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मंगलवार, 2 जुलाई 2024

वर्षा ऋतु मे रोगों से बचने के लिए क्या करें in hindi.


 वर्षा ऋतु मे रोगों से बचने के लिए क्या करें

वर्षा ऋतुचर्या

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Dr.VirenderMadhan

वर्षा ऋतु में रोगों से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ बरतें:

स्वच्छ पानी पिएं:-

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 केवल उबला या फ़िल्टर किया हुआ पानी ही पिएं।

संतुलित आहार लें:–

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 ताज़े फल, सब्जियाँ और पका हुआ भोजन खाएं।

व्यक्तिगत स्वच्छता:–

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 नियमित रूप से हाथ धोएं, विशेषकर खाने से पहले और बाथरूम का उपयोग करने के बाद।

मच्छरों से बचाव:–

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 मच्छरदानी का उपयोग करें, और मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का उपयोग करें।

भीगे कपड़े ना पहनें:–


--------------------------------- गीले कपड़े पहनने से बचें और तुरंत बदलें।

व्यायाम:–

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 नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो।

जलजमाव से बचें:–

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 घर के आस-पास पानी जमा ना होने दें, क्योंकि यह मच्छरों की वृद्धि को बढ़ावा देता है।

स्वच्छता बनाए रखें:–

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 घर और आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें।

इन सावधानियों का पालन करके आप वर्षा ऋतु में स्वस्थ रह सकते हैं।


भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें:–

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 जहां तक संभव हो, अत्यधिक भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें, क्योंकि यह संक्रमण फैलने की संभावना को बढ़ा सकता है।

त्वचा की देखभाल:–

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 त्वचा को सूखा और स्वच्छ रखें। नमी से त्वचा संक्रमण हो सकता है, इसलिए रोजाना स्नान करें और अच्छे से पोंछें।

विटामिन और मिनरल्स:–

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 विटामिन सी और जिंक युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं।

सुरक्षित जूतों का उपयोग:–

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 बारिश में फिसलन से बचने के लिए अच्छे ग्रिप वाले जूते पहनें।

गर्म पेय का सेवन:–

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 अदरक की चाय, तुलसी की चाय, या हल्दी वाला दूध जैसे गर्म पेय पदार्थ पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

सड़क किनारे का भोजन:–

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 सड़क किनारे मिलने वाले खुले खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि उनमें बैक्टीरिया और वायरस होने की संभावना अधिक होती है।

समय पर टीकाकरण:–

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 अपने और अपने परिवार के सभी आवश्यक टीकाकरण समय पर कराएं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान:–

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 तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान और शांति दायक गतिविधियों में शामिल हों।

इन अतिरिक्त सुझावों को अपनाकर आप वर्षा ऋतु में होने वाले विभिन्न रोगों से बच सकते हैं और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं।


आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु मे क्या करें?

आयुर्वेद के अनुसार, वर्षा ऋतु में विशेष रूप से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है जठराग्नि कमजोर होती है और वात दोष का प्रभाव बढ़ जाता है। इस समय स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए:

आहार:–

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हल्का और सुपाच्य भोजन करें: खिचड़ी, दलिया, और सूप जैसे हल्के भोजन का सेवन करें।

ताजा और गर्म भोजन:–

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 ताजा और गर्म पका हुआ भोजन खाएं। बासी और ठंडा भोजन न करें।

मसाले:–

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 पाचन को सुधारने के लिए जीरा, सौंफ, हींग, और अदरक जैसे मसालों का प्रयोग करें।

दूध और दूध उत्पाद:–

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 गर्म दूध में हल्दी डालकर पिएं। दही का सेवन दिन में करें, रात में नहीं।वर्षों ऋतु में दही न खायें तो अच्छा है

तेल:–

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वातदोष शमन के लिए तिल का तेल, सरसों का तेल या घी का प्रयोग करें।

पानी:–

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 उबला हुआ या गर्म पानी पिएं। नीम या तुलसी के पत्ते डालकर पानी को उबालें।

व्यवहार और दिनचर्या:-

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भोजन समय पर करें:–

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 नियमित अंतराल पर भोजन करें और देर रात तक जागने से बचें।

योग और प्राणायाम:–

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 हल्के योगासन और प्राणायाम करें ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे।

वात नियंत्रण:–

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 वात दोष को संतुलित करने के लिए तेल मालिश करें। तिल के तेल से मालिश करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

नींद:–

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 पर्याप्त नींद लें और कोशिश करें कि जल्दी सोएं और जल्दी उठें।

स्वच्छता:-

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स्नान:–

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 नीम के पत्तों को पानी में उबालकर स्नान करें।

परिधान:–

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 सूती कपड़े पहनें जो जल्दी सूख जाएं। गीले कपड़े तुरंत बदलें।

मच्छर:–

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 मच्छरों से बचाव के लिए नीम का तेल या तुलसी के पत्तों का उपयोग करें।

मानसिक स्वास्थ्य:–

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ध्यान और ध्यान का अभ्यास: ध्यान, प्राणायाम और योग से मन को शांत और स्थिर रखें।

तनाव कम करें:–

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 मनोरंजक गतिविधियों में भाग लें और तनाव को दूर रखने के लिए समय निकालें।

इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर आप वर्षा ऋतु में स्वस्थ और निरोग रह सकते हैं।

शनिवार, 22 जून 2024

केला खाना क्यों जरूरी है 10 कारण बताओ

 केला खाना क्यों जरूरी है 10 कारण बताओ

Dr.VirenderMadhan

केला एक पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक फल है जिसे नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करना चाहिए। यहाँ 10 कारण बताए गए हैं कि क्यों केला खाना जरूरी है:


ऊर्जा का अच्छा स्रोत:–

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 केले में प्राकृतिक शर्करा (ग्लूकोज़, फ्रक्टोज़ और सुक्रोज़) होती है जो त्वरित और टिकाऊ ऊर्जा प्रदान करती है।


पाचन सुधारता है:–

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 केले में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और कब्ज जैसी समस्याओं को कम करता है।


पोटेशियम का अच्छा स्रोत:–

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 केले में पोटेशियम की उच्च मात्रा होती है, जो दिल के स्वास्थ्य और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।


वजन घटाने में मददगार:–

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 केले में कैलोरी कम होती है और फाइबर अधिक होता है, जो भूख को नियंत्रित करने और वजन घटाने में मदद करता है।


हड्डियों को मजबूत बनाता है:–

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 केले में मैग्नीशियम और कैल्शियम होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।


हृदय स्वास्थ्य:–

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 केले में पाए जाने वाले पोटेशियम और मैग्नीशियम हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और दिल की बीमारियों के खतरे को कम करते हैं।


मानसिक स्वास्थ्य:–

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 केले में ट्रिप्टोफैन होता है, जो मूड को सुधारने में मदद करता है और अवसाद को कम करने में सहायक होता है।


त्वचा की चमक:–

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 केले में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं।


प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है:–

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 केले में विटामिन बी6 और विटामिन सी होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।


खेल और व्यायाम के लिए उत्तम:–

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 केले में पाए जाने वाले इलेक्ट्रोलाइट्स और कार्बोहाइड्रेट्स शरीर को व्यायाम के दौरान और बाद में ऊर्जा प्रदान करते हैं।

इसलिए, केला एक संपूर्ण और लाभकारी फल है जिसे अपने दैनिक आहार में शामिल करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।


मांसपेशियों की ऐंठन को रोकता है:–

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 केले में पोटेशियम और मैग्नीशियम की उच्च मात्रा मांसपेशियों की ऐंठन और थकान को कम करने में मदद करती है।


श्वसन स्वास्थ्य:–

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 केले में पाए जाने वाले पोषक तत्व श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं, विशेष रूप से अस्थमा जैसी समस्याओं में लाभकारी हो सकते हैं।


गर्भावस्था में फायदेमंद:–

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 केले में फोलिक एसिड होता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भ्रूण के विकास में मदद करता है।


रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है:–

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 केले में घुलनशील फाइबर होता है जो रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में मदद करता है, जिससे मधुमेह के रोगियों के लिए यह एक अच्छा विकल्प बनता है।


प्राकृतिक एंटी-एसिड:–

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 केला एक प्राकृतिक एंटी-एसिड के रूप में काम करता है और एसिडिटी व सीने की जलन को कम करने में मदद करता है।


मस्तिष्क के कार्य को बढ़ावा देता है:–

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 केले में पाए जाने वाले विटामिन बी6 मस्तिष्क के कार्य को सुधारते हैं और स्मरणशक्ति को बढ़ाते हैं।


नींद में सुधार:–

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 केले में ट्रिप्टोफैन और मैग्नीशियम होता है, जो नींद की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है।


प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर:–

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 केले में मौजूद पेक्टिन शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है, जिससे शरीर डिटॉक्स होता है।


मूड सुधारता है:–

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 केले में ट्रिप्टोफैन होता है, जो सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है और मूड को सुधारने में मदद करता है।


बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करता है:–

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 केले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करते हैं और त्वचा को युवा बनाए रखते हैं।


इन सभी फायदों के कारण केला एक संपूर्ण और पौष्टिक फल है, जिसे नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

गुरुवार, 13 जून 2024

पोल्यूशन को ठीक करनेवाले10 पेड ये आपके जीवन रक्षक है जाने,

 पोल्यूशन को ठीक करनेवाले10 पेड ये आपके जीवन रक्षक है जाने,

DrVirenderMadhan

प्रदूषण को कम करने में मददगार निम्नलिखित 10 पेड़ हैं:

नीम (Azadirachta indica):–

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 नीम का पेड़ हवा को शुद्ध करने में अत्यधिक प्रभावी है और इसका उपयोग आयुर्वेद में भी किया जाता है।

पीपल (Ficus religiosa):–

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 पीपल का पेड़ अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन करता है और हवा की गुणवत्ता में सुधार करता है।

बरगद (Ficus benghalensis):–

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 बरगद का पेड़ भी भारी मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ता है और प्रदूषण को कम करता है।

सहजन (Moringa oleifera):–

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 सहजन का पेड़ हवा को शुद्ध करने और विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जाना जाता है।

अशोक (Saraca asoca):–

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 अशोक का पेड़ पर्यावरण को शुद्ध करने में मदद करता है और इसे औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है।

गुलमोहर (Delonix regia):- 

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गुलमोहर का पेड़ सुंदरता के साथ-साथ हवा की गुणवत्ता को सुधारने में भी सहायक है।

अर्जुन (Terminalia arjuna):–

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 अर्जुन का पेड़ हवा को शुद्ध करने और छाया प्रदान करने में सहायक है।

अमलतास (Cassia fistula):–

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 अमलतास का पेड़ अपने सुंदर फूलों के साथ-साथ हवा की शुद्धता में सुधार करता है।

कटहल (Artocarpus heterophyllus):–

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 कटहल का पेड़ हवा को शुद्ध करने और फल प्रदान करने में मदद करता है।

जामुन (Syzygium cumini):–

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 जामुन का पेड़ पर्यावरण को शुद्ध करने और फलों के लिए जाना जाता है।

ये पेड़ न केवल पर्यावरण को शुद्ध करते हैं बल्कि हमें स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करते हैं। इन पेड़ों का रोपण और संरक्षण हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

नीम:–

 नीम के पेड़ की पत्तियाँ, छाल और तेल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं। यह मच्छरों को दूर रखने में भी मदद करता है।


पीपल:–

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 पीपल का पेड़ न केवल ऑक्सीजन प्रदान करता है बल्कि इसे धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसकी छाया ठंडी होती है और यह शहरी क्षेत्रों में गर्मी को कम करने में मदद करता है।


बरगद:–

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 बरगद का पेड़ अपने विशाल आकार के कारण अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर सकता है और अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। इसकी जड़ें मिट्टी के कटाव को रोकने में भी सहायक होती हैं।


सहजन:–

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 सहजन का पेड़ नाइट्रोजन को ठीक करने की क्षमता रखता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। इसके पत्ते और फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।


अशोक:–

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 अशोक के पेड़ की छाया और सुंदरता इसे बगीचों और पार्कों के लिए आदर्श बनाती है। यह तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करता है।


गुलमोहर:–

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 गुलमोहर का पेड़ अपने खूबसूरत फूलों के लिए जाना जाता है। यह तेज धूप में भी अच्छा पनपता है और गर्मी को कम करता है।


अर्जुन:–

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 अर्जुन के पेड़ की छाल हृदय रोगों के इलाज में उपयोगी मानी जाती है। यह जल संरक्षण में भी सहायक होता है।


अमलतास:–

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 अमलतास के पेड़ के फूल और फल आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग किए जाते हैं। यह गर्मियों में ठंडक प्रदान करता है।


कटहल:–

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 कटहल का पेड़ न केवल फल देता है बल्कि इसके पत्ते और लकड़ी भी उपयोगी होते हैं। यह मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करता है।


जामुन:–

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 जामुन के पेड़ के फल मधुमेह के इलाज में सहायक होते हैं। यह पेड़ प्रदूषण कम करने और जलवायु को स्थिर रखने में मदद करता है।


इन पेड़ों का सही तरीके से रोपण और संरक्षण न केवल हमारे पर्यावरण को शुद्ध रखेगा बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करेगा। इन पेड़ों की देखभाल और उनके महत्व को समझना आवश्यक है ताकि हम एक संतुलित और हरियाली से भरपूर धरती का निर्माण कर सकें।

सोमवार, 10 जून 2024

Diabetes के घरेलू 10 उपाय|What to eat if you have diabetes? Dr.virevderMadhan


 Diabetes के घरेलू 10 उपाय|What to eat if you have diabetes?

Dr.virevderMadhan

डायबिटीज को मैनेज करने के लिए निम्नलिखित 10 घरेलू उपाय सहायक हो सकते हैं:


मेथी दाना:–

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 मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित हो सकता है।


करेला:–

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 करेले का रस रोजाना पीने से ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है।


जामुन:–

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 जामुन का फल और बीज दोनों ही डायबिटीज के लिए लाभकारी होते हैं। इसके बीजों का पाउडर बनाकर सेवन करें।


आंवला:-

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 आंवले का रस और हल्दी मिलाकर सेवन करने से डायबिटीज नियंत्रित हो सकती है।


दालचीनी:–

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 दालचीनी को चाय या पानी में उबालकर पिएं। इससे इन्सुलिन सेंसिटिविटी बढ़ सकती है।


एलोवेरा:–

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 एलोवेरा जूस का सेवन भी ब्लड शुगर लेवल कम करने में मददगार हो सकता है।


नीम:–

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 नीम की पत्तियों का रस या पाउडर का सेवन करने से भी डायबिटीज पर काबू पाया जा सकता है।


अदरक:–

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 अदरक का सेवन करने से शरीर में इन्सुलिन के उत्पादन में सुधार हो सकता है।


टमाटर:–

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 टमाटर का जूस पीने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रह सकता है।


नियमित व्यायाम:–

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 योग, वॉकिंग, साइक्लिंग, या स्विमिंग जैसे व्यायाम रोजाना करें। इससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और वजन कम होता है।


इन घरेलू उपायों के साथ-साथ संतुलित आहार, नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह को भी महत्वपूर्ण मानें।


डायबिटीज को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए घरेलू उपायों के साथ कुछ अन्य सावधानियों और टिप्स पर भी ध्यान देना जरूरी है:


पानी का पर्याप्त सेवन:–

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 दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इससे शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।


फाइबर युक्त भोजन:–

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 अपने आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे ओट्स, ब्राउन राइस, सब्जियाँ और फल शामिल करें। ये पाचन में सुधार करते हैं और शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।


प्रोटीन का सेवन:–

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 प्रोटीन युक्त आहार जैसे दालें, बीन्स, टोफू, मछली, और चिकन का सेवन करें। ये ब्लड शुगर लेवल को स्थिर रखने में मदद करते हैं।


स्ट्रेस मैनेजमेंट:–

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 स्ट्रेस ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है। मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, और योगा से तनाव कम करें।


नींद:–

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 पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लें। नींद की कमी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।


छोटे और नियमित भोजन:–

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 दिन में तीन बड़े भोजन की बजाय छोटे-छोटे और नियमित अंतराल पर भोजन करें। इससे ब्लड शुगर लेवल स्थिर रहता है।


स्वास्थ्यवर्धक स्नैक्स:–

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 भूख लगने पर हेल्दी स्नैक्स जैसे नट्स, बीज, और फल खाएं।


शुगर और प्रोसेस्ड फूड्स से परहेज:–

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 चीनी और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कम करें। ये ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकते हैं।


ग्रीन टी:–

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 ग्रीन टी का सेवन करें। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।


रेगुलर मॉनिटरिंग:–

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 नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच करें। इससे आपको अपने शुगर लेवल पर निगरानी रखने और समय पर उचित कदम उठाने में मदद मिलेगी।


इन सभी उपायों और सावधानियों को अपनाकर डायबिटीज को बेहतर ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि कोई भी घरेलू उपाय अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

गुरुवार, 6 जून 2024

बवासीर कैसे ठीक करें|How To Ayurvedic Treatment|Piles

 बवासीर कैसे ठीक करें|How To Ayurvedic Treatment|Piles

Dr.VirenderMadhan

बवासीर

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बवासीर, जिसे पाइल्स (Piles) या हेमोरॉइड्स (Hemorrhoids) भी कहा जाता है, एक सामान्य स्थिति है जिसे कई उपायों से ठीक किया जा सकता है। यहाँ कुछ घरेलू उपचार और चिकित्सा विधियाँ दी जा रही हैं:

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घरेलू उपचार:–

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फाइबर युक्त आहार:-

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आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियाँ, और अनाज शामिल करें। यह कब्ज को कम करने में मदद करेगा।

पर्याप्त पानी पियें:–

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दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पियें। यह मल को मुलायम रखता है और पाइल्स से राहत दिलाने में मदद करता है।

बर्फ की सिकाई:–

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बवासीर के क्षेत्र पर बर्फ का पैक लगाने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है।

गर्म पानी का सेवन:–

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टब में गर्म पानी भरकर उसमें 15-20 मिनट तक बैठें। इसे सिट्ज़ बाथ (Sitz Bath) कहा जाता है और यह पाइल्स के दर्द और खुजली से राहत दिलाने में मदद करता है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी क्रीम:–

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डॉक्टर से सलाह लेकर एंटी-इंफ्लेमेटरी क्रीम या मलहम का उपयोग करें।

चिकित्सा उपचार:–

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ओवर-द-काउंटर मेडिकेशंस:

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डॉक्टर से सलाह लेकर पेन रिलीफ मेडिकेशंस और स्टूल सॉफ्टनर्स का उपयोग कर सकते हैं।

बैंड लिगेशन:–

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इसमें बवासीर के चारों ओर एक बैंड बांध दिया जाता है जिससे उसकी ब्लड सप्लाई रुक जाती है और वह सूखकर गिर जाता है।

स्क्लेरोथेरेपी:–

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इसमें एक केमिकल इंजेक्ट किया जाता है जो बवासीर को सिकोड़ देता है।

सर्जरी:–

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गंभीर मामलों में, बवासीर को सर्जिकल तरीके से हटाया जाता है। यह हेमोरॉइडेक्टॉमी (Hemorrhoidectomy) कहलाता है।

लेज़र उपचार:–

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लेज़र तकनीक से बवासीर को जलाया जाता है। यह आधुनिक और कम दर्दनाक विधि है।

सामान्य सुझाव:–

* बाथरूम में अधिक समय न बिताएं।

* कसरत करें और सक्रिय रहें।

* भारी वजन उठाने से बचें।

* तंग कपड़े पहनने से बचें।

यदि आपको लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं या गंभीर होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। बवासीर का इलाज जल्दी कराने से जटिलताओं से बचा जा सकता है।


बवासीर की आयुर्वेदिक दवा

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बवासीर (पाइल्स) के लिए आयुर्वेदिक उपचार भी काफी प्रभावी हो सकते हैं। आयुर्वेद में, बवासीर को "अर्श" कहा जाता है, और इसके इलाज के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक उपचारों का उपयोग किया जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाओं और उपायों का वर्णन किया गया है:


आयुर्वेदिक दवाएँ:

त्रिफला चूर्ण:–

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त्रिफला चूर्ण कब्ज को दूर करने और आंतों को साफ रखने में मदद करता है। इसे रात में सोने से पहले गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है।

अर्शकुठार रस:–

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यह एक आयुर्वेदिक दवा है जो बवासीर के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होती है।

कांचनार गुग्गुलु:–

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कांचनार गुग्गुलु सूजन और गांठों को कम करने में मदद करता है। यह विशेष रूप से बवासीर के लिए उपयोगी है।

नागकेसर चूर्ण:

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नागकेसर का चूर्ण बवासीर से होने वाले रक्तस्राव को रोकने में प्रभावी है। इसे मक्खन और चीनी के साथ मिलाकर लिया जा सकता है।

अर्शोहर वटी:

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यह एक और आयुर्वेदिक गोली है जो बवासीर के इलाज में उपयोगी है।

आयुर्वेदिक घरेलू उपाय:–

छाछ:

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भोजन के बाद छाछ पीने से पाचन शक्ति में सुधार होता है और बवासीर के लक्षणों से राहत मिलती है। इसमें अजवाइन और काला नमक मिला सकते हैं।

अलसी के बीज:

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अलसी के बीज कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं। इन्हें पानी में भिगोकर सेवन किया जा सकता है।

अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल):

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रात में सोते समय एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पीने से मल त्याग में सहूलियत होती है।

अंजीर:

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सूखे अंजीर को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खाने से बवासीर के लक्षणों में आराम मिलता है।

आयुर्वेदिक जीवनशैली और आहार:

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फाइबर युक्त आहार:–

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* हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल, और साबुत अनाज खाएँ।

*पानी अधिक पीएँ–

 दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।

*भोजन के बाद टहलें:–

 खाना खाने के बाद थोड़ी देर टहलें।

*योग और ध्यान:–

 नियमित योग और ध्यान से मानसिक और शारीरिक तनाव कम होता है।

आयुर्वेदिक उपचार के लिए, किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है। वे आपकी व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर सही उपचार का सुझाव देंगे।

मंगलवार, 28 मई 2024

गर्मियों में गोंद कतीरे के 30 उपयोग|In which diseases is Gond Katira useful? In hindi

 गर्मियों में गोंद कतीरे के 30 उपयोग|In which diseases is Gond Katira useful? In hindi

Dr.VirenderMadhan

गोंद कतीरा (ट्रागाकैंथ गम) एक प्राकृतिक रेजिन है जो पौधों से प्राप्त होता है और इसे विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोग किया जाता है। 

गोंद कतीरे के अनेक फायदे गर्मियों में खाने से मिल जाते है.



गोंद कतीरा के सेवन का तरीका

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रात मे गोंद कतीरे को पानी के गिलास में डाल दें, सुबह तक पानी में फूल जाएगा. अब एक चम्मच गोंद कतीरा लें और एक गिलास छाछ, नींबू पानी या किसी भी ड्रिंक में डालकर मिक्स करें.

* इसको लोग लड्डू बनाकर भी खाते है.

गोंद कतीरे के फायदे:–

शीतलता प्रदान करता है:–

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 गोंद कतीरा शरीर में ठंडक प्रदान करता है, जिससे गर्मियों में ताजगी बनी रहती है।


हाइड्रेशन:–

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 गोंद कतीरा पानी में भिगोकर पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है और गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचाव होता है।


पाचन सुधारता है:–

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 यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।


त्वचा की देखभाल:–

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 गोंद कतीरा का उपयोग फेस पैक में किया जा सकता है, जिससे त्वचा को ठंडक मिलती है और त्वचा की जलन कम होती है।


ऊर्जा का स्रोत:–

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 गोंद कतीरा प्राकृतिक ऊर्जा प्रदान करता है और थकान को दूर करता है।


गले की समस्याएं:–

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 गले की खराश और सूजन को कम करने में गोंद कतीरा सहायक है।


वजन घटाने में सहायक:–

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 गोंद कतीरा पानी में फूलकर भूख को कम करता है और वजन नियंत्रण में मदद करता है।


प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है:–

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 यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।


मूत्र संबंधी समस्याएं:–

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यह मूत्र मार्ग में जलन और अन्य समस्याओं को कम करने में मदद करता है।


अल्सर और पेट की समस्याएं:–

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गोंद कतीरा पेट के अल्सर और अन्य पेट की समस्याओं को ठीक करने में सहायक होता है।


इन सभी लाभों के कारण गर्मियों में गोंद कतीरा का सेवन और उपयोग स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है।


सिरदर्द से राहत:–

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गर्मियों में होने वाले सिरदर्द को कम करने में गोंद कतीरा मदद करता है। इसे शर्बत या ड्रिंक में मिलाकर पीने से ठंडक मिलती है और सिरदर्द में आराम मिलता है।


हीट स्ट्रोक से बचाव:–

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 गोंद कतीरा का शरबत पीने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और हीट स्ट्रोक (लू) से बचाव होता है।


जलन और घमौरियों में राहत:–

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 गर्मियों में त्वचा पर होने वाली जलन और घमौरियों के लिए गोंद कतीरा का लेप लाभदायक होता है।


गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत:–

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 गोंद कतीरा के सेवन से जोड़ों में चिकनाई बढ़ती है और गठिया के दर्द में आराम मिलता है।


प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत करना:–

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 गोंद कतीरा एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है।


बालों की देखभाल:–

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 गोंद कतीरा का उपयोग बालों के मास्क के रूप में किया जा सकता है, जिससे बालों को पोषण और ठंडक मिलती है।


खून साफ करने में सहायक:–

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 गोंद कतीरा खून को साफ करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है।


स्नायु तंत्र को शांत करता है:–

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 गोंद कतीरा के सेवन से स्नायु तंत्र को शांत करने में मदद मिलती है और तनाव कम होता है।


मुँह के छालों में राहत:–

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 गोंद कतीरा मुँह के छालों को ठीक करने में भी सहायक होता है।


एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण:–

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 इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन और जलन को कम करने में मदद करते हैं।


गोंद कतीरा के ये सभी उपयोग इसे एक बहुपयोगी और महत्वपूर्ण प्राकृतिक औषधि बनाते हैं, विशेषकर गर्मियों में जब शरीर को ठंडक और हाइड्रेशन की अधिक आवश्यकता होती है।


वजन बढ़ाने में सहायक:–

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 कुछ मामलों में, गोंद कतीरा का सेवन करने से भूख बढ़ती है, जिससे वजन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।


एंटी-बैक्टीरियल गुण:–

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 गोंद कतीरा में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा संक्रमण और अन्य बैक्टीरियल समस्याओं से बचाव में सहायक होते हैं।


एंटी-ऑक्सीडेंट गुण:–

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 यह शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करता है और कोशिकाओं को क्षति से बचाता है, जिससे उम्र बढ़ने के लक्षण धीमे होते हैं।


हृदय स्वास्थ्य:–

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 गोंद कतीरा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है।


दस्त का उपचार:–

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 गोंद कतीरा दस्त के इलाज में सहायक हो सकता है क्योंकि यह पाचन तंत्र को शांत करता है।


शरीर की थकान कम करना:–

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 गोंद कतीरा एनर्जी बूस्टर के रूप में काम करता है और शारीरिक थकान को कम करता है।


हड्डियों की मजबूती:–

----------------------------------- गोंद कतीरा में कुछ ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो हड्डियों की मजबूती में सहायक होते हैं।


स्वस्थ बाल और नाखून:–

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 नियमित रूप से गोंद कतीरा का सेवन बालों और नाखूनों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है।


एंटी-फंगल गुण:–

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 गोंद कतीरा में एंटी-फंगल गुण होते हैं जो फंगल संक्रमण से बचाव में सहायक होते हैं।


ध्यान और एकाग्रता बढ़ाना:–

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 गोंद कतीरा का सेवन मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में सुधार कर सकता है, जिससे पढ़ाई और काम में ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाता है।


गोंद कतीरा के ये अतिरिक्त उपयोग इसे एक व्यापक और प्रभावी प्राकृतिक उपचार बनाते हैं, खासकर गर्मियों के महीनों में।

रविवार, 26 मई 2024

प्याज के खाने से 10 बडे फायदे|Benefits Of Onion

प्याज के खाने से 10 बडे फायदे|Benefits Of Onion

Dr.VirenderMadhan

प्याज (Allium cepa) को आयुर्वेद में कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसके विभिन्न गुण निम्नलिखित हैं:

1- वात-पित्त-कफ का संतुलन:–

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 प्याज का सेवन वात और पित्त को संतुलित करता है और कफ को कम करने में मदद करता है यह कफध्न होता है खांसी, जुकाम और श्वास रोग मे बहुत लाभकारी है.

2– पाचन में सुधार:–

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 प्याज पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पाचन समस्याओं जैसे कब्ज और गैस को कम करता है।प्याज लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है|

3– रक्तसंचार में सुधार:–

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प्याज रक्त को शुद्ध करता है और रक्तसंचार में सुधार करता है।

4– श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी:– 

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प्याज श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखता है और खांसी, जुकाम, और अस्थमा जैसी समस्याओं में राहत देता है।

5– त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद:–

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प्याज के रस का उपयोग त्वचा और बालों के स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। यह त्वचा को निखारता है और बालों की जड़ों को मजबूत करता है।

6– एंटीसेप्टिक गुण:–

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प्याज में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो संक्रमण को रोकते हैं और घाव भरने में मदद करते हैं।

7– प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना:–

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 प्याज में मौजूद विटामिन C और अन्य पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।

8–एंटीऑक्सीडेंट गुण:–

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 प्याज में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

9– मधुमेह नियंत्रण:–

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 प्याज का सेवन रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

10– हृदय स्वास्थ्य:–

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 प्याज हृदय रोगों के जोखिम को कम करता है और कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करता है।
इन सभी गुणों के कारण, प्याज को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है।