Guru Ayurveda

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022

विरुद्ध आहार किसे कहते है?In hindi


 #विरुद्ध आहार किसे कहते है?In hindi.

By:- Dr.VirenderMadhan.

 अघिकतर लोग ये बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते कि किस चीज के साथ क्या नहीं खाना चाहिए। बहुत से खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जो एक साथ नही खा सकते है।जिनका मेल सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।  आयुर्वेद में खानपान को लेकर कई नियम बताए गये हैं जिसमें से विरूद्ध आहार का नियम प्रमुख है।

#विरूद्ध आहार  Viruddha Aahar:-

 किन खाद्य पदार्थों को साथ में क्या नहीं खाना चाहिए। इस लेख में हम आपको विरुद्ध आहार के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

#विरूद्ध आहार किसे कहते है ?

Who says the diet against:-

कुछ पदार्थ बहुत गुणकारी और स्वास्थ्य-वर्धक होते हैं, लेकिन जब इन्हीं पदार्थों को किसी अन्य खाद्य-पदार्थ के साथ लिया जाए तो ये फायदे की बजाय नुकसान पहुँचाते हैं। ये ही विरुद्धाहार कहलाते हैं। विरुद्ध आहार का सेवन करने से कई तरह के रोग होने का खतरा रहता है। क्योंकि ये रस, रक्त आदि धातुओं को दूषित करते हैं, दोषों को बढ़ाते हैं तथा मलों को शरीर से बाहर नहीं निकालते।

कई बार आपको कुछ गंभीर रोगों के कारण समझ नहीं आते हैं, असल में उनका कारण विरुद्धाहार होता है। क्योंकि आयुर्वेद में कहा है कि इस प्रकार के विरुद्ध आहार का लगातार सेवन करते रहने से ये शरीर पर धीरे-धीरे दुष्प्रभाव डालते हैं और धातुओं को दूषित करते रहते हैं। अतः विरुद्धाहार कई तरह के रोगों का कारण बनता है। ये विरुद्धाहार अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-

1- देश की दृष्टि से 

विरुद्धाहार :  जैसे- नमी-प्रधान स्थानों में नमी वाले, चिकनाई युक्त, ठंडी गुण वाली चीजों का सेवन करना मना होता है।

2- मौसम की दृष्टि से 

विरुद्धाहार- जैसे- जाड़ों में ठंडी व रुखी चीजें खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है।

3- पाचक-अग्नि की दृष्टि से :

जैसे- मन्द अग्नि वाले व्यक्ति को भारी, चिकनाई युक्त, ठण्डे और मधुर रस वाले या मिठास युक्त भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

4- मात्रा की दृष्टि से:-

 जैसे- शहद और घी का समान मात्रा में सेवन करना विष के समान है, परन्तु अलग अलग मात्रा में सेवन करना अमृत माना गया है।

5- दोषों की दृष्टि से:- 

जैसे- वात-प्रकृति वाले लोगों को वात बढ़ाने वाले पदार्थ और कफ-प्रकृति वाले लोगों को  कफ-वर्द्धक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

6- संस्कार या पाक की दृष्टि से:-

 जैसे- खट्टे पदार्थों को ताँबे या पीतल के बर्तन में पका कर खाना।

7-  वीर्य की दृष्टि से :-

  शीतवीर्य पदार्थों को उष्ण वीर्य पदार्थों के साथ खाना, जैसे – शीतवीर्य संतरा, मौसम्मी, अनानास आदि को दही अथवा लस्सी के साथ सेवन  करना।

8-  पाचन के आधार पर :- 

कुछ लोगों का पाचन तंत्र बहुत ख़राब होता है जिसकी वजह से वे बहुत कठोर मल का त्याग करते हैं। आज के समय में अधिकांश लोग कब्ज़ से पीड़ित हैं और उन्हें मलत्याग करने में कठिनाई होती है। ऐसे लोगों को कब्ज़ बढ़ाने वाले, वात और कफ बढ़ाने वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा ऐसे लोग जिन्हें मलत्याग करने में बिल्कुल भी कठिनाई नहीं होती है। जिनके मल विसर्जन की क्रिया द्रव्य रूप में होती है। उन्हें सर व रेचक द्रव्यों का सेवन नहीं करना चाहिए।  

10- शारीरिक अवस्था की दृष्टि से:- 

जैसे- अधिक चर्बी वाले अर्थात् मोटे व्यक्तियों द्वारा चिकनाई युक्त पदार्थों (घी, मक्खन, तेल आदि) का सेवन तथा कमजोर मनुष्यों द्वारा रूक्ष और हल्के (लघु) पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

12- निषेध की दृष्टि से:- 

कुछ विशेष पदार्थों के सेवन के बाद उनके कुप्रभाव से बचने के लिए किसी अन्य विशेष पदार्थ का सेवन अवश्य करना चाहिए या उसके बाद किसी पदार्थ का सेवन एकदम नहीं करना चाहिए।  इस नियम का उल्लंघन करना निषेध की दृष्टि से विरुद्धाहार है। जैसे- घी के बाद ठण्डे जल आदि पदार्थों का सेवन करना, जबकि घी के बाद गर्म जल या गर्म पेय लेने का नियम है। गेहूँ व जौ से बने गर्म भोजन के साथ ठण्डा पानी पीना, भोजन के पश्चात् व्यायाम करना, इत्यादि।


14 – संयोग की दृष्टि से:- 

कुछ पदार्थों को एक-साथ या आपस में मिला कर खाना संयोग की दृष्टि से विरुद्धाहार है, जैसे खट्टे पदार्थों को दूध के साथ खाना, दूध के साथ तरबूज व खरबूजा खाना, दूध के साथ लवण युक्त पदार्थों का सेवन करना।

15- रुचि की दृष्टि से:- 

अच्छे न लगने वाले भोजन को विवशता से तथा रुचिकर भोजन को भी अरुचि से खाना।

#किन चीजों के साथ क्या नहीं खाना चाहिए? (Food Combinations to Avoid) : 

 * दूध के साथ :-

 दही, नमक, मूली, मूली के पत्ते, अन्य कच्चे सलाद, सहिजन, इमली, खरबूजा, बेलफल, नारियल, नींबू, करौंदा,जामुन, अनार, आँवला, गुड़, तिलकुट,उड़द, सत्तू, तेल तथा अन्य प्रकार के खट्टे फल या खटाई, मछली आदि चीजें ना खाएं।

Milk and Fish

*दही के साथ :-

  खीर, दूध, पनीर, गर्म पदार्थ, व गर्म भोजन, खीरा, खरबूजा आदि ना खाएं।

Curd and Cucumber


*खीर के साथ :-

  कटहल, खटाई (दही, नींबू, आदि), सत्तू, शराब आदि ना खाएं।

शहद के साथ:-

 घी (समान मात्रा में पुराना घी), वर्षा का जल, तेल, वसा, अंगूर, कमल का बीज, मूली, ज्यादा गर्म जल, गर्म दूध या अन्य गर्म पदार्थ, शार्कर (शर्करा से बना शरबत) आदि चीजं ना खाएं। शहद को गर्म करके सेवन करना भी हानिकारक है।

 *ठंडे जल के साथ:- 

घी, तेल, गर्म दूध या गर्म पदार्थ, तरबूज, अमरूद, खीरा, ककड़ी, मूंगफली, चिलगोजा आदि चीजें ना खाएं।

 * गर्म जल या गर्म पेय के साथ:- 

शहद, कुल्फी, आइसक्रीम व अन्य शीतल पदार्थ का सेवन ना करें।

 *घी के साथ:– 

समान मात्रा में शहद, ठंडे पानी का सेवन ना करें।

 *खरबूजा के साथ:- 

लहसुन, दही, दूध, मूली के पत्ते, पानी आदि का सेवन ना करें.

 * तरबूज के साथ:–  ठण्डा पानी, पुदीना आदि विरुद्ध हैं।

डा०वीरेंद्र मढान,

मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

लहसुन,हल्दी वाला दुध?दुध मे लहसुन हल्दी पकाकर लेने से क्या होता है?In hindi.


 लहसुन,हल्दी वाला दुध?दुध मे लहसुन हल्दी पकाकर लेने से क्या होता है?In hindi.

Dr.Virender Madhan.

#सर्दी व बरसात मे लिया जाने वाला लहसुन,हल्दी वाला दुध?

>>लहसुन का दूध बनाने का तरीका- 

सबसे पहले लहसुन की कलियों का छिलका उतार लें फिर थोड़ा कुट लें या छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. इसके बाद दूध को उबालने रखें. इसके बाद इसमें कटे हुए या कुट हुए लहसुन के टुकड़े डाल दें इसके बाद 8-10 मिनट तक उबाल लें. उबालते समय इसमें हल्दी डाल लें।

#लहसुन को दूध में उबालकर पीने से क्या होता है?

- इससे कब्ज और सूजन जैसी कई समस्याएं दूर होती है।   

 - लहसुन का दूध वात रोगो को ठीक करने में मदद करता है और कब्ज की समस्या से बचाता है। 

-यह मेटाबोलिक रेट को बढ़ाता है, 

- बॉवेल मूवमेंट को तेज करता है।



#लहसुन खाने से मर्दाना ताकत बढ़ती है क्या?

लहसुन में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बढ़ाने का गुण पाया जाता है। यह पुरुषों की सेक्स लाइफ में सुधार करता है और उनकी मर्दाना ताकत को भी बढ़ाता है। 

#लहसुन वाला दूध कब पीना चाहिए?

- लहसुन का दूध आयुर्वेद में कटिस्नायुशूल, पेट फूलना, कब्ज, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, पुराने और बार-बार होने वाले बुखार आदि जैसी कई स्थितियों के लिए एक बहुत ही प्रभावी उपाय है। 

यह रक्त को पतला रखता है।

इसमें घुलनशील और वसा में घुलनशील दोनों सक्रिय तत्व होते हैं। 

#रात में लहसुन खाने के मिलेंगे ये फायदे

- हड्डियों के विकास के लिए भी यह काफी फायदेमंद है

- कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखने के लिए भी रात के समय लहसुन खाया जाता है. 

- वजन कम करने में भी यह काफी उपयोगी होता है. 

- जिन लोगों सर्दी जुकाम और बुखार है तो वह इसका उपयोग कर सकते हैं. 

-जोडो के दर्द को कम करता है।

#क्या लहसुन एसिडिटी और गैस के लिए अच्छा है?

लहसुन को कच्चा खाने के बजाय दुध मे पके हुए लहसुन लेने से  एसिड रिफ्लक्स जैसे पाचन संबंधी दुष्प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है।

#लहसुन कौन सी बीमारी में काम आता है?

– कच्चा लहसुन खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। 

– इसका सबसे बड़ा फायदा जुकाम की बीमारी में मिलता है।

– यह जुकाम और फ्लू को दूर करती है और लिवर को डिटॉक्स करके इम्यूनिटी बढ़ाती है। 

–अदरक, लहसुन और हल्दी के चाय का नियमित सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है। इसके अलावा विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकलते हैं और बीमारियों से बचाव होता है।

कुछ लोग लहसुन की गंध को पसंद नहीं करते है।

धन्यवाद!

रविवार, 25 दिसंबर 2022

शाक (साग)खाने के नुकसान.in hindi.


 शाक (साग)खाने के नुकसान.in hindi.

(भावप्रकाश के अनुसार)

Dr.Virender Madhan.

शाक 6प्रकार का होता है।

पत्र, पुष्प,फल,नाल,कंद,ये 6शाक होते है।यह क्रमशः उत्तरोत्तर भारी होते है अर्थात पत्तों से भारी फुल ,फुलों से भारी फल, फलों से भारी नाल,नालों से भारी कंद होते है।

गुण:-

शाक प्रायः सभी विष्टभी और भारी होते है।रूखे, बहुत मल लाने वाले, अपानवायु तथा मल निकालने वाले होते है।



सभी शाक

शरीर की हड्डियों का भेदन करते है।नेत्रों की रोशनी का नाश करते है तथा वर्ण,रक्त व शुक्र का नाश करते है।

बुद्धि नाश,बालों को पकाने वाले तथा स्मृति नाश करने वाले होते है।ऐसा द्रव्य गुण जानने वाले विद्वानो ने कहा है।



सब प्रकार के शाको मे रोगों का निवास रहता है।और रोग शरीर का नाश करते है अतः बुद्धिमान व्यक्ति को शाक खाना छोड़ देना चाहिए।यही दोष अम्ल पदार्थों मे होने से ये भी वर्जित है।

जिन शाकों मे काष्ठौज अधिक होता है वह अधिक मल लाने वाले होते है।

क्षारीय भाग होने से प्रमेहादि उत्पन्न हो जाते है।

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022

कोरोना को दूर करें- करें कुछ उपाय.in hindi

 #कोरोना को दूर करें-
करें कुछ उपाय.

डा०वीरेंद्र मढान.



  कृपया सभी ध्यान दें:-

- कोई भी खाली पेट न रहे

 -उपवास न करें

- रोज एक घंटे धूप लें

- ठंड से बचाव करें.

- गरम पानी पिएं, गरम पानी से गरारे करें

- नस्य:-सरसों का तेल नाक में लगाएं

- घर में कपूर व गूगल जलाएं 

 - आप सुरक्षित रहे । घर पर रहे i

-त्रिकटु चूर्ण (सौठ,कालीमिर्च, पीपल) हर सब्जी में पकते हुए डालें.

- रात को कभी भी छाछ, दही ना लें।

- रात मे सोने के समय हल्दी वाला दूध पीयें.

- हो सके तो एक चम्मच च्यवनप्राश खाएं.

- घर में गुग्गुल,कपूर और लौंग डाल कर धूनी दें

- सुबह की चाय में एक लौंग,एक कालीमिर्च डाल कर पिएं.

- फल में खट्टे फल खायें.

- आंवला किसी भी रूप में चाहे अचार , 

- मुरब्बा,चूर्ण ,काढा,इत्यादि खाए.

यदि आप Corona  को हराना चाहते हो तो कृपया करके ये सब अपनाइए।

आपसे प्रार्थना है आप सबसे, आगे अपने जानने वालों को भी यह जानकारी भेजें।

- दूध में हल्दी आपके शरीर में इम्यूनिटी को बढ़ाएगा।

-* इस पोस्ट को जमकर के शेयर करें  सभी से मेरी अपील है इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें रातों रातो हमे यह मैसिज सभी को पहुचाना है

रविवार, 18 दिसंबर 2022

पेट में गैस कैसे बनती है?क्या करें उपाय?In hindi.

 पेट में गैस कैसे बनती है?क्या करें उपाय?In hindi.

Dr.Virender Madhan



How is gas formed in the stomach?

पेट में गैस बनना एक आम बात हैं हर किसी ना किसी व्यक्ति को जिंदगी में एक बार गैस बनने की समस्या जरूर होती हैं। कई बार गैस भयंकर तरह से सर में चढ़ जाती हैं और उलटी करने का मन करने लगता हैं। 

गैस एक आम बीमारी पर यह कई बार हमारे दिल या दिमाग पर भी बहुत असर करती हैं 

जब हमारी जीवनशैली खराब हो जाये तब यकृत विकृति के कारण हमारा भोजन पचने की बजाय सडने लगे तब गैंस बनने लगती है।

गैस के घरेलु उपाए क्या हैं ?

- रोजाना खाली पेट एक चम्मच बेकिंग सोडा में नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए। इसे पीते ही आपको गैस की समस्या से पल भर में छुटकारा मिल जाएगा।

- हींग हमारे खाने का स्वाद बढ़ाता हैं, वही हींग गैस की समस्या में भी बहुत लाभदायक हैं, एक गिलास गरम पानी करके उसमे हींग मिलके उसका सेवन करे आपकी गैस ख़त्म हो जाएगी ऐसा दिन में २ से ३ बार दोहराये।

- काली मिर्च भी गैस की समस्या को दूर करती हैं, काली मिर्च से ना केवल गैस में राहत मिलती है पेट का हाजमा भी सही रहता हैं दूध में काली मिर्च मिला के उसका सेवन करे आपकी गैस कण्ट्रोल में रहेगी।

- दालचीनी से भी गैस की समस्या दूर होती हैं, आप दालचीनी को पानी में डालके उबाल ले फिर उसे ठंडा करले ऐसा करने के बाद आप उसका सेवन करे अगर आपका उसको स्वाद अच्छा ना लगे तो आप उसमे शहद मिला कर उसका सेवन कर सकते हैं।

- पुदीना, अदरक या कैमोमाइल टी का सेवन कर सकते हैं. 

- जीरा और सौंफ की चाय भी पेट में गैस की समस्या को दूर कर सकती है. ऐसे में आप चाय बनाकर गुनगुना करके इस समस्या से राहत पा सकते हैं. 

- सेब के सिरके का सेवन भी कर सकते हैं.

- पेट की गैस से राहत पाने के लिए जीरा, अजवाइन, काला नमक और हिंग के पाउडर से तैयार मिश्रण का सेवन करें। आप मात्र 2 ग्राम चूर्ण को पानी के साथ दिन में 2 बार लें।

धन्यवाद!

बुधवार, 14 दिसंबर 2022

नपुंसकता impotence को आयुर्वेद से कैसे ठीक करें?In hindi.

 नपुंसकता impotence को आयुर्वेद से कैसे ठीक करें?In hindi.



By :- Dr.Virender Madhan.

नपुंसकता impotence

नपुंसकता के मुख्य कारण-

1- मधुमेह

2-मानसिक तनाव

3-कुछ एलोपैथीक दवा

4- हस्तमैथून

#नपुंसकता impotence की चिकित्सा–

#प्रथम अवस्था में:-

धातुपौष्टिक चूर्ण, 

स्वर्णराज बंगेश्वर तथा 

चन्द्रप्रभा वटी। आरम्भ इनसे करें।

#गम्भीर अवस्था में:-

 पुरुष नपुसंकता गहरा है तो  उनके लिये। 

मनमथ रस वटी, 

पुष्पधन्वा रस वटी। 

बहुमूल्य औषधि–

वृहद्कामचूङामणि रस ( वटी)  एक व


टी सुबह-शाम लें।

और यदि कोई भी समस्या है काम-शक्ति मर्दन करने वाली है।

(मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गैस्ट्रिक, मूत्ररोग) अधिक उम्मीद कि सफल, कोई हानि नहीं। बस अति न करें, हफ्ते में एक दो बार ही लें।

 इस शास्त्रीय दवा को डा

लने का उद्देश्य, रोग बिना पूर्णतः ठीक हुऐ भी सन्तुष्टि और विश्वास मिले।

जब तक गैस्ट्रिक की कोई समस्या है या फेफङा पूर्णतः साफ नहीं, पौरुष-शक्ति तो लुका-छिपी ही करती रहेगी। 

#गैस्ट्रिक की समस्या मे–

यदि गैस्ट्रिक की समस्या है पर गम्भीर नहीं, सरल चूर्ण ( स्वानुभूत) काफी है। 

#फेफडे की समस्या है तो–

यदि फेफङे हेतु त्रिकटु चूर्ण, वासा, मुलैठी सम्भाग मिश्रण चूर्ण- काफी है।

योग–

गुदा-संकोचन क्रिया।

मूत्र-विसर्जन हमेशा बैठ कर करना। एक धार में लगातार विसर्जन - 

– दो या तीन बार बीच-बीच में रोकना। धातु-क्षीणता दूर करने में ये उपाय काफी सहयोग करते हैं।

Dr.virenderMadhan.

सोमवार, 12 दिसंबर 2022

Migraine pain,आधासीसी का दर्द समूल नष्ट कैसे होता है?In hindi.

 Migraine pain,आधासीसी का दर्द समूल नष्ट कैसे होता है?In hindi.



 आधासीसी का दर्द|migraine pain,

 Dr.VirenderMahan. 

यह एक सिरशूल रोगो मे से एक है यहां इस समस्या को दूर करने के 9 आयुर्वेदिक दिव्य उपाय बताते है।

 1- पुनर्नवा

 लाल पुनर्नवा[साठी] की जड जौ के बराबर लेकर सुई मे पिरोकर जिधर के सिर मे दर्द है उसी तरफ कान मे सुर्योदय से पूर्व बांध दें।जैसे जैसे जड सुखेगी दर्द दूर होता जायेगा।दर्द ठीक होने पर उस जड को बहते पानी मे प्रवाहित कर दें।

 2–केशर 

असली केशर को गोधृत मे मिलाकर सूंधने से (migraine pain)आधा सीसी का दर्द ठीक हो जाता है। 

3–गुमा 

जिस ओर दर्द हो उस तरफ के कान मे द्रोणपुष्पी (गुमा) के पत्तों का रस डालने से (migraine pain)आधासीसी का दर्द बन्द हो जाता है। 

4- सौंठ

 सौंठ का चूर्ण 3ग्राम बकरी का दूध 50ग्राम दोनो को अचछे से मिला लें फिर उसक नस्य(नाक मे डाले)करें।या सूंधने से तुरन्त दर्द बन्द होता है।

 5–गन्ने का सिरका 

गन्ने का सिरका 200ग्राम और नमक 10ग्राम मिलाकर 3-3 बूंद नाक मे डालने से  भयंकर आधासीसी का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।

 6–ब्राह्मी 

ब्राह्मी बूटी 50ग्राम, सौंफ50ग्राम, बादाम गिरी 100 ग्राम, तीनो को कूटपीसकर रख लें।3-3ग्राम रोज दूध के साथ लेने से सिरदर्द ठीक हो जाता है। और स्मरण शक्ति बढ जाती है।कम से कम एक माह सेवन करें।

 7– कटफल

 कटफल की जड 50ग्राम 250 ग्राम पानी मे उबालकर काढा बना ले इसकी 4-5 बूंद नाक मे सुबकने से आराम मिलता है।

 8–सिरस के बीज

 सिरस के बीजों को बहुत सूक्ष्म पीस कर शीशी में भरकर रख लें। इसे जिस तरफ सिर दर्द हो उसतरफ के नाक से सुंध ने से आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है। 

9–समुद्रफल

 समुद्रफल का चूर्ण सुधंने से भी आधासीसी कि दर्द गायब हो जाता है। 

डा०वीरेंद्र मढान.

गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

बरगद के पत्ते फल दूध और जड को कैसे और कब प्रयोग करें?In hindi.


 #बरगद के पत्ते फल दूध और जड को कैसे और कब प्रयोग करें?In hindi.

How and when to use banyan leaves, fruit, milk and root? In hindi.

 #Banyan tree|बरगद का पेड़| 

बरगद के पेड़ के सभी भागों (जड़, तना, पत्तियां, फल और छाल) को औषधीय उपयोग में लाया जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट (सूजन घटाने वाला) और एंटी-माइक्रोबियल (बैक्टीरिया को नष्ट करने वाला) प्रभाव के कारण इसे दांतों में सड़न और मसूड़ों में सूजन की समस्या को कम करने में सहायक माना गया है 

#बरगद के फल(fruit of Banyan tree) :-

बरगद के फल के पोषक तत्व

होते है भरपूर मात्रा में कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, फाइबर, प्रोटीन, विटामिन बी1, विटामिन बी3 होता है।

फल को 1 या 2 ग्राम की मात्रा में, सूर्योदय के समय गाय के दूध के साथ सेवन करने से बार-बार पेशाब आने की समस्‍या दूर हो जाती है. इम्‍यूनिटी कम होने में बरगद के फल इम्‍यूनिटी बढा़ने में बहुत उपयोगी होते है। बरगद के फलों में एंटीएंटीऑक्सिडेंट , एनाल्जेसिक, गुण होते हैं,  

– बरगद के फलों में कार्बोहाइड्रेट, शुगर, फाइबर, प्रोटीन, कैलोरी, विटामिन, ओमेगा 3-6 और कैल्शियम व फास्फोरस भी प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, जैसे प्राकृतिक खनिज भी होते हैं, और पॉलीफेनॉल जो रक्तचाप को कम करने और कोरोनरी हृदय रोग को रोकने के लिए उपयोगी होता है। 

- बरगद के पेड़ के फल का सेवन करने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम हो जाता है।

#बरगद का दूध(Milk of Banyan tree) :-

* बरगद का दूध बताशे में डालकर खाने से क्या होता है?

–बरगद का दूध ठंडा होता है। यह शरीर से अनावश्यक गर्मी को निकालता है। इसका दूध शरीर में वात, पित्त और कफ तीनों ही दोषों को नष्ट करता है। 

– यह धातुबर्द्धक होता है तथा नपुंसकता जैसी समस्या को दूर करता है।

#बरगद के पत्ते;-

इसकी पत्तियों में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है। बरगद में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करने में फायदेमंद होता है।

#बरगद की जड़:-

बरगद की जड़ से क्या होता है?

-इसकी जड़ धारण करने से ना केवल मानसिक शांति और विचारों की शुद्धता प्राप्त होती है बल्कि दिमाग फोकस्ड भी होता है। अनेक बीमारियों में भी इसकी जड़ लाभकारी होती है। इसकी जड़ को यदि दूध के साथ घीसकर महिला को पिलाई जाए तो नि:संतानता की समस्या दूर होती है।

#बरगद के पेड़ के फायदे – Benefits of Banyan Tree in Hindi

बरगद के पत्ते, फलों का चूर्ण प्रयोग करने से–

-दांत और मसूड़ों स्वस्थ रहते है।

-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है।

- बवासीर में भी आराम मिलता है।

-डायबिटीज को दूर करने में सहायक है।

- डिप्रेशन को कम करता है।

-डायरिया में राहत मिलती है।

- बांझपन और नपुंसकता में अतिलाभदायक है।

सरगद को इसीलिए पुज्य वृक्ष माना है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.

मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

हाइड्रोसील क्या है?कारण और ईलाज क्या है ? In hindi.

 अण्डकोष बृद्धि|हाइड्रोसील

हाइड्रोसील क्या है?कारण और ईलाज क्या है ? In hindi.



What is hydrocele? What is the cause and treatment?  In hindi.

- यह समस्या पुरुषों के एक अंडकोष में या फिर दोनों अंडकोषों में भी हो सकती है.  - जब किसी कारणों से अंडकोष में अधिक पानी जमा हो जाता है. इसके कारण अंडकोष की थैली फूल जाती है। इसे हाइड्रोसील या प्रोसेसस वजायनेलिस भी कहते हैं.

- अंडकोष वृद्धि(Hydrocele) स्क्रोटम में सूजन का एक प्रकार होता है, हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में आम है, यह बिना उपचार के गायब हो जाता है|

- वयस्क पुरुष स्क्रोटम के भीतर सूजन या चोट के कारण अण्डकोष वृद्धि विकसित कर सकते हैं| एक अण्डकोष वृद्धि आमतौर पर दर्दनाक या हानिकारक नहीं होता है, और किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है| लेकिन अगर आपके पास सूजन है, तो चिकित्सक से परामर्श जरुर करें|

#Symptoms of Hydrocele

- अंडकोष की नसों में सूजन होने पर यह लक्षण नजर आते है। 

- अंडकोष में दर्द जो अचानक से तीव्र या कम हो सकता है

- कड़ी एक्सरसाइज या लम्बे समय तक खड़े रहने पर दर्द बढ़ जाता है।

- पीठ के बल लेटने से दर्द कम होता है

#अण्डकोष बृद्धि के आयुर्वेदिक 4 दिव्य उपचार:-

1– छोटी कटेरी की ताजा जड 20ग्राम.

- कालीमिर्च के 7 दाने 

दोनो को पीसकर 100 ग्राम पानी में मिलाकर 7 दिनों तक सवेरे प्रातःकाल पिला दें।

अण्डकोष सम्बंधित सब रोग दूर हो जाते है।

भोजन मे बेसन की रोटी के साथ धी खायें और कुछ न खायें।

2– वायविंडग, कुंदरू, पुरानी ईंट तीनो 5-5 ग्राम लेकर चूर्ण करके 35 ग्राम धी के साथ खायें ।यदि पहले दिन वमन हो तो अण्डकोष अपनी पहली दिशा पर आ जाए।

3– कटकरज्जा के तीन दाने को भुभल मे भुनकर खिलाने से  7 दिनों में अण्डकोष बृद्धि ठीक हो सकती है।

4– हींग, सेंधानमक, जीरा,– तीनों बराबर लेकर चार गुणा सरसौ का तैल मे पकाकर लेप करने से अण्डकोषबृद्धि दूर होती है। इस के अलावा सभी प्रकार के दर्द, मोच,चोट आदि के विकार दूर होते है।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान।

शनिवार, 3 दिसंबर 2022

जीरा Cumin seed किसे कहते हैं?In hindi.

 जीरा Cumin seed किसे कहते हैं?In hindi.

जीरा–



जीरे को Cuminum cyminum कहते है इसे जीरक ,जरण,अजाजी, दीर्धजीरक,जीरा, सफेद जीरा, आदि नामों से जानते है।

 यह कई मसाले मिश्रणों (जैसे गरम मसाला) का एक अनिवार्य हिस्सा है, या तो साबुत या पीसा हुआ। पहले बीजों को भूनने से उनकी तेज सुगंधित सुगंध बढ़ेगी।

 यह पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र का देशज है। इसके प्रत्येक फल में स्थित एक बीज वाले बीजों को सुखाकर बहुत से खानपान व्यंजनों में साबुत या पिसा हुआ मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह दिखने में सौंफ की तरह होता है।

#जीरा क्या काम करता है?

जीरे के आयुर्वेदिक गुण:-

गुण– लघु , रूक्ष है

रस:- कटु 

विपाक :- कटु

वीर्य:- उष्ण

कर्म-जीरे के कार्य:-

दोषकर्म – 

यह उष्ण होने से कफ वात शामक और पित्त बर्द्धक है।इसलिए इसका प्रयोग    कफवात रोगो मे करते है।

संस्थान अनुसार कर्म

बाह्य:- 

इसका लेप करने से लेखन, शोथहर,और वेदना स्थापन गुण है।इसका प्रयोग वर्णविकार,कंडू,पामा,आदि त्वचा रोगों में करते है।तथा बिच्छू विष मे लेप करते है।

जीरे का आन्तरिक प्रयोग–

पाचनतंत्र पर–

यह रोचक,दीपक, पाचन, वातानुलोमन,शूलप्रशमन,ग्राहीऔर कृमिनाशक है।

यह अरूचि, वमन,अग्निमांद्य,अजीर्ण,आध्मान,ग्रहणी,अर्श एवं कृमिरोगो मे प्रयोग करते है।

रक्तवह संस्थान पर–

यह उत्तेजक और रक्तशोधक है। इसका प्रयोग हृदयरोग ,रक्तविकार मे किया जाता है।

मूत्रवहसंस्थान पर –

 यह मूत्रल है। इसे मूत्रघात,पूयमेह, तथा अश्मरी (पथरी) मिश्री के साथ देते है।

प्रजननसंस्थान पर–

 यह गर्भाशय के शोथ को दूर करता है तथा स्तन्यजनन है यानी दुध बढाता है तथा इसका प्रयोग श्वेतप्रदर मे करते है।

* यह कटुपौष्टिक के रूप मे काम करता है क्रमशः बल बढाता है।

जीरे के योग:- 

जीरकादि मोदक,जीरक चूर्ण, जीरकादि तैल,और जीरकारिष्ट।

धन्यवाद!

डा०वीरेंद्र मढान.