Health and fitness यह ब्लॉग आयुर्वेदिक ज्ञान , औषधियों और जडी-बूटी की पूरी जानकारी के बारे में है ।
Guru Ayurveda
शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022
#खांसी क्यों होती है |खांसी कैसे होगी ठीक?In hindi.
गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022
#सिर दर्द Headache क्या है और क्या है उपाय?In hindi.
#सिर दर्द Headache क्या है और क्या है उपाय?In hindi.
सिर दर्द क्या है?
By:-
#Dr_Virender_Madhan.
* सिर दर्द सिर के किसी भी हिस्से में होने वाला दर्द है। सिरदर्द, सिर के एक या दोनों तरफ हो सकते हैं। यह सिर में एक बिंदु से शुरू होकर पूरे सिर में फैल जाता है या फिर किसी एक निश्चित स्थान पर होने लगता है।
सिर मे शूल की तरह दर्द होना।यह शिरोरोग मे आता है।आमभाषा मे इसे सिर दर्द कहते है।यह कोई रोग नही होता है केवल किसी रोग का लक्षण मात्र होता है।सिरदर्द क्यों होता यह जानना जरुरी होता है।
सिर दर्द का सबसे आम प्रकार तनाव (टेंशन) के कारण होने वाला सिरदर्द है। तनाव सम्बन्धित सिरदर्द आपके कंधों, गर्दन, खोपड़ी और जबड़े की मांसपेशियों के कसने (तंग होने) के कारण होते हैं। ये सिरदर्द अक्सर तनाव, अवसाद या चिंता से सम्बन्धित होते हैं। बहुत ज्यादा काम करने, पर्याप्त नींद न लेने, भोजन में अनियमितता बरतने या शराब का सेवन करने पर आपको तनाव सम्बन्धित सिरदर्द होने की अधिक संभावना है।
11प्रकार के सिरदर्द [आयूर्वेद के अनुसार]
१-वातज २- पित्तज
३-कफज ४-सन्निपातज
५-रक्तज ६ -क्षयज
७-कृमिज ८-सुर्यावर्त
९-अनन्तवात १०-शंखक
११-अर्ध्दावभेदक
लक्षण :-
वातज सिरदर्द :-
अगर बिना कारण यकायक तेज सिरदर्द हो जाये और रात्रि मे और भी तेज हो तथा बांधने से , तैल लगाने से आराम मिल जाये तो.इसे वातज सिरशूल समझना चाहिए।
पित्तज सिरशूल:-
अगर सिरदर्द के साथ मस्तक आग की तरह गर्म हो, नेत्र ,नाक से गर्म सांस निकले तो पित्तज सिरदर्द समझे।
कफज सिरदर्द:-
यदि रोगी को सिर कफ भर अनुभव हो ,सिर जकड़ा हुआ लगे,सिर ठंडा भी लगे,आंखों के कोर सुजे लगे तो यह कफज सिर दर्द के लक्षण होते है।इसमें रोगी उदास दिखता है।
त्रिदोषज सिरशूल:-
वात, पित्त, कफ,तीनो दोषो के लक्षण मिले तो त्रिदोषज सिर शूल होता है।
आधुनिक विज्ञान के अनुसार:-
सिरदर्द के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं –
1. तनाव आधारित सिरदर्द – इसके लक्षणों में सिर के दोनों हिस्सों में दबाव और हल्के से मध्यम सिरदर्द शामिल हैं। दर्द आमतौर पर गर्दन और सिर के पिछले हिस्से से चारों ओर फैलता है।
2. माइग्रेन सिरदर्द का प्रकार – यह सिर के एक तरफ अक्सर मध्यम से तीव्र दर्द पैदा करता है। सिरदर्द के साथ मतली, उल्टी, और प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता हो सकती है।
3. क्लस्टर (cluster) सिरदर्द – क्लस्टर सिरदर्द बहुत तीव्र होता है, जो आमतौर पर सिर के एक तरफ स्थित आँख या कान के आसपास होता है। चेहरे के एक तरफ स्थित आँख का लाल होना और पानी निकलना, नाक का बहना और पलक का सूख जाना या सूजन भी हो सकते हैं।
4. रिबाउंड (rebound) सिरदर्द – इससे गर्दन में दर्द, बेचैनी, नाक का बंद होना और नींद में कमी आ सकती है। रीबाउंड सिरदर्द अनेक लक्षणों का कारण हो सकता है और इसका दर्द हर दिन अलग हो सकता है।
5. थंडरक्लैप (thunderclap) सिरदर्द – जो लोग इस अचानक होने वाले गंभीर सिरदर्द का अनुभव करते हैं, उन्हें तुरंत चिकित्सकीय जाँच करवानी चाहिए। इस दर्द को अक्सर "मेरे जीवन का सबसे खराब सिरदर्द" कहा जाता है।
सिरदर्द के कारण - Headache Causes
सिरदर्द क्यों होता है?
सिर में उपस्थित दर्द-संवेदी ढाँचों (pain-sensing structures) में जलन या चोट लगने के कारण सिरदर्द होता है। जो संरचनाएँ दर्द को महसूस कर सकती हैं, उनमें खोपड़ी, माथा, सिर का ऊपरी भाग, गर्दन और सिर की मांसपेशियों, सिर की प्रमुख धमनियों और नसों, साइनस और मस्तिष्क के चारों ओर मौजूद ऊतकों को शामिल किया जा सकता है।
सिरदर्द तब हो सकता है, जब इन संरचनाओं में दबाव, ऐंठन, तनाव, सूजन या जलन होती है। हल्के सिरदर्द को शुरू करने वाली घटनायें उन लोगों के बीच व्यापक रूप से होती हैं, जिन्हे सिरदर्द की बीमारी होती है।
#शास्त्रोंक्त आयुर्वेदिक ओषधियाँ:-
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*षड्बिन्दु तैल -नस्य के लिए
*महादशमूल तैल - शिरोरोग मे मालिस के लिए.
*शिरशूलव्रजरस -सभी शिरोरोग के लिए.
*महालक्ष्मीविलास रस
*चन्द्रकान्त रस
अन्य:-
*महावातविध्वंन रस
*स्वर्णभूपति रस
*पंचामृत रस
*नवजीवन रस
*वेदांन्तक रस
*जयावटी
*स्वर्णसुतशेखर रस
*पथ्यादि क्वाथ
*च्यवनप्राश
*ब्रह्मरसायन
#घरेलू अनुभूत प्रयोग:-
*100 बार धोया हुआ धी सिर पर लगाने से पित्तज सिरशूल ठीक हो जाता है।
*सौंठ और केशर अथवा दालचीनी को पीसकर लेप बनाकर लगाते है।
*पुराना गुड और सौंठ इक्कठा पीस कर नस्य लेने से लाभदायक रहता है।
*मिश्री, दाख,और मुलहठी पीसकर नस्य लेने से पित्तज सिरशूल मे लाभ मिलता है।
*गाय के घी और दूध को मिलाकर नस्य लेने से पित्तज सिरशूल मे आराम मिलता है।
*कायफल के चूर्ण का नस्य से कफज सिरशूल नष्ट होता है।
*दशमूल को दूध मे औटा कर नस्य लेने से त्रिदोषज सिरशूल ठीक हो जाता है।
*करंज, सहजने के बीज, त्रिकूटा सबको बकरी के दूध में मिलाकर नस्य लेने से सब प्रकार के सिरशूल ठीक होते है।
*तिल को दूध मे पीसकर नस्य लेने से सूर्यावर्त्त रोग मेआराम मिलता है।
*गाय के घी मे सैधवनमक मिलाकर नाक मे डालने से आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है।
#सिरदर्द मे क्या करें और क्यानकरें?
*कफ से उत्पन्न सिर मे बासी व मीठा भोजन, कफबर्ध्दक पदार्थों का सेवन न करें।
*दिन में न सोयें।
*अधारणीय वेगों -छींक, जंभाई, मूत्र, आंसू, नींद, अधोवायु न रोकें।
*पसीना देना,नस्य देना, जुलाब देना,लंघन करना, रक्तमोक्षण, करना पथ्य है।
*पुराना धी, पुराना चावल, युष,दूध, संहजना, दाब , बरूआ ,करेला ,आंवला ,अनार ,आम , खस, नारियल, सुगंधित पदार्थ, ग्वारपाठा, भांगरा, कूठ, हरड आदि सब सिरदर्द मे पथ्य है अर्थात लेने चाहिए।
#Dr_Virender_Madhan.
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मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022
#जुकामRhinitis/प्रतिश्याय क्या है?In hindi.
#जुकामRhinitis/प्रतिश्याय क्या है?In hindi.
#Dr_Virender_Madhan.
परिचय:-
>> हवा मे व्यापत्
परागकण ,वायरस,धुल के कण,किसी रोगी के छींक के कण सांस के द्वारा श्वास नली के अन्दर संक्रमित करके जुकाम छींक रोग उत्पन्न कर देता है।
यह उन व्यक्तियों मे अधिक होता है जिनकी रोग प्रतिरोधकशक्ति कम होती है।
* आयुर्वेद के अनुसार छींक आना कई बीमारियों के लक्षण भी हो सकते हैं. छींक (Sneezing) द्वारा नाक व गले के अन्दर से दूषित पदार्थ बाहर निकलता है. यह शरीर को एलर्जी से बचाने की स्वभाविक प्रक्रिया है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति को बहुत जल्दी-जल्दी छींक आती है तो यह व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी को दर्शाता है.
#प्रतिश्याय निदान के 2भेद ?
1- सद्योजनक(तुरन्त उत्पन्न होने वाले)
2-चयादि जन्य कर्म से
-कफादि दोषों संचय,कोप आदि से उत्पन्न होने वाले।
अन्य कारण:-
मल-मूत्र आदि रोकने से
अजीर्ण होने से,
नाक मे धूल जाने से,
अधिक बोलने से,
क्रोध करने से,
ऋतु विपरीत कार्य करने से,
रात्रि जागरण से जुकाम हो जाता है।
अधिक सोना, अधिक जल पीना, तुषार-ओस में रहना ठंड लग जाना, अधिक रोना, शोक करना।
उपरोक्त कारणों से कफ कुपित हो कर जुकाम हो जाता है।।।जमी हुई कफ को बढी हुई वात प्रतिश्याय व छींक उत्पन्न कर देता ।
संचय क्रम मे पहले कारण बनता है दोषों का संचय होता है फिर दोष कुपित होकर प्रसार कर दोष स्थान भेद से रोग उत्पन्न करते है।
#जुकाम के लक्षण क्या है ?
* छींके बहुत आती है।
*सिर में बोझ महसुस होता है
*शरीर के अंग टूटने लगते है।
*शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते है।
*नाक मे धुआं सा प्रतीत होता है
** दोषों के अनुसार भी जुकाम के अनेक लक्षण होते है।
** जुकाम के जीर्ण होने पर:-
- सुंघाने की शक्ति नष्ट हो जाती है।
- शोष हो जाता है।
- नेत्रों के रोग हो जाते है।
- खांसी होने का रोग हो जाता है।
- अग्नि मंद हो जाती है।
#बार-बार सर्दी-जुकाम के 4 कारण (आधुनिक मतानुसार)
*लो इम्यूनिटी
अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करने की कोशिश करने की जरूरत है। अपनी *डाइट में इम्यूनिटी बूस्टर शामिल करें,
*अदरक और शहद का उपयोग करें और कोशिश करें कि जब भी मौसम में बदलाव हो तो ठंडे फूड्स से दूर रहें।
*एलर्जी
नाक बहना, आंखों से पानी आना और नाक बंद होना एलर्जिक राइनाइटिस के मुख्य लक्षणों में से एक है। इसलिए अगर आप किसी विशेष स्थान पर जाकर बीमार पड़ते हैं या किसी विशेष समय पर बीमार होते हैं तो आपको एलर्जी हो सकती है। ये बहुत ज्यादा या फिर क्रॉनिक भी हो सकती है।
#जुकाम की आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधियों.
*दाडिमादि चूर्ण
*हिंग्वाष्टक चूर्ण
*कल्पतरु रस
*चन्द्रामृत रस
*लक्ष्मीविलास रस नारदीय
*व्यौषादि वटी
#घरेलू अनुभुत योग (उपाय).
*गर्म दूध में 10-12 नग काली मिर्च और मिश्री मिलाकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
*वायविंडग, हिंग, सैधवनमक, गुग्गुल, मैनसिल, और वच, इन सब को समभाग मे लेकर पीसकर रखले इस सुंघाने से जुकाम मे लाभ मिलता है।
*अदरक का रस और शहद 6-6 ग्राम मिलाकर चाटने से जुकाम ठीक हो जाता है।
*बडी हरड का छिलका पीसकर 6ग्राम लेकर शहद मे मिलाकर चाटें।
*शरबत बनफशा से अच्छा लाभ होता है।
*कालाजीरा सुंघाने से भी जुकाम मे लाभ मिलता है।
*सतू मे धी और तैल मिला कर आग मे डालने जो धुआं बनता है उसे सूंघने से जुकाम ,खांसी, हिचकी बन्द होती है।
*दशमुल का काढा गर्म गर्म पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
*पुराना गुड और अदरक मिलाकर खाने से भी जुकाम ठीक रहता है।
*दालचीनी, तेजपत्ता, इलायची, और नागकेशर का सममात्रा मे बना चूर्ण सुंघाने व खाने से जुकाम मे आराम मिलता है।
*काली मिर्च, हल्दी, काला नमक,
*भुने हुए चने सुंघाने से जुकाम, सर्दी, कफ के क्लेद मे आराम मिलता है तथा गर्म भुने चनो की पोटली से छाती सेकने से छाती मे जमा कफ साफ हो जाता है।
*त्रिफला, त्रिकटु समान मात्रा मे मिलाकर 1-2ग्राम मात्रा मे शहद मिलाकर चाटने से कफ ठीक होता है।
#जुकाम मे सावधानी क्या करें?
*मास्क लगाकर रखे।
* बदलते मौसम में ठंडी चीजों से परहेज करें।
* आइसक्रीम कतई न खाएं। * ठंडा पानी और दही खाने से भी परहेज करें। एकदम से ठंडा पानी पीने से गला खराब हो सकता है और छाती की जकड़न बढ़ सकती है।
* ठंडी चीजों के साथ ही खट्टी चीजें भी न खाएं।
*सर्दी-जुकाम के लक्षण दिख रहे हैं तो खिचड़ी ही खाएं।
* बदलते मौसम में गुनगुना पानी ही पिएं। पानी की मात्रा बढ़ा दें और खूब पानी पिएं ताकि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो
* बाहर का खाना खाने से बचें। बाहर के खाने से आपको पेट खराब हो सकता है और सर्दी-जुकाम का संक्रमण बढ़ सकता है।
* कोई भी दवा लेने से पहले अपने किसी आयुर्वेदिक [चिकित्सक से सलाह जरूर लें।]
*Dr_Virender_Madhan.
सोमवार, 7 फ़रवरी 2022
#सांवला चेहरा कैसे निखारें?In hindi
#सांवला चेहरा कैसे निखारें?In hindi
#Dr_Virender_Madhan.
#रंग साफ करने के 10 घरेलू उपाय।
* चेहरा काला क्यों पड़ जाता है?
कारण:-
कुछ लोगों के चेहरे का रंग सांवला या काला होता है. ऐसा भी देखा जाता है कि
* गर्मियों के मौसम में धूप के कारण कई लोगों की त्वचा काली हो जाती है. इसके अलावा
* प्रदूषण युक्त वातावरण एवं धूल- के कारण भी चेहरे की चमक खो जाती है, एवं चेहरा काला पड़ जाता है.
आपके चेहरे की रंगत को बहुत से कारक प्रभावित करते हैं.
** सूरज की रौशनी ,
**धुंआ हो,
**तनाव
**खान-पान.
**कुछ बीमारी कारण हो सकते है।
#क्या करें घरेलू उपाय?
उपाय:-
1- सेव और गुलाब जलः-
आधा कप सेब का रस और एक चम्मच गुलाबजल- दोनों को मिलाकर त्वचा पर लगाएं।
2.बेसन का फेसपैक :-
चार चम्मच बेसन, आधा चम्मच चंदन पाउडर, एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच खीरे का रस और एक चम्मच कच्चा दूध- इन सबको ठीक से मिलाकर सारे शरीर पर उबटन की तरह लगाएं।
3- शहद का उपयोग
-शहद के लगाने से त्वचा को निखारता है।
4:- दही से मसाज करें चेहरे को गोरा बनाने के लिए दही काम की चीज है. ...
5-पपीते का ऐसे करें उपयोग पपीता एक ऐसा फल है, जो सेहत के साथ त्वचा के लिए बेहद लाभकारी है पपीते का पेस्ट लगाने से लाभ मिलता है।
6:-कच्चे केले का पेस्ट लगाएं केले से भी चेहरे की निखार वापस लाया जा सकता है और
सांवलापन दूर कर सकते है ।
7:-हल्दी और दूध को मिक्स करें और उस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं बाद मे अच्छे से धो दें।
8:-आलू को काट कर रगडने से रंग निखार होता है।
9:- मसूर की दाल का पाउडर का पेस्ट भी गोरी रंगत पाने के लिए बड़ा ही कारगर उपाय है। ...
10:-नींबू और टमाटर का लेप फेयर स्किन पाने के लिए रामबाण हैं। ...
चेहरे का रंग निखारने का सबसे आसान तरीका है भाप लेना।
>> सावधानी:-
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सौन्दर्य बढाना है तो कुछ सावधानी बरतनी होगी।
* धूप में न घूमे।
*रात्रि जागरण न करे।
*तला भुना जला भोजन न करें
*संतुलित पौष्टिक आहार करें।
*शरीर पर तैल मालिस जरूर करें।
#डा_वीरेन्द्र_मढान.
#Guru_Ayurveda_in_faridabad.
शनिवार, 5 फ़रवरी 2022
#स्वर्ण(Gold)भस्म को खाने से पहले जाने क्या है कैसे करता है काम ?In.hindi.
#स्वर्ण(Gold)भस्म को खाने से पहले जाने क्या है कैसे करता है काम ?In.hindi.
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डा०वीरेंद्र मढान.
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स्वर्ण : Dhatu Vargha मे आता है।
स्वर्ण के नाम:-
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संस्कृत- सुवर्णम्
हिंदी- सोना
English -Gold
symbol- Au
#स्वर्ण के प्रमुख नाम :-
स्वर्ण, हिरण्य, कल्याण, अग्निवर्ण, हेम, कनक , कौन्त, हाटक, चामीकर, चाम्पेय।
#स्वर्ण प्राप्ति स्थान:-
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विशेष रूप से यह मैसूर के कोलार गोल्ड-फील्ड से प्राप्त होता है।
मद्रास के अनन्तपुर की खान,उत्तर प्रदेश एवं बिहार की नदियों की रेत से इसके कण अल्प प्राप्त किये जाते है।
भारत के अलावा यह दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, वर्मा अमेरिका, मैक्सिको, चीन तथा रूस आदि देशों में पाया जाता है।
#अग्राह्य स्वर्ण के लक्षण –
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श्वेताभ, रूक्ष, कठिन, विवर्ण, मलयुक्त,गर्म करने पर श्वेत एवं कृष्णवर्ण का होने वाला,कसौटी पर घिसने पर श्वेत रेखा खींचने वाला और
हल्के सोने को रस रसायन कर्म में त्याज्य माना गया है।
अशुद्ध सोना खाने से वीर्य, बल ,सौख्य इन सबका हनन होता है तथा अनेक प्रकार के प्रकार के रोगों को उत्पन्न करता है खाने वाले व्यक्ति को अधमरा कर देता है।अतः स्वर्ण को शोधित कर मारण करे फिर उस अमृततुल्य भस्म का सेवन करना चाहिए।
#ग्राह्य स्वर्ण के लक्षण :-
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आग पर तपाने पर रक्तवर्ण होने वाला,
काटने पर चमकने वाला,
कसौटी पर घिसने पर केशर के सदृश वर्ण वाला,
गुरु, स्निग्ध, मृद एवं स्वच्छ, पत्ररहित, पीतवर्ण की आभावाला तथा
षोडश वर्ण वाला स्वर्ण देहसिद्धि एवं लौह सिद्धि में प्रशस्त होता है।
#स्वर्ण का विशेष शोधन:-
पंच मृत्तिका:-
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1- वल्मीकमिट्टी, गृहधूम, स्वर्णगैरिक, ईंट का कर्ण और सैंधवलवण को मृत्तिका पंचक नाम से शास्त्रों से लिखा है।
इन्हें बारीक पीसकर जंबीरी का रस या कांजी मिलाकर सुवर्ण के पत्रो पर लेप कर लधु पुट मे फुंकते है इस प्रकार तीन बार पुटो के देने से स्वर्ण शुद्ध हो जाता है।
2- पंचमृतिका को बिरौज नीबू का रस डालकर उसमे स्वर्ण पत्रो को 5 दिनों तक रखे फिर निकाल कर पीली मिट्टी या गेरू और सैंधानमक तथा उपलो की भस्म लेप कर इन पत्रो को जंगली उपलो की अग्नि मे पुट देने से स्वर्ण शुद्ध हो जाता है।
#स्वर्ण की भस्म कैसे बनाते है?
मारण विधि :-
1- शुद्ध स्वर्ण के पत्रों पर सोनामक्खी (स्वर्णमाक्षिक)और शीशे (सिक्के-वंग) को आक के दुध मे रगड कर लेप कर दे फिर इनको अन्धमूषा मे रख कर पुट मे फूंक दे तो सोने की भस्म बन जाती है।
2- शुद्ध स्वर्ण के कण्टकवेधी पत्रों पर नींबू स्वरस से मर्दित भस्म (रससिन्दूर) का लेप कर सुखाएं।
इसके पश्चात् शराव सम्पुट में रखकर कुक्कुट पुट की अग्नि में पाक करें।
इस प्रकार दस पुट देने पर स्वर्ण की भस्म बन जाती है।
#स्वर्ण भस्म गुण:-
रस कषाय, तिक्त, मधुर,भारी, लेखन, हृद्य, रसायन, बलकारक, नेत्रो को हितकारी, कांतिदायक ,पवित्र, आयुबर्द्धक, मेघोजनक, वयस्थापक , वाणी को शुद्ध करनेवाला स्मृतिदायक, तथा क्षय उन्माद और कुष्ठरोग को नष्ट करने वाला होता है।
#स्वर्ण भस्म मात्रा-
रसरत्नसमुच्चयकार ने एक गुञ्जा की मात्रा में लेने का निर्देश किया है।
रसतरंगिणीकार ने 1/8से 1/4 रत्ती तक रोग एवं रोगी के बल एवं काल का विचार करके लेने का निर्देश किया है।
#स्वर्ण भस्म अनुपान:-
त्रिकटु चूर्ण + घृत से, शहद,
#स्वर्ण भस्म का आमयिक प्रयोग:-
* स्वर्ण भस्म मत्स्यपित के साथ दाह नाशक है।
*भृंगराज स्वरस के साथ वृहंण,आयुष्य है
* दुग्ध के साथ बल्य,
* पुनर्नवा के साथ नेत्र्य,
* घृत के साथ रसायन,
* वचा से स्मृतिवर्द्धक,
* कुंकुम के साथ कान्ति बर्द्धक,
* दूध के साथ राजयक्ष्मा व विषनाशक और
* शुण्ठी, लवङ्ग एवं मरिच के अनुपात से सेवन करने पर त्रिदोषज उन्माद को नष्ट करती है।
**~सेवन काल में अपथ्य:-
बिल्व फल का सेवन हानिकर होता है।
#स्वर्ण के प्रमुख योग:-
योगेन्द्र रस
रसराज रस
वृहतवातचिन्तामणी रस
कुमारकल्याण रस
बसन्तकुसुमाकर रस
वृहतश्वासकासचिन्तामणी रस
मकरध्वज रस
सिध्दमकरध्वज
जयमंगल रस
योगेन्द्र रस
बसन्तमालती रस
अन्य बहुत से शास्त्रीय योग स्वर्ण युक्त होते है।
#Dr_Virender_Madhan
#Guru_Ayurveda_in_Faridabad.
गुरुवार, 27 जनवरी 2022
#Viral Fiver #वायरल बुखार का आयुर्वेदिक इलाज।in.hindi.
#Viral Fiver #वायरल ज्वर क्या है?
#Dr_Virender_Madhan.
> वायरल Fiver आमभाषा मे इसे मौसमी बुखार कहते है।
वायरल बुखार का मतलब है वायरस से होनेवाला बुखार या वायरल संक्रमण,
* इसमें वायरस रोगी के ऊपर श्वसनतंत्र को प्रभावित करता है।जब रोगी खांसता है या छिंकता है तो वायरस वायु के द्वारा समीप दुसरे व्यक्ति को प्रभावित कर देता है।यह श्वसनतंत्र की कोशिकाओं मे पहुंच कर ज्वर ,कास,जुकाम उत्पन्न कर देता है।
*उसके शुरुआती दौर में शरीर के बहुत ज्यादा थक जाने का अहसास होता है
*मसल या शरीर में तेज दर्द का एहसास हो सकता है.
* वायरल बुखार वायु जनित बीमारी है.
- ये बाहरी वायरस किसी भी स्वस्थ इंसान के अंदर तेजी से फैल सकता है. वायरल बुखार को रोकने के लिए आप इस तरह देखभाल कर सकते हैं. शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करना, उसके अलावा, अपनी रोजाना की डाइट में पौष्टिक पोषक तत्वों को शामिल कर सकते है।
*मौसम में बदलाव, खान-पान में गड़बड़ी या फिर शारीरिक कमजोरी की वजह से भी वायरल बुखार होता है। वायरल बुखार हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र को कमजोर कर देता है, जिसकी वजह से वायरल के संक्रमण बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंच जाते हैं। आमतौर पर वायरल बुखार के लक्षण आम बुखार जैसे ही होते हैं लेकिन इसको उपेक्षा करने पर व्यक्ति की हालत काफी गंभीर हो सकती है।
*आयुर्वेद के अनुसार वायरल फीवर होने पर शरीर के तीनों दोष प्रकूपित होकर विभिन्न लक्षण दिखाते है। विशेषकर इसमें कफ दोष कूपित होकर जठराग्नि को मंद या भूख मर जाती है।
#वायरल फीवर के लक्षण :-
(Symptoms of Viral Fever)
-थकान।
-पूरे शरीर में दर्द होना ।
-शरीर का तापमान बढ़ना ।
- खाँसी ।
- जोड़ो में दर्द ।
- दस्तहोना।
- त्वचा के ऊपर रैशेज होना।
- सर्दी लगना।
- गले में दर्द व खराश होना।
- सिर दर्द
- आँखों में लाली तथा जलन रहना।
- उल्टी और दस्त का होना।
- वायरल बुखार ठीक होने में 5-6 दिन भी लग जाते है। शुरूआती दिनों में गले में दर्द, थकान, खाँसी जैसी समस्या होती है।
#वायरल बुखार मे घरेलू उपाय क्या करें?
1-हल्दी और सौंठ का पाउडर -
सौंठ यानी कि अदरक का पाउडर और अदरक ज्वरध्न होते है।
* इसलिए एक चम्मच काली मिर्च के चूर्ण में एक छोटी चम्मच हल्दी, एक चम्मच सौंठ का चूर्ण और थोड़ी सी चीनी मिलाएं। अब इसे एक कप पानी में डालकर गर्म करें, फिर ठंडा करके पिएं। इससे वायरल फीवर खत्म होने में मदद मिलेगी।
2 तुलसी क्वाथ इस्तेमाल करें - तुलसी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जिससे शरीर के अंदर के वायरस खत्म होते हैं। इसके लिए एक चम्मच लौंग के चूर्ण में 10-15 तुलसी के ताजे पत्तों को मिलाएं। अब इसे 1 लीटर पानी में डालकर इतना उबालें जब तक यह सूखकर आधा न हो जाए। अब इसे छानें और ठंडा करके दिन में 2-3 बार पिएं। ऐसा करने से वायरल से जल्द ही आराम मिलेगा।
3 धनिये की चाय(क्वाथ)पीऐ -
- धनिये में कई औषधीय गुण होते हैं। इसको चाय तरह बनाकर पीने से भी वायरल में जल्द आराम मिलता है।
4 मेथी का(कषाय)पानी पिएं -
एक कप मेथी के दानों को रातभर भिगों लें और सुबह इसे छानकर हर एक घंटे में पिएं।
5 नींबू और शहद मिश्रण:-
नींबू का रस और शहद भी वायरल फीवर के असर को कम करते हैं। आप शहद और नींबू का रस का सेवन भी कर सकते हैं।
#बुखार मे उपयोगी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी -
** गुडूची
गुडूची प्रमुख तौर पर परिसंचरण और पाचन तंत्र से संबंधित रोगों का इलाज और उन्हें रोकने का काम करती है।
ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और तीनों दोषों को शांत करती है।
गुडूची पित्त रोगों, बुखार, कफ के कारण हुए पीलिया और जीर्ण मलेरिया के बुखार में उपयोगी है।
** पिप्पली
ये पाचन, श्वसन और प्रजनन प्रणाली पर कार्य करती है। पिप्पली बुखार के सामान्य लक्षणों जैसे कि दर्द, जुकाम और खांसी से राहत दिलाती है। इसमें वायुनाशी और ये बुखार के सामान्य लक्षणों जैसे कि दर्द, जुकाम और खांसी से राहत दिलाती है।
** वासा;-
ये श्वसन, परिसंचरण, तंत्रिका और पाचन प्रणाली पर कार्य करती है। ये मूत्रवर्द्धक, मांसपेशियों में ऐंठन दूर करने और कफ निस्सारक (बलगम खत्म करने वाले) कार्य करती है।
खांसी, ब्रोंकाइल अस्थमा, कफ विकारों, डायबिटीज और मसूड़ों से खून आने की समस्या में भी वासा उपयोगी है।
** आमलकी:-
आमलकी परिसंचरण, पाचन और उत्सर्जन प्रणाली पर कार्य करता है। इसमें पोषण देने वाले शक्तिवर्द्धक, ऊर्जादायक और भूख बढ़ाने वाले गुण होते हैं जो कि त्रिदोष को शांत करने में सक्षम है।
ये सभी प्रकार के पित्त रोगों, बुखार, गठिया, कमजोरी, आंखों या फेफड़ों में सूजन, लिवर और पाचन मार्ग से संबंधित विकारों को नियंत्रित करने में उपयोगी है।
** अदरक:-
अदरक शरीर के पाचन और श्वसन तंत्र पर कार्य करती है। ये दर्द से राहत दिलाती है और वायुनाशक,पाचक और कफ निस्सारक कार्य करती है। इस प्रकार अदरक बुखार से संबंधित लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती है।
वात, पित्त और कफ के असंतुलन के कारण हुए रोगों को नियंत्रित करने के लिए अदरक का इस्तेमाल किया जाता है। शुंठी (सूखी अदरक) अग्नि को बढ़ाती है और कफ को कम करती है।
** मुस्ता:-
मुस्ता पाचन और परिसंचरण प्रणाली पर कार्य करती है। ये वायुनाशी, उत्तेजक, मूत्रवर्द्धक, भूख बढ़ाने, फंगसरोधी और कृमिनाशक कार्य करती है।
मुस्ता के मूत्रवर्द्धक गुण खासतौर पर बुखार को नियंत्रित करने में मदद करते हैं क्योंकि इससे बार-बार पेशाब आता है जिससे शरीर से अमा निकल जाता है।
** भूमि आमलकी:-
पाचन, प्रजनन और मूत्र प्रणाली से संबंधित विकारों को नियंत्रित करने में भूमि आमलकी उपयोगी है।
भूमि आमलकी से पीलिया, बाहरी सूजन और मसूड़ों से खून आने का इलाज किया जा सकता है।
#बुखार के लिए आयुर्वेदिक औषधियां
~ मृत्युंजय रस
ये बुखार पैदा करने वाले कई बैक्टीरियल संक्रमण में उपयोगी है।
~संजीवनी वटी
ये टाइफाइड बुखार, सिरदर्द और पेट की गड़बड़ी को भी ठीक करने में उपयोगी है।
~त्रिभुवनकीर्ति रस
ये शरीर पर पसीना लाकर और दर्द से राहत दिलाकर बुखार का इलाज करती है। इसके अलावा त्रिभुवनकीर्ति रस से माइग्रेन, इंफ्लुएंजा, लेरिन्जाइटिस (स्वर तंत्र में सूजन), फेरिंजाइटिस (गले में सूजन), निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, खसरा और टॉन्सिलाइटिस को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
~सितोपलादि चूर्ण
सितोपलादि चूर्ण बुखार, फ्लू, माइग्रेन और श्वसन विकारों के इलाज में असरकारी है। औषधि से फ्लू के लक्षणों से शुरुआती तीन से चार दिनों में ही राहत मिल जाती है जबकि फ्लू को पूरी तरह से ठीक होने में आठ सप्ताह का समय लगता है।
> व्यक्ति की प्रकृति और कई कारणों के आधार पर चिकित्सा पद्धति निर्धारित की जाती है इसलिए उचित औषधि और रोग के निदान हेतु आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें।
#क्याकरे क्या न करें?
अगर आपको बुखार हो गया है तो
*पूरी तरह आराम करें। जब तक ठीक नहीं हो जाते तो भी
*गर्म और तरल भोजन, जैसे सूप और खिचड़ी खाएं।
* अगर आपको तेज बुखार और शरीर में दर्द हो रहा हो, तो अपने डॉक्टर को फौरन दिखाएं।
*बीमार होने पर खुद बुखार दूर करनेवाली दवा, एंटीबायोटिक दवा और दर्द दूर करनेवाली दवाएं ना लें।
*शाली चावल, जौ और दलिया खाएं।
*फल और सब्जियां जैसे कि परवल, करेला, शिग्रु (सहजन), गुडुची, जीवंती, अंगूर, कपित्थ (बेल) और अनार को अपने आहार में शामिल करें।
*हल्का भोजन करें।
*मालिश और आराम से व्यक्ति की हालत में सुधार लाया जा सकता है।
*छोले, तिल और जंक फूड न खाएं।
*दूषित पानी न पीएं।
*भारी भोजन न करें या पेट में *एसिडिटी और जलन पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ खाने से बचें।
*प्राकृतिक इच्छाओं जैसे कि मल निष्कासन और पेशाब आदि न रोकें।
*दिन सोने से बचें। *खाने के बीच में उचित अंतराल रखें और ओवरईटिंग न करें।
#Dr_Virender_Madhan.
मंगलवार, 25 जनवरी 2022
#Epilepsy अपस्मार[ मिर्गी ]का आयुर्वेद मेही ईलाज.in hindi.
#Epilepsy, #अपस्मार, #मिर्गी, #मिरगी
#Treatment of epilepsy in ayurveda.
#अपस्मार (मिर्गी)क्या है?
#Dr_Virender_Madhan.
#अपस्मार के क्या क्या नाम है?
- अपस्मार या मिर्गी (वैकल्पिक वर्तनी, मिरगी, अंग्रेजी मे (Epilepsy)कहते है।
अपस्मार का अर्थ है-
अप+स्मार।
अप = नष्ट, स्मार=स्मृति, यानि स्मृति का नष्ट होना।
मृगी ऐसा रोग है जिसमे स्मृति का ह्रास होता है और रोगी ज्ञान हीन हो जाता है।
- यह एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है।
सुश्रुत के अनुसार:-
चिंता, शोक, क्रोध, मोह , लोभ आदि से वात, पित्त और कफ कुपित हो जाता है फिर हृदय और मनोवह संस्थान मे जाकर स्मृति का नाश करके अपस्मार (मिर्गी ) रोग उत्पन्न कर देते हैं।
चरकानुसार:-
जिसका चित रजोगुण और तमोगुण से घिरा रहता है।जिसके दोष(वात,पित्त, कफ) विकृत होते है।
जो भोजन के नियमों और शास्त्रो के नियम विरुद्ध कार्य करता है।जिसका शरीर कमजोर हो जाता है उसके कुपित दोष और रजोगुण-तमोगुण के अत्यधिक वशीभूत होकर अन्तरात्मा व हृदय मे डेरा डाल लेते है। काम,क्रोध आदि के वशीभूत होकर वही दोष उत्तेजित होकर स्मृति को नष्ट कर देता है इस अवस्था को मृगी कह देते है।यह चार प्रकार के होते हैं।
वातज, पित्तज, कफज, त्रिदोषज,
#अपस्मार उत्पन्न के क्या कारण हो सकते है?
अधिकांश अपस्मार के कारण अज्ञात है।परंतु कुछ कारण इस प्रकार होता है।
- स्त्रियों में मासिकधर्म सम्बंधित विकार के कारण
-अधिक वीर्य नाश।
- बच्चों में दांतों का निकलना।
- आंत्र मे कृमि तथा पेट मे आंव होना।
- अचानक डर जाना।
- चोट लगना।
- अत्यधिक शारिरिक व मानसिक परिश्रम करना।
-अधिक शराब पीना।
- मानसिक सदमा लगना।
- चिंता करते रहना।
- विटामिन बी 6 की कमी।
- अत्यधिक टी.वी. देखना।
- मैनिनजाईटिस, क्षयरोग, तीव्र ज्वर होना
-मस्तिष्क मे संक्रमण के कारण से अपस्मार रोग हो जाते है।
#अपस्मार (मृगी )के लक्षण क्या क्या होते है?
-मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है।
- दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। रोगी प्राय:चीख मार कर जमीन पर गिर जाता है।
- इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि
- बेहोश होना
- झटके लगना
- बॉड़ी लड़खड़ाना
- मुंह से झाग आना और डेढा मेढा हो जाना।
- गिर पड़ना,
- हाथ-पांव में झटके आना
-मल मूत्र निकल जाना
- जीभ का कट जाना
- आंखों की पुतली का घुम जाना।
-हाथों की मुठ्ठी भिंच जाना
- मुंह से आओओओ गोगो जैसी आवाज निकलना आदि मृगी के लक्षण होते है।
#Epilepsy मृगी की चिकित्सा सूत्र व निर्देश:-
[क्या करें क्या न करें?]
*रोग के कारणों को दूर करें।
*रोगी को तनाव और मनोविकार से बचने की सलाह दें।
*यदि रोगी को आन्त्रकृमि हो तो उपचार करें।
*मिर्गी के मामूली दौरे आयु बढने के साथ साथ रोग ठीक हो जाता है।युवावस्था के बाद होनेवाला अपस्मार बिना चिकित्सा के ठीक नहीं होता है।
*रोगी की मस्तिष्क दुर्बलता दूर करने के लिए पौष्टिक आहार का प्रयोग करना लाभप्रद होता है।
*खाने के लिए लाल व सांठी चावल,गेहूं, बथुआ, मीठेअनार,आंवला ,पेठा ,फालसा , परवल, ,संहजन ,पुराना घी , दुध आदि का प्रयोग करें।
*रोगी को शराब ,मछली ,पत्तों वाला शाक,अरहर ,उडद ,गरिष्ठ भोजन नही करना चाहिए।तीखें , गरम ,और विरूद्ध आहार नही करना चाहिए।
*नारियल का पानी, ब्राह्मी का प्रयोग इस रोग में बहुत लाभकारी होता है।
* दौरे के समय मुख पर पानी के छिटे मारने चाहिए।रोगी के हाथ पैर पर हल्के गर्म सेक करने चाहिए।
#आयुर्वेदिक औषधियों।
*ब्रेनिका सीरप (गुरू फार्मास्युटिकल)
*पुष्टि कैपसूल (गुरु फार्मास्युटिकल)
शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियां:-
*शंख पुष्पादि घृत(ग०नि०)
*कुष्माण्डघृत व कुष्माण्ड योग(यो०र०)
*सारस्वत चूर्ण -1मासा दिन मे तीन चार बार लें।
*ब्राह्मी धृत १० ग्राम दिन में2 बार।
*वृहतवातचिन्ता मणी रस १-१ गोली दिन में २ बार ले।
अश्वगंधारिष्ट ३-३चम्मच बराबर पानी मिलाकर दिन में २बार भोजन के बाद लें।
अन्य उपयोगी शास्त्रीय औषधियों
वातकुलान्तक रस
सर्वांग सुंदर रस
अष्टमूर्ति रसायन
त्रिफला घृत
शतावरी चूर्ण
शंख पुष्पी चूर्ण
पंचगव्यघृत
महाचैतसघृत
बिल्वादि तैल(कान मे डालने के लिए)
#अनुभूत आयुर्वेदिक योग प्रयोग।
* हिंग 10ग्राम.
वच 20ग्राम.
सौठ 40 ग्राम.
सेन्धव नमक 80 ग्राम
वायविडंग100ग्राम.
इन सब का महीन चूर्ण कर के 3-5ग्राम सवेरे शाम प्रयोग करने से मिर्गी मे लाभ मिलता है।
*कूठ व बच का चूर्ण करके 1-3 ग्राम सेवन रोज करने से स्थाई लाभ मिलता है।
**लहसुन10ग्राम
काले तिल30ग्राम मिलाकर
सवेरे खाने से मिर्गी मे लाभ मिलता है।
*शुद्ध हिंग, सौंठ, काली मिर्च, इन्द्रायन , जो भी उपलब्ध हो पानी मे मिलाकर नाक मे1-2 बूंद डालने से मिर्गी के दौरे के समय दौरा आना बन्द हो जाता है।
*शुद्ध हिंग को गघी के दूध में घोलकर नाक मे2-3 बूंद रोज एक महीना डालने से मिर्गी के दौरे आने बन्द हा जाते है।
*हिंग 1-5 ग्राम लेकर मुध मे मिलाकर सवेरे शाम चाटने से मिर्गी मे आराम मिलता है।