#खांसी क्यों होती है |खांसी कैसे होगी ठीक?In hindi.
#Dr_Virender_Madhan.
#आयुर्वेद में खाँसी को क्या कहते है ?
* खांसी को संस्कृत मे कास बोलते है।
> कण्ठ मे होने वाली उदान वात विपरीत हो जाती है और कफ के साथ प्राणवायु मिल जाती है तब कांसे के बर्तन की तरह आवाज आती है छाती का जमा कफ कण्ठ मे आ जाता है इस रोग को कास कहते है।(हरित संहिता )
#Synonyms of cough / कास के पर्यायवाची :-
1. खाँसी
2. खांसी
3. खोंखी
4. कास रोग
5. काश रोग
6. कास
7. काश
8. धंगा
9कफ Cough
* खांसी होना एक बहुत ही आम समस्या है। यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी हो सकती है। मौसम में जरा से भी बदलाव के कारण खांसी की समस्या हो सकती है। इसमें व्यक्ति को गले में खराश होती है तथा खांसी के साथ गले में दर्द भी हो सकता है। यदि जल्दी खांसी का उपचार न किया जाए तो खाँसते-खाँसते सीने में दर्द होने लगता है।
* खाँसी होना हमारे शरीर की एक रक्षात्मक प्रणाली है जो वायु मार्ग से धूल, धुएँ या बलगम को साफ करने के लिए होती है। इन कारकों से गले में इरिटेशन होती है और खाँसी के प्रकार के रूप में शरीर इनको बाहर निकालता है।
* अनुचित भोजन एवं जीवनशैली के कारण वात एवं कफ विकार होकर खाँसी का कारण बनते हैं।
* कास मुख्यतः कफ दोष के कारण होता है।
#खांसी के प्रकार (Types of Cough)
खांसी मुख्यतः दो प्रकार की होती हैः-
• सूखी खाँसी (Dry cough)
• बलगम युक्त खाँस (Wet cough)
खांसी के अन्य प्रकार
-तेज खाँसी (Acute cough)
-पुरानी खाँसी (chronic cough)
#आयुर्वेद मे कास के भेद
*वातज, *पित्तज *कफज * त्रिदोषज *क्षयज
#क्यों होती है खांसी?
कफज कास के कारण व लक्षण:-
स्निग्ध , भारी , अभिष्यन्दी ,तले भोजन करने से , श्रम का अभाव होने से , दिन मे सोने से कफज कास उत्पन्न होता है।
अग्निमान्द हो जाती है।अरूचि होती है।साथ में जुकाम होता है और शरीर के रोंगटे खडे होते है।मुंह मे कफ लिहसा रहता है।
*पित्तज कास के कारण व लक्षण :-
*आग व घूप का अधिक सेवन करने से.
*कडवे, गरम ,दाहकारक , खट्टे, खारे पदार्थो का अधिक खाने से पित्तज कास उत्पन्न हो जाता है।
लक्षण:-
*खांसी में पीला कफ अर्थात पित्त युक्त कफ आता है।
*रोगी की आंखें , नाखुन , कफ, चेहरा, ये सब पीले हो जाते है।
*मुख का.स्वाद कडवा हो जाता है।
*ज्वर आ जायेगा ऐसा प्रतीत होता है।
* मुख सुखा हो जाता है प्यास लगती है।
*अधिक गर्मी अनुभव होती है।
*गले मे जलन होती है।
*मुर्छा हो सकती है।
*आवाज बिगड़ जाती है।
>> वातज कास के कारण व लक्षण:-
*चरकानुसार वातज कास
शीतल व कसैले पदार्थ खाने से ,
*लगातार एक रस के सेवन करने से.
*अधारणीय वेगो को धारण करने से .
*बल से अधिक कार्य करने से वातज कास उत्पन्न हो जाता है।
लक्षण:-
छाती, कनपटी, पसलियों मे, पेट, व सिर मे दर्द बन जाता है।
*शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते है।
*चेहरे की कांति नष्ट हो जाती है।
*गला बैठ जाता है
*खांसी हमेशा सूखी आती है।
>> अन्य खांसी के कारण (Causes of Cough acording to allopathy)
* खांसी की बीमारी होने के निम्न कारण हो सकते हैंः-
• वायरल संक्रमण के कारण
• सर्दी या फ्लू के कारण
• प्रदूषण और धूल-मिट्टी से युक्त वातावरण के कारण।
• अधिक धूम्रपान करने के कारण।
• टीबी (Tuberculosis) या दमा रोग होने के कारण।
#आयुर्वेदिक पेटंट औषधि
*बेनसीप सिरप (गुरु फार्मास्युटिकल) की 1-1 चम्मच दिन में 3-4 बार लें।
*बेनकफ सिरप (गुरु फार्मास्युटिकल) की 1-1 चम्मच दिन मे 3-4बार ले।
#शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियां:-
*सितोपलादि चूर्ण*कासन्तक लेह,*वासावलेह , *कण्टकारी घृत.*क्षहाकालेश्वर , *समशर्करा लौह, कफकर्तरी रस, *कफचिन्तामणी रस ,*कफकतु रस, *श्वास चिन्तामणी रस, *चन्द्रामृत रस, *एलादि वटी, *लवंगादि वटी, *तालिसादि चूर्ण, *अगस्त हरीतकी,
#घरेलू अनुभूत औषधियां :-
*काले धतुरे की जड का धुम्रपान करने से श्वास, कास मे लाभकारी है।
*कटहरी की जड व छोटी पिप्पली का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर शहद से चाटने से राहत मिलती है।
*ईमली के पत्तों का काढा बनाकर उसमें हिंग मिलाकर पीने से खांसी मे आराम मिलता है।
*3 रत्ती अपामार्ग का क्षार शहद मे मिलाकर चाटने से जमा हुआ कफ बाहर निकल जाता है।
*सौंठ, कालीमिर्च, पिपली, वायविंडग का सम चूर्ण बनाकर शहद से चाटने से खांसी मे आराम मिलता है।
*तुलसी के पत्ते, अदरक,1लौंग को साथ मे रखकर चबाने से खांसी ठीक हो जाती है।
*काकडासिंगी के बारीक चूर्ण बनाकर बराबर गुड मे 250 मि०ग्राम की गोली बना ले इन गोली को मुख मे रख कर चुसें खांसी में आराम मिलता है।
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