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गुरुवार, 13 जून 2024

पोल्यूशन को ठीक करनेवाले10 पेड ये आपके जीवन रक्षक है जाने,

 पोल्यूशन को ठीक करनेवाले10 पेड ये आपके जीवन रक्षक है जाने,

DrVirenderMadhan

प्रदूषण को कम करने में मददगार निम्नलिखित 10 पेड़ हैं:

नीम (Azadirachta indica):–

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 नीम का पेड़ हवा को शुद्ध करने में अत्यधिक प्रभावी है और इसका उपयोग आयुर्वेद में भी किया जाता है।

पीपल (Ficus religiosa):–

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 पीपल का पेड़ अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन करता है और हवा की गुणवत्ता में सुधार करता है।

बरगद (Ficus benghalensis):–

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 बरगद का पेड़ भी भारी मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ता है और प्रदूषण को कम करता है।

सहजन (Moringa oleifera):–

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 सहजन का पेड़ हवा को शुद्ध करने और विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जाना जाता है।

अशोक (Saraca asoca):–

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 अशोक का पेड़ पर्यावरण को शुद्ध करने में मदद करता है और इसे औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है।

गुलमोहर (Delonix regia):- 

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गुलमोहर का पेड़ सुंदरता के साथ-साथ हवा की गुणवत्ता को सुधारने में भी सहायक है।

अर्जुन (Terminalia arjuna):–

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 अर्जुन का पेड़ हवा को शुद्ध करने और छाया प्रदान करने में सहायक है।

अमलतास (Cassia fistula):–

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 अमलतास का पेड़ अपने सुंदर फूलों के साथ-साथ हवा की शुद्धता में सुधार करता है।

कटहल (Artocarpus heterophyllus):–

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 कटहल का पेड़ हवा को शुद्ध करने और फल प्रदान करने में मदद करता है।

जामुन (Syzygium cumini):–

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 जामुन का पेड़ पर्यावरण को शुद्ध करने और फलों के लिए जाना जाता है।

ये पेड़ न केवल पर्यावरण को शुद्ध करते हैं बल्कि हमें स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करते हैं। इन पेड़ों का रोपण और संरक्षण हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

नीम:–

 नीम के पेड़ की पत्तियाँ, छाल और तेल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं। यह मच्छरों को दूर रखने में भी मदद करता है।


पीपल:–

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 पीपल का पेड़ न केवल ऑक्सीजन प्रदान करता है बल्कि इसे धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसकी छाया ठंडी होती है और यह शहरी क्षेत्रों में गर्मी को कम करने में मदद करता है।


बरगद:–

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 बरगद का पेड़ अपने विशाल आकार के कारण अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर सकता है और अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। इसकी जड़ें मिट्टी के कटाव को रोकने में भी सहायक होती हैं।


सहजन:–

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 सहजन का पेड़ नाइट्रोजन को ठीक करने की क्षमता रखता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। इसके पत्ते और फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।


अशोक:–

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 अशोक के पेड़ की छाया और सुंदरता इसे बगीचों और पार्कों के लिए आदर्श बनाती है। यह तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करता है।


गुलमोहर:–

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 गुलमोहर का पेड़ अपने खूबसूरत फूलों के लिए जाना जाता है। यह तेज धूप में भी अच्छा पनपता है और गर्मी को कम करता है।


अर्जुन:–

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 अर्जुन के पेड़ की छाल हृदय रोगों के इलाज में उपयोगी मानी जाती है। यह जल संरक्षण में भी सहायक होता है।


अमलतास:–

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 अमलतास के पेड़ के फूल और फल आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग किए जाते हैं। यह गर्मियों में ठंडक प्रदान करता है।


कटहल:–

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 कटहल का पेड़ न केवल फल देता है बल्कि इसके पत्ते और लकड़ी भी उपयोगी होते हैं। यह मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करता है।


जामुन:–

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 जामुन के पेड़ के फल मधुमेह के इलाज में सहायक होते हैं। यह पेड़ प्रदूषण कम करने और जलवायु को स्थिर रखने में मदद करता है।


इन पेड़ों का सही तरीके से रोपण और संरक्षण न केवल हमारे पर्यावरण को शुद्ध रखेगा बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करेगा। इन पेड़ों की देखभाल और उनके महत्व को समझना आवश्यक है ताकि हम एक संतुलित और हरियाली से भरपूर धरती का निर्माण कर सकें।

सोमवार, 10 जून 2024

Diabetes के घरेलू 10 उपाय|What to eat if you have diabetes? Dr.virevderMadhan


 Diabetes के घरेलू 10 उपाय|What to eat if you have diabetes?

Dr.virevderMadhan

डायबिटीज को मैनेज करने के लिए निम्नलिखित 10 घरेलू उपाय सहायक हो सकते हैं:


मेथी दाना:–

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 मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित हो सकता है।


करेला:–

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 करेले का रस रोजाना पीने से ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है।


जामुन:–

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 जामुन का फल और बीज दोनों ही डायबिटीज के लिए लाभकारी होते हैं। इसके बीजों का पाउडर बनाकर सेवन करें।


आंवला:-

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 आंवले का रस और हल्दी मिलाकर सेवन करने से डायबिटीज नियंत्रित हो सकती है।


दालचीनी:–

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 दालचीनी को चाय या पानी में उबालकर पिएं। इससे इन्सुलिन सेंसिटिविटी बढ़ सकती है।


एलोवेरा:–

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 एलोवेरा जूस का सेवन भी ब्लड शुगर लेवल कम करने में मददगार हो सकता है।


नीम:–

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 नीम की पत्तियों का रस या पाउडर का सेवन करने से भी डायबिटीज पर काबू पाया जा सकता है।


अदरक:–

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 अदरक का सेवन करने से शरीर में इन्सुलिन के उत्पादन में सुधार हो सकता है।


टमाटर:–

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 टमाटर का जूस पीने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रह सकता है।


नियमित व्यायाम:–

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 योग, वॉकिंग, साइक्लिंग, या स्विमिंग जैसे व्यायाम रोजाना करें। इससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और वजन कम होता है।


इन घरेलू उपायों के साथ-साथ संतुलित आहार, नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह को भी महत्वपूर्ण मानें।


डायबिटीज को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए घरेलू उपायों के साथ कुछ अन्य सावधानियों और टिप्स पर भी ध्यान देना जरूरी है:


पानी का पर्याप्त सेवन:–

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 दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इससे शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।


फाइबर युक्त भोजन:–

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 अपने आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे ओट्स, ब्राउन राइस, सब्जियाँ और फल शामिल करें। ये पाचन में सुधार करते हैं और शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।


प्रोटीन का सेवन:–

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 प्रोटीन युक्त आहार जैसे दालें, बीन्स, टोफू, मछली, और चिकन का सेवन करें। ये ब्लड शुगर लेवल को स्थिर रखने में मदद करते हैं।


स्ट्रेस मैनेजमेंट:–

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 स्ट्रेस ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है। मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, और योगा से तनाव कम करें।


नींद:–

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 पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लें। नींद की कमी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।


छोटे और नियमित भोजन:–

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 दिन में तीन बड़े भोजन की बजाय छोटे-छोटे और नियमित अंतराल पर भोजन करें। इससे ब्लड शुगर लेवल स्थिर रहता है।


स्वास्थ्यवर्धक स्नैक्स:–

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 भूख लगने पर हेल्दी स्नैक्स जैसे नट्स, बीज, और फल खाएं।


शुगर और प्रोसेस्ड फूड्स से परहेज:–

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 चीनी और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कम करें। ये ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकते हैं।


ग्रीन टी:–

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 ग्रीन टी का सेवन करें। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।


रेगुलर मॉनिटरिंग:–

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 नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच करें। इससे आपको अपने शुगर लेवल पर निगरानी रखने और समय पर उचित कदम उठाने में मदद मिलेगी।


इन सभी उपायों और सावधानियों को अपनाकर डायबिटीज को बेहतर ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि कोई भी घरेलू उपाय अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

गुरुवार, 6 जून 2024

बवासीर कैसे ठीक करें|How To Ayurvedic Treatment|Piles

 बवासीर कैसे ठीक करें|How To Ayurvedic Treatment|Piles

Dr.VirenderMadhan

बवासीर

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बवासीर, जिसे पाइल्स (Piles) या हेमोरॉइड्स (Hemorrhoids) भी कहा जाता है, एक सामान्य स्थिति है जिसे कई उपायों से ठीक किया जा सकता है। यहाँ कुछ घरेलू उपचार और चिकित्सा विधियाँ दी जा रही हैं:

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घरेलू उपचार:–

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फाइबर युक्त आहार:-

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आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियाँ, और अनाज शामिल करें। यह कब्ज को कम करने में मदद करेगा।

पर्याप्त पानी पियें:–

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दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पियें। यह मल को मुलायम रखता है और पाइल्स से राहत दिलाने में मदद करता है।

बर्फ की सिकाई:–

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बवासीर के क्षेत्र पर बर्फ का पैक लगाने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है।

गर्म पानी का सेवन:–

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टब में गर्म पानी भरकर उसमें 15-20 मिनट तक बैठें। इसे सिट्ज़ बाथ (Sitz Bath) कहा जाता है और यह पाइल्स के दर्द और खुजली से राहत दिलाने में मदद करता है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी क्रीम:–

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डॉक्टर से सलाह लेकर एंटी-इंफ्लेमेटरी क्रीम या मलहम का उपयोग करें।

चिकित्सा उपचार:–

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ओवर-द-काउंटर मेडिकेशंस:

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डॉक्टर से सलाह लेकर पेन रिलीफ मेडिकेशंस और स्टूल सॉफ्टनर्स का उपयोग कर सकते हैं।

बैंड लिगेशन:–

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इसमें बवासीर के चारों ओर एक बैंड बांध दिया जाता है जिससे उसकी ब्लड सप्लाई रुक जाती है और वह सूखकर गिर जाता है।

स्क्लेरोथेरेपी:–

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इसमें एक केमिकल इंजेक्ट किया जाता है जो बवासीर को सिकोड़ देता है।

सर्जरी:–

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गंभीर मामलों में, बवासीर को सर्जिकल तरीके से हटाया जाता है। यह हेमोरॉइडेक्टॉमी (Hemorrhoidectomy) कहलाता है।

लेज़र उपचार:–

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लेज़र तकनीक से बवासीर को जलाया जाता है। यह आधुनिक और कम दर्दनाक विधि है।

सामान्य सुझाव:–

* बाथरूम में अधिक समय न बिताएं।

* कसरत करें और सक्रिय रहें।

* भारी वजन उठाने से बचें।

* तंग कपड़े पहनने से बचें।

यदि आपको लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं या गंभीर होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। बवासीर का इलाज जल्दी कराने से जटिलताओं से बचा जा सकता है।


बवासीर की आयुर्वेदिक दवा

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बवासीर (पाइल्स) के लिए आयुर्वेदिक उपचार भी काफी प्रभावी हो सकते हैं। आयुर्वेद में, बवासीर को "अर्श" कहा जाता है, और इसके इलाज के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक उपचारों का उपयोग किया जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाओं और उपायों का वर्णन किया गया है:


आयुर्वेदिक दवाएँ:

त्रिफला चूर्ण:–

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त्रिफला चूर्ण कब्ज को दूर करने और आंतों को साफ रखने में मदद करता है। इसे रात में सोने से पहले गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है।

अर्शकुठार रस:–

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यह एक आयुर्वेदिक दवा है जो बवासीर के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होती है।

कांचनार गुग्गुलु:–

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कांचनार गुग्गुलु सूजन और गांठों को कम करने में मदद करता है। यह विशेष रूप से बवासीर के लिए उपयोगी है।

नागकेसर चूर्ण:

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नागकेसर का चूर्ण बवासीर से होने वाले रक्तस्राव को रोकने में प्रभावी है। इसे मक्खन और चीनी के साथ मिलाकर लिया जा सकता है।

अर्शोहर वटी:

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यह एक और आयुर्वेदिक गोली है जो बवासीर के इलाज में उपयोगी है।

आयुर्वेदिक घरेलू उपाय:–

छाछ:

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भोजन के बाद छाछ पीने से पाचन शक्ति में सुधार होता है और बवासीर के लक्षणों से राहत मिलती है। इसमें अजवाइन और काला नमक मिला सकते हैं।

अलसी के बीज:

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अलसी के बीज कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं। इन्हें पानी में भिगोकर सेवन किया जा सकता है।

अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल):

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रात में सोते समय एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पीने से मल त्याग में सहूलियत होती है।

अंजीर:

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सूखे अंजीर को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खाने से बवासीर के लक्षणों में आराम मिलता है।

आयुर्वेदिक जीवनशैली और आहार:

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फाइबर युक्त आहार:–

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* हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल, और साबुत अनाज खाएँ।

*पानी अधिक पीएँ–

 दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।

*भोजन के बाद टहलें:–

 खाना खाने के बाद थोड़ी देर टहलें।

*योग और ध्यान:–

 नियमित योग और ध्यान से मानसिक और शारीरिक तनाव कम होता है।

आयुर्वेदिक उपचार के लिए, किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है। वे आपकी व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर सही उपचार का सुझाव देंगे।

मंगलवार, 28 मई 2024

गर्मियों में गोंद कतीरे के 30 उपयोग|In which diseases is Gond Katira useful? In hindi

 गर्मियों में गोंद कतीरे के 30 उपयोग|In which diseases is Gond Katira useful? In hindi

Dr.VirenderMadhan

गोंद कतीरा (ट्रागाकैंथ गम) एक प्राकृतिक रेजिन है जो पौधों से प्राप्त होता है और इसे विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोग किया जाता है। 

गोंद कतीरे के अनेक फायदे गर्मियों में खाने से मिल जाते है.



गोंद कतीरा के सेवन का तरीका

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रात मे गोंद कतीरे को पानी के गिलास में डाल दें, सुबह तक पानी में फूल जाएगा. अब एक चम्मच गोंद कतीरा लें और एक गिलास छाछ, नींबू पानी या किसी भी ड्रिंक में डालकर मिक्स करें.

* इसको लोग लड्डू बनाकर भी खाते है.

गोंद कतीरे के फायदे:–

शीतलता प्रदान करता है:–

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 गोंद कतीरा शरीर में ठंडक प्रदान करता है, जिससे गर्मियों में ताजगी बनी रहती है।


हाइड्रेशन:–

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 गोंद कतीरा पानी में भिगोकर पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है और गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचाव होता है।


पाचन सुधारता है:–

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 यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।


त्वचा की देखभाल:–

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 गोंद कतीरा का उपयोग फेस पैक में किया जा सकता है, जिससे त्वचा को ठंडक मिलती है और त्वचा की जलन कम होती है।


ऊर्जा का स्रोत:–

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 गोंद कतीरा प्राकृतिक ऊर्जा प्रदान करता है और थकान को दूर करता है।


गले की समस्याएं:–

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 गले की खराश और सूजन को कम करने में गोंद कतीरा सहायक है।


वजन घटाने में सहायक:–

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 गोंद कतीरा पानी में फूलकर भूख को कम करता है और वजन नियंत्रण में मदद करता है।


प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है:–

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 यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।


मूत्र संबंधी समस्याएं:–

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यह मूत्र मार्ग में जलन और अन्य समस्याओं को कम करने में मदद करता है।


अल्सर और पेट की समस्याएं:–

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गोंद कतीरा पेट के अल्सर और अन्य पेट की समस्याओं को ठीक करने में सहायक होता है।


इन सभी लाभों के कारण गर्मियों में गोंद कतीरा का सेवन और उपयोग स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है।


सिरदर्द से राहत:–

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गर्मियों में होने वाले सिरदर्द को कम करने में गोंद कतीरा मदद करता है। इसे शर्बत या ड्रिंक में मिलाकर पीने से ठंडक मिलती है और सिरदर्द में आराम मिलता है।


हीट स्ट्रोक से बचाव:–

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 गोंद कतीरा का शरबत पीने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और हीट स्ट्रोक (लू) से बचाव होता है।


जलन और घमौरियों में राहत:–

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 गर्मियों में त्वचा पर होने वाली जलन और घमौरियों के लिए गोंद कतीरा का लेप लाभदायक होता है।


गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत:–

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 गोंद कतीरा के सेवन से जोड़ों में चिकनाई बढ़ती है और गठिया के दर्द में आराम मिलता है।


प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत करना:–

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 गोंद कतीरा एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है।


बालों की देखभाल:–

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 गोंद कतीरा का उपयोग बालों के मास्क के रूप में किया जा सकता है, जिससे बालों को पोषण और ठंडक मिलती है।


खून साफ करने में सहायक:–

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 गोंद कतीरा खून को साफ करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है।


स्नायु तंत्र को शांत करता है:–

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 गोंद कतीरा के सेवन से स्नायु तंत्र को शांत करने में मदद मिलती है और तनाव कम होता है।


मुँह के छालों में राहत:–

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 गोंद कतीरा मुँह के छालों को ठीक करने में भी सहायक होता है।


एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण:–

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 इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन और जलन को कम करने में मदद करते हैं।


गोंद कतीरा के ये सभी उपयोग इसे एक बहुपयोगी और महत्वपूर्ण प्राकृतिक औषधि बनाते हैं, विशेषकर गर्मियों में जब शरीर को ठंडक और हाइड्रेशन की अधिक आवश्यकता होती है।


वजन बढ़ाने में सहायक:–

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 कुछ मामलों में, गोंद कतीरा का सेवन करने से भूख बढ़ती है, जिससे वजन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।


एंटी-बैक्टीरियल गुण:–

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 गोंद कतीरा में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा संक्रमण और अन्य बैक्टीरियल समस्याओं से बचाव में सहायक होते हैं।


एंटी-ऑक्सीडेंट गुण:–

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 यह शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करता है और कोशिकाओं को क्षति से बचाता है, जिससे उम्र बढ़ने के लक्षण धीमे होते हैं।


हृदय स्वास्थ्य:–

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 गोंद कतीरा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है।


दस्त का उपचार:–

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 गोंद कतीरा दस्त के इलाज में सहायक हो सकता है क्योंकि यह पाचन तंत्र को शांत करता है।


शरीर की थकान कम करना:–

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 गोंद कतीरा एनर्जी बूस्टर के रूप में काम करता है और शारीरिक थकान को कम करता है।


हड्डियों की मजबूती:–

----------------------------------- गोंद कतीरा में कुछ ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो हड्डियों की मजबूती में सहायक होते हैं।


स्वस्थ बाल और नाखून:–

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 नियमित रूप से गोंद कतीरा का सेवन बालों और नाखूनों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है।


एंटी-फंगल गुण:–

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 गोंद कतीरा में एंटी-फंगल गुण होते हैं जो फंगल संक्रमण से बचाव में सहायक होते हैं।


ध्यान और एकाग्रता बढ़ाना:–

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 गोंद कतीरा का सेवन मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में सुधार कर सकता है, जिससे पढ़ाई और काम में ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाता है।


गोंद कतीरा के ये अतिरिक्त उपयोग इसे एक व्यापक और प्रभावी प्राकृतिक उपचार बनाते हैं, खासकर गर्मियों के महीनों में।

रविवार, 26 मई 2024

प्याज के खाने से 10 बडे फायदे|Benefits Of Onion

प्याज के खाने से 10 बडे फायदे|Benefits Of Onion

Dr.VirenderMadhan

प्याज (Allium cepa) को आयुर्वेद में कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसके विभिन्न गुण निम्नलिखित हैं:

1- वात-पित्त-कफ का संतुलन:–

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 प्याज का सेवन वात और पित्त को संतुलित करता है और कफ को कम करने में मदद करता है यह कफध्न होता है खांसी, जुकाम और श्वास रोग मे बहुत लाभकारी है.

2– पाचन में सुधार:–

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 प्याज पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पाचन समस्याओं जैसे कब्ज और गैस को कम करता है।प्याज लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है|

3– रक्तसंचार में सुधार:–

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प्याज रक्त को शुद्ध करता है और रक्तसंचार में सुधार करता है।

4– श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी:– 

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प्याज श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखता है और खांसी, जुकाम, और अस्थमा जैसी समस्याओं में राहत देता है।

5– त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद:–

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प्याज के रस का उपयोग त्वचा और बालों के स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। यह त्वचा को निखारता है और बालों की जड़ों को मजबूत करता है।

6– एंटीसेप्टिक गुण:–

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प्याज में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो संक्रमण को रोकते हैं और घाव भरने में मदद करते हैं।

7– प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना:–

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 प्याज में मौजूद विटामिन C और अन्य पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।

8–एंटीऑक्सीडेंट गुण:–

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 प्याज में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

9– मधुमेह नियंत्रण:–

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 प्याज का सेवन रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

10– हृदय स्वास्थ्य:–

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 प्याज हृदय रोगों के जोखिम को कम करता है और कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करता है।
इन सभी गुणों के कारण, प्याज को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है।

शुक्रवार, 24 मई 2024

Diabetes मे कैसा दुध पीयें और कितना पीयें?

 Diabetes मे कैसा दुध पीयें और कितना पीयें?

Dr.VirenderMadhan

डायबिटीज़ के मरीजों को दूध का सेवन करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि उनका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रहे। यहाँ 15 मुख्य बिंदु दिए गए हैं:


लो फैट दूध:–

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 डायबिटीज़ के मरीजों के लिए लो फैट या स्किम्ड दूध सबसे बेहतर विकल्प होता है क्योंकि इसमें कम कैलोरी और कम फैट होता है।

अलमंड मिल्क:–

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 बिना शक्कर के बादाम का दूध एक अच्छा विकल्प है, इसमें कम कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट होता है।

सोया मिल्क:–

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 सोया दूध में उच्च प्रोटीन और कम कार्बोहाइड्रेट होता है, जो डायबिटीज़ के मरीजों के लिए लाभकारी है।

किण्वित दूध (दही,छाछ):–

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 जैसे कि बटरमिल्क या लस्सी, जिसमें प्रीबायोटिक्स होते हैं जो पाचन में सहायक होते हैं।

शुगर-फ्री दूध:–

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 शुगर-फ्री दूध चुनें ताकि ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहे।

गाय का दूध:–

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 गाय का दूध में नेचुरल शुगर कम होती है, लेकिन फिर भी इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए।

कोकोनट मिल्क:–

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 इसमें कम कार्बोहाइड्रेट और फैट होता है, लेकिन सीमित मात्रा में सेवन करें।

फोर्टिफाइड मिल्क:–

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 विटामिन D और कैल्शियम से भरपूर दूध का सेवन करें।

कम मात्रा में सेवन:–

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 दूध की मात्रा को सीमित रखें, सामान्यत: 1 कप प्रतिदिन।

संतुलित आहार:–

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 दूध के साथ अन्य संतुलित आहार का सेवन भी जरूरी है।

खाना बनाते समय, दूध का प्रयोग करते समय बिना शक्कर के और कम फैट वाले दूध का ही उपयोग करें।

चीनी रहित दूध पेय:-

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 बाजार में उपलब्ध चीनी रहित दूध पेय का चुनाव करें।

नियमित जांच:–

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 दूध का सेवन करने के बाद नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल की जांच करें।

डॉक्टर की सलाह:–

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 किसी भी प्रकार के दूध का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।

लेबल पढ़ें: –

 दूध खरीदते समय लेबल पढ़ें और शुगर तथा कार्बोहाइड्रेट की मात्रा देखें।

इन सभी बातों का ध्यान रखकर डायबिटीज़ के मरीज सुरक्षित रूप से दूध का सेवन कर सकते हैं।

गुरुवार, 9 मई 2024

भोजन करने के 10 नियम अपना लें नही होगें 100 रोग जीवन भर|How To Eat Food

 भोजन करने के 10 नियम अपना लें नही होगें 100 रोग जीवन भर|How To Eat Food

Dr.VirenderMadhan

खाना खाने के नियम स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने और भोजन का अधिकतम लाभ उठाने में मदद कर सकते हैं। यहाँ खाना खाने के 10 नियम दिए गए हैं:


1– समय पर खाएं:–

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नियमित समय पर खाना खाने से चयापचय (मेटाबोलिज्म) ठीक से काम करता है।

2– चबा-चबाकर खाएं:–

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अच्छी तरह से चबाने से खाना अच्छे से पचता है और पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण होता है।

3– भोजन का संतुलन रखें:– 

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हर भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, और फैट का सही संतुलन होना चाहिए।

4– ताजा खाना खाए:–

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ताजा बना हुआ खाना पोषक तत्वों से भरपूर होता है।

5– हाइड्रेटेड रहें:–

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भोजन के साथ पर्याप्त पानी पीना चाहिए, लेकिन बहुत अधिक पानी एक साथ न पिएं क्योंकि इससे पाचन पर असर पड़ सकता है।

6– मौसम के अनुसार खाएं:– 

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मौसमी फल और सब्जियां खाने से वे अधिक ताजगी और पोषण प्रदान करते हैं।

7– मात्रा पर ध्यान दें:–

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अधिक खाने से बचें; हमेशा अपनी भूख से थोड़ा कम खाएं।

8– खाने का माहौल:–

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शांत और सुखद माहौल में खाना खाएं, टीवी या मोबाइल से दूर रहकर।

9– स्नैक्स पर नियंत्रण रखें:– 

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अनावश्यक स्नैक्स खाने से बचें, खासकर चीनी और फैट से भरपूर स्नैक्स से।

10– आनंद लें:–

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💐👌🏾खाने का आनंद लेना भी जरूरी है, इसलिए कभी-कभार अपने पसंदीदा खाने का भी लुत्फ उठाएं।

ये नियम आपके खान-पान की आदतों को बेहतर बना सकते हैं और समग्र स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।

* खाना खाने के नियमों को अपने जीवन में लागू करने के अलावा, आपको यह भी ध्यान देना चाहिए कि भोजन की गुणवत्ता और उसके स्रोत भी महत्वपूर्ण होते हैं। यहां कुछ और सुझाव दिए जा रहे हैं जो आपके भोजन को और भी स्वस्थ बना सकते हैं:


ऑर्गेनिक खाएं:–

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 जब संभव हो, ऑर्गेनिक फल और सब्जियों का चयन करें। इससे पेस्टीसाइड्स और अन्य हानिकारक रसायनों के संपर्क में आने का जोखिम कम होता है।

संसाधित खाद्य पदार्थों से बचें:–

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 संसाधित खाद्य पदार्थों में अक्सर उच्च मात्रा में नमक, चीनी, और ट्रांस फैट होते हैं। इनसे बचकर आप अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं।

सीजनल और लोकल खाद्य पदार्थों का उपयोग करें:–

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 लोकल और सीजनल खाद्य पदार्थ न सिर्फ ताज़ा होते हैं, बल्कि इन्हें उगाने में कम कार्बन उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण के लिए भी अच्छा है।

मल्टीग्रेन विकल्प चुनें:–

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 रिफाइंड अनाज की जगह मल्टीग्रेन विकल्पों को चुनें, जैसे कि ब्राउन राइस, बार्ली, क्विनोआ आदि। ये अधिक पोषक तत्व प्रदान करते हैं और पाचन में मदद करते हैं।

प्रोटीन के विभिन्न स्रोतों का उपयोग करें:–

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 मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रकार के भोजन में प्रोटीन के विभिन्न स्रोतों का उपयोग करना चाहिए, जैसे कि दालें, नट्स, बीज, दूध उत्पाद, और मछली।

मिठाई का सेवन कम करें:–

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 मिठाई और चीनी युक्त पेय पदार्थों का कम सेवन करें। इनके अत्यधिक सेवन से मोटापा और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि मधुमेह हो सकते हैं।

भोजन को विविध बनाएं:–

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 अपने भोजन में विविधता लाने से आपको सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकते हैं और यह खाने की आदतों को भी रोचक बनाता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें:–

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 खाना खाने के समय तनाव से मुक्त रहने की कोशिश करें। तनाव आपके पाचन और समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

सक्रिय रहें:–

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 स्वस्थ खानपान के साथ ही नियमित व्यायाम