Guru Ayurveda

सोमवार, 4 सितंबर 2023

पपीते के फायदे और नुकसान

पपीते के फायदे और नुकसान



पपीता: विटामिन सी का फल

“पपीता”(Papaya)

Dr.virender Madhan

     पपीता एक स्वादिष्ट फल होता है जो विभिन्न खाद्य पदार्थों के रूप में खाया जा सकता है, यह फल सबसे अधिक विटामिन सी का स्रोत माना जाता है और यह सेहत के लिए फायदेमंद होता है। पपीता अकेले में खाया जा सकता है या अन्य खाद्य पदार्थों के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है।

#पपीते के 7 गुण

पपीते के कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित 7 गुण शामिल हो सकते हैं:

*विटामिन सी का स्रोत:–

  पपीता विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और रोगों से बचाव में मदद करता है।

*फाइबर:–

  पपीता में फाइबर होता है, जो पाचन को सुधारने में मदद करता है और कब्ज को कम कर सकता है।
*आंशिक रूप से कैल्शियम:–     पपीते में थोड़ी सी कैल्शियम भी होता है, जो हड्डियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

*आंशिक रूप से फोलेट:–

  गर्भवती महिलाओं के लिए पपीते में फोलेट की मात्रा मौजूद होती है, जो गर्भ के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
*विटामिन ए का स्रोत:–
  पपीता विटामिन ए का भी अच्छा स्रोत होता है, जो आंखों के स्वास्थ्य को सुधार सकता है।

*आंशिक रूप से पोटैशियम:–

  पपीते में पोटैशियम होता है, जो हृदय के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

*आंशिक रूप से विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स:–

  पपीते में थोड़ी सी विटामिन बी की मात्रा भी होती है, जो शरीर के लिए जरूरी हो सकता है।

यह गुण पपीते को सेहत के लिए फायदेमंद बनाते हैं, लेकिन इसे मानव आहार का केवल एक हिस्सा मानना चाहिए और उसे विविध और संतुलित आहार का हिस्सा बनाना चाहिए।

#पपीते के खाने का तरीका:–

   पपीते को खाने का तरीका विभिन्न हो सकता है, यहां कुछ आम तरीके हैं:

*अकेले खाना:–

  पपीता को छीलकर कट कर अकेले में खाने का सबसे सरल तरीका है। इससे आप उसका स्वाद और विटामिन सी की गुणवत्ता का आनंद उठा सकते हैं।

*सालद:–

 पपीता को सालद के साथ मिलाकर खाने से एक स्वादिष्ट सलाद बनाया जा सकता है। इसमें नमक, मिर्च, और नींबू का रस ड्रेसिंग के रूप में डाला जा सकता है।

*फ्रूट सैलड:–

  पपीता को अन्य फलों के साथ मिलाकर एक फ्रूट सैलड बनाया जा सकता है। इसमें आप अन्य फल जैसे कि केला, सेब, और अंगूर भी शामिल कर सकते हैं।

*पपीता चटनी:–

 पपीते से चटनी बनाने के लिए, पपीता को कटकर मिक्सी में पीस लें और इसमें हरी मिर्च, धनिया पत्ती, नमक, और नींबू का रस मिलाकर चटनी बना सकते हैं।

*पपीता जूस:–

 पपीते को ब्लेंडर में पीसकर जूस निकाल सकते हैं। इसमें ठंडे पानी और शुगर या शहद का आधा चम्मच डालकर पी सकते हैं।

पपीता अलग-अलग तरीकों से तैयार किया जा सकता है और आप अपने स्वाद के अनुसार इसका आनंद उठा सकते हैं। साथ ही, याद रखें कि पपीता स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन अधिकतरतर खाने से भी ध्यान रखें क्योंकि यह आपके पाचन को प्रभावित कर सकता है।

#पपीता किस रोग मे लाभदायक है?

पपीता कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभदायक हो सकता है, निम्नलिखित कुछ मुख्य रोग और स्थितियों में पपीते के सेवन के फायदे हो सकते हैं:

*पाचन समस्याएं:–

  पपीता में फाइबर होता है जो पाचन को सुधारने में मदद करता है और कब्ज को कम कर सकता है।

*इम्यून सिस्टम को मजबूत करना:–

 पपीता विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करके वायरस और संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है।

*हृदय स्वास्थ्य:–

 पपीता में पोटैशियम होता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

*गर्भवती महिलाएं:–

  पपीता में फोलेट की मात्रा होती है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है और गर्भ के सही विकास के लिए आवश्यक है।

*आंखों का स्वास्थ्य:–

  पपीता विटामिन ए का भी अच्छा स्रोत होता है, जो आंखों के स्वास्थ्य को सुधार सकता है।

*डायबिटीज के प्रबंधन:–

  कुछ अध्ययनों में देखा गया है कि पपीते का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

यदि आप किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए और वह आपके लिए पपीते के सेवन की सलाह देंगे, जिससे आपके लिए सही हो सकता है।

#पपीता किसको हानिकारक है?

    पपीता आमतौर पर स्वस्थ लोगों के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ विशेष स्थितियों और रोगों के लिए हानिकारक हो सकता है. निम्नलिखित कुछ स्थितियां और व्यक्तिगत परिप्रेक्ष्य में पपीते का सेवन करना अधिक हानिकारक हो सकता है जैसे:-

*पपीता एलर्जी:-

   कुछ लोग पपीते के प्रति एलर्जी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप पपीते का सेवन उनके लिए हानिकारक हो सकता है।

*उच्च रक्तचाप:–

  अगर आपका रक्तचाप उच्च है, तो पपीते के अधिक सेवन से रक्तचाप और बढ़ सकता है, क्योंकि यह में सोडियम की मात्रा होती है।

*किडनी समस्याएँ:–

   कुछ लोगों को किडनी समस्याओं की समस्या होती है, और वे पपीते की अधिक मात्रा में पोटैशियम से बचने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि पपीता में पोटैशियम होता है।

*कब्ज़ (Constipation):–

   पपीता में फाइबर होता है, जो कब्ज को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन बहुत अधिक पपीते का सेवन करने से कब्ज़ बढ़ सकती है।

*गैस और अपच:–

   कुछ लोग पपीते का सेवन करने के बाद गैस और अपच की समस्या का सामना कर सकते हैं, खासतर अगर वे अधिक पपीते खाते हैं।

ध्यान दें कि पपीते का सेवन सामान्य रूप से स्वस्थ लोगों के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन यदि आपके पास किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या हो तो आपको अपने चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए, खासतर जब आप इसे अधिक मात्रा में खाने का विचार कर रहे हैं।

#पपीता खाने का सही समय क्या होता है?

  सुबह खाली पेट पपीता खाना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को साफ करता है और मल त्याग को आसान बनाता है. इसके सेवन से पेट अच्छे से साफ होता है. इसके अलावा, सुबह सबसे पहले पपीते का सेवन करने से हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद भी मिलती है.

सोमवार, 28 अगस्त 2023

Neem ki upyogita in hindi,नीम के फायदे

 Neem ki upyogita

By–Dr.VirenderMadhan.

नीम की स्वास्थ्य सम्बंधित उपयोगिता

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नीम का वैज्ञानिक नाम "Azadirachta indica" है।

इसके बहुत उपयोगी गुण होते है.

नीम के पत्ते, बीज और पेड़ की छाल उपयोग में आते हैं। इनका उपयोग आमतौर पर औषधियों, कृषि उत्पादों और औद्योगिक उत्पादों में होता है। नीम के तेल को त्वचा और बालों की देखभाल में भी प्रयुक्त किया जाता है।

#नीम के पांच मुख्य गुण हैं

एंटीबैक्टीरियल:-

 नीम में मौजूद एक्टिव सामग्री बैक्टीरिया और माइक्रोब्स के खिलाफ लड़ाई करने में मदद कर सकती है।

एंटीफंगल:-

 यह फंगल संक्रमण के खिलाफ रक्षा करने में मदद कर सकता है।

एंटीवायरल:-

 नीम के गुण वायरसों के खिलाफ भी काम कर सकते हैं और इससे वायरल संक्रमण से बचाव हो सकता है।

एंटीइंफ्लैमेटरी:-

 नीम के उपयोग से शरीर में दर्द और सूजन कम हो सकती है।

एंटिऑक्सिडेंट:-

 नीम में पाए जाने वाले एंटिऑक्सिडेंट्स शरीर को किसी भी प्रकार के कई बुरे प्रभावों से बचाने में मदद कर सकते हैं।

#नीम पाउडर के 7 फायदे 

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नीम पाउडर कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है, जैसे कि:


त्वचा के लिए लाभकारी:-

 नीम पाउडर त्वचा को साफ़, ताजगी और दमकती बनाने में मदद कर सकता है।

शिलजीत के साथ सेवन:–

 नीम पाउडर को शैलजीत के साथ मलाकर सेवन करने से शरीर को ऊर्जा मिल सकती है।

शांति प्रदान करने में मदद:–

 नीम का सेवन शांति प्राप्ति में मदद कर सकता है क्योंकि इसमें आंशिक रूप से सेडेटिव प्रॉपर्टीज होती हैं।

आंखों के लिए फायदेमंद:–

 नीम में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

जीवाणुरोधक गुण:–

 नीम के गुणसूत्र जीवाणुओं के खिलाफ लड़ाई में मदद कर सकते हैं।

कब्ज़ की समस्या में सहायक:–

 नीम पाउडर पाचन को सुधारकर कब्ज़ की समस्या से निजात दिलाने में मदद कर सकता है।

शरीर के विषाणुओं के खिलाफ:–

 नीम के गुणसूत्र विषाणुओं के खिलाफ लड़ाई में सहायक हो सकते हैं और शरीर को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।

ध्यान दें कि यह सिर्फ कुछ सामान्य फायदे हैं और यदि आपकी विशेष परिस्थितियों में इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना उचित होता है।

#नीम के प्रयोग करने की विधि

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नीम के उपयोग की विधियाँ कई हो सकती हैं, जैसे कि:

नीम के पत्तों का प्रयोग:–

 नीम के पत्ते को पीसकर पेस्ट बना सकते हैं और इसे त्वचा पर लगा सकते हैं, जो त्वचा संबंधित समस्याओं में मदद कर सकता है।



नीम के तेल का प्रयोग:–

 नीम के तेल को बालों और त्वचा पर लगा सकते हैं, जिससे बालों की सेहत और त्वचा की देखभाल हो सकती है।


नीम के बीजों का प्रयोग:–

 नीम के बीजों को चबाकर मुँह की समस्याओं में भी उपयोग किया जा सकता है।


नीम का छाल का प्रयोग:–

 नीम की छाल का पाउडर बना सकते हैं और इसका उपयोग कीटाणुनाशक और कीटप्रबंधन में कर सकते हैं।


नीम के प्रयोग के खाद्य समान प्रकार:–

 नीम की पत्तियों को सब्जियों में मिला कर खाया जा सकता है, जिससे आपके स्वास्थ्य को लाभ हो सकता है।


ध्यान दें कि यह सिर्फ सामान्य उपयोग विधियाँ हैं और यदि आपकी विशेष स्थितियों हैं तो आपको चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

धन्यवाद!

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

Anxiety चिंता क्यू होती है?

 चिंता क्यू होती है?

#Anxiety 

 चिंता अक्सर सामान्य जीवन के प्रति चिंता, या फिर तनाव से जुड़ी होती है।  ये आपका दिमाग और शरीर के तनाव का एक प्रकार होता है।  कभी-कभी ये स्वभाविक होती है, लेकिन जब ये अतिअधिक हो जाती है, तो इसे चिंता विकार कहा जाता है।  इसके पीछे आनुवांशिक, जीवन के घाटाएं, सामाजिक प्रभाव, और रासायनिक परिवर्तन भी हो सकते हैं।  इसका कारण एक ही चीज नहीं होती, बाल्की काई फैक्टर्स मिल कर इसका प्रभाव डालते हैं।


 अक्सर, चिंता और तनाव के कारण, हमारे शरीर में एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का उत्पादन बढ़ जाता है।  ये हार्मोन हमारे "लड़ो या भागो" प्रतिक्रिया को ट्रिगर करते हैं, जिसे हम तैयार हो जाते हैं किसी संकट से निपटने के लिए।  लेकिन जब ये उत्पादन अनिवार्य रूप से अधिक हो जाता है, तो ये हमारे जीवन में व्याकुलता, चिंता, और शारीरिक लक्षणों को उत्पन्न कर सकता है, जिसे हम चिंता महसूस करते हैं।



 इसके अलावा, जेनेटिक्स भी एक बड़ा रोल खेलते हैं।  अगर आपके परिवार में किसी को चिंता विकार या दूसरा मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, तो आपको भी उसका खतरा बढ़ सकता है।  समय-समय पर होने वाली घटनाएं, बड़े बदलाव जैसे जीवन के परिवर्तन, या किसी भी प्रकार का आघात भी चिंता का कारण बन सकता है।


 ये जरूरी है कि अगर आपको लगता है कि आपकी चिंता बहुत अधिक हो रही है और आपके जीवन पर प्रभाव पड़ रहा है, तो आप किसी चिकित्सक से संपर्क करें।  उनका सहयोग लेने से आपको समस्या का समाधान मिलेगा और उसका समाधान ढूंढने में मदद मिलेगी।


 Aapke Samasya ko samajhne ke liye chikitsak आपके जीवन के परिप्रेक्षा को भी महत्व देते हैं, जैसे आपके दैनिक जीवन, पारिवारिक और सामाजिक परिस्थितियाँ।  वे आपको समस्या को डील करने और उसका प्रभाव कम करने के लिए तरीके बता सकते हैं।  कभी-कभी विचार धारा और व्यवहार पर सुधार लेन के लिए मानसिक चिकित्सा, चिकित्सक की सलाह के साथ, मददगार हो सकती है।


 आप मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए नियम व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान और स्वास्थ्य आहार का ध्यान रखें।  साथ ही, तनाव को कम करने के लिए समय-समय पर आराम करें जैसे कि गहरी सांस लेना, ध्यान करना और योग भी उपयोगी हो सकते हैं।


 याद रहे कि हर व्यक्ति अलग हो सकता है, इसलिए डॉक्टरों को सलाह का पालन करते हुए आपको अपने लिए सबसे अनुकूल समय चुनना चाहिए।  जानकरी और सहायता के लिए हमेशा चिकित्सकों से संपर्क करें।

 चिंता की आयुर्वेदिक दवा


 आयुर्वेद में, चिंता को "चित्तवता" या "मनोवाता" के रूप में जाना जाता है।  इसके लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाएं और उपाय हो सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि किसी भी दवा या उपाय को करने से पहले एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।


 चिंता को कम करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय मदद कर सकते हैं:

अश्वगंधा:–

 इसे "एडाप्टोजेन" के रूप में जाना जाता है, जो तनाव और तनाव को कम करने में मदद करता है।

 ब्राह्मी:–

 ये दिमाग की शक्ति को बढ़ाने और चिंता कम करने में सहायक हो सकता है।

 जटामांसी:–

 ये ठंडापन और शांति प्रदान करता है, जो चिंता और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।

 अरोमाथेरेपी:–

 सुविचार उत्तेजना और मन को शांत करने के लिए सुगंध तेल का प्रयोग किया जा सकता है, जैसे लैवेंडर तेल।

 लेकिन फिर भी, मैं आपको सलाह देना चाहूंगा कि पहले एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिलें, जो आपकी प्रकृति, स्थिति की स्थिति, और अन्य लक्षणों का अध्ययन करके आपको सही दवाएँ और उपायों की सलाह दे सकता है।  इसके अलावा, वो भी आपको बताएंगे कि आप किसी भी दवा या उपाय का उपयोग कैसे करें।


 ध्यान रहे कि हर व्यक्ति का शरीर और प्रकृति अलग होती है, इसलिए एक प्रकार की आयुर्वेदिक दवा या उपाय एक व्यक्ति के लिए उपयोगी हो सकता है लेकिन दूसरे व्यक्ति के लिए नहीं।  आयुर्वेदिक चिकित्सक आपके लिए मानसिक स्थिति, शारीरिक स्थिति और अन्य लक्षणों का मूल्यांकन करके आपके लिए उचित दवाएँ और उपाय सुझाते हैं।


 आयुर्वेदिक उपायों के अलावा, आप अपने दिनाचार्य में परिवर्तन करके भी चिंता को कम करने में मदद पा सकते हैं।  आपका भोजन सही समय पर, स्वस्थ आहार और पानी का ध्यान रखें।

  प्राणायाम, योग और ध्यान का अभ्यास करना भी मददगार हो सकता है।

 अंत में, मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किसी भी प्रकार के उपाय या दवा को शुरू करने से पहले, एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।  उनका सुझाव सुनने के बाद ही आगे काम करना चाहिए।

सोमवार, 21 अगस्त 2023

पीपल के पत्तों की चाय पीने से क्या होता है?

पीपल के पत्ते की चाय पीने से क्या होता है?

डा०वीरेंद्र मढान

पीपल के पत्ते उबालकर पीने के फायदे-

शुगर मे उपयोगी–

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*डायबिटीज के रोगियों में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में सहायता करता है।

दिल के रोग मे लाभदायक–

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*हृदय रोगों के खतरे को कम करने और दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

बैडकोलेस्ट्रोल के लिये–

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*खराब कोलेस्ट्रॉल कम करने और हाई बीपी को कंट्रोल रखने में मददगार है।

शरीर को डिटॉक्स करनेवाला–

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*यह शरीर को डिटॉक्स करने में मददगार है। यह शरीर और रक्त में मौजूद हानिकारक कणों और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और शुद्ध करता है।

पाचनशक्ति का बढाता है–

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*यह पाचन को दुरुस्त करने में लाभकारी है। पेट संबंधी समस्याएं जैसे पेट में गैस, कब्ज, अपच, ब्लोटिंग, उल्टी-दस्त आदि से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।

मानसिक स्वास्थ्य में उपयोगी–

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*मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने और ब्रेन फंक्शन को बेहतर बनाता है। यह मेमोरी पावर बढ़ाने में भी बहुत लाभकारी है।

फेफड़ों को रखें स्वस्थ–

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*यह फेफड़ों को स्वस्थ रखने और सांस संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद करता है।

किडनी के स्वास्थ्य को बढायें–

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यह किडनी फंक्शन को ठीक रखने और स्वस्थ रखने में मदद करता है।


#पीपल के पत्तों का काढ़ा कैसे बनाया जाता है।

पत्तों का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार। इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद ले।

शनिवार, 19 अगस्त 2023

सोने से बनाई दही के फायदे

 Sone se jami dahi sarir mein kya kya kerti hain.?



#सोने से बनाई दही के फायदे

* कैस बनायें?




रात को एक कटोरी दूध लें और उसमें एक सोने का सिक्का डालकर अलग से दही को जमा दे। सुबह के समय सोने के सिक्के को निकाल लें और इस दही का खाली पेट सेवन करें क्योंकि खाली पेट सेवन करना ज्यादा लाभकारी माना गया है। एक घंटे तक कुछ न खाए।

* इस दही के गुण:-

इस दही का रोजाना सेवन करने से जो शरीर को फायदे मिलते हैं वह इस प्रकार हैं:-

1.यह रसायन है

- इस दही के सेवन से शरीर की थकावट दूर होती है। बुढ़ापे को दूर करने और जवानी को बरकरार रखने में सहायक है।

2.Diabetes मे उपयोगी–

- मधुमेह जैसे रोग से लड़ने में काफी कारगर साबित होता है। मधुमेह के कारण पुरुषों में आईं शारीरिक शक्ति में हुई कमी को भी दूर करता है।

3.उदररोगो मे–

  - इस दही के रोजाना सेवन से पेट की सभी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। पेट की गर्मी शांत होती है और पाचन शक्ति बढ़ती है।

4.रोग-प्रतिरोधक क्षमता–

- इस दही के सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है।

5.त्वचा के लिए–

-  इसके रोजाना सेवन से त्वचा का रूखापन दूर होता है। त्वचा में चमक और निखार आता है।

6.हृदय के लिए–

-  हृदय संबंधी रोग दूर होते हैं और हृदय की मांसपेशियां भी शक्तिशाली बनती है।

7.मानसिक स्वास्थ्य–

- अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य में लाभकारी है।

8. रक्त की कमी दूर होती है और रक्त शुद्ध होता है।

9. इस दही के रोजाना सेवन से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और शरीर निरोग हो जाता है।

10. एकाग्रता और स्मृति में बढ़ोतरी होती है।



11. इस दही के रोजाना सेवन से आंखों से संबंधित होने वाली बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

12. ब्लडप्रेशर कंट्रोल में रहता है और तनाव से मुक्ति मिलती है।

13. इसके रोजाना सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है और कैंसर की संभावना भी नहीं रहती।

14. इस दही के रोजाना सेवन से सिर दर्द से राहत मिलती है।

शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

हृदय की कमजोरी में क्या होता है,in hindi,

 # हृदय की कमजोरी में क्या होता है,in hindi,



* कमजोर दिल होने पर दिदिलल मे घबराहट रहती है,

* धडकने बढी हो सकतीहै,

 * दिल कमजोर होने की स्थिति में ब्लड प्रेशर काफी ज्यादा हाई रहता है।

 * ब्लड प्रेशर बढ़ने पर, हार्ट अटैक की संभावना रहती है।

– कमजोर हार्ट कई बीमारियों की पूर्व निशानी है. 

कमजोर हार्ट खून को सही ढंग से पंप नहीं कर पाता है जिसके कारण पूरे शरीर में खून नहीं पहुंचता है. कमजोर हार्ट की एक बड़ी वजह हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन है. 

– अधिकांश लोगों को इसके बारे में जानकारी तक नहीं होती कि उन्हें बीपी है.

#स्वस्थ हृदय के लक्षण:–

दिल के स्वास्थ्य का एक और संकेत पूरे दिन ऊर्जा का अच्छा स्तर होना है. 

अगर आप रोजमर्रा की एक्टिविटीज मे जैसे खरीदारी, सीढ़ियां चढ़ना, किराने का सामान ले जाना या पैदल चलने में कठिनाई महसूस नही करते हैं, तो यह स्वस्थ हृदय के लक्ष्ण है।

#दिल की कमजोरी के लक्षण

दिल के कमजोर होने के 

मुख्य 8 ये लक्षण हो सकते है :–

* छाती के आसपास जकड़न होना

* जबड़े और गर्दन में दर्द बने रहना.

* मतली आना.

* बिना कारण थकान महसूस होना,

* चलते समय पैरों में सुन्नता 

* सीने में दर्द होना,

* ब्लड प्रेशर बढ़ जाना,

* पैरों में दर्द रहना,

#दिल की कमजोरी के कारण:–

   इसके होने का सबसे बड़ा कारण 

– खानपान की खराब आदतों और 

– गतिहीन जीवनशैली होती है। इसके अलावा 

– दिल की बीमारी जेनेटिक कारकों के कारण भी हो सकती है। 

#Dil ki kamjori ke karen,

#हार्ट कमजोर क्यों होता है

   पहला कारण किसी बीमारी की वजह से जिसका रोगी को पता होता है जैसे –

- हाइपरटेंशन,

- कोरोनरी आर्टरी डिजीज,    -वाल्वुलर हार्ट डिजीज,

-  डायबिटीज,

- एनीमिया आदि. इन स्थितियों में हार्ट फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है. 

– दूसरी स्थिति में हार्ट कमजोर होने के बारे में उपर से पता नहीं चलता है

आयुर्वेद के अनुसार :-

अत्याधिक मानसिक या शारीरीक श्रम करनेसे,

किसी भी कारणवश धातु (रस,रक्त,मांसादि) क्षरण होने से,हृदयविकार उत्पन्न होते है

शोक,भय,सदमा, आदि,

व अधिक चाय, काँफी ,तम्बाकू,अधिक नशा के कारण हृदय कमजोर हो जाता है।

कुछ आयुर्वेदिक उपाय:-

* अर्जुन घृत:- ३-6 मि०ग्राम मिश्री मिला कर ले उपर से गाय का दूध पीलें.

* मोतीपिष्टी 125 mg 

  स्वर्ण वर्क 30 mg

 खमीरागांजवां gm

इस प्रकार की 1-1 मात्रा दिन में2 बार ले.

* याकुतिरसायन – 1-1 गोली शहद से सवेरे शाम लें

* अर्जुनारिष्ट पीयें

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

#डिप्रेशन क्या है कैसे होता है? In hindi.

 #डिप्रेशन क्या है कैसे होता है? In hindi.

असफलता, संघर्ष और किसी अपने से बिछड़ जाने के कारण दुखी होना बहुत ही आम और सामान्य है। परन्तु अगर अप्रसन्नता, दुःख, लाचारी, निराशा जैसी भावनायें कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक बनी रहती है और व्यक्ति को सामान्य रूप से अपनी दिनचर्या जारी रखने में भी असमर्थ बना देती है तब यह डिप्रेशन नामक मानसिक रोग का संकेत हो सकता है।

#डिप्रेशन का पता कैसे चलता है?

डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms of Depression)

-व्यक्ति हमेशा स्वयं उलझन में एवं हारा हुआ महसूस करता है। 

-अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। 

-किसी भी कार्य में ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होती है। 

-अवसाद का रोगी खुद को परिवार एवं भीड़ वाली जगहों से अलग रखने की कोशिश करता है।

#डिप्रेशन में आदमी क्या क्या करता है?

सोचने, ध्यान केंद्रित करने, निर्णय लेने और चीजों को याद रखने में परेशानी महसूस होना. बार-बार मृत्यु का विचार आना, आत्महत्या के विचार आना और कोशिश करना. बिना किसी कारण सिरदर्द और कमर दर्द महसूस होना. डिप्रेशन बढ़ती उम्र का सामान्य हिस्सा नहीं है.

#डिप्रेशन की बीमारी क्यों होती है?

तनाव या डिप्रेशन एक प्रकार का मानसिक रोग है। किसी भी नकारात्मक विचार के कारण यह हमारे दिमाग़ पर हावी हो जाता है जिससे हमारी मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है। इसके कारण हमारा मस्तिष्क सही से कार्य करना बन्द कर देता है। इसी स्थिति को डिप्रेशन कहा जाता है।

#क्या ज्यादा सोचने से डिप्रेशन होता है?

कई बार किसी भी चीज के बारे में बहुत अधिक सोचने से थकान महसूस हो सकती है. दिमाग और मन पर बोझ बढ़ जाता है. ओवरथिंकिंग की समस्या आपको मानसिक रूप से बीमार कर सकती है. कुछ लोग एक ही समस्या को सार दिन सोचते रहते हैं.

#डिप्रेशन का सबसे जल्दी इलाज क्या है?

मेडिटेशन और इसके विभिन्न आयामों की मदद से डिप्रेशन का बिना किसी दवा के इलाज संभव हो पाया है और अभी भी इसपर काफी शोध चल रहा है । आपको क्या खाना पंसद है, कौन सा खेल पसंद है, क्या घुमना अच्छा लगता है या तैराकी करना या फिर कुछ और जिसे करने को आपका मन बैचेन रहता है । डिप्रेशन से बाहर आने का यह भी एक सफलतम इलाज देखा गया है ।

#डिप्रेशन में क्या नहीं करना चाहिए?

>रिफाइंड शुगर से करें तौबा

>डिप्रेशन के रोगियो को रिफाइंड प्रोडक्ट्स जैसे मैदा, व्हाइट ब्रेड, बर्गर, पिज्जा, चाऊमीन व शुगरी फूड जैसे चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स आदि को भी कम से कम खाना चाहिए। यह ऐसे प्रोडक्ट्स होते हैं, जो आपको एकदम से एनर्जी प्रदान करते हैं और फिर उसे एकदम से एनर्जी को ड्रॉप कर देते हैं।

डिप्रेशन से बाहर निकलने का उपाय

मेडिटेशन करें डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए मेडिटेशन सबसे बेहतर उपाय हो सकता है. ...

प्रकृति से करें प्यार डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए पेड़-पौधों से प्यार करें. ...

एक्सरसाइज है जरूरी डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए एक्सरसाइज भी आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. ...

गाना सुनें

डिप्रेशन को दूर करने के लिए अच्छे मनोचिकित्सक से परामर्श ज़रूर करना चाहिए.

इस समस्या अच्छे से समझने की कोशिश करें और इसके लिए अपने चिकित्सक की सलाह लें।

अपने आपको अकेला न रहने दे, दोस्तों के साथ बहार जाएँ, लोगों से मिले जुले, गपशप करे।

खुद के लिए अप्राप्य लक्ष्य ना बनाये।

सुबह शाम टहलनें जाएँ।