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बुधवार, 1 मई 2024

किन 7 आदतों में ही होती है चेहरे पर झुर्रियां|How to 5 Best Treat

किन 7 आदतों में ही होती है चेहरे पर झुर्रियां|How to 5 Best Treat



Dr.VirenderMadhan

झुर्रियां होने के कारण|Due To Wrinkles.


चेहरे पर झुर्रियाँ हो सकती हैं यदि आप निम्नलिखित आदतों को अपनाते हैं:
1–धूप में लंबा समय बिताना:-
 झाइयों का रंग मेलेनिन नामक रंगद्रव्य के कारण होता है। जितना अधिक समय आप धूप में बिताते हैं, उतना अधिक मेलेनिन का उत्पादन होता है, यही कारण है कि धूप वाले दिन में बाहर रहने के बाद आपको त्वचा पर अधिक झाइयां दिखाई दे सकती हैं।
2–तंबाकू या शराब का सेवन
बुरा खाना खाना
धूम्रपान त्वचा की सतह के पास रक्त वाहिकाओं को संकुचित करके त्वचा में बहने वाले रक्त की मात्रा को भी कम कर देता है, जिससे त्वचा में रक्त में ऑक्सीजन और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है
3–नियमित रूप से त्वचा की देखभाल न करना
4–अव्यवस्थित नींद के कारण
5–अधिक चीनी का सेवन से
6–स्ट्रेस रहने से
7– प्रदूषण मे रहने से
8–स्पाइसी और फ्राइड फूड्स (Spicey And Fried Food)
9-मीठे का अधिक सेवन (Sweets)
10–कैफीन वाले ड्रिक्स (Caffeine)


#झुर्रियां के 5 घरेलू उपाय

Ayurvedic treatment for wrinkles

झुर्रियों को कम करने के कुछ घरेलू उपाय शामिल हैं:

नींबू का रस:-

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 नींबू का रस निर्माण करता है और झुर्रियों को कम करने में मदद करता है।

शहद और दही का मिश्रण:–

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शहद और दही का मिश्रण त्वचा को नमी प्रदान करता है और झुर्रियों को कम करने में मदद कर सकता है।

बादाम का तेल:–

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बादाम का तेल एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है और झुर्रियों को कम करने में मदद कर सकता है।

घर का बना उपयोग करें:–

तुलसी, हल्दी, नीम, आलोवेरा जैसे प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करके चेहरे की देखभाल करें।
पानी:-
प्रतिदिन पानी पिएं। इससे त्वचा की स्वस्थता और झुर्रियों को कम करने में मदद मिलेगी।

#चेहरे की झाइयां हटाने के लिए क्या खाएं- 

Foods to avoid freckles in hindi

* आलू का जूस पीएं –
आलू का जूस पीना डार्क स्पॉट्स, झाईयों और सन टैन को दूर करने में मदद कर सकता है। 
* नींबू पानी:-
 नींबू पानी शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है।
* संतरा खाएं 
* टमाटर खाएं 
* छाछ पीयें

सोमवार, 29 अप्रैल 2024

10 Acchi Habits Jo Dil Ko Healthy Rekhti Hain in hindi

 10 Acchi Habits Jo Dil Ko Healthy Rekhti Hain in hindi



Dr.VirenderMadhan

Dil ko swasth rakhne ke kai karan hote hain jo uski kriyashilata aur dirghayu me sahayak hote hain. Yahan 10 mukhya karan diye gaye hain jo dil ko healthy rakhne me madadgar sabit hote hain:


Santulit Aahar:– 

Santulit poshan se yukta aahar, jaise ki phal, sabjiyaan, whole grains, lean protein, aur healthy fats, dil ko swasth rakhne me mahatvapurn bhoomika nibhate hain.

Niyamit Vyayam:– 

Niyamit roop se vyayam karna, jaise ki chalna, daudna, ya swimming, dil ki majbooti badhata hai aur cardiovascular rogo se bachav karta hai.

Dhoomrapan Nahi Karna:–

 Dhoomrapan na karna ya chhod dena dil ke swasthya ke liye bahut labhkari hai kyunki yah blood vessels ko nuksaan pahunchata hai aur heart attack ke jokhim ko badhata hai.

Tanav Kam Karna:–


 Tanav ko prabandhit karna, jaise ki meditation, yoga, aur acchi neend lena dil ke swasthya ko behtar banane me madad karta hai.

Swaroop Sthiti Niyantran:–

 Uchit weight maintain karna aur motape se bachav karna dil ko swasth rakhne me mahatvapurn hai.

Blood Pressure Ka Niyantran:–

High blood pressure se dil par adhik load padta hai, isliye ise niyantrit rakhna jaruri hai.

Cholesterol Ka Niyantran:–

High cholesterol, khaas taur par LDL (bad cholesterol) ko niyantrit rakhna, arteries ke blockage ko rokne me sahayak hota hai.

Madhumein ka niyantran:–

Diabetes ka prabhavi niyantran dil ke swasthya ke liye zaroori hai kyunki diabetes dil ki bimariyon ka khatra badha deta hai.

Alcohol Ka Sevan Simit Karna:–

Alcohol ka sevan simit karne se liver aur dil dono ke liye faydemand hota hai.

Niyamit Swasthya Jaan

ch:–

Niyamit roop se doctor ki jaanch karana aur apni health ki monitoring karna dil ki bimariyon ko samay se pehchane me aur unka ilaj karne me madad karta hai.

In sabhi karanon ka dhyan rakhkar, aap apne dil ko lambi umar tak swasth rakh sakte hain.

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

Bad Cholesterol के बढने के 10 कारण क्या है?In hindi

 Bad Cholesterol के बढने के 10 कारण क्या है?In hindi

Bad Cholesterol के बढने के कारण:–

Dr.VirenderMadhan

आप "bad cholesterol" के बारे में पूछना चाहते होंगे, जिसे मेडिकल भाषा में LDL (Low-Density Lipoprotein) कहा जाता है। LDL कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर आपकी धमनियों में प्लाक का निर्माण कर सकता है, जिससे आपको हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है। यहां बुरे कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के 10 प्रमुख कारण दिए गए हैं:

खान-पान में गलतियाँ:–

 अधिक संतृप्त वसा और ट्रांस फैट युक्त आहार का सेवन करना, जैसे कि रेड मीट, पूर्ण-वसा वाले डेयरी उत्पाद, फ्राइड फूड्स, और प्रोसेस्ड स्नैक्स।

वजन:–

 मोटापा या अधिक वजन होना LDL कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है।

शारीरिक गतिविधि की कमी:–

नियमित रूप से व्यायाम न करना कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित कर सकता है।

धूम्रपान:–

 सिगरेट पीना खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को बढ़ाता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) के स्तर को कम करता है।

उम्र और लिंग:–

 उम्र बढ़ने के साथ LDL कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, और महिलाओं में मेनोपॉज के बाद इसका स्तर बढ़ने लगता है।

पारिवारिकहिस्ट्री:–

 परिवार में हाई कोलेस्ट्रॉल का इतिहास होना भी एक जोखिम कारक हो सकता है।

मधुमेह:–

 डायबिटीज वाले लोगों में LDL कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का जोखिम अधिक होता है।

शराब:–

 अत्यधिक शराब का सेवन भी LDL कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है।

थायराइड समस्याएं: –

कम सक्रिय थायराइड ग्लैंड (हाइपोथायरॉइडिज़्म) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है।

दवाईयाँ:–

 कुछ प्रकार की दवाईयाँ, जैसे कि बीटा-ब्लॉकर्स, स्टेरॉयड्स, और कुछ डायुरेटिक्स, LDL कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती हैं।

इन कारणों को समझने और उन पर काबू पाने से आप अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। आहार, व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली के निर्णय इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

उपाय;-

अगर आप अपने LDL कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और सामान्य स्वास्थ्य को सुधारने के लिए कुछ ठोस कदम उठाना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सुझाव उपयोगी हो सकते हैं:


स्वस्थ आहार:–

 अपने आहार में संतृप्त वसा और ट्रांस वसा की मात्रा को कम करें। इसके बजाय, मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स (जैसे कि ओलिव ऑयल, बादाम, और अवोकाडो) को शामिल करें। फाइबर युक्त भोजन जैसे फल, सब्जियाँ, और पूरे अनाज भी LDL को कम करने में मदद करते हैं।

नियमित व्यायाम:-

 सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता की शारीरिक गतिविधि (जैसे तेज चलना, साइकिल चलाना) करें। यह न केवल LDL को कम करता है, बल्कि HDL कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है।

वजन प्रबंधन:–

 अगर आप अधिक वजनी हैं, तो वजन कम करना LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करने और समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

धूम्रपान छोड़ना:–

 धूम्रपान छोड़ने से न केवल आपके LDL और HDL कोलेस्ट्रॉल स्तर सुधार सकते हैं, बल्कि यह आपकी धमनियों की स्थिति और हृदय दर को भी बेहतर बनाता है।

शराब का सेवन सीमित करें:–

 शराब का सेवन कम करना या सीमित करना कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

नियमित स्वास्थ्य जाँच:–

 नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलें और अपने कोलेस्ट्रॉल स्तर की जाँच करवाएँ, खासकर अगर आपकी उम्र 40 वर्ष से अधिक हो या आपके परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो।

डॉक्टर की सलाह पर दवाइयाँ:–

 कुछ मामलों में, डॉक्टर स्टेटिन्स जैसी दवाइयाँ लिख सकते हैं जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।

ये कदम न सिर्फ आपके LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करेंगे, बल्कि आपकी समग्र सेहत और कल्याण को भी बढ़ावा देंगे।

मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

5 सुपर देशी ड्रिंक जो गर्मियों में ठंडक ताकत दें |How To Make Best drink


 

5 सुपर देशी ड्रिंक जो गर्मियों में ठंडक ताकत दें |How To Make Best drink

गर्मी के लिए देशी पेय

Indian drinks for summer

Dr.VirenderMadhan

1– छाछ 

 नमक और मसालों के साथ दही से बना छाछ शरीर की गर्मी को कम करने और डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) को रोकने में सहायक है. यह इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर होता है. गर्मी में शरीर में अक्सर पानी की कमी हो जाती है, इससे बचने के लिए छाछ एक अच्छा पेय पदार्थ है

2– खीरे का जूस

खीरा, पुदीना ड्रिंक- 

खीरा और पुदीना से तैयार पेय भी गर्मी में पीना एक अच्छाऔर कूलिंग, रिफ्रेशिंग पेय है. यह अपनी कूलिंग क्षमता से हीट स्ट्रोक की संभावना को कम कर सकता है. साथ ही शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता है, क्योंकि खीरा में पानी की मात्रा अधिक होती है.

3– बेल का शरबत- 

बेल एक ऐसा फल है, जो भीषण गर्मी के दिनों में एनर्जी बूस्टर की तरह काम करता है. बेल का शरबत पीने से शरीर को ठंडक मिलती है. बेल का रस राइबोफ्लेविन से भरा होता है. साथ ही इसमें बी-विटामिन भी होता है, जो गर्म दिनों के दौरान शरीर की ऊर्जा आपूर्ति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रतिदिन आप गर्मी में एक गिलास ठंडा बेल से तैयार शरबत का सेवन करें. इसमें फाइबर होता है, जो कब्ज की समस्या को दूर करने के साथ ही पाचन को भी दुरुस्त बनाए रखता है.

4– खरबूजे का जूस

खरबूजे के जूस का सेवन करने से पाचन ठीक रखता है. इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को स्वस्थ बनाने का काम करता है. नियमित रूप से इसका सेवन कब्ज, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याओं से आराम दिला सकता है. हाई बीपी की समस्या में खरबूजे के जूस का सेवन लाभदायक होता है.

5– चने का सतू

फाइबर से भरपूर यह फूड तेजी से वजन कम करने में सहायक है। इसे सूजन कम करने, चयापचय बढ़ाने और हेल्दी तरीके से वजन घटाने के लिए जाना जाता है। रोज सुबह खाली पेट सत्तू का सेवन करने से आपकी पाचन क्रिया और मल त्याग में सुधार होता है। इसे पेट साफ करने और एसिडिटी के इलाज के लिए एक बढ़िया उपचार माना जाता है।

रविवार, 14 अप्रैल 2024

प्रोस्टेट के बढ़ने से क्या होता है और उसके 8 आयुर्वेदिक उपाय|How To Treat

 प्रोस्टेट के बढ़ने से क्या होता है और उसके 8 आयुर्वेदिक उपाय|How To Treat

What happens when prostate enlargement happens and what are its ayurvedic remedies?



[prostate/गदूद]

Dr.VirenderMadhan

#prostate/गदूद क्या है?

गदूद एक ग्रन्थि है। जो ब्लेडर के नीचे होता है और यूरेथ्रा में जाता है। पुरुषों की उम्र के रूप में वे हार्मोनल परिवर्तन का अनुभव करते हैं। जिसका असर ग्रंथियों पर भी पड़ता है।

पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ कुछ शारीरिक बदलाव होते हैं जैसे प्रोस्टेट यानि गदूद ग्रंथि का बढ़ना। जिसके कारण मूत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और प्रोस्टेट कैंसर में भी।


#प्रोस्टेटाइटिस (prostate ka bedhna) के लक्षण :-

प्रोस्टेटाइटिस होने से –

- पेरीनियम, निचली कमर के साथ-साथ अक्सर लिंग और वृषण में दर्द पैदा होता है। 

 - पुरुषों को बार-बार पेशाब भी करना पड़ता है और वो भी तेज़ी से, और

– पेशाब करते समय दर्द या जलन हो सकती है। दर्द से इरेक्शन हासिल करने में या इजेकुलेशन करना मुश्किल या ज़्यादा दर्दनाक हो सकता है।


#प्रोस्टेट की चिकित्सा :-

– दूध के साथ हल्दी और शिलाजीत का सेवन करने से प्रोस्टेट हेल्दी रहेगा। 

–प्रोस्टेट कैंसर के लिए चंद्रप्रभा वटी और गौक्षुरादि गुग्गुल की 2-2 गोली सुबह और शाम को सेवन करें। 

– विषतिंदुक वटी की एक-एक गोली सुबह और शाम सेवन करें।

– सप्ताह में एक बार जौ की दलिया का सेवन जरूर करें।


प्रोस्टेट ग्लैंड के सुजन के उपाय:–

अलसी के बीज:–

 प्रोस्टेट का उपचार करने के लिए आयुर्वेद काफी उपयोगी औषधियां उपलब्ध कराता है. अलसी का बीज प्रोस्टेट के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके लिए अलसी के बीज को मिक्सी में पीसकर पाउडर बनायें. फिर प्रतिदिन इसे 20 ग्राम पानी के साथ लें.

– चंद्रप्रभा वटी प्रोस्टेट के लिए अच्छा है?

इससे घनी स्थिर दृढ़ ग्रंथि संबंधी सूजन पैदा होती है जिसे वाताशिला या बीपीएच कहा जाता है। चंद्रप्रभा वटी लेने से वात को संतुलित करने और प्रोस्टेट ग्रंथि के आकार को नियंत्रित करने में मदद मिलती है । कम से कम एक से दो महीने तक नियमित रूप से उपयोग करने पर यह दर्दनाक या बार-बार पेशाब आने जैसे लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है।

– तुलसी प्रोस्टेट के लिए अच्छी है

– मोथा, नीम, हल्दी और तुलसी का शक्तिशाली सहक्रियात्मक मिश्रण प्रोस्टेट और मूत्राशय नियंत्रण समस्याओं से राहत देने के लिए मूत्र पथ के कार्य को बढ़ाता है और प्राकृतिक प्रतिरक्षा और पुरुष प्रजनन जीवन शक्ति को बढ़ाता है।

प्रश्न** प्रोस्टेट में कौन सा जूस पीना चाहिए?

उत्तर:-  प्रोस्टेट की हेल्थ के लिए  अनार के जूस या दानों को सेवन से पुरुषों में प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है।


प्रश्न:- प्रोस्टेट में क्या नहीं खाना चाहिए (Prostate Main Kya Nahi Khana Chahiye)

उत्तर:-

– शराब (Alcohol) न ले

– लाल मांस और प्रोसेस्ड मीट (Red Meat & Processed Meat) न खायें

– पूर्ण वसा दूध और दूध से बने उत्पादों (Full Fat Milk & Milk Products) हानिकारक है

–सैचुरेटेड फैट्स (Saturated Fats) न खायें

– कैफीन (Caffeine),सोडियम (Sodium),चीनी वाले खाद्य पदार्थ (Sugar) का प्रयोग न करें.

प्रश्न:-

प्रोस्टेट में कितना पानी पीना चाहिए?

उत्तर:–

पानी :-

 पानी की भरपूर मात्रा में सेवन करने से कैंसर ही नहीं बल्कि कई रोग समाप्त होते हैं। ज्यादा मात्रा में पानी पीने से टॉक्सिन्स बाहर आते हैं। ऐसे में प्रोस्टेट कैंसर के मरीज को एक दिन में आठ से दस गिलास पानी पीना चाहिए। बार-बार पेशाब आना, विशेष तौर पर रात में।

#प्रोस्टेट में क्या परहेज करें?

तेजी से पकने वाले मसालेदार खाने, प्री-पैकेज्ड खाद्य पदार्थों, अत्यधिक मीठे खाद्य पदार्थों, और प्रोसेस्ड और जंक फूड के सेवन से बचें। प्रोस्टेट इन्फेक्शन के लक्षणों को जानें और स्वस्थ आहार के सही विकल्पों को शामिल करें। यह सुनिश्चित करेगा कि आप प्रोस्टेट स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं और उन्नत जीवनशैली का आनंद लें।

पपीते- के पत्तो का रस पीने से 7बडे फायदे|How To Use For Best Health Benefits

 पपीते- के पत्तो का रस पीने से 7बडे फायदे|How To Use For Best Health Benefits

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Dr.VirenderMadhan

पपीते का रस के गुण:–

* वरदान है पपीते के पत्ते का रस क्योंकि इसमे है 5 विटामिन का भरपूर मिश्रण | पपीते के पत्ते खाने में कड़वे लगते हैं लेकिन उनमें कमाल के गुण छुपे हुए होते हैं. पपीते के पत्तों में विटामिन ''ए',''बी',''सी',''डी' और ''ई' पाया जाता है साथ ही इसमें कैल्शियम भी पाया जाता है. 

पपीते के पत्ते के रस के upफायदे :–

1.मुंहासे दूर करे :–

 अगर चेहरे पर मुंहासे हैं तो सूखी पपीते की पत्ती ले कर उसे थोड़े से पानी के साथ मिक्स कर के पेस्ट बना लें. फिर इस पेस्ट को चेहरे पर लगा कर सुखा लें और फिर पानी से धो लें।

2.कैंसर होने से रोके :–

 इसमें कैंसर विरोधी गुण होते हैं जो कि इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं और सवाईकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, अग्नाशय, जिगर और फेफड़ों के कैंसर को होने से रोकते हैं।

3.बैक्टीरिया की ग्रोथ रोके :–

 पपीते की पत्तियों में 50 एक्टिव सामग्रियां होती हैं जो कि सूक्ष्मजीवों जैसे फंगस, कीड़े, परजीवी और कैंसर कोशिकाओं के विभिन्न अन्य रूपों को बढ़ने से रोकती हैं।

4.इम्यूनिटी बढ़ाए :–

 इन पत्तियों में सर्दी और जुखाम जैसे रोगों से लड़ने की शक्ति होती है. यह खून में व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स को विकास बढ़ा देती है।

5.एंटी मलेरिया गुण :–

 यह मलेरिया से लड़ने में प्रभावकारी है. पपीते की पत्तियों का रस मलेरिया के लक्षणों को बढ़ने से रोकता है।

6.डेंगू में रामबाण :–

 डेंगू से लड़ने के लिए पपीते की पत्तियां काफी लाभकारी है. यह गिरते हुए प्लेटलेट को बढ़ाने, खून के थक्के जमने तथा जिगर की क्षति को रोकती है, जो कि डेंगू वायरस के कारण हो जाता है।

7.माहवारी के दर्द से छुटकारा :–

 दर्द को दूर करने के लिए एक काढ़ा बनाइए जिसमें एक पपीते की पत्ती को इमली, नमक और एक गिलास पानी के साथ मिक्स कीजिए. फिर इसे उबालिए और जब काढ़ा बन कर ठंडा हो जाए तब इसे पी लीजिए, इससे आपको आराम मिलेगा।


पपीते की पत्तियों का जूस अन्य फलों के जूस के साथ मिला कर भी रोगी को दे सकते हैं ।

बुधवार, 10 अप्रैल 2024

बलगम क्या हैऔर क्यों बनता है?


बलगम क्या हैऔर क्यों बनता है?

Dr.Virender Madham

कफ क्या है?

बलगम एक फिसलन भरा तरल पदार्थ है जो आपके शरीर द्वारा प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है। यह मुंह, नाक, गला, पेट, आंत और गर्भाशय ग्रीवा सहित अंगों में ग्रंथियों द्वारा निर्मित होता है। यद्यपि बलगम का उत्पादन प्राकृतिक और स्वस्थ है, अधिक बलगम का उत्पादन सामान्य सर्दी सहित बीमारी का संकेत हो सकता है।

दरअसल बलगम श्वसन तंत्र को लुब्रिकेट और फिल्टर करने में मदद करता है। यह म्यूकस मेम्ब्रेन से बना होता है। यह नाक से फेफड़ों तक (mucus build up in the throat) रहता है।

आयुर्वेद के अनुसार-

कफ मूलतः पृथ्वी और जल घटकों से बना है। यह भारी, धीमा, ठंडा, चिकना, चिकना, नाजुक, गाढ़ा, स्थिर, स्थूल और बादलदार है। कफ सभी चीजों को संरचना और मजबूती प्रदान करता है

कफ कितने प्रकार का होता है?

कफ पांच प्रकार के होते हैं

अपने विशिष्ट कार्य के आधार पर, कफ दोष को अवलंबक कफ, क्लेदका कफ, तारपका कफ, बोधक कफ और स्लेशका कफ में उप-विभाजित किया गया है।

कफ के गुण:–

तृप्ति, तन्द्रा, निद्राघिक्य,गुरुगात्र, आलस्य, मुखमाधुर्य, मलाधिक्य, अग्निमांद्य आदि कफ के गुण होते है

कफ दोष बढने के कारण–

कफ कई कारणों से हो सकते हैं जैसे- इंफेक्शन, एलर्जी, फेफड़ों में इंफेक्शन, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया आदि. डिहाइड्रेशन की वजह कफ बढ़ने लगता है. इसलिए जितना हो सके खुद भी पानी पिएं और अपने बच्चे को भी पानी पिलाएं. ताकि आप पूरे दिन हाइड्रेट रहें.

कफ दोष के लक्षण–

अत्यधिक बलगम के साथ ठंड

साइनस

मल त्याग में परेशानी

अचानक वजन बढ़ना

शारीरिक शक्ति में कमजोरी ।

कफ को संतुलित करने के उपाय:–

कफ मे सेवन किया जाने वाला आहार

कम वसा वाले दूध का सेवन करें। दूध को पीने से पहले हमेशा उबालें, जिससे यह पचने में आसान हो जाता है , दूध में कफ बढ़ाने वाले गुणों को कम करने के लिए दूध को उबालने से पहले उसमें हल्दी या अदरक मिलाने का प्रयास करें।

सेब और नाशपाती जैसे हल्के फल खाएं। 

– संतरे, केला, खजूर, अंजीर, अनानास, नारियल, खरबूजे और एवोकाडो जैसे भारी और खट्टे फलों से बचें। ये फल शरीर में कफ बढ़ा सकते हैं.

चीनी उत्पादों का सेवन कम करें क्योंकि ये शरीर में कफ को बढ़ाते हैं। हालाँकि, शहद का सेवन किया जा सकता है, यह कफ को संतुलित करने में उत्कृष्ट है।

टोफू को छोड़कर बीन्स ले सकते हैं

नट्स खाने से बचें

अनाज विशेषकर जौ और बाजरा ले सकते हैं।

– गेहूं और चावल का अधिक सेवन करने से बचें क्योंकि ये कफ बढ़ाते हैं

नमक को छोड़कर सभी मसाले लिये जा सकते हैं

टमाटर, तोरई, खीरे, शकरकंद से बचें क्योंकि ये कफ बढ़ाते हैं

क्या करें–

* हल्दी- हल्दी

 एक लाजवाब मसाला है। 

अदरक की चाय- अदरक एक अत्यधिक अनुकूलनीय घटक है। 

– नमक के पानी से गरारे करें .