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शनिवार, 9 सितंबर 2023

शरीर में पित्त दोष बढने से क्या होता है उपाय क्या है?


 शरीर में पित्त दोष बढने से क्या होता है उपाय क्या है?

पित्त दोष आयुर्वेद के अनुसार

“पित्त दोष”

Dr.VirenderMadhan

पित्त दोष आयुर्वेद में महत्वपूर्ण रोल खेलता है, और यह शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। पित्त दोष को त्रिदोष तंतु विद्या के अनुसार पित्त दोष, वात दोष, और कफ दोष में से एक माना जाता है। पित्त दोष की समस्या यदि बढ़ जाती है, तो यह विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकती है।

#पित्त कितने प्रकार का होता है?

आयुर्वेद में, पित्त को चार प्रकार के रूप में वर्णित किया गया है, और ये पांच प्रकार हैं:

**पाचक पित्त (Pachak Pitta):–

 यह पित्त पाचन और आहार से संबंधित होता है। यह जीवन शक्ति को प्रदान करने में मदद करता है और आहार को शरीर में पाचन करने में मदद करता है।

**रंजक पित्त (Ranjak Pitta):–

 यह पित्त रक्त की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करता है। यह रक्त को सुंदर और स्वस्थ रखने के लिए जिम्मेदार होता है।

**साधक पित्त (Sadhak Pitta):–

 यह पित्त मानसिक स्वास्थ्य के साथ जुड़ा होता है। यह भावनाओं, भावनाओं और अंतरात्मा के प्रशांति में मदद करता है।

**आलोचक पित्त (Alochak Pitta):–

 यह पित्त आँखों के स्वास्थ्य से संबंधित होता है और दृष्टि को बनाए रखने में मदद करता है।

**भ्रजक पित्त-

ये पांच प्रकार के पित्त आयुर्वेद में महत्वपूर्ण होते हैं और शरीर के विभिन्न कार्यों में भूमिका निभाते हैं।

#पित्त के बिगड़ने से क्या होता है?

पित्त के असंतुलन या बिगड़ने के कई सारे लक्षण और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं, जो आयुर्वेद में "पित्त दोष" के रूप में जानी जाती हैं। यह लक्षण व्यक्ति के प्रकृति, विकृति, और पित्त के अतिरिक्त दोषों के साथ बदल सकते हैं, लेकिन कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

**ज्वर (Fever):–

 पित्त दोष के अधिक बढ़ने पर शरीर में बुखार हो सकता है.

**पाचन संबंधित समस्याएँ (Digestive Issues):–

 जैसे कि अपच, गैस, पेट दर्द, और अपाचना भान इसे बताई जा सकती हैं।

**त्वचा समस्याएँ (Skin Issues):–

 पित्त दोष के अतिरिक्त, त्वचा पर दाने, खुजली, और रूखापन आ सकते हैं.

**नेत्र समस्याएँ (Eye Issues):–

 यह पित्त दोष के अतिरिक्त, आँखों के लाल होना, खराब दृष्टि, या आँखों में जलन की समस्याओं का कारण भी हो सकता है.

**उत्तेजना और रोग:–

 पित्त दोष के अतिरिक्त, व्यक्ति उत्तेजना में रह सकता है और विभिन्न रोगों के आग्रह का शिकार हो सकता है.

**मानसिक समस्याएँ (Mental Issues):–

 इसके अतिरिक्त, मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि गुस्सा, आक्रोश, और चिंता.

“पित्त दोष के साथ-साथ उनके अतिरिक्त दोषों को भी विचार में लेना महत्वपूर्ण है, ”

#पित्त बिगड़ने पर क्या करें?

पित्त के बिगड़ने पर आयुर्वेदिक उपायों का सहारा लिया जा सकता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप एक प्रशिक्षित आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें, ताकि उन्होंने आपके व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर आपके लिए सबसे उपयुक्त उपाय और उपचार सुझावित कर सकें। निम्नलिखित कुछ आम उपाय हो सकते हैं:

**आहार:–

 पित्त के अतिरिक्त दोष को संतुलित करने के लिए आपको सुपाच्य आहार खाना चाहिए। 


**पित्तशामक आहार:–

 कुछ आहार पित्त को शांत करने में मदद कर सकते हैं, जैसे कि कोकम, नीम, गोक्षुरा, और शतावरी।

**प्रतिस्पर्धा:–

 योग और ध्यान की अभ्यासना पित्त के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकती है।

**शीतल तरल औषधियाँ:– 

आयुर्वेद में कई तरह की शीतल तरल औषधियाँ होती हैं जैसे कि गुलाबजल, सतावरी क्षीर, और आमला रस जो पित्त को शांत करने में मदद कर सकती हैं।

#पित्त के बिगड़ने से कौन कौन से रोग हो सकते है?

पित्त दोष से जुड़े कई रोग और समस्याएँ हो सकती हैं, जो आयुर्वेद में पित्त रोगों के रूप में जाने जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख पित्त रोगों के नाम हैं:


> अम्लपित्त (Hyperacidity):–

छाती में जलन,खट्टे डकारें आना,

 > त्वचा समस्याएँ (Skin Disorders):–

 अगर पित्त बढ़ जाता है तो त्वचा समस्याएँ जैसे कि  दाद, और खुजली हो सकती हैं.

> मुखपाक (Oral Ulcers):–

 पित्त दोष के अतिरिक्त, मुख में छाले या मुंह के छाले हो सकते हैं.

>रक्तस्राव (Bleeding Disorders):–

 पित्त के अतिरिक्त दोष के कारण रक्तमें अतिरंजना हो सकता है, जैसे कि रक्त की कमी या रक्त बहना.

>गुदा संबंधित समस्याएँ (Anorectal Disorders):–

 जैसे कि पाइल्स (हेमोराइड्स) और फिस्टुले इसमें शामिल हो सकती हैं.

>आमवात (Gout):–

 यह जोड़ों में सूजन और दर्द के साथ होने वाला एक रोग होता है, जिसमें पित्त के अधिक शरीर में जमा हो जाता है.

>हीट स्ट्रोक (Heat Stroke):–

 यह गर्मियों में अत्यधिक गर्मी के कारण होता है और शरीर के तापमान को बढ़ा देता है।


#पित्त बिगड़ने के लक्षण क्या होते है?

पित्त दोष के बढ़ने के कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

* हीट इन्टॉलरेंस (Heat Intolerance):-

 आप अधिक गर्मी और सूखे को सहन नहीं करते हैं और आसानी से पसीना बहता है।

* ज्वर (Fever):–

 शरीर का तापमान बढ़ सकता है और अचानक कई दिनों तक फीवर रह सकता है.

* पाचन संबंधित समस्याएँ (Digestive Issues):–

 यह शामिल करते हैं अपाचन, गैस, पेट में जलन, और पेट दर्द.

* त्वचा समस्याएँ (Skin Issues):–

 त्वचा पर दाने, खुजली, रूखापन, और जलन के लक्षण हो सकते हैं.

* नेत्र समस्याएँ (Eye Issues):–

 आंखों में जलन, लाली, और दृष्टि में कमी के संकेत हो सकते हैं.

*अम्लपित्त (Hyperacidity): 

मुख में अम्लरस का उत्सर्जन या अधिक अम्ल का निर्माण हो सकता है.

*रक्तस्राव;-

 यह रक्तमें अतिरंजना के रूप में दिख सकता है, जैसे कि नाक से खून बहना या मसूढ़ा में खून आना.

*मूत्र संबंधित समस्याएँ (Urinary Issues):–

 पित्त दोष के अतिरिक्त, मूत्र संबंधित समस्याएँ भी हो सकती हैं, जैसे कि मूत्रमार्ग संकोच या अतिरिक्त मूत्र निर्माण.


यदि आपको इन लक्षणों में से कुछ दिखाई देते हैं, तो आपको एक चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, ताकि उन्हें आपकी स्थिति का निर्धारण करके सही उपाय सुझाया जा सके।

#पित्त रोगों के कुछ सामान्य नाम हैं:

गैस्ट्राइटिस (Gastritis)

एसिडिटी (Acidity)

आलस्य (Lethargy)

पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer)

हेपेटाइटिस (Hepatitis)

गैल्ब्लैडर स्टोन (Gallbladder Stones)

लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis)

बिलियरी डिसिन्जशन (Biliary Dyskinesia)

पैनक्रिएटाइटिस (Pancreatitis)

गैल्ब्लैडर इन्फेक्शन (Gall


#पित्त की आयुर्वेदिक दवा

 पित्त दोष की आयुर्वेदिक दवाओं का चयन आपकी व्यक्तिगत प्रकृति और विकृति के आधार पर किया जाता है, और यह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा करना चाहिए। विभिन्न प्रकार के पित्त दोष के लिए विभिन्न दवाएं उपयुक्त हो सकती हैं, जैसे कि:

>गुड़ूची (Guduchi):-

 यह एक प्राकृतिक पित्त शांतक होता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

>नीम (Neem):–

 नीम का उपयोग त्वचा समस्याओं और पाचन संबंधित समस्याओं के लिए किया जाता है, और यह पित्त को शांत करने में मदद कर सकता है।

>सतावरी (Shatavari):–

 सतावरी क्षीर (शतावरी की जड़ का पाउडर) का सेवन पित्त दोष को शांत करने और गर्मी को कम करने में मदद कर सकता है।

>कोकम (Kokam):–

 कोकम का उपयोग त्वचा समस्याओं और पाचन में मदद के लिए किया जाता है, और यह पित्त को शांत कर सकता है।

>आमलकी (Amlaki) - 

आमलकी अम्ल और विटामिन सी का उत्कृष्ट स्रोत है और पित्त दोष को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

>पित्तपापडा (Pitta Papadi) -

 यह हर्बल दवा पित्त दोष को शांत करने में सहायक हो सकती है।

>गिलोय (Giloy) -

 गिलोय का सेवन पित्त दोष को बढ़ाने वाले लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

>नीम (Neem) - 

 नीम के पत्ते और नीम का तेल पित्त दोष को कम करने में उपयोगी हो सकते हैं।

>सारिवा (Sariva) -

 सारिवा भी पित्त दोष को शांति करने में मदद कर सकती है।

>यष्टिमधू (Yashtimadhu) - 

   यष्टिमधू में मौजूद ग्लाइसीरीज़ीनिक एसिड का सेवन पित्त दोष को कम करने में सहायक हो सकता है।

>भृगराज (Bhringaraj) - 

भृगराज का तेल बालों और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है और पित्त दोष को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

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