गोमूत्र का भाग भी होता है जो शरीर के अंदर के ज़हरीले पदार्थों को बाहर निकलता है जो किसी लत या ख़राब खाने की वजह से अंदर जमा हो जाते हैं

खून को शुद्ध करता है और लीवर के फंक्शन को मज़बूत बनता है

जिनको दिमागी रूप से कोई बीमारी या डिसऑर्डर है वे निसंकोच इस घी का इस्तेमाल कर सकते हैं, और जो अवसाद या डिप्रेशन से पीड़ित हैं, उनके लिए यह रामबाण है और लम्बे समय तक उपयोग करने पर वे डिप्रेस्शन दूर करने वाली टेबलेट से भी छुटकारा पा सकते हैं

हड्डी के रोगो के लिए भी अत्यंत लाभकारी है

मात्रा:-

पंचगव्य घी को 10 -20 ग्राम रोज़ सुबह गुनगुने पानी के साथ लें या शुद्ध गाय के दूध के साथ भी ले सकते हैं

पंचगव्य घी नाक की ड्राप : सोने के पहले नाक के दोनों भागो में 2 बूंद डालें

पंचगव्य से साबुन भी बनता है जो त्वचा रोगों मे उपयोगी साबित हुआ है।


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