Guru Ayurveda

मंगलवार, 5 अक्तूबर 2021

नवरात्रों का आयुर्वेद से सम्बंध उपवास के लाभ और हानि।

 [आयुर्वेद और नवरात्रे ।]

डा०वीरेंद्र मढान।

#नवरात्रों का आयुर्वेद से सम्बंध।

<अगर आप रखते है उपवास तो ध्यान दें ।>

#लाभ क्या और हानि क्या है?

[इन नवरात्रों मे क्या खाये क्या न खाये?]

#आयुर्वेद का दृष्टिकोण क्या है ?


 इस बार नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन से हो रही है. सर्वपितृ अमावस्या के साथ 6 अक्टूबर को श्राद्ध समाप्त हो रहे हैं. इसके अगले दिन यानि 7 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से नवरात्रि प्रारंभ हो जाएंगे।

नवरात्रि और आयुर्वेद में गहरा संबंध, मां दुर्गा का स्वरूप है ये 9 औषधियां


*संदिग्ध आने वाले कोरोना वायरस के बुरे दौर से बचने के लिए लोगों को मास्क पहनना, हाथों को सेनैटाइज करना और इम्यूनिटी बढ़ाने जैसी मुख्य हिदायतें दी जा रही हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बताएंगे, जिसमें नवदुर्गा के 9 रुप विराजते हैं। नवदुर्गा यानि मां दुर्गा के नौ रूप मानी जाने वाली ये 9 औषधियां अपने भोज्य पदार्थों में लेने से ना सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ेगी बल्कि शरीर को कैंसर जैसी कई बीमारियों से लड़ने में भी मदद मिलेगी। 

* इन औषधि को मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति और ब्रह्माजी द्वारा उपदेश में दुर्गाकवच कहा गया है।

 ये कई रोगों के प्रति एक कवच का काम करती हैं, इसलिए इन्हें दुर्गाकवच कहा जाता है। 


दिव्य औषधियों -


1. देवी शैलपुत्री - हरड़

हिमावती औषधि‍ हरड़ या हरीतकी देवी शैलपुत्री का ही एक रूप हैं।

- जो सात प्रकार की होती है। इससे पेट संबंधी समस्याएं नहीं होती और ये अल्सर में काफी फायदेमंद है। इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए सर्दियों में इसका सेवन कई रोगों से बचाने में मदद करता है।


2. देवी ब्रह्मचारिणी - ब्राह्मी

नवदुर्गा का दूसरा रूप है।


ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ब्राह्मी औषधी याददाश्त बढ़ाने में मदद करती है। ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है। ब्राह्मी में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो शरीर में कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। वहीं, इसका नियमित सेवन पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है।


3. देवी चंद्रघंटा - चन्दुसूर

चन्दुसूर या चमसूर धनिए के समान दिखने वाला ऐसा पौधा है, जिसकी पत्तियां सब्जी बनाने के लिए प्रयोग होती है। नियमित इसका सेवन मोटापा कम करने के साथ इम्यूनिटी बढ़ाता है। साथ ही यह पौधा स्मरण शक्ति बढ़ाने, दिल को स्वस्थ रखने में भी मददगार है।


4. देवी कुष्माण्डा - पेठा

पेठा को कुम्हड़ा भी कहते हैं इसलिए इसे नवदुर्गा का चौथा रूप माना जाता है। 

- यह औषधि शरीर में सभी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के साथ रक्तपित्त, रक्त विकार को दूर करती है। पेट के लिए भी यह औषधि किसी रामबाण से कम नहीं है। रोजाना इसका सेवन मानसिक, दिल की बीमारियों से भी बचाता है।

5. देवी स्कंदमाता - अलसी

नवदुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता है जिन्हें पार्वती या देवी उमा भी कहा जाता है।

 यह औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर होता है। अलसी का सेवन कैंसर, डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम का खतरा घटाती है। 

-आयरन, प्रोटीन और विटामिन-B6से भरपूर अलसी एनीमिया, जोड़ों के दर्द, तनाव, मोटापा घटाने में भी फायदेमंद है।

6. षष्ठम कात्यायनी - मोइया

नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है, जिन्हें मोइया या माचिका भी कहा जाता हैं। 

यह औषधि कफ, पित्त की समस्याओं को दूर रखती है। इसके अलावा यह औषधि कैंसर का खतरा भी घटाती है।

7. देवी कालरात्रि - नागदोन

दुर्गा के सांतवे रूप कालरात्रि को नागदोन औषधि के रूप में जाना जाता है। इससे ब्रेन पावर बढ़ती है और तनाव, डिप्रेशन, ट्यूमर, अल्जाइमर जैसी समस्याएं दूर रहती हैं। वहीं, इसकी 2-3 पत्तियां काली मिर्च के साथ सुबह खाली पेट लेने से पाइल्स में फायदा मिलता है। साथ ही इसके पत्तों से सिंकाई करने पर फोड़े-फुंसी की समस्या भी दूर होती है।

8. देवी महागौरी - तुलसी

नवदुर्गा का आंठवा रूप महागौरी को औषधि नाम तुलसी के रूप में भी जाना जाता है। 

-  घर में तुलसी लगाना शुभ माना जाता है।सेहत के लिए भी यह रामबाण औषधी है। तुलसी का काढ़ा या चाय रोजाना पीने से खून साफ होता है। साथ ही इससे दिल के रोगों का खतरा भी कम होता है। इससे कैंसर का खतरा भी कम होता है।

9. देवी सिद्धिदात्री - शतावरी

नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री जिसे शतावरी भी कहा जाता है।

शतावर स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए बेहतरीन औषधि है। यह रक्त विकार को दूर करने में मदद करती है। वहीं रोजाना इसका सेवन करने से शरीर में कैंसर कोशिकाएं नहीं पनपती। शतावर में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लामेट्री और घुलनशील फाइबर होता है, जो पेट को दुरुस्त रखने के साथ कई रोगों से बचाने में मददगार है।

** इस कारण इस नवरात्र का सर्वाधिक महत्त्व है।

> अपने भीतर की ऊर्जा जगाना ही देवी उपासना का मुख्य प्रयोजन है। दुर्गा पूजा और नवरात्र मानसिक-शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक हैं।

-इस कारण इस नवरात्र का सर्वाधिक महत्त्व है

- नवरात्र व्रत का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय। 

-इन दिनों में शरीर दबे हुए रोगों को निकालने का प्रयास करता है।

इसीलिए इन दिनों रोग बढ़ जाते हैं। आयुर्वेद इस अवसर को शरीर शोधन के लिए विशेष उपयोगी मानता है।  

-  नौ दिन का व्रत-उपवास प्राकृतिक उपचार के समतुल्य माना जा सकता है। इसमें प्रायश्चित के निष्कासन और पवित्रता की अवधारणा दोनों भाव हैं। 

नवरात्र के समय प्रकृति में एक विशिष्ट ऊर्जा होती है, जिसको आत्मसात कर लेने पर व्यक्ति का कायाकल्प हो जाता है। व्रत में हम कई चीजों से परहेज करते हैं और कई वस्तुओं को अपनाते हैं। आयुर्वेद की धारणा है कि पाचन क्रिया की खराबी से ही शारीरिक रोग होते हैं। क्योंकि हमारे खाने के साथ जहरीले तत्व भी हमारे शरीर में जाते हैं। आयुर्वेद में माना गया है कि व्रत से पाचन प्रणाली ठीक होती है। व्रत उपवास का प्रयोजन भी यह है कि हम अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर अपने मन-मस्तिष्क को केेंद्रित कर सकेें। 

- मनोविज्ञान यह भी कहता है कि कोई भी व्यक्ति व्रत-उपवास एक शुद्ध भावना के साथ रखता है। उस समय हमारी सोच सकारात्मक रहती है, जिसका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है, जिससे हम अपने भीतर नई ऊर्जा महसूस करते हैं। 

<< उपवास के फायदे?

व्रत या उपवास भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। यह धर्म से तो जुड़ा ही है, सेहत के लिए भी बहुत कारगर है।

< जितने भी हमारे उत्सव, त्यौहार है कहीं न कहीं इन सबका सम्बंध हमारी मानसिक, शारिरीक खुशियों व स्वास्थ्य से सम्बंध होता है।

#नवरात्र उपवास के लाभ ?

* उपवास से पाचन तंत्र को फायदा पहुंचता और इससे वजन घटाया जा सकता है। इससे शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। 

* जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है, उनके लिए उपवास फायदेमंद हो सकता है। साथ ही यह हार्ट को स्वस्थ्य रहता है। 

* शरीर में संतुष्टि का भाव जगाता और व्यक्ति तरोताजा महसूस करता है।

*  उपवास शरीर के सिस्टम को साफ करता है।

* स्वास्थ्य बेहतर होता है।

* नींद का चक्र सुधरता है।*पाचन तंत्र को थोड़ा आराम मिलने से शारिरिक प्रणालियां संतुलित हो जाती हैं।

* मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है 

>> उपवास कब और कैसे रखें

वैसे उपवास कभी भी रखा जा सकता है, लेकिन यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो इससे बचना चाहिए।

- उपवास के दौरान लोग तरह-तरह की चीजें खाते हैं या खाली पेट बहुत अधिक चाय पीते हैं। इससे फायदा होने के बजाए नुकसान हो सकता है। 

- उपवास में सबकुछ खाना छोड़ सकते हैं या कुछ खाद्य पदार्थ छोड़ सकते हैं। उपवास एक दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक का हो सकता है। उद्देश्य के अनुसार उपवास कई तरह के हो सकते हैं जैसे 

-  कुछ लोग केवल पानी का सेवन करते हैं, कुछ पानी के साथ जूस और चाय का सेवन करते हैं।

  परंतु जो उपवास रखा जाता है, उसमें लोग अन्न व मांसाहार से दूर रहते हैं। धार्मिक आस्था और मान्यताओं को ध्यान में रखकर किए जाने वाले उपवास में खाने-पीने की कुछ चीजें चलती हैं, कुछ नहीं।

<<उपवास के दौरान क्या खाएं?>>

-अगर उपवास का अर्थ पूरे समय भूखा रहना नहीं है तो उपवास के दौरान कुछ खास तरह की चीजें खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। जैसे शकरकंद खाने से शरीर को विटामिन सी और पोटेशियम मिलता है। 

 सेब -उपवास के दौरान खाया जाने वाला बेहतरीन फल है। इससे न केवल वजन कम होता है बल्कि पेट भी भरा-भरा महसूस करता है। 

- इसी तरह दूध का सेवन करने से शरीर को कैल्शियम मिलता है और हड्डियां मजबूत होती हैं। 

-व्रत में अखरोट भी खाया जाता है। अन्य ड्राइ फ्रूट्स की तरह यह कैलोरी से भरपूर होता है।

-एक कप स्ट्राबेरी में 50 कैलोरी और तीन ग्राम फाइबर होता है। उपवास में इसका सेवन फायदेमंद है। 

- उपवास में टमाटर का जूस कैंसर से बचाव करता है। 

- सलाद खाना भी फायदेमंद है।

 [व्रत में होने वाले नुकसान से बचें]

उपवास के दौरान सबसे बड़ा खतरा शरीर में पानी की कमी का होता है। 

- कई लोग व्रत के दौरान सिर दर्द का अनुभव करते हैं।

-  कुछ को सीने में जलन और कब्ज की शिकायत होती है। 

-डायबिटीज के मरीजों को उपवास नहीं करना चाहिए।

- जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, उन्हें भी सावधान रहना चाहिए।

- नवरात्रि में कुछ लोग 9 दिनों तक उपवास (Fasting) रखते हैं लेकिन कई दिनों तक लगातर उपवास रखने के कई दीर्घकालिक हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं।

 -इम्यून सिस्टम को सबसे बड़ा नुकसान होता है।

- जिगर और गुर्दे सहित शरीर के कई अंगों पर नकारात्मक रूप से प्रभाव पडता  है।

- कई लोग उपवास के दौरान पूरे दिन भूखे रहते हैं, जिसका सेहत पर बुरा असर हो सकता है।

- व्रत के दौरान खानपान का जो तरीका अपनाया जाता है, वह सेहत के लिहाज से कहीं से भी फायदेमंद नहीं होता क्योंकि व्रत में हम ज्य़ादातर हाई कैलरी वाली चीजों का सेवन करते हैं इसलिए अगर लगातार लंबे समय तक व्रत रखा जाए तो यह सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है. उपवास महत्वपूर्ण शारीरिक कार्य में रुकावट पैदा कर सकता है।

- खाने से परहेज उन लोगों में भी खतरनाक हो सकता है जो पहले से कुपोषित हैं।

- उपवास के कई तरीके हैं, 

* सूखा उपवास (या सभी तरल पदार्थ और भोजन के सेवन न करना )

- विशेष रूप से खतरनाक है. शुष्क उपवास (जल्दी से निर्जलीकरण को जन्म दे सकता है) 

- गर्मी, शारीरिक काम जैसे कारक कुछ ही घंटों में शुष्क उपवास को घातक बना सकते हैं।

अन्य:-

[उपवास करने के 5 नुकसान |] 

1. चिड़चिड़ापन:-

2. कमजोरी या चक्कर आना।

3. घबराहट

4. ज्यादा भूख लगना 

5. मोटापा बढ़ सकता है

उनसे ओवर ईटिंग हो ही जाती है. ऐसे में अंत:स्रावी ग्रंथियों से इंसुलिन का अधिक मात्रा में सिक्रीशन होता है. 

<उपवास में क्या करें क्या न करें ?>

1. उपवास वाले दिन हल्का भोजन लें।उपवास के बाद एक बार में अधिक या भारी भोजन लेने से  पाचन तंत्र को नुकसान हो सकता है।

2. व्रत के दौरान अत्यधिक शारीरिक मेहनत से बचें। इससे आपकी कैलोरी जल्दी खर्च होती है और भूख भी तेजी से लगती है।

 3. अगर आप उपवास वाले दिन स्ट्रेस में रहते हैं, तो यह आपका ब्लड प्रेशर गड़बड़ कर सकता है। ऐसे में उपवास वाले दिन मन को शांत रखें.

4. व्रत वाले दिन ऑयली फूड का सेवन न करें। उपवास का असली फायदा फलाहार में ही है. हेल्दी चीजों का सेवन कर ही एनर्जी लें।

5. उपवास वाले दिन जल्दी पचने वाली चीजों का सेवन करें।

अन्य:-

* फलाहार नहीं करना चाहते हैं, तो आप फलों का जूस भी ले सकते हैं.

* अगर आप फलों या जूस का सेवन नहीं करना चाहते तो आंशिक उपवास में 2 से 3 घंटे में एक गिलास पानी में नींबू और एक चम्मच शहद डालकर इसका सेवन कर सकते हैं।

* उपवास वाले दिन ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं. क्योंकि यह आपके शरीर को हाइड्रेट रखता है. 

 * उपवास में आप साबूदाने की जगह मोरधन, कूट्टू के आटे या राजगिरे की बनी चीजें या फिर आलू या शकरकंद से बने व्यंजन हेल्दी उपवास का ऑप्शन हैं।

* अगर आप उपवास कर रहे हैं और इस दौरान सिर्फ फल पर ही निर्भर हैं, तो आप हर तीन घंटे में कोई फल खा सकते हैं.  

 उम्मीद करता हूँ लेख आपको पसन्द आया होगा ।

 कैसा लगा टिप्पणी (कोमेंट ) मे जरुर जरुर लिखे इसे हमें ओर प्ररेणा मिलेगी।
डा०वीरेंद्र मढान


आयुर्वेद क्या है?

 >आयुर्वेद चिकित्सा>देशी ईलाज>घरेलु उपाय>आयुर्वेदिक ज्ञान।

#आयुर्वेद क्या है?

आयु+विज्ञान

आयु ( जीवन ) का विज्ञान=[आयुर्वेद]

* यह चिकित्सा विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। 'आयुर्वेद' नाम का अर्थ है, 'जीवन से सम्बन्धित ज्ञान'। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।

आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली है जिसमें औषधियों और दर्शन दोनों का अद्भुत मिश्रण है। इसके 5000 से अधिक पुराने इतिहास में, इसने लोगों की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में बहुत योगदान दिया है। 

- आयुर्वेद डॉक्टर सदियों से आयुर्वेद की प्रैक्टिस करते आ रहे हैं, चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान करते आ रहे हैं और लगभग हर बीमारी का सफलतापूर्वक इलाज किया है। केरल में सफल आयुर्वेद समुदाय है जो दुनिया भर के लोगों की स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों को पूरा करते आ रहा है।

- आयुर्वेद

 ऐसी ही एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। इसका शब्दिक अर्थ है जीवन का विज्ञान और यह मनुष्य के समग्रतावादी ज्ञान पर आधारित है। दुसरे, शब्दों में, यह पद्धति अपने आपको केवल मानवीय शरीर के उपचार तक ही सीमित रखने की बजाय, शरीर मन, आत्मा व मनुष्य के परिवेश पर भी निगाह रखती है।


> आयुर्वेद संहिता को कितने भागों में विभक्त किया गया है?


* आयुर्वेद को आठ भागों (अष्टांग आयुर्वेद) में विभक्त किया गया है 

 ये आठ अंग ये हैं-

-कायचिकित्सा,

- शल्यतन्त्र, 

-शालक्यतन्त्र, 

-कौमारभृत्य, 

-अगदतन्त्र,

- भूतविद्या, 

-रसायनतन्त्र और 

-वाजीकरण।


१- { कायचिकित्सा} (Internal medicine)


इसमें सामान्य रूप से औषधिप्रयोग द्वारा काय की चिकित्सा की जाती है। प्रधानत:

- ज्वर, रक्तपित्त, शोष, उन्माद, अपस्मार, कुष्ठ, प्रमेह, अतिसार आदि रोगों की चिकित्सा इसके अंतर्गत आती है। 


"कायचिकित्सानाम सर्वांगसंश्रितानांव्याधीनां ज्वररक्तपित्त-

शोषोन्मादापस्मारकुष्ठमेहातिसारादीनामुपशमनार्थम्‌। (सुश्रुत संहिता १.३)”


२- {शल्यतंत्र } (Surgery)


 शल्यतंत्र अनेक प्रकार के शल्यों को निकालने की विधि एवं अग्नि, क्षार, यंत्र, शस्त्र आदि के प्रयोग द्वारा की गई चिकित्सा को शल्य चिकित्सा कहते हैं। किसी व्रण में से तृण के हिस्से, लकड़ी के टुकड़े, पत्थर के टुकड़े, धूल, लोहे के खंड, हड्डी, बाल, नाखून, शल्य, अशुद्ध रक्त, पूय, मृतभ्रूण आदि को निकालना तथा यंत्रों एवं शस्त्रों के प्रयोग एवं व्रणों के निदान, तथा उसकी चिकित्सा आदि का समावेश शल्ययंत्र मे  किया गया है।


"शल्यंनाम विविधतृणकाष्ठपाषाणपांशुलोहलोष्ठस्थिवालनखपूयास्रावद्रष्ट्व्राणां-तर्गर्भशल्योद्वरणार्थ यंत्रशस्त्रक्षाराग्निप्रणिधान्व्राण विनिश्चयार्थच। (सु.सू. १.१)।”


३- {शालाक्यतंत्र } E.N.T.


 शालाक्य

गले के ऊपर के अंगों की चिकित्सा में अधिकतर 'शलाका' सदृश यंत्रों एवं शस्त्रों का प्रयोग होने से इसे शालाक्यतंत्र कहते हैं। इसके अंतर्गत प्रधानतः मुख, नासिका, नेत्र, कर्ण आदि अंगों में उत्पन्न व्याधियों की चिकित्सा आती है।


"शालाक्यं नामऊर्ध्वजन्तुगतानां श्रवण नयन वदन घ्राणादि संश्रितानां व्याधीनामुपशमनार्थम्‌। (सु.सू. १.२)।”


४- कौमारभृत्य [ Paediatrics ]


 कौमारभृत्य -बच्चों, स्त्रियों विशेषतः गर्भिणी स्त्रियों और  स्त्रीरोग के साथ गर्भविज्ञान का वर्णन इस तंत्र में है।


"कौमारभृत्यं नाम कुमारभरण धात्रीक्षीरदोषश् संशोधनार्थं

दुष्टस्तन्यग्रहसमुत्थानां च व्याधीनामुपशमनार्थम्‌॥ (सु.सू. १.५)।"


५- अगदतंत्र [Toxicology]

 अगदतंत्र- इसमें विभिन्न स्थावर, जंगम और कृत्रिम विषों एवं उनके लक्षणों तथा चिकित्सा का वर्णन है।कुत्तों का काटना,सर्प का काटना,मक्खी,बिच्छुओं का काटना व भोजन मे विष आदि का वर्णन इसमे है।


"अगदतंत्रं नाम सर्पकीटलतामषिकादिदष्टविष व्यंजनार्थं

विविधविषसंयोगोपशमनार्थं च॥ (सु.सू. १.६)।”



६-भूतविद्या (यह अब प्रचलित नही है)


इसमें देवाधि ग्रहों द्वारा उत्पन्न हुए विकारों और उसकी चिकित्सा का वर्णन है।


"भूतविद्यानाम देवासुरगंधर्वयक्षरक्ष: पितृपिशाचनागग्रहमुपसृष्ट

चेतसांशान्तिकर्म वलिहरणादिग्रहोपशमनार्थम्‌॥ (सु.सू. १.४)।”


7- रसायनतंत्र  


दीर्धकाल तक वृद्धावस्था के लक्षणों से बचते हुए उत्तम स्वास्थ्य, बल, पौरुष एवं दीर्घायु की प्राप्ति एवं वृद्धावस्था के कारण उत्पन्न हुए विकारों को दूर करने के उपाय इस तंत्र में वर्णित हैं।


"रसायनतंत्र नाम वय: स्थापनमायुमेधावलकरं रोगापहरणसमर्थं च। (सु.सू. १.७)।”


८-वाजीकरण

वाजीकरण

शुक्रधातु की उत्पत्ति, पुष्टता एवं उसमें उत्पन्न दोषों एवं उसके क्षय, वृद्धि आदि कारणों से उत्पन्न लक्षणों की चिकित्सा आदि विषयों के साथ उत्तम स्वस्थ संतोनोत्पत्ति संबंधी ज्ञान का वर्णन इसके अंतर्गत आते हैं।


"वाजीकरणतंत्रं नाम अल्पदुष्ट क्षीणविशुष्करेतसामाप्यायन

प्रसादोपचय जनननिमित्तं प्रहर्षं जननार्थंच। (सु.सू. १.८)।"



> आयुर्वेदिक औषधि के जनक ऋषि कौन थे?

- भगवान धन्वन्तरि आयुर्वेद के जनक हैं। वे देवताओं के वैद्य के रूप में भी जाने जाते हैं।

> आयुर्वेदिक दवा कैसे बनता है?

आयुर्वेदिक औषधियों जडी-बूटीयों ,स्वर्ण,लोह,चांदीआदि को विशेष विधियों से तैयार की जातीहै।


> आयुर्वेद के मुख्य सिध्दांत क्या है?

- आयुर्वेद जीवनशैली पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। 


- आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर चार मूल तत्वों से निर्मित है -

 दोष, धातु, मल और अग्नि। 

आयुर्वेद में शरीर की इन बुनियादी बातों का अत्यधिक महत्व है। इन्हें ‘मूल सिद्धांत’ या आयुर्वेदिक उपचार के बुनियादी सिद्धांत’ कहा जाता है।


> दोष

दोषों के तीन महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं।

 वात, पित्त और कफ, जो एक साथ अपचयी और उपचय चयापचय को नियंत्रित करते हैं। 

> वात,पित्त, कफ, की समानता स्वास्थ्य है और विषमता रोग है।

- इन तीन दोषों का मुख्य कार्य है 

पूरे शरीर में पचे हुए खाद्य पदार्थों के प्रतिफल को ले जाना, जो शरीर के ऊतकों के निर्माण में मदद करता है। इन दोषों में कोई भी खराबी बीमारी का कारण बनती है।


> धातु

जो शरीर को धारण करने के कारण  इन्हें धातु का नाम दिया हैं। शरीर में सात  धातु होती हैं। वे हैं।

रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा तथा शुक्र जो क्रमशः प्लाज्मा, रक्त, वसा ऊतक, अस्थि, अस्थि मज्जा और वीर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। 

-धातुएं शरीर को केवल बुनियादी पोषण प्रदान करते हैं। और यह मस्तिष्क के विकास और संरचना में मदद करती है।

> मल

मल का अर्थ है अपशिष्ट उत्पाद या गंदगी। यह शरीर मे दोषों और धातु में तीसरा है। मल के तीन मुख्य प्रकार हैं, जैसे मल, मूत्र और पसीना। मल मुख्य रूप से शरीर के अपशिष्ट उत्पाद हैं इसलिए व्यक्ति का उचित स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए उनका शरीर से उचित उत्सर्जन आवश्यक है। मल के दो मुख्य पहलू हैं अर्थात मल एवं कित्त। मल शरीर के अपशिष्ट उत्पादों के बारे में है 


> अग्नि

शरीर की चयापचय और पाचन गतिविधि के सभी प्रकार शरीर की जैविक आग की मदद से होती हैं जिसे अग्नि कहा जाता है। अग्नि को आहार नली, यकृत तथा ऊतक कोशिकाओं में मौजूद एंजाइम के रूप में कहा जा सकता है।




 


सोमवार, 4 अक्तूबर 2021

कैसे अश्वगंधा से स्वस्थ्य लाभ और धन लाभ ?

 >हर्बल खेती>देशी दवा>आयुर्वेदिक औषधी।

#कैसे अश्वगंधा से धन लाभ होगा ?

<अश्वगंधा की खेती से होती है चार गुणा कमाई>

#अश्वगंधा के नाम:-

अश्वगंध, बाजीगंधा,सैन्धवगंधा, वाराहकर्णी, आक्षण्ड,असगंध, अग्रेंजी मे विन्टर चैरी कहते है।


#अश्वगंधा की खेती कहां होती है?

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मुख्य रूप से इसकी खेती मध्यप्रदेश के पश्चिमी भाग में मंदसौर, नीमच, मनासा, जावद, भानपुरा तहसील में व निकटवर्ती राज्य राजस्थान के नांगौर जिले में होती है। ... 

- उत्तर प्रदेश के किसान जडीयों की खेती के लिये तैयार नही होते है अपनी परम्परागत खेती को छोडने से लगता है डर।

#अश्वगंधा की मांग:-

  -अश्वगंधा की खेती लगभग 5000 हेक्टेयर में की जाती है जिसमें कुल 1600 टन प्रति वर्ष उत्पादन होता है जबकि इसकी मांग 7000 टन प्रति वर्ष है।


*अश्वगंधा की खेती कितने दिनों मे तैयार होती है ?


*फसल बुआई के 150 से 170 दिन में तैयार हो जाती है। पत्तियों का सूखना फलों का लाभ होना फसल की परिपक्वता का प्रमाण है। परिपक्व पौधे को उखाड़कर जड़ों को गुच्छे से दो सेमी ऊपर से काट लें फिर इन्हें सुखाएं। फल को तोड़कर बीज को निकाल लें।


क्या है लाभ


अश्वगंधा की फसल से प्रति हेक्टेअर 3 से 4 कुंतल जड़ 50 किग्रा बीज प्राप्त होता है। इस फसल में लागत से तीन गुना अधिक लाभ होता है।


> अश्वगंधा की खेती कब की जाती है?

*फसल चक्र

अश्वगंधा खरीफ फसल के रूप मे लगाई जा सकती है तथा फसल चक्र में गेहूं की फसल ली जा सकती है।

*भूमि एवं जलवायु

-अश्वगंधा खरीफ (गर्मी) के मौसम में वर्षा शुरू होने के समय लगाया जाता है। अच्छी फसल के लिए जमीन में अच्छी नमी व मौसम शुष्क होना चाहिए। फसल सिंचित व असिंचित दोनों दशाओं में की जा सकती है। रबी के मौसम में यदि वर्षा हो जाए तो फसल में गुणात्मक सुधार हो जाता है। इसकी खेती सभी प्रकार की जमीन में की जा सकती है। 


*केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल*


 में किए गए परीक्षणों से पता चला है कि इसकी खेती लवणीय पानी से भी की जा सकती है।   

फसल 2 गुणा हो जाती है।                                                                     


अश्वगंधा की खेती के लिए आय-व्यय का ब्यौरा?


- इस समय देश में अश्वगंधा की खेती लगभग 5000 हेक्टेयर में की जाती है जिसमें कुल 1600 टन प्रति वर्ष उत्पादन होता है जबकि इसकी मांग 7000 टन है।

एक हेक्टेयर में अश्वगंधा पर अनुमानित व्यय रु. 10000/- आता है जबकि लगभग 5 क्विंटल जड़ों तथा बीज का वर्तमान विक्रय मूल्य लगभग 78,750 रुपये होता है। इसलिए शुद्ध-लाभ 68,750 रुपये प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है। 

 उपज


आमतौर पर एक हैक्टर से 6.5-8.0 कुंतल ताजा जड़ें प्राप्त होती हैं जो सूखने पर 3-5 क्विंटल रह जाती है। इससे 50-60 किलो बीज प्राप्त होता है।


*अश्वगंधा की खेती का प्रति हेक्टेयर आय-व्यय का विवरण


 व्यय रु.*


1.खेत की तैयारी ..2000.00


2.बीज की कीमत..1000.00


3.नर्सरी तैयार करना.500.00


4.पौध रोपण...2000.00


5.निराई, गुडाई...1000.


अश्वगंधा कितने रुपए किलो मिलता है?


वहीं अब इसके बीते दो-तीन सालों से इसके पत्ते भी बिकने लगे हैं। 

अश्वगंधा के पाउडर का करीब 300 रुपए प्रति किलो का भाव है। 


अश्वगंधा की खेती कब करते हैं?

*अश्वगंधा की बुआई के लिए जुलाई से सितंबर का महीना उपयुक्त माना जाता है।*


अश्वगंधा में खरपतवार की दवा?

- माहू के प्रकोप की दशा में ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 ई सी दवा की 1 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. अश्वगंधा की फसल 150 से 190 दिन में पक कर तैयार हो जाती है, यह लगभग जनवरी से मार्च के मध्य का समय होता है.


अश्वगंधा के बीज का उपयोग?


अश्वगंधा एक औषधि है। इसे बलवर्धक, स्फूर्तिदायक, स्मरणशक्ति वर्धक, तनाव रोधी, कैंसररोधी माना जाता है। इसकी जड़, पत्ती, फल और बीज औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। यह पौधा ठंडे प्रदेशो को छोड़कर अन्य सभी भागों में पाया जाता है।आयुर्वेदिक औषधियों मे काम आता है।


अश्वगंधा की कीमत 2021क्या है?

8 जून 2021, इंदौर । अश्वगंधा का भाव 35 हजार रु कुवन्टल रही।

#अश्वगंधा को कहाँ बचे ?


पतंजलि, डाबर, वैद्यनाथ, इंडिया हर्ब, इपका लैब समेत कई बड़ी कंपनियां सतावर एलोवेरा, अश्वगंधा भूमि आंवला आदि की खेती करार के तहत करवा रही हैं. 

- इसके साथ ही देश में दिल्ली का खारी बावली, यूपी में बरेली, लखनऊ का सहादतगंज की जड़ी-बूटी मंडी, चंदौसी और बाराबंकी समेत कई इलाकों में बड़े पैमाने पर ऐसी फसलों की खरीद होती है।


> नीचे कुछ और विक्रेताओं के नंबर और पते दिए जा रहे हैं जिनसे किसान सीधे भी संपर्क कर सकते हैं.


- डाबर इंडिया लिमिटेड

8/3, आसफअली रोड, नई दिल्ली 110002

फोन नं- 0120- 3962100



- एके जैन (आर्यन इंटरनेशनल)

डी- 184 फ्रीडम फाइटर इंक्लेव

- नबी सराय, नई दिल्ली फोन नंबर- 011-26659020

- मोबइल नंबर- 98113000884, फैक्स- 011-26659022


- रासिक लाल हिमानी एजेन्सीज प्राइवेट लि.

508, खारी बावली, दिल्ली- 110006

फोन नं-011-23273875, 23273926


- साई ट्रेडिंग कंपनी (गौरव गुप्ता)

1/2249, 3 लोर-2 स्ट्रीट नंबर- 12 निकट शांति

आप्टिकल्स, सुभाष रोड, रामनगर –शाहदरा दिल्ली 110032

मो- 8447518302, 9891067409, 9891340865

ईमेल-shrisai12345@yahoo.co.in


- गुलाब सिंह जौहरी माल (मुकुल गुन्धी)

302, दरीबा कलां, चांदनी चौक, नई दिल्ली

मो- 9811131890, मोबाइल- 011- 23263743, 23271345



- रासिक लाल हिमानी एजेंसीज प्राइवेट लि.

प्रथम तल, सब हाउस 3/8 आसफ अली रोड नई दिल्ली

फोन- 011-23273875, 9971113565


- विराट एक्सपोर्टर्स

23/3, ईस्ट पटेल नगर

नई दिल्ली-110008

फोन-011-2576182


उत्तर प्रदेश


- गुलाब एंड कंपनी, मातादीन रोड सआदतगंज, लखनऊ

फोन- 0522- 2649101, 2649102 मो. 9415108206


- पंचशील ट्रेडर्स

सआदतगंज, लखनऊ

फोन नं- 0522-2649619,2649054


- आशा ग्रामोद्योग संस्थान

647 बी/सी,144/ 1 (पी-18) जानकीपुरम गार्डेन, नियर नावेल सीटी एकेडमी

लखनऊ- 226021, मोबाइल- 9415753154

ईमेल- ashagramodyog@gmail.com


- महावीर ट्रेडिंग कंपनी

पासरत्ता गली, सआदतगंज, लखनऊ

मो. 9415026388, फोन- 0522-2649389


- पुण्य ट्रेडिंग कंपनी

सआदतगंज, लखनऊ, मोबाइल नंबर- 9450009431


- पीयूश ट्रेडर्स कंपनी

सआदतगंज, लखनऊ, मोबाइल- 9335242927


- गुप्ता ट्रेडिंग कंपनी

सआदतगंज, लखनऊ- मोबाइल- 9336011458


- गंभीर चंद जैन किराना स्टोर

अन्नपूर्णा मंदिर के बगल में, सआदतगंज, लखनऊ

फोन- 0522-2649114, 2649115

मोबाइल- 9415023623, 9415087294


- कन्हैया लाल अशोक कुमार

252/6 रकाबगंज, लखनऊ-3

मोबइल- 9750200186, 9750299185


- आनंद ट्रेडिंग एंड मैनुफैक्चिंग कंपनी

133/148 ब्लाक ओ. किदवाईनगर कानपुर- 208023

मोबइल- 9455511783, इमेल- ajpltd27@gmail.com


- मेंता एंड एलाइड केमिकल्स

रामपुर, ब्लाक आफिस बाराबंकी

फोन- 05248-224094, 223508

मो. नं.- 9839174125, 9712718425 ईमेल- raj_sri57@rediffmail.com


- परफ्यूमर्स एंड एसेन्सियल आयल

47 48, न्यू मार्केट पीओ बॉक्स-165

कैसरबाग लखनऊ, फोन- 0522-2612309



- बबलू जैन किराना आढ़ती मातादीन रोड छोटा चौराहा

सआदतगंज, लखनऊ-3 फोन- 0522-2648226

मो-9935367206


- पद्मावती हर्ब्स

35-बी/ 2माडल टाउन, हरि मंदिर, बारात घर के पीछे

बरेली, उत्तर प्रदेश, फोन- 0581-3959932

मोबाइल- 9837003601


- टेकचंद

बी/566, लखपेड़ाबाग, बाराबंकी

मो. 9838078627 

इमेल-ashriflavours@gmail.com


- अनिल कुमार बनरवाल

के 64/गोलादीना नाथ, कबीर लोरा वाराणसी

मो. 9415201873


- निशांत अग्रवाल सुगंध एरोमेटिक

536/268 इंदिरा नगर बरेली- 243122

मोबाइल- 9758876700, 9837087670

ईमेल- sugandharomatics@rediffmail.com


- हिंदुस्तान मिंट एंड एग्रो प्रोडक्टस प्रा. लि

चंदौसी, मुरादाबाद- 244412

फोन- 05921-250540-251900

ईमेल- hindustan@sancharnet.in


- भज्जामल छंगामल, पुराना देशी दवाखाना

नीम के पेड़ वाली दुकान, बजाजा, फैजाबाद

मोबाइल- 9415719455


- जगत एरोमा आयल्स डिस्टीलेशन

कन्नौज- 05694-2344041


राजस्थान


- एलो नेचरलस

20/1 लाइट इंड्रस्ट्रीय एरिया जोधपुर- 342003 राजस्थान

मो. 992861199 ईमेल-infao@aloenatural.co.in


पंजाब


- के.एस. एरोमा एंड कंपनी

स्वांक मंडी, अमृतसर 143001, पंजाब


- ओरिएटंल ट्रेडर्स

615/6 बाग झंडा सिंह, फर्स्ट लोर, अमृतसर- 143001


उत्तराखंड


नैचुरल कान्सेट्स इंडिया, सीपी-12, आवास विकास

निकट ओबीसी, रुद्रपुर 263153

मोबाइल- 9810202915, 9216447232 ईमेल- naturalconcepts609@gmail.com


-ए.एस शारदा इंटरप्राइजेज

नेहरू मार्ग, टनकपुर- 272309

फोन- 9897737133, 9897638133


-आदित्य प्रकाश अग्रवाल

पैथ पराओ, रामनगर जिला-नैनीताल- 224715

फोन- 05942-251596


- अग्रवाल ट्रेडिंग कंपनी

जीबी पंत, मार्ग, टनकपुर, जिला चंपावत

फोन- 05942-251596


- आनंद ट्रेडिंग कंपनी

निंबूवाला, देहरादून कैंट, उत्तराखंड 0135-248003


- आर्य वस्तु भंडार

एबीसी हाउस 46, डिस्पेंसरी  रोड देहरादून-248001

फोन- 0135-2654884, 2654994


- बनारसीदास छन्नामल

मेन बाजार, काशीपुर, उधमसिंहनगर- 244713 फोन- 274839


- दीनदयाल राधेश्याम

सी-11 न्यू गल्ला मंडी, हल्दवानी, नैनीताल- 247515, फोन- 253165


- उत्तरांचल डिस्ट्रीब्यूटर्स

पो. आ. गुरुकुल कांगडी- 249404 जिला हरिद्वार, उत्तराखंड, फोन- 9837027196


हैदराबाद


- जेना बायो हर्बल प्राइवेट लिमिटेड

मकान नंबर- 3-6-294 हैदरगुडा, हैदराबाद- 500029

फोन- 040-65166568, मोबाइल- 7053127949


केरल


- एम.एम अब्दुल हमीद एंड संस

एसेन्सियल आयल एक्सोर्टर

पीवी- बाक्स- 12, अशोकापुरा, आल्वे- 683101

फोन- 0484-2624014


तमिलनाडु


- एन. सुंदर जेरेनियम प्लांटर

पुडुमुंड, ऊटी- मोबाइल- 944302377


मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़


- राज एड कंपनी

काटजू बाजार के पीछे, निकट पारसी मंदिर नीमच मध्य प्रदेश

फोन- 07423-221600, मो. 9826021601


-परफेक्ट हर्बल्स एंड आयल

एच- 401 अशोका हाईट्स, मोवा रायपुर- 492007 छत्तीसगढ़

फोन- 0771-4055495, मो. 9926974509


-रीवा हर्बल्स

126/136 इंड्रस्ट्रीय एरिया, चोरहता, रीवा मध्य प्रदेश

फोन- 07662-2297250


- जसेको न्यूट्री फूड्स

अपोजिट सी- 21 माल, एबी रोड इंदौर, मध्य प्रदेश

मो- 9893000009 फोन- 0731- 2576009


गुजरात


- शान्ती फार्म, पोस्ट- बिंडा, तालुका मानडुई

जिला कच्छ, गुजरात- 370001

मो- 9757218555, 9687890372


- एम.एम यूनिलिंक कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड

हर्बल डिविजन 384, तृतीत मंजिल, टावर- ए, एटलान्टीस के-10, वडोदरा सेंट्रल

साराभाई मेन रोड, वडोदरा- 390007

फोन- 091-265-6544871, 2311146 मोबाइल- 9601184006



- केटीसी इंटरनेशनल

ई-1 प्रेम ज्योति टावर ए-वन स्कूल के सामने, निकट सुभाष चौक- मेमनगर

अहमदाबाद, गुजरात- 380052, फोन- 9998732033, 9426065076


बिहार


- वैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्रावेट लिमिटेड

वैद्यनाथ भवन रोड, लादीनगर पटना, 800001

फोन- 0612-2368571

ईमेल- baibyanathsales@rediffmail.com


नोट- उपरोक्त सभी कंपनियों के नाम और पते सीमैप की वार्षिक पत्रिका औस ज्ञान्या से लिए साभार लिए गए हैं.



रविवार, 3 अक्तूबर 2021

अश्वगंधा [ Winter cherry ]Withanis Somnifera

#Jadi#herbs#ayurvedic herbs#gherelu upchar,

[अश्वगंधा,Winter Cherry,]

#Dr.Virender Madhan.
अश्वगंधा के नाम :- 
जितने भी धौडे के नाम होते है उन सबके पीछे "गन्धा" लगाने से अश्वगंधा के नाम बनते है जैसे-

 अश्वगंधा,  _वाजीगंधा,हयगंधा,किक्यानगंधा,तुरड्गगंधा,सैन्धवगंधा, आदि सब अश्वगंध के नाम है। तथा वाराहकर्णी, वरदा , बलदा ,कूष्ठगंधिनी, ये सब आयुर्वेद मे अश्वगन्धा के नाम मिलते है।

English इंग्लिश मे इसे winter cherry कहते है।
लैटिन नेम :-[Withania Somnifera] वेथानिया सोमनीफेरा, कहते है।

#अश्वगंधा के गुण

<भाव प्रकाश मे इनके गुण

-अश्वगंधा बलदायक,तथा रसायन है।
-कडवी,कषैली, गरम, है तथा वीर्यवर्धक है।
-अश्वगंधा वात,कफ,श्वेत कुष्ठ, शोथ, क्षय,को हरने वाला बताया है।

<मैटीरिया मेडिका ओफ इंडिया- आर०एन०खोरे के अनुसार

-अश्वगंधा मे एक Sominiferin alkaloid होता है।
यह Hypnotic निद्राजनक ,गुण रखता है।
-Ashwagandha is alterative tonic and sedative.
-अश्वगंधा बलदायक ,और सेडेटीव,निद्राजनक गुण रखता है।
-अश्वगंधा की जड का पेस्ट दूध या मक्खन के साथ देने से बच्चों के न्यूट्रिशन हेल्प करता है यानि पोषक है।
-वृध्दावस्था जनक दौर्बल्यता को अश्वगंधा दूर करता है तथा रुमेटिज वात व्याधियों मे लाभदायक है।फोडा-फूंसी,
-Carbuncle मे एरण्ड तैल के साथ अश्वगंध के पत्र का लेप करते हैं।
-बाधिरता Deafness मे अश्वगंधा से से बना नारायण तैल का नस्य [Dropped into the nose]देते है।
इस तैल से पुरे शरीर पर अभ्यंग यानि मालिस की जाती है *हेमिप्जिया, टेटनेस, रूमेटाइम ,लूम्बागो,जोडदर्द, आदि वातरोगों मे इसके तैल का अभ्यंग किया जाता है।
*अतिसार, भगंदर जैसे रोगों में अश्वगंध की वस्ति Anema बना कर देने से लाभदायक है।

अश्वगंधा के उपयोग:--

 *बल्य, रसायन, और अवसादक हर्ब है।

*पुष्टि कारक होने से इसके खाण्ड के साथ लड्डू बना कर खाते है।ये मोदक क्षयरोग, जराकृत दौर्बल्य तथा वातरोगी का प्रयोज्य है।
*स्त्रियों में वातरोग,दौर्बल्यता. प्रदररोगो मे  देते है।
* अश्वगंधा के पत्तों पर एरण्ड तैल लगा कर सेक कर स्फोटकादि फोडे के ऊपर बांध ने से शीध्रता से पूय निकल जाती है और आराम मिल जाता है। 
*सुप्तिवात मे जिस अंग मे सुन्नता रहती है पत्ते बांधने से या अश्वगंधा तैल सिद्ध कर अभ्यंग करने से सुप्तिवात ठीक हो जाता है।
*कटिशूल, पक्षाघात , धनुर्वात , धनुस्तम्भ ,आदि महावात रोगों मे अश्वगंधा तैल या नारायण तैल की मालिस की जाती है।
*अतिसार, भगंदर जैसे रोगों मे इसका क्वाथ बना कर वस्ति 



बुधवार, 29 सितंबर 2021

लीवर का बढना, [यकृतशोथ ]

 

#यकृतशोथ [Hepatitis]

#Dr.Virender madhan#

#लीवर का बढना,

#यकृतशोथ Hepatitis,  है तो क्या खाये क्या न खायेंं ?

# यकृतशोथ, मे जीवनशैली कैसी हो ?

#लीवर Liver रोगों में रामबाण दवा ?

लीवर बढ़ना क्या है?


 - लीवर का सामान्य से ज़्यादा बड़ा आकार हो जाना लीवर बढ़ने की समस्या है। चिकित्सकीय भाषा में  इसे "हिपेटोमिगेली" (hepatomegaly) कहते हैं। 


 - लीवर बढ़ना कोई बीमारी नहीं है। परन्तु ये किसी होने वाली बीमारी का कारण हो सकता है जैसे, लीवर खराब होना,

- लिवर कैंसर या कंजेस्टिव हार्ट फेल होना (congestive heart failure​: हृदय का ढंग से शरीर में खून न भेज पाना जिससे सांस लेने में परेशानी, थकान, टांगों में दर्द आदि हो सकता है)। 


*लिवर बढ़ने [ यकृतशोथ]के लक्षण - Enlarged Liver Symptoms in Hindi


लिवर बढ़ने के लक्षण क्या हैं?


अगर आपका लिवर किसी अन्य लिवर की बीमारी के कारण बढ़ रहा है तो उससे निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं :


- पेट में दर्द 

- थकान 

- उलटी आना 

-.त्वचा और आँखों के सफ़ेद हिस्से का पीला पड़ना (पीलिया होना)


* लीवर बढ़ने के कारण और जोखिम कारक - Enlarged Liver Causes and risk factors in Hindi
[लीवर बढ़ने के कारण क्या हैं?]


लीवर एक बड़े के आकार का अंग है। ये हमारे शरीर में पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में होता है। लिवर का आकार आपकी उम्र, लिंग और शरीर के आकार पर निर्भर करता है। ये निम्नलिखित वजहों से बढ़ सकता है :

लीवर की बीमारियां :


1-सिरोसिस 

वायरस के कारण हेपेटाइटिस होना - हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी - या फिर ये संक्रमित मोनोन्यूक्लिओसिस (mononucleosis) के कारण भी हो सकता है।  

फैटी लिवर की बीमारी होना 

- लीवर में असामान्य रूप से अधिक मात्रा में प्रोटीन एकत्रित होना (अमीलॉइडोसिस)

- लीवर में अधिक मात्रा में कॉपर इकठ्ठा होना (विलसन्स डिसीज)

 - लीवर में अधिक मात्रा में आयरन इकठ्ठा होना (हेमाक्रोमैटोसिस)

-लिवर में वसा इकठ्ठा होना (गोचरस डिसीज)

- लिवर में तरल पदार्थ से भरे खाने होना (लिवर सिस्ट)

- लिवर ट्यूमर जिससे कैंसर होने का जोखिम ना हो

- पित्त की थैली या बाईल डक्ट में रूकावट होना ।

-टॉक्सिक हेपेटाइटिस (Toxic hepatitis)


2. कैंसर :


कैंसर जो किसी अन्य अंग में शुरू हो कर लीवर तक फैल जाए 

ल्युकेमिया 

लीवर कैंसर 

लिंफोमा 


3. हृदय और रक्त वाहिकाओं के रोग :


* लिवर बढ़ने की आशंका किन वजह से बढ़ जाती है -


- अगर आपको लीवर की बीमारी है तो आपका लिवर आकार में बढ़ सकता है। 


 - बहुत ज़्यादा शराब पीना -

अत्यधिक शराब पीने से आपके लिवर को हानि पहुँच सकती है। 

- संक्रमण -

वायरस, बैक्टीरिया या अन्य जीवाणुों के कारण होने वाली बिमारियों से आपके लिवर को हानि पहुँच सकती है। 


- हेपेटाइटिस वायरस -

हेपेटाइटिस ए, बी या सी से लिवर खराब हो सकता है। 

ढंग से खाना न खाना -

ज़्यादा वजन होने से आपको लिवर की बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है,

-  पौष्टिक खाना न खाने से और ज़्यादा वसा या चीनी वाला खाना खाने से भी आपको लिवर की बीमारी होने का खतरा है। 


- लीवर बढ़ने से बचाव - Prevention of Enlarged Liver in Hindi

लीवर बढ़ने से कैसे बचें?


-परहेज:-

-----------

- कोई भी दवाई, विटामिन या शरीर में कमी की पूर्ति करने वाली दवाइयां लेते समय ध्यान रखें - आपको जितनी दवाई लेने के लिए कहा गया है उतनी ही लें। 

 - केमिकल से दूर रहें - सफाई करने वाले स्प्रे, कीटनाशक और अन्य केमिकल का इस्तेमाल हवादार इलाकों में करें। केमिकल का इस्तेमाल करते समय पूरी बाजू के कपड़े, दस्ताने और मास्क पहने। 

 

 -जिन खाद्य पदार्थों में ज़्यादा चीनी या वसा होती है उन्हें ना खाएं। 

-चिकनाई वाले पदार्थ न लें ।

-गरिष्ठ भोजन, मांस, मछली, अण्डा न लें .

-शराब छोड दें.

 -धूम्रपान न करें - 

 -कुछ दवाइयां आपके लिवर को हानि पहुंचाती हैं।


* जीवनशैली

--------------

-सवेरे उठकर घूमने की आदत डालें।

-शराब पीना छोड़ दें

- स्वास्थ्य आहार खाएं 

-नियमित रूप से एक्सरसाइज करें 

-अगर आपका वजन ज्यादा है तो वजन कम करें .

- भुख लगने ही खाये

-अत्यधिक मात्रा में भोजन न करें.

-जल्दी सोना व जल्दी उठने की आदत बनाए.


#Ayurvedic treatment of Hepatitis#
*यकृतशोथ का आयुर्वेदिक चिकित्सा*

-मुकोलिव सीरप की 2-2 चम्मच दिन में 2-3 बार देने से लीवर के रोग शीध्र शांत हो जाते है।

-त्रिफला कषाय -रात्रि मे त्रिफला पानी मे डालकर छोड़ दें सवेरे छानकर पीलायें.

-भूमिआमला का 2-2 चम्मच रस सवेरे शाम पीलायें.

-ऊटनी का दूध मे यवक्षार मिलाकर पीने से यकृतशोथ मे आराम मिलता है।

-पीपल चूर्ण 5 ग्राम प्रतिदिन देने से लीवर के रोग ठीक होते है.

 शास्त्रीय योग:-

- रोहितकारिष्ट

Rohitakarishta

-पुनर्नवारिष्ट

Punarnavarishtha  

- द्राक्षादि लेह

Drakshadi Leha

-Sri Sri Tattva Sudarshan Vati Tablet

- कासीसभस्म

Kasis Bhasma

-पुनर्वादिमण्डूर

Punarnavadi Mandoor

-आरोग्यबर्ध्दिनी बटी

 Arogyavardhini Bati  



 


 


 





मंगलवार, 28 सितंबर 2021

High Cholesterol हाई कोलेस्ट्रॉल है तो क्या करें?

 



High Cholesterol है तो क्या करें?

#क्या है हाई कोलेस्ट्रोल High Cholesterol ?

#Cholesterol  कोलेस्ट्रोल कितना होना चाहिए?

#हाई कोलेस्ट्रोल High के क्या लक्षण होते है?

#हाई कोलेस्ट्रोल है तो जीवन शैली LifeStyle कैसी हो ?

[कोलेस्ट्रोल]

हाई कोलेस्ट्रॉल कितनी गंभीर बीमारी है, 

 भारत में लगभग 27 प्रतिशत लोग हाई कोलेस्ट्रॉल के शिकार हैं। यह खबर भारत में हाई  कोलेस्ट्रॉल की चिंताजनक स्थिति को उजागर करती है।


इसके अलावा, हाई कोलेस्ट्रॉल का समय रहते इलाज न होने पर यह हार्ट अटैक या दिल के दौरे का कारण भी बन सकती है। ऐसे में यह जरूरी है कि लोगों को उच्च कोलेस्ट्रॉल की अधिक से अधिक जानकारी दी जाए ताकि वे अपने और अपने प्रियजनों को इस घातक बीमारी से बचा सकें।

लिपिड का हिस्सा कोलेस्ट्रॉल होता है जो एक चिकने मोम की तरह दिखता है। शरीर की सभी कोशिकाओं में ये तत्व पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल शरीर के सभी हिस्सों में रक्त पहुंचाने का कार्य करता है।

 ये दो प्रकार का होता है, 


लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन को बैड कोलेस्ट्रॉल और 

हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन को गुड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। 

- बैड कोलेस्ट्रॉल से ब्लड वेसेल्स में प्लेक जमा होने लगता है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों की संख्या पिछले कुछ समय में काफी बढ़ी है।

- आयुर्वेद के अनुसार यह कफ विकृति होती है।रक्त मे आम उत्पन्न हो जाता है जिससे ये लोग कोलेस्ट्रॉल कहते है।

 वसायुक्त भोजन लेने से ये बीमारी लोगों को अपना शिकार बना सकती है। 


-मोटापा, स्मोकिंग और कुछ दवाइयों के सेवन से भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर शरीर में बढ़ सकता है।

- रोगी को उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) की शिकायत होती है और इन्हें स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है। 

ऐसे में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के लक्षणों को समझना जरूरी है ताकि हेल्थ प्रॉब्लम्स को टाला जा सके। 

लक्षण:-

 हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण शरीर के इन हिस्सों में दिखते हैं 

आंखें:-

  कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने से आंखों में भी संकेत मिलते हैं। बताया जाता है कि हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को आंखों की कॉर्निया के बाहरी हिस्से में ऊपर या नीचे नीले या सफेद रंग की गुंबद जैसा कुछ दिखाई देता है तो उन्हें कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच करा लेनी चाहिए। बताया जाता है कि इस परेशानी को Arcus Senilis नाम से जाना जाता है।


हाथ मे दर्द:-

  कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से कई बार लोगों को हाथों में दर्द हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से धमनियों के अंदर की परत में वसा जमा हो जाता है जिससे ब्लड सर्कुलेशन बाधित होता है। इसके कारण लोगों हाथों में दर्द की परेशानी होने लगती है।


 त्वचा (स्किन) -

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के मुख्य संकेतों में त्वचा में बदलाव होना भी शामिल है। अगर आपको स्किन के रंग का बदलना नजर आए तो इसे इग्नोर न करें। आंखों के नीचे, हथेलियों और पैर के निचले हिस्से में नारंगी या पीला रंग दिखे तो कॉलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच करें।

-सिर में दर्द होना ।

- चक्कर आना 

-पैरों के नीचले हिस्से में दर्द होता है.
-सीने मे दर्द रहता है.
-दिल की धडकन अनियमित रहतीहै.

#कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए ?


 #गुड कोलेस्ट्रॉल 

य  स्वास्थ्य को ठीक रखता है. ल ये आपके हार्ट के लिए भी अच्छा माना जाता है। 


नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार कोलेस्ट्रॉल लेवल निम्नलिखित होना चाहिए। जैसे:


20 या इससे ज्यादा उम्र के पुरुष में कोलेस्ट्रॉल लेवल-


टोटल कोलेस्ट्रॉल: 125 से 200 mg/dL


नॉन एचडीएल: 130 mg/dL से कम


एलडीएल: 100 mg/dL से कम


एचडीएल: 40 mg/dL से ज्यादा


20 या इससे ज्यादा उम्र की महिला में कोलेस्ट्रॉल लेवल-


टोटल कोलेस्ट्रॉल: 125 से 200 mg/dL


नॉन एचडीएल: 130 mg/dL से कम


एलडीएल: 100 mg/dL से कम


एचडीएल: 50 mg/dL से ज्यादा


#हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव क्या करें?

 कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने पर दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव करना बेहद जरूरी है। 


जीवनशैली life style:-


1. एक्टिव रहें (Be active)

फिजिकल एक्टिविटी ना करने की वजह से शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और कोलेस्ट्रॉल लेवल भी में इमबैलेंस होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए रोजाना कम से कम आधे घंटे के लिए अपने आपको फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) में व्यस्त रखें।

2. एक्सरसाइज (Workout) करें

नियमित एक्सरसाइज करने से शरीर को फिट रखने के साथ-साथ बैड कोलेस्ट्रॉल के निर्माण में भी बाधा पहुंच सकती है। इसलिए हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचने के लिए या बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) को बैलेंस में लाने के लिए नियमित एक्सरसाइज करें। आप चाहें तो एक्सरसाइज की जगह योग (Yoga), स्विमिंग (Swimming) या रनिंग (Running) को भी अपने दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।

3. संतुलित वजन (Balanced weight)

बढ़ता वजन कई शारीरिक परेशानियों को दावत देने में सक्षम है। इसलिए हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव लाना चाहते हैं, तो वजन को संतुलित रखें। दरअसल बढ़ते वजन की वजह से बैड कोलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ जाता है और कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने की वजह से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बॉडी वेट (Body weight) मेंटेन रखें।


4. हेल्दी फैट्स (Healthy fats)

आजकल ज्यादातर लोग फैट फ्री खाने का सेवन करने लगे हैं, जबकि स्वस्थ रहने के लिए गुड फैट्स यानी हेल्दी फैट्स का सेवन करना आवश्यक माना जाता है। इसलिए ट्रांस फैट (Trans fat) वाले फूड प्रॉडक्ट्स का सेवन ना करें और मोनोसैचुरेटेड (Monounsaturated) और पोलीअनसैचुरेटेड फैट (Polyunsaturated fat) का सेवन करना लाभकारी माना जाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव लाना जरूरी है।


5. स्मोकिंग ना करें (Quit smoking)

हाय कोलेस्ट्रॉल के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव लाना बेहद जरूरी माना जाता है। आजकल ज्यादातर लोग स्मोकिंग को अपनी आदत और बदलते वक्त का हिस्सा मान रहें हैं। लेकिन स्मोकिंग एक नहीं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों को दावत देने का काम करती है और बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad cholesterol) के निर्माण में भी सहायक होता है। इसलिए स्मोकिंग ना करें।


6. ऑलिव ऑयल का करें सेवन (Use of Olive oil)

ऑलिव ऑयल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) शरीर के लिए बेहद लाभकारी मानी जाती है। ऑलिव ऑयल के सेवन से हार्ट हेल्थ को हेल्दी रखने में मदद मिलती है और कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) भी बैलेंस रहता है।


7. मछली (Fish) का करें सेवन

अगर आप मांसहारी हैं और आपको मछली खाना पसंद है, तो कोलेस्ट्रॉल लेवल बैलेंस रखने का ये बेहतर विकल्प माना जाता है। दरअसल मछली में मौजूद ओमेगा 3 फैटी ऐसिड (Omega 3 Fatty Acid) की मात्रा हृदय के लिए लाभकारी माना जाता है। इसलिए हाय कोलेस्ट्रॉल के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव लाना चाहते हैं, तो अपने डायट में संतुलित मात्रा में मछली का सेवन करें। हालांकि ध्यान रखें अत्यधिक तेल मसाले वाले फिश का सेवन ना करें, बेहतर होगा आप ग्रिल्ड फिश (Grilled fish) या स्टीम्ड फिश (Steamed fish) का सेवन करें।


8. प्रोसेस्ड फूड (Processed food)

बदलती लाइफ स्टाइल में प्रोसेस्ड फूड लोगों की पंसद बनती जा रही हैं, लेकिन प्रोसेस्ड फूड शरीर के लिए नुकसानदायक माना जाता है। इसलिए हाय कोलेस्ट्रॉल के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव की लिस्ट में अगर अपने प्रोसेस्ड फूड को शामिल किया है, तो उनसे दूरी बनायें।

10 . ब्रहमूहर्त मे उठेने की आदत बनाये. उठते ही पानी पीयें।

11. शरीर से कुछ न कुछ करते रहे.

12. पहला खाया हुआ भोजन पचने के बाद ही दुसरी बार भोजन करें.

#बैड कोलेस्ट्रॉल है तो क्या खायेंं ?


- ओट्स लें.

ओट्स में फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है और इसमें बीटा ग्लूकॉन भी होता है जो आंतों की सफाई करता है और कब्ज से राहत दिलाता है। नियमित तौर पर नाश्ते में ओट्स खाने से शरीर में कलेस्ट्रॉल को लगभग 6 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

- अलसी

अलसी के बीज कोलेस्ट्रॉल को कम करने में काफी मददगार होते हैं। बेहतर होगा कि आप साबुत बीज की जगह पर पिसे हुए बीज का सेवन करें।

- ग्रीन टी

ग्रीन टी कोलेस्ट्रॉल को कम करने में काफी सहायक होती है।

-  धनिया के बीज

धनिया की बीजों के पाउडर को एक कप पानी में उबालकर दिन में दो बार पीने से भी कोलेस्ट्रॉल कम होता है।

- प्याज

हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में लाल प्याज काफी फायदेमंद होता है। एक चम्मच प्याज के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।

-  आंवला

एक चम्मच सूखे आंवला के पाउडर को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर सुबह-सुबह पीने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।

- सेब का सिरका

सेब का सिरका हमारे शरीर के टोटल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के लेवल को कम करता है।

- संतरे का जूस

हाई कोलेस्ट्रॉल को प्राकृतिक रूप से कम करने के लिए नियमित तौर पर तीन कप संतरे के जूस पिएं।

-   नारियल का तेल

कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए रोज खाने के साथ आर्गेनिक नारियल के तेल का एक से दो चम्मच इस्तेमाल करें। 

रिफाइंड या प्रोसेस्ड नारियल के तेल का इस्तेमाल न करें।

- मूंगफली

रोज 50 ग्राम मूंगफली के दाने खाने से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है।

- अखरोट

सुबह उठकर 2-3 अखरोट नियमित तौर पर खाने से कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

- बादाम

4-5 बादाम रोज खाने से भी कोलेस्ट्रॉल कम होता है। बेहतर होगा कि शाम को बादाम भिगो दें

- वॉक (Walk) करें,

- योग (Yoga) करें और पौष्टिक आहार (Healthy diet) का सेवन करें और

 हेल्दी लाइफ स्टाइल (Healthy lifestyle) फॉलो करें। 


#कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार

-आरोग्यवर्द्धिनी वटी, 

-पुनर्नवा मंडूर, 

-त्रिफला, या त्रिफला क्वाथ पीये.

-अर्जुन की छाल के चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है।

-अर्जुन का काढा बना कर पीया जाता है

- मेदोहर वटी व नवक गुगल वटी गुनगुने पानी से लेंने से लाभ मिलता है।


*कोई भी औषधि लेने के लिए अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।

उम्मीद है कि आपको लेख पसन्द आया होगा।

*  किसी सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

डा०वीरेंद्र मढान

"गुरू आयुर्वेद”

फरिदाबाद .भारत




सोमवार, 27 सितंबर 2021

सदा स्वस्थ दीर्घायु कैसे रहेंं?

 स्वस्थ दीर्घायु कैसे रहे ?

#Svesth dirghayu kaise rahen?


#कैसे सदा स्वस्थ रहे?

#स्वस्थ दीर्धायु के लिये क्या करें?

#सदा स्वस्थ रहने के उपाय.

#आयूर्वेद के अनुसार जीवनशैली.

#life style for healthy life.

सदा स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद में ऐसे सूत्र दिये है जिनके पालन करने से व्यक्ति हर तरह के रोगों से बच सकते है और दीर्धायु प्राप्त कर सकते है।

उनमे मुख्य है

1-आहार

2-विहार

2-निद्रा


  आहार  

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#आहार वर्णन– 

 जिस प्रकार मानव जीवन हवा पर निर्भर करता है। उसी प्रकार भोजन भी मनुष्य को जीवित रखने के लिए जरूरी है। 

आहार आयुर्वेद के त्रिस्तम्भ मे से एक है.

भोजन में षडरस होना चाहिए.


मीठा, नमकीन, खट्टा, तीखा, कड़वा और कसैला का होना जरूरी, आहार की गड़बड़ी से बढ़ते शरीर में दोष और रोग होते है।


भोजन को स्वास्थ्य का प्रमुख तत्व माना जाता है।

 आयुर्वेदिक आहार व्यक्ति विशेष के शरीर की प्रकृति पर आधारित होता है, जो उसे पोषण देता है। आहार बीमारियों से भी दूर रखता है।  हैं .

#आयुर्वेदिक आहार :-

 आयुर्वेद में माना जाता है कि कोई भी बीमारी शरीर में पाए जाने वाले तत्त्वों के असंतुलन के कारण होती है। जब आयुर्वेद के तीनों तत्त्वों वात, पित्त और कफ में से किसी में असंतुलन होता है तो इसे दोष कहा जाता है। जैसे यदि किसी व्यक्ति में वात की अधिकता है तो उसे चक्कर आएगा, शरीर में दर्द होते है.

 पित्त की अधिकता है तो जलन, अम्लपित्त, सूजन आदि होगी और 

कफ का असंतुलन होने पर उसे बलगम ज्यादा बनता है.कास,श्वास,आदि रोग हो जाते है।

 आयुर्वेद में आहार की तीन श्रेणियां हैं।

सात्विक आहार : 

यह सभी आहारों में सबसे शुद्ध होता है। शरीर को पोषण, मस्तिष्क को शांत, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसमें साबुत अनाज, ताजे फल, सब्जियां, गाय का दूध, घी, फलियां, मेवे, अंकुरित अनाज, शहद और हर्बल चाय शामिल होती है।

राजसिक आहार :-

यह भोजन प्रोटीन आधारित और मसालेदार होता है। अत्यधिक शारीरिक श्रम करने वाले इस भोजन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

तामसिक आहार :-

 इसमें रिफाइंड भोजन शामिल होते हैं। यह डीप फ्राई और मसालेदार होते हैं। इनमें नमक की मात्रा भी अधिक होती है। यह आलस्य बढ़ाते हैं।

पोषक तत्त्वों का बना रहता संतुलन

भोजन में छह रस शामिल होने चाहिए। मीठा, नमकीन, खट्टा, तीखा, कड़वा और कसैला। 


वात प्रकृति के लोगों को मीठा, खट्टा और नमकीन,


 कफ प्रकृति के लोगों को कड़वा, तीखा, कसैला और 


पित्त प्रकृति के लोगों को मीठा, तीखा और कसैला भोजन करना चाहिए। इससे शरीर में पोषक तत्त्वों का असंतुलन नहीं बढ़ता है।


आयुर्वेदिक डाइट


ऑर्गेनिक भोजन ऊर्जा से भरपूर होता है। कम तेल और कम मसालों में सब्जियों को लगातार हिलाते हुए हल्का तलकर बनाएं। 

मौसमी फल, दूध, छाछ, दही, पनीर, दालें, सोयाबीन और अंकुरित अनाज लें। 

चीनी की जगह शहद, गुड़ लें.


 मैदे के बजाए चोकरयुक्त आटा व दलिया खाएं। 

भोजन न तो ज्यादा पका हो और न ही कम पका होना चाहिए।


आहार के सिद्धांत

हमारा भोजन वह आधार है जिससे हमारे शरीर का निर्माण होता है। 

चरक संहिता के अनुसार 

किसी भी रोग से मुक्ति के लिए उचित आहार लेने का अत्यंत महत्व है। औषधि के प्रयोग से मिलने वाला लाभ उचित आहार लेने से ही मिल सकता है। सात्विक भोजन औषधि लेने से 100 गुना अधिक लाभदायक है।

#डॉ.वीरेंद्र मढान


अगर हमारे शरीर को स्वस्थ रखना है तो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाना बहुत जरूरी है ताकि वो हमारे शरीर पर हमला करने वाले बैक्टीरिया से लड़ सके. 


#विहार वर्णन,[ life Style]


ब्रह्ममुहूर्त मे उठने की आदत बना लें। 

ब्रह्ममुहूर्त मे सबसे पहले जितना पानी पी सकते है पीयें.

सवेरे घूमने जाये कुछ व्यायाम अपनी शक्ति अनुसार करें.

तैल मालिस मौसम अनुसार जरुर करें.

स्नान, दंतधावन, सेविगं के बाद  प्रातःकाल मे स्नान आदि के बाद जरूर परमेश्वर का घ्यान पूजा करें.

उसके बाद भोजन करें.

प्रातःकाल मे सबसे गरिष्ठ भोजन कर सकते है दोपहर मे कुछ कम तथा रात मे गरिष्ठ भोजन न करें ।

कपडे साफ सुथरे पहनने चाहिए .

फटा कपड़ों को सील कर धो कर पहने.

नित्य धन कमाने के लिये प्रयत्न करते रहना चाहिये.


खुश रहा करो. 

जो खुलकर हंसते हैं, उनके शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति सही ढंग से होती है. इससे उनका इम्यून सिस्टम तो बेहतर होता ही है, इसके अलावा हृदय, फेफड़े और मांसपेशियां उत्तेजित होते हैं. मस्तिष्क से एंडोर्फिन हार्मोन निकलते हैं, जिससे तनाव कम होता है और तनाव की वजह से होने वाली तमाम समस्याओं से बचाव होता है. इसलिए खुलकर हंसने की आदत डालें.

 

 खाना खाते समय बोलना नहीं चाहिए.   


 शरीर की मालिश करने की आदत डालिए.

 इससे न सिर्फ शरीर का रूखापन खत्म होता है बल्कि ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. स्किन शाइन करती है और पाचन क्रिया बेहतर होती है. पाचन क्रिया में सुधार आने से अपच, वायु और पित्त विकार, बवासीर, अनिद्रा आदि   बीमारियों से शरीर का बचाव होता है.  


निन्द्रा वर्णन :-

निन्द्रा स्वास्थ्य का तीसरा स्तम्भ है ।

स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है। नींद से न सिफ शरीर के कार्य सुनयंत्रित होते हैं बल्कि 

काम में खर्च हुई ऊर्जा फिर से शरीर मे एकत्र होती है। लेकिन प्रकृति से बढ़ती दूरी और खराब दिनचर्या का असर इंसान की नींद पर देखने को मिल रहा है। नींद को लेकर अलग -अलग इंसान में अलग- अलग समस्या हो सकती है। वैसे तो हर इंसान को 6 से 8 घंटे की नींद की जरूरत होती है लेकिन यह हर इंसान के लिए इसका अलग अलग समय हो सकता है।

अनिद्रा के कारण

अनिद्रा यानी नींद न आने के कई कारण होते हैं जिनमें से प्रमुख हैं- तनाव, किसी प्रकार का दर्द, असुविधाजनक मौसम, मानसिक परेशानी, अधिक प्ररिश्रम और पेट में गड़बड़ी हो सकता है। कई बार गलत खान पान से भी नींद नहीं आती।


आयुर्वेद के अनुसार,

तीन कारणों से होती है अनिद्रा

एक रिपोर्ट के अनुसार, अनिद्रा की समस्या तीन दोषों में विकृत के कारण होती है। जिनमें तर्पक कफ,

 साधक पित्त, और

 प्राण वात में असंतुलन होने पर नींद न आने की बीमारी होती है। प्राण वात के कुपित होने से मष्तिष्क की तंत्रिकाएं अति संवेदनशील हो जाती हैं। इस कारण नींद न आने की समस्या उत्पन्न होती है।


नींद में आने सहायक उपाय-


ब्राहमी का प्रयोग: 

यह औषधि अनिद्रा में अत्यंत लाभ देती है। रात्रि के समय चूर्ण के रूप में अथवा उबाल कर इसका काढ़ा पीने से या फिर किसी भी रूप में ब्राहमी का सेवन अनिद्रा के रोग में बहुत लाभकारी है।

अन्य:-

1 - सोने से पहले नारियल या सरसों तेल से पैरों और पिंडलियों में मालिश करना अत्यंत लाभकर है।


2- एक चम्मच ब्राहमी और अश्वगंधा का पाउडर 2 कप पानी आधा रह जाने तक उबालें। रोज सुबह इसका सेवन करना लाभदायक है।


3- कटे हुए केले पर पीसा हुआ ज़ीरा डाल कर प्रति रात्रि शयन से पूर्व खाना भी नींद लाने में सहायक है।


4-ताजे फलों और सब्जियों का सेवन, छिलकासहित पिसे हुए अन्न, छिलका सहित दालें, दुग्ध एवं मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।


5- कंप्यूटर, मोबाइल और टी वी का प्रयोग कम से सोने से 2 घंटे पूर्व ना करें।


अंत मे -

-अपनी केयर स्वयं करें .

-शरीर के साथ खिलवाड़ न करें।

-शरीर से कर्म करते रहें.

-शरीर को अधिक आराम देने से शरीर में रोग उत्पन्न हो जाते है

-विरुद्ध भोजन न करें जैसे-मछली संग दूध.

-मूली संग दूध.

-नमकीन संग दूध न ले


अधिक जानकारी के लिये -

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"सदा स्वस्थ कैसे रहें ?”

उम्मीद करता हूँ कि आपको लेख अच्छा लगा होगा।

#डा०वीरेंद्र मढान.