Guru Ayurveda

रविवार, 26 जून 2022

गोमूत्र चिकित्सा के 11 फायदे.in hindi.

 #गोमूत्र चिकित्सा के 11 फायदे.in hindi.

Gau mutra chikitsa ke 11fayde.in hindi.

#Dr.VirenderMadhan.

11 benefits of cow urine therapy.in hindi.

गोमूत्र:-

आयुर्वेद अनुसार गौ की  महिमा लिखी है। 

उनके दूध, दही़, मक्खन, घी, छाछ, मूत्र आदि से अनेक रोग दूर होते हैं।

गोमूत्र का आयुर्वेद और अन्य शास्त्रों में चिकित्सकीय महत्व बताया गया है।

#गौ मूत्र पीने से क्या फायदा होता है?

 गोमूत्र दर्दनिवारक होने के साथ ही गुल्म, पेट के रोग, आनाह, विरेचन कर्म, आस्थापन, वस्ति आदि बीमारियों का नाश करता है। आयुर्वेद में गोमूत्र से कुष्ठ तथा अन्य चर्म रोगों का उपचार किया जाता है। श्वास रोग,आंत्रशोथ, पीलिया भी गोमूत्र से नष्ट होते हैं।

 गोमूत्र एक महौषधि है। 

इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम क्लोराइड, फॉस्‍फेट, अमोनिया, कैरोटिन, स्वर्ण क्षार आदि पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं इसलिए इसे औषधीय गुणों की दृष्टि से महौषधि माना गया है। 

 गोमूत्र के लाभ - 

 इससे सालों साल पुरानी कब्ज भी दूर हो जाती है जो हर रोग की मूल जड़ होती है। इससे कमर जोड़ों के दर्द के अलावा गाठिए और मोटापे का भी इलाज हो जाता है। वात रोगों भी इस प्रक्रिया से ठीक हो जाती हैं। गोमूत्र और गुड़ के मिश्रण से तैयार की गई औषधी से गठिया का कारगर इलाज होता है।

-  गौमूत्र दर्दनिवारक, पेट के रोग, स्किन प्रॉब्लम , श्वास रोग (दमा), आंतों से जुड़ी बीमारियां, पीलिया, आंखों से संबंधित बीमारियां, अतिसार (दस्त) आदि के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है। - आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीनों दोषों की गड़बड़ी की वजह से बीमारियां फैलती हैं, लेकिन गौमूत्र पीने से बीमारियां दूर हो जाती हैं।


1. पेट में कृमि Worms -

 1/2 चम्मच अजवाइन के चूर्ण के साथ 4 चम्मच गोमूत्र 1 सप्ताह सेवन करें। 

2-Joits pain जोड़ों का दर्द - 

जोड़ों में दर्द होने पर गोमूत्र का प्रयोग किया जा सकता है।   सर्दी में जोड़ों का दर्द होने पर 1 ग्राम सोंठ के चूर्ण के साथ गोमूत्र का सेवन करें।

3. मोटापा obesity -

- आधे गिलास ताजे पानी में 4 चम्मच गोमूत्र, 2 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर नित्य सेवन करें।

4- चर्मरोग Skin diseases:-

नीम गिलोय क्वाथ के साथ सुबह-शाम गोमूत्र का सेवन करने से रक्तदोषजन्य चर्मरोग नष्ट हो जाता है। 

- चर्मरोग पर जीरे को महीन पीसकर गोमूत्र मिलाकर लेप करना भी लाभकारी है। 

5 - पीलिया (पांडूरोग)- 

200-250 मिली गोमूत्र 15 दिन तक पिएं,

- उच्च रक्तचाप होने पर एक 1/4 प्याले गोमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी डालकर सेवन करें  


-दमा के रोगी को छोटी बछड़ी का 1 तोला गोमूत्र पीना लाभकारी होता है।

6- यकृत या प्लीहा बढ़ना-

 5 तोला गोमूत्र में 1 चुटकी नमक मिलाकर पि‍एं या पुनर्नवा के क्वाथ को समान भाग गोमूत्र मिलाकर लें। 


7 कब्ज या पेट फूलने पर - 

- तीन तोला ताजा गोमूत्र छानकर उसमें आधा चम्मच नमक मिलाकर पिलाएं। 

- बच्चे का पेट फूल जाए तो 1 चम्मच गोमूत्र पिलाएं। 

- गैस की समस्या में प्रात:काल आधे कप गोमूत्र में नमक तथा नींबू का रस मिलाकर पिलाएं 

8 गले का कैंसर - 

100 मिली गोमूत्र तथा सुपारी के बराबर गाय का गोबर दोनों को मिलाकर स्वच्छ बर्तन में छान लें। सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होकर निराहार 6 माह तक प्रयोग करें। 

- गोमूत्र मे हल्दी पकाकर लेने से भी कैंसर मे लाभ मिलता है।

9 हृदयरोग - 

4 चम्मच गोमूत्र का सुबह-शाम सेवन करना हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है। 

10 आंख के रोग - 

आंख के धुंधलेपन एवं रतौंधी में काली बछिया के मूत्र को तांबे के बर्तन में गर्म करें। 1/4 भाग बचने पर छान लें और उसे कांच की शीशी में भर लें। उससे सुबह-शाम आंख धोएं।

11. दंत रोग -

 दांत दर्द एवं पायरिया में गोमूत्र से कुल्ला करने से लाभ होता है।

- पुराना नजला, श्वास- गोमूत्र एक चौथाई में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी मिलाकर सेवन करें।

#गोमूत्र सेवन कब न करें?

*गोमुत्र लेते समय 7 जरूरी सावधानियां - 

1 देशी गाय का गोमूत्र ही सेवन करें। 

(गाय गर्भवती या रोगी न हो।)

2 जंगल में चरने वाली गाय का मूत्र सर्वोत्तम है। 

3  1 वर्ष से कम की बछिया का मूत्र सर्वोत्तम है। 

4  मालिश के लिए 2 से 7 दिन पुराना गोमूत्र अच्‍छा रहता है। 

5  पीने हेतु गोमूत्र को 4 से 8 बार कपड़े से छानकर प्रयोग करना चाहिए।

मात्रा;-

बच्चों को 5-5 ml

बडो को 10-20 ml.

धन्यवाद!


कैसे खाँसी को 30 मिनटों मे ठीक करे.in hindi.

 कैसे खाँसी को 30 मिनटों मे ठीक करे|How to cure cough in 30 minutes.in hindi.



जब जबरदस्त खाँसी होती है तो जीना हराम कर देती हैं कभी-कभी ये महीनों तक परेशान करती है तरह तरह की दवाई फेल हो जाती है. रातों जागना पड जाता है.ऐसी समस्या लेकर बहुत से रोगी आते है.जो बहुत सारी एंटीबायोटिक भी खा चुके होते है. इस परेशानी से छूटकारा पाने के लिए हमें मिला एक आयुर्वेदिक फोर्मुला जिसके कारण बहुत से रोगियों को राहत दिला रहे है यह निरापद औषधि है।इसके लेते ही आराम मिलना शुरू हो जाता है। किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नही होता चाहे कोई बच्चा या कोई बूढ़ा व्यक्ति प्रयोग करे.यह अभी बाजार मे कम ही मिलती है अगर आपको चाहिए तो अपने पास के मेडिकल स्टोर से बोल कर मंगा सकते है पोस्ट के लास्ट मे ईमेल ईडी है उस पर आप ओडर देकर मंगा सकते है।

औषधि का नाम है

 बेनसीप सीरप.

बेनसीप सीरप के बारे में जाने:-


#Bensip Syrup के लाभ कैसे मिलता है?

</>Bensip Syrup is pure herbal product.

*Manufactured by GMP certified company.

*Use all kinds of Cough, bronchitis, and asthma,

*Completely safe ayurvedic medicine.

*No any side effects.

* शीध्र प्रभावशाली है।

*Bensip syrup is alsocough expectorant.

#Bensip syrup का Formulation#Dr_Virender_madha ने 15 वर्षों तक ट्रायल, परिक्षण करके तैयार किया था तथा अब 21 सोलों से रोगियों को दे कर लाभन्वित कर रहे है।इसके प्रभाव को देखकर रोगी अपनी परिवार व मित्रगणों को #Bensip syrup लेने की सलाह देते है।



Composition of Bensip Syrup 

Each 10ml contain

-Viola aditya (Gulbanfsha) 500mg.

-Terminalis Chebula (Harit ki) 300mg.

-Terminalis Verification (Vibhitika) 300mg.

-Embilca Officialis (Amilki) 300mg.

-Zingiber Offcialis (Saunt) 100mg.

-Piper Nigrum (Marich) 100 mg.

-piper Longam (Pipal) 100 mg.

-Adhatoda Vasica (Vasa) 500mg.

-Glycayrrhiza Glabira (Yesthimadhu) 300mg.


कुछ पुछना है या ओडर देना है तो इस ईडी पर मेले करें.

Gurupharma2000@gmail.com


बुधवार, 22 जून 2022

पुदीने के 8 चमत्कारी गुण.in hindi.

  पुदीने के 8 चमत्कारी गुण.in hindi. 

Dr.Virender Madhan.




#पुदीना क्या है?

पुदीना, मेंथा वंश से संबंधित एक बारहमासी, खुशबूदार जड़ी है। इसकी विभिन्न प्रजातियां यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाइ जाती हैं, साथ ही इसकी कई संकर किस्में भी उपलब्ध हैं।

#पुदीनेके नाम:-

पुदीने को मेंथा एवरैसिस, मेन्था-स्पाइकेटा, स्पियर मिंट के वानस्पतिक नाम से जाना जाता है।

संघटन:-

*पुदीने में मेंथोल, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, रिबोफ्लेविन, कॉपर, आयरन आदि पाये जाते हैं।

#पुदीना का आयुर्वेदानुसार उपयोग क्या है?

आयुर्वेद के अनुसार, पुदीना  कफ और वात दोष को कम करता है, भूख बढ़ाता है। आप पुदीना का प्रयोग मल-मूत्र संबंधित बीमारियां और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी कर सकते हैं। यह दस्त, पेचिश, बुखार, पेट के रोग, लीवर आदि विकार को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।

#पुदीना के अन्य लाभ:-

 - पुदीना की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मियों में पुदीने की चटनी,जलजीरा, शरबत के रुप मे इसका सेवन करते है।

 इसका प्रयोग औषधि के रूप में ही नहीं, बल्कि भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। पेटदर्द, एसिडिटी, बदहजमी जैसी समस्याओं का चुटकी में इलाज करती है। 

* पुदीना पाचन शक्ति सुधारता है।

- पुदीना में फाइटोन्यूट्रिएन्ट्स और एंटीऑक्सिडेंट होते है, जो भोजन को आसानी से पचाने में मदद करते हैं। इस पौधे में मेन्थॉल होता है, जो डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में बाइल सॉल्ट और एसिड के निष्कासन  करता है। 

- पुदीना के सेवन से गैस की समस्या दूर होती है। मेन्थॉल मांसपेशियों की क्रिया सुचारू रूप से करने में सहायता करता है, जिससे बदहजमी के लक्षण दूर होते हैं। 

*पुदीना त्वचा के लिए फायदेमंद है ।

- पुदीने से तैयार फेस पैक लगाने से झुर्रियां और बारीक लकीरें नहीं होती हैं। पुदीना में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, 

- जिन लोगों को मुंहासे अधिक होते हैं, वो पुदीने की पत्तियों से तैयार लेप चेहरे पर लगाएं। इस लेप में गुलाब जल, बेसन भी मिला सकते है। इस फेस पैक को 15 मिनट तक चेहरे पर लगाए रखें। फिर पानी से धो लें। 

* मुंह की दुर्गंध दूर करे पुदीना।

अगर मुंह से अधिक बदूब आती है, वो पुदीने की पत्तियों का सेवन (Peppermint Benefits) करें। पुदीने की पत्तियों को पानी में उबाल लें। इसे ठंडा करके इससे कुल्ला करने से बदबू चली जाएगी।

*पुदीना हीटस्टोक (लू) से बचाए.

 घर से बाहर जाना हो तो पुदीने का रस पिएं या इससे तैयार शरबत पीकर ही घर से निकलें। 

*हैजा के लक्षणों को कम करता है।

* हैजा (cholera) कई बार दूषित भोजन और पानी पीने से होता है। हैजा होने पर आप घरेलू उपायों में पुदीने का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुदीने की पत्तियों का रस, प्याज का रस, नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से फायदा होगा।

#पुदिना को कैसे खायें?

 पुदीने का रस गन्ने या फिर निम्बू पानी में मिलाकर पी सकते हैं. 

-पुदीने की ताजी पत्तियों से तैयार हरी चटनी खाएं।

 इसमें हरी मिर्च, आंवला, लहसुन, धनिया पत्ती डालकर मिक्सी में पीस लें। पुदीने की चटनी भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ ही पेट को शीतलता भी प्रदान करेगी।

- पुदीने का काढ़ा भी पी सकते हैं। 

- पुदीने को सलाद, दही या किसी भी भोज्य पदार्थों में मिला कर प्रयोग कर सकते हैं।

- पुदीने के पत्तों को पीस लें। इसे एक गिलास पानी में नींबू, नमक डालकर पीने से डिहाइड्रेशन नहीं होगा।

-पुदिने का आयुर्वेदिक दवाओं मे प्रयोग किया जाता है।

-पुदिनहरा भी एक आयुर्वेदिक पुदिने से बनी औषधि है।


लेख कैसा लगा कोमेंट मे जरूर लिखें।

धन्यवाद!




गर्मीयों में हल्दी वाला दूध पीने से क्या होगा?In hindi.

 गर्मीयों में हल्दी वाला दूध पीने से क्या होगा?In hindi.

हल्दी दूध पीने के स्वास्थ्य लाभ | Benefits Of Drinking Turmeric Milk:



Dr_VirenderMadhan.

#Haldi wale dudh ke labh.in hindi.

सर्दी-जुकाम- 

सर्दियों के मौसम में सर्दी-जुकाम एक आम समस्या में से एक है.सर्दी-जुकाम , हल्दी वाला दूध पीने से सर्दी के रोग ठीक हो जाते है।

इम्यूनिटी- 

इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आप हल्दी वाले दूध का सेवन करते हैं.

सूजन- 

ठंड के मौसम में कई लोगों को शरीर में सूजन की समस्या रहती है तो भी हल्दी वाला दूध पीने से आराम हो जाता है।

इंफेक्शन- 

शरीर में इंफेक्शन हो जाने पर हल्दी वाला दूध उपयोगी होता है।

पाचन-

पाचनशक्ति को यह दूध बढाने वाला होता है।

#हल्दी का दूध बनाने का सही तरीका क्या है?

*एक गिलास दूध में कितनी हल्दी डालना चाहिए?

हल्‍दी का दूध बनाने के लिए 1 गिलास दूध में 2 चुटकी हल्‍दी मिलाकर अच्‍छे से उबाल लें। फिर इसे थोड़ा ठंडा होने दें।बाद मे पी लें।

See also :-

https://youtu.be/pg184QHiwPs

हल्दी के औषधीय गुण:-

हल्दी को आयुर्वेदिक पदार्थ माना जाता है। ऐसा मानने के पीछे इसमें मौजूद औषधीय गुण है। इसके औषधीय गुण कई बीमारियों से बचाएं रखने और उनसे राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा हल्दी को लेकर किए गए रिसर्च के मुताबिक, इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, केलोरेटिक, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीसेप्टिक, एंटी कैंसर, एंटीट्यूमर, हेपटोप्रोटेक्टिव (लिवर को सुरक्षित रखने वाला गुण), कार्डियोप्रोटेक्टिव (हृदय को सुरक्षित रखने वाला गुण) और नेफ्रोप्रोटेक्टिव (किडनी को नुकसान से बचाने वाला गुण) गुण होते हैं।

#क्या गर्मी में हल्दी वाला दूध पीना चाहिए?

अधिकतर लोगों को लगता है कि गर्मी में हल्दी वाला दूध पीने से शरीर में गर्मी का स्तर बढ़ सकता है.

 यह केवल एक मिथक है. इस बात में कोई सच्चाई नहीं है. गर्मियों में भी हल्दी वाला दूध पिया जा सकता है.

हल्दी वाला दूध कब नहीं पीना चाहिए?

अगर आपको एलर्जी है और वो भी किसी गर्म चीज या गर्म मसाले खाने से, तो ऐसे में आपको हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ये दूध आपकी एलर्जी को कम करने की जगह और भी बढ़ा सकता है। इसलिए इससे ऐसे लोगों को दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

हल्दी दूध के फायदे व नुकसान

#हल्दीवालेदूध के फायदे ?Benefits of Turmeric Milk in Hindi.

- अनिद्रा को ठीक करता है और नीद अच्छी आने लगती है।

- पाचन शक्ति को बेहतर बनाने के लिए हल्दी का दूध पीना लाभकारी हो सकता है। 

- जोड़ों का दर्द हल्दी का दूध जोड़ों से जुड़ी समस्या के लिए भी अच्छा माना गया है। 

-वजन घटाने के लिए हल्दी वाला दूध कारगर होता है।

- कैंसर के रोग में चिकित्सा करने में बहुत सहायक होती है।

- हड्डी के स्वास्थ्य को ठीक रखती है। हड्डियों को मजबूत बनाती है।

- डायबिटीज के रोगी के के लिये हल्दी वाला दूध बहुत उपयोगी है।

-सर्दी और खांसी को ठीक करता है।

यदि आपको सूखी खांसी हो, तो आप दूध पी सकते हैं, खांसने पर बलगम आए तो दूध नहीं पीना चाहिए. 

#हल्दी वाला दूध पीने के नुकसान

हल्दी वाला दूध का सेवन करने से पेट में गर्मी बढ सकती है, और दूसरी तरफ ये गर्भाशय का संकुचन, गर्भाशय में रक्त स्रव या फिर गर्भाशय में ऐंठन पैदा कर सकती है। इसलिए खासतौर पर गर्भाधारण करने के लिए तीन महीने के अंदर तो हल्दी वाले दूध का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना खतरनाक भी हो सकता है।

Note:-

अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य ले।यह लेख केवल जानकारी के लिए है।

डा०वीरेंद्र मढान 

Guru Ayurveda in faridabad.(hr.)

मंगलवार, 21 जून 2022

वर्षा ऋतु मे क्या करें, क्या न करें?In hindi.,

 वर्षा ऋतु मे क्या करें, क्या न करें?In hindi.,

वर्षा ऋतुचर्या कैसी होनी चाहिए?

Dr_Virender Madhan.2022.



<वर्षा ऋतु>

वर्षा ऋतु प्रारम्भ 21 जून से 22 अगस्त तक

दोष प्रकोप व संचय:-

वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है । 

वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठाराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से बहुत सी बीमारियां उत्पन्न हो जाती है।जैस


- बुखार, अजीर्ण,पेट के रोग, कब्जियत, अतिसार,प्रवाहिका, वायुदोष का प्रकोप, सर्दी, खाँसी, आमवात, संधिवात आदि रोग होने की संभावना रहती है ।


- इन रोगों से बचने के लिए तथा पेट की पाचक अग्नि को सुरक्षित रखने के लिए आयुर्वेद के अनुसार उपवास तथा लघु भोजन लाभकारी हैं ।

--   हमारे ऋषि-मुनियों ने इस ऋतु में अधिक-से-अधिक उपवास का उपदेश कर शास्त्रों के द्वारा शरीर के स्वास्थ्य का ध्यान रखा है ।

- वर्षा ऋतु में जल की स्वच्छता पर ज्यादा ध्यान दें । जल द्वारा उत्पन्न होनेवाले उदर-विकार, अतिसार, प्रवाहिका एवं हैजा जैसी बीमारियों से बचने के लिए पानी को उबालें ।

--जल को उबालकर ठंडा करके पीना सर्वश्रेष्ठ उपाय है । 

--पीने के लिए और स्नान के लिए गंदे पानी का प्रयोग बिल्कुल न करें क्योंकि गंदे पानी के सेवन से उदर व त्वचा-सम्बन्धी व्याधियाँ पैदा हो जाती हैं ।

विषेश-

--500 ग्राम हरड़ और 50 ग्राम सेंधा नमक का मिश्रण बनाकर प्रतिदिन 5-6 ग्राम लेना चाहिए 

#वर्षा ऋतु के क्या लाभ है?

वातावरण में शीतलता आती है।और वर्षा से गर्मी का प्रकोप कम होता है  

वर्षा होने से खेती हेतु पानी मिलता है और फसलें विकसित होती हैं।

वर्षा पीने के पानी का एक स्रोत भी है। बहुत सी जगह ऐसी हैं जहां वर्षा का पानी संचयन कर उसी को पूरे साल पीने के पानी के रूप में उपयोग में लाया जाता है।

* पथ्य आहार : -

#वर्षा ऋतु मे क्या खायें?

-- वर्षा ऋतु में वात की वृद्धि होने के कारण उसे शांत करने के लिए मधुर, अम्ल व लवण रसयुक्त, हलके व शीघ्र पचनेवाले तथा वात का शमन करनेवाले पदार्थों एवं व्यंजनों से युक्त आहार लेना चाहिए । 

जैसे:-

-- सब्जियों में मेथी, सहिजन, परवल, लौकी, बथुआ, पालक एवं सूरण,हितकर हैं । सेवफल, मूँग, गरम दूध, लहसुन, अदरक, सोंठ, अजवायन, साठी के चावल, पुराना अनाज, गेहूँ, चावल, जौ, खट्टे एवं खारे पदार्थ, दलिया, शहद, प्याज, गाय का घी, तिल एवं सरसों का तेल, 

-- अनार, द्राक्षा, महुए का अरिष्ट, का सेवन लाभदायी है ।

* अपथ्य आहार : --

#वर्षा ऋतु मे क्या न खायें?

वर्षा ऋतु में संचित होने वाला पित्त अगली ऋतु 'शरद ऋतु में ही कुपित होता है। अतः वर्षा काल के अन्तिम दिनों में इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पित्त कुपित करने वाला आहार-विहार न किया जाए। तले हुए, खट्टे, नमकीन, तेज़ मिर्च मसालेदार, मांसाहारी, मादक पदार्थों का सेवन इन दिनों में नहीं करना चाहिए।

-- गरिष्ठ भोजन, उड़द, अरहर आदि दालें, नदी, तालाब एवं कुएँ का बिना उबाला हुआ पानी न पीना चाहिये।

--पूरी, पकोड़े तथा अन्य तले हुए एवं गरम तासीरवाले खाद्य पदार्थों का सेवन बन्द कर दें । 

--  मैदे की चीजें,आइसक्रीम, मिठाई, ठंडे पेय,केला, मठ्ठा, अंकुरित अनाज, पत्तियोंवाली सब्जियाँ नहीं खाना चाहिए 

पथ्य-अपथ्य विहार : -

#क्या करें क्या न करें?

- मालिस(अंगमर्दन), उबटन, स्वच्छ हलके वस्त्र पहनना योग्य है ।

-अतिपरिश्रम,अति व्यायाम, स्त्रीसंग, दिन में सोना, रात्रि जागरण, बारिश में भीगना, नदी में तैरना, धूप में बैठना, खुले बदन घूमना त्याज्य है ।

--वर्षा ऋतु में वातावरण में नमी रहने के कारण शरीर की त्वचा ठीक से नहीं सूखती है। अतः त्वचा स्वच्छ, सूखी व स्निग्ध बनी रहे इसका उपाय करें ताकि त्वचा के रोग पैदा न हों ।

-  इस ऋतु में घरों के आस-पास गंदा पानी इकट्ठा न होने दें, जिससे मच्छरों से बचाव हो सके ।

- इस ऋतु में त्वचा के रोग, मलेरिया, टायफाइड व पेट के रोग अधिक होते हैं । अतः खाने-पीने की सभी वस्तुओं को मक्खियाँ एवं कीटाणुओं से बचायें व उन्हें साफ करके ही प्रयोग में लें । 

- मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए।

धन्यवाद!


सोमवार, 20 जून 2022

#पिंपल्स में काम करने वाले 15 गुपचुप तरीके,आयुर्वेदिक उपाय.in hindi.

 #पिंपल्स में काम करने वाले 15 गुपचुप तरीके,आयुर्वेदिक उपाय.in hindi.

#कील मुंहासों के कारण,लक्षण, और उपाय जाने हिंदी में।



How To Become Master Of Pimples In 6 Steps?

#कील मुंहासों के कारण,लक्षण, और उपाय जाने हिंदी में।

> कील मुंहासों के नाम.

- कील-मुहांसे,युवानपिंडिका, पिम्पलस, आदि नाम से जाना जाता है।

#कील मुहांसे क्यों होते है?

- मुहांसे|पिंपल्स होने की एक और वजह प्रदूषण और धूल मिट्टी है जिसकी वजह से चेहरे पर गंदगी जम जाती है और इससे कील-मुंहासे हो जाते हैं। 

- मुँहासे तब होते हैं जब त्वचा के छोटे-छोटे छिद्र, जिन्हें रोम या हेयर फॉलिकल्स कहा जाता है, बन्द हो जाते हैं। वसामय ग्रंथि (Sebaceous glands) आपकी त्वचा की सतह के पास पाई जाने वाली छोटी ग्रंथियाँ हैं। ये ग्रंथियाँ बालों के हेयर फॉलिकल्स से जुड़ी होती हैं जो कि त्वचा के वो छोटे छिद्र हैं जिनमें से बाल उगते हैं।

-  चेहरे पर पिंपल निकलने की समस्या अधिकतर टीनएज मे देखी जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस उम्र में हमारे शरीर में हॉर्मोनल तेजी से बदलाव हो रहे होते हैं। इस कारण हॉर्मोन्स लेवल डिस्टर्ब होने से हमारी स्किन पर पिंपल्स उगने लगते हैं। 

#जीवनशैली के खराब होने से:-

-गलत खानपान

 आजकल फास्ट फूड ( Fast Food ) और जंक फूड ( Junk Food ) का खाने का ट्रेंड काफी बढ़ गया है। इससे शरीर को काफी नुकसान होते हैं। फास्ट फूड या जंक फूड खाने से पाचनतंत्र( Digestive System ) पर असर तो पड़ता  है, फास्ट फूड के मसालों में काफी ज्यादा गर्मी होती है कई प्रकार के केमिकल (Chemical ) होते हैं। इसके साइड इफेक्ट के रूप में कील मुंहासे चेहरे पर नजर आने लगते हैं, जो कई बार चेहरे पर दाग छोड़ जाते हैं।

-पानी की कमी से

 पानी की कमी होने से भी चेहरे पर कील मुहासे बढ़ जाते हैं और ये लंबे समय तक चेहरे को नुकसान पहुंचाते रहते हैं। जब आप सही मात्रा में पानी नहीं पीते तो आपकी त्वचा का पीएच लेवल कम होने लगता है। जिसके कारण आपकी त्वचा में कील मुंहासे ज्यादा निकलने लगते हैं। 

-प्रदूषण का प्रभाव

 चेहरे की स्किन ज्यादा संवेदनशील होती है। ऐसे में कील मुंहासे होने का बड़ा कारण हमारे आसपास फैला ( Pollution )प्रदूषण भी होता है, जब आप घर से बाहर निकलते हैं धूल मिट्टी और धुआ आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। 

मीठे पर्दाथों के कारण :-

 खाने में मीठी चीजें ज्यादा खाने से भी चेहरे पर कील मुहांसों की समस्या बढ़ जाती है। किसी भी चीज़ में मीठा स्वाद बनाने के लिए आप शहद या मिश्री का इस्तेमाल कर सकते हैं।

-पेट की खराबी के कारण:-

हमें होने वाली 80 फीसदी बीमारियां उसकी पेट की खराबी के कारण होती हैं।अगर आपका पाचन ठीक नहीं हैं तो भी आपके चेहरे पर कील मुहांसे हो सकते हैं। 

- केमिकल युक्त कॉस्मेटिक्स:-

 केमिकल युक्त कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ समय बाद ये आपके चेहरे को खराब हो सकता है, जिसके कारण चेहरे पर दाग धब्बे और कील मुहांसे होने लगते हैं। 

-  एक बड़ा कारण “धूप"है

  धूप में ज्यादा रहने से सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण भी कील मुंहासे ज्यादा होने लगते हैं, साथ ही सन बर्न भी हो जाता है। 

#कील मुहांसों के उपाय:-

* चेहरे को अच्छी तरह से धोकर पिंपल्स पर शहद लगाकर मसाज करें. इसके अलावा ग्रीन टी पीने से कील-मुंहासों से आराम मिलता

है. 

* खाने में नींबू का इस्तेमाल करें. पानी में नींबू निचोड़कर पी यें 

* मुंहासों के दाग-धब्बे हटाने के  लिए 1 चम्मच बेसन, गुलाब जल व आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को दाग-धब्बों पर लगाएं और सूखने के बाद पानी से धो लें. 

* मुल्तानी मिट्टी से उपचार

8-10 ग्राम मुल्तानी मिट्टी एक कटोरे में ले लें और उसमें दो चम्मच कच्चा दूध मिलाएं, एक चम्मच गुलाब जल डालें और उसका अच्छी तरह से पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगायें और 20 से 25 मिनट रहने दें और फिर ठंडे पानी से अपना चेहरा धो लें। 

* बेसन से उपचार

  बेसन 10 ग्राम में आधा नींबू निचोड़ कर उसमें एक चम्मच शहद डालें। इसके बाद इसमें दो से तीन चम्मच कच्चा दूध मिलाएं और इसका पेस्ट बना लें। चहेरे पर 20 से 25 मिनट रहने दें और फिर चेहरे को धो लें .

* एलोवेरा से उपचार

एलोवेरा जेल चेहरे पर रगडें  

* केले से उपचार

 केले का छिलका और उसके अंदरूनी भाग से अपने चेहरे पर रगड़ना है और जहां जहां आपके कील मुंहासे हैं वहां पर अच्छी तरह से इसे रगड़ लें, यह अच्छा कारगर उपाय है। 

#आयुर्वेदिक उपचार-

* मसूर की दाल 2 चम्मच लेकर बारीक पीस लें। इसमें थोड़ा सा दूध और घी मिलाकर फेंट लें और पतला-पतला लेप बना लें। इस लेप को मुंहासों पर लगाएं।

* गाय के ताजे दूध में एक चम्मच चिरौंजी पीसकर इसका लेप चेहरे पर लगाकर मसलें। सूख जाने पर पानी से धो डालें।

* सोहागा 3 ग्राम, चमेली का शुद्ध तेल 1 चम्मच। दोनों को मिलाकर रात को सोते समय चेहरे पर लगाकर मसलें। सुबह बेसन को पानी से गीला कर गाढ़ा-गाढ़ा चेहरे पर लगाकर मसलें और पानी से चेहरा धो डालें।

* लोध्र, वचा और धनिया, तीनों 50-50 ग्राम खूब बारीक पीसकर रख लें। एक चम्मच चूर्ण थोड़े से दूध में मिलाकर लेप बना लें और कील-मुंहासों पर लगाएं। आधा घण्टे बाद पानी से धो डालें।

* शुद्ध टंकण और शक्ति पिष्टी 10-10 ग्राम मिलाकर एक शीशी में भर लें। थोड़ा सा यह पावडर और शहद अच्छी तरह मिलाकर कील-मुंहासों पर लगाएं।

* सफेद सरसों, लोध्र, वचा और सेन्धानमक 25-25 ग्राम बारीक चूर्ण करके मिला लें ो एक चम्मच चूर्ण पानी में मिलाकर लेप बना लें और कील-मुंहासों पर लगाएं।

* साफ पत्थर पर पानी डालकर जायफल घिसकर लेप को कील-मुंहासों पर लगाएं।

* कूठ, प्रियंगु फूल, मजीठ, मसूर, वट वृक्ष की कोंपलें  लोध्र, लाल चन्दन, सब 10-10 ग्राम बारीक चूर्ण करके मिला लें। एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इसे कील-मुंहासों पर लगाएं।

धन्यवाद!




रविवार, 19 जून 2022

हृदय शूल|Angina क्या है कैसे बचें?In hindi

 हृदय शूल|Angina क्या है कैसे बचें?In hindi.



छाती हृदय शूल|Angina क्या है 

छाती के मध्य से पीड़ा स्कंध तथा बाई बाँह में फैल जाती है। आक्रमण थोड़े ही समय रहता है। ये आक्रमण परिश्रम, भय, क्रोध तथा अन्य ऐसी ही मानसिक अवस्थाओं के कारण होते हैं जिनमें हृदय को तो अधिक कार्य करना पड़ता है, किंतु हृत्पेशी में रक्त का संचार कम होता है। आक्रमण का वेग विश्राम तथा नाइट्रोग्लिसरिन नामक औषधि से कम हो जाता है।

कारण

यह धमनियों में कठोर होने से,आक्सीजन की कमी से, मानसिक आवेगों से, अन्य हृद। य रोग के कारण,गुर्दो के रोग के कारण से,मोटापा से, हृदयशूल उत्पन्न हो जाता है.

कुछ लोग मे यह वंशानुगत हो जाता है।

हृदयशूल अधिकतर कोरोनरी धमनी मे मेदार्बुद  होने से,

महाधमनी वाल संकीर्णता,

फुफ्फसीय धमनियों म संकीर्णता से,

गम्भीर रक्ताल्पता के कारण यह रोग उत्पन्न हो जाता है।

#आयुर्वेद में हृदयशूल कैसे होता है?

प्रतिदिन आहार-विहार से कुपित कफ और पित से वात अवरुद्ध होकर व त रस मे मिश्रित होकर हृदय मे अवस्थित हो हृदयशूल हो जाता है।इसे हृच्छूल कहते है. इसका कारण व्यान वायु के साथ पित का अनुबन्ध होता है।

#हार्टअटैक के लक्षण

- बहुत पसीना आना

- बेचैनी

- उलझन

- चक्कर आना

- सांस लेने में परेशानी

-मितली आना

-दिल के बीच में कसाव होना

* एनजाइना निचोड़ने, दबाव, भारीपन, जकड़न या सीने में दर्द जैसा महसूस होता है।  यह समय के साथ अचानक या पुनरावृत्ति हो सकता है।

* लोग अनुभव करते हैं:

 दर्द क्षेत्र: छाती, जबड़े या गर्दन में, छाती में बंद मुट्ठी या अचानक छाती में दर्द की तरह हो सकता है

- चक्कर आना, थकान, व्यायाम करने में असमर्थता, सिर चकराना या पसीना आना

- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रोब्लम,अपच, या मतली

- तेजी से सांस लेना या सांस लेने में तकलीफ

 यह भी आम है: चिंता, सीने में दबाव, या तेज़ हृदय गति बढ जाती है।

#हृदयशूल|Angina मे कौन दवा दी जाती है?

वृहत वातचिंतामणी रस,1-1 गोली सवेरे शाम,

हृदयावरण रस,1-1गोली सवेरे शाम,

नागार्जुनाभ्रक रस 1-1 गोली सवेरे शाम,

प्रभाकर बटी 1-1 गोली सवेरे शाम अर्जुन की छाल के काढे के साथ दे.

हिंग्वादि चूर्ण 3 से 6 ग्राम सवेरे शाम ले.

अर्जुनारिष्ट 3 चम्मच बराबर पानी मिला कर भोजन के बाद दिन में 2 बार लें

#कुछ घरेलू उपाय।

-अर्जुन की छाल का काढा बनाकर पीने को दें।

- सौठ का काढा पीना भी लाभकारी होता है।

-खस और पीपलामूल बराबर मात्रा में लेकर घी मे मिला कर चाटने से आराम मिल जाता है।

-बेहडे की छाल का चूर्ण गुड मे मिलाकर दूध से नित्य लेने से हृदयशूल जड से ठीक हो जाता है।

-दूध मे लहसुन पकाकर पीने से लाभ मिलता है।

-आवंले का चूर्ण रोज खाना चाहिए।

-धृत मे हिंग को भूनकर लेने से लाभ मिलता है।

#हृदय रोगो में क्या खाये क्या नहीं और क्या करे क्या नहीं?

अधिकतर हृदय रोगों के बढ़ने का मूल कारण गलत खानपान और गलत रहन सहन यानी लाइफ स्टाइल है | 

 हृदय रोगो में क्या खाये क्या नहीं और क्या करे क्या नहीं :-

#हृदय रोगो में हितकारी यानि क्या खाये 

बेदाना अनार, आवला, आवला का मुरब्बा, सेब या सेब का मुरब्बा, अंगूर, नींबू का रस, थोड़ा उष्ण गाय का दूध, जौ का पानी (बरलीवाटर), कच्चे नारियल का पानी, गाजर, पालक, लहसुन, कच्चा प्याज, छोटी हरड़, सौंफ, मेथीदाना, किशमिश, मुनक्का, गेहूं का दलिया, चोकर, मोटा आटा, चना और जौ मिश्रित आटे की मीठी रोटी, थोड़ी मात्रा में भिगोए चने, किशमिश का नियमित सेवन, बिना पालिश के चावल, हरी सब्जियां, ताजे फल, कम चिकनाई वाले दूध से बने पदार्थ आदि |

* दोनों समय भोजन के बाद ब्रजासन और थकान महसूस करने पर शवासन करें | शाकाहार, योगाभ्यास एवं अर्जुन की छाल व आंवला, हरड़ जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के सेवन से हृदय रोग पास नहीं फटकते |

#हृदय रोगो में अहितकारी यानि क्या न खाये 

मांसाहार, मदिरापान यानि शराब पीना या नशा करना, धूम्रपान, तंबाकू, कॉफी, नशीले पदार्थों का सेवन त्याग दें | ज्यादा नमक, तेज मसालेदार चटपटी और गरिष्ठ पदार्थ, आधुनिक फास्ट फूड और जंक फूड, चॉकलेट, केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम आदि | वसायुक्त चर्बी वाले पदार्थ जैसे मक्खन, घी, नारियल का तेल, प्रोसेस खाद्य पदार्थ आदि | प्रिजर्वेटिव्स दूध से बने पदार्थ, खोए की मिठाई, रबड़ी, मलाई आदि के सेवन से बचें |

> कुछ ध्यान देने योग्य बातें 

नियमित व्यायाम के साथ-साथ तनावरहित गहरी नींद और विश्राम तथा संयमित जीवन आवश्यक है और यही स्वास्थ्य की कुंजी है | अत्यधिक तनाव ग्रस्त रहना या भागादौड़ी (थोड़े समय में अधिक शीघ्रता से तरक्की करने की धुन) और अत्यधिक आराम पसंदगी हानिकारक हो जाती है।

[कोई भी उपाय करने से पहले आप अपने चिकित्सक से सलाह जरुर करें।]

धन्यवाद!