हृदय शूल|Angina क्या है कैसे बचें?In hindi.
छाती हृदय शूल|Angina क्या है
छाती के मध्य से पीड़ा स्कंध तथा बाई बाँह में फैल जाती है। आक्रमण थोड़े ही समय रहता है। ये आक्रमण परिश्रम, भय, क्रोध तथा अन्य ऐसी ही मानसिक अवस्थाओं के कारण होते हैं जिनमें हृदय को तो अधिक कार्य करना पड़ता है, किंतु हृत्पेशी में रक्त का संचार कम होता है। आक्रमण का वेग विश्राम तथा नाइट्रोग्लिसरिन नामक औषधि से कम हो जाता है।
कारण
यह धमनियों में कठोर होने से,आक्सीजन की कमी से, मानसिक आवेगों से, अन्य हृद। य रोग के कारण,गुर्दो के रोग के कारण से,मोटापा से, हृदयशूल उत्पन्न हो जाता है.
कुछ लोग मे यह वंशानुगत हो जाता है।
हृदयशूल अधिकतर कोरोनरी धमनी मे मेदार्बुद होने से,
महाधमनी वाल संकीर्णता,
फुफ्फसीय धमनियों म संकीर्णता से,
गम्भीर रक्ताल्पता के कारण यह रोग उत्पन्न हो जाता है।
#आयुर्वेद में हृदयशूल कैसे होता है?
प्रतिदिन आहार-विहार से कुपित कफ और पित से वात अवरुद्ध होकर व त रस मे मिश्रित होकर हृदय मे अवस्थित हो हृदयशूल हो जाता है।इसे हृच्छूल कहते है. इसका कारण व्यान वायु के साथ पित का अनुबन्ध होता है।
#हार्टअटैक के लक्षण
- बहुत पसीना आना
- बेचैनी
- उलझन
- चक्कर आना
- सांस लेने में परेशानी
-मितली आना
-दिल के बीच में कसाव होना
* एनजाइना निचोड़ने, दबाव, भारीपन, जकड़न या सीने में दर्द जैसा महसूस होता है। यह समय के साथ अचानक या पुनरावृत्ति हो सकता है।
* लोग अनुभव करते हैं:
दर्द क्षेत्र: छाती, जबड़े या गर्दन में, छाती में बंद मुट्ठी या अचानक छाती में दर्द की तरह हो सकता है
- चक्कर आना, थकान, व्यायाम करने में असमर्थता, सिर चकराना या पसीना आना
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रोब्लम,अपच, या मतली
- तेजी से सांस लेना या सांस लेने में तकलीफ
यह भी आम है: चिंता, सीने में दबाव, या तेज़ हृदय गति बढ जाती है।
#हृदयशूल|Angina मे कौन दवा दी जाती है?
वृहत वातचिंतामणी रस,1-1 गोली सवेरे शाम,
हृदयावरण रस,1-1गोली सवेरे शाम,
नागार्जुनाभ्रक रस 1-1 गोली सवेरे शाम,
प्रभाकर बटी 1-1 गोली सवेरे शाम अर्जुन की छाल के काढे के साथ दे.
हिंग्वादि चूर्ण 3 से 6 ग्राम सवेरे शाम ले.
अर्जुनारिष्ट 3 चम्मच बराबर पानी मिला कर भोजन के बाद दिन में 2 बार लें
#कुछ घरेलू उपाय।
-अर्जुन की छाल का काढा बनाकर पीने को दें।
- सौठ का काढा पीना भी लाभकारी होता है।
-खस और पीपलामूल बराबर मात्रा में लेकर घी मे मिला कर चाटने से आराम मिल जाता है।
-बेहडे की छाल का चूर्ण गुड मे मिलाकर दूध से नित्य लेने से हृदयशूल जड से ठीक हो जाता है।
-दूध मे लहसुन पकाकर पीने से लाभ मिलता है।
-आवंले का चूर्ण रोज खाना चाहिए।
-धृत मे हिंग को भूनकर लेने से लाभ मिलता है।
#हृदय रोगो में क्या खाये क्या नहीं और क्या करे क्या नहीं?
अधिकतर हृदय रोगों के बढ़ने का मूल कारण गलत खानपान और गलत रहन सहन यानी लाइफ स्टाइल है |
हृदय रोगो में क्या खाये क्या नहीं और क्या करे क्या नहीं :-
#हृदय रोगो में हितकारी यानि क्या खाये
बेदाना अनार, आवला, आवला का मुरब्बा, सेब या सेब का मुरब्बा, अंगूर, नींबू का रस, थोड़ा उष्ण गाय का दूध, जौ का पानी (बरलीवाटर), कच्चे नारियल का पानी, गाजर, पालक, लहसुन, कच्चा प्याज, छोटी हरड़, सौंफ, मेथीदाना, किशमिश, मुनक्का, गेहूं का दलिया, चोकर, मोटा आटा, चना और जौ मिश्रित आटे की मीठी रोटी, थोड़ी मात्रा में भिगोए चने, किशमिश का नियमित सेवन, बिना पालिश के चावल, हरी सब्जियां, ताजे फल, कम चिकनाई वाले दूध से बने पदार्थ आदि |
* दोनों समय भोजन के बाद ब्रजासन और थकान महसूस करने पर शवासन करें | शाकाहार, योगाभ्यास एवं अर्जुन की छाल व आंवला, हरड़ जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के सेवन से हृदय रोग पास नहीं फटकते |
#हृदय रोगो में अहितकारी यानि क्या न खाये
मांसाहार, मदिरापान यानि शराब पीना या नशा करना, धूम्रपान, तंबाकू, कॉफी, नशीले पदार्थों का सेवन त्याग दें | ज्यादा नमक, तेज मसालेदार चटपटी और गरिष्ठ पदार्थ, आधुनिक फास्ट फूड और जंक फूड, चॉकलेट, केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम आदि | वसायुक्त चर्बी वाले पदार्थ जैसे मक्खन, घी, नारियल का तेल, प्रोसेस खाद्य पदार्थ आदि | प्रिजर्वेटिव्स दूध से बने पदार्थ, खोए की मिठाई, रबड़ी, मलाई आदि के सेवन से बचें |
> कुछ ध्यान देने योग्य बातें
नियमित व्यायाम के साथ-साथ तनावरहित गहरी नींद और विश्राम तथा संयमित जीवन आवश्यक है और यही स्वास्थ्य की कुंजी है | अत्यधिक तनाव ग्रस्त रहना या भागादौड़ी (थोड़े समय में अधिक शीघ्रता से तरक्की करने की धुन) और अत्यधिक आराम पसंदगी हानिकारक हो जाती है।
[कोई भी उपाय करने से पहले आप अपने चिकित्सक से सलाह जरुर करें।]
धन्यवाद!
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