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शनिवार, 13 जुलाई 2024

हाथ पैर सुन्न हो तो क्या करें|Know The Causes And Remedies For Numbness Of Hands And Feet.

 हाथ पैर सुन्न हो तो क्या करें|Know The Causes And Remedies For Numbness Of Hands And Feet.

सुप्तिवात

Dr.VirenderMadhan

हाथ और पैर सुन्न हो जाने पर निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:

मालिश करें:–

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 सुन्न हुए हिस्से पर हल्की मालिश करें जिससे रक्त संचार बेहतर हो सके।


गर्म पानी में भिगोएं:–

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 गर्म पानी में हाथ या पैर को थोड़ी देर के लिए भिगोएं। इससे सुन्नता कम होगी।


व्यायाम करें:–

–––––––

 स्ट्रेचिंग और हल्का व्यायाम करें जिससे रक्त संचार तेज हो।


पानी पिएं:–

––––-––

 शरीर में पानी की कमी भी सुन्नता का कारण हो सकती है, इसलिए पर्याप्त पानी पिएं।


सही पोश्चर अपनाएं:–

––––––––––

 गलत पोश्चर के कारण भी सुन्नता हो सकती है, इसलिए बैठने और सोने के सही तरीके अपनाएं।


डॉक्टर से संपर्क करें:–

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 यदि सुन्नता बार-बार हो रही है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो किसी चिकित्सक से परामर्श लें।

#क्यों_होते_है_हाथ_पैर_सुन्न

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[ कारण ]

हाथ और पैर सुन्न होने के कई कारण हो सकते हैं:


रक्त संचार में कमी:–

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 जब किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, तो वह हिस्सा सुन्न हो सकता है।


नसों पर दबाव:–

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 लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने या लेटे रहने से नसों पर दबाव पड़ सकता है, जिससे सुन्नता हो सकती है।


विटामिन की कमी:–

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 विशेषकर विटामिन B12 की कमी से भी हाथ और पैर सुन्न हो सकते हैं।


डायबिटीज:–

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 डायबिटीज के मरीजों में नर्व डैमेज (न्यूरोपैथी) के कारण भी सुन्नता हो सकती है।


स्नायु संबंधी समस्याएं:–

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 जैसे कार्पल टनल सिंड्रोम, पेरिफेरल न्यूरोपैथी, या हरनियेटेड डिस्क।


घाव या चोट:–

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 किसी हिस्से में चोट लगने या घाव होने के कारण भी सुन्नता हो सकती है।


मेडिकल कंडिशन्स:–

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 कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ, जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस, स्ट्रोक, और अन्य न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स भी सुन्नता का कारण हो सकते हैं।


मेडिकेशन साइड इफेक्ट्स:–

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 कुछ दवाओं के सेवन से भी सुन्नता हो सकती है।

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स:–

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 जैसे ल्यूपस या रूमेटोइड अर्थराइटिस, जिनमें शरीर की इम्यून सिस्टम अपने ही टिश्यूज़ पर हमला करती है।


साइन या क्यूबिटल टनल सिंड्रोम:–

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 हाथ में एक विशेष नस पर दबाव पड़ने से सुन्नता हो सकती है।


थायरॉइड की समस्याएं:–

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 हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण भी सुन्नता हो सकती है।


एल्कोहल का अत्यधिक सेवन:–

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 अत्यधिक शराब पीने से भी नसों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे सुन्नता हो सकती है।


संक्रमण:–

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 कुछ वायरस और बैक्टीरियल संक्रमण जैसे लाइम डिजीज, हर्पीज जॉस्टर (शिंगल्स) और एचआईवी भी नसों को प्रभावित कर सकते हैं।


कैंसर:–

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 कुछ प्रकार के कैंसर और उनके इलाज (कीमोथेरेपी) भी नसों पर प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे सुन्नता हो सकती है।


टॉक्सिन एक्सपोजर:–

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 कुछ रसायनों और धातुओं, जैसे सीसा, पारा, और आर्सेनिक, के संपर्क में आने से नसों को नुकसान हो सकता है।


हार्निया:–

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 रीढ़ की हड्डी में डिस्क का हर्नियेशन या स्लिप्ड डिस्क भी नसों पर दबाव डाल सकती है, जिससे सुन्नता हो सकती है।


स्ट्रोक:–

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 स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बंद हो सकती है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में सुन्नता हो सकती है।

#घरेलू_उपाय_क्या_है

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हाथ और पैर सुन्न होने पर कुछ घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं:


गर्म पानी से सिंकाई:–

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 गर्म पानी में कपड़ा भिगोकर सुन्न हिस्से पर रखें। इससे रक्त संचार बेहतर होगा।


नमक का पानी:–

––––––-––

 गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर उसमें हाथ या पैर को भिगोएं। यह मांसपेशियों को आराम देगा और सुन्नता कम करेगा।


हल्दी दूध:–

––––––

 एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पिएं। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं।


व्यायाम और स्ट्रेचिंग:–

–––––––––––

 नियमित रूप से व्यायाम और स्ट्रेचिंग करें। इससे रक्त संचार बेहतर होगा और मांसपेशियों को राहत मिलेगी।


मालिश:–

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 नारियल तेल, सरसों का तेल या जैतून के तेल से सुन्न हिस्से की मालिश करें। इससे रक्त संचार में सुधार होगा और सुन्नता कम होगी।


अदरक का सेवन:–

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 अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। अदरक की चाय पिएं या अदरक का टुकड़ा चबाएं।


विटामिन बी12 की आपूर्ति:–

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 अपने आहार में विटामिन बी12 युक्त खाद्य पदार्थ जैसे अंडे, मांस, डेयरी उत्पाद और फोर्टिफाइड अनाज शामिल करें।


सही पोश्चर:–

––––––

 काम करते समय सही पोश्चर अपनाएं और लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें।


मेडिटेशन और योग:–

–––––-–––-

 तनाव कम करने और रक्त संचार में सुधार के लिए मेडिटेशन और योग करें।


पानी पिएं:–

––––––

 शरीर में पानी की कमी से भी सुन्नता हो सकती है। दिन भर में पर्याप्त पानी पिएं।


[चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।]

जडीबुटी

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हाथ और पैर सुन्न होने पर कुछ जड़ी-बूटियों का उपयोग भी किया जा सकता है। यहाँ कुछ जड़ी-बूटियाँ और उनके उपयोग के तरीके दिए गए हैं


गिलोय:–

–––––

 गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। गिलोय का रस या चूर्ण का सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और सुन्नता को कम करने में मदद कर सकता है।


ब्रह्मी:–

–––––

 ब्रह्मी मस्तिष्क और नसों के स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है। इसका सेवन तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है और सुन्नता को कम करता है। ब्रह्मी का चूर्ण या कैप्सूल का सेवन करें।


हल्दी:–

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 हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट है। हल्दी को दूध में मिलाकर पिएं या भोजन में शामिल करें।


नागौरी अश्वगंधा:–

–––––––––

 यह जड़ी-बूटी तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाने और तनाव को कम करने में मदद करती है। इसका उपयोग चूर्ण या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है।


पुनर्नवा:–

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 पुनर्नवा का उपयोग शरीर के विषाक्त पदार्थों को निकालने और रक्त संचार को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। इसका सेवन चूर्ण या काढ़ा के रूप में कर सकते हैं।


त्रिफला:–

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 त्रिफला का सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है और तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ बनाता है। त्रिफला चूर्ण को रात में गर्म पानी के साथ लें।


शंखपुष्पी:–

–––––––

 यह जड़ी-बूटी मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद करती है। इसका सेवन चूर्ण या सिरप के रूप में करें।


सौंठ (सूखा अदरक):–

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 सौंठ का सेवन तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है और सूजन को कम करता है। इसे गर्म पानी या चाय में मिलाकर पिएं।


शतावरी:–

––––––

 शतावरी का सेवन नसों और मांसपेशियों को मजबूत करता है। इसका उपयोग चूर्ण, कैप्सूल या काढ़ा के रूप में कर सकते हैं।


चमेली के पत्ते:–

––––––––

 चमेली के पत्तों का रस या पेस्ट बनाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं। यह रक्त संचार को सुधारने में मदद करता है।


तुलसी:–

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 तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। तुलसी के पत्तों का रस निकालकर पिएं या चाय में मिलाकर सेवन करें।


बिल्व:–

––––––

 बिल्व के पत्तों का रस निकालकर पिएं या इसके चूर्ण का सेवन करें। यह नसों को मजबूत बनाने में मदद करता है।


लहसुन:–

––––––-

 लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। रोजाना सुबह खाली पेट एक या दो लहसुन की कलियाँ खाएं।


नीम:–

––––

 नीम के पत्तों का रस निकालकर पिएं या नीम का तेल प्रभावित हिस्से पर लगाएं। यह संक्रमण को रोकने और नसों को मजबूत बनाने में मदद करता है।


हरीतकी:–

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 हरीतकी का सेवन तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसका चूर्ण गर्म पानी के साथ लें।


मेथी:–

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 मेथी के बीजों को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाएं। यह सूजन को कम करता है और नसों को मजबूत बनाता है।


ब्राह्मी:–

–––––––

 ब्राह्मी का सेवन तनाव को कम करने और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। ब्राह्मी चूर्ण या कैप्सूल का सेवन करें।


अर्जुन की छाल:–

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अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पिएं। यह हृदय और नसों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।


मसाज ऑयल:– 

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आंवला, भृंगराज, और ब्राह्मी के तेल का उपयोग करके नियमित मालिश करें। इससे रक्त संचार बेहतर होता है और नसों को राहत मिलती है।


इन जड़ी-बूटियों का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है, ताकि आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार सही मार्गदर्शन मिल सके।


**लाइफ स्टाइल

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हाथ और पैर सुन्न होने की समस्या से निपटने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव मददगार हो सकते हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:


1. नियमित व्यायाम करें:

एरोबिक व्यायाम: 

जैसे चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैराकी।

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग: 

हल्के वज़न उठाना और मांसपेशियों को मजबूत बनाना।

स्ट्रेचिंग: 

नियमित स्ट्रेचिंग करने से रक्त संचार बेहतर होता है।

2. सही पोश्चर अपनाएं:


काम करते समय और आराम करते समय सही पोश्चर बनाए रखें।

कंप्यूटर पर काम करते समय कुर्सी और टेबल की ऊँचाई सही रखें।

लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठे रहें। बीच-बीच में उठकर चलें।

3. आहार में सुधार करें:


विटामिन B12 और अन्य आवश्यक पोषक तत्व शामिल करें।

ताजे फल, सब्जियाँ, नट्स, और साबुत अनाज खाएं।

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और अधिक चीनी से बचें।

4. धूम्रपान और शराब का सेवन कम करें:


धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। इन्हें कम या बंद करने का प्रयास करें।

5. सही नींद लें:


प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद लें।

सही गद्दे और तकिए का उपयोग करें ताकि रीढ़ की हड्डी को सही समर्थन मिले।

6. तनाव प्रबंधन:


मेडिटेशन, योग, और गहरी साँस लेने की तकनीकें अपनाएं।

हाबी और रुचियों को समय दें ताकि मन शांत रहे।

7. हाइड्रेटेड रहें:


पर्याप्त पानी पिएं। शरीर में पानी की कमी से भी सुन्नता हो सकती है।

8. रक्त संचार में सुधार:


गर्म पानी से स्नान करें या गर्म पानी में पैरों को डुबोएं।

प्रभावित हिस्सों की हल्की मालिश करें।

9. विश्राम और विश्रांति:


नियमित रूप से ब्रेक लें और मांसपेशियों को विश्राम दें।

सर्कुलेशन में सुधार के लिए पैरों को थोड़ा ऊपर उठाकर बैठें।

10. डॉक्टर से नियमित जांच:


किसी भी लंबी अवधि की समस्या या पुरानी बीमारियों के लिए नियमित जांच कराएं।

चिकित्सक से परामर्श लें और उनकी सलाह का पालन करें।

इन जीवनशैली में बदलाव से हाथ और पैर सुन्न होने की समस्या को कम किया जा सकता है और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।

बुधवार, 10 जुलाई 2024

आयुर्वेद के अनुसार दीर्घायु के नियम

 आयुर्वेद के अनुसार दीर्घायु के नियम

Dr.VirenderMadhan

आयुर्वेद में दीर्घायु के लिए कुछ मुख्य नियम होते हैं:


आहार संबंधी नियम:–

 सत्त्विक आहार, यानी प्राकृतिक, स्वास्थ्यप्रद और हर्मोनियस आहार लेना दीर्घायु के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें शाकाहार, फलाहार, धान्याहार आदि शामिल होते हैं।


व्यायाम और योग:–

 नियमित व्यायाम और योग करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, जो दीर्घायु के लिए आवश्यक है।


दिनचर्या:–

 योग्य दिनचर्या का पालन करना, जिसमें नियमित निद्रा, समय पर उठना, प्राणायाम, और ध्यान शामिल हो, दीर्घायु के लिए फायदेमंद होता है।


रसायन चिकित्सा:–

 आयुर्वेद में रसायन चिकित्सा का उपयोग शारीरिक और मानसिक स्थिति को सुधारने में किया जाता है, जो दीर्घायु को बढ़ावा देता है।


वातावरण और संजीवनीय उपचार:–

 स्वस्थ वातावरण में रहना और आयुर्वेदिक संजीवनीय उपचारों का उपयोग करना दीर्घायु को बढ़ाने में सहायक होता है।


इन नियमों का पालन करने से शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बना रहता है, जिससे दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है।

मंगलवार, 2 जुलाई 2024

वर्षा ऋतु मे रोगों से बचने के लिए क्या करें in hindi.


 वर्षा ऋतु मे रोगों से बचने के लिए क्या करें

वर्षा ऋतुचर्या

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Dr.VirenderMadhan

वर्षा ऋतु में रोगों से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ बरतें:

स्वच्छ पानी पिएं:-

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 केवल उबला या फ़िल्टर किया हुआ पानी ही पिएं।

संतुलित आहार लें:–

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 ताज़े फल, सब्जियाँ और पका हुआ भोजन खाएं।

व्यक्तिगत स्वच्छता:–

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 नियमित रूप से हाथ धोएं, विशेषकर खाने से पहले और बाथरूम का उपयोग करने के बाद।

मच्छरों से बचाव:–

--------------------- 

 मच्छरदानी का उपयोग करें, और मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का उपयोग करें।

भीगे कपड़े ना पहनें:–


--------------------------------- गीले कपड़े पहनने से बचें और तुरंत बदलें।

व्यायाम:–

------------

 नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो।

जलजमाव से बचें:–

---------------------

 घर के आस-पास पानी जमा ना होने दें, क्योंकि यह मच्छरों की वृद्धि को बढ़ावा देता है।

स्वच्छता बनाए रखें:–

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 घर और आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें।

इन सावधानियों का पालन करके आप वर्षा ऋतु में स्वस्थ रह सकते हैं।


भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें:–

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 जहां तक संभव हो, अत्यधिक भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें, क्योंकि यह संक्रमण फैलने की संभावना को बढ़ा सकता है।

त्वचा की देखभाल:–

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 त्वचा को सूखा और स्वच्छ रखें। नमी से त्वचा संक्रमण हो सकता है, इसलिए रोजाना स्नान करें और अच्छे से पोंछें।

विटामिन और मिनरल्स:–

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 विटामिन सी और जिंक युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं।

सुरक्षित जूतों का उपयोग:–

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 बारिश में फिसलन से बचने के लिए अच्छे ग्रिप वाले जूते पहनें।

गर्म पेय का सेवन:–

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 अदरक की चाय, तुलसी की चाय, या हल्दी वाला दूध जैसे गर्म पेय पदार्थ पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

सड़क किनारे का भोजन:–

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 सड़क किनारे मिलने वाले खुले खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि उनमें बैक्टीरिया और वायरस होने की संभावना अधिक होती है।

समय पर टीकाकरण:–

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 अपने और अपने परिवार के सभी आवश्यक टीकाकरण समय पर कराएं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान:–

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 तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान और शांति दायक गतिविधियों में शामिल हों।

इन अतिरिक्त सुझावों को अपनाकर आप वर्षा ऋतु में होने वाले विभिन्न रोगों से बच सकते हैं और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं।


आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु मे क्या करें?

आयुर्वेद के अनुसार, वर्षा ऋतु में विशेष रूप से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है जठराग्नि कमजोर होती है और वात दोष का प्रभाव बढ़ जाता है। इस समय स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए:

आहार:–

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हल्का और सुपाच्य भोजन करें: खिचड़ी, दलिया, और सूप जैसे हल्के भोजन का सेवन करें।

ताजा और गर्म भोजन:–

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 ताजा और गर्म पका हुआ भोजन खाएं। बासी और ठंडा भोजन न करें।

मसाले:–

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 पाचन को सुधारने के लिए जीरा, सौंफ, हींग, और अदरक जैसे मसालों का प्रयोग करें।

दूध और दूध उत्पाद:–

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 गर्म दूध में हल्दी डालकर पिएं। दही का सेवन दिन में करें, रात में नहीं।वर्षों ऋतु में दही न खायें तो अच्छा है

तेल:–

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वातदोष शमन के लिए तिल का तेल, सरसों का तेल या घी का प्रयोग करें।

पानी:–

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 उबला हुआ या गर्म पानी पिएं। नीम या तुलसी के पत्ते डालकर पानी को उबालें।

व्यवहार और दिनचर्या:-

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भोजन समय पर करें:–

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 नियमित अंतराल पर भोजन करें और देर रात तक जागने से बचें।

योग और प्राणायाम:–

-------------------------

 हल्के योगासन और प्राणायाम करें ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे।

वात नियंत्रण:–

-------------------

 वात दोष को संतुलित करने के लिए तेल मालिश करें। तिल के तेल से मालिश करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

नींद:–

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 पर्याप्त नींद लें और कोशिश करें कि जल्दी सोएं और जल्दी उठें।

स्वच्छता:-

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स्नान:–

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 नीम के पत्तों को पानी में उबालकर स्नान करें।

परिधान:–

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 सूती कपड़े पहनें जो जल्दी सूख जाएं। गीले कपड़े तुरंत बदलें।

मच्छर:–

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 मच्छरों से बचाव के लिए नीम का तेल या तुलसी के पत्तों का उपयोग करें।

मानसिक स्वास्थ्य:–

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ध्यान और ध्यान का अभ्यास: ध्यान, प्राणायाम और योग से मन को शांत और स्थिर रखें।

तनाव कम करें:–

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 मनोरंजक गतिविधियों में भाग लें और तनाव को दूर रखने के लिए समय निकालें।

इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर आप वर्षा ऋतु में स्वस्थ और निरोग रह सकते हैं।

शनिवार, 22 जून 2024

केला खाना क्यों जरूरी है 10 कारण बताओ

 केला खाना क्यों जरूरी है 10 कारण बताओ

Dr.VirenderMadhan

केला एक पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक फल है जिसे नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करना चाहिए। यहाँ 10 कारण बताए गए हैं कि क्यों केला खाना जरूरी है:


ऊर्जा का अच्छा स्रोत:–

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 केले में प्राकृतिक शर्करा (ग्लूकोज़, फ्रक्टोज़ और सुक्रोज़) होती है जो त्वरित और टिकाऊ ऊर्जा प्रदान करती है।


पाचन सुधारता है:–

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 केले में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और कब्ज जैसी समस्याओं को कम करता है।


पोटेशियम का अच्छा स्रोत:–

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 केले में पोटेशियम की उच्च मात्रा होती है, जो दिल के स्वास्थ्य और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।


वजन घटाने में मददगार:–

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 केले में कैलोरी कम होती है और फाइबर अधिक होता है, जो भूख को नियंत्रित करने और वजन घटाने में मदद करता है।


हड्डियों को मजबूत बनाता है:–

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 केले में मैग्नीशियम और कैल्शियम होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।


हृदय स्वास्थ्य:–

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 केले में पाए जाने वाले पोटेशियम और मैग्नीशियम हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और दिल की बीमारियों के खतरे को कम करते हैं।


मानसिक स्वास्थ्य:–

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 केले में ट्रिप्टोफैन होता है, जो मूड को सुधारने में मदद करता है और अवसाद को कम करने में सहायक होता है।


त्वचा की चमक:–

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 केले में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं।


प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है:–

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 केले में विटामिन बी6 और विटामिन सी होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।


खेल और व्यायाम के लिए उत्तम:–

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 केले में पाए जाने वाले इलेक्ट्रोलाइट्स और कार्बोहाइड्रेट्स शरीर को व्यायाम के दौरान और बाद में ऊर्जा प्रदान करते हैं।

इसलिए, केला एक संपूर्ण और लाभकारी फल है जिसे अपने दैनिक आहार में शामिल करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।


मांसपेशियों की ऐंठन को रोकता है:–

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 केले में पोटेशियम और मैग्नीशियम की उच्च मात्रा मांसपेशियों की ऐंठन और थकान को कम करने में मदद करती है।


श्वसन स्वास्थ्य:–

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 केले में पाए जाने वाले पोषक तत्व श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं, विशेष रूप से अस्थमा जैसी समस्याओं में लाभकारी हो सकते हैं।


गर्भावस्था में फायदेमंद:–

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 केले में फोलिक एसिड होता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भ्रूण के विकास में मदद करता है।


रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है:–

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 केले में घुलनशील फाइबर होता है जो रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में मदद करता है, जिससे मधुमेह के रोगियों के लिए यह एक अच्छा विकल्प बनता है।


प्राकृतिक एंटी-एसिड:–

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 केला एक प्राकृतिक एंटी-एसिड के रूप में काम करता है और एसिडिटी व सीने की जलन को कम करने में मदद करता है।


मस्तिष्क के कार्य को बढ़ावा देता है:–

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 केले में पाए जाने वाले विटामिन बी6 मस्तिष्क के कार्य को सुधारते हैं और स्मरणशक्ति को बढ़ाते हैं।


नींद में सुधार:–

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 केले में ट्रिप्टोफैन और मैग्नीशियम होता है, जो नींद की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है।


प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर:–

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 केले में मौजूद पेक्टिन शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है, जिससे शरीर डिटॉक्स होता है।


मूड सुधारता है:–

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 केले में ट्रिप्टोफैन होता है, जो सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है और मूड को सुधारने में मदद करता है।


बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करता है:–

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 केले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करते हैं और त्वचा को युवा बनाए रखते हैं।


इन सभी फायदों के कारण केला एक संपूर्ण और पौष्टिक फल है, जिसे नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

गुरुवार, 13 जून 2024

पोल्यूशन को ठीक करनेवाले10 पेड ये आपके जीवन रक्षक है जाने,

 पोल्यूशन को ठीक करनेवाले10 पेड ये आपके जीवन रक्षक है जाने,

DrVirenderMadhan

प्रदूषण को कम करने में मददगार निम्नलिखित 10 पेड़ हैं:

नीम (Azadirachta indica):–

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 नीम का पेड़ हवा को शुद्ध करने में अत्यधिक प्रभावी है और इसका उपयोग आयुर्वेद में भी किया जाता है।

पीपल (Ficus religiosa):–

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 पीपल का पेड़ अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन करता है और हवा की गुणवत्ता में सुधार करता है।

बरगद (Ficus benghalensis):–

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 बरगद का पेड़ भी भारी मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ता है और प्रदूषण को कम करता है।

सहजन (Moringa oleifera):–

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 सहजन का पेड़ हवा को शुद्ध करने और विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जाना जाता है।

अशोक (Saraca asoca):–

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 अशोक का पेड़ पर्यावरण को शुद्ध करने में मदद करता है और इसे औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है।

गुलमोहर (Delonix regia):- 

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गुलमोहर का पेड़ सुंदरता के साथ-साथ हवा की गुणवत्ता को सुधारने में भी सहायक है।

अर्जुन (Terminalia arjuna):–

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 अर्जुन का पेड़ हवा को शुद्ध करने और छाया प्रदान करने में सहायक है।

अमलतास (Cassia fistula):–

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 अमलतास का पेड़ अपने सुंदर फूलों के साथ-साथ हवा की शुद्धता में सुधार करता है।

कटहल (Artocarpus heterophyllus):–

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 कटहल का पेड़ हवा को शुद्ध करने और फल प्रदान करने में मदद करता है।

जामुन (Syzygium cumini):–

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 जामुन का पेड़ पर्यावरण को शुद्ध करने और फलों के लिए जाना जाता है।

ये पेड़ न केवल पर्यावरण को शुद्ध करते हैं बल्कि हमें स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करते हैं। इन पेड़ों का रोपण और संरक्षण हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

नीम:–

 नीम के पेड़ की पत्तियाँ, छाल और तेल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं। यह मच्छरों को दूर रखने में भी मदद करता है।


पीपल:–

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 पीपल का पेड़ न केवल ऑक्सीजन प्रदान करता है बल्कि इसे धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसकी छाया ठंडी होती है और यह शहरी क्षेत्रों में गर्मी को कम करने में मदद करता है।


बरगद:–

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 बरगद का पेड़ अपने विशाल आकार के कारण अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर सकता है और अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। इसकी जड़ें मिट्टी के कटाव को रोकने में भी सहायक होती हैं।


सहजन:–

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 सहजन का पेड़ नाइट्रोजन को ठीक करने की क्षमता रखता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। इसके पत्ते और फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।


अशोक:–

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 अशोक के पेड़ की छाया और सुंदरता इसे बगीचों और पार्कों के लिए आदर्श बनाती है। यह तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करता है।


गुलमोहर:–

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 गुलमोहर का पेड़ अपने खूबसूरत फूलों के लिए जाना जाता है। यह तेज धूप में भी अच्छा पनपता है और गर्मी को कम करता है।


अर्जुन:–

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 अर्जुन के पेड़ की छाल हृदय रोगों के इलाज में उपयोगी मानी जाती है। यह जल संरक्षण में भी सहायक होता है।


अमलतास:–

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 अमलतास के पेड़ के फूल और फल आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग किए जाते हैं। यह गर्मियों में ठंडक प्रदान करता है।


कटहल:–

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 कटहल का पेड़ न केवल फल देता है बल्कि इसके पत्ते और लकड़ी भी उपयोगी होते हैं। यह मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करता है।


जामुन:–

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 जामुन के पेड़ के फल मधुमेह के इलाज में सहायक होते हैं। यह पेड़ प्रदूषण कम करने और जलवायु को स्थिर रखने में मदद करता है।


इन पेड़ों का सही तरीके से रोपण और संरक्षण न केवल हमारे पर्यावरण को शुद्ध रखेगा बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करेगा। इन पेड़ों की देखभाल और उनके महत्व को समझना आवश्यक है ताकि हम एक संतुलित और हरियाली से भरपूर धरती का निर्माण कर सकें।

सोमवार, 10 जून 2024

Diabetes के घरेलू 10 उपाय|What to eat if you have diabetes? Dr.virevderMadhan


 Diabetes के घरेलू 10 उपाय|What to eat if you have diabetes?

Dr.virevderMadhan

डायबिटीज को मैनेज करने के लिए निम्नलिखित 10 घरेलू उपाय सहायक हो सकते हैं:


मेथी दाना:–

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 मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित हो सकता है।


करेला:–

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 करेले का रस रोजाना पीने से ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है।


जामुन:–

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 जामुन का फल और बीज दोनों ही डायबिटीज के लिए लाभकारी होते हैं। इसके बीजों का पाउडर बनाकर सेवन करें।


आंवला:-

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 आंवले का रस और हल्दी मिलाकर सेवन करने से डायबिटीज नियंत्रित हो सकती है।


दालचीनी:–

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 दालचीनी को चाय या पानी में उबालकर पिएं। इससे इन्सुलिन सेंसिटिविटी बढ़ सकती है।


एलोवेरा:–

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 एलोवेरा जूस का सेवन भी ब्लड शुगर लेवल कम करने में मददगार हो सकता है।


नीम:–

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 नीम की पत्तियों का रस या पाउडर का सेवन करने से भी डायबिटीज पर काबू पाया जा सकता है।


अदरक:–

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 अदरक का सेवन करने से शरीर में इन्सुलिन के उत्पादन में सुधार हो सकता है।


टमाटर:–

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 टमाटर का जूस पीने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रह सकता है।


नियमित व्यायाम:–

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 योग, वॉकिंग, साइक्लिंग, या स्विमिंग जैसे व्यायाम रोजाना करें। इससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और वजन कम होता है।


इन घरेलू उपायों के साथ-साथ संतुलित आहार, नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह को भी महत्वपूर्ण मानें।


डायबिटीज को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए घरेलू उपायों के साथ कुछ अन्य सावधानियों और टिप्स पर भी ध्यान देना जरूरी है:


पानी का पर्याप्त सेवन:–

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 दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इससे शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।


फाइबर युक्त भोजन:–

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 अपने आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे ओट्स, ब्राउन राइस, सब्जियाँ और फल शामिल करें। ये पाचन में सुधार करते हैं और शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।


प्रोटीन का सेवन:–

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 प्रोटीन युक्त आहार जैसे दालें, बीन्स, टोफू, मछली, और चिकन का सेवन करें। ये ब्लड शुगर लेवल को स्थिर रखने में मदद करते हैं।


स्ट्रेस मैनेजमेंट:–

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 स्ट्रेस ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है। मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, और योगा से तनाव कम करें।


नींद:–

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 पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लें। नींद की कमी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।


छोटे और नियमित भोजन:–

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 दिन में तीन बड़े भोजन की बजाय छोटे-छोटे और नियमित अंतराल पर भोजन करें। इससे ब्लड शुगर लेवल स्थिर रहता है।


स्वास्थ्यवर्धक स्नैक्स:–

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 भूख लगने पर हेल्दी स्नैक्स जैसे नट्स, बीज, और फल खाएं।


शुगर और प्रोसेस्ड फूड्स से परहेज:–

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 चीनी और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कम करें। ये ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकते हैं।


ग्रीन टी:–

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 ग्रीन टी का सेवन करें। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।


रेगुलर मॉनिटरिंग:–

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 नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच करें। इससे आपको अपने शुगर लेवल पर निगरानी रखने और समय पर उचित कदम उठाने में मदद मिलेगी।


इन सभी उपायों और सावधानियों को अपनाकर डायबिटीज को बेहतर ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि कोई भी घरेलू उपाय अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

गुरुवार, 6 जून 2024

बवासीर कैसे ठीक करें|How To Ayurvedic Treatment|Piles

 बवासीर कैसे ठीक करें|How To Ayurvedic Treatment|Piles

Dr.VirenderMadhan

बवासीर

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बवासीर, जिसे पाइल्स (Piles) या हेमोरॉइड्स (Hemorrhoids) भी कहा जाता है, एक सामान्य स्थिति है जिसे कई उपायों से ठीक किया जा सकता है। यहाँ कुछ घरेलू उपचार और चिकित्सा विधियाँ दी जा रही हैं:

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घरेलू उपचार:–

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फाइबर युक्त आहार:-

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आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियाँ, और अनाज शामिल करें। यह कब्ज को कम करने में मदद करेगा।

पर्याप्त पानी पियें:–

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दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पियें। यह मल को मुलायम रखता है और पाइल्स से राहत दिलाने में मदद करता है।

बर्फ की सिकाई:–

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बवासीर के क्षेत्र पर बर्फ का पैक लगाने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है।

गर्म पानी का सेवन:–

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टब में गर्म पानी भरकर उसमें 15-20 मिनट तक बैठें। इसे सिट्ज़ बाथ (Sitz Bath) कहा जाता है और यह पाइल्स के दर्द और खुजली से राहत दिलाने में मदद करता है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी क्रीम:–

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डॉक्टर से सलाह लेकर एंटी-इंफ्लेमेटरी क्रीम या मलहम का उपयोग करें।

चिकित्सा उपचार:–

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ओवर-द-काउंटर मेडिकेशंस:

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डॉक्टर से सलाह लेकर पेन रिलीफ मेडिकेशंस और स्टूल सॉफ्टनर्स का उपयोग कर सकते हैं।

बैंड लिगेशन:–

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इसमें बवासीर के चारों ओर एक बैंड बांध दिया जाता है जिससे उसकी ब्लड सप्लाई रुक जाती है और वह सूखकर गिर जाता है।

स्क्लेरोथेरेपी:–

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इसमें एक केमिकल इंजेक्ट किया जाता है जो बवासीर को सिकोड़ देता है।

सर्जरी:–

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गंभीर मामलों में, बवासीर को सर्जिकल तरीके से हटाया जाता है। यह हेमोरॉइडेक्टॉमी (Hemorrhoidectomy) कहलाता है।

लेज़र उपचार:–

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लेज़र तकनीक से बवासीर को जलाया जाता है। यह आधुनिक और कम दर्दनाक विधि है।

सामान्य सुझाव:–

* बाथरूम में अधिक समय न बिताएं।

* कसरत करें और सक्रिय रहें।

* भारी वजन उठाने से बचें।

* तंग कपड़े पहनने से बचें।

यदि आपको लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं या गंभीर होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। बवासीर का इलाज जल्दी कराने से जटिलताओं से बचा जा सकता है।


बवासीर की आयुर्वेदिक दवा

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बवासीर (पाइल्स) के लिए आयुर्वेदिक उपचार भी काफी प्रभावी हो सकते हैं। आयुर्वेद में, बवासीर को "अर्श" कहा जाता है, और इसके इलाज के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक उपचारों का उपयोग किया जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाओं और उपायों का वर्णन किया गया है:


आयुर्वेदिक दवाएँ:

त्रिफला चूर्ण:–

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त्रिफला चूर्ण कब्ज को दूर करने और आंतों को साफ रखने में मदद करता है। इसे रात में सोने से पहले गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है।

अर्शकुठार रस:–

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यह एक आयुर्वेदिक दवा है जो बवासीर के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होती है।

कांचनार गुग्गुलु:–

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कांचनार गुग्गुलु सूजन और गांठों को कम करने में मदद करता है। यह विशेष रूप से बवासीर के लिए उपयोगी है।

नागकेसर चूर्ण:

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नागकेसर का चूर्ण बवासीर से होने वाले रक्तस्राव को रोकने में प्रभावी है। इसे मक्खन और चीनी के साथ मिलाकर लिया जा सकता है।

अर्शोहर वटी:

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यह एक और आयुर्वेदिक गोली है जो बवासीर के इलाज में उपयोगी है।

आयुर्वेदिक घरेलू उपाय:–

छाछ:

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भोजन के बाद छाछ पीने से पाचन शक्ति में सुधार होता है और बवासीर के लक्षणों से राहत मिलती है। इसमें अजवाइन और काला नमक मिला सकते हैं।

अलसी के बीज:

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अलसी के बीज कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं। इन्हें पानी में भिगोकर सेवन किया जा सकता है।

अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल):

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रात में सोते समय एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पीने से मल त्याग में सहूलियत होती है।

अंजीर:

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सूखे अंजीर को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खाने से बवासीर के लक्षणों में आराम मिलता है।

आयुर्वेदिक जीवनशैली और आहार:

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फाइबर युक्त आहार:–

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* हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल, और साबुत अनाज खाएँ।

*पानी अधिक पीएँ–

 दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।

*भोजन के बाद टहलें:–

 खाना खाने के बाद थोड़ी देर टहलें।

*योग और ध्यान:–

 नियमित योग और ध्यान से मानसिक और शारीरिक तनाव कम होता है।

आयुर्वेदिक उपचार के लिए, किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है। वे आपकी व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर सही उपचार का सुझाव देंगे।