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मंगलवार, 24 मई 2022

Nason ki kamjori|नसों की कमजोरी के कारण, लक्षण और उपचार हिंदी में.

 #Nason ki kamjori|नसों की कमजोरी के कारण, लक्षण और उपचार  हिंदी में.



#Nervous Weakness in Hindi

Dr.Virender Madhan.

खराब जीवनशैली के कारण नसों की कमजोरी भी हो जाती  है। नसों की कमजोरी तंत्रिका संबंधी विकार है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। इस बारे में हम वर्णन करेंगे। यह विकार गंभीर इसलिए भी है, क्योंकि यह कई मानसिक और शारीरिक तकलीफों का कारण बन सकता है 

विषय सूची

नसों की कमजोरी क्या है – What is Nervous Weakness in Hindi

नसों की कमजोरी के कारण – Causes of Nervous Weakness in Hindi

नसों की कमजोरी के लक्षण – Symptoms Of Nervous Weakness in Hindi

नसों की कमजोरी के लिए आयूर्वेदिक चिकित्सा – Ayurveda For Nervous Weakness

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#नसों की कमजोरी क्या है – What is Nervous Weakness in hindi.

 नसों की कमजोरी है क्या?  नसें हमारे शरीर में किसी कम्प्यूटर के वायर की तरह काम करती हैं, जो शरीर की विभिन्न क्रियाओं को करने के लिए दिमाग तक संदेश पहुंचाती हैं। जब किसी वजह से ये नसें दिमाग तक ठीक तरह से संदेश पहुंचाने में विफल होती हैं या फिर नहीं पहुंचा पाती हैं, तो इसे ही नसों की कमजोरी के रूप में जाना जाता है। मानों जैसे कम्प्यूटर में लगा कोई वायर ब्रेक हो जाने के कारण कम्प्यूटर ठीक से काम करना बंद कर देता है। यह विकार शरीर के एक या कई हिस्सों को प्रभावित कर नसों को कमजोर बना सकता है। 

#नसों की कमजोरी के कारण – Causes of Nervous Weakness in Hindi

- ज्यादा टेंशन में रहने, -अनहेल्दी फूड खाने  -फिजिकल एक्टिविटी ज्यादा करने से.

- शरीर पर आने वाली चोट के कारण नसों में सूजन से

- डायबिटीज की समस्या के कारण नसों में होने वाली क्षति।

- हाई ब्लड प्रेशर या आर्टरी वॉल के अंदर फैट का जमाव।

-ऑटोइम्यून डिजीज के कारण, जिसमें गलती से प्रतिरोधक तंत्र अपने ही टिशू को नष्ट करने लगता है।

-किसी संक्रामक बीमारी के कारण, जिसका सीधा प्रभाव नसों की कार्यक्षमता पर पड़े।

- शरीर में हार्मोन असुंतलन की स्थिति भी नसों में कमजोरी की वजह बन सकती है।

-किडनी और लिवर से संबंधित विकार के कारण 

-अत्यधिक शराब का सेवन से

- पोषक तत्वों की कमी के कारण।

- ट्यूमर या कैंसर जैसी घातक बीमारी के कारण।

#नसों की कमजोरी के लक्षण – Symptoms Of Nervous Weakness in Hindi.

- नसें कमजोर हो रही हैं तो एक बड़ा संकेत है कि व्यक्ति की याद्दाश्त घटने लगती है। चक्कर आना भी एक महत्वपूर्ण लक्षण है 

- नसों में जान महसूस न होना।

- प्रभावित हिस्से में अत्यधिक दर्द या मरोड़।

- नसों में तनाव महसूस होना।

- हाथ या पैर में संवेदनहीनता।

- अत्यधिक पसीना आना।

- अनियंत्रित बल्ड प्रेशर।

- पेट से संबंधित विकार।

- स्पर्श को महसूस करने की शक्ति कमजोर होना।

#नसों में ताकत लाने के लिए क्या करें?

- सेंधा नमक में मैग्नीशियम और सल्फेट पाया जाता है,

सेंधा नमक सूजन को कम करता है।

सेंधा नमक के पानी से नहाने से नसों और मांसपेशियों की कमजोरी को दूर किया जाता है। 

- वजन बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें .

-रोगी को हाइड्रेटेड रहना चाहिए

- आलस छोडे,गतिशील रहें .

- धूम्रपान न करें.

#नसों को मजबूत बनाने के लिए क्या खाएं?

 नसों को मजबूत बनाने के लिए फूड्स|Foods for veins:

बादाम – 

 इसके नियमित इस्तेमाल से कई फायदे होते हैं. रोज बादाम खाने से लोगों की कमजोरी दूर होती है. इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल भी ठीक रहता है. बादाम हमारे वजन को भी बढ़ने से रोकता है.

- बहुत सारा फाइबर खाएं फाइबर पाचन तंत्र को सही ढंग से काम करने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है.

- विटामिन सी और विटामिन ई का वाली चीचें सेवन करें।

अनार 

अनार में एंटीऑक्सीडेंट्स और नाइट्रेट्स उच्च मात्रा में होते हैं, जो कि रक्त वाहिकाओं (नसों) को रिलैक्स करने और खोलने में मदद करते हैं.

प्याज और लहसुन का प्रयोग करें ।

विटामिन-सी वाले फूड्स.

#नसों की कमजोरी के लिए आयूर्वेदिक चिकित्सा – Ayurveda For Nervous Weakness

आयुर्वेद के अनुसार नसों की कमजोरी को वात विकारों मे गिना है।

वात विकारों में अभ्यंग|मालिस करना और वस्तिकर्म को उत्तम माना है।

आयुर्वेदिक ऑयल मसाज के लिऐ बहुत से तैल उपलब्ध है

जैसे न्यूमोस आयल,

 महानारायण तैल,बलादितैल, अश्वगंधादि तैल,आदि इन तैलो की मालिस करने से नाडीयों को बल मिलता है।

घरेलू मसाज आयलः

एरण्ड तैल,सरसौ का तैल और तिल तैल मिलाकर शरीर पर मालिस की जाती है।

मगर नसों में अधिक दर्द रहता है तो इसमें पुदीने का तेल मिलाकर प्रयोग कर सकते है।

-कुटकी का तैल पेट पर मालिस करनें से स्नायु को बल मिलता है।

* कुछ आयुर्वेदिक औषधियोंः

अश्वगंधा चूर्ण,

बलामूल चूर्ण,

पुष्टि कैपसूल,

अर्थो-जी कैपसूल

शिलाजीत कैपसूल

नोटः- कोई भी औषधि प्रयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य करें।


सोमवार, 23 मई 2022

कैसी हो ग्रीष्म ऋतुचर्या की जीवनशैली?In hindi.

 

#कैसी हो ग्रीष्म ऋतुचर्या की जीवनशैली?In hindi.

#How is the lifestyle of summer season?In hindi.

Dr.VirenderMadhan.



#Kaisi ho garmi ke deeno main deen charya?

आयुर्वेदिक प्रसिद्ध “चरक संहिता” में कहा गया है कि जो व्यक्ति ऋतु के अनुसार अनुकूल आहार विहार की जानकारी रखता है और उसके अनुसार आचरण भी करता है, उसके बल और गुणों की वृद्धि होती है। 

#ग्रीष्म ऋतु के लक्षण:-

ग्रीष्म ऋतु को आदान काल भी कहा जाता है। इस काल में सूर्य की किरणें और वायु अत्यंत तीखी, रूखी और गर्म होती हैं, जिससे पृथ्वी के सौम्य गुणों में कमी आ जाती है। 

इससे तिक्त, कटु और कषाय रस बलवान हो जाते हैं।

#ग्रीष्म ऋतु मे आहार-विहार कैसा होना चाहिये?

 ग्रीष्म ऋतु के इस प्रभाव को ध्यान में रखते हुए हमें हितकारी आहार-विहार का पालन करना चाहिए। 

मौसम परिवर्तन के साथ अगर आहार परिवर्तन भी कर लिया जाये तो कुछ मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है।

  गर्मी में शर्बत, ठंडा, दूध, प्रूट, जूस और आइसक्रीम जैसी वस्तुएं लेना चाहिए।

#ग्रीष्म ऋतु मे खाने योग्य आहार :-

-- मधुर, सुपाच्य, जलीय, ताजे, स्निग्ध व शीत गुणयुक्त पदार्थ :-  

-- दूध, घी, लौकी, पेठा, गिल्की, परवल, चौलाई, शकरकंद, गाजर, बीट (चुकंदर), सूरन, पालक, हरा धनिया, पुदीना, हरी पतली ककड़ी, मोसम्बी, मीठे संतरे, शहतूत, खरबूजा, मीठा आम, अनार, फालसा, खीरा, आँवला, करौंदा, कोकम, नारियल आदि।

ड्राईफ्रूट्स:-

 मुनक्का, किशमिश (रात को भिगोये हुए)

पेय :-

  - ग्रीष्म ऋतु में शरीर में जलीय अंश की कमी हो जाती है। अत: निरापद गुणकारी पेय अवश्य पीना चाहिए।

*  नींबू-मिश्री का शरबत, आँवला शरबत, आम का पन्ना, ठंडाई, ठंडा दूध, नारियल पानी, स्वच्छता से निकला गन्ने का रस।

- छाछ पीयें , फलों का जूस लें।

#ग्रीष्म ऋतु मे क्या न खायें?

- बासी, उष्ण, तला, मसालेदार भोजन, फ्रिज का अत्यधिक ठंडा, गरिष्ठ, वातवर्धक भोजन।

#ग्रीष्म ऋतु मे विहार :-

--ग्रीष्म ऋतु में रात को जल्दी सोयें, सुबह जल्दी उठें, 

- उष:पान का प्रयोग करें। मुँह में पानी भर पलकों पर छींटें मारें एवं नंगे पैर घास पर चलें। 

-- सूती कपड़े व सिर पर टोपी पहनें। धूप में निकलने से पूर्व पानी पीकर जायें। 

--आने के तुरंत बाद पानी न पीयें। पसीना सुखाकर ही पानी पियें।

#ग्रीष्म ऋतु मे क्या करें क्या न करें ?

--अति आहार, अति व्यायाम, अति परिश्रम, मैथुन, वात-पित्तवर्धक पदार्थ वर्जित हैं।

- मधपान जैसा कोई भी नशा न करें।

- पानी की कमी (डीहाइड्रेशन) न होने दें। इसके लिए दिन में पानी पीते रहना चाहिए। 

--फ्रिज में रखा पानी पीने से गले के रोग अपच तथा मन्दाग्नि आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

 --दिन में एक बार कोई मीठा शरबत या नीबू पानी लेना चाहिए। 

--चुस्ती और फुर्ती के लिए पानी में ग्लूकोज डालकर पीने से भी घबराहट कम होती है।

--सत्तु को मीठा और पतला करके सेवन करना भी हितकारी होता है। 

--जौ के सत्तू के विषय में आयुर्वेद में कहा है- जौ का सत्तू ठंडा और रुखा खुरचने वाला होता है, सत्तू पीने से वीर्य बढ़ता है, शरीर पुष्ट होता है, कब्ज दूर होती है। यह स्वाद में मधूर और रुचिकर होता है और परिणाम में बल देता है। 

--सत्तू कफ, पित्त, थकावट, भूख, प्यास, घाव, और नेत्र रोगों को मिटाता है और गरमी, जलन तथा व्यायाम से पीडित प्राणियों के लिए उत्तम होता है।

--रात को सोते समय मीठा दूध घूँट-घूँट करके सेवन करना हितकारी रहता है। दूध में एक दो चम्मच घी डालकर सेवन करने से कब्ज और पेट में बढ़ी हुई गरमी नष्ट हो जाती है।

-- अरहर की दाल खानी हो तो शुद्ध घी का छोंक लगाकर खाएं। 

--गर्मी कम करने तथा पाचन शक्ति बढ़ाने के लिये धनिया, प्याज, पुदीना, की चटनी का सेवन करें इससे जहां खाना जल्दी पचेगा, वहीं भूख भी बढ़ेगी।

-- भोजन ताजा, सुपाच्य और मधुर रसयुक्त करना चाहिए।

-- गर्मी में पाचन क्रिया में पानी की ज्यादा मात्रा में जरुरत होती है।

-- अगर रात में देर तक जागना पड़े तो हर घण्टे में पानी पीते रहना चाहिए ताकि वात और पित्त कुपित न हो। 

-- इस मौसम में हरे पत्ते वाली साग सब्जियां जरुर खाएं जैसे लौकी, तुरई, पके लाल टमाटर, छिलका युक्त आलू, चने की सूखी भाजी, बथुआ, परवल करेला सहजन आदि। 

-- दोपहर बाद तरबूज, खरबूज, सन्तरा, हरी नरम ककड़ी, केला आदि कोई भी मौसमी फल जरुर खाना चाहिए।

- हरड़ का सेवन, गुड़ के साथ समान मात्रा में करने से वात और पित्त का प्रकोप नहीं होता। 

-- इस ऋतुुु में रात में जल्दी सोकर सुबह जल्दी जागना चाहिए। 

--सूर्योदय के पहले थोड़ी दूर तक टहलना चाहिए।

-- जीरे की शिकंजी, ठंडाई, कच्चा नारियल और उसका पानी, सौफ, मिश्री, मक्खन आदि सेवन करना हितकारी होता है।

--भोजन के अन्त में कोई मीठा पदार्थ जैसे थोड़ा सा गुड़ आदि अवश्य खाना चाहिए ताकि पित्त का शमन हो सके।

-- ग्रीष्म ऋतुुु में सूर्य की तीखी किरणों के द्वारा शरीर के द्रव तथा स्निग्ध अंश का शोषण होता है, जिससे दुर्बलता, अनुत्साह, थकान, बेचैनी आदि का अनुभव होता है। अत: इस समय शीघ्र बल प्राप्त करने के लिए इस ऋतुु में शीतल, स्निग्ध, मीठा एवं हल्का आहार जैसे:- साठी चावल, जौ, मूंग, मसूर आदि का सेवन करना चाहिए। 

--सफाई से तैयार किया गन्ने का रस पीना ठीक रहता है।

-- हाथ व पैरों में प्याज के रस की मालिश करें। आम के पने का प्रयोग करें। प्याज का सेवन अधिक करें और अपने साथ बाहर भी लेकर जाएं।

#ग्रीष्म ऋतुु में गर्मी से बचाव के लिए

-- प्रात: एवं सायं, दिन में कम से कम दो बार  स्नान करना चाहिए।

-- दही और शहद सेवन करे। दही में पानी मिलाकर सेवन कर सकते है। 

-- रात में दही नहीं खाना चाहिए, 

-- सुश्रुत सूत्र स्थान में कहा है ** हीन (अल्प)मात्रा में किया हुआ भोजन अतृप्ति उत्पन्न करता है और शरीर के बल को क्षीण करता है। 

** अधिक मात्रा में किया हुआ भोजन आलस्य, भारीपन, मोटापा और मन्दाग्नि (अपच) उत्पन्न करता है।

धन्यवाद!




शुक्रवार, 20 मई 2022

रसोई के मसालों से कैसे करें ईलाज?In hindi.

#रसोई के मसालों से कैसे करें ईलाज?In hindi.

#Dr.VirenderMadhan.

[रसोई के मसाले|आयुर्वेदिक औषधि]



रसोई के मसाले गुण व फायदे

 हल्दी , धनिया , जीरा , मेथी , अजवाइन , हींग आदि रोजाना के खाने में शामिल होते है। ये सब शरीर के लिए लाभदायक हैं 
ये भोजन के सहज पाचन में सहायक होते हैं. खाद्य पदार्थों में मसालों की उचित मात्रा इनमें जीवाणुओं की वृद्धि को रोककर नष्ट करने में सहायक है. 

#गरम मसाले को कैसे इस्तेमाल करें?

- जिससे यह खाने में खुशबू और फ्लेवर लाने में मदद करता है। गरम मसाले को फ्रैश मसालों से बनाया जाता है।जिसको कुछ दिनों में ही इस्तेमाल कर लिया जाए तो अच्छा है इसलिए इसकी शेल्फ लाइफ भी कम होती है। गरम मसाले को मीट, अंडे आदि पर छिड़का जाता है।जिससे इनमें गरम स्वाद आ जाता है।
* घरेलु नुस्खे के रूप में इनका उपयोग दवा के रूप मे काम करता है। ज्यादातर मसाले प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन ए, विटामिन बी6, सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम जैसे खनिजों के समृद्ध स्रोत होते हैं।

#कौन सा मसाला किस रोग मे काम आता है?

 #हल्दी|Turmeric ( Haldi ):-

हल्दी ( Haldi ) में एक विशेष प्रकार का उड़नशील तेल होता है जिसमें करक्यूपिन नामक tarpent होता है इस tarpent में धमनियों में जमे कोलेस्ट्रोल को घोलने की शक्ति होती है। 
- हल्दी ( Haldi ) में विटामिन “ए ” , प्रोटीन , कार्बोहाईड्रेट व कई लाभकारी खनिज तत्व होते है।
इसमें एक विशेष प्रकार का क्षारीय तत्व कर्कुमिन होता है जो कैंसर को रोकने में सहायक होता है। हल्दी खून को साफ व पतला करती है , कफ को मिटाती है , इसमें एंटीसेप्टिक , एंटी बायोटिक और एंटी एलर्जिक गुण होते है।
- शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द , चोट , घाव , खून की कमी , आदि में हल्दी बहुत असरकारक होती है। गर्म दूध में हल्दी डालकर पीने से टूटी हुई हड्डी तेजी से जुडती है और अंदरूनी चोट ठीक होती है।
इसके लड्डू बनाकर उपयोग करने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
- गर्म पानी में नमक व हल्दी मिलाकर गरारे करने से गले की खराश ठीक होती है। 

#जीरा|Cumin( Jeera ):-

जीरा खाना पचाने में सहायक होता है , गैस बनने से रोकता है।
- कच्चा जीरा पीस कर इसमें समान मात्रा में गुड मिलाकर मटर के दाने के बराबर गोली बनाकर लें। ये गोली दो-दो दिन में तीन बार पानी के साथ लेने से स्त्रियों की गर्भाशय व योनि की सूजन , प्रसव के बाद गर्भाशय की शुद्धि और श्वेत प्रदर में बहुत लाभकारी है।
—  जीरा , धनिया और सौंफ एक एक चम्मच एक गिलास पानी में उबालें। आधा रह जाये तब ठंडा होने पर छानकर एक चम्मच देसी घी मिला दें। इसे सुबह शाम पीने से बवासीर से रक्त गिरना बंद हो जाता है। 
—  छाछ में भुना जीरा डालकर पीने से दस्त ठीक होते है।

#राई|rye( Rai ):- 

राई से पेट के कीड़े नष्ट होते है , गैस नहीं बनती व पाचन में सहायक होती है.
- छाछ में राई का छोंक लगाकर पीने से दस्त ठीक होते है। इसकी प्रकृति गर्म होती है। ये पसीना लाती है।

#धनिया|Coriander( Dhaniya ):-

ये खाना पचाने में मदद करता है । इसकी तासीर ठंडी होती है , ये एसिडिटी , पेट की गर्मी पेशाब की जलन , शरीर की जलन आदि में लाभप्रद है। -गर्मी के मौसम में दो गिलास पानी में 5 चम्मच साबुत धनिया दो कप पानी में रात को भिगो दें। सुबह छानकर पी लें। नकसीर , रक्त बवासीर,वजन कम करने में बहुत कारगर है।
—  पेशाब में या शरीर में जलन या ज्यादा प्यास लगती हो तो तीन चम्मच धनिया रात को पानीं में भिगो दें। सुबह इसे पीसकर छानकर मिश्री और दूध मिलाकर पियें।
—  ख़ाना खाते ही प्रेशर बनता हो तो खाने के बाद एक चम्मच धनिया पाउडर  में काला नमक  मिलाकर फांक लें। 

#लौंग|cloves:-

  इसके एंटीसेप्टिक गुण सड़न को रोकते है और संक्रमण को दूर रखते है। लौंग मुह की बदबू दूर करती है। इसके उपयोग से पाचन शक्ति बढ़ती है।
- यह एसिडिटी को मिटाती है . भूख बढाती है , खाने में रूचि बढाती है.पानी में लौंग उबालकर पीने से बुखार के बाद की पाचन संबधी तकलीफ दूर होती है। सफर में जी मचल रहा हो उल्टी का सा मन हो रहा हो तो लौंग मुंह में रखने से आराम मिलता है। 

#इलायची|Cardamom ( Ilayachi )

इलायची दूध व केले को पचाने के लिए उत्तम होती है । ये एसिडिटी रोकती है , इसके सेवन से मुहँ सूखा-सूखा रहना मिटता है।  ज्यादा मात्रा में खाना खा लेने पर इलायची खाने से बैचेनी कम होती है।  इलायची का चूर्ण मिश्री के साथ लेने से उल्टी में आराम मिलता है।

#काली मिर्च|black pepper( Kali Mirch ):-

सर्दी  जुकाम , खांसी से बचाव करती है , मलेरिया व वायरल बुखार में इसके सेवन से आराम मिलता है।  भूख बढाती है व पाचन में सहायक होती है। इसका सेवन आँखों के लिए फायदेमंद है। दो-दो काली मिर्च दिन में तीन बार मुंह में रखकर धीरे धीरे चूसने से खाँसी ठीक हो जाती है। ये प्रयोग पुरानी खांसी भी ठीक कर देता है। 

#हींग|Asafoetida के फायदे ( hing ke fayde ):-

- हींग (heeng ) पित्त प्रधान होती है। इसकी तासीर गर्म होती है। गर्भवती को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। 
- हींग पेट की गैस मिटाती है , गुड़ के साथ खाने से पेट के कीड़े नष्ट करती है , पानी में मिलाकर पेट पर लगाने से अफारे व पेटदर्द को ठीक करती है। 

#मेथी|Fenugreek(Methi):-

मेथी वायु को मिटाती है , मधुमेह , जोड़ो के दर्द आदि से बचाव करती है . पाचन शक्ति बढाती है , बालों के लिए अच्छी होती है , माँ का दूध बढाती है , जिससे शिशु को दूध की कमी नहीं होती। यह खून की कमी दूर करती है। 

#अजवायन|oregano( ajvain ):-

अजवायन पेट में मरोड़ ठीक करती है , अफारा ठीक करती है , पेट के कीड़े नष्ट करती है , माँ का दूध बढाती है , सर्दी जुकाम में आराम देती है। 

धन्यवाद!


बुधवार, 18 मई 2022

लौकी के छिलको के बारे में 10 बातें जो आप शायद नहीं जानते होंगे.in hindi.

 लौकी के छिलको के बारे में 10 बातें जो आप शायद नहीं जानते होंगे.in hindi.

10 Things You Most Likely Didn't Know About loki ke chhelke| in hindi.



#बहूमूल्य लौकी के छिलके न फैकें.in hindi.

Dr.VirenderMadhan.

लौकी से ज्यादा लौकी के छिलके है उपयोगी।

लौकी के छिलकों में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो गैस, कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। जिन लोगों को पाइल्स की समस्या है, उनके लिए लौकी के छिलके फायदेमंद हो सकते हैं। आपको ज्यादा कुछ नहीं करना बस लौकी के छिलकों को सुखाकर पाउडर बनाना है और इसे रोजाना ठंडे पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करना है।

#लौकी के छिलके खाने के 7 फायदेः 

1. गैस की समस्या से परेशान हैं

 तो डाइट में लौकी के छिलकों को शामिल करें.  

 असल में लौकी के छिलकों में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो गैस, कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है.

2. पाइल्स है तो खायें लौकी के छिलको का चूर्ण।

जिन लोगों को पाइल्स की समस्या हैं उनके लिए लौकी के छिलके फायदेमंद हो सकते हैं. आपको ज्यादा कुछ नहीं करना बस लौकी के छिलकों को सुखाकर पाउडर बनाना है और इसे रोजाना ठंडे पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करना है. इससे पाइल्स की समस्या से राहत मिल सकती है. 

3.तलवों मे जलन से राहत देता है लौकी के छिलके.

अगर आपके हाथ पैर के तलवे अक्सर जलते हैं, ऐसे में लौकी के छिलके असरदार हो सकते हैं. लौकी के जूस का सेवन करने से भी जलन में आराम मिल सकता है.

जलन वाली जगह लौकी के छिलकों का पेस्ट लगाने से राहत मिलती है।

4. बालों के लिऐ कारगर लौकी के छिलको का रस.

लौकी में फोलेट, विटामिन सी, विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन और जिंक जैसे आवश्‍य‍क तत्‍व शामिल होते हैं, जो बालों की हेल्थ के लिए अच्छे माने जाते हैं. लौकी के छिलकों का इस्तेमाल कर बालों को हेल्दी रखा जा सकता है.

अगर आप बाल झड़ने की समस्या है से परेशान हैं तो लौकी के छिलकों का रस, तिल के तेल के साथ मिलाकर स्कैल्प पर लगाने से बाल झड़ना जैसी समस्या से राहत मिलती है.

5. वजन घटाने के लिए पीयें लौकी के छिलकों का रस या काढा.

मोटापे की समस्या से परेशान हैं तो लौकी के छिलके का इस्तेमाल कर सकते हैं. लौकी में कैलोरी की मात्रा बहुत कम पाई जाती है. लौकी के छिलकों का जूस पीने से वजन को आसानी से कम किया जा सकता है.

6- चेहरे पर आएगा ग्लो.

स्किन रूखी और बेजान हो रही है तो लौकी के छिलके इसमें ग्लो ला सकते हैं. इसके लिए आप लौकी के छिलकों को बारीक पीस कर पेस्ट बना लें. फिर दो बड़े चम्मच पेस्ट को एक बाउल में लेकर इसमें एक चम्मच चन्दन पाउडर मिला लें और इसको चेहरे पर लगाएं. फिर बीस मिनट तक लगा रहने दें. इसके बाद पानी से धो लें. सप्ताह में दो बार इस प्रोसेस को दोहराएं.

7- टैनिंग (कालापन)करे दूर.

गर्मी के मौसम में अधिक देर तक धूप में रहने से ट्रैनिंग हो जाती है और ट्रैनिंग होने से चेहरे, हाथ, पैर और गर्दन काली पड़ जाती है। ट्रैनिंग यानी सनबर्न होने पर आप लौकी के छिलकों को प्रभावित त्वचा पर रगड़ लें। इसके छिलके रगड़ने से त्वचा को ठंडक मिल जाएगी और सनबर्न एकदम सही हो जाएगा।

* लौकी के छिलके कब नुकसान करते है

- सर्दियों के लौकी ठंडी होने के कारण खांसी, जुकाम, गले के रोग पैदा कर सकते है।

- अगर शरीर पर कहीं सूजन है तो ऐसे मे लौकी के रस के सेवन से सूजन बढ सकती है।

लौकी के छिलके इस तरह से किमती औषधि है 

#भुल कर भी न फैंक लौकी के छिलके.

सब्जी बनाकर भी खा सकते है।

धन्यवाद,

डा०वीरेंद्र मढान.











पान|Betel leaf खाने से पहले जान लें 2 बात पान के फायदे और नुकसान। in hindi.

 पान|Betel leaf खाने से पहले जान लें 2 बात पान के फायदे और नुकसान। in hindi.



Dr.Virender Madhan.

पान के फायदे|Betel Leaf Benefits:

   पुराने समय में भी हर रात को राजा महाराजा लोग पान खाना पसंद करते थे. क्योंकि पान खाने के फायदे जबरदस्त हैं.

  पान खाने वाले भारत में बहुत हैं. फिर चाहे वो मीठा पान हो या चूने वाला, पान के पत्तों का इस्तेमाल पूजा पाठ, शादी में भी किया जाता है. पान की पत्तियां खाने के लिहाज से थोड़ी कसैली होती हैं. हालांकि, इन पत्तियों में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो सेहत को लाभ पहुंचाते हैं.  पान के पत्ते में टैनिन, प्रोपेन, एल्केलॉयड और फिनाइल पाया जाता है, जो शरीर में दर्द और सूजन को कम करने में मददगार होता है. 

#पान के पत्ते के फायदे (Benefits of Betel Leaf)

-यह हृदय के लिए बेहतरीन टॉनिक का भी काम करता है. 

एंटीडबिटिक

 इसमें एंटी-डायबिटिक गुण होते है।

सूखे पान के पत्तो के पाउडर में डायबिटीज-2 के रोगियों के खून में शुगर की मात्रा को कम करने की क्षमता है और सबसे महत्वपूर्ण बात , इसके कोई भी दुष्परिणाम नहीं है।

--एंटी-इंफ्लामेटरी,

पान के रस का सेवन भी श्वसन नली में होने वाली सूजन की समस्या से राहत दिलाता है। गर्मियों में इसका सेवन किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं करता है। पान के रस में थोड़ा शहद मिलाएं और इसको पी लें। 

-  मसूड़े में गांठ या फिर सूजन हो जाने पर पान का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। पान में पाए जाने वाले तत्व इन उभारों को कम करने का काम करते हैं।

- -एंटी-इंफेक्टिव, एंटी-सेप्टिक और दुर्गंध दूर करने वाले गुण होते हैं. 

#घाव के उपचार में betel leaf|पान के पत्ते,

-  कटने, छिलने आदि घाव पर पान की पत्तियों का रस निकालकर लगाने से घाव में संक्रमण नही होता है क्योंकि पान के पत्तों में घाव और संक्रमण को दूर करने के गुण पाए जाते हैं. आप इसे प्रभावित क्षेत्रों में लगा कर इसे किसी कपड़े से बांध लें. यह विनाशकारी रोगाणुओं के विकास को भी बाधित करता है.

- इसके साथ इसमें सौंफ, सुपारी, इलायची, लौंग व गुलकंद मिलाने से यौन स्वास्थ्य को मजबूती भी मिलती है.

पुरुषों के लिए ज्यादा गुणकारी होता है 

#क्या पान का पत्ता स्वास्थ्य के लिए अच्छा क्यों है?

"पान के पत्ते विटामिन सी, थायमिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और कैरोटीन जैसे विटामिन से भरे हुए हैं और कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत हैं । 


#खाना खाने के बाद पान खाने से क्या होता है?

- पाचन क्रिया बढ़ाए

पान के पत्तों को चबाना पाचन क्रिया के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. 

- कब्ज एसिडिटी जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए पान की पत्तियां चबानी चाहिए. 

- पान का पत्ता, खांसी और कफ की समस्या में लाभकारी साबित होता है। इन पत्तों को पानी में उबालकर उसे पीने से कफ नहीं होता और खांसी भी दूर होती है।

#क्या पान खाने से नुकसान हो सकता है?

- हां, अगर अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है, तो पान खाने से नुकसान हो सकता है। जैसे – मुंह का कैंसर होने का खतरा, रक्तचाप और हृदय की गति में वृद्धि आदि।

अधिक पान खाने से दांतों क़ हानि होती है।

यह लेख केवल जानकारी के लिये है।किसी विषेशज्ञ से पुरी जानकारी लेकर ही पान का प्रयोग करें।

धन्यवाद!

मंगलवार, 17 मई 2022

देशी कोल्डड्रिंक|नींबू पानी पीने के फायदे व नुकसान?In hindi.

 देशी कोल्डड्रिंक|नींबू पानी पीने के फायदे व नुकसान?In hindi.



By:- Dr.VirenderMadhan.

#नींबू पानी क्या है?

नींबू, पानी और नमक के मिश्रण को नींबू पानी कहते है

अधिकतर लोग इसमें चीनी या मिश्री मिलाकर पीते हैं।यह ऊर्जा दायक होता है।गर्मी के दिनों में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है अगर नींबू पानी को  देशी कोल्ड्र‍िंक कहा जाए, तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। 

- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर यह पेय सेहत और सौंदर्य से जुड़े इतने फायदे देता है, जितने आप सोच भी नहीं सकते। साधारण सा नींबू पानी के कुछ ऐसे ही फायदे जो आपकी सेहत के लिए बेहद लाभदायक हैं  –

#नींबू पानी विटामिन्स से भरपूर-

- नींबू विटामिन सी का बेहतर स्रोत  है। साथ ही, इसमें विभिन्न विटामिन्स जैसे थियामिन, रिबोफ्लोविन, नियासिन, विटामिन बी- 6, फोलेट और विटामिन-ई की थोड़ी मात्रा मौजूद रहती है। 

- नींबू पानी में कई तरह के मिनरल्स जैसे आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, पोटैशियम और जिंक पाए जाते हैं।

#नींबू पानी पाचन संस्थान के लिए लाभकारी-

- यह खराब गले, कब्ज, किडनी और मसूड़ों की समस्याओं में राहत पहुंचाता है। 

पाचन क्रिया, वजन संतुलित करने और कई तरह के केंसर से बचाव करने में नींबू पानी मददगार होता है। लिवर के लिए भी यह बेहतर होता है।

पाचनक्रिया में फायदेमंद –  

नींबू पानी में मौजूद नींबू का रस हाइड्रोक्लोरिक एसिड और पित्त सिक्रेशन के प्रोडक्शन में वृद्धि करता है, जो पाचन के लिए आवश्यक है। 

-  यह एसिडिटी और गठिया के खतरे को भी कम करता है। जो लोग आमतौर पर पाचन-संबंधी समस्याओं जैसे एबडॉमिनल क्रैम्प्स, ब्लॉटिंग, जलन और गैस की समस्या आदि से परेशान होते हैं, उन्हें नियमित रूप से नींबू पानी का सेवन करना चाहिए।

- कब्ज –

 अगर आपको कब्ज की समस्या है, तो नींबू पानी आपके लिए बेहद फायदेमंद है। प्रतिदिन सुबह गर्म नींबू पानी पिएं और पूरे दिन कब्ज की समस्या से दूर रहें।

#मानसिक परेशानी को करे कम?

- नींबू पानी का एक और फायदा यह है कि इसमें ब्लड प्रेशर को कम करने के गुण के साथ ही तनाव, डिप्रेशन और अवसाद कम करने के गुण पाये जाते हैं। नींबू पानी पीने से तुरंत ही आपको आराम का अनुभव होगा।

#मूत्रसंस्थान के लिऐ लाभकारी नींबू पानी।

 - किडनी स्टोन – नींबू पानी का स्वास्थ्य पर पड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण फायदा है, इसका किडनी स्टोन से राहत पहुंचाना। 

- किडनी स्टोन शरीर से बिना किसी परेशानी के निकल जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह यूरीन के बहाव को ब्लॉक कर देते हैं जो अत्यधिक पीड़ा का कारण बनता है। नींबू पानी पीने से शरीर को रिहाइड्रेट होने में मदद मिलती है और यह यूरीन को पतला रखने में मदद करता है। साथ ही यह किडनी स्टोन बनने के किसी भी तरह के खतरे को कम करता है।

- मूत्रघात,मूत्राशय मे जलन को दूर करता है।

- डायबि‍टीज – नींबू पानी, हाई शुगर वाले जूस व ड्रिंक का बेहतर विकल्प माना जाता है। खासतौर से उनके लिए जो डायबिटीज के मरीज हैं या वजन कम करना चाहते हैं। यह शुगर को गंभीर स्तर तक पहुंचाए बिना शरीर को रिहाइड्रेट व एनर्जाइज करता है।

#इम्यूनिटी के लिए सस्ता साघन नींबू पानी।

- इम्युनिटी – नींबू पानी बायोफ्लेवोनॉयड, विटामिन सी और फाइटोन्यूट्रियंट्स का बेहतर स्रेत है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। इसमें मौजूद आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स के कारण यह शरीर के एनर्जी लेवल को बढ़ाने में मदद करता है।

# त्वचा की देखभाल करें.

त्वचा को स्वस्थ बनाता है नियमित रूप से नींबू पानी पीने से त्वचा जवां नजर आती है। नींबू एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर होता है । जाने-माने एंटी-एजिंग गुणों वाला नींबू और दूसरे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थ आजकल अत्यधिक पसंद किये जा रहे हैं।

और भी बहुत सारे गुण रखता है नींबू पानी ।

धन्यवाद!

Dr.VirenderMadhan.


Eat 6 meals to lower cholesterol|खायें 7 चीचें भोजन में बाहर आयेगा बैड कोलेस्ट्रॉल।in hindi.

 Eat 6 meals to lower cholesterol|खायें 7 चीचें भोजन में बाहर आयेगा बैड कोलेस्ट्रॉल।in hindi.



#बैड कोलेस्ट्रॉल को कैसे कंट्रोल करें?

By:- Dr.Virender Madhan.

- सात्विक,नियमित और संतुलित खानपान ही आपको इन बीमारियों से बचा भी सकता है। तो अपने कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के लिए सही आहार अपनाना बेहद जरूरी है। आप स्वस्थ भोजन करके और जीवनशैली में बदलाव करके अपने कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं।

खराब कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल लेवल बढ़ने से खून की नसें या धमनियां बंद हो सकती हैं, जिससे हृदय रोग, दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए कई दवाएं मौजूद हैं लेकिन आप पेड पौधों से मिलने वाली डाइट लेकर शरीर में गंदे कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं।

#कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) बढ़ने के कारण?

 आजकल बहुत से लोग इससे पीड़ित रहते हैं। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से दिल के रोगों, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा होता है। आमतौर पर शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कई कारण है ।

- खराब खान-पान इसका सबसे बड़ा कारण है।

- अन्हेल्दी और प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन करना।

- चीनी, मैदा, कोल्ड ड्रिंक्स और तेल से बनी चीजों को खाने से कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। जिससे हृदय रोग, दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

मांस, अंडे और डेयरी उत्पादों जैसे उच्च वसा वाले पशु खाद्य पदार्थों की अधिक मात्रा लेने से आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है। वहीं, सब्जियों, फलों, बीन्स और जई जैसे खाद्य पदार्थों में बहुत सारे फाइबर होते हैं। जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी हैं।


#कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें? 

 आप वनस्पति फल सब्जियों डाइट लेकर शरीर में गंदे कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों में कोलेस्ट्रॉल और सैचुरेटेड फैट नहीं होता है, जबकि घुलनशील फाइबर भारी मात्रा में होते हैं। पौधों से मिलने वाली चीजें जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज खराब कोलेस्ट्रॉल को 5-10% तक कम कर सकती हैं।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फल?

साइट्रस फल: साइट्रस फलों का सेवन भी आपको फायदा पहुंचाएगा. संतरा और नींबू खा सकते हैं. इससे कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलेगी.

बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल लेवल को मैनेज करने में दिक्कत आ रही है तो कुछ खास फलों को डाइट में शामिल करें.

सेब को डाइट में शामिल करें.

अंगूर भी खा सकते हैं.

एवोकाडो खाना भी फायदेमंद होगा.

सेब, जामुन और खट्टे फल जैसे संतरे और नींबू में पेक्टिन नामक एक प्रकार का फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसके अतिरिक्त, फल आवश्यक विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट का एक बड़ा स्रोत हैं।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले साबुत अनाज खाएं

अंकुरित आनाज आपके भोजन मे होना चाहिये।

आजकल बहुत से लोग साबुत अनाज का सेवन कम करते हैं। इसके सेवन से रक्तप्रवाह में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम करके एलडीएल के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। ब्राउन राइस, मूसली और क्विनोआ ऐसी अद्भुत चीजें हैं, जिन्हें आप रोजाना के खाने में शामिल कर सकते हैं।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली सब्जियां

शरीर से गंदे कोलेस्ट्रॉल को निकालने के लिए हरी सब्जियों का सेवन करना सबसे शानदार तरीका है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सब्जियों में वो सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के साथ-साथ अन्य खराब तत्वों को शरीर से बाहर निकालने का काम करते हैं। बैंगन और भिंडी में घुलनशील फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं।

ज्यादातर फल और सब्जियां कुछ प्रकार के फाइबर से भरपूर होती हैं। यह फाइबर कोलेस्ट्रॉल को आंतों से रक्त प्रवाह में अवशोषित होने से रोकने में मदद करता है। दालें, मटर, मसूर , सेम में सबसे ज्यादा फाइबर पाया जाता है। शकरकंद, भिंडी, ब्रोकोली,सेब और स्ट्रॉबेरी भी अच्छे विकल्प हैं।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए खाएं- सोयाबीन

- प्रतिदिन 25 ग्राम सोया प्रोटीन का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है। 

-आप अपने स्किम्ड दूध को सोया मिल्क के साथ बदल सकते हैं। इसके अलावा आप सोयाबीन की सब्जी बना सकते हैं।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला फूड-ओट्स

- ओट्स में बीटा-ग्लूकेन्स पाया जाता है। यह विशेष प्रकार का फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में बहुत कारगर होता है। आप सुबह नाश्ते में ओट्स का सेवन कर सकते हैं। इसे बनाते समय नमक और चीनी का कम इस्तेमाल करें।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दाल खाएं

 दाल न सिर्फ स्वादिष्ट होती हैं बल्कि शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद हैं। नियमित रूप से दाल खाने से हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है। दालों में फैट कम और फाइबर और प्रोटीन ज्यादा मात्रा में पाया जाता है।

#कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज क्या है?

हर सुबह लहसुन की एक कली को गुनगुने पानी से लेते हैं तो इससे कोलेस्ट्रॉल को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है.

- लहसुन को शहद के साथ मिलाकर खाएं तो भी ये बहुत फायदेमंद होता है. ये ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखता है साथ ही दिल की धमनियों में जमी पड़ी वसा को खत्म करने में भी ये मदद करता है.

#कोलेस्ट्रॉल में क्या न खाए?

- कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर मीट, चिकन और अंडे के पीले हिस्से का सेवन बिल्कुल न करें। इसके अलावा तले हुए खाद्य पदार्थ भी न खाएं, क्योंकि ये हर प्रकार से स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक ही होते हैं। इससे शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है, जिससे आपकी परेशानियां और बढ़ जाएंगी।

धन्यवाद!


डिस्क्लेमर:  ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।